Wednesday, January 22, 2014

जायनवादी वैश्विक अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीरें और गरीबों के सफाये में भारत पर निशाना दुनिया में अमीर और गरीब के बीच का फासला इस कदर बढ़ा है कि दुनिया की आधी आबादी के पास जितनी संपत्ति है उतनी संपत्ति दुनियाभर के केवल 85 धनी व्यक्तियों के पास है। Elec


जायनवादी वैश्विक अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीरें और गरीबों के सफाये में भारत पर निशाना


दुनिया में अमीर और गरीब के बीच का फासला इस कदर बढ़ा है कि दुनिया की आधी आबादी के पास जितनी संपत्ति है उतनी संपत्ति दुनियाभर के केवल 85 धनी व्यक्तियों के पास है।

Election results could impact growth prospects, says Moody's


पलाश विश्वास


The Economic Times

4 hours ago

Hole in the employees' pension scheme rises to Rs 62,000 crore

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चुनाव सर्वेक्षण की दुकानें महकने लगी हैं।जनादेश निर्माण की वैज्ञानिक पद्धति में मीडिया वर्चस्व का अनिवार्य अंग।अब ममता बनर्जी,मायावती और जयललिता के त्रिकोण को भारत का भविष्य बताया जा रहा है।


ममता बनर्जी और मायावती अपने अपने तरीके से प्रधानमंत्रित्व की प्रबल दावेदार हैं।खास बात है कि निर्णायक गायपट्टी में काबिज पुरुष वर्चस्व को ये दोनों विकल्प मंजूर नहीं है।


इसी से सीख लेकर संघ परिवार ने लगभग निर्विवाद स्वच्छ छवि की सुषमा स्वराज को प्रधानमंत्रित्व का दावेदार बनाने से साफ इंकार कर दिया और महिला के बजाय ओबीसी पांसा फेंका है।


अब आधिकारिक तौर पर जयललिता ने भारतीय राजनीति में आर्य वर्चस्व और नरसिंह राव व देवे गौड़ा के अपवादों को छोड़कर उत्तर भारत के वर्चस्व के मद्देनजर प्रधानमंत्रित्व पर जयललिता की सुदूर दक्षिणात्य से यह दावेदारी अंततः भारत में पुरुषतंत्र पर कारगर आघात होगा,हम ऐसी उम्मीद कर भी सकते हैं।जैसे कि टीवी पर अवतरित होकर वरिष्ट पत्रकार प्रभु चावला ने कह दिया कि भारत का प्रधानमंत्री कौन होगा ,यह ये तीनों महिलाएं तय करेंगी।तीनों मिलकर सौ सीटें भी हासिल कर लें तो एकजुट होकर तीनों बहुत कुछ कर सकती हैं।सहमत।


टीवी खबरों की माने तो जयललिता के प्रधानमंत्रित्व को ममतादीदी और मायावती का समरथन भी बताया जाता है।


तीनों महिलाओं ने समय समय पर भारतीय राजनीति और संसद के अलावा अपने अपने राज्य में लगातार घमासान किया हुआ है।


वे तीनों एकजुट हो जायें,देश की गुलाम आधी आबादी के लिए इस अबाध नरसंहार काल में बचाव का सबसे खुला राजमार्ग हो सकता है।


लेकिन तीनों की व्यक्तिवादी राजनीति,तीनों की उत्कट महत्वाकांक्षाएं और तीवनों के तानाशाह तौर तरीके से फिलहाल यह असंभव है।लेकिन टीवी सर्वेक्षणों और पैनलों के डिस्कसन से लगता है कि कारपोरेट राज का ताजातरीन लोकलुभावन विकल्प यह भी है।


26 जनवरी के राष्ट्रवादी महोत्सव से पहले संवैधानिक संकट जैसा पैदा करते हुए अरविंद केजरीवाल की अराजकता का जो महाविस्फोट हो गया,उसके मद्देनजर कारपोरेट मीडिया का तेवर भी बदला है।आप को आसमान पर चढ़ाने वाले लोग अब आप के विरोध में हैं।


इसी बीच वैश्विक जायनवादी अर्थव्यवस्था के शीर्ष संस्थान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष,रेटिंग संस्थाओं ने अगले चुनाव परिणामों के मद्देनजर तरह तरह की शंकाएं भी डाल रखी है।विकास दर के शीर्षासन से,सेनसेक्स की उछल कूद और विदेशी विनिवेशकों की कठपुतलियों के जरिये जनादेश साधने का प्रयास चल रहा है तो तकनीक ईश्वर बिल गेट्स ने मुक्त बाजार की अब तक की सबसे गुलाबी तस्वीर पेश कर दी है कि 2035 तक दुनिया में गरीबी का सफाया हो जायेगा।


जबकि तथ्य यह है कि दुनिया में अमीर और गरीब के बीच का फासला इस कदर बढ़ा है कि दुनिया की आधी आबादी के पास जितनी संपत्ति है उतनी संपत्ति दुनियाभर के केवल 85 धनी व्यक्तियों के पास है।


भुखमरी विशेषज्ञ और राथचाइल्ड्स घराने के दामाद के जयपुर अवतार से साहित्य,कला विधाओं और माध्यमों मे राथचाइल्ड्स छाया का विस्तार भी होने लगा है।इसी छाया मध्य छनछनाती विकास रोशनी के जरिये अगले इक्कीस लाल में दुनियाभर में गरीबी हटाने की यह युद्धगोषमा मुक्त बाजार का अबतक का सबसे बड़ा दांव है और मुझे कोई शक नहीं है कि गरीबों के खात्मे का सबसे बड़ा निशाना भारत ही है।


आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक शतरंज की जो बिसात बिछायी गयी है,वह अब तक की सबसे भयंकर पहेली है,जो किसी विषकन्या से कम आकर्षक नहीं है और देवमंडल के सारे आयुधों से उस विषकन्या को तिलोत्तमा बनाने की कवायद हो रही है।


कल दिनभर प्रतिरोध के सिनेमा के तहत बेदखली और विस्थापन के यथार्थ से मुठबेड़ होती रही।यादवपुर विश्वविद्यालय कैंपस में त्रिगुणासेन आडिटोरियम में साउथसिटी माल में बेदखली और बेदखली के खिलाफ लड़ रहे उषा मार्टिन श्रमिक शंभुनाथ सिंह की अथक लड़ाई और रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत पर 2011 में बनी रानू घोष निर्देशित फिल्म क्वार्टर नंबर 4/11,जिसमें अपनी मौत से पहले की पूरी भूमिका बेदखली विरोधी योद्धा शंभुनाथ सिंह ने निभायी है ,के बाद दर्शकासन से आडोटोरियम और निर्देशक को संबोधित करते हुए मेंने इस फिल्म को मुक्त बाजार भारत का सर्वव्यापी  प्रतिबिंब बताते हुए करमुक्त भारत और भावी फ्रधानमंत्री के एजंडे के विमर्श को शहरों और देहात में सर्वत्र जमीन लूटो के नये अशनिसंकेत बतौर चिन्हित किया।


आज सुबह हमारे विद्वान मित्र आनंद तेलतुंबड़े से बात हुई लंबी।हम दोनों इस मुद्दे पर सहमत हैं और सांस्कृतिक क्षेत्र में अर्थसास्त्र की दखलंदाजी से हम दोनों समान रुप से आशंकित हैं। ईपीडब्लू में अपने कालम में आनंद ने आप पर लिखा भी है।हमारी अति प्रिय लेखिका अरुंधति राय की मां भी अब आप में शामिल हैं।


देशभर के जनसरोकार के लोग जिस तेजी से आप से जुड़ रहे हैं,उससे कारपोरेट राज भी हिल गया है और इसकी अराजकता के महाविस्फोट से मुक्त बाजार के एजंडे के तहत उसकी आगामी भूमिका पर सवालिया निशान लग गये हैं।प्रथम वरीयता से खिसक गया है आप और महिला सशक्तीकरण को जनादेश का नया विकल्प बतौर पेश किया जा रहा है।


विदेशी निवेशकों की लक्ष्मी सुलभ चंचल मति के मद्देनजर कारपोरेट विकल्प के जनादेश में ताबड़तोड़ बदलाव हो सकते हैं।आप के जरिये सामाजिक शक्तियों की जो गोलबंदी हो रही है,उसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।


इस वर्ग से हमें निरंतर संवाद करने की जरुरत है और इस बदलाव को हमें अस्मिताओं के चश्मे से देखने यानी सीधे उन्हें अंबेडकर या आरक्षणविरोधी बता देने के विकल्प से बचना चाहिए।


