बंगाल में कानून व्यवस्था का खुला चिट्ठा है, मध्यमग्राम में बलात्कार की शिकार जला दी गयी लड़की के पिता का पत्र
মধ্যমগ্রাম গণধর্ষণ: দায় অস্বীকার রাজ্যের
মধ্যমগ্রামে নির্যাতিতার দেহ নিয়ে রাজনীতিতে সামিল বিহারের মুখ্যমন্ত্রীও
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कामदुनि बलात्कार कांड की गूंज नई दिल्ली के रायसीना हिल्ज तक पहुच जाने के बावजूद मामला रफा दफा हो गया। इसी तर्ज पर बंगाल में मां माटी मानुष की सरकार ने मध्यमग्राम में दो दो बार बलात्कार की शिकार लड़की की हत्या के मामले को भी रफा दफा करने का इंतजाम कर लिया था। मृत्युपूर्व बयान को दबाकर पुलिस ने बाकायदा लाश का अपहरण करके मृतका की अत्येष्टि परिजनों की गैरमौजूदगी में बना डेथ सर्टिफिकेट के कर देने की कोशिश की।जिसे लेकर अब बवंडर मच गया है। कामदुनि मामला तो रफा दफा है, लेकिन यह मामला उतनी आसानी से रफा दफा होने के आसार नही है।अगर कामदुनि को न्याय मिला होता और वहां बलात्कारियों को सजा हो गयी होती तो राजनीतिक संरक्षण में बलत्कारियों और अपराधकर्मियों के हौसले इतने बुलंद नहीं होते। यह मामला कानून के राज की गैरमौजूदगी का जितना है,उससे कहीं ज्यादा बंगाल में पार्टीबद्ध नरकयंत्रणा का है,जिससे फिलहाल निजात पाने की संभावना नहीं है। प्रशासन और पुलिस बंगाल में आम जनता की तरह पार्टीबद्ध हो गये हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद महिला हैं और इसके साथ पुलिस विभाग भी उनके पास है। उन्होंने कम से कम इस मामले में कार्रवाई नहीं की तो नतीजे और भयंकर हो सकते हैं।कमदुनि प्रकरण दोहराते रहने पर कबतक दीदी की साख बनी रहेगी,यह कहना मुश्किल है।जबकि मध्यमग्राम बलात्कारकांड के बहाने वाम कार्यकर्ताओं के साथ एक बार फिर नागरिक समाज सड़क पर है और देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरु हो चुके हैं।मृतका के पिता ने राज्यपाल को जो चिट्ठी लिखी है, वह बंगाल में कानून व्यवस्था का खुला चिट्ठा है।विडंबना यह है कि बतौर विपक्षी नेता महिला उत्पीड़न के खिलाप हमेशा मुखर दीदी और उनके समर्थक इतने संगीन मामले को महज राजनीति षड्यंत्र बताकर खारिज करने में लगे हैं। प्रधानमंत्रित्व की दौड़ में कोई कसर न छोड़ने वाली दीदी के लिए यह मामला गले की फांस साबित हो सकता है।
हालत तो मध्यमग्राम की पीड़िता को जिंदा जला दिये जाने से पहले तक यह थी कि कामदुनि आंदोलन खत्म हो गया,शारदा कांड भी दफा रफा।कुणाल घोष के पर फड़फड़ाने से आम लोगों को कुछ नहीं हासिल होने वाला था।मुआवजा के साथ ईलिश दावत जीमकर जनता गदगद थी।कोलकाता में मुआवजा बांटने के बाद जिलों में भी बंटने लगा था मुआवजा। जबकि सीमांत इलाकों में बाकायदा तस्कर अपराधी राज कायम हो गया है। नवान्न में राइटर्स स्थानांतरण के बाद क्रांति का बिगुल फूंककर घृणा अभियान चलाने वाले क्रांतिकारी सीमाक्षेत्र में बन रहे मगेर मुल्लुक के मामले में बोका उल्लुक बने हुए हैं।
गौरतलब है कि मध्यमग्राम बलात्कार कांड के खिलाफ वाममोर्चा की ओर से गुरूवार को पूरे राज्य में धिक्कार दिवस मनाया गया। सभी घटक दलों को जुलूस निकालने और प्रतिवाद सभा करने का निर्देश दिया गया था।लगातार चुनावों में हारते जाने के बाद सुदीप्त की मौत और शारदा फर्जीवाड़ा के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन खड़ा करने में नाकाम वादलों को यह मौका प्लेट में सजाकर दे दिया पुलिस मंत्री ममता बनर्जी ने।कोई और नहीं।मां माटी मानुष सरकार के राज में जाहिर है कि दिल्ली गैंगरेप जैसे ही एक और बर्बर सामूहिक दुष्कर्म के मामले ने फिर लोगों को झकझोर दिया है। इस बार मामला कोलकाता का है जहां मंगलवार को 16 वर्षीय पीड़ित लड़की की मौत हो गई। मामले में बुधवार को बवाल तब बढ़ गया जब पता चला कि मौत से पहले लड़की ने पुलिस को बताया था कि बलात्कार करने वालों ने ही उसे जलाया था।इसके बाद हजारों लोग संगठित होकर सड़क पर उतर आए और प्रदर्शन शुरू कर दिया। उधर, लड़की के टैक्सी ड्राइवर पिता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आरजी कर अस्पताल के सुपरिटेंडेंट के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई है।ममता बनर्जी के पास स्वास्थ्य विभाग भी है। पीड़िता के माता-पिता ने बुधवार को गवर्नर एमके नारायणन से मुलाकात कर अपनी सुरक्षा व आरोपियों को मौत की सजा देने की गुहार लगाई।गवर्नर को पीड़िता के पिता ने पत्र लिखकर न्याय की मांग की है।
इसके विपरीत मुख्यमंत्री के खासमखास तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल रॉय ने बताया, ''माकपा लोगों से दूर है और वे इस सामूहिक बलात्कार के मामले में सरकार के खिलाफ गलत प्रचार करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे।'' अस्पताल में हुई लड़की की मौत को 'दुखद' बताते हुए रॉय ने कहा कि दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करने में प्रशासन जो कुछ भी कर सकता था, उसने वह किया।उनके मुताबिक, ''आरोपी जेल में हैं और उनके खिलाफ एक आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।''
16 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के दो मुख्य आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। लड़की ने अपने आखिरी बयान में कहा था कि उसे जलाया गया था। साथ ही उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा था कि मृत्यु के समय वह प्रेगनेंट थी। लड़की की मौत से कोलकाता में विवाद भड़क गया था और लड़की के परिवार का आरोप है कि उन्हें पुलिस ने शहर छोड़ने की धमकी दी है। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (बिधाननगर पुलिस) अनंत ने गुरुवार को बताया, 'हमने लड़की के आखिरी बयान के आधार पर दो मुख्य आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने कहा, 'लड़की का इलाज कर रहे डॉक्टर ने भी बताया कि मौत के समय लड़की प्रेगनेंट थी। हमने लड़की के भ्रूण की अवधि का पता लगाने के लिए उसे फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेज दिया है।'
