Monday, September 16, 2013

जी बीस से ले आये आदेश जनादेश हो या नहीं सुधार लागू होंगे सारे भूमि आंदोलन की महादेवी भी अब गुजरात की राह पर खेत होंगे तबाह देशभर में जो बचेंगे खेत,उनमें होगी बंधुआ खेती अब नमो मुकाबले दीदी भी है कारपोरेट विकल्प भूलना नहीं भइया RBI Governor Raghuram Rajan’s report to be lynchpin of financial sector reforms

जी बीस से ले आये आदेश

जनादेश हो या नहीं

सुधार लागू होंगे सारे

भूमि आंदोलन की महादेवी भी

अब गुजरात की राह पर

खेत होंगे तबाह देशभर में

जो बचेंगे खेत,उनमें होगी

बंधुआ खेती अब

नमो मुकाबले दीदी

भी है कारपोरेट विकल्प

भूलना नहीं भइया


RBI Governor Raghuram Rajan's report to be lynchpin of financial sector reforms



पलाश विश्वास

कारोबारी सप्ताह का पहला दिन

कारोबारी सप्ताह के पहले दिन घरेलू शेयर बाजारों ने दोतरफा पॉजिटिव संकेतों के चलते बढ़िया ट्रेडिंग दर्ज की जा रही है। सेंसेक्स करीब 300 पॉइंट बढ़कर खुला जबकि शुरुआती ट्रेडिंग में निफ्टी में भी 90 से अधिक अंकों की छलांग देखने को मिली। एशियाई बाजारों से मिल रहे सकारात्मक संकेतों के चलते और रुपए में रिकवरी के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उछाल देखी गई।


अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 62.50 के स्तर तक मजबूत हुआ है। वहीं, एशियाई बाजारों से भी सकारात्मक संकेत बाजार को मिले हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला इंडेक्स सेंसेक्स बह 9 बजकर 30 मिनट पर 327.76 पॉइंट बढ़त के साथ 20065.38 पॉइंट पर कारोबार करता देखा गया। इसमें 1.69 फीसदी देखी गई।


वहीं नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों वाला इंडेक्स निफ्टी लगभग 94 पॉइंट की बढ़त के साथ 5944.20 पॉइंट पर कारोबार करता देखा गया। जानकारों का कहना है कि पिछले सप्ताह आए पॉजिटिव आईआईपी डाटा के बाद बाजार की नजर अब इस सप्ताह आने वाले मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर रहेगी।