बहुत संभव है कि बाकी विकल्पों की अराजकता के मद्देनजर फिर वरीयता पर सर्वोच्च हो जाये नमोमय भारत।तो उस दशा में नरसंहार के अगले अध्याय के मुकाबले सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी ही हमारे सबसे काम की चीज होंगी और तेलतुंबड़े और मेरा मानना है कि हमें दुसाध जी की तरह अरविंद केजरीवाल को कवई मछली तक बता देने के फतवे से बचना चाहिए।


नमोमय भारत का परिदृश्य बना तो उसके मुकाबले हमें हो सकता है कि फिर इसी अरविंद केजरीवाल की अपने मोर्चे पर सबसे ज्यादा जरुरत होगी,जो अपनी अराजकता से कभी भी सत्ता से बाहर किये जा सकते हैं।उनके साथ जुड़ती सामाजिक शक्तियों और अपने पुराने साथियों,मित्रों पर हमलावर रुख अपनाकर हम लोग कारपोरेट राज को ही उनका अपना विकल्प चुन लेने में मदद कर सकते हैं और वह विकल्प नरेंद्र मोदी भी हो सकते हैं।राहुल गांधी नहीं।


कल ही हमने हारकर दिलीप मंडल के रवैये पर लिखा।लिखा पोस्ट करने के बाद फिर फेसबुक पर उनका मंतव्य आया कि संविधान और आरक्षण के कारण सुधारों की वजह से बहुजन मध्यवर्ग का उत्थान हुआ है और इसे रोकने के लिए ही आप का उत्थान है।यह अति सरलीकरण है।


बहुजन मध्यवर्ग का बहुजन हित से कोई लेना देना नहीं है । होता तो भारत में अब तक समता और सामाजिक न्याय का लक्ष्य हासिल हो गया होता।दरअसल यह बहुजन मध्यवर्ग ही नरमेध अभियान की सबसे बड़ी पैदल सेना है।चंद्रभान प्रसाद और दिलीप मंडल जैसे लोग इसी पैदल सेना के सिपाहसालार हैं।


गौरतलब है कि बिल गेट्स ने कहा है कि आने वाले कुछ सालों के बाद दुनिया में कोई भी देश गरीब देश की श्रेणी में नहीं रहेगा। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक और दुनिया के सबसे धनी लोगों में शुमार बिल गेट्स का दावा है कि 2035 तक कोई गरीब देश नहीं होगा। बिल गेट्स का कहना है कि धनी देश जिन तकनीक और सुविधाओं का इजाद कर रहे हैं, उसका लाभ इन गरीब देशों को भी मिलेगा और ऐसा होने पर ये देश इससे उबर जाएंगे.।


बिल गेट्स ने हाल ही में बिल एवं मिलिन्डा गेट्स फाउंडेशन के वार्षिक पत्र में कहा कि मैं अनुमान लगा रहा हूं कि 2035 तक दुनिया में लगभग कोई भी देश गरीब नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि लगभग सभी देश उस स्थिति में होंगे, जिसे हम अभी धनी देश कहते हैं। देशों को अपने सबसे ज्यादा उत्पादक पड़ोसी देशों से सीखने को मिलेगा और वे नए टीका, अच्छे बीज और डिजिटल क्रांति जैसी खोजों से लाभान्वित होंगे. इसका लाभ हर देश को मिलेगा।


बिल गेट्स ने कहा कि शिक्षा के विस्तार के साथ उनकी श्रम शक्तियां नए निवेशों को आकर्षित करेंगी। 2035 तक अधिकांश देशों में चीन के मौजूदा स्तर के मुकाबले कहीं अधिक प्रति व्यक्ति आय होगी। गेट्स ने कहा कि अमीर और गरीब के बीच की खाई को चीन, भारत, ब्राजील और अन्य देश दूर कर लेंगे. वर्ष 1960 के बाद से चीन की प्रति व्यक्ति वास्तविक आय आठ गुना बढ़ी है। भारत की प्रति व्यक्ति वास्तविक आय चार गुना और ब्राजील की प्रति व्यक्ति वास्तविक आय पांच गुना बढ़ी है।


बिल गेट्स ने अपने इसमें लिखा कि यह मानना कि दुनिया बद से बदतर हुई है, जो अत्यधिक निर्धनता एवं रोगों को ठीक नहीं कर सकती, केवल गलत ही नहीं है, यह नुकसानदेह भी है। किसी भी पैमाने से जो दुनिया पहले थी, वह उससे कहीं बेहतर हुई हैं। दो दशक में यह कहीं और बेहतर होगी। हालांकि बिल गेट्स ने यह बात भी साफ की है कि उन्होंने गरीबी को लेकर जो कुछ कहा है, वह वर्तमान परिभाषा के अनुसार है।


भारतीय यथार्थ के उलट पुराण की रचना स्वयं बिल गेट्स कर रहे हैं तो समझ जाइये कि आगे क्या क्या होने वाले है।


कोई गरीब देश 2035 के बाद रहेगा नहीं तो क्या हम मान लें कि 2035 तक भारत अमेरिका हो जायेगा और अमेरिका के उपनिवेश की हैसियत से मुक्त हो जायेगा,यह विचारणीय है।


दुनिया में अमीर और गरीब के बीच का फासला इस कदर बढ़ा है कि दुनिया की आधी आबादी के पास जितनी संपत्ति है उतनी संपत्ति दुनियाभर के केवल 85 धनी व्यक्तियों के पास है। दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक से पहले आक्सफैम की वर्किंगग फार द फ्यू शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में यह बात कही गई है।


इसमें विकसित एवं विकासशील दोनों तरह के देशों में बढ़ती असमानता का विस्तार से उल्लेख किया गया है। आक्सफैम का दावा है कि धनाढ्यों ने आर्थिक खेल के नियम अपने हित में करने तथा लोकतंत्र को कमजोर करने के इरादे से राजनीतिक रास्ता भी अख्तियार किया है। दुनिया के सर्वाधिक 85 धनाढ्यों के पास इतनी संपत्ति है जो दुनिया की आधी आबादी की संपत्ति के बराबर है।


रिपोर्ट के अनुसार 1970 के दशक में धनवानों के मामले में कर की दरें 30 देशों में से 29 में कम हुई हैं। ये वे देश हैं जिनके बारे में आंकड़ें उपलब्ध हैं। इसका मतलब है कि कई जगहों पर धनवान न केवल खूब धन अर्जित कर रहे हैं बल्कि उस पर कर भी कम दे रहे हैं।


इसमें कहा गया है कि पिछले 25 साल में धन कुछ लोगों तक केंद्रित हुआ है और यह दुनिया के एक प्रतिशत परिवार के पास इतनी संपत्ति है जो दुनिया की करीब आधी आबादी (46 प्रतिशत) के बराबर है। आक्सफैम चाहती है कि सरकार इस प्रवत्ति को बदलने के लिये तत्काल कदम उठाये। विश्व आर्थिक मंच में भाग लेने वाले लोगों से इस समस्या से निपटने के लिये व्यक्गित संकल्प लेने को कहा गया है।


ओक्सफैम के कार्यकारी निदेशक विनी बयानयिमा ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि 21वीं सदी में दुनिया की आधी आबादी के पास इतनी संपत्ति नहीं है जितनी कि 85 लोगों के पास। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि धनाढ्य व्यक्तियों तथा कंपनियां कर अधिकारियों से खरबों डॉलर छिपाती हैं। एक अनुमान के अनुसार 21,000 अरब डॉलर बिना रिकॉर्ड के हैं और राशि विदेशों में पड़ी है।


इसमें कहा गया है कि पिछले दशक में भारत में अरबपतियों की संख्या दस गुणा बढ़ी है। प्रतिगामी कर ढांचा तथा सरकारी तंत्र में पैठ का लाभ उठाते हुये उनकी संपत्ति बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ गरीबों पर होने वाला खर्च उल्लेखनीय रूप से कम है।


रिपोर्ट के अनुसार दस में से सात लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहां पिछले 30 वर्षों के दौरान असमानता बढ़ी है। दूसरी तरफ 26 में से 24 देशों में सबसे धनी लोगों ने अपनी आय में एक प्रतिशत वृद्धि की है। ये आंकड़े उन देशों के हैं जिनके बारे में 1980 से 2012 के आंकड़े उपलब्ध हैं।


इसी बीच ध्यान दें कि रेल भवन के बाहर आम आदमी पार्टी के धरने के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। संसद मार्ग थाने में धारा 144 का उल्लंघन, पुलिस से भिड़ंत और बिना अनुमति के लाउड स्पीकर के प्रयोग का मामला दर्ज किया गया है। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तबीयत खराब हो गई। केजरीवाल को कौशांबी स्थिति यशोदा अस्पताल ले जाया गया। हालांकि कुछ देर बाद उन्हें छुट्टी भी दे दी गई। इस बारे में आप नेता संजय सिंह ने कहा है कि घबराने की कोई बात नहीं है। तबीयत खराब होने की वजह से केजरीवाल आज दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे।