ध्यान रहे कि लड़की के साथ अक्टूबर में 2 बार गैंग रेप किया गया था। बाद में 23 दिसंबर को आरोपियों ने लड़की जिंदा जला दिया। पिछले 31 दिसंबर को उसकी मौत हो गई। लड़की के परिजनों ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम. के. नारायणन से बुधवार को मुलाकात की थी और बलात्कारियों को मौत की सजा दिए जाने के साथ परिवार को सुरक्षा देने की मांग की थी।
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि उसने पीड़ित परिवार के साथ पूरी तरह सहयोग किया था। राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव संजय मित्रा ने कहा, 'पुलिस और राज्य सरकार ने परिवार के साथ पूरी तरह सहयोग किया। उन्होंने कहा, 'हम अब भी परिवार के साथ हर तरह से सहयोग एवं उसकी सहायता कर रहे हैं। अंतिम संस्कार में भी उन्होंने जो सहयोग मांगा, हमने किया।'
त्वरित सुनवाई पर जोर देते हुए मित्रा ने कहा कि राज्य सरकार यौन हिंसा कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, 'जिन लोगों के खिलाफ आरोप है, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। हम यौन हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं करने को प्रतिबद्ध हैं। ऐसे मामलों में वैज्ञानिक विश्लेषण एवं त्वरित कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि दोषियों को जल्द दंडित किया जा सके।'
हालांकि, मित्रा ने लेफ्ट नेतृत्व का नाम लिए बगैर शव के साथ जुलूस निकालने की उनकी मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'सरकार पीड़ित परिवार का पूरा साथ दे रही है। इस वक्त शव को लेकर हो रही राजनीति की मैं कड़ी निंदा करता हूं।'
मृत्यु पूर्व बयान में सोलह साल की लड़की ने साफ कर दिया कि पीड़िता और उसके गरीब परिवार को पुलिस ने सुरक्षा नहीं दी।16 वर्षीय किशोरी को उसके परिचित छोटू नामक एक युवक पिता के साथ दुर्घटना होने की झूठी खबर देकर घर से बुलाया। फिर छह दोस्तों के साथ मिलकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। अगले दिन जब पीडिता घटना की प्राथमिकी दर्ज कर मध्यमग्राम थाने से घर लौट रही थी तो उसे आरोपी फिर अपने साथ ले गए। उसके साथ एक बार फिर मुंह काला किया। इसके बाद मामला वापस लेने के लिए उसके परिजनों को डराने धमकाने लगे। पीड़िता के असहाय परिवार ने मध्यमग्राम में दो दो बार बलात्कार के बाद सुरक्षा के मद्देनजर घर बदल लिया और दमदमएअर पोर्ट के बगल में किराये के कमरे को नया ठिकाना बनाया।दुराचारियों ने पीडिता व उसके परिवार का पीछा नहीं छोड़ा। अभियुक्तों ने वहां भी धावा बोला और लड़की की मां मां जब उसके पिता को फोन पर सूचना देने गयी तो अभियुक्तों ने उसे जिंदा जला दिया।बाद में पता चला कि बलात्कार के फलस्वरुप वह गर्भवती हो गयी थी। सामूहिक बलात्कार पीड़िता (16) की शहर के अस्पताल में हुई मौत के बाद वाम दल और कोलकाता पुलिस उसका अंतिम संस्कार करने के मुद्दे को लेकर उलझ गए। इस पीड़िता ने शहर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था।25 अक्तूबर कोमध्यमग्राम में दो दो बार गैंगरेप का शिकार हुई पीड़िता ने जल जाने के कारण मंगलवार को सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया। पीड़िता को बीते 23 दिसंबर को अभियुक्तों ने आग में झोंक दिया था।
मृतका के पिता ने बेटी की मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन को दोषी ठहराते हुए अस्पताल अधीक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पेशे से टैक्सी चालक पिता का आरोप है कि इलाज में लापरवाही के कारण उनकी बेटी की मौत हुई है। बुरी तरह से झुलसी हालत में उसे आरजी कर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं पुलिस सामूहिक बलात्कार के मामले के सभी सात आरोपियों व धमकी देने के मामले में दो जनों को गिरफ्तार कर चुकी है।
हैवानियत की शिकार हुई बंगाल की "दामिनी" भी जिन्दगी की जंग हार गई। आग में झुलसी उत्तर 24 परगना जिले के मध्यमग्राम की रहने वाली बलात्कार पीडिता ने मंगलवार सुबह आरजी कर अस्पताल में दम तोड़ दिया।लड़की के पिता एक टैक्सी चालक हैं और सीटू के काफी करीबी हैं। लड़की के पिता और सीटू के सूत्रों ने कहा कि जिस समय शव को कल देर रात शवगृह में ले जाया जा रहा था, तब पुलिस ने बिना परिवार की अनुमति के इसे जबरन अंतिम संस्कार के लिए ले लिया।माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य राबिन देब ने बताया, पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार करने के लिए इसे बलपूर्वक वापस ले लिया और नीमतला शवदाह गृह में उसके अंतिम संस्कार की कोशिश की। पुलिस ऐसा करने में विफल रही क्योंकि पीड़िता का मृत्यु प्रमाणपत्र उसके पिता के पास था। जैसे ही खबर फैली, हम भी तुरंत शवदाह केंद्र में पहुंच गए और हमने विरोध जताकर पुलिस को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
देब ने कहा, पुलिस ने यह तर्क दिया कि शव के साथ शोक रैली निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि नए साल के जश्न के कारण पुलिसकर्मियों की कमी है। हालांकि पुलिस ने इन आरोपों से इनकार कर दिया है।
पुलिस मुख्यालय में संयुक्त आयुक्त राजीव मिश्रा ने बताया, यह बिल्कुल झूठा आरोप है, जो भी किया गया, वह बिधाननगर की पुलिस और परिवार के सदस्यों से सलाह-मश्विरा करने के बाद किया गया। लड़की का घर बिधाननगर की पुलिस के ही अधिकार क्षेत्र में आता है। संपर्क किए जाने पर बिधाननगर के पुलिस उपायुक्त अर्नब घोष ने कहा, यह घटना कोलकाता पुलिस के अधिकारक्षेत्र में घटी इसलिए हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। शव को फिलहाल परिवार और सीटू के संरक्षण में रखा गया है और उन्होंने दोपहर में शहर में शोक रैली आयोजित करने का फैसला किया है।
अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि लड़की को जब भर्ती कराया गया तब वह 80 फीसदी तक जल चुकी थी और उसके फेफड़े क्षतिग्रस्त हो चुके थे। उसकी मौत मंगलवार दोपहर 2 बजे के करीब हो गई थी। लड़की के साथ 25 अक्तूबर को शहर के उत्तरी हिस्से में स्थित मध्यमग्राम में दिन में दो बार सामूहिक बलात्कार किया गया था।
