Friday, February 21, 2014

अभी और कुरुक्षेत्र के दर्शन करने होंगे।देश को गृहयुद्ध की आग में झोंकने की पूरी तैयारी। तेलंगना संवाद और पाश की कविता,तूफानों ने कभी मात नहीं खायी

अभी और कुरुक्षेत्र के दर्शन करने होंगे।देश को गृहयुद्ध की आग में झोंकने की पूरी तैयारी।

तेलंगना संवाद और पाश की कविता,तूफानों ने कभी मात नहीं खायी


पलाश विश्वास

आदरणीय स‌ुरेंद्र ग्रोवर ने फिर अनिवार्य प्रश्न झोंके हैं,संसद के स‌त्रावसान के स‌ाथ तेलंगना राज्य निर्माण स‌ुनिश्चित हुआ।हम हर हालत में तेलंगना के स‌ाथ हैं।तो हम किसी भी स‌ूरत में आंध्र के विरुद्ध भी नहीं है।हर परिवार में बंटवारा स‌ामाजिक विरासत है। लेकिन हर परिवार में कुरुक्षेत्र नहीं रचा जाता।तेलंगना को राजनीतिक बिसात की फसल बनाकर जिन लोगों ने हमारे गुरुजी ताराचंद्र जी के शब्दों में भारत को महाभारत बना दिया है वे लोग कितने तेलांगना के हक में हैं और कितने आंध्र के ,कहना मुश्किल, लेकिन यह राजनीति हमेशा भारत को महाभारत बनाने की महारत स‌े देश और देशवासियों को लहूलुहान कर देती है।


इसी स‌िलसिले में स‌ुरेंद्र जी के स‌वाल मौजू हैं।जवाब दर्ज कराना जरुरी भी नहीं है,लेकिन जवाब अपनी अपनी अंतरात्मा में ,अगर कहीं उसका कोई वजूद है,तो स‌ोचें जरुर।


क्या विशेष राज्य का दर्जा तभी मिलता है जब लोकसभा अध्यक्ष की आँख में मिर्च झोंक दी जाए। संसद में मारपीट की जाए!


बिहार का भी पूरा औद्योगिक क्षेत्र विभाजन में निकल गया था। भाजपा ने बिहार के लोगों को क्यों धोखा दिया था! कब तक बिहार के लोग लूटे जाते रहेंगे! बिहार में क्या इसका जवाब मांगने वाला कोई नहीं है?


राजेश कुमार सिंह ने सही लिखा है
बड़ा गहरा ताल्लुक है सियासत तबाही से।
जब कोई शहर जलता है तो दिल्ली मुस्कुराती है॥
मोहन क्षोत्रियजी का मत है कि
तेलंगाना तो बन गया, पर आंध्र की जनता कुछ ज़्यादा ही बंट गई !


संसद में चलने वाली नंगई भी कुछ ज़्यादा ही उजागर हो गई ! समूचे देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है.


काश वे भी शर्मिंदा होते अपनी हरक़तों पर, जो इस राष्ट्रीय शर्म की जड़ में हैं, और जो निर्लज्जता से संस्थाओं की अवमानना करने में लगे हैं !
  • माया मृग जी सही फरमाते हैं
  • शर्म उनको मगर नहीं आती....
  • वीर विनोद छाबड़ा जी का कहना वाजिब है
  • समझ में नहीं आता कि तेलेंगाना बनने से कौन सा कुफ्र टूट पड़ेगा? क्या सीमांध्र में अकाल पढ़ जायेगा? कभी तेलेंगाना अलग था और जब उसे आंध्र में मिलाया गया था तो क्या गुज़री थी उन पर. पिछले साठ सालों से संघर्ष कर रहे थे. इस बीच जाने कितने ऊपर चले गए. आज उनकी आत्मा को सुकून हासिल हो रहा होगा। यों मेहनतकशों को घबराना नहीं चाहिए। सीमांध्र वालों को चाहिए कि तेलेंगाना से आगे निकल कर दिखाएँ।
जगदीश्वर चतुर्वेदी जी ने लिखा है कि

किरण रेड्डी ने आँध्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया। रेड्डी को नपुंसक नेता के रुप में याद किया जाएगा ।

  • इस पर माधवेन्द्र प्रसाद पाण्डेय का मतव्य है

  • पुंसवान नेताओं के बारे में भी कुछ बताएं.. कृपा होगी.

  • प्रत्युत्तर में जगदीश्वर जी का कहना है

  • पाण्डेजी, पुंसवानों पर ही लिखते रहते हैं!!

  • माधवेन्द्र प्रसाद पाण्डेय धन्यवाद्. लेकिन अगली टिप्पड़ी में आपने राहुलजी का नाम लिया था...सो संदेह हो गया.

  • रमेश कुमार का आग्रह है

  • कम से कम नपुन्सको को गाली न दे सर जी ।


डॉ. संदीप नंदेश्वर, नागपूर लिखते हैं

भारताचे भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषिक वैविध्य ओळखून State & Minority हा Memorandum 15 March 1947 ला संविधान सभेसमोर सादर करतांना दिल्लीसह हैद्राबाद ही देशाची दुसरी राजधानी असावी. अशी सूचना डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांनी केली होती. आज देश तेलंगणाच्या निर्मितीवरून; सरकारने घेतलेल्या निर्णयावरून आणि सिमान्ध्र प्रदेशातील असंतोशावरून लोकशाहीच्या खुनापर्यंत निष्कर्ष काढतांना दिसून येत आहे. डॉ. बाबासाहेब हे आधुनिक भारताचे शिल्पकार निर्माते होते. परंतु दुर्दैव असे कि आम्ही त्यांच्या दृष्टीक्षेपातील आधुनिक भारत निर्माणच होऊ दिला नाही. तेलंगाना वरून निर्माण झालेल्या वादात आज परत एकदा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांची आठवन होत आहे. त्यांच्या जाज्वल्य भारतीयत्वाची आठवण होत आहे. मिडिया ने ती आठवण केली नाही तरी चालेल, सरकारने बाबासाहेब पुढे आणला नाही तरी चालेल, पण इतिहास डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांना विसरू देणार नाही. आणि इतिहासाची निर्मिती होत असतांना डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अंगीकारल्याशिवाय इतिहास निर्मिती होणार नाही. हेच एक वास्तव लक्षात असू द्या !


जगदीश्वर चतुर्वेदी

तेलंगाना राज्य का बिल लोकसभा से जिस तरह आज पास कराया गया है उससे पता चलता है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों के अंदर लोकतांत्रिक मूल्यों और मान- मर्यादाओं के लिए कोई श्रद्धा नहीं है। आँध्र का विभाजन भारतीय लोकतंत्र का कलंकित अध्याय है ।

कांग्रेस को इसकी क़ीमत संगठन को व्यापक स्तर पर नष्ट करके देनी होगी । यह मनमोहन सरकार के सबसे घृणित राजनैतिक फ़ैसलों में से एक है । यह मनमोहन सिंह की अधिनायकवादी इमेज की अभिव्यंजना भी है ।

  • Chandra Prakash Jha But " WHO " stopped the BJP to stop passing the bill in an admittedly wrong way ?

  • Anand Dubey Compulsions of Vote Bank Politics, compulsions of Realpolitik

  • Chandra Prakash Jha Was not it LKA & Madam SS who hobnobbed with the ruling block to pass the bill with voice vote without pressing for division of votes over it ?

  • Anand Dubey Yes, you know it perfectly. We need a Jouno like you in Delhi. What are you doing there in Mumbai?

अर्जुन शर्मा

इस देश में कैसी घिनौनी मानसिकता की राजनीति होती है यह आंध्रप्रदेश के विभाजन में साफ़ साफ़ दिख गयी.न तो कोइ निर्माणकारी सोंच और नहीं कोई दूरदृष्टि दिखती है तेलांगना के निर्माण में.इसमे सिर्फ और सिर्फ पार्टी के सीटों की सोच के लिए देश की बलि चढाई गयी है.

Palash Biswas जगदीश्वर जी ,इस मुद्दे पर आप विस्तार स‌े लिखें तो हमारा दिमाग भी थोड़ा स‌ाफ हो जाये।

marxistindia

news from the cpi(m)

February 19, 2014




Press Statement




The Polit Bureau of the Communist Party of India (Marxist) has issued the following statement:




Bifurcation Bill: Undemocratic Methods




The Andhra Pradesh Bifurcation Bill has been adopted in the Lok Sabha in an undemocratic way violating all norms and procedures.




The division of the first linguistically re-organised state in India  is a vitally important issue.  But no debate took place on the Bill and it was adopted in the din by  a "voice vote".  The demand for a discussion made by some opposition parties was denied.




All this was done in collusion between the Congress and the BJP.  As the major opposition party, even though it is in favour of bifurcation, it was the BJP's elementary responsibility to demand that a proper debate take place on the Bill.  However, it chose to go along with the Congress party's violation of all parliamentary norms.  The switching off of the live telecast of the proceedings in the House was a surreptitious move to prevent the people from seeing the undemocratic spectacle.




The way the UPA government has conducted itself in the matter poses a threat to democracy and the federal principle.

कवि नित्यानंद गायेन

आज फिर से , क्या करूँ ? मैं भी मज़बूर हूँ ....

  • बंद कमरे में राज्य का बंटवारा ? 'राईट टू इन्फर्मेशन ' का क्या हुआ ? जय लोकतंत्र |

..

  • प्रस्तुत कविता 'संकेत' पत्रिका के इस अंक से है . धन्यवाद .


  • Pramod Sharma Mere ko bahut hee badaa confusion hai.. jab kuchh nahi thaa to Hyderabad me band rehtaa thaa Telangana ke liye.. ab jab de diya to ultaa chalu ho gayaa.. pataa nahi log kyaa chaahte hai

  • Pramod Sharma ye sab baate pahle se kyon nahi decide hui,

दिलीप मंडल की राय है

स्वागत है तेलंगाना. तरक्की कीजिए. सुखी रहिए. खुश रहिए. मिलकर रहिए. छोटे राज्यों के एक कट्टर समर्थक की शुभकामना कबूल करें.



हमारे हिसाब से झारखंड अलग राज्य होने से खनिज समृद्ध इलाके निकल जाने से भले ही बिहार की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर हुआ हो,लेकिन बिहार में इसे लेकर कोई बवाल नहीं है। लेकिन अलग राज्य होने के बावजूद झारखंड में आदिवासी अस्मिता के मुताबिक जल जमीन जंगल के हक हकूक बाहाल नहीं हुए।यह किस्सा छत्तीसगढ़ का भी है,जहां आदिवासी तो सत्ता में भी नहीं हैं और आदिवासी राज्य में ही आदिवासी सबसे ज्यादा दमन और उत्पीड़न के शिकार हैं।


अब तेलंगना अलग राज्य बनने के संसदीय अनुमोदन के बाद चुनावी राजनीति के तहत पूरे आंध्र में गृहयुद्ध के हालात हैं और जो पंजाब के विभाजन के बाद हुआ,आत्मघाती राजनीति आंध्र में उसकी पुनरावृत्ति की तैयारी में है।आग अन्यत्र भी सुलगायी जा रही है।


आग अन्यत्र भी सुलगायी जा रही है।मसलन गोरखालैंड और विदर्भ में। देश को अभी और कुरुक्षेत्र के दर्शन करने होंगे।अभी आग और बाकी है।अस्मिता संसाधनों के न्ययपूर्ण बंटवारे के लिए,जल जंगल जमीन नागरिकता ,प्रकृति पर्यावरण और मानवाधिकार के लिए अनिवार्य है।समान अवसरों के लिए संविधानसम्मत है अस्मिता,जिसके तहत सामाजिक न्याय और समता के सिद्धांत प्रतिपादित हैं और बदलाव के घोषित लक्ष्य भी ये ही हैं। लेकिन अस्मिता जब सत्ता की राजनीति और राष्ट्रविरोधी साजिशाना गतिविधि में तब्दील हो जाती है, तो अस्मिता की यह लड़ाई सर्वनाश का आवाहन कर देती है। कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर में,पंजाब और तमिलनाडु में, भाजपाई पहल पर बने तीनों राज्यों में हम यह खेल बेपर्दा होते देखते रहे हैं।


विडंबना है कि आज राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी देेने की मांग करने वाले सिख जनसंहार के युद्ध अपराधियों का न सिर्फ बचाव कर रहे हैं बल्कि कोई इस कांड के लिए माफी तक नहीं मांगने को तैयार दीख रहा है।धर्म अस्मिता धर्मोन्माद में तब्दील है और राजनीति की मुख्य धुरी है जिसके तहत मानवता विरोधी युद्ध अपराधियों का न सिर्फ निर्लज्ज महिमामंडन कर रहे हैं हम बल्कि उन्हें राष्ट्र की बागडोर सौंपने के लिए बेताब हैं हम। जाति उन्मूलन की अंबेडकरी विचारधारा अस्मिता आधारित सत्ता की राजनीति में ही विसर्जित हो गयी है।


तेलंगाना महाविद्रोह भारतीय जनता के इतिहास की विरासत है।


तेलंगाना के जो खेत जागे थे कभी,वहीं बदलाव की फसल लहलहा सकती थी।


भारत में सत्ता और राज्यतंत्र में बदलाव और शोषणविहीन वर्गविहीन सर्वहारा के अधिनायक्तव की विचारधारा का परचम जिन्होंने उठाया,उन्होंने ही तेलंगना को भारतीय सत्तावर्ग के सैन्यतंत्र के हवाले कर दिया।


इस विश्वासघात के सदमे से बदलाव के ख्वाब को जो जख्म मिले ,वे रिसते ही रहे।तेलंगना बाकी देश की तरह राजनीति के बिसात में तब्दील है।


लेकिन तेलंगना के आदिवासी इलाकों में अब भी निजाम का कायदे कानून लागू हैं,भारतीय संविधान नहीं।


तेलगंना में जिस परिवर्तनकारी शक्ति ने कभी पूरे देश को दिशा दिखायी थी,हम आज भी उसके साथ खड़े हैं।


लेकिन तेलंगाना को सीमांध्र के खिलाफ खड़ा करने की सत्ती की राजनीति ने जो विस्फोटक हालात पैदा कर दिये हैं,आज बाकी देश उसके मुखातिब खड़ा है।


पंजाब के बंटवारे को लेकर जो आग सुलगायी गयी,उसके खतरनाक नतीजे हम देख चुके हैं।


हम तेलंगना के अलग राज्य बनने का स्वागत करते हैं,लेकिन जिस तरीके से संसद में बाकायदा आपातकाल लगाकर इस प्रस्ताव के विरोधियों को संसद से बाहर रखरकर संसदीयकार्यवाही का प्रशासन रोककर सैन्यतरीके से लोकतांत्रिक पद्धति को तिलांजलि देकर सत्ता की बिसात पर भारतीय जनगण को कुरुक्षेत्र के आत्मघाती मैदान में एक दूसरे के विरुद्ध खड़ा करने की कार्यवाही हुई हम उसके विरुद्ध है।