इसी बीच दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती की दिक्कतें कम होती नजर नहीं आ रही है और मालवीय नगर के खिड़की एक्सटेंशन में रात को छापा मारने के मामले में उन पर इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

      

पंद्रह जनवरी की रात को खिड़की में रात को छापा मारने गए भारती को उस समय वहां मौजूद युगांडा की एक महिला ने पहचाना है। साकेत स्थित अदालत में मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान में महिला ने टेलीविजन और प्रिंट मीडिया की फुटेज देखने के बाद भारती की पहचान की है।  

      

साकेत मजिस्ट्रेट की अदालत में दो महिलाओं ने बयान दर्ज कराये हैं। इनमें से एक युगांडा की है, जबकि दूसरी महिला की राष्ट्रीयता का अभी पता नहीं चल पाया है। युगांडा की महिला ने दर्ज कराये अपने बयान में कहा है कि बुधवारकी रात को भारती की अगुवाई में भारतीयों ने हम पर हमला किया। महिला ने कहा कि हमला करने वाले दावा कर रहे थे कि हम काले हैं और हमें देश छोड़ देना चाहिए। हमें प्रताड़ित किया गया, मारा गया।


हमलावरों के हाथ में लंबी छड़ी थी, उनका कहना था कि हम यहां से चले जायें अथवा वह हमें मार देंगे। मैंने उन्हें पहचाना है, क्योंकि वह रात में आये थे और अगले दिन उनकी तस्वीर देखी और वह उन्हीं कपड़ों में थे, जो रात को पहने हुए थे। पुलिस ने समय पर आकर हमें भीड़ से बचाया।  

    

उधर दिल्ली महिला आयोग ने भारती को युगांडा की महिला की र्दुव्‍यवहार की शिकायत पर पुलिस के जरिये दूसरा सम्मन भेजा है। उधर आप सूत्रों के अनुसार भारती को चेतावनी दी है कि वह संभलकर बोलें।



इसी बीच आईएमएफ का ग्लोबल और भारत की ग्रोथ पर भरोसा कुछ बढ़ता हुआ दिख रहा है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2015 के लिए भारत का जीडीपी अनुमान 5 फीसदी से बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है। वहीं 2014 के लिए ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ अनुमान 3.6 फीसदी से बढ़ाकर 3.7 फीसदी किया है। साल 2015 में ग्लोबल इकोनॉमी 3.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है।


हालांकि आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2014 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 4.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। वहीं आईएमएफ के मुताबिक वित्त वर्ष 2016 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.4 फीसदी रह सकती है।


साल 2015 में अमेरिकी इकोनॉमी के 3 फीसदी की दर से विकास करने की संभावना है। वहीं 204 में यूरोपीय क्षेत्र की ग्रोथ 1 फीसदी रहने का अनुमान है जो पहले अनुमान के बराबर ही है। हालांकि यूरोप एरिया की जीडीपी ग्रोथ 1.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आईएमएफ ने चीन का जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.3 फीसदी से बढ़ाकर 7.5 फीसदी किया है। वहीं साल 2015 में चीन की जीडीपी ग्रोथ 7.3 फीसदी रह सकती है।


आईएमएफ ने साल 2015 के लिए इमर्जिंग मार्केट्स के ग्रोथ का पूर्वानुमान बिना किसी बदलाव के 5.1 फीसदी पर स्थिर रखा है। वहीं साल 2014 के लिए विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए ग्रोथ का अनुमान 2.2 फीसदी तय किया है।


गौरतलब है कि अफरातफरी के 32 घंटों के बाद दिल्ली पुलिस के तीन अफसरों के निलंबन की मांग कर रही केजरीवाल सरकार ने अपना धरना मंगलवार शाम वापस ले लिया। उपराज्यपाल की ओर से दो अफसरों को छुट्टी पर भेजने का आश्वासन देने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने धरना खत्म करने का ऐलान किया।


रेल भवन के बाहर सोमवार दोपहर से अपने नेताओं के साथ धरने पर बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल ने हमें 26 जनवरी और सुरक्षा का हवाला दिया। उन्होंने मालवीय नगर थाने के एसएचओ और पहाड़गंज के पीसीआर इंचार्ज को छुट्टी पर भेजने का आश्वासन दिया है। सागरपुर में महिला को जिंदा जलाने के मामले में भी पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया।


आफत बन गया था धरना

सोमवार सुबह 12 बजे से मंगलवार रात 8 बजे तक चला धरना लोगों के लिए आफत बन गया था। इसके चलते सड़कों पर लोग जाम से जूझते रहे। चार मेट्रो स्टेशनों को बंद करने के आफत और बढ़ गई। केजरीवाल सरकार के रवैये के प्रति उनके कई समर्थक भारी नाराज भी दिखे।


उग्र हो गया था धरना

खराब मौसम और बारिश के बीच आप समर्थक बैरिकेड तोड़कर धरनास्थल की ओर बढ़े। पुलिस ने उन्हें रोका तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। जवाब में पुलिसकर्मियों ने जमकर लाठियां चलाईं। इसमें 12 लोग व 2 पुलिसकर्मी घायल हो गए। बाद में भी झड़पों को सिलसिला जारी रहा।


भाजपा ने भी किया प्रदर्शन

भाजपा नेता विजय गोयल की अगुवाई में युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मंत्री सौरभ भारद्वाज और सोमनाथ भारती के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। इस बीच पुलिस ने विजय गोयल को हिरासत में भी लिया।


बातचीत से निकाला रास्ता

शाम को आप के एक वरिष्ठ नेता ने उपराज्यपाल से बात की। इसके बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई। एलजी से आश्वासन मिलने पर धरना खत्म किया गया।


खुल जाएंगे सभी मेट्रो स्टेशन

धरना खत्म होने पर बुधवार से सभी मेट्रो स्टेशन खुलेंगे। सारी व्यवस्था पहले जैसी रहेगी।

फर्टिलाइजर कंपनियों को सरकार ने दी बड़ी राहत

फर्टिलाइजर कंपनियों को बड़ी राहत मिलती दिख रही है। वित्त मंत्रालय ने फर्टिलाइजर कंपनियों को करीब 9,000 करोड़ रुपये की राहत दी है। सोमवार को वित्त मंत्रालय की ओर से फर्टिलाइजर कंपनियों को 9,000 करोड़ रुपये की रकम जारी की गई है।


वित्त मंत्रालय की ओर से जारी 9,000 करोड़ रुपये की रकम में से सबसे ज्यादा 2,000 करोड़ रुपये नेशनल फर्टिलाजर (एनएफएल) को दिए जाएंगे। एनएफएल के अलावा राष्ट्रीय केमिकल फर्टिलाजर्स (आरसीएफ), इफ्को समेत 40 फर्टिलाइजर कंपनियों में 9,000 करोड़ रुपये की रकम बांटी जाएगी।


वित्त मंत्रालय की ओर से जारी 9,000 करोड़ रुपये की रकम से फर्टिलाइजर कंपनियों को 15 नवंबर तक की पूरी सब्सिडी का भुगतान कर दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय ने फर्टिलाइजर कंपनियों को 9,000 करोड़ रुपये की रकम सॉफ्ट बैंकिंग लोन अरेजमेंट के तहत दी है।

आज से देश भर में लागू हुई एलपीजी पोर्टेबिलिटी

आज से आपको अपना एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर बदलने की आजादी मिल जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट की कामयाबी के बाद सरकार ने आज से एलपीजी पोर्टेबिलिटी को देश भर में लागू करने का फैसला किया है। एलपीजी पोर्टेबिलिटी के तहत कोई भी ग्राहक एलपीजी पोर्टल पर जा कर अपनी पसंद का डिस्ट्रीब्यूटर चुन सकेगा।


एलपीजी पोर्टेबिलिटी के तहत ग्राहकों को अपनी पसंद का एलपीजी डीलर चुनने की आजादी होगी। एलपीजी डिस्ट्रिब्यूटर के साथ-साथ ग्राहक कंपनी भी बदल सकेंगे। mylpg.in के जरिए एलपीजी पोर्टेबिलिटी लागू होगी। वहीं एलपीजी पोर्टेबिलिटी के लिए कोई कागजी प्रक्रिया नहीं होगी।


गौरतलब है कि एलपीजी डिस्ट्रिब्यूटरों की रेटिंग की प्रक्रिया पहले ही शुरू की गई है। डिलीवरी के आधार पर डिस्ट्रिब्यूटर को 5 स्टार तक रेटिंग मिलती है। लिहाजा ग्राहक रेटिंग और डिलीवरी रिकॉर्ड को देखकर डिस्ट्रिब्यूटर चुन सकते हैं।