उसके साथ पहली बार बलात्कार उसके घर के पास हुआ था और वह वहीं पास में पड़ी मिली थी। इसके बाद जब वह अपने माता-पिता के साथ स्थानीय पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करवाकर लौट रही थी, तब उसी गिरोह ने इसे बलपूर्वक ले जाकर फिर से सामूहिक बलात्कार किया। बुरी तरह घायल यह लड़की उसी दिन मध्यमग्राम स्थित रेल की पटरी पर बेहोशी की हालत में पड़ी मिली।
स्थानीय लोगों द्वारा आरोपी गिरोह के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करने के बाद छह लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया कि गिरोह का मुखिया छोटू 23 दिसंबर को उनके दमदम स्थित आवास पर पहुंचा और उसने लड़की द्वारा शिकायत वापस न लेने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
सीटू के अध्यक्ष और माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य श्यामलाल चक्रबर्ती ने कहा, क्या हम एक लोकतंत्र में रह रहे हैं? एक लड़की के साथ बलात्कार होता है, वह मर जाती है और पुलिस दोषियों को गिरफ्तार करने के बजाय शव का जबरन संस्कार करने की कोशिश करती है।
हालत यह है कि बिहार के बेटी संगे भईल दोहरा दुष्कर्म के विरोध में आम आदमी पार्टी के पटना में आक्रोश मार्च।सामूहिक दुष्कर्म के शिकार लईकी के शहर के अस्पताल में मौत भईला के बाद कोलकाता पुलिस के राक्षस निहन भूमिका प सवाल उठे लागल बा। मामला में पीड़ित लईकी के अंतिम संस्कार खाती ले आवल गईल त जनता सड़क प उतर, न्याय के मांग कईलस।आम आदमी पार्टी गुरुवार के साँझ पाँच बजे पटना के कार्गिल चौक से 'आक्रोश मार्च' निकाली। कोलकाता में भईल दोहरा सामूहिक बलात्कार कांड मामला में जनता के विरोध अब अवरू तेज़ हो गईल बा।
पटना से खबर है कि सामूहिक बलात्कार पीडिता 16 वर्षीय बिहार निवासी एक लड़की की कोलकाता में एक अस्पताल में हुई मौत के मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) के पुलिस महानिरीक्षक जी एस गंगवार को कोलकाता भेजा है।
मुख्यमंत्री आवास से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए पीडिता के परिजनों से घटना की जानकारी लेने एवं उन्हें मदद करने तथा कोलकाता के वरीय पदाधिकारियों से बातचीत करने के लिए गंगवार को कोलकाता भेजा है।
नीतीश ने मुख्यमंत्री राहत कोष से पीडिता के परिजनों को अनुग्रह अनुदान राशि के रुप में एक लाख रुपये का चेक भी दिया है। पिछले 25 अक्तूबर को दो बार अत्याचार का शिकार हुई पीडि़ता के जल जाने के कारण गत 31 अक्तूबर को कोलकाता स्थित सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
নবান্নে পুলিশের হাতে প্রহৃত সাংবাদিকেরা নিজস্ব সংবাদদাতা |
ছবি তোলাকে কেন্দ্র করে নবান্নে পুলিশের হাতে প্রহৃত হলেন সাংবাদিকেরা। বৃহস্পতিবার নবান্নে 'প্রশাসনিক ক্যালেন্ডার'-এর প্রকাশ অনুষ্ঠানে যোগ দিতে সেখানে গিয়েছিলেন রাজ্যপাল এম কে নারায়ণন। অনুষ্ঠান শেষে সাংবাদিকদের ছবি তোলার জন্য ডেকে পাঠান মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। কয়েক জন চিত্রগ্রাহক এগিয়েও যান। কিন্তু পরের চিত্রগ্রাহকেরা ঢুকতে গেলে পুলিশ তাদের বাধা দেয়। এখান থেকেই শুরু হয় বচসা। পুলিশের সঙ্গে ধস্তাধস্তিতে মাথা ফাটে একটি দৈনিক সংবাদপত্রের এক সাংবাদিক ও এক চিত্র সাংবাদিকের। আহত হন আরও অনেকে। ঘটনার পরেই রাজ্যপালের কাছে অভিযোগ জানান সাংবাদিকেরা। এই ঘটনায় অভিযোগের আঙুল উঠেছে হাওড়ার পুলিশ কমিশনারেটের ডিএসপি পদমর্যাদার দু'জন অফিসারের বিরুদ্ধে। প্রশাসনিক সূত্রে জানা গিয়েছে, বিষয়টি খতিয়ে দেখতে মুখ্যসচিব ও পুলিশ কমিশনারকে নির্দেশ দিয়েছেন রাজ্যপাল। |
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নবান্নে বৃহস্পতিবার রাজ্যপাল এম কে নারায়ণন ও মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সঙ্গে অন্য মন্ত্রীরা। ছবি: প্রদীপ আদক। |
নবান্নে সাংবাদিকদের উপরে পুলিশি মারের তীব্র নিন্দা এসেছে বিরোধী পক্ষ বামফ্রন্টের তরফে। বামফ্রন্টের চেয়ারম্যান বিমান বসু বলেছেন, "পুলিশের একাংশের মাথায় পেটাই মানসিকতা ঢুকে গিয়েছে! নিমতলা শ্মশানে নির্যাতিতা কিশোরীর দেহ দাহ করার চেষ্টার সময় পুলিশ কিছু প্রতিবাদকারীদের পেটাই করেছিল বুধবার। পরের দিন নবান্নে সাংবাদিকদের উপরে আক্রমণ হল। অথচ মুখ্যমন্ত্রী ও রাজ্যপালের ওই অনুষ্ঠানে সাংবাদিকেরা তো রবাহুত হয়ে যাননি!" বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্রের বক্তব্য, "খুবই নিন্দনীয় ঘটনা! রাজ্যপাল যে হেতু নিজেই মুখ্যসচিবকে বলেছেন, আশা করি সরকার ব্যবস্থা নেবে। যারা দায়ী, তাদের চিহ্নিত করে আইনানুগ ব্যবস্থা নেওয়া হবে।" ঘটনার কড়া নিন্দা করে কংগ্রেস বিধায়ক মানস ভুঁইয়ার বক্তব্য, "এই পুলিশ এমন হয়েছে যে, ডেকে আনতে বললে বেঁধে আনে! বেঁধে আনতে বলে মেরে কপাল ফাটিয়ে আনে!" |
মধ্যমগ্রামের ধর্ষিতার প্রতি সমবেদনা জানাল রাজ্য সরকার নিজস্ব প্রতিবেদন |
রাজ্য সরকারের অস্বস্তি এড়াতে মুখ্যমন্ত্রীর নির্দেশে তড়িঘড়ি সাংবাদিক বৈঠক করলেন মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র। মধ্যমগ্রাম কাণ্ডে ধর্ষিতার পরিবারের প্রতি সমবেদনা জানিয়ে নির্যাতিতার পরিবারকে সব রকম সাহায্যের আশ্বাস দিয়েছেন তিনি। দেহ নিয়ে রাজনীতিরও তীব্র প্রতিবাদ করেছেন তিনি। তিনি বলেন, ''সকল অভিযুক্ত ধরা পড়েছে। আইনানুগ তাদের কঠোরতম শাস্তির আবেদন জানাবে সরকার।'' কিশোরির চিকিত্সায় গাফিলতির অভিযাগ উড়িয়ে গিয়েছেন তিনি। তবে এই ঘটনায় ক্রমশ অস্বস্তি বাড়ছে রাজ্য সরকারের। পুলিশের ভূমিকার সমালোচনা করে এবং তদন্তের অগ্রগতি জানতে বুধবারই মুখ্যমন্ত্রীকে চিঠি দিয়েছিলেন জাতীয় মহিলা কমিশনের চেয়ারপার্সন মমতা শর্মা। বৃহস্পতিবার ধর্ষিতার পরিবারকে এক লক্ষ টাকা সাহায্য করার কথা ঘোষণা করেছে বিহার সরকার। তদন্তের অগ্রগতি জানতে রাজ্যে আসছেন বিহার পুলিশের এক শীর্ষ কর্তা। ধর্ষিতার পরিবার ও রাজ্য সরকারের সঙ্গে কথা বলে বিহারের মুখ্যমন্ত্রীকে একটি পূর্ণাঙ্গ রিপোর্ট দেবেন তিনি। ধর্ষিতার পরিবারকে এক লক্ষ টাকা সাহায্যের কথা ঘোষণা করেছে উত্তর ২৪ পরগনা জেলা সিপিএম-ও। |
http://www.anandabazar.com/2sironam.html#6