अस्मिता की राजनीति को जमीनी हकीकत के खिलाफ इस्तेमाल कर लेने के आधार पर जिस महाविध्वंस का कर्मकांडी आवाहन राजनीतिक पक्ष विपक्ष ने किया,हम उसके भी विरुद्ध हैं।


हमारे युवा साथी सत्यनारायण ने हमारे प्रिय कवि पाश की कुछ पंक्तियां जो पेश की है,वे देश के मौजूदा हालात का सही सही बयान करते हैं। इस तेलंगना संवाद की शुरुआत हम उन्हीं पंक्तियों से करते हैं।


मुक्तिबोध ने पचास साल पहले जो कविता अंधेरे में लिखी हैं,उस अंधकार के दुर्भेद्यकिले में हम बुरी तरह फंसे हुए हैं लेकिन कवि ने जिस रोशनी की तलाश शुरु की थी और जनता के पक्ष में खड़े होने की सीधी चुनौती दी थी,हम उसके काबिल न बन सकें।


पाश की कविता सीमांध्र में तेलंगना के खिलाफ बन रही सुनामी के पथसंकेत भी हैं।


तेलंगना मुद्दा बेहद पेचीदा है।इसे वस्तुगत तरीके से संबोधित करने के बजाय भावनाओं का जो भयानक खेल खेला जा रहा है,वह पंजाब के बाद दक्षिण में भी एक और पंजाब बनाने की तैयारी है,जो खून से लथपथ होगी।


पंजाबी के बड़े कवि पाश जिन्होंने न केवल इन परिस्थितियों से जमीन पर खड़े होकर लोहा लिया,बल्कि अपनी जान तक दे देने से परहेज नहीं किया,उनकी पंक्तियों के साथ तेलंगाना पर संवाद का यह आवाहन,जिसे इस तेलंगना विधेयक के राज्यसभा में पारित होने के बाद ही हम समेटेंगे।


तेलंगना और सीमांध्र के इस गृहयुद्ध को कृपया खंडित आंध्र का क्षेत्रीय विवाद न समझे,सत्ता इस विवाद को हवा दे रही है तो इस खेल के विरुद्ध जनहस्तक्षेप होना ही चाहिए।



साथ ही तूफान के सच को समझना भी जरुरी है।

तेलंगना की लड़ाई आज कल परसो की लड़ाई तो है नहीं,उसकी निरंतरता है।पीढ़ियों के साथ वह लड़ाई चल रही है।


यह तूफान हरगिज राजनीतिक तरीके से शांत नहीं होने जा रहा है।याद यह भी रखने की जरुरत है कि तूफान ने मात कभी नहीं खायी है।



कवियों को कविता में अपनी रायदेने की पूरी छूट है।


प्रधानमंत्री तेलंगना पर संसदीय निर्लज्जता के इंतहा के मध्य पास तेलगंना बिल पास कराने की उपलब्धि गिनाते हुए कठिन फैसले लेने के राष्ट्र की शक्ति का हवाला दे रहे हैं।भारी विरोध, हंगामे और छिटपुट हाथापाई के बीच तेलंगाना विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पास हो गया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। तेलंगाना देश का 29वां पूर्ण राज्य बनेगा। सीमांध्र को विशेष पैकेज देने की भी घोषणा की गई।पोलावरम कृषि परियोजना को भी वैधता दे दी गयी इसी के साथ जिसके तहत पोलावरम बांध के डूब में शामिल होने वाले हैं महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ और ओडीशा के दंडकारण्य इलाके।जो प्रकृति  और मनुष्य के विरुद्ध है।


गौरतलब है कि बिहार की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज नहीं दिये जाने के लिए सत्तारुढ जनतादल यूनाइटेड (जदयू) को जिम्मेवार ठहराया और कहा कि यदि मजबूती के साथ पहल की गयी होती तो सीमान्ध्र से पहले राज्य को यह लाभ मिल जाता। विधान परिषद में आज सदन की कार्यवाही शुरु होने के साथ ही भाजपा के वैद्यनाथ प्रसाद ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और पैकेज नहीं दिये जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सीमान्ध्र को विशेष राज्य का दर्जा के साथ ही अन्य सुविधाएं दे दी गयी, लेकिन बिहारइससे अभी भी वंचित है।


यह गलत भी नहीं है।सपा के किरणमय नंदा एवं अन्य सदस्यों ने पिछड़े सात सात राज्यों को विशेष दर्जा दिए जाने एवं आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की.सदस्यों नेबिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडि़शा सहित सात राज्यों की तरक्की के लिए विशेष पैकेज दिए जाने की मांग की.सदस्यों ने रघुराम राजन समिति की सिफारिशों पर गौर किए जाने की मांग की। किरणमय नंदा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार उन सात पिछड़े राज्यों को आर्थिक पैकेजदेने में नाकाम रही है जिनकी पहचान रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट में की गयी थी।यह मांग बिल्कुल जायज है।


समझ लीजिये कि यह दावानल किस तरह तेंलगना के इतिहास के पार बाकी देश मे सुनामी परिदृश्य पैदा करने वाला है।


फिलहाल आंध्र के बाद बिहार की हालत सबसे पहले बिगड़ने वाली है। तो अब क्या करेंगे मनमोहन सिंह जबकि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी एक मार्च को बिहार बंद का आवाहन किया।उधर मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 28 फरवरी को रेल चक्‍का जाम का आह्वान किया है।


जाहिर है कि सत्ता की राजनीति को न जनहितों की परवाह है और न  किसी राज्य की,न जनता की और न देश की।


जो बदलाव की मांग कर रहे हैं वे भी उदात्त घोषणा कर रहे है कि वे पूंजीवाद के खिलाफ नहीं है।कारपोरट भ्रष्टाचार और पूंजी के खिलाफ लड़े बिना कैसे भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई होती है,ममता को आगे पर कांग्रेस की तर्ज पर नमोमय भारत निर्माण में फेल होने के बावजूद देश की सत्ता अपने ही कब्जा में रखने के संघी प्लानबी से जाहिर है कि ये तमाम दल किस तरह मिलीभगत के साथ देश को आग में झोंकने का काम करते हैं।


आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2014 में विपक्ष के लाए गए संशोधनों को खारिज करते हुए सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पर मत विभाजन नहीं करवाने के विरोध में माकपा, सपा और बीजद के सदस्यों ने वाकआउट किया। लोकसभा इस विधेयक को दो दिन पहले ही मंजूरी दे चुकी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एलान किया कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बनने वाले राज्यों को छह सूत्री विकास पैकेज दिया जाएगा। सीमांध्र को विशेष पैकेज के साथ विशेष राज्य का दर्जा भी दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विभाजन के बाद बनने वाले दोनों राज्यों में औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कर रियायतें दी जाएंगी।

जब प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की तब कांग्रेस सदस्यों ने उनके आसपास सुरक्षा घेरा बना रखा था। इससे पहले सीमांध्र क्षेत्र से आने वाले सांसद तृणमूल और शिवसेना सदस्य आसन के समक्ष आ गए। तृणमूल सदस्यों ने दस्तावेज फाड़ उनके टुकड़े उछाले। सिंह ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि केंद्र पोलावरम कृषि परियोजना को यथाशीघ्र कार्यान्वित करेगा। आंध्र प्रदेश के 13 जिलों वाले राज्य को केंद्रीय मदद की खातिर विशेष श्रेणी का दर्जा पांच साल की अवधि के लिए दिया जाएगा। इसमें रायलसीमा के चार जिले और उत्तर तटीय आंध्र के तीन जिले भी शामिल होंगे। चर्चा के दौरान तेदेपा के सीएम रमेश और वाइएस चौधरी व तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्य आसन के समक्ष लगातार नारेबाजी करते रहे।


उच्च सदन में तेलंगाना विधेयक को पारित कराने में सरकार को विशेष कठिनाई नहीं हुई। मुख्य विपक्षी दल ने किसी भी संशोधन पर मत विभाजन के लिए जोर नहीं दिया। भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू ने कई संशोधन पेश किए थे लेकिन शिंदे और केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के स्पष्टीकरण से वे संतुष्ट हो गए। माकपा नेता सीताराम येचुरी व तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्यों ने भाजपा और कांग्रेस के बीच मैच फिक्सिंग का भी आरोप लगाया।



यही नहीं,कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को उत्तरी कर्नाटक के लोगों को क्षेत्र के एकीकृत विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष वित्तीय पैकेज देने का आश्वासन दिया।

Telangana bill passage shows country can take difficult decisions: Prime Minister

Unlike the disruptions and the slogan shouting, the House witnessed bonhomie and camaraderie on the last day



तेलगंना की लड़ाई कोई नयी लड़ाई नहीं है।राज्य पुनर्गठन के एजंडे पर तेलंगना को सर्वोच्च प्राथमिकता पर होना चाहिए था,जो कभी नहीं हुआ। तलंगना की आवाज अनसुनी करते हुए विशुद्ध वोट बैंक के तहत राजनीतिक अस्थिरता और चुनाव महारण के मध्य तेलंगना अलग राज्य बनाने की यह कार्रवाई तेलंगना की जनता के साथ सबसे बड़ी मजाक है। जबरन आंध्र को तेलंगना के खिलाफ मोर्चाबद्ध कर दिया गया है और दोनों तरफ के सिपाहसालार सत्तावर्ग के ही मुख्यमंत्री,मंत्री, सांसद,विधायक हैं।


तेलंगना को अलग राज्य बनाने का यह फैसला संसदीय निर्लज्जता और वोट बैंक राजनीति के बगैर सर्वदलीय सहमति से किया जाना चाहिए था।


लेकिन इस फैसले के साथ ही आंध्र और सीमांद्र के लिए पैकेज की घोषणा करते हुए अपनी टुनावी रणनीति के तहत राज्यों को जो विशेष पैकेज का ऐलान हुआ,उससे सत्ता राजनीति सरेआम नंगी हो गयी है। झारखंड के अलग होने पर बिहार को ऐसे किसी पैकेज से पुरस्कृत नहीं किया गया था और न उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को बंडवारे की क्षतिपूर्ति दी गयी। बिहार यूपी और बंगाल की माली हालत देश भर में वैसे ही सबसे संगीन है।अगर विशेष दर्जा दिया जाना था,तो इन राज्यों के हितों के बारे में भी ईमानदारी से गौर करना था।ऐसा नहीं हुआ। अब आंध्र में आग अभू पूरीतरह सुलगने से पहले ही बिहार को आग के हवाले कर दिया गया।


सत्ता राजीनीति पूरे देश को गृहयुद्ध की आग में झोकना चाहती है और वह किसी तेलंगना के हित में नहीं है।


हैदराबाद स‌े हमारे अत्यंत प्रतिभाशाली कवि मित्र नित्यानंद गायेन ने लिखा हैः


जैसा कि आपने विस्तार से इस मुद्दे पर पहले ही बहुत लम्बा लिखा है , और लम्बे समय से एक आन्दोलन से जुड़े हुए हैं , यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ कि संघीय व्यवस्था में छोटे राज्य तेजी से विकास के लिए अच्छा माना जाता है . अब तेलंगाना बिल राज्य सभा से प्रारित होते ही देश में २९ राज्य हो जायेंगे . अलग तेलंगाना राज्य की मांग आज की नहीं है . इसका इतिहास बहुत लम्बा है .अलग तेलंगाना राज्य की मांग बहुत पुरानी है | 1946 में कमुनिस्ट पार्टी की अगुआई में एक किसान आन्दोलन शुरू हुआ था | यह आन्दोलन 1951 तक चला . तब का हैदराबाद राज्य जिसमें तेलुगु भाषी नौ जिले शामिल थे, गुलबर्गा संभाग के चार कन्नड़ भाषी जिले था औरंगाबाद संभाग के चार मराठी भाषी जिले थे | 1952 में तेलंगाना में एक छात्र आन्दोलन हुआ था | यह आन्दोलन नौकरियों के लिए था | छात्रों का आरोप था कि ज्यादातर नौकरियों पर आन्ध्रा के लोगों का कब्ज़ा है | इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में सात छात्रों की मौत हुई थी |

अभी जिस क्षेत्र को तेलंगाना कहा जाता है, उसमें आंध्र प्रदेश के 23 ज़िलों में से 10 ज़िले आते हैं.मूल रूप से ये निज़ाम की हैदराबाद रियासत का हिस्सा था.इस क्षेत्र से आंध्र प्रदेश की 294 में से 119 विधानसभा सीटें आती हैं| 1948 में भारत ने निज़ाम की रियासत का अंत कर दिया और हैदराबाद राज्य का गठन किया गया | 1956 में हैदराबाद का हिस्सा रहे तेलंगाना को नवगठित आंध्र प्रदेश में मिला दिया गया.निज़ाम के शासनाधीन रहे कुछ हिस्से कर्नाटक और महाराष्ट्र में मिला दिए गए.भाषा के आधार पर गठित होने वाला आंध्र प्रदेश पहला राज्य था.चालीस के दशक में कामरेड वासुपुन्यया की अगुवाई में कम्युलनिस्टों ने पृथक तेलंगाना की मुहिम की शुरूआत की थी.उस समय इस आंदोलन का उद्देश्य था भूमिहीनों कों भूपति बनाना.छह वर्षों तक यह आंदोलन चला लेकिन बाद में इसकी कमर टूट गई और इसकी कमान नक्सलवादियों के हाथ में आ गई. आज भी इस इलाक़े में नक्सलवादी सक्रिय हैं.1969 में तेलंगाना आंदोलन फिर शुरू हुआ था.दरअसल दोनों इलाक़ों में भारी असमानता है. आंध्र मद्रास प्रेसेडेंसी का हिस्सा था और वहाँ शिक्षा और विकास का स्तर काफ़ी ऊँचा था जबकि तेलंगाना इन मामलों में पिछड़ा है.तेलंगाना क्षेत्र के लोगों ने आंध्र में विलय का विरोध किया था. उन्हें डर था कि वो नौकरियों के मामले में पिछड़ जाएंगे.1969 में क्या हुआ था?शुरुआत में तेलंगाना को लेकर छात्रों ने आंदोलन शुरू किया था लेकिन इसमें लोगों की भागीदारी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया.इस आंदोलन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग और लाठी चार्ज में साढे तीन सौ से अधिक छात्र मारे गए थे.उस्मानिया विश्वविद्यालय इस आंदोलन का केंद्र था.उस दौरान एम चेन्ना रेड्डी ने 'जय तेलंगाना' का नारा उछाला था लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना प्रजा राज्यम पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया.इससे आंदोलन को भारी झटका लगा.इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया था.1971 में नरसिंह राव को भी आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था क्योंकि वे तेलंगाना क्षेत्र के थे| यह था तेलंगाना आन्दोलन का एक छोटा सा इतिहास |