प्रॉविडेंट फंड की पेंशन स्कीम में 62000 करोड़ का घाटा

ईटी | Jan 22, 2014, 02.43PM IST


विकास धूत, नई दिल्ली

एम्प्लॉयीज पेंशन स्कीम का घाटा साल 2009 में बढ़कर 62,000 करोड़ रुपये हो गया। साल 2008 में यह 54,200 करोड़ रुपये था। इस स्कीम की काफी देर से आई वैल्यूएशन रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।


यह स्कीम साल 1995 में प्रॉविडेंट फंड एकाउंट होल्डर्स के लिए लॉन्च की गई थी, जब मनमोन सिंह फाइनेंस मिनिस्टर थे। वैल्यूएशन रिपोर्ट पिछले साल सरकार को सौंपी गई थी, लेकिन पीएफ के ट्रस्टियों को यह पिछले हफ्ते ही मिली। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि पेंशन स्कीम का फंड 'पूरी तरह फिक्स्ड इंटरेस्ट इंस्ट्रूमेंट्स में इनवेस्ट करने' के बजाय इसका एक हिस्सा 'इक्विटीज जैसी रियल एसेट्स' में लगाया जाए।

इसमें यह सुझाव भी दिया गया है कि स्कीम के तहत रिटायरमेंट एज 58 साल से बढ़ाकर 60 साल कर दी जाए। साल 2013-14 के अंत तक पेंशन स्कीम में करीब 8 करोड़ मेंबर्स और इसमें 2 लाख 20 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।


पेंशन स्कीम के तहत सभी रिटायर्ड मेंबर्स को मिनिमम 1,000 रुपये की मंथली पेंशन देने का प्रस्ताव यूपीए सरकार लंबे समय से दबाए हुए है क्योंकि फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इसे लागू करने पर चिंता जताई है। प्रॉविडेंट फंड के वही मेंबर इस पेंशन स्कीम का हिस्सा हो सकते हैं, जिनकी मंथली सैलरी 6,500 रुपये हो। इसे बढ़ाकर 15,000 करने का प्रस्ताव भी चार साल से लटका हुआ है।


इसमें डर यह है कि इसके चलते पेंशन स्कीम की देनदारी बहुत बढ़ जाएगी। साल 2001 में जब सैलरी लिमिट 5,000 से बढ़ाकर 6,500 रुपये की गई थी तो पेंशन स्कीम की देनदारी में 10,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ था। 6,500 रुपये की सैलरी वाले कर्मचारी के वेतन का जितना हिस्सा पीएफ में जाता है, उसकी एक तिहाई से कुछ ज्यादा रकम पेंशन स्कीम में जाता है। सेंट्रल गवर्नमेंट पेंशन स्कीम पर 1.16 पर्सेंट की सब्सिडी देती है। इस तरह इसमें कंट्रीब्यूशन बढ़कर सैलरी का 9.49 पर्सेंट हो जाता है।


इस स्कीम के तहत एक्टिव मेंबर्स और पेंशनर्स के लिहाज से कुल देनदारी 31 मार्च 2009 तक 1.71 लाख करोड़ रुपये थी। हालांकि, उस वक्त उसके पास 1.1 लाख करोड़ रुपये की ही एसेट्स थीं। वैल्यूएशन रिपोर्ट में एक्चुअरी पी ए बालासुब्रमण्यन ने कहा है कि इसके चलते 61,608 करोड़ रुपये का डेफिसिट दिख रहा है, जो एक साल पहले 54,203 करोड़ रुपये था। इस स्कीम के घाटे पर काबू पाने के लिए एक सुझाव यह दिया गया है कि भविष्य में 9 पर्सेंट एन्युअल रिटर्न हासिल करने का इंतजाम हो और मेंबर्स के लिए कंट्रीब्यूशन रेट बढ़ाकर सैलरी का कम से कम 12.49 पर्सेंट कर दिया जाएगा। 2009-10 से 2011-12 तक के तीन वर्षों की वैल्यूएशन रिपोर्ट्स अभी पेंडिंग हैं।


The Economic Times

32 minutes ago

To professionals, entrepreneurs in #AAP, why are you silent? Read this Opinion column by Saubhik Chakrabarti & tell us your viewshttp://ow.ly/sPicz

The Economic Times

about an hour ago

Finance Minister Chidambaram attacks Modi from Davos; says BJP has a blood-eyed economics model http://ow.ly/sPbfb

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India Today

Delhi govt should have been dismissed for violating law, says Kiran Bedihttp://indiatoday.intoday.in/story/delhi-govt-should-have-been-dismissed-for-violating-law-says-kiran-bedi/1/339113.html

Delhi govt should have been dismissed for violating law, says Kiran Bedi : Delhi, News - India Today

indiatoday.intoday.in

Talking to Headlines Today the former IPS officer said the Delhi government should have been dismissed for violating law rather than being appealed to for ending the dharna outside Rail Bhavan.

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Priya Ranjan

http://apnaskool-kanpur.blogspot.in/2014/01/blog-post.html

Apna Skool: प्रवासी मजदूरों का बंधुआ मजदूरी से मुक्ति का आगाज

apnaskool-kanpur.blogspot.com

Satya Narayan

एक ऐसे समय में जब दिल्‍ली में आयी फर्जी क्रान्ति से जनता का मोहभंग हो रहा है, आइये जानते हैं कि क्‍या होता है जब किसी समाज में असली क्रान्‍ति होती है:


अक्टूबर क्रान्ति के कुछ ही दिनों के भीतर नवनिर्मित सोवियत सरकार ने रूस की जनता की बुनियादी माँगों को पूरा करने के मद्देनज़र कुछ अहम आज्ञप्तियाँ जारी कीं। क्रान्ति के अगले ही दिन यानी 26 अक्टूबर ( नये कैलेण्डर के अनुसार 8 नवंबर) सोवियतों की दूसरी अखिल रूसी कांग्रेस ने ऐतिहासिक महत्व की शान्ति आज्ञप्ति अंगीकार की जिसमें सोवियत सरकार ने प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल सभी देशों और उनकी सरकारों के सामने प्रस्ताव रखा कि न्यायसंगत और जनवादी शान्ति के लिए तुरन्त वार्तायें आरम्भ की जायें। उसी दिन कांग्रेस ने भूमि आज्ञप्ति भी जारी की, जिसके अनुसार सभी जमींदारों, मठों और गिरजों की भूमि और उससे संलग्न चल व अचल सम्पत्ति को बिना मुआवजा ज़ब्त कर लिया गया। किसानों को 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि मुफ़्त में आवंटित की। अपनी स्थापना के चौथे दिन सोवियत सरकार ने एक आज्ञप्ति जारी करके 8 घण्टे का कार्य-दिवस निर्धारित कर दिया (जिसको कुछ वर्षों बाद 7 घण्टे कर दिया गया)। इसके बाद मज़दूरों और कर्मचारियों के लिए निःशुल्क राज्य बेरोज़गारी तथा स्वास्थ्य बीमा प्रणाली भी लागू की गयी।


राष्ट्रीयताओं के मसले पर भी सोवियत सरकार ने मानव सभ्यता के इतिहास में पहली बार उत्पीड़न रहित संघ बनाने की दिशा में ठोस क़दम उठाये। ज़ारशाही के दौर में समूचे रूसी साम्राज्य को राष्ट्रीयताओं का जेलखाना कहा जाता था। नये कैलेंडर के अनुसार 15 नवंबर 1917 को सोवियत सरकार ने ''रूस की जनता के अधिकारों का घोषणापत्र'' प्रकाशित किया, जिसमें जातीय उत्पीड़न का अन्त, रूस की सभी जातियों की समानता, सर्वमत्ता, अलग होने के अधिकार समेत आत्मनिर्णय के अधिकार, स्थापित करने का अधिकार भी शामिल था, और सभी जातीय व धार्मिक विशेषाधिकारों व प्रतिबंधों के उन्मूलन की उद्घोषणा की गयी थी। इस घोषणापत्र पर अमल करते हुए दिसंबर 1917 में सोवियत सरकार ने फिनलैण्ड की स्वतन्त्रता को मान्यता दे दी, जो अब तक रूस का हिस्सा था। इसी तरह उक्रइना की स्वाधीनता, आर्मीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार, आदि को भी मान्यता दी गयी। इसके फलस्वरूप उक्रइनी, बेलोरूसी, एस्तोनियाई, लातवियाई, लिथुआनियाई, आज़रबैजानी, आरमीनियाई और जार्जियाई जनों ने अपने को स्वतन्त्र सोवियत गणराज्य घोषित किया जिन्हें रूसी सोवियत सरकार ने तुरन्त मान्यता प्रदान की। जनवरी, 1918 में रूसी गणराज्य ने अपने आप को संघात्मक गणराज्य घोषित कर दिया, जिसके अस्तित्व के आरम्भिक वर्षों में उसके अन्तर्गत अनेक स्वायत्त गणराज्य और प्रदेश पैदा हुए, जैसे तातार, बश्कीर, तुर्कीस्तान आदि।


पूरा लेख यहां पढिये : http://www.mazdoorbigul.net/archives/2662

कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (पच्चीसवीं किस्त) - मज़दूर बिगुल

mazdoorbigul.net

समाजवादी क्रान्ति की वजह से सोवियत संघ की महिलाओं की स्थिति में जबर्दस्त सुधार आया। सोवियत संघ उन पहले देशों में एक था जिसने महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया। सोवियत सरकार ने ऐसी नीतियाँ बनायी जिससे महिलायें अपने घर की चारदिवारी को लाँघकर सामाजिक उत्पादन के क्षेत्र में बढ़चढ़ कर हिसा लेने लगीं। बड़े…

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Economic and Political Weekly

Temperatures are rising in Kullu in Himachal Pradesh where farmers are dependent on the rains for agriculture. This article uses meteorological data to provide evidence of gradual climate change in the region that might affect livelihoods.