মধ্যমগ্রাম গণধর্ষণ: দায় অস্বীকার রাজ্যের
এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: চিকিত্সায় গাফিলতির কারণে মৃত্যু হয়নি মধ্যমগ্রামের নির্যাতিতার। বৃহস্পতিবার সাংবাদিক বৈঠকে এমন সাফাই পেশ করলেন মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র। অন্য দিকে গণধর্ষিতার মৃত্যুর ঘটনায় খুনের মামলা দায়ের হল ব্যারাকপুর আদালতে।
মধ্যমগ্রামের নির্যাতিতার মৃত্যুর পর বার বারই চিকিত্সায় গাফিলতির অভিযোগ উঠছিল তাঁর পরিবারের পক্ষ থেকে। এদিন মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র সাফ জানিয়ে দেন, চিকিত্সায় গাফিলতির কারণে নিগৃহীতার মৃত্যু হয়নি। চিকিত্সায় গাফিলতির কোনও প্রমাণ পাওয়া যায়নি। বরং মাল্টি অরগ্যান ফেলিওরের কারণেই তাঁর মৃত্যু হয়েছে বলে জানিয়েছে মুখ্যসচিব। পাশাপাশি তিনি এ-ও জানিয়েছেন, এ ব্যাপারে সরকারের যা যা করণীয় ছিল, তা করেছে। এমনকি ধর্ষণের ঘটনায় ৬ জনকে আগেই গ্রেপ্তারও করেছে পুলিশ। পরিবারকে নিরাপত্তাও দেওয়া হয়েছে বলে জানান তিনি। মৃতদেহ দেহ নিয়ে রাজনীতি নিন্দনীয় বলেও মন্তব্য করেন মুখ্যসচিব।
অন্য দিকে, নির্যাতিতার মৃত্যুতে খুনের মামলা দায়ের হল ব্যারাকপুর আদালতে। দু'জনের বিরুদ্ধে খুনের মামলা দায়ের করার জন্য বুধবারই ব্যারাকপুর আদালতে আবেদন জানিয়েছিল বিধাননগর কমিশনারেট। এদিন আদালতে সেই আবেদন গৃহীত হয়।
উল্লেখ্য, মৃত্যুর আগে হাসপাতালের চিকিত্সা চলাকালীন যুবতী পুলিশকে বলেছিলেন, তিনি নিজে গায়ে আগুন দেননি। বরং দুষ্কৃতীরাই তার গায়ে কেরোসিন তেল ঢেলে আগুন লাগিয়ে দিয়েছিল। এমনই জানিয়েছেন, মৃত্যুর ঘটনার তদন্তকারী অফিসারেরা। তাঁদের অনুমান, যুবতী যাতে আদালতে সাক্ষ্য দিতে না-পারে, তাই দুষ্কৃতীরা তাঁকে পুড়িয়ে মারার চেষ্টা করে। মেয়েটির বাড়িতে ঢুকে ভাঙচুর ও শাসানির অভিযোগে রতন শীল ও মিন্টা শীল নামে দুই যুবককে গ্রেপ্তার করে পুলিশ। তাদের বিরুদ্ধেই খুনের মামলা দায়ের করা হয়েছে। জানিয়েছেন, বিধাননগর পুলিশ কমিশনারেটের এডিসিপি সন্তোষ নিম্বলকর।
পুলিশের দাবি, মেয়েটি গর্ভবতী হয়ে পড়েছিল। ময়নাতদন্তে তাঁর গর্ভস্থ ভ্রূণটিও সংগ্রহ করা হয়েছে। সেটির ডিএনএ পরীক্ষা এবং ময়নাতদন্ত রিপোর্টের ভিত্তিতে তদন্ত এগিয়ে নিয়ে যাওয়া হবে বলে দাবি প্রশাসনিক কর্তাদের।
এদিকে মধ্যমগ্রামের নির্যাতিতার পরিবারকে এক লক্ষ টাকার সাহায্য ঘোষণা করল বিহার সরকার৷ বিহার পুলিশের ডিজি জানিয়েছেন, রাজ্য সরকার এবং নির্যাতিতার পরিবারের সঙ্গে কথা বলতে বৃহস্পতিবার সন্ধ্যায় শহরে আসছেন বিহারের এক পদস্থ পুলিশকর্তা। মঙ্গলবার আরজি কর হাসপাতালে মৃত্যু হয় ওই কিশোরীর। তার বাবা-মা আদতে বিহারের বাসিন্দা। তাই নীতীশ কুমার সরকার আর্থিক সাহায্যের ঘোষণা করেছে।
এমনকি বিহার পুলিশের পক্ষ থেকে এই মামলায় আইনি প্রক্রিয়া দ্রুত সম্পন্ন করার জন্য পশ্চিমবঙ্গ পুলিশের কাছে আবেদনও জানানো হয়েছে। বিহারের বাসিন্দা ওই কিশোরীর পরিবার মধ্যমগ্রাম ছেড়ে বর্তমানে এয়ারপোর্ট এলাকায় বাড়ি ভাড়া নিয়ে রয়েছেন৷
মধ্যমগ্রামে নির্যাতিতার দেহ নিয়ে রাজনীতিতে সামিল বিহারের মুখ্যমন্ত্রীও
এই সময়: মধ্যমগ্রামের নির্যাতিতার দেহ নিয়ে রাজনীতির পর এবার তাঁর পরিবারের পাশে দাঁড়ানোর লড়াই শুরু হল৷ আশ্চর্যজনক ভাবে এই লড়াইয়ে সামিল হয়েছেন বিহারের মুখ্যমন্ত্রী নীতিশ কুমার৷ আর্থিক এবং অন্যান্য সব ধরনের সাহায্যের প্রতিশ্রুতি দিয়েছে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সরকারও৷ কালক্ষেপ না করে নীতীশ কুমার ১ লাখ টাকার চেক-সহ বিহার সরকারের এক পদস্থ পুলিশ অফিসারকে কলকাতায় পাঠিয়ে দিয়েছেন ধর্ষিতা মেয়েটির পরিবারের হাতে সাহায্য তুলে দেওয়ার জন্য৷ বৃহস্পতিবার দুপুরের বিমানেই তিনি কলকাতায় উড়ে আসেন৷ পাটনায় রীতিমতো সাংবাদিক বৈঠক করে বিহারের মুখ্যমন্ত্রী ঘটনাটির তীব্র নিন্দাও করেন৷ নীতীশের সিদ্ধান্ত জানাজানি হতেই নবান্নে সাংবাদিক বৈঠক করে রাজ্যের মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র ঘোষণা করেন, মেয়েটির পরিবার আর্থিক এবং অন্যান্য যে কোনও সুবিধা চাইলে রাজ্য সরকার তা দিতে প্রস্ত্তত৷ সেই সঙ্গে তিনি দাবি করেন, মেয়েটির চিকিত্সায় কোনও রকম গাফিলতি হয়নি৷ অপরাধীদের বিরুদ্ধে দ্রুত চার্জশিট দিয়ে সর্বোচ্চ সাজা নিশ্চিত করার চেষ্টা চালাবে সরকার৷ তিনি আরও বলেন, নারী নির্যাতনের ঘটনায় অপরাধীদের কোনও ভাবেই রেয়াত করবে না সরকার৷ মধ্যমগ্রামের মতো উত্তর দিনাজপুরের হেমতাবাদের একটি ঘটনায় অপরাধীদের বিরুদ্ধে ৫৫ দিনের মধ্যে আদালতে চার্জশিট পেশ করে পুলিশ৷ এক বছরের মধ্যেই তাদের সাজা হয়ে গিয়েছে৷ মধ্যমগ্রামের ঘটনাতেও অপারাধীদের গ্রেপ্তার করা হয়েছে৷ কিন্ত্ত নিন্দনীয় হল, মধ্যমগ্রামের ঘটনা নিয়ে রাজনীতি করা হচ্ছে৷
বুধবার সকালে ধর্ষিতার পরিবার অভিযোগ করেছিল, পুলিশ তাঁদের লোটাকম্বল গুটিয়ে বিহার চলে যেতে বলেছিল৷ আদতে বিহারের সমস্তিপুর জেলার পটৌরি থানা এলাকার বেলাগ্রামের বাসিন্দা ওই পরিবারটি হুমকির মুখে বিহার চলে যাওয়ার সিদ্ধান্তও নিয়ে ফেলেছিল বলে তাঁদের পরিজনের দাবি৷ ওই দিন রাজ্যপালের সঙ্গে দেখা করার পর নির্যাতিতার বাবা ঘোষণা করেন, তাঁরা বিহার ফিরে যাচ্ছেন না৷ বাংলায় থেকেই অপরাধীদের বিরুদ্ধে লড়াই চালিয়ে যাবেন৷ এ দিন মৃতার বাবা বলেন, 'ঘটনা সম্পর্কে বিস্তারিত জানার জন্য বুধবার পটৌরি থানা থেকে আমার সঙ্গে যোগাযোগও করে ওখানকার পুলিশ৷ আমাদের বিহার ফিরে যেতেও পরামর্শ দেন ওঁরা৷ কিন্ত্ত ওঁদের বলে দিয়েছি, এখানে থেকই লড়াই চালিয়ে যাব৷' বিহার পুলিশের আইজি-ও তাঁর সঙ্গে যোগাযোগ করে সাহায্যের আশ্বাস দিয়েছেন বলে জানান তিনি৷