जी बीस से ले आये आदेश

जनादेश हो या नहीं

सुधार लागू होंगे सारे


भूमि आंदोलन की महादेवी भी

अब गुजरात की राह पर


खेत होंगे तबाह देशभर में

जो बचेंगे खेत,उनमें होगी

बंधुआ खेती अब


नमो मुकाबले दीदी

भी है कारपोरेट विकल्प

भूलना नहीं भइया


दिल्ली मुंबई महासत्यानाश गलियारा

बन रहा है बहुत जल्द

जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ

न रुके कदम,जबतक है दम


जोहार

धरती ही आस

प्रकृति ही विश्वास

जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ

न रुके कदम,जबतक है दम


शहरीकरण और औद्योगीकरण

की सुनामी रची गयी है भयानक

एक नहीं,दो नहीं,पूरे चौबीस

सिंगुर नयी मुंबई बनेंगे

पुणे और नईदिल्ली के बीच


हमतो सिर्फ वाहन है

बाकी लक्ष्मीजी हैं

हैं गणपति बाप्पा


मयूरवाहन कार्तिक भी हैं

हैं महिषमर्दिनी

गणपति का बाद

दुर्गोत्सव की धूम है



सुधारों के मध्य

नरसंहार संस्कृति बूम बूम है

बांग्ला बिग बास खत्म होते न होते

हिंदी में भी आ गया बिग बास

सेलीब्रेटी सेक्सी लाइफ स्टाइल

अमेरिका बना रहा भारत

सर्वकालीन श्रेष्ठ जो हैं

जिनकी आवाज के दीवाने

हम बचपन से

जिनके क्रोध से महकता

रहा स्लिवर स्क्रीन

स्थगित क्रांति के मध्य में

सत्तार दशक से अबतक

गोरखपांडेय को जो उद्धृत करते हैं

वह बिग बी भी अवतरित

आईपीएल इकानामी

का जयाकारा लगा रहे

फेसबुक दीवाल पर

कारपोरेट बोली है

उनकी विशुद्ध हिंदी

हमारे मुद्दे न जाने कब होंगे

उनकी जुबान पर

मन मारकर क्या करोगे भइया

सारे के सारे आइकन

दिवंगत और जीवित

सारे के सार महापुरुष

देव और देवियां

साधु संत महापुरुष

सारे के सारे धर्मग्रंथ

सारे के सारे धर्मस्थल

अस्मिताएं सारी

आस्थाएं तमाम

तमामा धार्मिक जन

विद्वत जन तमाम

अनूदित हैं बाजार भाषा में

जैसे तमाम अखबार

टीवी चैनल,पोर्चल और

यहां तक कि सोशल नेटवर्किंग

कालाधन कालाधन

सुन रहे हैं हर जुबान पर

किसी ने कहा था कभी

कालाबाजारियों को

सरेआम लैंप पोस्ट पर

लटका दिया जायेगा

वे चीख चीख कर कहते रहे

कि सारा कालाधन

जनता के खाते में वापस आयेगा

हुआ कुछ भी नहीं

जो हमारा था,छिनता रहा

छिनती रही जल जंगल जमीन

छिन गयी नागरिकता

मोहताज हम अधिकारों से वंचित

मोहताज हम दाने दाने के लिए

महामहिम राष्ट्रपति भी

कारपोरेट सभा में रिरियाते

चिदंबरम बोलते हैं झूठ

अपने दम पर बाजार

के ही हित साधते रहे वे

क्रांति का सपना दिखा रहे थे जो

वे सारे के सारे कारपोरेट हो गये

कारपोरेट हो गया साहित्य

कारपोरेट हो गया मीडिया

कारपोरेट हो गयी भाषायें

और बोलियां भी कारपोरेट

व्याकरण कारपोरेट

विधाएं कारपोरेट

कारपोरेट सौंदर्यबोध

कारपोरेट कांटटेंट

सारा का सारा पाठ

उलट पुलटकर जैसे भी देखो

कारपोरेट के सिवाय कुछ नहीं

ताड़पत्र अब ताम्रपत्र है

धर्मग्रंथ सोप आपेरा

सारा सांस्कृतिक परिदृश्य

कारपोरेट हो गया भइया

सर्वत्र बाजार की जीवन शैली

महामहाता अमेरिका सर्वत्र

या फिर घनघनाता इजराइल

मानवता के विरुद्ध

युदध अपराधी सारे

अब राष्ट्रनेता है

धर्मांध हम,अंध भक्त हम

मूरति पूजा में निष्णात

जो काफिर नहीं थे भइया

वे भी काफिर हो गये भइया


बीमा का प्रीमियम भी नहीं मिलता

दो वक्त का खाना मयस्सर नही

हम महादेशों के पार

छोड़ने लगे आणविक मिसाइल