मेरा जवाब नित्यानंद के लिए धन्यवाद नित्यानंद।आप चूंकि हैदराबाद में हैं,तो इस बहस को राष्ट्र को तेलंगाना के मुखातिब खड़ा करके सत्ता स‌ंघर्ष के जरिये जनसंहार और बेदखली अभियान रोकने के स‌िलसिले में प्रासंगिक बनाने के लिए बहस की लंबाई के बारे में कतई नहीं स‌ोचें।हम आखिरी आदमी की आपवाज तक को राष्ट्रीयमुद्दों पर बिना भेदभाव गूंजाने के हक में हैं।जो स‌ही ईमानदार लोग होंगे,वे इसकी प्रासंगिकता स‌मझेगें।जो मुक्त बाजार के नंगे जश्नी नागरिक हैं,उनकी नींद में तो देस,जनपद,कृषि,पर्यावरण,प्रकृति,मनुष्यता,गर,परिवार की तबाही के बावजूद,महाविध्वंस के लम में भी नहीं खुलेंगी।लेकिन जिनकी आंखें खुली है और जो अस्मिताओं की वजह स‌े भारत दृष्टि स‌े स‌ोचते हैं,ऎसे हर स‌ही ौर ईमानदार,हर जनप&धर व्यकिते के स‌ात जो हमसे असहमत हो स‌कते हैं ौर हमारे धुर विरोधी भी होसकते हैं,उनसे अविराम स‌ंवाद के जरिये ही हम िस देश को जोड़ स‌कते हैं।मुक्तिबोध स‌े लेकर पाश और हमारे प्रियकवि गोरखपांडेय तक कविता में अलख जगाते रहे हैं।कबीर दास ने स‌च बोलने में कभी किसी की परवाह नहीं की।वाल्तेयर को देश निकाले की परवाह नहीं थी।बांग्लादेश और दुनिया के दूसरे हिस्सों में कविता बदलाव की स‌भसे मुखर माध्यम रही है।

मैं 1991 स‌े 2002 तक जब अमेरिका स‌े स‌ावधान लिख रहा था तब शीर्षस्त बाबा नागार्जुन स‌े लेकर त्रिलोचन शास्त्री,शलभ श्रीराम स‌े लेकर भगवत रावत,अरुणकमल स‌े लेकर एकदम नये कवियों ने खुलकर इस मुहिम का स‌ात दिया है।

आज भी मौजूदा स‌ंकट स‌े निकलने के लिए आम जनता स‌े स‌ंवाद के लिए मैं कविता को ही स‌बसे स‌शक्त माध्यम मानता हूं।आप लोगों की तरह मेरी न कोई कविता पुस्तक छपी है और न मैं कहीं कविता छपने भेजता हूं।लेकिन मैंने स‌ंवाद के ब्लाग का नाम इसी लिए अंतःस्थल कविता भूमि रखा है।कवि नहीं भी हूं तो क्या देश दुनिया के बाकी मनुष्यता की तरह कविता में मेरी आस्था अडिग है।

एकटा आर्टिकल लिखिछी

ाग ्ावोूाी रोलबाद जोूपोूा जोीद.ऱापाूह गलूाीोमूगना ्ावोूा,ीाेजदलेा जोोवा

क्या लिखा है उपर , दिख नही रहा है , पढ़ा नही जा रहा है

फिर से भेजिए

इस स‌ंवाद के लिए भी भेज स‌कते हैं।क्योकि इसमे स‌ारे लोग आडिस्ते आहिस्ते शामिल होते रहेंगे तो आपके लिखे स‌े बहस को दिशा जो मिलेगी स‌ो मिलेगी,उस आलेख पर लाइव प्रतिकिरिया भी मिलती रहेंगी।हम बहुप&ीयसंवाद के बिना लेखन को प्रासंगिक मानते हैं।हालांकि यह मेरी निजी राय है।पर लेखन को हम निजी आत्मरति नहीं

स‌ामाजिक कर्म और देश जोड़ो मनुष्यजोड़ो का स‌बसे स‌शक्त माध्यम मानते हैं।


आपकी राय का अभीतक इंतजार।युवा कवि नित्यानंद गायेन ने तेलंगाना स‌ंवाद में आगे जोड़ा हैः

1995 में जब तेलुगु देशम पार्टी को बहुमत मिला और एन .टी . आर के दामाद चंद्रबाबू नायडू राज्य के मुख्य मंत्री बने तो उन्होंने राज्य के शहरी क्षेत्रों का अभूतपूर्व विकास किया | सबसे ज्यादा विकास राजधानी हैदराबाद का हुआ | हैदराबाद को भारत का हाईटेक शहर कहा जाने लगा | विज्ञान और प्रदोगिकी पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया | विश्व की बड़ी –बड़ी आईटी कम्पनियों ने यहाँ जमकर निवेश किया जिसमें गूगल , माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियाँ शामिल थीं | लाखों युवाओं को रोजगार मिला | इस बीच राज्य में दूसरी ओर नक्सलवाद भी फलता –फूलता रहा | हैदराबाद में विदेशी निवेश और सूचना क्रांति के विकास के कारण तेलंगाना क्षेत्र (हैदराबाद के आस-पास ) के किसानों ने अपनी जमीनें बेचीं और वे रातों –रात करोडपति बन गये | हैदराबाद को विश्व मानचित्र में एक नया स्थान मिला | जो भी विदेशी प्रतिनिधि मंडल भारत यात्रा पर आता वह हैदराबाद जरुर आता | इस बीच स्थानीय युवाओं में यह शिकायत भी रही कि उन्हें रोजगार के अवसर नही मिले | किन्तु इस दौरान तेलंगाना आन्दोलन ठंडा पड़ चूका था | 1995-2004 तक चंद्रबाबू के मुख्यमंत्री काल के दौरान शहरी क्षेत्रों का तो खूब विकास हुआ किन्तु किसानों और ग्रामीणों की शिकायत थी कि नायडू ने उनके विकास पर ध्यान नही दिया | आगामी चुनावों में टीडीपी की हार हुई और कांग्रेस की भारी जीत | वाई .एस .राजशेखर रेड्डी राज्य के मुख्यमंत्री बने | वे लोगों में खासे लोकप्रिय बने | किन्तु समय बीतने के साथ तेलंगाना आन्दोलन फिर से जोर पकड़ने लगा | वरवर राव , लोक गायक गदर जैसे चर्चित चहरे इस आन्दोलन के समर्थन में खुल कर सामने आये | सरकार तानाशाह बन गई और लोगों को जेल में डालना शुरू किया | उधर एक अक्तूबर २००३ में पूर्व मुख्य मंत्री चंद्रबाबू के काफिले में नक्सली हमला हो चूका था | इसके बाद नक्सलवाद के खिलाफ राज्य पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बलों ने कार्यवाही तेज कर दिया था | इधर तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई .एस . राजशेखर रेड्डी २ सितम्बर २००९ में एक हैलीकाप्टर दुर्घटना में मारे गये | कांग्रेस में अंतर्कलह शुरू हो गया मुख्यमंत्री पद को लेकर | और मुख्यमंत्री बदलते रहे | पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस के परिवार ने कांग्रेस के विरोध में विद्रोह कर दिया |

के.चंद्रशेखर राव जो कभी चंद्रबाबू के साथ टीडीपी में थे कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने टीडीपी छोड़ २००१ में तेलंगाना राष्ट्र समिति के नाम से नयी पार्टी बनाई | २००४ के विधान सभा चुनावों में इस पार्टी को २६ सीटें मिलीं और फिर लोक सभा चुनावों में भी पार्टी ने पांच सीटें जीती | आज के तेलंगाना आन्दोलन में इस पार्टी का सबसे बड़ा योगदान है | कहा यह जाना चाहिए कि ऐतिहासिक तेलंगाना आन्दोलन को इस पार्टी ने एक तरह से पुनर्जीवित किया है | २००९ के विधानसभा चुनावों में पार्टी को १० सीटें मिली थीं |

तेलंगाना राष्ट्र समिति ने वर्तमान तेलंगाना आन्दोलन में छात्रों को जोड़ने का महत्वपूर्ण काम किया और फिर कई हिंसक आन्दोलन हुआ . अनेक छात्र मारे गये , घायल हुए | एक तरह से तेलंगाना का वर्तमान आन्दोलन एक छात्र आन्दोलन ही कहा जा सकता है | केसीआर ने आन्दोलन को राजनैतिक मोर्चे पर संभालें रखा | यु.पी.ए . में केन्द्रीय मंत्री बने फिर बाहर से समर्थन फिर एकदम बाहर | यह नाटक चलता रहा | किन्तु आन्दोलन तेज होता गया | उस्मानिया विश्वविद्यालय पुलिस छावनी में बदल गई ..रोज आन्दोलन , पथराव, लाठीचार्ज आदि ख़बरों ने अख़बारों को मसाला दिया | अंतत: केंद्र को झुकना पड़ा | कमिटी गठित की गई | फिर जो कुछ हुआ हम सब जानते हैं | दरअसल वर्तमान तेलंगाना आन्दोलन टीआरएस की नाक की लड़ाई बन चुकी थी | इसने लोगो से अलग राज्य देने का वादा कर दिया था |

उधर केंद्र ने शुरू से इस आन्दोलन को दबाने का प्रयास किया और कोई विशेष ध्यान या महत्व नही दिया | जिसका परिणाम आज हमारे सामने है | आन्दोलन में हो रहे हिंसा की घोर निंदा हुई पर केंद्र की नींद नहीं टूटी | पर आखिर में झुकना ही पड़ा |

लड़ाई पहले तेलंगाना के लिए था जिसे आंशिक रूप से जीत ली गई किन्तु अब असली लड़ाई राजधानी हैदराबाद को लेकर है | हैदराबाद जिसे बहुत तेजी से विकसित किया गया , जहाँ करोड़ो –अरबो का निवेश हुआ | सड़क , संचार , निर्माण सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ सबकी नजर अब उस पर है | जो पार्टियाँ कल तक चुप थीं आज विरोध में सड़क पर हैं | सभी को हैदराबाद चाहिए | आन्ध्रा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और खून पसीने की कमाई से इसे विकसित किया है वहीं तेलंगाना समर्थकों का कहना है कि हैदरबाद तेलंगाना का हिस्सा है | इस आन्दोलन के चलते राज्य में निवेश बंद हो गया | रोजगार के अवसर बंद होने लगा है | केंद्र ने इस मुद्दे पर गंभीरता से काम नही किया है और नतीजा आज भयानक हो गया है |

यदि इस मुद्दे पर सोच –समझकर कदम न उठाया गया तो यह और भी भयंकर हो सकता है | राज्य के विभाजन के विरोध में खुद कांग्रेस में ही मतभेद उभरकर आ रहे हैं | वाई एस कांग्रेस के अध्यक्ष और वाई एस रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने विभाजन के विरोध में अनशन शुरू कर दिया है | केंद्र तमाशा देख रहा है | प्रवासियों के मन में एक भय ने घर बना लिया है |

वाल पर डालना

स‌ंदेश बाक्स स‌े कापी करना मुस्किल है।

वहां कोशिश कर रहा हूँ , पर पोस्ट नही हो प् रहा है , शायद लम्बाई के कारण


Nityanand Gayen पूरा आलेख आज से चार महीने पहले लिखा गया था .



गौरतलब है कि विवादास्पद और बहुप्रतीक्षित पृथक तेलंगाना राज्य के गठन को लोकसभा ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। इसमें मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सरकार का साथ दिया। 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किए गए 'आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक' को मंगलवार को सदन में चर्चा और पारित किए जाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पेश किया। लेकिन आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध करने वाले कुछ दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन तीन बार स्थगित करना पड़ा। विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में केवल गृह मंत्री, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और तेलंगाना क्षेत्र के वरिष्ठ नेता जयपाल रेड्डी ही अपनी बात रख पाए।


जनसत्ता के मुताबिक विधेयक को पारित करने की लगभग डेढ़ घंटे तक चली प्रक्रिया के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी। ऐसा करने से पूर्व सदन ने विधेयक पर लाए गए गैर सरकारी संशोधनों को अस्वीकार किया और सरकार की ओर से रखे गए संशोधनों को मंजूरी दी। विधेयक के चर्चा और पारण की प्रक्रिया के दौरान माकपा सहित विभिन्न दलों के सीमांध्र क्षेत्र के सदस्य आसन के सामने एकत्र होकर आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में लगातार नारे लगाते रहे। एहतियात के तौर पर सुशील कुमार शिंदे के आगे कांग्रेस के कई सदस्य सुरक्षा घेरा बनाकर खड़े थे जिससे कि उनसे विधेयक की प्रति छीनने सहित कोई अप्रिय घटना नहीं होने पाए।

विधेयक पेश किए जाने के दिन सदन में माइक तोड़े जाने और मिर्च स्प्रे छिड़के जाने जैसी अप्रिय घटनाओं को देखते हुए मंगलवार को विधेयक पर चर्चा के शुरू  होने पर लोकसभा टेलीविजन से सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी रोक दिया गया।  विधेयक पारित होने पर तेलंगाना राष्ट्र समिति सहित कई सदस्य सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज का धन्यवाद करते देखे गए। तेलंगाना मुद्दे पर भाजपा द्वारा सरकार का समर्थन किए जाने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने लगातार नारे लगाए। ये सदस्य नारे लगा रहे थे -आज का दिन काला है, भाजपा कांग्रेस जोड़ा है, राहुल-मोदी जोड़ा है। सोनिया-सुषमा जोड़ा है। विधेयक पर शिवसेना ने भाजपा का साथ नहीं दिया। उधर वाम मोर्चे में माकपा ने जहां इसका विरोध किया वहीं भाकपा ने इसका समर्थन किया। जद (एकी)के सदस्यों ने सदन में व्यवस्था के बिना विधेयक को पारित कराने के विरोध में सदन से वाकआउट किया। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा  शुरू  से ही पृथक तेलंगाना राज्य के पक्ष में रही है। इसलिए वह अपनी विश्वसनीयता पर कायम रहते हुए विधेयक का समर्थन कर रही है। हालांकि उन्होंने कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी से शिकायत की कि उन्होंने 2004 में किए गए अपने वादे को 2014 में 15वीं लोकसभा के अंतिम सत्र के अंतिम सप्ताह में पूरा किया। उनकी यह भी शिकायत थी कि आंध्र प्रदेश का बंटवारा करते समय दोनों क्षेत्रों के बीच कांग्रेस सौहार्द और भाईचारा नहीं बनाए रख सकी।