রাজনৈতিক মহল মনে করছে, বাংলায় সুবিচার না-পাওয়ার আশঙ্কায় নির্যাতিতার পরিবারের বিহার চলে যাওয়ার ঘোষণাকেই হাতিয়ার করেছেন নীতীশ কুমার৷ লোকসভা ভোটের আগে প্রবাসে অসহায় পরিস্থিতির শিকার ওই পরিবারটির পাশে দাঁড়ানোর সিদ্ধান্ত নিয়ে নীতীশকুমার আসলে নিজের রাজ্যে পায়ের তলার মাটি আরও শক্ত করতে চাইছেন৷ বিহারি ওই পরিবারটি অত্যন্ত দুঃস্থ যা বিহারের ভোট রাজনীতির সঙ্গে প্রবল ভাবেই খাপ খায়৷ এর আগে অসম এবং মহারাষ্ট্রে বিহারি খেদাও অভিযানের সময়ও লালুপ্রসাদ, নীতীশ কুমাররা ভোটের টানেই বিপন্ন বিহারিদের পাশে গিয়ে দাঁড়িয়েছিলেন৷ কিন্ত্ত প্রবাসে একটি পরিবারের দিকে সাহায্যের হাত বাড়িয়ে দেওয়ার নজির খুব একটা নেই৷ নিশ্চিত করেই নীতীশের ঘোষণায় অস্বস্তি বাড়ল মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের৷ এ দিন সকালে বিহার সরকারের তরফে প্রেস বিবৃতি প্রকাশ করার পরও বিকেলে তিনি নিজে সাংবাদিক বৈঠক করে বলেন, 'যা ঘটেছে, তা নিন্দার ভাষা নেই৷ নির্যাতিত পরিবারের পাশে আছি আমরা৷ আর্থিক সাহায্য সঙ্গে নিয়ে বিহার পুলিশের উচ্চপদস্থ এক কর্তাকে ইতিমধ্যেই কলকাতা পাঠানো হয়েছে৷' সংবাদসংস্থা সূত্রে খবর, মধ্যমগ্রামের এই ধর্ষিতার স্মরণে এ দিন সমস্তিপুরের সব স্কুলেও ছুটি দিয়ে দেওয়া হয়৷
তবে নীতীশের পদক্ষেপ কতটা সঠিক তা নিয়ে প্রশ্ন উঠেছে৷ তৃণমূল তথা রাজ্য সরকার কিন্ত্ত এ দিন নীতীশের সিদ্ধান্ত সম্পর্কে কড়া প্রতিক্রিয়া দেয়নি৷ তৃণমূলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায় বলেন, পশ্চিমবঙ্গে সব রাজ্যের মানুষ নিশ্চিন্তে বসবাস করছেন৷ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের প্রতি তাঁদের অগাধ আস্থা৷ যদিও এ দিন নবান্নে কারও নাম না-করেই মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় বলেন, 'যত ভালো কাজ করবেন, তত চক্রান্ত হবে৷ পিছন থেকে টেনে ধরার চেষ্টা করা হবে রাজনৈতিক সংকীর্ণতা থেকে৷ চক্রান্ত করে ভালো কাজ রোখা যাবে না৷' দুপুরে সাংবাদিক বৈঠক করে মুখ্যসচিব বলেন, দুর্ভাগ্যজনক একটি ঘটনা নিয়ে আমি সরকারের তরফে বিবৃতি দিতে এসেছি৷ ওই মেয়েটির পরিবারের প্রতি সরকার শোকজ্ঞাপন করছে ও সমবেদনা জানাচ্ছে৷ পরিবারটি চাইলে আর্থিক এবং অন্যান্য যে কোনও সহযোগিতা করতে সরকার প্রস্ত্তত৷ মুখ্যমন্ত্রীর ঘনিষ্ঠ মহলের ব্যাখ্যা, অত্যন্ত ভেবেচিন্তেই রাজ্য সরকার আগাম কোনও ক্ষতিপূরণ ঘোষণা করেনি৷ কারণ তাদের আশঙ্কা, পরিবারটি ক্ষতিপূরণ প্রত্যাখ্যান করতে পারে৷ গত কয়েকদিন ধরেই নির্যাতিতার পরিবার সিটুর ছত্রছায়ায় রয়েছে৷ বুধবার সন্ধ্যায় অন্ত্যেষ্টির পর মৃতার বাবা-মা সিটুর রাজ্য দপ্তর শ্রমিক ভবনে গিয়ে ওঠেন৷
মধ্যমগ্রামের কিশোরীর এই দুর্ভাগ্যজনক পরিণতিকে ইতিমধ্যেই এ রাজ্যের বামেরা হাতিয়ার করেছে৷ এ দিন নয়াদিল্লিতেও তার রেশ পড়ে৷ গণধর্ষণকাণ্ডের প্রতিবাদে রাজধানীর রাস্তায় নামে সিপিএম৷ বঙ্গভবনের সামনের রাস্তায় সিপিএমের সর্বভারতীয় মহিলা শাখার শ'খানেক সদস্য বিক্ষোভ দেখান৷ তাঁদের নেতৃত্বে ছিলেন পলিটব্যুরো সদস্য বৃন্দা কারাট ও সাংসদ তপন সেন৷ বৃন্দা কারাট বলেন, 'ভারতবর্ষের ইতিহাসে এ রকম কখনও হয়নি৷ একবার গণধর্ষণ করার পর মধ্যমগ্রামের মেয়েটিকে দ্বিতীয়বার গণধর্ষণ করা হয়েছে৷ আমাদের প্রশ্ন হল, কী করে এটা হতে পারে? দিনদুয়েকের জন্য পুলিশি সুরক্ষা দিয়ে কেন তা সরিয়ে নেওয়া হল? পার্ক স্ট্রিট, কামদুনি, মধ্যমগ্রাম-- একের পর এক ধর্ষণ ও নারী নিগ্রহের ঘটনা ঘটছে৷ মুখ্যমন্ত্রী নিজেই পুলিশমন্ত্রী৷ তাই আমরা জবাব চাই৷' আজ, শুক্রবার মুখ্যমন্ত্রীর উদ্দেশে একটি খোলা চিঠি তাঁরা দিল্লির রেসিডেন্ট কমিশনারের কাছে জমা দেবেন বলে জানান বৃন্দা৷
মুখ্যসচিব এ দিন বলেন, অক্টোবরে মেয়েটি আক্রান্ত হওয়ার ঘটনায় বেশ কয়েক জনকে গ্রেপ্তার করা হয়েছে৷ ধর্ষণের ঘটনায় পুলিশ তথ্যপ্রমাণের বৈজ্ঞানিক পরীক্ষা-নিরীক্ষা চালাচ্ছে৷ দ্রুততার সঙ্গে মামলা শুরু করা হবে৷ সঞ্জয়বাবু বলেন, মেয়েটির চিকিত্সায় গাফিলতির যে অভিযোগ করা হচ্ছে, তার কোনও ভিত্তি নেই৷ আমরা চিকিত্সা সংক্রান্ত নথিপত্র খতিয়ে দেখেছি৷ চিকিত্সার সব ধরনের ব্যবস্থা নেওয়া হয়েছিল৷ মেয়েটির শরীরের ৬৫ থেকে ৭০ শতাংশ পুড়ে গিয়েছিল৷ তাঁকে সুস্থ করে তুলতে ৬ সদস্যের মেডিক্যাল টিম গঠন করা হয়৷ তাঁকে ট্রমা কেয়ার ইউনিটে রেখে চিকিত্সা করা হচ্ছিল৷ কিন্ত্ত মেয়েটি মাল্টি-অর্গ্যান ফেলিওর হয়ে মারা যায়৷ মুখ্যসচিবের দাবি, নির্যাতিতার দেহ সত্কারেও প্রশাসন তার পরিবারের পাশে ছিল৷ বুধবার ছিল নববর্ষের প্রথম দিন৷ পথে প্রচুর গাড়ি ছিল৷ পুলিশ তারই মধ্যে অন্ত্যেষ্টির জন্য যাবতীয় সহযোগিতা করেছে৷
কিশোরীর মৃত্যুতে প্রশ্ন দুই হাসপাতালের ভূমিকা নিয়ে
এই সময়: আরজি কর হাসপাতালে মধ্যমগ্রামের ধর্ষিতা নাবালিকার চিকিত্সায় গাফিলতি হচ্ছে, তা নিয়ে আগেই সরব হয়েছিল তার পরিবার৷ থানায় অভিযোগও দায়ের হয়৷ কিন্ত্ত মৃত্যুর পর দেখা যাচ্ছে, শুধু আরজি কর-ই নয়, একই অভিযোগে কাঠগড়ায় বারাসত জেলা হাসপাতালও৷ ময়নাতদেন্তর রিপোর্টে স্পষ্ট, কিশোরীর জরায়ুতে আমৃত্যু যে গভীর ক্ষত ছিল, তা মাস দেড়েকের পুরোনো এবং সেই সংক্রমণ ছড়িয়ে গিয়েছিল সারা শরীরে৷ তাই চিকিত্সকরাই প্রশ্ন তুলছেন, ধর্ষণের পর তাকে যখন (অক্টোবরের শেষ সপ্তাহে) ভর্তি করা হয়েছিল বারাসত হাসপাতালে, তখন কি পর্যাপ্ত চিকিত্সা হয়েছিল? তা হলে জরায়ুর ক্ষত সারল না কেন?
বৃহস্পতিবার নবান্নে দাঁড়িয়ে মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র যদিও দাবি করেন, চিকিত্সায় কোনও গাফিলতি ছিল না৷ কিন্ত্ত প্রশ্ন উঠছে, সময় নষ্ট না-করে চিকিত্সা শুরুর ব্যাপারে সরকার বা প্রশাসন কি যথেষ্ট তত্পর ছিল? তা হলে অগ্নিদগ্ধ হওয়ার পর টানা দেড় দিন কেন ওই কিশোরীকে ফেলে রাখা হয়েছিল আরজি কর মেডিক্যাল কলেজ হাসপাতালের এমারজেন্সি অবজার্ভেশন ওয়ার্ডে? কেন ক্রিটিক্যাল কেয়ার ইউনিটে, বা নিদেনপক্ষে ইন্ডোর ওয়ার্ডে তাকে স্থানান্তর করা হল না? সুসংহত বার্ন ইউনিট না-থাকার কথা স্বীকার করেও কেন হাসপাতাল কর্তৃপক্ষ এসএসকেএমের মতো হাসপাতালে (যেখানে সুসংহত বার্ন ইউনিট আছে) নাবালিকাকে রেফার করল না?
আরজি করের চিকিত্সকদের একাংশই মনে করছে, তাঁদের তরফে অগ্নিদগ্ধ কিশোরীকে চিকিত্সা দেওয়ার আপ্রাণ চেষ্টা করা হলেও, সামগ্রিক ভাবে হাসপাতাল কর্তৃপক্ষের আন্তরিকতায় ঘাটতি ছিল৷ স্যাঁতসেঁতে, অপরিচ্ছন্ন, একচিলতে পরিসরের সেই জায়গায় যে ভাবে অগ্নিদগ্ধ কিশোরীকে প্রায় ৩৫-৪০ ঘণ্টা ফেলে রাখা হয়েছিল একটা ট্রলির উপর, তা আদৌ সমর্থনযোগ্য নয়৷ এদিকে, ময়নাতদন্তের রিপোর্টে মেয়েটির দেহে যে ভ্রূণের অস্তিত্ব মিলেছে, সেটির ডিএনএ পরীক্ষা করা হবে বলে পুলিশ জানিয়েছে৷