सर पर छत नहीं

चांद और मंगल पर

बसाने लगे हम बस्तियां


जापान ने बंद कर दिया

आखिरी परमाणु संयंत्र भी

राजधानी के बगल में

नरौरा में ,पश्चिम उत्तर प्रदेश के

सबसे हरे भरे जनपद में


परमाणु संयंत्र है हमारा


लीक हुआ तो रेडियेशन से

बचेगा नहीं राजधानी


मुंबई के सीने पर

एक नही पांच पांच

परमाणु संयंत्र जैतापुर में


कुड़नकुलम जलसत्याग्रह के

उपरांत भी हुआ चालू

कहीं कोई हलचल नहीं

हमारे नपुंसक दिलोदिमाग में


कलपक्कम से घेर लिया

चेन्नै जहां रामास्वामी

पेरियार अब अयंगर हैं


कोलकाता भी घिरने लगा है

दीदी आजमा रही हैं

पीपीपी माडल


करोड़ों लोगो को रोजगार

निजी पूंजी के जरिये

ऐसी है उनकी योजना


सुंदरवन को अलग जिला बना रही

समुंदर में बसा रही वे

केदारनाथ जलप्रलय


बंगाल के खेत होंगे

सारे के सारे बंधुआ

बीज होंगे जैविकी


निजी पूंजी के लिए

हर खिड़की खुली है

खुला है हर दरवाजा


बाजार अब चुनता है

सारे के सारे मुख्यमंत्री

प्रधानमंत्री भी अब बाजार का

रायसीना हिल्ज में भी बाजार सजा है

सिर्फ नीति निर्धारक तमाम अमेरिकी

या फिर अमेरिका के गुलाम


इतिहास नहीं है

वर्तामान यथार्थ है

कि भार में गुलाम वंश का राज है

गुलामों का ही राजकाज है


बाजार हुआ हिमालय चप्पा चप्पा

बाजार हो गया विंध्याचल

और अररावली की श्रेणियां


पश्चिम घाट के सारे पहाड़

अब कत्लगाह में तब्दील


कन्याकुमारी में तीन

सागरों का पानी

और रामेश्वरम में तमाम

पवित्र नदियां,सबकुछ

सबकुछ बाजार में तब्दील हैं


हम देख रहे हैं निर्वाक

बिना प्रतिरोध यह महादेश

अब बन गया डालर उपनिवेश


मूर्तिपूजा से मिले फुरसत

तो कर्मकांड हैं सारे

टीवी पर अखंड पाठ है

राजनीतिक राजसूय यज्ञ है


कारपोरेट फंडा है तमाम

कारपोरेट झंडे भी तमाम

हम पैदल सेनाएं हैं


हमलावरों के खिलाफ

लेकिन हम पूरे के पूरे

एक सौ बीस फील्डर बिस्ट


तमाशबीन लेकिन हम

सिखों के नरसंहार विशेषज्ञ


धर्मस्थल गिराने के विशेषज्ञ हम

करसेवा के विशेषज्ञ भी हमीं तो


ध्वंसावशेष पर हम लगाते

जयकारा,करते जागरण


उत्सव मनाते हम

अपने ही अनंत वध का


स्वजनों के खून से

रंगा है हमारा चेहरा


यह चेहरा नहीं छुपाते हम

वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति


हम रचते कभी गुजरात

तो कभी रच देते मुजफ्फरनगर


हनारे हाथों में है

स्वजनों का खून


रक्तनदियों में पुण्यस्नान

से पाप स्खलन करते हैं हम

पाप का बोझ इतना है भारी


परलोक बदलने के फिराक में

इहलोक में कयामत बरपाते हम


बीमा का पूरा प्रीमियम

अब कभी नहीं मिलेगा


शेयर बाजार में सांड़ों और

भालुओं के हवाले है

हमारा जीवन


पूंजीपतियों को हर साल

लाखों करोड़ की छूट


कहिये,कारपोरेट झंडेवारदार

देव और देवियों ने कब कहां

निकाला हो मोर्चा इस

सालाना टैक्स चोरी के खिलाफ


निजी पूंजी जो भी है

वह हमारी पूंजी के

सिवाय कुछ नहीं है


सरे बाजार दिनदहाड़े

लुटे जा रहे हैं हम


बेटियां हो रही हैं

बलात्कार की शिकार


बाजार में खड़ी कर रहे हैं

गृहवधुओं को हम


थ्री जी फोरजी स्पेक्ट्रम में

अपनी ही बहु बेटियों और

माताओं की भी नंगी

तस्वीरें,ब्लू फिल्में देखने

में निष्णात हम


बाजार ने छीन लिया

बच्चों की मासूमियत

सौगात में दे दी हिंसा लबालब


छिन गया है बचपन सिरे से