सुषमा ने पृथक तेलंगाना का पुरजोर समर्थन करने के साथ ही आंध्र प्रदेश के बंटवारे के कारण सीमांध्र को होने वाले घाटे को पूरा करने की सरकार से मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य के बंटवारे से 148 प्रमुख संस्थान हैदराबाद में रह जाएंगे। इसलिए सीमांध्र के साथ न्याय करने के लिए वहां भी ऐसे संस्थान खोलने के लिए योजना आयोग से सरकार मंजूरी दिलाए। उन्होंने कहा कि तेलंगाना बने, लेकिन सीमांध्र के साथ भी पूरा न्याय हो।

विधेयक पर तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एआइएमआइएम) के असदुद्दीन ओवैसी द्वारा पेश किए गए कई संशोधनों पर दोनों ने मत विभाजन की मांग की। लेकिन अध्यक्ष ने सदन में आसन के सामने सदस्यों के एकत्र होने और व्यवस्था नहीं होने के चलते इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से वोटिंग ना कराकर सदस्यों को खड़ा कर, उनकी गिनती करवा कर मत विभाजन कराया। इसका सौगत राय ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि हम कोई भेड़-बकरी नहीं हैं जिनकी गिनती की जाए।

विधेयक को पेश करते हुए शिंदे ने कहा कि केंद्र सीमांध्र को विशेष आर्थिक पैकेज देगा। उन्होंने कहा कि दोनों क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने का पूरा प्रयास किया जाएगा और बंटवारे से दोनों क्षेत्रों के बीच प्राकृतिक संसाधनों सहित हर तरह के संसाधनों के बंटवारे में भी न्याय बरता जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार की दोनों में से किसी भी क्षेत्र को नुकसान होने देने की कोई मंशा नहंी है। उन्होंने कहा कि दोनों क्षेत्रों को बराबर का न्याय देने के लिए वित्त मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय , मानव संसाधन मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय , रेलवे मंत्रालय और योजना आयोग आदि से गहन विचार-विमर्श होगा। शिंदे ने सीमांध्र के लोगों को आश्वासन दिया कि उन्हें विशेष पैकेज दिया जाएगा।

जिस समय विधेयक को पारित किए जाने की प्रक्रिया चल रही थी, उस समय एक ओर जहां सीमांध्र क्षेत्र के लगभग सभी दलों के सदस्य आसन के समक्ष एकत्र होकर राज्य के बंटवारे के विरोध में नारे लगा रहे थे तो वहीं तेलंगाना राष्ट्र समिति और तेलंगाना क्षेत्र के अन्य सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर खुशी में अपने हाथ बार -बार ऊपर लहरा रहे थे। विधेयक पारित होने के तुरंत बाद सदन में तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेस के कुछ सदस्य सोनिया गांधी के बडेÞ-बड़े पोस्टर खोलते नजर आए लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।



भारी शोरशराबे और टेलीविजन पर कार्यवाही का सीधा प्रसारण न होने के दौरान लोकसभा ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पारित होने के बाद जहां तेलंगाना में खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं राज्य के शेष हिस्से में विरोध शुरू हो गया। तेलंगाना देश का 29वां राज्य होगा और इस तरह तेलुगूभाषी लोगों के लिए अब दो राज्य हो जाएगा। इसमें हैदराबाद सहित 10 जिले होंगे। तेलंगाना के अलग हो जाने के बाद अब आंध्र प्रदेश में 13 जिले रह जाएंगे। 10 साल तक दोनों राज्यों की राजधानी हैदराबाद रह सकती है।


1.14 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला और 3.52 करोड़ की आबादी वाला तेलंगाना राज्य बनने के बाद आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से देश का 12वां सबसे बड़ा राज्य होगा। लोकसभा में विधेयक पर मत विभाजन के दौरान तेलंगाना का विरोध कर रहे आंध्र प्रदेश के सांसदों और कुछ विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध जताया। इसके बावजूद सदन में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।


केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे द्वारा पेश किए गए विधेयक को पारित कराने में कुल 90 मिनट का समय लगा। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य और कांग्रेस के एक कैबिनेट मंत्री डी. पुरंदेश्वरी सहित विधेयक के विरोधी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन के नजदीक पहुंच गए और आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। लेकिन अध्यक्ष ने इसकी अनदेखी कर दी।


राज्य के बंटवारे के विरोधियों ने विधेयक में उठाए जा रहे संशोधन प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया और अंतत: निचले सदन से विधेयक पारित हो गया। विधेयक पारित होने की घोषणा होने के साथ ही जनता दल-युनाइटेड और डीएमके के सदस्यों को सदन से बाहर जाते देखा गया।


अत्यंत खिन्न नजरों से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कार्यवाही को देखती रही। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उस समय सदन में मौजूद नहीं थे। सदन में उत्तेजना का आलम यह था कि जिस समय शिंदे सदन में विधेयक पढ़ रहे थे उस समय तेलंगाना विरोधी सांसदों से बचाने के प्रयास के तहत आंध्र प्रदेश के कई कांग्रेसी सांसद उन्हें घेरे खड़े थे।


यह विधेयक अप्रत्याशित हंगामे और घटनाओं के बीच 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया। एक सदस्य ने मिर्ची स्प्रे किया और सदन में तोड़फोड़ भी की गई। इस घटना के बाद सीमांध्र के कुल 16 सांसदों को 20 फरवरी तक के लिए निलंबित कर दिया गया।


बहस में हिस्सा लेते हुए विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि उनकी पार्टी तेलंगाना का समर्थन करती है, लेकिन उस तरीके का नहीं जो अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "मैं और मेरी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है। तेलंगाना का गठन होना चाहिए..हमें अपनी विश्वसनीयता साबित करनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि तेलंगाना के युवा वर्ग की इच्छा पूरी हो रही है।"


कांग्रेस पर इस मुद्दे को विकृत करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कार्यकाल में तीन राज्यों का गठन किया गया था, लेकिन न तो सदन में व्यवधान पैदा हुआ और न ही किसी क्षेत्र में कुछ हुआ।


उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मई 2004 में ही तेलंगाना के गठन का वादा किया था, लेकिन 15वीं लोकसभा के अंत में यह काम किया जा रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एस. जयपाल रेड्डी ने तेलंगाना के पक्ष में दलील पेश करते हुए कहा कि पृथक राज्य की मांग पिछले 60 वर्षों से की जा रही थी।


अब विधेयक राज्यसभा में रखा जाएगा। विधेयक पारित किए जाने की कई राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाईएसआर जगनमोहन रेड्डी ने इसे देश के इतिहास का काला दिन करार दिया और बुधवार को आंध्र प्रदेश बंद रखने का आह्वान किया।


उन्होंने कहा, "यह देश के इतिहास का काला दिन है। हम कल (बुधवार) आंध्र प्रदेश बंद रखने का आह्वान करते हैं।" उधर, विधेयक के पारित होने के बाद तेलंगाना में खुशी की लहर फैल गई। राजधानी हैदराबाद और क्षेत्र के अन्य नौ जिलों में तेलंगाना समर्थकों ने आतिशबाजी की और मिठाइयां बांटीं।


कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के अलावा गैर राजनीतिक संगठनों ने भी अपने-अपने कार्यालयों में उत्सव मनाया। टीआरएस सांसद के. केशव राव ने कहा, "मुझे इतनी खुशी जिंदगी में कभी नहीं हुई थी।" उन्होंने विधेयक पारित होने को तेलंगाना के शहीदों को समर्पित किया।


अपने पार्टी मुख्यालय तेलंगाना भवन में टीआरएस कार्यकर्ता नाचते गाते और पटाखे चलाते देखे गए। 1969 में तेलंगाना आंदोलन का केंद्र रहे उस्मानिया विश्वविद्यालय में भी उत्सव के जैसा माहौल था।


इसी बीच भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना मुद्दे से आहत आंध्रप्रदेश के लोगों के दर्द को लेकर मंगलवार को  कांग्रेस पर करारा प्रहार किया और कहा कि सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी को जनता के 'घाव पर मलहम' लगाने के लिए उनके बीच आने तक का वक्त नहीं है।

मोदी ने यहां एक रैली में कहा- दो दिन पहले कांग्रेस के महानुभाव (राहुल गांधी) कर्नाटक आए थे, कांग्रेस अध्यक्ष भी दक्षिण में थीं- लेकिन मुझे आश्चर्य होता है कि मैडम सोनिया और राहुल दोनों दक्षिण में आते हैं लेकिन उनके पास आंध्रप्रदेश आने का वक्त नहीं होता।

उन्होंने कहा-आज हमारे सीमांध्र और तेलंगाना के भाइयों को कांग्रेस  की ओर से  उन्हें दिए गए दर्द पर मलहम लगाने की जरूरत है लेकिन उनके पास उनपर मलहम लगाने के लिए थोड़े से शब्द भी नहीं हैं। आज ही लोकसभा ने तेलंगाना विधेयक पारित किया। भाजपा नेता ने कांग्रेस को याद दिलाया कि 2009 में आंध्रप्रदेश में भारी जीत से ही उसे केंद्र में सरकार बनाने में मदद मिली थी।

मोदी ने कहा- आज जब आंध्रप्रदेश के लोग दिक्कत में हैं तो कांग्रेस नेताओं का उनसे बातचीत करने का मूड नहीं हैं, कांग्रेस ऐसी स्थिति में है कि उन्हें लोगों की संवेदनाओं और परेशानियों की कोई परवाह नहीं है। राहुल पर उनके प्रिय विषय 'महिला सशक्तिकरण' पर घेरते हुए उन्होंने कहा- यह महानुभाव कर्नाटक आए और उन्होंने महिलाओं के लिए अपनी चिंता प्रकट की। अगर आपको महिलाओं की इतनी ही चिंताएं हैं तो आप महंगाई नीचे लाइए ताकि हमारी माताएं और बहनें राहत महसूस करें। महिलाओं के खिलाफ दिल्ली में हिंसा के बढ़ते मामलों के लिए कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ते हुए उन्होंने कहा- आपने तो दिल्ली को बलात्कार की राजधानी बना दी और इसकी वजह से भारत की बदनामी हो रही है।



  • Yogendra Singh LOK SABHA SEATS KI SANKHYA BHI BADHANI CHAHIYE

  • Nandlal Chouhan jitne chote rajya honge utni hi vyavastha sahi hogi ...samarthan sir

  • सुनील कुमार झा

  • मतलब सर आप भी पृथक मिथिला राज्य के समर्थक है बधाई ।

  • Saptarshi Mandal Jharkhand????


Vidya Bhushan Rawat

Any attempt to depoliticise the political issues must be resisted vehemently. There is lurking danger of brahmanical fascist forces capturing all the available democratic space in the name of 'opposition' and 'resistance' against 'corruption'. Sitting in the lap of CII and indicating the 'government' has no business to be in 'business' they want the crony caste capitalists of this country to be given the free hand to loot the country. Understand the larger designs of such forces and expose them.

पाणिमी आनंद

क्या होगा

यदि सच हो गया उदघटित

ठहरो,

देखना मना है

किसी का भी

रोक दो

प्रसारण,

न जाए कोई भी छवि बाहर

सदन में लोकतंत्र सहवासरत है.


(तेलंगाना पर क्यों बंद रहा लोकसभा का सीधा प्रसारण. क्यों मेरे जानने के हक़ की हत्या की गई)


  • Utpal Pathak ब्लैक आउट के बहाने - देश बड़े बुज़ुर्गों ने सन ५० -६० और ७० के युद्ध के भयावह दिनों को याद किया

  • ब्लैक आउट के बहाने - देश वासियों ने एमरजेंसी के दिनों के दर्द को दोबारा महसूस किया और दर्द के साथ डर भी बढ़ा

  • ब्लैक आउट के बहाने - नयी पीढ़ी को भी पता चला कि ब...See More

  • 2 hours ago · Like · 3

Aam Aadmi Party

A bill to create Telangana by dividing Andhra Pradesh was passed in the Lok Sabha today amid protests, but live telecast was cut off in an unprecedented blackout. The bill will now be taken up in the Rajya Sabha.


Three minutes after Home Minister Sushil Kumar Shinde began the proceedings for discussing and passing the bill, live telecast was cut off. The doors and galleries were sealed.


The question is, what forced the blackout of the proceedings? In recent days Loksabha has already been subjected to shame with an MP using pepper spray inside the parliament. Did fear of something similar forced the blackout? Or was it some back door deal which resulted in the blackout?


Will any party or any MP present inside the parliament answer,‪#‎WhyLSBlackOut‬?


If you are on Twitter, Tweet using #WhyLSBlackOut.

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आज फिर लोकसभा की गरिमा पर एक धब्बा लगा. कुछ दिन पूर्व ही एक MLA द्वारा लोकसभा में कालीमिर्च के स्प्रे का इस्तेमाल किया गया था और आज लोकसभा में तेलंगाना का बिल पेश किये जाने के दौरान लोकसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण, जिसपर करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं, रोक दिया गया.


सवाल है की ये प्रसारण क्यूँ रुका? क्या आज लोकसभा में कुछ ऐसा अनैतिक हुआ जिसको सभी पार्टियों ने मिलकर छुपाने की पहले से योजना बना ली थी?


अब हम सबको मिलकर ये सवाल पूछना होगा. अगर आप ट्विटर पर हैं तो #WhyLSBlackOut का प्रयोग करके सवाल पूछिए.


लोकतंत्र की पारदर्शिता के लिए जो खतरा कांग्रेस और भाजपा जैसे राजनैतिक दल खड़ा कर रहे हैं, आइये मिल जुलकर उसका मुकाबला करें!

  • Kalpesh Dongre भारत के हर शहर मे ऐक दो अम्बानी और अदानी है केज्रि बाबू और ऐक मोदी भी.....सुना है हर जगह AAP FIR करणे वाले थे. हम तो AAP को अम्बानी अदानी पार्टी समझ बैठे थे..और अब वो सही सबीत हुआ....CII....के मंच पर AAP ने तो उन्हे लुट कि छुट देदी.....

Anita Bharti

किसी प्रगतिशील विचारधारा के व्यकित की प्रगतिशीलता के नापने का पैमाना उसके दलित-आदिवासी और महिला संबंधी विचार होते है।

  • Rashmi Sharma बि‍ल्‍कुल सही कहा आपने

  • Dheeresh Saini Beshak> Vaise mahila samabandhi vichar dali-adiwasi purushon ko parakhne ki kasauti bhi ho sakte hain

  • Subhash Gautam बस प्रगतिशील विचारधारा के व्यकित से पूछ लीजिए की आप ने दलित/आदिवासी पर क्या लिखा है.? और क्यों लिखा है?