চিকিত্সা সংক্রান্ত যাবতীয় খরচ সরকার বহন করছে বলে হাসপাতাল দাবি করলেও, কেন পকেট থেকে হাজার হাজার টাকার ওষুধ ও চিকিত্সা সরঞ্জাম তাঁদের কিনতে হল, সে প্রশ্নে সোচ্চার মৃতার জামাইবাবু৷ আরজি করের উপাধ্যক্ষ দিব্যেন্দু গৌতমের বক্তব্য, 'সরকারি সরবরাহে থাকা ওষুধগুলো ওঁদের বিনামূল্যেই দেওয়া হচ্ছিল৷ যে ওষুধ আমাদের কাছে ছিল না, সেগুলোই বাইরে থেকে বিল-সহ কিনতে বলা হয়েছিল৷ বিল দেখিয়ে পরে যাতে ওঁরা টাকা ফেরত পান, সে ব্যবস্থাও রাখা হয়েছিল৷' হাসপাতাল কর্তৃপক্ষের সাফাই, রোগীকে তাঁরা 'ফেলে' রাখেননি৷ প্রথম দেড় দিন ক্যাজুয়াল্টি ব্লকের যে জায়গায় কিশোরীকে রাখা হয়েছিল, আদতে সেটিই আরজি করের এমারজেন্সি বার্ন ইউনিট৷
নাবালিকার চিকিত্সার দায়িত্বে থাকা মেডিক্যাল বোর্ডের চিকিত্সকদের দাবি, অগ্নিদগ্ধ রোগীর চিকিত্সার ক্ষেত্রে আন্তর্জাতিক চিকিত্সাবিধি যা বলে, সেই অনুযায়ীই চিকিত্সা হয়েছিল৷ এক চিকিত্সকের কথায়, 'অগ্নিদগ্ধ রোগীকে প্রথম ৪৮ ঘণ্টা শুধু স্যালাইন দেওয়ার কথা, যাতে পোড়ার জেরে শরীরে তৈরি হওয়া জলশূন্যতা সামাল দেওয়া যায়৷ এটাই বার্ন ট্রিটমেন্ট প্রোটোকল৷ সেটাই করা হয়েছিল এই কিশোরীর ক্ষেত্রে৷' তাঁর দাবি, পরবর্তীকালে ওই কিশোরীকে প্রথমে সার্জারি ইন্ডোর ওয়ার্ড এবং পরে ক্রিটিক্যাল কেয়ার ইউনিটেও স্থানান্তর করা হয়৷ গঠিত হয় আট সদস্যের মেডিক্যাল বোর্ড যেখানে জেনারেল সার্জারি, প্লাস্টিক সার্জারি, গায়নেকোলজি, অ্যানাস্থেশিওলজি, ক্রিটিক্যাল কেয়ার মেডিসিন, জেনারেল মেডিসিন, সাইকিয়াট্রি এবং ফিজিক্যাল মেডিসিনের বিশেষজ্ঞ চিকিত্সকরা ছিলেন৷
হতভাগ্য পরিজনের মতো চিকিত্সকদের একাংশও অবশ্য ক্ষুব্ধ হাসপাতালের এই দাবি ঘিরে৷ তাঁদের বক্তব্য, ২৪ ডিসেম্বর কিশোরীর পরিবারের তরফে টালা থানায় অভিযোগ দায়ের হওয়ার পরই, ২৫ তারিখ পর পর ওই পদক্ষেপগুলি করেছিলেন আরজি কর কর্তৃপক্ষ? তাঁদের প্রশ্ন, পুলিশে অভিযোগ না-করলে কি একই ভাবে ফেলে রাখা হত অগ্নিদগ্ধ ওই নাবালিকাকে? সে উত্তর অবশ্য মেলেনি৷ সবচেয়ে বড় কথা, বারাসত হাসপাতালে ধর্ষিতার যথাযথ চিকিত্সা হলে, তার জরায়ুর ক্ষত থেকে সারা শরীরে সংক্রমণ ছড়িয়ে পড়ত না৷ চিকিত্সকরা মনে করছেন, অগ্নিদগ্ধ শরীরের সংক্রমণে বাড়তি মাত্রা যোগ করেছিল জরায়ুর ওই ক্ষত৷
এর আগেও বারাসত হাসপাতালের বিরুদ্ধে এমন অভিযোগ উঠেছিল৷ বারাসতের রাজীব দাস হত্যাকাণ্ডেও দেখা গিয়েছিল, প্রভূত রক্তপাত হয়ে চলা সত্ত্বেও, আহত রাজীবকে প্রায় আড়াই ঘণ্টা বিনা চিকিত্সায় ফেলে রাখা হয়েছিল ওই হাসপাতালে৷ পরে তাকে আরজি করে স্থানান্তরিত করা হলেও, বাঁচানো যায়নি তরতাজা ওই কিশোরকে৷
দিশাহারা পুলিশ বাড়াল রাজনীতির টানাপোড়েন নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা |
মৃতদেহ নিয়ে আঠাশ ঘণ্টার টানাপোড়েন। সরকার এবং বিরোধীরা পরস্পর পরস্পরকে দুষছেন। কিন্তু সব ছাপিয়ে সামনে আসছে পরিস্থিতি সামাল দিতে পুলিশের ব্যর্থতা ও সমন্বয়ের অভাব। মধ্যমগ্রামের ধর্ষিতা কিশোরীর মৃত্যু নিয়ে কামদুনির মতো উত্তেজক পরিস্থিতি যাতে তৈরি না হয়, সেটা নিশ্চিত করতে চেয়েছিল প্রশাসন। কিন্তু কলকাতা পুলিশ ও বিধাননগর কমিশনারেটের মধ্যে সমন্বয়ের অভাবে মধ্যমগ্রামের ঘটনা বিরোধীদের হাতে নতুন রাজনৈতিক অস্ত্র তুলে দিল। ফের প্রতিবাদে রাস্তায় নামলেন বিশিষ্ট জনেরাও। শ্মশান থেকে মৃতদেহ দু'-দু'বার ফিরিয়ে আনতে হল। এক বার ধর্ষিতার বাড়িতে। আর এক বার সিটুর দফতরে। বুধবার বিকেলে, মৃত্যুর প্রায় ২৮ ঘণ্টা পরে তৃতীয় বারের চেষ্টায় সৎকার হল কিশোরীর। মঙ্গলবার দুপুরে কিশোরীর মৃত্যুর পরেই আসরে নেমেছিল সিটু। মৃতার বাবাকে দিয়ে থানায় হাসপাতাল কর্তৃপক্ষের বিরুদ্ধে অভিযোগ দায়ের করানো থেকে শুরু করে কী ভাবে সৎকার হবে সেটা পর্যন্ত ছকে ফেলেন তাঁরা। নবান্নে খবর পৌঁছয়, রাতভর পিস হেভ্নে রাখার পর কিশোরীর মৃতদেহ নিয়ে সিপিএমের মহিলা সংগঠন গণতান্ত্রিক মহিলা সমিতি বুধবার দুপুরে মিছিল বার করার পরিকল্পনা নিয়েছে। ওই মিছিল রাজভবন পর্যন্ত পৌঁছনোর চেষ্টা করবে। রাজ্যপাল যাতে বেরিয়ে এসে মৃতদেহ দেখেন, সেই দাবিও তোলা হবে। নবান্নে এই খবর পৌঁছনোর পরই নড়াচড়া শুরু হয় প্রশাসনের শীর্ষ স্তরে। পুলিশ সূত্রের খবর, কলকাতা ও বিধাননগর কমিশনারেটে নির্দেশ যায়, মঙ্গলবার রাতেই নিমতলা শ্মশানে মৃতদেহের সৎকার সেরে ফেলতে হবে। মৃতার পরিবারের লোকজন অবশ্য দাবি করছেন, পুলিশ তাঁদের এ নিয়ে কিছু জানায়নি। মঙ্গলবার সন্ধ্যা সাড়ে সাতটা নাগাদ এয়ারপোর্ট আড়াই নম্বর গেট এলাকায় মৃতার বাড়ি থেকে পিস হেভ্নের উদ্দেশে শববাহী গাড়িতে মৃতদেহ রওনা হয়েছিল। সঙ্গে ছিল বিধাননগর কমিশনারেটের তিনটি গাড়ি। সাধারণত ভিআইপি রোড হয়ে উল্টোডাঙা ধরে পিস হেভ্নের পথে যাওয়ার কথা। তা না-করে শববাহী গাড়িটিকে নিয়ে নাগেরবাজারের পথে যেতে শুরু করে পুলিশ। পিছনে একটি গাড়িতে ছিলেন মৃতার কাকা। তাঁর কাছেই মৃতার ডেথ সার্টিফিকেট ছিল। তাঁর বক্তব্য, "হঠাৎ অন্য রাস্তা ধরা হল কেন, বুঝতে পারলাম না। টালা সেতুতে ওঠার পরে বুঝলাম, পুলিশ শববাহী গাড়িটিকে অন্য কোথাও নিয়ে যাচ্ছে।" কাচের গাড়ি রাজবল্লভপাড়ার রাস্তা ধরতেই মৃতার কাকা নিজের গাড়ি ঘুরিয়ে নেন। বাড়িতে ফোন করে তিনি বিষয়টা জানান। কাকার কথা, "বাড়ি থেকে সবাই আমাকে ফিরে আসতেই বলে। কারণ, পিস হেভ্ন ছাড়া অন্য কোথাও শবদেহ নিয়ে যাওয়ার কথা ছিল না।" পরিবারকে অন্ধকারে রেখে মৃতদেহ শ্মশানের দিকে নিয়ে যাওয়া হল কেন? এ ব্যাপারে পরস্পরবিরোধী কথা বলছে কলকাতা এবং বিধাননগরের পুলিশ। কলকাতা পুলিশের যুগ্ম কমিশনার (সদর) রাজীব মিশ্র বলেন, "ঘটনাটি বিধাননগর কমিশনারেট এলাকার। সেখানকার পুলিশই শববাহী গাড়ির সঙ্গে ছিল। আমরা ওদের সহযোগিতা করেছি মাত্র।" অর্থাৎ পরিবারকে জানানোর দায়িত্ব বিধাননগর কমিশনারেটের ছিল বলে কলকাতা পুলিশের দাবি। আবার বিধাননগর কমিশনারেটের এয়ারপোর্ট ডিভিশনের অতিরিক্ত কমিশনার সন্তোষ নিম্বলকরের বক্তব্য, "কলকাতা পুলিশ কেন পিস হেভ্নের বদলে নিমতলাঘাট শ্মশানে গাড়ি নিয়ে গেল, সেটা আমরাও জানি না।" কলকাতা পুলিশ শববাহী গাড়ি নিয়ে বাগবাজার পৌঁছনোর পর বিধাননগর কমিশনারেটের তিনটি গাড়িও ফিরে চলে গিয়েছিল। কলকাতা পুলিশ কখন শববাহী গাড়ির দখল নিল? টালা সেতুর উপরে শ্যামপুকুর