जैसे गांव छिन गया

कहीं सत्याग्रह किया किसीने

कहीं निकला कोई

मोमबत्ती जुलूस


बलात्कार के लिए रक्षा कवच

सशस्त्र सैन्य बलों को

नारी उत्पीड़क को ही

राष्ट्रपति का शौर्यपदक


विरोध तक दर्ज नहीं

करती हमारी जुबान

हम बेजुबान लोग हैं भइया


नीति निर्देशक तमाम अमेरिकी

खेतों खलिहानों से निकलकर

जैसे हमारी फिल्में अब

हो गयी विशुद्ध अमेरिकी


यहां तक कि शुद्ध देशी

रोमांस भी लिव इन अमेरिकी


सारा का सारा देवमंडल अमेरिकी

कैलास नहीं,अमेरिका प्रवास पर हैं

दुर्गा महिषमर्दिनी


अमेरिकावासी हैं गणपति बप्पा भी

अमेरिकी हित साधते हैं

सारे के सारे


बाकी बाजार है

या फिर नाटो है

या फिर पेंटागन है


जयकारा चाहे लगाओ किसी की

इस पृथ्वी का एक ही ईश्वर अमेरिका


धर्मांध तमाम लोग कर ले चाहे जिहाद

हो जाये सारे के सारे तालिबान

इस पृथ्वी का एक ही ईश्वर अमेरिका


डायरेक्ट टैक्स कोड लागू हुआ नहीं है

जीएसटी अभी लागू हुआ नहीं है

सिर्फ नकद सब्सिडी खत्म की जा रही है


हम लगातार कह रहे थे

एलपीजी के हथियार तमाम

बायोमेट्रिक और डिजिटल


हम खुद ब खुद कतारबद्ध

हम होने लगे हैं खुद ब खुद

बायोमट्रिक और डिजिटल


मजा तो यह है दोस्तों

बाजार के सारे पंडे

बाजार के सारे फंडे

यहां तक कि बाजार के

सारे के सारे अंडे अब

बायोमेट्रिक और डिजिटल


यह महादेश बिना प्रतिरोध

अब डालर उपनिवेश है

हम सब एफडीआई नागरिक


विकास के आंकड़ों से

हम कर रहे बारत का निर्माण

आर्थिक संकट लाद रहे हम

अपने ही कंधों पर ताकि

उनका परचम देश विदेश लहराये


राजस्व घाटा कहीं नहीं है

चालू खेते में घाटा गप्प है

व्यापार घाटा भी गोलगप्प है


सारा का सारा संसाधन

लुट गया सरे बाजार

हम मेले में भटकते रहे

कारवां लूटता रहा


नदियां लहूलुहान होती रहीं

घाटियां श्मसान बनती रही

कब्रिस्तान में तब्दील हुए

देशी उद्योग धंधे सारे


पेयजल भी अब

बहुर्ष्ट्रीयकंपनियों के हवाले


मजा देखिय़े,बाबासाहेब

का नाम लेकर देते सफाई

मूलनिवासी स्वयंभू


कि कह गये बाबासाहेब

अपना खेत खलिहान छोड़ दो

हरियाली को तबाह होने दो


कि कह गये बाबासाहेब

पृथ्वी और प्रकृति पर

अबाध बलात्कार होने दो


कि कह गये बाबासाहेब

शहरों में आकर बस जाओ


कि कह गये बाबासाहेब

महासत्यानाश गलियारा में

कुनबा को खप जाने दो


मुख्यमंत्रियों में छिड़ गयी है जंग

महासत्यानाश गलियारे में

अपने सूबे की जमीन देने की

बहती गंगा में हाथ धोने की


मिशन चला रहे थे जो लोग

दूसरी तीसरी आजादी

और सत्ता में साझेदारी

से सशक्तिकरण का सब्जबाग

दिखा रहे थे जो लोग


जनांदोलन के मसीहा

बने हुए थे जो लोग

राष्ट्रव्यापी जनांदोलन से

बौद्धमयभारत और सिंधु घाटी

की सभ्यता एक मुश्त लागू करने को

रात दिन जो कर रहे थे महापुरुषों

की विरासत का मंत्र जाप


वे लोग भी कारपोरेट हैं

कर्मकांड के विरोधी वे तमाम लोग

पुरोहिती के विरोधी वे तमाम लोग

बाजार का प्रधानमंत्री बनाने को

यज्ञ करा रहे हैं राजधानी में


मिशन के वे तमाम होलटाइमर

बालक ब्रह्मचारी,निःस्वार्थ मसीहा

भी हत्यारों की जमात हैं अब


गैस चैंबर से निकलने के खातिर

जिनपर था भरोसा वे भी

कातिलों की जमात हैं अब


अभी तो बस रोजगार छिना है

अभी तो बस नियुक्तियां बंद है

अभी तो बस कल कारखाना सूना है