  • Gulab Singh garib,vikalang ,anchlik logon aur alpsankhyakon par bhi.

मूलनिवासियो होशियार दूसरे ऑपरेशन ग्रीन हंट की तैयारी

Bhaskar Upreti

टीवी चैनलों का थोबड़ा देखने से साफ़ महसूस हो रहा है अंबानी ने उन्हें आँख दिखा दी है..अरे कुछ करो भई वो आम आदमी मेरी ऐसी-तैसी किये जा रहा..और तुम कम्बक्ख्तो ! तुम्हारे जिगर में/ आंत में पैसा क्यों ठूसा था मैंने ? कब के लिए ? और ये काम करीने से करना...वो क्या था वो बुढहू अन्ना...उसको खूब चमकाओ..खूब उछालो ...

न किरण कुमार रेड्डी ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा , कांग्रेस पार्टी को भी कहा अलविदा
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के विभाजन के निर्णय के विरोध में आज अपने पद और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
रेड्डी ने ''सभी नियमों को ताक पर रखकर'' राज्य का विभाजन करने के विरोध में यह कदम उठाया है। उन्होंने ''मतों'' की खातिर राज्य का विभाजन करने को लेकर सभी राजनीतिक दलों की आलोचना की।
वह इस्तीफा देने के निर्णय की घोषणा करने के थोड़ी ही देर बाद सीधे राजभवन गए और राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन को अपना त्यागपत्र सौंपा। उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया।
रेड्डी ने कहा, '' मैंने राज्यपाल से अपील की है कि वह जल्द से जल्द वैकल्पिक इंतजाम करें क्योंकि कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में भी काम करने की मेरी कोई इच्छा नहीं है।''
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, '' यह आसान निर्णय नहीं है... मुझे इस बात का बहुत दुख है कि मैं तेलुगू लोगों की (एकता) की रक्षा नहीं कर सका।''
उन्होंने केवल ''मतों और सीटों'' की खातिर राज्य को विभाजित करने के लिए तेदेपा, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस और भाजपा के साथ साथ कांग्रेस की भी आलोचना की।
रेड्डी ने कहा, '' मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।''
लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस का धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा, '' हालांकि मैंने उसी दिन (30 जुलाई 2013) इस्तीफा देने की पेशकश की थी जब सीडब्ल्यूसी ने आंध्र प्रदेश के विभाजन का निर्णय लिया था, मैं सोनिया गांधी के कहने पर पद पर बना रहा।''
रेड्डी से जब यह पूछा गया कि वह अंतिम क्षण में इस्तीफा क्यों दे रहे हैं, उन्होंने कहा, '' मैं इसलिए पद पर बना रहा ताकि विभाजन के खिलाफ अंत तक संघर्ष कर सकूं।''
उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश को विभाजित करके तेलंगाना को 29वां राज्य बनाने संबंधी विधेयक कल लोकसभा में पारित हो गया।


Leader of Opposition Arun Jaitley invoked rules to say the Congress minister, being member of Lok Sabha, cannot disturb the Upper House through protests.

The much anticipated Telangana bill was not taken up in Rajya Sabha, which witnessed high drama and repeated adjournments all through the day on .

The House saw Secretary General Shumsher K Sheriff being heckled by a TDP member C M Ramesh, who was trying to snatch papers from him related to Telangana bill.

Ramesh and his party colleague, who are opposing the bill, stormed the Well as soon as the House met at noon after the first adjournment on the issue.

There was heckling and even the spectacles of Sheriff were about to fall as Ramesh tried to forcibly take the papers.

Angry at the behaviour of the member, Kurien said, "This is very unfortunate. The Chair should not be attacked. Keep your hands off. What you are doing is very unfortunate."

In the post-lunch sitting four bills were passed but the Telangana bill was not taken up as the House was adjourned for the day amid noisy scenes.

As Minister K S Rao rose to speak on the Telangana bill, Kurien informed him that it was not being taken up now.

"I thank the members for their cooperation…let's call it a day," he said and adjourned the House till tomorrow.

All the while, three members including Congress member K V P Ramchandra Rao were standing near the Chair carrying placard demanding united Andhra Pradesh.

Several members from BJP and Left parties demanded proper discussion on the bill that aims to bifurcate Andhra Pradesh into Telangana and Seemandhra. Some other issues were also raised leading to commotion and disturbances because of which the House had to be adjourned repeatedly.

Minister of State for Parliamentary Affairs Rajiv Shukla assured the House the government too was in favour of a discussion on the bill before its passage.

Earlier, Rao earned the wrath of Kurien who said he belonged to Lok Sabha and should behave or leave the Upper House. The observation came when Rao was causing disturbances while opposing the Telangana bill, passed by Lok Sabha yesterday amid din, chaos and an unprecedented black out of televison coverage.

Leader of Opposition Arun Jaitley invoked rules to say the Congress minister, being member of Lok Sabha, cannot disturb the Upper House through protests.





Reuters India

The state capital Hyderabad, where Google, Microsoft and Dell have major sites, will remain the common capital for the two states for a period of 10 years if the bill is passed in the upper house.

Telangana bill passed in Lok Sabha amid chaotic scenes

in.reuters.com

The Lok Sabha passed a contentious proposal to split Andhra Pradesh and create the new state of Telangana on Tuesday amid chaotic scenes and uproar in parliament from opponents of the bill.

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Ranjit Ludhianwi added a new photo.

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Aaj Tak

BREAKING NEWS: तेलंगाना बिल पर राज्यसभा में हंगामा. राज्यसभा महासचिव से धक्कामुक्की. TDP सांसद एस रमेश ने कागज छीनने की कोशिश की ‪#‎Aajtak‬...http://bit.ly/Live_Breaking_News

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With BJP-UPA push, Telangana bill clears Lok Sabha hurdle

Saubhadra Chatterji and Srinand Jha , Hindustan Times  New Delhi, February 18, 2014


The process to create Telangana, India's 29th state, crossed the major Lok Sabha hurdle with the BJP coming in support of the UPA to clear the Andhra Pradesh State Re-organization Bill amid din.

TDP MPs shout slogans against the UPA govt and Sonia Gandhi during a protest calling for a united Andhra Pradesh outside the Parliament. (AFP Photo)

The House saw a rare scene when the bill's supporters had to frequently stand up for head count as Lok Sabha speaker Meira Kumar chose to ignore the repeated demand for a division or voting. The live telecast in Lok Sabha TV also went off air suddenly. Lok Sabha secretariat later cited technical problems for the blackout.

Read: Congress reaches out to BJP over Telangana

related story

TV blackout of LS proceedings on Telangana bill kicks up a row

The bill is likely to be placed before the Rajya Sabha on Wednesday, where the ruling dispensation does not enjoy a majority. Congress strategists did not rule out the possibility of the BJP pushing further amendments to the bill in the Upper House. Any change in the bill will require a fresh approval from the Lok Sabha as well, which might delay its passage.

During the past few months, several Congress lawmakers have been protesting for and against the bifurcation of Andhra Pradesh. On Tuesday, as the bill was slated for a discussion and passage, Trinamool Congress and its arch rival, Left parties, together jammed the Well of the House. Samajwadi Party and a few Congress MPs and ministers from Seemandhra also stood in the Well.

TMC members were shouting "aaj ka din kala hai, Rahul-Modi joda hai and Sushma-Sonia jodi hai (today is a black day as Rahul and Modi and Sushma and Sonia have ganged up)".

After the first two attempts to pass the bill failed at 12 noon and 12.45pm due to din, the Lok Sabha finally took up the matter at 3pm. A significant part of the visitors' gallery was cleared minutes after home minister Sushil Kumar Shinde sought leave of the House for the passage of the bill.

The House looked a virtual battle-ground with Congress members protecting Shinde and other top leaders from protesting members.

Trinamool's Saugata Roy and Hyderabad-based MIM's Asaduddin Owaisi placed several amendments, which were not accepted.

While Roy repeatedly demanded division or voting, the speaker ignored the appeals and instead adopted the old method of head-counting to decide on the majority mark.

An agitated Ray protested, "We are not sheep. Why are the members being asked to stand to count their heads?"

Read: Seemandhra must be compensated: Venkaiah Naidu

Although BJP's Sushma Swaraj announced at the beginning of her speech that her party supports the creation of Telangana, she accused Sonia Gandhi of delaying the issue for almost 10 years.

"You (Gandhi) cannot control your own MPs, chief minister and ministers. We had created three states smoothly, without any bloodshed," Swaraj said.

Moments after the passage, YSR Congress chief Jaganmohan Reddy, who was suspended last week for disruptions in the House, declared an AP bandh tomorrow calling the decision a "black day" for the country.  Democracy has been killed in broad day light, he said.

State chief minister Kiran Kumar Reddy, who belongs to Congress and has been resisting the division, might resign on Wednesday and float a new party, PTI reported.

In the light of last week's proceedings when Seemandhra MP L Rajagopal sprayed pepper and another MP broke mike 16 MPs were suspended.

Read more Telangana stories:


Read: Is Rayala-Telangana a Congress trial balloon?

July 30, 2013: Telangana formation cleared, Hyderabad joint capital for 10 yrs


July 30, 2013: In pics: Celebrations of separation over Telangana

Hindustan Times


·


bnlive.com

Telangana fallout: AP CM to quit today, Jagan calls for bandh in statehttp://ow.ly/tLyPX


A day after the Telangana Bill was passed in the Lok Sabha amidst a blackout, Andhra Pradesh Chief Minister Kiran Kumar Reddy, who has been opposing his party and this bill, is set to resign on Wednesday. CNN-IBN has learned that he will make his decision official at 11.30 this morning.


‪#‎Telangana‬ ‪#‎LokSabha‬ ‪#‎AndhraPradesh‬ ‪#‎KiranKumarReddy‬

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Jagadishwar Chaturvedi shared Amar Ujala's photo.

केजरीवाल के सफ़ेद झूठ को नंगा करते हुए यह ख़बर आई है- पढ़ें-

ईमानदारी पर खुली केजरीवाल की पोल:


आम आदमी पार्टी से चूक हो गई। उनके एक दावे की हवा निकल गई और जिस संस्‍थान की रिपोर्ट का हवाला दिया, उसी संस्‍था ने उन्हें झूठा बताया।


--http://goo.gl/gHUNsg


Rajiv Nayan Bahuguna shared Tehelka Hindi's photo.

फिर भी ...

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आज देहरादून में हिंदी की " तहलका " खरीदने मैगज़ीन की दूकान पर गया . दूकान मालिक बोले - हम पहले मंगाते थे , जब से" वह " काण्ड हुआ , मंगाना बंद कर दिया . मैंने कहा -- भाई क्या वह रेप इस मैगजीन ने किया था ? जिसने कथित रूप से किया वह जेल में है , और अदालत इस मामले को देख रही है . वह बोला कह तो आप ठीक ही रहे हो , पर फिर भी ....



Aam Aadmi Party

Whatever the form of government, it has three primary tasks - providing security, justice and a corruption-free administration.


Unfortunately, no party speaks of these things, which are essential for doing business. It is the Aam Aadmi Party that has come for the first time speaking of providing security, giving justice and a corruption-free administration.

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Ambani does not run the Govt, says Chidambaram

Finance Minister P Chidambaram hits back at AAP saying Mukesh Ambani does not run the UPA government; explains that huge penalties have been imposed on Reliance Industries for producing less quantity gas than committed

AP

New Delhi: Rebutting the AAP charge that Mukesh Ambani runs the UPA Government, Finance Minister P Chidambaram on Tuesday said huge penalties have been imposed on Reliance Industries for producing less than the committed quantity of gas, and that bank guarantees would be taken before allowing any price hike.

Chidambaram, who was involved in the decision to allow all domestic natural gas producers, including RIL, to almost double prices from April, called the FIR registered by the AAP Government against Oil Minister M Veerappa Moily and others for raising gas prices "laughable".

"These are throwaway lines which do not deserve to be replied to," he told PTI when asked about the charge levied by Kejriwal and his party that Ambani ran the Government.

"The Petroleum Ministry has imposed a huge penalty on RIL. The Petroleum Ministry has required them to furnish a bank guarantee for the undelivered quantity of gas pending the issue of a price rise. So, how can anyone say that this Government is run by a businessman," he said.

Chidambaram said the Government would not go back on its decision to raise gas prices for both public sector and private producers from April 1.

"Mr Moily has said that the decision of the Cabinet will be given effect on April 1. That's the Government's position and I think Mr Moily is right," he said.

Days before he quit as Delhi Chief Minister, Kejriwal ordered the filing of a police complaint against Moily, RIL and its Chairman, Mukesh Ambani, for creating an artificial shortage of gas in the country and raising prices.


Aam Aadmi Party shared Aam Aadmi Party Mumbai's photo.

Yogendra Yadav, Chief Spokesperson and National Executive member of AAP will be addressing IIFL Global Investors Conference in Mumbai on "The phenomenon of AAP" on 19th February 2014 from 9:45 am onwards.


You can watch the event LIVE here. http://aapmaharashtra.org/LiveTV

Yogendra Yadav, Chief Spokesperson and National Executive member of AAP will be addressing IIFL Global Investors Conference in Mumbai on "The phenomenon of AAP" on 19th February 2014 from 9:45 am onwards.


You can watch the event LIVE here. http://aapmaharashtra.org/LiveTV

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Ak Pankaj was tagged in Young India Movement's photo.

Like ·  · Share · 84626 · 5 hours ago ·

Himanshu Kumar

मुज़फ्फर नगर में दंगे भड़काने के लिए कवाल गाँव में हुए सड़क पर झगड़े को बहाना बनाया गया .


और उसे लड़की के साथ छेड़खानी में बदल कर प्रचार किया गया .


मैंने घटना स्थल पर जाकर और कानूनी कागज़ात के आधार पर सच्चाई सामने लाने वाला एक लेख लिखा .


उस लेख को हमारे दोस्त अफरोज आलम साहिल ने अपनी वेब साईट पर डाल दिया .


आज शाम से उनके पास क्राइम ब्रांच से फोन आ रहे हैं कि वे इस लेख को हटा ले नहीं तो उनके खिलाफ कार्यवाही करी जायेगी .


यूपी में मोदी राज आ गया क्या ?