ও টালা থানার পুলিশ চারটি গাড়ি নিয়ে অপেক্ষা করছিল। শববাহী গাড়িটি তখনই কার্যত ওই চারটি গাড়ির দখলে চলে যায়। কিন্তু বিধাননগর পুলিশ যে ফিরে যাচ্ছে, সে খবর কলকাতা পুলিশের কাছে ছিল না। এমনকী ডেথ সার্টিফিকেট নিয়ে মৃতার কাকা যে ফিরে গিয়েছেন, সেটাও জানত না তারা। ফল? রাত সাড়ে আটটা নাগাদ নিমতলা শ্মশানে কলকাতা পুলিশ যখন মৃতদেহ নিয়ে পৌঁছয়, তখন তাদের সঙ্গে বিধাননগর কমিশনারেটের পুলিশও নেই। মৃতার পরিবারের লোকজন এবং ডেথ সার্টিফিকেটও নেই। এমন ঘটল কেন? সেখানেই ফের প্রকট হয়েছে সমন্বয়ের অভাব। কলকাতা পুলিশ জানতই না, শববাহী গাড়িতে মৃতার আত্মীয়রা কেউ নেই এবং ডেথ সার্টিফিকেটও নেই। লালবাজারের এক অফিসারই স্বীকার করছেন, "ডেথ সার্টিফিকেট নেই, কোনও আত্মীয় নেই, এই অবস্থায় মৃতদেহ নিয়ে শ্মশানে পৌঁছলে দুরভিসন্ধির অভিযোগ ওঠাই তো স্বাভাবিক।" শ্মশানে দেহ নিয়ে পৌঁছে ডেথ সার্টিফিকেট এবং মৃতার আত্মীয় কেউ না থাকায় যথারীতি বিপাকে পড়ে কলকাতা পুলিশ। ডেথ সার্টিফিকেট ও পরিবারের লোককে আনতে শুরু হয় তোড়জোড়। কিন্তু মৃতার পরিবার জানিয়ে দেন, রাতে তাঁরা আর বাড়ি থেকে বেরোবেন না। শেষমেশ মঙ্গলবার রাত ২টো নাগাদ পুলিশ ধর্ষিতার মৃতদেহ বাড়িতেই পাঠিয়ে দেয় আবার। কিন্তু বুধবার সকাল হতেই সৎকারের জন্য ফের চাপাচাপি শুরু হয় বলে পুলিশের প্রতি অভিযোগ মৃতার পরিবারের। বুধবার সকাল পৌনে ৬টায় মৃতদেহ নিমতলা শ্মশানঘাটে নিয়ে যায় পুলিশ। সঙ্গে পরিবারের লোকজনও ছিলেন। কিন্তু শ্মশানে পৌঁছে তাঁরা দাহ করাবেন না বলে বেঁকে বসেন। কেন? মৃতার বাবার বক্তব্য, তাঁদের জোর করে শ্মশানে নিয়ে আসা হয়েছিল। তাঁরা তখন দাহ করানোর পক্ষপাতী ছিলেন না। দুপুরেবিহার থেকে আত্মীয়স্বজন আসার জন্য অপেক্ষা করছিলেন তাঁরা। সেই কারণেই আগের দিন দেহ পিস হেভ্নে রাখতে চেয়েছিলেন। দাহ করাতে রাজি হওয়া না হওয়া নিয়ে সকালে শ্মশানে পরিবারের সঙ্গে পুলিশের অশান্তি বেধে যায়। একটি সূত্রের খবর, সিটু-র পক্ষ থেকেও এর মধ্যেই পরিবারটির সঙ্গে যোগাযোগ করা হয়েছিল। দাহ না করানোর জন্য পরিবারটিকে তাঁরাও চাপ দেন। তৃণমূল সাংসদ ডেরেক ও ব্রায়েন পরে বলেন, "একটা অত্যন্ত দুঃখজনক ঘটনা নিয়ে সিটু সস্তা রাজনীতি করল এ দিন।" বেলা একটু বাড়তেই সিটুর কর্মী-সমর্থকেরা পৌঁছে যান শ্মশানে। তখন রণে ভঙ্গ দেয় পুলিশ। সকাল ১০টায় শববাহী গাড়ি থেকে মৃতদেহ ম্যাটাডরে তুলে রওনা হয়ে যায় সিটু-র দফতরের উদ্দেশে। পরে মৃতার বাবা-মাকে নিয়ে রাজভবনে যান সিটু নেতৃত্ব। মৃতদেহ নিয়ে মিছিলও বের করে সিটু। বিকেল সওয়া চারটে নাগাদ মৌলালি পৌঁছনোর পরে মিছিল মিছিলের মতো এগিয়ে যায়। মৃতদেহটি নিয়ে ফের নিমতলায় চলে আসে পুলিশ। পাঁচটা নাগাদ দাহ হয়ে যায়। বেঁচে থাকতে উপর্যুপরি আক্রমণের শিকার হয়েছিল মেয়েটি। তার দেহ নিয়েও টানাপোড়েন কম হল না। পরিবারের অভিযোগ, এয়ারপোর্ট থানার পুলিশ ও স্থানীয় কয়েক জন যুবক তাঁদের বিহারে পাঠিয়ে দেওয়ার হুমকি দিয়েছেন। প্রাণনাশের ভয় দেখিয়েছেন। সে কথা রাজ্যপালকেও জানিয়েছেন তাঁরা। তবে অতিরিক্ত পুলিশ কমিশনার সন্তোষ নিম্বলকর অভিযোগ অস্বীকার করেন। |
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পথে নেমে প্রতিবাদই পথ, মনে করছেন বাম নেতারা নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা |
মধ্যমগ্রাম-কাণ্ডে শাসক দল ও পুলিশের ভূমিকাকে দায়ী করে নতুন বছরের প্রথম দিনই পথে নামল বামেরা। দলের ছাত্র, যুব ও শ্রমিক সংগঠনকে পথে নামিয়ে এক দিকে সিপিএম যেমন ওই ঘটনায় সহানুভূতির হাওয়া কুড়োনোর চেষ্টা করল, তেমনই লোকসভা ভোটের বছরে কর্মী-সমর্থকদের চাঙ্গা করার কাজও শুরু করা গেল। সাম্প্রতিক কালে নানা ঘটনায় রাজ্য সরকারের বিরুদ্ধে সুর চড়া করার সুযোগ থাকলেও মধ্যমগ্রাম-কাণ্ডে এ বার গোড়া থেকেই সুযোগের 'সদ্ব্যবহার' করা গিয়েছে বলে সিপিএম সূত্রের ব্যাখ্যা। নির্যাতিতা কিশোরীর ট্যাক্সিচালক বাবার সঙ্গে সিটুর ইউনিয়নের হৃদ্যতা থাকায় ঘটনার পর থেকেই সিটু নেতারা ওই পরিবারের পাশে দাঁড়াতে পেরেছিলেন। অগ্নিদগ্ধ হয়ে কিশোরী আর জি করে ভর্তির পরে সক্রিয়তা আরও বাড়িয়েছিলেন তাঁরা। দু'দিন আগেই কিশোরীর বাবাকে রাজ্যপালের কাছে নিয়ে গিয়েছিলেন সিটু নেতৃত্ব। মৃত্যুর পরে কিশোরীর দেহ পুলিশ তুলে নিয়ে যাওয়ার পরে বুধবার ফের তাঁকে নিয়ে রাজভবনে গিয়েছিলেন বাম নেতারা। মেয়ের মৃত্যুর বিচার, তাঁদের বাড়িতে শাসক দলের হুমকির অভিযোগ এ সব নিয়েই রাজ্যপাল এম কে নারায়ণনের কাছে 'সুবিচার' চেয়েছেন বাবা। অব্যবহিত পরে পথে নেমে সেই দাবিরই পুনরাবৃত্তি করেছেন বিমান বসু, সূর্যকান্ত মিশ্র, মনোজ ভট্টাচার্যেরা। দলের অন্দরে বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য প্রায়শই বলছেন, শুধু তৃণমূলের সন্ত্রাসের অভিযোগ করে গেলে হবে না। সাধারণ মানুষ সাড়া দিতে পারেন, এমন বিষয় চিহ্নিত করে নিজেরা সক্রিয় হয়ে পরিস্থিতি পাল্টানোর চেষ্টাও করতে হবে। সেই সূত্রই মধ্যমগ্রামের ঘটনায় আলিমুদ্দিন মেনে চলেছে বলে সিপিএম সূত্রের ব্যাখ্যা। মেয়েটির মৃত্যুর পরেই প্রতিবাদ কর্মসূচির রাশ তুুলে দেওয়া হয়েছিল সিটুর রাজ্য সভাপতি শ্যামল চক্রবর্তীর হাতে। ছাত্র আন্দোলনের পর্বে একদা যিনি রবার্ট ম্যাকনামারাকে কলকাতায় ঢুকতে না দেওয়ার কর্মসূচির নেতৃত্ব দিয়েছিলেন, প্রৌঢ় বয়সে সেই শ্যামলবাবুকেই গত দু'দিনে আর জি কর থেকে এয়ারপোর্ট কলোনি হয়ে নিমতলা পর্যন্ত ছুটে প্রতিবাদ সংগঠিত করতে দেখা গিয়েছে। তবে মঙ্গলবার রাতে পুলিশের হঠাৎ মাঝপথ থেকে দেহ তুলে নিয়ে যাওয়া যে তাঁদের হাতে অস্ত্র তুলে দিয়েছে, অস্বীকার করছেন না সিপিএম নেতারা। শ্যামলবাবুর কথায়, "পুলিশ পশুর ভূমিকায় অবতীর্ণ হয়েছিল! আমরা চেয়েছিলাম রাজপথে মানুষের ঘৃণা উপচে পড়ুক!" সিপিআই (এম-এল) লিবারেশনের মতো ছোট দলগুলিও প্রতিবাদে নেমেছিল এ দিন। বামেদের এই প্রতিবাদকে শাসক দল অবশ্য 'দেহ নিয়ে রাজনীতি'র চেষ্টা হিসাবেই দেখছে। তৃণমূলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়ের বক্তব্য, "ঘটনা খুবই দুঃখজনক। কিন্তু গত পঞ্চায়েত নির্বাচনের সময় থেকে সিপিএম এবং কিছু ব্যক্তি তৃণমূলের সরকারকে হেয় করার চেষ্টা করে যাচ্ছে!" তাঁর আরও