Read: http://www.epw.in/commentary/climate-change-himachal.html

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सर्वेः दक्षिणी राज्यों में कैसी रहेगी चुनावी बयार!

प्रकाशित Tue, जनवरी 21, 2014 पर 20:46  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

जैसे-जैसे आम चुनाव की तारीख करीब आ रही है, राजनीतिक सरगर्मी तेज होती जा रही है। हर पार्टी वोटर को अपनी ओर खींचने के लिए तरह-तरह के हथकंड़े अपना रही है। ऐसे में लोगों को मूड क्या है, एक वोटर क्या चाहता है ये जानने के लिए लोकनीति और नेटवर्क18 ने एक देशव्यापी सर्वे किया है। आज इस सर्वे में हम बात करेंगे दक्षिण भारत के 4 राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल और आंध्र प्रदेश की।


पूरे देश में नरेंद्र मोदी का जादू चल रहा है, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी है। तमाम बुरी खबरों के बावजूद कर्नाटक का वोटर कांग्रेस पार्टी से खुश है। लोकनीति आईबीएन नेशनल ट्रैकर के पोल के मुताबिक कर्नाटक में 42 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस सबसे आगे है। वहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत 42 फीसदी से घटकर 32 फीसदी हो सकता है। साथ ही कर्नाटक में जेडीएस का वोट शेयर 13 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी होने का अनुमान है।


सर्वे के मुताबिक कर्नाटक में आज चुनाव हुए तो कांग्रेस को 10-18 सीटें, बीजेपी को 6-10 सीटें और जेडीएस को 4-8 सीटें मिलने के आसार हैं। दिलचस्प ये है कि कर्नाटक में प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी 28 फीसदी लोगों की पसंद हैं, जबकि 19 फीसदी लोग राहुल गांधी को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।


सर्वे के तहत तमिलनाडू में एआईडीएमके गठबंधन को 15-23 सीटें मिलने के आसार हैं, जबकि डीएमके को 7-13 सीटें मिल सकती हैं। तमिलनाडू में कांग्रेस को 1-5 सीटें मिल सकती हैं और अन्य को 4-10 सीटें मिलने के आसार हैं। तमिलनाडू में बीजेपी को फायदा होने का अनुमान है। तमिलनाडू में बीजेपी का वोट शेयर 2 फीसदी से बढ़कर 16 फीसदी होने के आसार हैं।


तमिलनाडू में एआईडीएमके का वोट शेयर 23 फीसदी से बढ़कर 27 फीसदी, जबकि डीएमके का वोट शेयर 25 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो सकता है। लेकिन कांग्रेस का वोट शेयर 15 फीसदी से बढ़कर 17 फीसदी हो सकता है। सर्वे में सामने आया है कि तमिलनाडू में 17 फीसदी लोग नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनता हुआ देखना चाहते हैं। तमिलनाडू में 11 फीसदी लोग राहुल गांधी को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।


वहीं केरल में कांग्रेस की गठबंधन वाली यूडीएफ को सबसे ज्यादा फायदा होने की तस्वीर सामने आ रही है। सर्वे के मुताबिक केरल में यूडीएफ का वोट शेयर 48 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी होने के आसार हैं, जबकि लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन वाले एलडीएफ के वोट शेयर में 11 फीसदी की कमी संभव है। केरल में बीजेपी का वोट शेयर 6 फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी होने का अनुमान है।


सर्वे के मुताबिक केरल में यूडीएफ को 12-18 और एलडीएफ को 2-8 सीटें मिलने का अनुमान है। केरल में प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी 7 फीसदी लोगों की पसंद हैं, जबकि राहुल गांधी को 21 फीसदी लोग पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।


आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा होने की तस्वीर सामने आ रही है। सर्वे के मुताबिक आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस का वोट शेयर 22 फीसदी होने के आसार हैं, जबकि कांग्रेस के वोट शेयर में 14 फीसदी की कमी संभव है। आंध्र प्रदेश में बीजेपी का वोट शेयर 4 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी होने का अनुमान है। आंध्र प्रदेश में टीडीपी का वोट शेयर 25 फीसदी से घटकर 21 फीसदी, जबकि टीआरएस का वोट शेयर 6 फीसदी से बढ़कर 11 फीसदी रह सकता है।


सर्वे के मुताबिक आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को 11-19 और कांग्रेस को 5-9 सीटें मिलने का अनुमान है। आंध्र प्रदेश में टीडीपी को 9-15 सीटें और अन्य को 0-4 सीटें मिलने के संकेत हैं। आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी 20 फीसदी लोगों की पसंद हैं, जबकि राहुल गांधी को 22 फीसदी लोग पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। वहीं सीमांध्र में 23 फीसदी लोगों की पसंद नरेंद्र मोदी, जबकि 9 फीसदी लोगों की पसंद राहुल गांधी हैं।

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5 hours ago

As with anything related to the business, there are many caveats, but this could still end up being the next big thing in health insurance — cashless OPD.

Insurance companies line up cashless OPD plans to make life easier

http://ow.ly/sOWX1

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The Economic Times

18 hours ago

Interesting images of AAP's dharna in Central Delhihttp://ow.ly/sNDff

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The Economic Times

20 hours ago

Eight 'khaas' cartoons: Check it out & tell us which one you like best http://ow.ly/sMRLn

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The Economic Times

Yesterday

It's now three years since 2011, Infosys is not the company it was and its leadership is: NRN is executive chairman, Shibulal is CEO and the COO post is vacant. Here's why Narayana Murthy should hire a foreign CEO http://ow.ly/sMwLn

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The Economic Times

Yesterday

Interest rates may come down without Raghuram Rajan's helphttp://ow.ly/sMeeM

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The Economic Times

January 20

BJP has made Narendra Modi bigger than party; we failed to market UPA: Digivijaya Singh. Read full interview at ET Opinion & tell us your views.

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The Economic Times

January 20

Double-digit returns seen from IT stocks http://ow.ly/sKqVE | 5 tech stocks to buy http://ow.ly/sKqX5

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The Economic Times

January 20

Kiran Bedi slams AAP govt, says Delhi is under 'unruly political leadership.' Do you agree/disagree? http://ow.ly/sKhHS

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Aam Aadmi Party

19 minutes ago

Yogendra Yadav: What appears to be a partial success today might prove to be a turning point in the history of Delhi's governance.


This is just the beginning of delivering what we had promised. Our words will never change.


"We were fighting for Aam Aadmi, We are fighting for Aam Aadmi, We will fight for Aam Aadmi".


Jai Hind. — with Sarabjot Singh Dilli and 3 others.

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Aam Aadmi Party

3 hours ago

We are not afraid of any hurdles in our way. We knew that this fight against corruption would not be easy.


Our determination is our strength.


Jai Hind. — with Nirmal Singh and 6 others.

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Aam Aadmi Party shared a link.

5 hours ago

Yesterday's protest was seeking justice for Neha too!


TOI: "The day chief minister Arvind Kejriwal began his dharna outside Rail Bhavan, demanding that some policemen, including one dealing with an alleged dowry burning case in Sagarpur, be suspended, the victim, Neha, would have celebrated her 29th birthday. However, she was fighting for her life at Safdarjung Hospital with 45% burns.


Within 24 hours of the CM voicing his demand, Neha's mother-in-law, Sumitra, sister-in-l...See More

Sagarpur dowry victim gets some justice after a week - The Times of India

timesofindia.indiatimes.com

Within 24 hours of the CM voicing his demand, Neha's mother-in-law, Sumitra, sister-in-law Reena and brother-in-law Rajbir were arrested from their hideout in Dwarka.The father-in-law, Abhay, is already in custody.

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Aam Aadmi Party

18 hours ago

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,

मेरी कोशिश ये है के सूरत बदलनी चाहये|


Arvind Kejriwal calls off protest after Delhi Lieutenant Governor sends errant S.H.O's on leave. First step towards police accountability to people.