  • Kanupriya Goel मोदी के दस सर हैं, जिनमे एक सर मुलायम का भी है और ध्यान से देखेंगे तो कई जाने पहचाने चेहरे नज़र आयेंगे।

Vidya Bhushan Rawat

This country has paid a heavy price with Congress's elite secularists who meaning of secularism is not beyond the chamchagiri of the first family of the party and their intellect fails in doing so. It is because of such people the real secular heroes of India were attempted to be coopted by the fascist right wingers. Prof Chaman Lal Jnu is one of the most respect authority on Bhagat Singh and his work. He has been tirelessly doing his best to promote the ideas of Bhagat Singh. Who can be a better secular and democrat than Bhagat Singh but Iyer brahmin from Tamilnadu Mani Shankar's secularism does not go beyond Gandhi and Nehru. In fact such brahmanical fads are good for nothing as their misinterpretations and misrepresentations only help the opponent. Iyer's chaiwallah remarks are already helping Modi and it is disgusting and disturbing to see that the book on Bhagat Singh gifted to Iyer by Prof Chaman Lal was found at kabadi bazaar of Delhi. Iyer, a 'voracious' reader found nothing in the book as respectable to be part of his library. Surely, his library has brahmanical secular and hailing from Tamilnadu, Iyer will never speak of Periyar, Ayyankali and Ayothidass and their struggle. Shame on such crooked minds who are distorted secular values in India to suit their brahmanical hegemony. Congress party has paid a heavy price due to such farcical secularism and that is why it is neither able to challenge Hindutva, nor able to project itself a truly secular organisations. If secularism is meant to maintain brahmanical hegemony then we must expose these farcical ideologues pretending to be secular. Mani Shankar's brahmanical secularism need to be thrown into the dustbin and he only deserve those chamchas whose value system does not move beyond the hegemonic Gandhism. Our solidarity with Prof Chaman Lal and salute to his unending spirit to work for the masses.

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Economic and Political Weekly

With the Lok Sabha elections just weeks away, the priority of all left-wing and anti-communal activists should be to ensure the defeat of Modi and the Bharatiya Janata Party (BJP). Regardless of whether or not we characterise Modi's politics as fascist and see the coming election as containing the very real threat of fascism at the Centre, it is undeniable that fundamental rights and the rule of law will be fatally undermined if he comes to power.


http://www.epw.in/web-exclusives/2014-elections-secular-united-front-and-aam-aadmi-party.html

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Nityanand Gayen

'पूंजीवाद' ईमानदार कब हुआ ?

Like ·  · Share · 4 hours ago near Hyderabad ·


Status Update

By Nityanand Gayen

चाह नहीं मैं सुरबाला के

गहनों में गूँथा जाऊँ,.........

.............................

मुझे तोड़ लेना वनमाली!

उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

जिस पथ जावें वीर अनेक।


-माखनलाल चतुर्वेदी,

-----------------------------------------

वह भी एक दौर था जब ऐसी कविताएँ लिखी जाती थीं , गीत लिखे जाते थे " हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकाल के , इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के " पर अब बच्चे बड़े होकर नेता , मंत्री , आई ए एस , आइ .पी .एस . उद्योगपति , डान ........आदि -आदि बन गये हैं . अब हमने के एफ सी और पिज़ा हट में जाकर पिज़ा खाना सीख लिया है . नेताओं ने देश सहित विश्व इतिहास तक बदल दिया चुनावी भाषणों में . फिल्मों में मुन्नी , शीला पौआ चढ़ा के झंडू बाम लगा रही हैं .....उद्योगपति ओं का विरोध करने वाले कह रहे हैं ..आई डोंट हेट पूंजीवाद , क्यों कि उन्हें पता चल गया बिन पूंजी सुदामा को अब कोई नही पूजता . उधर 'लोकतंत्र का मंदिर ' जहाँ रोज उपद्रव मचता है ..कल मंदिर के सभी द्वार बंद कर पुजारियों ने सारा प्रसाद खा लिया ....

तो अब कौन लिखे ऐसी देशभक्ति की कविताएँ ? :)

Satya Narayan

'आप' इतना झूठ क्यों बोलते हैं

'ईमानदारी' और 'शुचिता' के पर्याय बनना चाह रही केजरीवाल एण्ड कम्पनी ने पिछले कुछ दिनों में जमकर झूठ बोला। उनके कुछ झूठ यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ। यद्यपि कई न्युज चैनल भी इन पर चर्चा कर रहे हैं पर उन्होने कुछ झूठ जानबुझकर छूपा भी दिये।

1. विनोद बिन्नी केस – 24 दिसम्बर की रात विनोद बिन्नी के घर केजरीवाल व कुमार विश्वास उसे मनाने पहूँचे। प्रेस के सामने केजरीवाल ने बयान दिया कि विनोद बिन्नी् व उसके बीच कोई मतभेद नहीं है व बिन्नी ने किसी मंत्री पद की मांग नहीं की। (लिंक http://indiatoday.intoday.in/story/aap-vinod-binny-rules-out-any-rift-for-not-getting-cabinet-seat-kejriwal/1/332800.html )

उसके बाद केजरीवाल व बिन्नी के बीच के रिश्ते बिगड़े। 15 जनवरी को केजरीवाल ने बोला कि बिन्नी पहले तो मंत्री पद मांग रहा था व अब लोक सभा सीट मांग रहा है। (http://articles.economictimes.indiatimes.com/2014-01-15/news/46224453_1_aam-aadmi-party-aap-mla-arvind-kejriwal )

इससे स्पष्ट है कि या तो केजरीवाल पहले झूठ बोल रहे थे या बाद में। अब कौनसी बार, ये तो वही बता सकते हैं।

2. सोमनाथ भारती द्वारा अफ्रीकन महिलाओं से किए गये दुर्व्यवहार के बाद केजरीवाल ने कहा कि उन्हे युगांडा राजदूत ऑफिस से एक पत्र मिला था जिसमें उन्होने अफ्रीकन महिलाओं के वेश्यावृति में जबरन भेजे जाने की रिपॉर्ट की थी व दिल्ली सरकार से सहायता मांगी (http://blogs.reuters.com/india/2014/01/31/interview-part-1-allow-us-to-make-mistakes-allow-us-to-learn-arvind-kejriwal/ ) बाद में विदेश मंत्रालय ने बताया कि ये पत्र जून 2013 का है व सिर्फ एक विशेष महिला के बारे में है। साथ ही युगांडा के राजदूत ऑफिस ने मना किया कि उनका कोई अधिकारी दिल्ली सरकार के किसी व्यक्ति से इस सिलसिले में मिला (http://www.dnaindia.com/india/report-mea-rebuts-arvind-kejriwal-s-claim-on-ugandan-official-meeting-somnath-bharti-1954381 )

3. ठेका प्रथा के उन्मुलन के बारे में भी केजरीवाल सरकार ने लोगों को जमकर धोखा दिया। अपने मेनिफेस्टो में इन्होने वायदा किया था कि वो ठेका मज़ूदरों को स्थायी करेंगे। (http://www.aamaadmiparty.org/Manifesto-for-Delhi )। सत्‍ता में आने के बाद इन्होने जर्बदस्त पलटी खायी। प्रदर्शन कर रहे अस्थायी शिक्षकों को इन्होने नौकरी से निकालने की धमकी दी । (http://www.tribuneindia.com/2014/20140130/delhi.htm )6 फरवरी को दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन कर रहे हजारों ठेका मज़दूरों को इन्होने कहा कि वो उन्हे स्थायी नहीं कर सकते क्यों कि उन्हे ठेकेदारों व पूँजीपतियों के हितों को भी देखना है। (http://www.workerscharter.in/archives/938)

4. शाजिया इल्मी ने 'ट्रांसपैरेंसी इण्टरनेशनल' की एक रिपॉर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछले 49 दिनों में दिल्ली् में भ्रष्टाचार कम हुआ है। केजरीवाल भी इस आशय की बात कई मंचो से बोल चुके हैं। बाद में 'ट्रांसपैरेंसी इण्टरनेशनल' के अधिकारियों ने कहा कि उन्हो ने ऐसा कोई सर्वे किया ही नहीं है। इसके बाद 'आप' ने माफी मांगी। (http://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/transparency-international-rubbishes-aaps-claims-of-lesser-corruption-in-delhi-shazia-ilmi-defends-stance/articleshow/30610915.cms)

5. जनलोकपाल बिल से सम्बधित एक बड़ा झुठ भी केजरीवाल ने बोला। उन्होने कहा कि जनलोकपाल बिल पर चार विशेषज्ञों की राय ली गयी है। बाद में चार में से 2 विशेषज्ञों ने कहा कि उन्होने ऐसी कोई राय नहीं दी है। (http://indianexpress.com/article/india/politics/2-of-4-experts-he-quotes-say-aap-never-asked-us-about-jan-lokpal/) इसके अलावा 'आप' ने दावा किया कि उन्होने बिल के ऊपर कानुनी राय सोली सोराबजी से भी ली है और उन्होने कहा है कि इस बिल को पास होने से अगर केन्द्र सरकार रोकती है तो वो गैरकानुनी है पर बाद में सोली सोराबजी ने कहा कि उन्होने जनलोकपाल के संदर्भ में ये बात नहीं कही बल्कि उन्हो ने एक सामान्य नियम के तौर पर ये बात कही कि अगर ऐसा कोई प्रोवीजन संविधान में है तो उसे कोर्ट में चैलेन्ज‍ किया जा सकता है। (http://www.ummid.com/news/2014/February/08.02.2014/soli-sorabji-on-lokpal.html)( http://articles.economictimes.indiatimes.com/2014-02-15/news/47358987_1_lt-governor-najeeb-jung-business-rules-aap-government )

6. 29 जनवरी को टाटा पॉवर ने एक चिट्ठी लिखकर केजरीवाल सरकार को बताया कि वो 1 अप्रैल से बिजली के दाम बढाने वाले हैं पर केजरीवाल ने इस बात को दिल्ली की जनता से अब तक छुपा कर रखा। (http://zeenews.india.com/videos/why-did-kejriwal-hide-tata-power-s-letter-demanding-hike-in-electricity-prices_27921.html)

7. इसके अलावा भी कई झूठ केजरीवाल ने बोले जिनकी लिस्ट जल्द ही मैं इसी पोस्ट में अपड़ेट करूंगा।


Rajiv Nayan Bahuguna shared his photo.

फिर फिर लौटती ठण्ड से न घबराएं . अच्छी बारिश और बर्फ़बारी से नदियाँ अखंड सौभाग्य वती होंगी


Jagadishwar Chaturvedi

मुझसे एक मित्र ने पूछा कि सन् 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद आप किसको प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं ?मैंने कहा राहुल गांधी को ! पूछा दूसरे नम्बर पर किसको मैंने कहा सीताराम येचुरी को !

  • Uma Jhunjhunwala और Vinayak Kale Ji, सर ने अगर मोदी का नाम लिया होता तो पद्मश्री इनके नाम पर बन सकती थी, पर सर तो नमो का नाम miss कर गए। इसलिए पद्मश्री का chance ख़त्म....

  • Ashok Bansal 1-1 saal ke liye dono ko bana do bhai

  • 47 minutes ago · Like · 1

  • VidyaNand Thakur पहले नम्बर पे सीताराम येचुरी

  • Rakesh Kumar सोमनाथ चैटर्जी क्यों नहीं?

Navbharat Times Online

दिल्ली में गैस की कीमतों पर मुकेश अंबानी के खिलाफ FIR दर्ज कराने वाली वाली आम आदमी पार्टी को अंबानी से चंदा लेने में परहेज नहीं है...


पढ़िए, क्या है खबर...http://nbt.in/-if9jY

Mohan Shrotriya

दो महीने पहले बनी किस राज्य सरकार ने तीर मार लिए हैं कि मीडिया के सारे सवाल ‪#‎आप‬ से हैं? बाक़ी सरकारों से भी उपलब्धियां पूछी तो जानी ही चाहिए ! सारे आरोप भी #आप पर ही हैं ! #आप के ‪#‎झूठ‬ पकड़े जा रहे हैं ! ‪#‎साहेब‬ से कोई नहीं पूछता कि रैलियों पर अनाप-शनाप खर्च होने वाला पैसा किस खज़ाने से आ रहा है ! कोई यह भी नहीं पूछ रहा कि लगातार एक जगह से उड़कर दूसरी जगह रैलियां करने वाले #साहेब की सरकार कौन चला रहा है !


कांग्रेस-भाजपा-मीडिया - तीनों का साझा निशाना एक ही है ! #आप, और कौन?


हम मीडिया को न्योता देते हैं कि वह ‪#‎राजस्थान‬ की ओर भी नज़रें घुमाए ! यहां मुफ़्त दवा योजना खटाई में है, मेट्रो का भविष्य अनिश्चित है, और रिफ़ाइनरी लगभग रद्द !


कोई सुन रहा है क्या?

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  • Prem Mohan Lakhotia बावले नज़र में पहले आते हैं। यह बात अलग है कि यह बावला धूर्त सयाना होने के फेर में है। जहां तक बात इस प्रान्त की है, मैंने पहले ही जिज्ञासा की थी कि जब भाजपा के लोग घर घर जाएंगे "एक वोट एक नोट" की अधिकारपूर्ण 'अपील' के साथ, क्या वह सामान्य नागरिक की वैयक्तिक गोपनीयता का हनन नहीं होगा और जो उन्हें नहीं स्वीकार करता, उसकी खुली पहचान का हश्र क्या होगा? विकास के काम रोक कर विकास की दुंदुभी बजाना कहां तक विवेकसम्मत है?

  • about an hour ago · Like

  • Vishwambhar Vyas आप बात तो सही कह रहे हैं। अब दिक्‍कत यह है कि अपने ही शब्‍दों से ''आप'' ने इतने उंचे प्रतिमान गढ दिए हैं कि उनकी भी मुश्किल हो रही है। मैं स्‍वयं भारतीय राजनीति में इस विकास को गंभीरता से देख रहा हूं लेकिन फिर भी आप को सावधानी तो रखनी होगी, नहीं तो दोनो राष्‍ट्रीय पार्टियां और बाकी प्रान्‍तीय पार्टियां इनकी हुज्‍जत तो करेंगी ही। आज की स्‍थापित राजनीति में ''आप'' ही सबके दुश्‍मन हैं।

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  • Dheeraj Pachauri एकदम सही |

  • about an hour ago · Like

  • Rais Ahmad Siddiqui Aap का इतना शोर है कि कुछ सुनाई नहीं देता सर जी

  • 30 minutes ago · Like

Vidya Bhushan Rawat

How can those who do not pay electricity bills be given subsidies. You want to give subsidies to the corrupt middle classes but not to the poor which Yogendra Yadav says are inefficient. Kya gyan hai..

HC Halts Implementation of AAP Govt's Waiver on Power Bills

news.outlookindia.com

The Delhi High Court today directed the city government not to implement the 50 per cent subsidy announced by it to people who did not pay their power bills from October 2012 to December 2013.