দাবি, "ঘটনায় অভিযুক্তেরা ধরা পড়েছে। চার্জশিটও হয়েছে। এই পরিস্থিতিতে রাজ্যে পরিকল্পনমাফিক অশান্তি তৈরি করতে চাইছে সিপিএম। মানুষ এর জবাব আগামী দিন ভোটে দেবে!" একই সুরে তৃণমূলের রাজ্যসভার সচেতক ডেরেক ও'ব্রায়েনের বক্তব্য, "এমন একটি দুঃখজনক মৃত্যুকে নিয়ে সস্তার রাজনীতি করছে বামেরা!" রাজ্যের মন্ত্রী মদন মিত্রও বলেছেন, "সিপিএম ধর্ষণের কথা যত কম বলে, ততই ভাল! বর্ণালী দত্ত থেকে শুরু করে অনিতা দেওয়ানের মতো অনেক মহিলাই সিপিএমের দুষ্কৃতীদের হাতে ধর্ষিতা হয়ে খুন হয়েছেন। তৃণমূল কিন্তু প্রমাণ করেছে, কেউই আইনের ঊর্ধ্বে নয়!" যার জবাবে বিরোধী দলনেতা সূর্যবাবু বলেছেন, "পুলিশ-প্রশাসনকে কাজে লাগিয়ে দেহ নিয়ে রাজনীতি সরকারই করেছে! রাস্তা থেকে পুলিশ দিয়ে দেহ তুলে নিয়ে যাওয়ার কী দরকার ছিল? সর্বোচ্চ স্তরে পুলিশমন্ত্রীর আশীর্বাদ ছাড়া এ সব হয় না!" সূর্যবাবুর ইঙ্গিত যেমন পুলিশমন্ত্রী তথা মুখ্যমন্ত্রীর দিকে, তেমনই প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি প্রদীপ ভট্টাচার্য সরাসরিই তাঁর ইস্তফা দাবি করেছেন। প্রদীপবাবুর কথায়, "সিঙ্গুরে যখন তাপসী মালিককে ধর্ষণ করে খুন করা হয়েছিল, তখন আমরা সিবিআই তদন্ত এবং তৎকালীন মুখ্যমন্ত্রীর পদত্যাগ দাবি করেছিলাম। এ ক্ষেত্রেও কেন রাজ্যের পুলিশমন্ত্রী পদত্যাগ করবেন না?" শাসক দল যে ভাবে বিরোধীদের দল ভাঙাচ্ছে এবং হামলা চালাচ্ছে, তার প্রতিবাদে আজ, বৃহস্পতিবার গাঁধীমূর্তির নীচে কংগ্রেস বিধায়কদের ধর্না কর্মসূচি পূর্ব ঘোষিতই ছিল। তার সঙ্গে মধ্যমগ্রাম নিয়ে সিবিআই তদন্তের দাবি যোগ করা হয়েছে। ছুটির দিনে সিটুর রাজ্য দফতর থেকে ধর্মতলা পর্যন্ত মিছিলে (দেহ চলে যায় নিমতলা) ভিড় হয়েছিল ভালই। রাজ্য জুড়ে আজও প্রতিবাদ কর্মসূচি অব্যাহত থাকবে জানিয়ে বামফ্রন্ট চেয়ারম্যান বিমান বসু বলেছেন, "পরিবারের লোকজনের অনুপস্থিতিতে পুলিশ জোর করে দেহ তুলে নিয়ে গিয়েছে এবং ডেথ সার্টিফিকেট না থাকায় দাহ করতে না পেরে শ্মশানে ফেলে রেখেছে, এমন ন্যক্কারজনক ঘটনা অতীতে কোনও দিন ঘটেছে বলে আমাদের জানা নেই!" আর সূর্যবাবু বলেছেন, "দিল্লি, আইন-আদালত, বিচারের দাবিতে যত দূর যেতে হয় যাব!" |
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ধিক্কার মিছিল বিশিষ্টদেরও, লড়াই চালাতে শপথ বাবার নিজস্ব প্রতিবেদন |
কামদুনিতে কলেজছাত্রীকে গণধর্ষণের ঘটনার পরে পথে নেমেছিলেন শঙ্খ ঘোষ-সহ বিশিষ্টজনেদের একটি বড় অংশ। ততটা বড় আকারে না-হলেও মধ্যমগ্রামের গণধর্ষিত ও মৃত কিশোরীর জন্য বুধবার, ইংরেজি নতুন বছরের প্রথম দিনে বিশিষ্টজনেদের একাংশ ফের পথে নামলেন। এ দিনের মিছিলে ছিলেন অপর্ণা সেন, কৌশিক সেন, সুজাত ভদ্র, মীরাতুন নাহার-সহ বহু বিশিষ্টজন। মিছিলের পরে অপর্ণা বলেন, "এই ঘটনায় আমরা শোকস্তব্ধ। কিছু বলার নেই। এই ধরনের ঘটনা বন্ধ হওয়া উচিত।" মীরাতুন জানান, এই ঘটনাকে ধিক্কার জানাতে, পুলিশ-প্রশাসনের নিষ্ক্রিয়তার বিরুদ্ধে প্রতিবাদ জানাতে শান্তিপূর্ণ ভাবে মৌনী মিছিল করা হয়েছে। তিনি বলেন, "এই রাজ্যে আর একটি প্রাণও যাতে এ ভাবে না-যায়, রাজ্য সরকার তা দেখুক।" |
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মধ্যমগ্রাম ধর্ষণ কাণ্ডের প্রতিবাদে কলেজ স্কোয়ার থেকে ধর্মতলা পর্যন্ত বিশিষ্টজনেদের মিছিল। রয়েছেন অপর্ণা সেনও। বুধবার।— নিজস্ব চিত্র। |
এখানে থেকেই লড়াই চালিয়ে যাওয়ার শপথ নিয়েছেন মৃতার ট্যাক্সিচালক বাবা। পুলিশ-প্রশাসনের বিরুদ্ধে অভিযোগ জানাতে এ দিনই স্ত্রীকে নিয়ে রাজ্যপাল এম কে নায়ায়ণনের কাছে যান তিনি। রাজ্যপালের কাছে তাঁদের অভিযোগ, "পুলিশ আমাদের ক্রমাগত হুমকি দিচ্ছে। চাপ দিচ্ছে। বলছে, বিহারে চলে যাও। কী দোষ করেছি আমরা?" কিশোরীর মা রাজ্যপালকে বলেন, "দুষ্কৃতীরা তো একটানা হুমকি দিচ্ছিলই। এখন পুলিশও বলছে, 'বেশি কিছু করলে গুলি করে দেব'।" নির্যাতিতার বাবা-মায়ের কথা শুনে কী বললেন রাজ্যপাল? মেয়েটির বাবা বলেন, "রাজ্যপাল আমাদের বলেছেন, 'আপনারা কোথাও যাবেন না। এটা হিন্দুস্থান। আপনাদের নিরাপত্তার সব ব্যবস্থা হবে'।" আর জি কর হাসপাতালে চিকিৎসায় গাফিলতির অভিযোগ থেকে শুরু করে মঙ্গলবার সারা রাত তাঁদের মেয়ের দগ্ধ মৃতদেহ নিয়ে পুলিশের টানাহেঁচড়া সবই রাজ্যপালকে বিস্তারিত ভাবে জানান ওই দম্পতি। মেয়েটির বাবা বলেন, "রাজ্যপালকে বলেছি, দমদম থানার ওসি আমাকে হুমকি দিয়েছেন, কী ভাবে আমি এখানে ট্যাক্সি চালাই, তিনি তা দেখে নেবেন। এটা শুনে রাজ্যপাল বৈঠকে হাজির পদস্থ আধিকারিকদের কাছে জানতে চান, ওই থানা কোন কমিশনারেটের অধীনে পড়ছে। পরে তিনি আমাকে আশ্বস্ত করেন।" রাজ্যপালের আশ্বাস শুনে বিহারে ফিরে যাওয়ার ইচ্ছে ত্যাগ করেছেন ওই দম্পতি। ট্যাক্সিচালক বলেন, "এখানেই থাকব। মেয়ে চলে গিয়েছে অসহায় ভাবে। ঘাতকদের শাস্তির জন্য লড়াই চালিয়ে যাব।" মেয়েটির সঙ্গে যা ঘটেছে, তার পরেও আইন-প্রশাসনের উপরে আপনাদের আস্থা আছে? "মানুষের উপরে আমাদের আস্থা আছে," বললেন কিশোরীর বাবা। কিশোরীর মা-বাবার সঙ্গে এ দিন রাজভবনে গিয়েছিলেন সিপিএমের তিন নেতা সুধাংশু শীল, ভারতী মুৎসুদ্দি ও সুভাষ মুখোপাধ্যায়। সুধাংশুবাবু পরে বলেন, "বাড়ির লোকের অনুমতি ছাড়া পুলিশ যে-ভাবে জোর করে কিশোরীর দেহ পুড়িয়ে ফেলার চেষ্টা করেছে, আমি আগে কখনও তেমনটা দেখিনি। রাজ্যপালকে বিস্তারিত ভাবে সবই জানিয়েছি। সব শুনে রাজ্যপাল আশ্চর্য হয়েছেন। তিনি বলেছেন, 'এ রকম কী করে হয়!' বৈঠকে হাজির অফিসারদেরও এ ব্যাপারে খোঁজ নিতে বলেন রাজ্যপাল।" পুলিশ-প্রশাসনের বিরুদ্ধে নালিশের সঙ্গে সঙ্গে এ দিন চাইল্ড ওয়েলফেয়ার কমিটি বা শিশু কল্যাণ কমিটির বিরুদ্ধেও অভিযোগ উঠেছে। এবং সেই অভিযোগ এনেছে খোদ রাজ্য মহিলা কমিশন। ওই কমিশনের চেয়ারপার্সন সুনন্দা মুখোপাধ্যায় এ দিন বলেন, "ধর্ষণের পরে মেয়েটির যখন চিকিৎসা চলছিল, আমরা তখনই চাইল্ড ওয়েলফেয়ার কমিটিকে খবর দিয়েছিলাম। কমিটি যদি মেয়েটিকে কোনও হোমে রাখার ব্যবস্থা করত, এমন পরিণতি না-ও ঘটতে পারত।" কী বলছেন কমিটির কর্তারা? কমিটির এক শীর্ষ কর্তা বলেন, "বিষয়টি আমার জানা নেই। উনি (সুনন্দাদেবী) যখন অভিযোগ করেছেন, তখন সেটা খতিয়ে দেখব।" |
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