अंजाम इसे भी बुरा होना है


अंध भक्तों, नाम जाप से कुछ नहीं होना है

फंडिंग से सिर्फ उनका घर भरना है

अंजाम अभी बहुत बहुत बुरा होना है


अभी तो पेंशन का बंटाधार हुआ है

एफडीआई खुदरा बाजार में हुआ है

एफडीआई विमानन,बीमा,पेंशन,मीडिया

और रक्षा कारोबार में हुआ है


अभी तो रंग बदलना शुरु हुआ है

लगे रहो मुन्ना भाई


इमारत बुलंद करते रहे

पेंट और डियोड्रेंट लगाते रहो

पैंट उतारते रहो


सारे के सारे धर्म स्थल

अभी तो लिवइन हानीमून स्पाट है


अभी तो सुंदरवन और हिमालय भी

खुला बाजार बनने लगा है


कीलें अभी पिछवाड़े पर

ठुकी नहीं है पूरी तरह


हम अपने कफन का सामान

जुटाने के खातिर अभी से


स्वजनों के खून से नहाने लगे हैं

नरभक्षियों की जमात अब सत्तावर्ग है


चारों तऱफ हैं औघड़ तमाम

चारों तरफ हैं निर्मम कापालिक

चारों तरफ है धर्म का यंत्र


मंत्राच्चार तमाम पवित्र

और बीज मत्र में ही

हम अपना सारा अधिकार

समर्पित कर चुके हैं


अपनों को ही डायन बनाकर जिंदा

जला रहे हैं हम


कालचक्र को भूल चुके हैं हम

टोटम और टोटका में जी रहे हैं हम


विपाश्यना से फटी सी रहे हैं हम

योगाभ्यास से सुधार रहे हैं सेहत

अपना ही कंकाल चबा रहे हैं हम


पेंशन का बंटाधार हुआ तो

मातम कहां मना रहे हम


नहीं मिला बोनस तो

विरोध कहां जता रहे हम


बिक रहा सारा सार्वजनिक उपक्रम

हमने कब प्रतिवाद किया


हम सारे के सारे हो गये

ठेका मजूर,संतान उत्पादन में भी

अक्षम,आईसीयू में जी रहे लोग हैं हम


यूज एंड थ्रो हो गये हम

हम कंडोम हो गये थोक भाव से


ताकताक कर रति आनंद लेने वाले

विकलांग लोग हो गये हैं हम


रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ

हाट सेक्स के आदी हो गये हम


हम लुंगी डांस के कार्निवाल में

शामिल चेनै एक्सप्रेस


किसी को कानोंकान खबर नहीं है

कि कहां कहां जमा पूंजी लुटा रहे हैं हम


किसी को होश नहीं

कब कहां बेहोश,मदहोश हुए हैं हम


हम सारे लोग गैस चैंबर में बंद हैं

बंद हैं तमाम खिड़कियां

और बंद तमाम दरवाजे

यह महादेश अब महातिलिस्म हैं


जोहार

धरती ही आस

प्रकृति ही विश्वास

जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ

न रुके कदम,जबतक है दम



जाग सको तो जाग जाओ भइया

कि सिंहद्वार पर दस्तक

बहुत तेज है भइया


जोहार

धरती ही आस

प्रकृति ही विश्वास

जुड़े हाथ हाथ,बना रहे साथ

न रुके कदम,जबतक है दम

Excessive regulation can impede financial innovation: Rangarajan

Pitching for non-restrictive regulation in financial sector, C Rangarajan said too many norms can impede financial innovations.

High inflation may make monetary policy call tougher for Raghuram Rajan: Analysts

Agencies 16 Sep 2013, 13:05

Weighed down by concerns of a volatile and depreciating rupee, persistently high inflation and a huge current account deficit, Rajan is unlikely to reduce key rates.


New law to regulate biomedical, health research

PTI 15 Sep 2013, 18:00

The Ministry of Health has proposed the Biomedical and Health Research Bill to ensure ethical research in all institutions with proper care and compensation policy for human participants in such task.