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Navbharat Times Online

मोदी के लिए AAP ने रचा 'चक्रव्यूह'


लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसके पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए आम आदमी पार्टी ने खास रणनीति बनाई है। इसके तहत मोदी...http://nbt.in/RNQyVZ

Like ·  · Share · 1,931588102 · 3 hours ago ·

S.r. Darapuri

बात बड़ी सीधी है- अगर आप आआपा के साथ हैं तब आप पूंजीवाद,निजीकरण और नवउदारवाद के समर्थक हैं। तथाकथित प्रगतिशीलों के भोथरे बहानों से हमें बचाने के लिए शुक्रिया अरविन्द केजरीवाल!

Pyoli Swatija

बात बड़ी सीधी है- अगर आप आआपा के साथ हैं तब आप पूंजीवाद,निजीकरण और नवउदारवाद के समर्थक हैं। तथाकथित प्रगतिशीलों के भोथरे बहानों से हमें बचाने के लिए शुक्रिया अरविन्द केजरीवाल! http://m.ibnlive.com/news/politicians-shouldnt-become-a-roadblock-for-business-arvind-kejriwal/452584-7.html

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The Economic Times

Behind Narendra Modi's high-octane, highly visible election campaign hides a quiet but equally intense effort - his increasingly frequent interactions with a handpicked group of intellectuals, opinion-makers and policy experts.


Know how these top experts like Arvind Panagariya, Ravi Mantha are helping Narendra Modi fine-tune his 2014 poll strategy


Read more at: http://ow.ly/tLDJx

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Satya Narayan

तमाम स्वयंसेवी संगठन और गैर-सरकारी संगठन 'तीसरी दुनिया' के देशों में इसी प्रचार के लिए तैनात किये गये हैं कि पूँजीवाद का कोई विकल्प नहीं है; कि पूँजीवादी संसदीय लोकतन्त्र सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक व्यवस्था है, हालाँकि यह बहुसंख्यक जनता को अभी सिर्फ बदहाली और तबाही ही दे पा रही है; आप अधिक से अधिक यही कर सकते हैं कि मौजूदा पूँजीवादी लोकतन्त्र के दायरे के भीतर रहते हुए सुधार, पैबन्दसाज़ी, न्यायिक सक्रियता, नागरिक एडवोकेसी, और जनता की 'अपनी पहलकदमी' (यानी, सरकार को उसकी जि़म्मेदारियों से मुक्त करना!) जगाकर कुछ बेहतरी हासिल कर लें! आप यदि पूरी व्यवस्था के विरुद्ध किसी क्रान्तिकारी, रैडिकल आन्दोलन की बात करते हैं, जिसका रास्ता एक इंक़लाब के जरिये सत्ता शासक वर्गों के हाथ से छीनकर मेहनतकश जनता के हाथ में सौंपना हो, तो वे त्यौरियाँ चढ़ा लेते हैं! वे कहते हैं कि ऐसे प्रयास विफल हो चुके हैं और अगर सफल हुए भी तो उनका अन्त पूँजीवादी जनवाद से भी बुरी व्यवस्था में हुआ है-यानी, सर्वसत्तावाद!

http://ahwanmag.com/archives/561

विकल्प की राह खोजते लोग और नये विकल्प की समस्याएँ

ahwanmag.com

दुनिया को स्पष्ट शब्दों में स्पष्ट विकल्प की ज़रूरत है, जो कि दिया जा सकता है और सम्भव है, बशर्ते कि दुनिया भर में क्रान्तिकारी शक्तियाँ अन्दर और बाहर, दोनों ओर से सामने आ रही चुनौतियों का सही तरीक...

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  • 2 people like this.

  • Tej Singh i agree with u but kya sarvhara ko ye pata bhi h ki koi usey stta saunpne ki baat kar raha h?redical movment kab unki bastiyon ka rukh karega???

  • 50 minutes ago · Like

Koushik Roy watching A River Called Titas

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Arvind Kejriwal

We challenge the BJP to make its stand clear on the Central government's decision to keep the Delhi assembly in a suspended animation. After it joined hands with the Congress to vote against the Janlokpal bill in the Delhi assembly on Friday, BJP has been trying to mislead the people and is diverting attention from the real issue of allowing the people of Delhi to have an elected government in the national capital. Have raised some direct questions to the BJP. Read more below.


http://www.aamaadmiparty.org/news/bjp-should-clear-its-stand-on-delhi-assembly-in-suspended-animation

BJP should clear its stand on Delhi Assembly in suspended animation

aamaadmiparty.org

The Aam Aadmi Party challenges the BJP to make its stand clear on the Central government's decision to keep the Delhi assembly in a suspended animation....

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Teesta Setalvad

Sports fans are stunned by the exposures of corruption in the Indian Premier League (IPL) cricket matches. The Justice Mukul Mugdal Committee to probe the IPL corruption has submitted its findings to the apex court after sifting all the evidence available including many taped conversations between betting bookies. Briefly, their findings are that there was systematic match fixing in which BCCI officials, celebrity owners of teams and top cricket players are suspected of invol...See More

The Statesman: The IPL scam and 2014!

thestatesman.net

Rajinder Puri Sports fans are stunned by the exposures of corruption in the Indian Premier League (IPL) cricket matches. The Justice Mukul Mugdal Committee to probe...

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Ranjit Ludhianwi shared ALL INDIA TRINAMOOL CONGRESS (OFFICIAL)'s photo.

India will change if Mamata Banerjee is at its helm: Anna Hazare


After an hour-long dinner meeting with West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee in the natio...See More

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am Aadmi Party

AAP believes in capitalism and equal opportunities for all. We also think that we should simplify the system of Governance, which will lead to decrease in corruption and less dealing with the bureaucracy.


We are here to build a business friendly environment, one that encourages entrepreneurship and growth of Small and Medium Enterprises.

Unlike ·  · Share · 2,610221345 · 49 minutes ago ·

Himanshu Kumar shared a link.

Soni Sori says torture in Chhattisgarh jails forced her to join AAP : Delhi, News - India Today

indiatoday.intoday.in

She never thought of joining politics. But 38-year-old Soni Sori, brutally tortured by police in Chhattisgarh for her alleged links with Maoists, has joined the Aam Aadmi Party (AAP) in her desperate bid to change the...

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  • Pankaj Chaturvedi for another torture with CIA remote but realty is she has paid fee to prashant bhushan

  • 17 minutes ago · Edited · Like

  • Arup Chakraborty we want that bastard Ankit Garg to fight as a joint candidate of INC & BJP in Bastar MP seat. We the common people of India wants to teach him a proper lesson in a "Parliamentary manner".

  • 16 minutes ago · Like

  • Vivekanand Tripathi छत्तीसगढ़ में एक ऐसी सरकार आनी चाहिए जो पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग व मुख्यमंत्री रमनसिंह को सिखा सके कि लोकतंत्र का मतलब क्या होता है, यह भी सिखा सके कि अत्याचारों, मानवाधिकार उल्लंघनों का मतलब क्या होता है ?

  • 12 minutes ago · Like

Arvind Kejriwal

Aam Aadmi Party's economic policy can be defined as: Honest Governance, which encourages free and honest enterprise. Its the industry that can create the jobs, not the government. People would do the business. The government has no business to be in business. Government's job is to provide the infrastructure, security, justice, safety and corruption-free governance. The present policies and inspection-raj style do not let people do trade or business in peace. We are against buying of national resources at a low price only to make a huge profit by reselling it in a few days. That is not business, its a loot of the country's resources. We have to encourage honest business in our country and remove all entry-barriers towards it.

Arvind Kejriwal's speech at Confederation of Indian Industry

youtube.com

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Brijesh Yadav shared इंडिया फर्स्ट's photo.

देश के सबसे ग़रीब आम लोग धरने के दौरान पाँच सितारा होटल मे खाना खाते हुए...टोटल बिल थे 5300 ...और टिप दी गयी 700 ...क्यूँ की ये तस्वीर खींचनेवाला ही टिप लेनेवाला था...बाकी मीडिया मे क्या बताया ये मुझे पता नही

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S.r. Darapuri shared Rakesh Kumar's photo.

"राजकीय सत्ता जीतो! राजकीय सत्ता सभी समस्यायों की चाबी है. राजकीय सत्ता का इस्तेमाल समाज की उन्नति के लिए किया जाना चाहिए ." - डॉ.आंबेडकर.


परन्तु अधिकतर दलित नेता राजकीय सत्ता का इस्तेमाल समाज की तरक्की के लिए नहीं बल्कि अपना विकास क्ररने के लिए ही करते हैं. अतः दलितों को ऐसे नेतायों को पहचानना चाहिए और केवल समाज का उत्थान करने वाले नेताओं को ही वोट देना चाहिए. अगला चुनाव आप के और देश के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूरण है. इस में अपना वोट सही लोगों को ही दें. जाति और धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले नेताओं और पार्टियों से विशेष तौर पर सावधान रहने की ज़रुरत है क्योंकि इन के नाम पर आप का भावनात्मक शोषण होता है और आप के सही मुद्दे पीछे छूट जाते हैं. हाल की जाति और धर्म की राजनीति इस का सब से ताज़ा उदाहरण है.

SABHI SATHIYON KO GOOD MORNING.

JAY BHEEM NAMO BUDDHAYE. HAVE A NICE DAY.

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24 Ghanta

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় LIVE


আমরা ১৭টি বিষয়ের মধ্যে দু'তিনটি বিষয় নিয়ে কাল আলোচনা করেছি


'জমি অধিগ্রহণ আইন করার দাবি মমতার'...See More

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The Economic Times

Supreme Court commutes death sentence awarded to Rajiv Gandhi's killers to life on the ground of inordinate delay in deciding their mercy pleas. In this case, the president took 11 years to decide their mercy pleas. http://ow.ly/tJLek

Unlike ·  · Share · 4133946 · 21 hours ago ·

24 Ghanta

http://zeenews.india.com/bengali/nation/anna-mamata-joint-press-conference_20294.html

Like ·  · Share · 2987718 · 2 hours ago ·

Telangana Bill passed, experts say win-win situation for all as 'it will boost economic activity in both states'

In wake of Telangana Bill being passed, experts say there will not be any economic problem.


SBI Managing Director A Krishna Kumar said the objective of bifurcation of any state would be to enhance growth of both the regions.

"And we take this as an opportunity because of the fact that once these two states are created, there will be additional opportunity for banking and economic activity and growth," Kumar told reporters on the sidelines of inauguration of a branch today.

"It is difficult to put number. But, certainly the objective of such bifurcation is to enhance the growth and the economic well being of people of the two states," he said.

"It (creation of Telangana) is nothing new for State Bank of India. The bifurcation of states happened in Bihar, Madhya Pradesh and UP. We have our offices there and we continue to do business well (in those states)," he said.

However, he acknowledged that the agitation in Andhra Pradesh (pro and anti-Telangana) for the past few years has impacted the bank business in terms of collections and disbursals in the state.

Confederation of Indian Industry (CII) Andhra Pradesh said the passing of Andhra Pradesh Reorganisation Bill-2014 by the Lok Sabha brought clarity on the long pending issue, though a number of issues are yet to be settled.

B Ashok Reddy, Chairman CII AP and President –Global HR of Infotech Enterprises, however, noted that distribution of resources like water and power, amongst Telangana and Seemandhra, state government policies and tax benefits are some of the things which are yet to be decided.

"Another important part is Hyderabad being joint capital of both states for 10 years, post this period which city will be Seemandhra's capital may again become the bone of contention between the people of Rayalaseema d Andhra, which may impact the growth prospects of the new state in case that decision is not taken quickly," Reddy said.

Additionally, when the new state is formed, the distribution of different industries should be based on the availability of resources and talent. Creating quick social infrastructure should also be considered for an all inclusive growth," the CII felt.

Federation of Andhra Pradesh Chambers of Commerce and Industry (FAPCCI) said that with the political impasse on Telangana over, the industrial climate will improve and become stable.

"Now, the FAPCCI hopes that an excellent and good new industrial policy will be formed by the new governments in both the states and we will have a conducive climate for industrial growth," it said, adding that it would work in tandem with any government for mutual benefit.


Himanshu Kumar

कल गोपाल मेनन की डाक्यूमेंट्री 'किलिंग फील्ड्स आफ मुज़फ्फर नगर ' रिलीज़ करी गयी .


इस मौके पर तीस्ता सीतलवाड , शबनम हाशमी , ईश मिश्रा व बीसियों दोस्त मौजूद रहे .


फिल्म देख कर आप दुःख , क्रोध और आश्चर्य से भर जाएंगे .


फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह भाजपा के नेताओं ने एक फर्ज़ी मुद्दे पर मुज़फ्फर नगर में खापों की महापंचायत करी .


आप देख सकते हैं कि इसमें आने वाले लोग हिंदू एकता के नारे लगाते हुए आ रहे हैं . सभी के हाथों में नंगी तलवारें डंडे फरसे और पिस्तौल भी हैं .


इसके बाद मुसलमानों के जलते हुए घर , बस्तियां दिखाई देती हैं . बलात्कार पीड़ित महिलाओं के बयान हैं . मारे गए लोगों के परिवार जनों की आपबीती है .


दंगा भड़काने वाले नेताओं का मंच पर हिंदू वीरों की तरह सम्मान होते हुए भे आप इस फिल्म में देख सकते हैं .


आपको आश्चर्य होगा कि क्या इस तरह के दंगा भडकाने वाले भाजपाई लोग देश , इंसानियत और राजनीति की बात भी करने के लायक हो सकते हैं ?


ज़रूर देखिये . एक सप्ताह में इसे यू ट्यूब में डाल दिया जाएगा .

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Uday Prakash and 2 other friends shared a link.

This Video Testimony Of Soni Sori's Torture By The Police Will Send Shivers Down Your Spine!

youthkiawaaz.com

It is important that we keep her story alive. Hell, it's our duty as citizens of this country to keep it alive!

  • Uday Prakash via Himanshu Kumar
  • क्या यह देख कर कोई भी भारतीय नागरिक सामान्य रह सकेगा ? आखिर संविधान है किनके लिए ?

  • Like ·  · Share · 41 · about an hour ago ·

Anand Patwardhan

Dear all


Without diluting the criticism of the molestation that Tarun Tejpal confessed to, I have felt all along that there may be more to this story than met the eye. Above all I think it is cowardly in a democratic system to deny him a voice to represent his point of view even though it may be an unpopular thing to attempt at this moment in time.


I am reproducing a statement he issued from jail that has just been sent via his daughter Tiya.