We won't stop our fight against corruption. We are here to change the system. We will deliver what we had promised.


Jai Hind. — with Jarnail Singh Aap and 7 others.

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Panini Anand

कल तक वो गांधी थे. फिर मंडेला की चमड़ी को गाली दी और अराजक हो गए. कुछ को इसमें भगत सिंह नज़र आ रहे हैं. वैसे एक और दावेदार पिछले दिनों प्रशांत भूषण के चैंबर में चला गया था. अब दावा तो वो भी कर रहा है. मुझे दोनों दावों पर संदेह है. दिल्ली पुलिस सांडर्स है. बनी रहेगी. पहले भी थी. लेकिन ये गांधी उर्फ़ जेपी उर्फ़ अन्ना उर्फ़ भगत सिंह अभी आगे-आगे क्या बनते हैं, पता नहीं. इनके बनने के चक्कर में बकिया लोग (माने लेफ्ट से झटके हुए, व्यवस्था में अटके हुए, अपना थूक सटके हुए और इस मृतनगर में लटके हुए) क्या क्या बन गए हैं और बनेंगे, यह भी नज़र आने लगा है. और हम, हम देखेंगे, लाज़िम है भई.

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Dilip C Mandal

अपनी सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखकर सोचिए कि क्या हिंसा के द्वारा आपको कभी कुछ मिला है. क्या SC-ST आरक्षण हिंसा से मिला है? क्या OBC कोटा हिंसा में हासिल हुआ था? क्या SC-ST छात्रों की फेलोशिप हिंसा, उत्पात या अराजकता से मिली है?


सामाजिक न्याय, शिक्षा, नौकरी और विकास की आवाज बुलंद हो, इसके लिए शांतिकाल चाहिए.


इस समय संविधान समीक्षा आयोग-2 का दिल्ली में जो आंदोलन चल रहा है, वह राम जन्मभूमि आंदोलन, 1990 के आरक्षण विरोधी आंदोलन और 2006 के OBC आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान हुए उत्पात का दोहराव है.


सामाजिक न्याय का कोई भी आंदोलन संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीके से चलता है. उत्पात, अराजकता और हिंसा सामाजिक न्याय विरोधियों का रास्ता है.

Like ·  · Share · Yesterday at 4:17pm ·

Uday Prakash

'Political parties are necessary evils of modern democracy...' ... 'The word 'party' derives its meaning from Latin verb meaning 'to part' or 'to divide'

--- Giovanni Sartori

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  • Koyamparambath Satchidanandan, Manoj Chhabra, Ashutosh Singh and 99 others like this.

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  • Ritu Raj Misra my and your's life is necessary evil ...Budhha has said it earlier than this name ... all other statement is subset of same ...

  • 5 hours ago · Like · 2

  • Uday Prakash Every tale has been told Ritu Raj Misra ji...and every tale has always been Re-told ....! (Like each story had been narrated in spite being re-narrated repeatedly...) So nothing is maiden and original..

  • 3 hours ago · Like · 4

  • Dinesh Sharma state itself is a necesary evil, so is democracy with so many limitations. matter of consensus, existing values. what does hindi word dal means? perhaps same.

  • 2 hours ago · Like

  • Manoj Khare संगठन उन विचारों को खा जाता है जिनके कार्यान्वयन के लिए वह गठित हुआ था। बुद्ध का संघ भी इसका सटीक उदाहरण है। राजनीतिक पार्टियों पर यह और भी शिद्दत से लागू होता है क्योंकि वे सत्ता के इर्दगिर्द रहती हैं। आप इससे बचते हुए कितने सुधार कर पाती है, यही देखना है।

  • about an hour ago · Like

Jagadishwar Chaturvedi

हेडलाइन टुडे टीवी चैनल का कहना है कि केजरीवाल का धरना खत्म कराने के लिए योगेन्द्र यादव की पर्दे के पीछे की राजनीति काम आई। केजरीवाल के लिए सबसे अपमानजनक क्षण यह था कि वे कल से धरना दे रहे थे लेकिन न तो पीएम ने बुलाया न गृहमंत्री ने बात करने के लिए बुलाया। इस तरह की सख्ती पहले कभी कांग्रेस ने नहीं दिखायी थी।

कांग्रेस की सख्ती देखकर योगेन्द्र यादव दिल्ली के उपराज्यपाल के पास दौड़े गए और उनसे अनुरोध किया कि वे कुछ मदद करें जिससे केजरीवाल को सम्मानजनक ढ़ंग से धरने से उठाया जा सके। उप राज्यपाल ने साफ कर दिया कि उनकी किसी केन्द्रीय नेता से धरने पर बात नहीं हुई है अतःवे कोई मदद नहीं कर सकते।

अंत में काफी कहने-सुनने के बाद उपराज्यपाल ने कहा केजरीवाल जिद्दी है वह नहीं मानता, अतःपहले यह सुनिश्चित करो कि यहां पर जो तय होगा उसे वह मानेगा। यादव ने भरोसा दिया और इसके बाद संबंधित 3पुलिसवालों को जांच होने तक छुट्टी पर जाने देने पर राज्यपाल राजी हो गए।बाद में केजरीवाल ने जो कुछ कहा उसे सब जानते हैं । यानी केजरीवाल की नाक बचाने के लिए उप राज्यपाल से अपील जारी करायी गयी। यह केजरीवाल की महान पराक्रमी इमेज में आया परिवर्तन है। पहलीबार वे धरने से बिना जिद किए उठे हैं ।

Like ·  · Share · 18 hours ago near Calcutta ·

Satya Narayan

चेतन भगत स्वयं को कितना ही ज्ञानी प्रदर्शित करें पर इनके तमाम स्तम्भ लेखन में मूर्खतापूर्ण दम्भ अपना सिर उठा ही देता है। स्थानाभाव के कारण हम इनके अर्थशास्त्रीय ज्ञान के एक और नमूने को देखकर आगे बढ़ेंगे। चेतन भगत अपने राजनीतिक दिवालियेपन के कारण धुरन्धर एन.जी.ओ.-पन्थी अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी 'आप' पर ऐसा आरोप लगाते हैं कि "सन्त पूँजीवाद" के बेचारे भक्त केजरीवाल भी स्तब्ध रह जायेंगे! भगत जी कहते हैं, "उन्हें नयी वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था की ज़्यादा समझ नहीं है। उनकी विचारधारा विकास-विरोधी वामपन्थी विचारों के ज़्यादा क़रीब लगती है, जहाँ पर तमाम विदेशियों, बड़ी-बड़ी कम्पनियों और अमीर लोगों को बुरा और भ्रष्ट समझा जाता है, जबकि छोटे कारोबार तथा ग़रीब लोग अच्छे माने जाते हैं। यह सोच भाषणों में तालियाँ बटोरने के लिहाज़ से तो ख़ूब कारगर हो सकती है लेकिन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के लिए ज़्यादा नहीं। भले ही भारत आज भ्रष्टाचार-मुक्त देश हो जाये, लेकिन तब भी हम एक अमीर देश नहीं होंगे। सुनियंत्रित पूँजीवाद, खुली अर्थव्यवस्थाओं और मुक्त बाज़ारों ने दुनिया भर में धन-सम्पति निर्मित की है। हमें इन्हें मंजूर करना चाहिए, ताकि भारत में भी ऐसा हो।" साम्राज्यवादी कम्पनियों के फाउण्डेशनों से लाखों डॉलर उठाने वाले और पूँजीवाद के टुकड़खोर केजरीवाल साहब ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कोई उनकी नज़दीकी वामपन्थ से भी बिठा सकता है! इतनी बार "भ्रष्टाचार मुक्त पूँजीवाद"(?) में अपनी निष्ठा जताने के बावजूद कोई सूरदास ही केजरीवाल साहब पर ऐसा आरोप लगा सकता है!

http://ahwanmag.com/Chetan-Bhagat-and-his-communal-thoughts

चेतन भगत: बड़बोलेपन और कूपमण्डूकता का एक साम्प्रदायिक संस्करण

ahwanmag.com

चेतन भगत जैसे भाड़े के कलमघसीट जिन्हें समाज, विज्ञान, इतिहास के बारे में ज़रा भी ज्ञान नहीं होता केवल अपने मूर्खतापूर्ण बड़बोलेपन के बूते ही अपनी बौद्धिक दुकानदारी खड़ी कर लेते हैं। महानगरों में मध...

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Alok Putul

http://raviwar.com/news/973_arvind-kejriwal-aap-party-moment-kanak-tiwari.shtml

तंग पांयचे में फंसी टांगें

raviwar.com

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के धरने पर सवाल खड़े करने वालों से पूछने का मन करता है कि दो थानेदारों को छुट्टी पर भिजवाने के लिए दिल्ली की सड़कों पर जनअसुविधाओं का इतना बड़ा तांडव करना पड़े-यह कैसा लोकतंत्र है?