Government further cuts import tariff value of gold, silver

PTI 15 Sep 2013, 12:12

The government has further slashed the import tariff value of gold and silver to $432 per 10 grams and $736 per kg, respectively.

Power of Attorney holder can also file cheque bounce cases: Supreme Court

PTI 15 Sep 2013, 11:08

SC held that a criminal complaint in a cheque bounce case can be filed and pursued by a person who holds power of attorney.

Finance Ministry asks LIC to name board members in 50 firms

PTI 15 Sep 2013, 11:02

FinMin has asked Life Insurance Corporation of India to appoint board members in 50 companies in which it has a stake and no representation.

Government notifies food security law

PTI 15 Sep 2013, 10:57

Govt has notified the landmark food security legislation, giving a legal right on highly subsidised foodgrains to 67 per cent of the country's population.

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  6. More clear, uncluttered reforms will boost economic growth

  7. Economic Times-14-Sep-2013

  8. UPA govt shows no interest in raising productivity, and focuses instead on a clutter of conditions and permits to woo sundry vote banks.

  9. *
  10. History of economic crisis and reforms: Deja Vu?

  11. Livemint-15-Sep-2013

  12. The fourth volume of RBI's history (1981-1997), is much more than the story of central banking—it's the economic history of India during that period.

  13. *
  14. France still needs to do much more on economic reforms: Olli Rehn

  15. Economic Times-13-Sep-2013

  16. France, struggling for growth, must push ahead with economic reforms to restore its competitive position, EU Economic Affairs Commissioner ...

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  19. Kuldeep Bishnoi on socio economic reforms in India

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  21. Kuldeep Bishnoi and Kuldeep Bishnoi brother ( Chander Mohan) are religiously working towards women empowerment, education, eradication ...

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  23. ICAI to give suggestions on fiscal reforms to Finance ministry

  24. Economic Times-14-Sep-2013

  25. ICAI said a list of suggestions were being prepared by it to be given to the Union Finance ministry for helping the government tide over the ...

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  27. China free-trade zone spurs hope for reform revival

  28. Economic Times-12-Sep-2013

  29. A planned free-trade zone in Shanghai is raising hopes that China's new leaders will revive long-stalled economic reforms as they seek to ...

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  33. China reforms likely to be slow and steady: Analysts

  34. Economic Times-12-Sep-2013

  35. Li Keqiang's remarks came before a key Communist Party meeting in November but analysts said a "big bang" approach to change was off the ...

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  37. Rupee decline a shock but no reversal of economic reforms: PM

  38. Zee News-30-Aug-2013

  39. New Delhi: Breaking silence over the rapidly declining value of rupee, Prime Minister Manmohan Singh Thursday said the development was ...

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  42. French economic reforms can't go any faster, finance minister says

  43. Reuters UK-12-Sep-2013

  44. PARIS (Reuters) - French Finance Minister Pierre Moscovici said on Friday the pace of economic reform could not be accelerated, as he fended ...



RBI Governor Raghuram Rajan's report to be lynchpin of financial sector reformsThe Rajan committee had suggested more small private banks, disinvestment in small, underperforming state-run banks, the freeing of branch licensing rules.

Editor's Pick

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NEW DELHI: Next up on India's reformsagenda is the financial sector. After retail, aviation and fuel prices, the government is getting ready to roll out the long-overdue, next generation of measures aimed at freeing up the country's financial sector and a framework for this could be in place as early as next month.


The plan to kick off the process, stalled for many years, was discussed in the run-up to the appointment of Raghuram Rajan as Reserve Bank of India governor and has the highest political sanction. The reforms blueprint will lean heavily on the two high-profile reports already available with the government, one of them authored by Rajan himself.


"We will have a framework ready soon and will take it to the Financial Stability and Development Council (FSDC) for deliberation before the measures are rolled out," a senior finance ministry official told ET.


Financial sector reforms took a back seat after the global meltdown in the belief that India's conservatism had saved it from the worst effects, which which wasn't the right lesson to draw from the experience, Rajan had said in his 2008 report on financial sector reforms, 'A Hundred Small Steps'.