Tarun Tejpal's Press Statement of 18.2.2014


"If conclusive proof was needed of the political vendetta that has been

unleashed against me, under the guise of a sexual molestation

investigation, it has been emphatically provided today. In a blatant

attempt at twisting and concealing the facts, the Goa police while

filing a 3000 page highly spurious charge sheet, has not presented or

handed over the most crucial piece of evidence in this case, the CCTV

footage of the incident


In my first and only press note of November 22nd 2013 I had urged,

"the police to obtain, examine and release the CCTV footage so that

the accurate version of events stands clearly revealed". I said this

at a time, from Delhi, when I had neither accessed nor seen the

footage. But since I was the man on the spot I knew the truth of what

had happened.


It is violative of due process, to not make all collected evidence

available to the accused at the time of filing the charge sheet. In

fact, receipt of the footage is what we have been impatiently waiting

for since the last three months. This duplicity is in keeping with the

sinister and motivated political vendetta that is being pursued.


I have been in jail since November 30th simply because the goa police,

clearly acting under the orders of their political bosses, have

refused to release this crucial footage of the relevant days, 7th and

8th November. This entire case hinges on the 130 and 45 seconds (as

per the charge sheet) of contested time which can be brought to light

via the CCTV footage. The goa police know their fabricated case will

collapse the moment the footage is revealed and compared with the

'testimony' of the alleged victim, on the basis of which the Goa

police filed it's FIR under draconian provisions.


As it were, I viewed the relevant footage of both days whilst being

'held' in police custody and the footage clearly validates me. The

fact is most of the officers in the crime branch know there is no

case, and have said as much to me. Even so the IO has been pursuing an

agenda spelt out for her by her political masters, totally violating

the principle of police neutrality.


I'm afraid what we are witnessing here is an early sign of the

inherent fascism of the right wing that will target its detractors in

the most sinister and underhand ways, using all the government

machinery at its disposal. This is a warning shot across the bows of

all liberals and opponents of communal politics. It's a crying shame

that a major party that is bidding to rule the great pluralism that is

India is imbued with no tolerance of dissenters and critics, of whom I

certainly am one."

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  • You, Nomad's Hermitage and 50 others like this.

  • 29 shares

  • Prashant Nilkund Would you say the same about the Asaram Bapu? His supporters say the same. "there may be more to this story than met the eye"

  • Yes, there is always.

  • 8 hours ago · Like · 4

  • Gulserene Dastur Prashant Nilkund: Well, I would certainly hope that anyone not intimately acquainted with any criminal case would be willing to admit that there may be more to a story than meets the eye. Otherwise what's the use of a judge, a jury or a courtroom?

  • 8 hours ago · Like · 1

  • Sachin Kabir Irrespective of his guilt or innocence, the cc tv clips should be immediately handed over to the lawyers of both sides.

  • 8 hours ago · Edited · Like · 10

  • Mohan Deep CCTV clippings have been handed over to him. Anand Patwardhan, the recent amendments in rape laws have turned a case of obvious sexual harassment and molestation into a rape case. This would apply to all similar cases. Will you support the accused who are not editors and important to you in your profession as a maker of documentaries?

  • 8 hours ago · Like · 2

  • Anand Patwardhan Clearly the CCTV footage has not been produced in court so far. Why? As for equating molestation with rape I think that is a dangerous law which came about as a knee jerk reaction to the Nirbhaya case. But until some judges argue it again, it will stay in the book. All the more reason, we should give every chance for the defense to make all its arguments with all the evidence at hand before rushing to conclusions.

  • 7 hours ago · Like · 9

  • Mohan Deep Anand, appreciate your stand. I understand that CCTV clippings are being given to him today, a journalist from Goa informed me. Hope he was sober  

  • By the way, have you ever expressed your reservation about the absence of gender neutral attitude when the laws are enacted?

  • 7 hours ago · Like · 1

  • Shobha SV Please read this:https://www.facebook.com/kavita.krishnan/posts/10202892962986657

  • Kavita Krishnan

  • My response to the campaign that claims Tejpal is the victim of a media trial:

  • I...See More

  • 5 hours ago · Like · 3

  • Amlan Dash I take Anand's views with mixed feelings. I've lots of respect for him, so when he has come out openly in defense, there must be some truth in it. But there's a catch here: Tarun is trying to use the anti-fascist mood in a bid to appeal to the liberals...See More

  • 5 hours ago · Like

  • Danny Anto appreciate you sir

  • 3 hours ago · Like

  • Suzanne Caplan Merwanji Have no idea what exactly happened but the hysteria by the media was absolutely disgusting......

  • 3 hours ago · Like

  • Sanjukta Basu I agree with you Anandji, truth often has many shades, whatever is the reality of this case, due process should be followed and yes, the accused should be given the right to defend himself.

  • 3 hours ago · Like

  • Vijay Hiremath Anand the cc tv footage has been given to him.... I really think it's not as simple case as Tarun Tejpal is trying to make out that BJP is trying to get him... He has admitted to the act and he knew the girl. It's not the case as if he landed in goa an...See More

  • 3 hours ago · Like · 1

  • Lara Jesani I completely agree with Vijay let's treat him like another accused of a grave crime, if he is indeed innocent let him prove it in court and until then his theories - which he is at an obvious advantage to float around, being a thinker and writer well a...See More

  • 3 hours ago · Like · 2

  • Shivam Vij http://scroll.in/.../tejpal-deserves-to-get-copy-of-cctv...

  • Tejpal deserves to get copy of CCTV footage, but we don't

  • scroll.in

  • Putting footage in public domain will compromise alleged victim's identity, lawyers point out.

  • about an hour ago · Like

  • Salil Tripathi Anand, I was going to post Shivam's piece from today, but he has already done so. And he makes a good point.

  • 33 minutes ago · Like

Satya Narayan

हमारे समय के दो पहलू


बुरा है हमारा यह समय

क्योंकि

हमारे समय के सबसे सच्चे युवा लोग

हताश हैं,

निरुपाय महसूस कर रहे हैं खुद को

सबसे बहादुर युवा लोग।

सबसे जिन्दादिल युवा लोगों के

चेहरे गुमसुम हैं

और

आँखें बुझी हुई।

एकदम चुप हैं

सबसे मजेदार किस्सागोई करने वाले

युवा लोग,

एकदम अनमने-से।

बुरा है हमारा यह समय

एक कठिन अॅंधेरे से

भरा हुआ,

खड़ा है

सौन्दर्य,नैसर्गिक, गति और जीवन की

तमाम मानवीय परिभाषाओं के खिलाफ़,

रंगों और रागों का निषेध करता हुआ।


अच्छा है हमारा यह समय

उर्वर है

क्योकि यह निर्णायक है

और इसने

एकदम खुली चुनौती दी है

हमारे समय के सबसे उम्दा युवा लोगों को,

उनकी उम्मीदों और सूझबूझ को,

बहादुरी और जिन्दादिली को,

स्वाभिमान और न्यायनिष्ठा, को।

''खोज लो फि़र से अपने लिए,

अपने लोगों के लिए

जिन्हें तुम बेइन्तहां प्यार करते हो,

और आने वाले समय के लिए

कोई नई रोशनी''

-अन्धकार उगलते हुए

इसने एकदम खुली चुनौती दी है

जीवित, उष्ण हृदय वाले युवा लोगों को।

कुछ नया रचने और आने वाले समय को

बेहतर बनाने के लिए

यह एक बेहतर समय है,

या शायद, इतिहास का एक दुर्लभ समय।

बेजोड़ है यह समय

जीवन-मरण का एक नया,

महाभीषण संघर्ष रचने की तैयारी के लिए,

अभूतपूर्व अनुकूल है

धारा के प्रतिकूल चलने के लिए।


सत्‍यव्रत

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·

Vidya Bhushan Rawat

अन्ना के ख़त का जवाब तो केजरी ने भी नहीं दिया और अन्ना की राजनैतिक पसंद को किरण ने ही ख़ारिज कर दिया है. तीनो अलग अलग रथ पे सवार हो रहे हैं। सबसे बुरी गति गुरु महाराज की हो रही है क्योंकि उनके अनशन की सवारी कर केजरी प्रधानमंत्री और किरण लोकपाल बनने के सपने देख रही है। शायद वर्त्तमान समाज में इसे ही गुरु दक्षिणा कहते हैं।

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Ashutosh Kumar

अब एक शीरीं खबर . शहीदे आज़म के पाकिस्तान स्थित गांव को एक आकर्षक विरासत -स्थली के रूप में विकसित करने का फैसला उनके गांव के लोगों और फैसलाबाद सरकार ने किया है . उनके पैतृक घर के साथ उनके स्कूल को भी इस तरह पुनर्निर्मित किया जाएगा कि उसकी पुरानी छवि भी बरकरार रहे . एक कमरे के स्कूल की दीवारें गिर गयीं है , लेकिन ब्लैक बोर्ड और कुछ पुरानी दीवारें बची हुईं है . शहीदे आज़म के लिए अपनी शदीद मुहब्बत के चलते उस गिरे हुए स्कूल में भी आज तक गांव वाले बच्चों की क्लास चलाते हैं . इन सब को पुराने रूप में पुनर्निर्मित किया जाएगा .हमारे साथ आने वाली पीढियां भी दुनिया के इस महान तीर्थ को अपनी आँखों से देख पायेंगी .कैसा रोमांच !

इधर भारत में एक भगतसिंह क्रांति सेना है , जो जीजान से इंडिया को मोदी-फाई करने का अभियान चला रही है . उस भगतसिंह के नाम पर जो नास्तिक होने के अलावा साम्प्रदायिकता और धार्मिक कट्टरता के सब से बड़े दुश्मन थे !

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  • You, Vidya Bhushan Rawat, Mohan Shrotriya, Kiran Tripathi and 92 otherslike this.

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  • View 10 more comments

  • Ashutosh Kumar आज अखबार hindu की खबर के मुताबिक़ फैसलाबाद सरकार का ही है .

  • 4 hours ago · Like

  • Faqir Jay आरएसएस वाले भगत सिंह को चाह कर भी appropiate नहीं कर पाएंगे .कहाँ बगुला भगत लोग कहाँ भगत सिंह .वे बेईमानो के सिरमौर हैं वरना उनको भगत सिंह का नाम अपनी कट्टर जुबान से लेने का कोई हक नहीं .मगर क्या करे वे उनके तरफ तो सिर्फ अंग्रेजो के चमचे हैं भगत सिंह जी जैसा तो इधर के खेमे में है ..

  • 3 hours ago · Like · 2

  • Rizvanul Haque Modi and company vote ke liye kisi ko bhi my bap bana sakte hain, unhen ab kisi fikr ya Idea se koi matlab nahin raha.

  • 2 hours ago · Like

  • Syed Shahroz Quamar Inqlaab Zindabad!

  • about an hour ago · Like

Counter Currents

As a foreigner when reading about Dalit history, I have marveled at the similarities between other disenfranchised ethnic groups such as mine; and that of Dr Ambedkar's . It became surprising to me, that the Dalit were not discussed as much as Black people were, especially since; for an ethnic group the Dalit had over 3 500 years of consistent subjugation in evidence

Caste Society: A Pan-Africanist View In A Technologically Advanced 21 st Century By Tsungai Chipato

countercurrents.org

As a foreigner when reading about Dalit history, I have marveled at the similarities between other disenfranchised ethnic groups such as mine; and that of Dr Ambedkar's . It became surprising to me, that the Dalit...

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The Economic Times

Senior Vishwa Hindu Parishad leader Ashok Singhal said 15,000 saints will participate in a campaign to marshal public support for Modi throughout the country during the general election. http://ow.ly/tMOvb

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S.r. Darapuri shared पर्दाफाश-Total Expose's photo.

यह है मोदी का घोटाला युक्त गुजरात!

http://www.dnaindia.com/ahmedabad/report-gujarat-high-court-order-plugs-rs2000-crore-mining-scam-in-gujarat-1962124


साहेब किसके लिए भ्रष्टाचार करेंगे? साहेब के...See More

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Economic and Political Weekly

Before you pick up the issue of EPW this week take a look at the cover and contents. The entire issue will be available online tomorrow.

Unlike ·  · Share · 13 · 2 minutes ago ·

Lalajee Nirmal

दलित महिला से मध्याह्न भोजन बनवाने वाले हेडमास्टर की तिवारी बंधुओ द्वारा दौड़ा दौड़ा कर पीटने का प्रकरण उत्तर प्रदेश की विधानसभा में चर्चा का विषय नही बन पा रहा है ,लगता है माननीयो के लिए यह कोई गंभीर मुद्दा नही है ,हो भी क्यों ,यह सब तो सैकड़ो वर्षो से चल रहा है ,यह कोई नई घटना थोड़े ही है | कहने को तो हम दुनिया के महान लोक तंत्र है किन्तु सच तो यह है कि हम दुनिया के महानतम ढोंगी हैं और हम कभी भी एक सच्चे भारतीय नही बन पाए |लोक सभा भी आरक्षण का बिल पारित किये बिना स्थगित हो रही है | प्रोन्नति में आरक्षण समाप्त होने से कोई दलित विभागाध्यक्ष की कुर्सी पर नही पहुच पायेगा तो न पहुचे, उन्हें क्या फर्क पड़ता है | तीसरा मोर्चा सलामत रहे |

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  • You, Anita Bharti, Sanjay Kumar, Shatabdi Damodar and 26 others like this.

  • 2 shares

  • Suman Shakya इस देश में ~~ मूलनिवासियों का शासन कभी नहीं आयेगा ~~ और न ही ब्राह्मणवाद कभी ख़त्म होगा..! क्योंकि हम मूलनिवासी बकवास ज्यादा...काम कम करते हैं..ब्राह्मण सत्ता के लिए संघर्ष करता है..सत्ता पाने के लिए तरह-तरह का ढोंग करता है..सत्ता पर ही ध्यान केंद्रित र...See More

  • about an hour ago · Like · 2

  • Lalajee Nirmal सुमन जी धन बल की राजनीती से बहुजन राजनीती को बचना होगा |बसपा पहली बार जब सत्ता में आई थी तो जन बल के अलावा क्या था उनके पास |मुख्य धारा के दल तो यही चाहते है की चुनाव को इतना खर्चीला कर दो कि बहुजन उसे छू भी न पाए |अगर हम ईमानदारी से ८५% बहुजनो की राजनीती करे तो सत्ता के बंद दरवाजे खुलने ही खुलने है |

  • 53 minutes ago · Like · 2

  • Om Narain Shresth वो ब्राहमण हैं तो हम श्रेष्ठ हैं..

  • वो जबरदस्ती ही अपने को ऊंचा साबित करते आए हैं जबकि उनके कार्य बहुत ही शर्मनाक रहे हैं..

  • जय मूलनिवासी श्रेष्ठ समाज

  • 32 minutes ago · Like · 1

  • Guddu Yadav निंदनीय कृत्य !

  • 19 minutes ago · Like


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