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Mohan Shrotriya

अब कुछ दिन तो सिर्फ़ सरकार चलाओ, अरविंद केजरीवाल !


अपने लहज़े के मोह से बाहर निकलने की कोशिश करना आखिरकार बुरा साबित नहीं होगा. यह सब कुछ का मखौल उड़ाने वाला जो लहज़ा है न, ज़्यादा दिन लोगों को उम्मीदों से बांधे नहीं रख पाएगा !


पार्टी और सरकार में फ़र्क़ करना शुरू कर देना भी अच्छा रहेगा. दोनों अपना काम करती रहेंगी. मुख्यमंत्री दो पुलिस अधिकारियों को छुट्टी पर भिजवाने भर के लिए यह सब करे, तो लोग इसे नौटंकी क्यों नहीं कहेंगे? बताओ, और क्या कहें !


यह मत समझना कि लोग उपराज्यपाल के संदेश के निहितार्थ नहीं समझते हैं ! मुख्यमंत्री को तो पूर्वानुमान होना चाहिए कि उसके क़दम उसे कहां ले जाकर पटकेंगे !


छोटी-छोटी भूलें मिलकर बड़ी बन जाती हैं, और ‪#‎अर्श‬ से ‪#‎फ़र्श‬ तक का ‪#‎बुलेट‬ गति से ‪#‎सफ़र‬ आसान बना देती हैं !


कम कहे को बहुत समझना !

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  • Uday Prakash, Virendra Yadav, Ashutosh Kumar and 72 others like this.

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  • Neeraj Diwan हटा दिए देता हूं महोदय। क्षमा बड़न को चाहिए। माफ़ करेंगे। लाभ हो जाएगा।

  • 5 hours ago · Edited · Like

  • Neeraj Diwan धन्यवाद हितेंद्र भाई। आपने आंखे खोल दी।

  • 5 hours ago · Like

  • हितेन्द्र अनंत मेरे कुछ सुझाव:

  • (क) पूरी दिल्ली में उचित मूल्य की दुकानों पर रेड मारो, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दुरूस्त करो ताकि गरीब तक सस्ता राशन पहुँचे। यह काम दो महीनों में अच्छा खासा हो सकता है

  • (ख) सड़क, नालियाँ और पेयजल वितरण आदि पर ध्यान दो, इसके लिये यदि नये...See More

  • 5 hours ago · Like · 2

  • Durga Singh लोकतंत्र मे सरकार को अलग से परिभाषित करना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है अनजाने ही सही।'आप'की आलोचना उनके भीतर कार्यरत राइटविन्ग सोच(सचेतन हो या अनजाने)पर हो सकती है जो सोमनाथ भारती की हरकत मे दिखा।ध्यान देने की बात है कि कान्ग्रेस-भाजपा को मंत्री की हरकत पर ऐतराज नही इसलिए वे पुलिस के बचाव मे उतर पड़े जबकि जरूरत तो रेसिज्म हरकत पर ऐतराज की थी

  • 3 hours ago · Edited · Like

Alok Putul

http://raviwar.com/news/974_modi-hindutva-agenada-and-dalit-anil-chamadia.shtml

नमो को पिछड़ा बताने के मायने

raviwar.com

यह आश्चर्यजनक है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी का प्रचार पिछड़ा प्रतिनिधि के रूप में ज्यादा से ज्यादा तो किया जा रहा है लेकिन नरेन्द्र मोदी और संघ द्वारा पिछड़े वर्ग के साथ की जाने वाली गैर बराबरी और पिछड़े वर्गों के आरक्षण का समर्थन और आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध जैसा को...

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Satya Narayan

कॉमरेड लेनिन की 90वीं पुण्‍यति‍थि(21जनवरी) के अवसर पर


http://www.mazdoorbigul.net/Lenin-story-of-his-life

लेनिन कथा के दो अंश... - मज़दूर बिगुल

mazdoorbigul.net

लेनिन मज़दूरों के और पास खिसक आये और समझाने लगे कि यह सही है कि मज़दूरों को जानकारी, अनुभव के बग़ैर जन-कमिसारियतों में कठिनाई हो रही है मगर सर्वहारा के पास एक तरह की जन्मजात समझ-बूझ है। जन-कमिसारियतों में हमारी अपनी, पार्टी की, सोवियतों की नीति पर अमल करवाने की ज़रूरत है। यह काम अगर मज़दूर नहीं करें...

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बर्फीले तूफान से फिर ठप हुआ अमेरिका, तीन हजार उड़ानें रद्द

वाशिंगटन। कड़ाके की ठंड और बर्फीले तूफान ने उत्तरी-पूर्वी अमेरिका को जबरदस्त झटका दिया है। खराब मौसम की वजह से अब तक तीन हज़ार उड़ानें रद्द करनी पड़ी। वहीं, सरकारी दफ्तरों से लेकर स्कूल तक सभी बंद कर दिए गए। इस दौरान सफर पर निकले लाखों लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। ख़राब हालत को देखते हुए न्यूजर्सी गर्वनर क्रिस क्रिस्टी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के कुछ घंटों बाद राज्य में आपातकाल की घोषणा कर दी।

वहीं, वर्जिनिया और कनेक्टिकट में रहवासियों को यात्रा न करने की चेतावनी जारी कर दी है। उत्तरी कैरोलिना में कुछ स्कूलों को समय से पहले बंद करने और वर्जिनिया में सभी स्कूलों पर ताले लगाने की खबरें हैं। पश्चिमी वर्जिनिया और प्रिंसटन के गैस स्टेशनों पर लोगों की लाइन लगना शुरू हो गई है। यहां लोग खराब मौसम को देखते हुए प्रोपेन गैस और खाने की चीजों को जमा कर रहे हैं। लोगों को मौसम बिगड़ने के साथ बिजली जाने का अंदेशा है। बताया जा रहा है कि कई इलाकों का तापमान सामान्य से 17 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है।

आई-95 हाईवे पर बोस्टन से लेकर वाशिंगटन तक बुरी तरह जाम लगा रहा। फ्लाइटअवेअर.कॉम के मुताबिक, पूरे अमेरिका में करीब तीन हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। हजारों यात्री खराब मौसम के कारण एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं।



Election results could impact growth prospects, says Moody's

The World Bank has projected that India's economy will grow at over 6% in 2014-15 and 7.1% by 2016-17 as global demand recovers and domestic investment increases



Reuters

New Delhi: Global ratings agency Moody's on Thursday said India's economic recovery is likely to be slow in the second half of 2014, but the outcome of general elections could have an impact on the growth prospects. Without specifically mentioning about India, Moody's Investors Service also said that sovereign ratings in South and Southeast Asia will be largely stable in 2014.

This, the agency said, reflects its expectation that global growth prospects will improve while global risks will decline. On India, it said: "We expect a slow economic recovery in the second half of this year, if global growth increases."

Moody's Sovereign Risk Group Senior VP and Manager Tom Byrne said however that "the outcome of national elections this year could also affect growth, depending on how it impacts sentiment and policies".

General elections are scheduled to be completed by May-end. The World Bank has projected that India's economy will grow at over 6% in 2014-15 and 7.1% by 2016-17 as global demand recovers and domestic investment increases. India's economic growth slipped to a decade's low of 5% in 2012-13.

Growth in the first half of 2013-14 is 4.6 per cent, but the government expects the growth for the entire fiscal ending March 2014 to be at 5 per cent. A further pick up is also expected in the coming months.

Moody's further projected India's inflation and interest rates to decline during the year.

The agency has assigned 'Baa3' rating on India with a stable outlook. 'Baa3' means medium grade with moderate credit risk.

The rating agency said the fiscal deficit would remain higher than those of similarly rated countries in 2014.

"Social welfare measures, for instance, such as the Food Security Act passed last year, will raise the government's medium-term expenditure commitment," Byrne added.

The Food Security Bill was passed by the Lok Sabha in August. The annual financial burden after its implementation is estimated to be about Rs 1.30 lakh crore at current cost.

The government hopes to contain fiscal deficit at 4.8% of GDP in the current fiscal and reduce it further to 3% by 2016-17.

Moody's further said the structure of India's government debt — which is owed mostly domestically, in domestic currency, at relatively low real rates, and at relatively long tenors — has mitigated stress on the government's fiscal position.


India faces 'slow recovery year' in 2014: Citigroup

The global financial services major adds the priority for the markets will be a single-party-led and stable alliance, with acceleration in economic policy making

New Delhi: The year 2014 is likely to be a "slow recovery year" for India, with economic growth rising, inflation easing and currency and rates largely stable, Citigroup said.

The global financial services major also said that while the emergence of the Aam Aadmi Party may change the political landscape in India, the priority for the markets will be a single-party-led and stable alliance, with acceleration in economic policy making.

"India should start recovering in 2014 — slowly, but likely steadily", Citigroup said in a research note today. "We see growth up, inflation down, the currency and rates largely stable".

The economy may expand by 5.1 per cent in the second half of FY14, led by agriculture and exports, following four consecutive quarters of sub-5 per cent growth and a 4.6 per cent rate in the first half of FY14, Citigroup said.

Moreover, investments may also "surprise" in FY15.

"While we expect improvement on the investment horizon, we recognise that it will be more evident post the general elections," according to the research note.

"Diminishing global tail risks" are also contributing to the recovery of the Indian economy.

"As we head into 2014, the global story is a bit clearer. Taper has begun and, while our team expects it to conclude by September 2014, it expects US monetary policy to continue being highly accommodative," Citigroup said.

Global real GDP growth measured at market exchange rates is expected to rise to 3.1 per cent in 2014 from 2.4 per cent in 2013, Citigroup said.

Citigroup maintained its estimate of a modest upturn in India's GDP growth from 4.8 per cent in FY14 to 5.6 per cent in FY15.

Wholesale and retail inflation are expected to head lower and average 6 per cent and 8.3 per cent, respectively, in FY15 compared with 6.5 per cent and 10 per cent in FY14.

The current account deficit may be contained at 2.3 per cent of GDP in FY14, according to Citigroup.

Four domestic factors to "look out" for in 2014 are politics, inflation, the external sector rebalancing and investments.

The emergence of the Aam Aadmi Party (AAP) is likely to change the political landscape of India, it said.

"With the AAP now likely to contest the general elections, earlier political arithmetic on likely election outcomes would need to be re-visited," Citigroup said.

IMF predicts higher global growth but warns of risks

International Monetary Fund expects global growth to pick up in 2014 though deflation is a "rising risk"

Reuters

Washington: The International Monetary Fund expects global growth to pick up this year, though deflation is a "rising risk" as long as economic growth stays below what policy-makers believe is optimal, the head of the Fund said on Wednesday.

IMF managing director Christine Lagarde expressed concern about price growth remaining below the target of many central banks, which could hurt the nascent recovery.

"If inflation is the genie, then deflation is the ogre that must be fought decisively," Lagarde said at the National Press Club in Washington.

An inflation rate that is well below the 2 per cent targeted by some of the world's major central banks carries risks in the longer term because it can deflate wages and demand, depressing the economy.

In the United States, Federal Reserve officials are stumped about why inflation has stayed so low for so long, and some worry it could be a sign the U.S. recovery is not as strong as some other economic data might indicate. In theory, inflation should rise as the job market heals.

However, disappointing data on U.S. nonfarm payrolls last week offered a cautionary note after a string of data - from consumer spending and trade to industrial production - had suggested the U.S. economy ended 2013 on strong footing and was positioned to strengthen further this year.

While December's unemployment rate fell 0.3 percentage point to 6.7 per cent, its lowest level since October 2008, the decline mostly reflected people leaving the labor force.

Lagarde said central banks should be careful to withdraw monetary stimulus only once the economy is clearly on a firm footing.

The Fed last month decided to trim its monthly bond purchases to $75 billion from $85 billion, and two of the U.S. central bank's most hawkish policymakers said this week that it should bring its bond-buying program to a swift close.

Lagarde said the so-called "taper" of the Fed's bond buying was not expected to roil markets as long as it was gradual.

"We don't anticipate massive, heavy and serious consequences," she said.

However, she said more rapid adjustments could cause sharp market gyrations and volatile capital flows, which would hit some emerging markets in particular.

Developing economies, which had been the engine of the global recovery after the 2008 financial crisis, are now slowing due to cyclical factors, Lagarde said.

"Overall, the direction is positive, but global growth is still too low, too fragile, and too uneven," she said.

India likely to grow at 4.6%: IMF

Growth in India has picked up in the last few months and is expected to firm further on strong structural policies supporting investment, says IMF report

Reuters

Washington: India is likely to clock an economic growth rate of 4.6 per cent this financial year and the expansion may improve to 5.4 per cent in 2014-15, the International Monetary Fund (IMF) said on Tuesday in a report.

"Growth in India picked up after a favourable monsoon season and a higher export growth and is expected to firm further on strong structural policies supporting investment," IMF said in its World Economic Outlook update.

The growth rate in 2015-16, at factor prices (excluding taxes), is likely to be 6.4 per cent, it added.

At market prices (basic prices plus taxes but less subsidies), India's growth rate in 2013-14 is likely to be 4.4 per cent, IMF said. Its earlier estimate in October was 3.8 per cent.

For the next two financial years, IMF projected a growth rate of 5.4 and 6.4 per cent respectively.

India's economy slowed to a decade low of 5 per cent in the last fiscal due to global slowdown and domestic factors, like high interest rates.

Growth rate during April-September of 2013-14 slipped to 4.6 per cent from 5.3 per cent in the same period last financial year.

The report also said global activity strengthened during the second half of 2013 and is expected to improve further in 2014-15, largely on account of recovery in the advanced economies.

"Global growth is now projected to be slightly higher in 2014, at around 3.7 per cent, rising to 3.9 per cent in 2015...," the report said.

BRICS pack a good initiative by emerging nations: Stiglitz

BRICS which is a grouping of five developing or newly industrialised countries are distinguished by their large and fast-growing or emerging market economies

Reuters

New Delhi: Nobel laureate Joseph Stiglitz today said the creation of BRICS (Brazil, Russia, India, China and South Africa) was a good initiative by emerging market economies as they have resources to have better economic growth.

"The one good news is the BRICS pack. That is the one initiative that has come from the emerging markets....The BRICS, their GDP is today better than the advanced world, they have the resources to do it and also there is a need (for them to grow)," said Stiglitz.

Stiglitz, who is also a professor at the Columbia University, was addressing a seminar on 'Global Financial Crisis: Implications for Developing Economies' organised by the United Nations ESCAP (Economic and Social Commission for Asia and the Pacific).

BRICS which is a grouping of five developing or newly industrialised countries are distinguished by their large and fast-growing or emerging market economies.

However, he said that the emerging countries should rely on each other and internal demand for their growth to keep going as the world economy is not growing well.

"Europe and America were the centres of Lehman Brothers collapse five years back. People in Europe are celebrating the fact that next year the growth is likely to be positive."

"In India, an average growth of 5-6 per cent shows that these economies are not performing well...The emerging countries cannot rely on the developed countries as a source of economic growth. They have to rely on each other and on internal demand," he added.

He also said that the creation of euro was a big mistake and there is a need to restructure the euro zone.

"In Europe the fundamental problem is that the euro was a mistake. And the leaders of Europe have not figured out what to do with this big mistake. What is needed is to restructure the euro-zone and that is very difficult."

Stiglitz also said that the single-minded focus by the western countries on the inflation was wrong and there should be more focus on employment creation and generation of growth.

Also, the Deputy Chairman of the Planning Commission Montek Singh Ahluwalia who also addressed the seminar said India's fundamentals are strong and it will not be much affected by global factors.

"For India, the fundamentals are strong and savings rate are high...so our investment rate should be about 38 per cent".

"So somewhere between 2-2.5 per cent is the Current Account Deficit (CAD) that needs to be fair....the percentage of the resources in terms of investment that is going to come from internal sources is very very high".

"So whatever happens on the global front don't make much difference (for India)," Ahluwalia said.

No poor country in world by 2035, says Bill Gates

World's richest man Bill Gates says the divide between rich and poor countries has been filled in by China, India, Brazil, and others

Reuters

New Delhi: There will be no poor countries in this world by 2035 as these nations will benefit from innovations of their rich counterparts, world's richest man Bill Gates has said.

"I am optimistic enough about this that I am willing to make a prediction. By 2035, there will be almost no poor countries (as per the current definition) left in the world," Gates said in the Bill & Melinda Gates Foundation's annual letter published today.

"Almost all countries will be what we now call lower- middle income or richer. Countries will learn from their most productive neighbours and benefit from innovations like new vaccines, better seeds, and the digital revolution. Their labour forces, buoyed by expanded education, will attract new investments," he said.

By 2035 most countries will have higher per-capita income than what China has right now. "More than 70 per cent of countries will have a higher per-person income than China does today. Nearly 90 per cent will have a higher income than India does today," he said.

Bill Gates said that the divide between rich and poor countries has been filled in by China, India, Brazil, and others. Since 1960, China's real income per person has gone up eight-fold. India's has quadrupled and Brazil's has almost quintupled, he said.

He voted against the "three myths" that block progress for the poor -- poor countries are doomed to stay poor, foreign aid is a big waste; and saving lives leads to over-population.

"The belief that the world is getting worse, that we can't solve extreme poverty and disease, isn't just mistaken. It is harmful," Gates wrote. "By almost any measure, the world is better than it has ever been. In two decades it will be better still."  


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