The policy paralysis that gripped the government in the first three years of the UPA-2 administration (2009-12) also contributed to the lack of progress on changes in the sector even as the government swore on the need to improve financial inclusion.


P Chidambaram's return as the finance minister in August last year was followed by a series of measures to break the policy logjam — fuel price reforms, the opening up of multi-brand retail, the establishment of the Cabinet Committee on Investment. It's now the turn of the financial sector. "The idea is to pick out 10-12 recommendations that could be taken up," the official added.


Drawing up the blueprint for change shouldn't be too onerous as two committees have conducted an exhaustive study of what needs to be done.


The High-Powered Expert Committee (HPEC) on making Mumbai an international financial centre called in 2007 for "deregulating, liberalising and globalising, all parts of the Indian financial system at a much faster rate".


Rajan's 2008 report cited above spoke of the "need to deregulate certain areas of the financial sector" and "focus on creating necessary institutions, and closing important gaps in regulation".


The Reserve Bank has sought suggestions on the banking structure in India in response to a discussion paper released last month. That could yield more ideas for the reforms exercise.


The Rajan committee had suggested more small private banks, disinvestment in small, underperforming state-run banks, the freeing of branch licensing rules, and the greater participation of foreigners in Indian financial markets.


Rajan, reputed as one of the few who warned about trouble ahead of the 2008 financial crisis, has already set the ball rolling in a way with a flurry of announcements on the day he took over as the RBI governor — September 4. He also said that new bank licences could be issued in January. India had first raised the prospect of new banks in 2010. Financial sector reforms are badly needed, experts said.


"This is good news... financial sector reforms in India are long overdue," said Jahangir Aziz, senior Asia economist and India chief economist at JPMorgan Chase. The "past five years we did not touch anything for the fear of doing something unintended".


Aziz also cited the widespread belief in India that the country was ring-fenced in 2008 by the restrictions and controls it had in place and said there had been no empirical study of the cost that taxpayers had to bear.


India's interest rates shot up to among the highest in emerging market economies after the crisis, besides which RBI's foreign exchange losses have been substantial, he said. Even when it comes to financial inclusion, competition is needed to ensure that it happens, he said.

http://economictimes.indiatimes.com/news/economy/policy/rbi-governor-raghuram-rajans-report-to-be-lynchpin-of-financial-sector-reforms/articleshow/22611254.cms

केंद्र सरकार आने वाले दिनों में आर्थिक सुधारों की गाड़ी को और रफ्तार देने जा रही है। इस बात के साफ संकेत यहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिए। प्रधानमंत्री वैसे तो जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक को संबोधित कर रहे थे लेकिन उन्होंने इस संबोधन का इस्तेमाल विदेशी निवेशकों व अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों के बीच विश्वास बहाली के लिए खूब किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अभी कुछ महत्वपूर्ण कड़े आर्थिक सुधार करने वाली है।

देश की अर्थंव्यवस्था के समक्ष अभी सबसे बड़ी चुनौती चालू खाते के घाटे की है। इस पर दो वर्षो के भीतर काबू में पाने का भरोसा प्रधानमंत्री ने दिया। उन्होंने कहा कि चालू खाते का घाटा अभी जीडीपी का 4.8 फीसद है जिसे वर्ष 2013-14 में 3.7 फीसद के स्तर पर लाया जाएगा। इसे आगे घटा कर 2.5 फीसद के सामान्य स्तर पर लाया जाएगा। तेज आर्थिक विकास की तरफ अर्थव्यवस्था को मोड़ने के लिए उदारवादी नीतियों को जारी रखा जाएगा। इस संदर्भ में हाल के दिनों में कई कदम उठाए गए हैं। आने वाले दिनों में आर्थिक सुधार के और कदम उठाए जाएंगे। सब्सिडी घटाने, टैक्स व वित्तीय ढांचे में सुधार के लिए कठोर फैसले किए जाएंगे। पीएम ने मौजूदा मौद्रिक संकट से उबरने के लिए जी-20 देशों के बीच और गहरे संपर्क की वकालत की और कहा कि वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को सुधारने की सामूहिक जिम्मेदारी सभी देशों की है।

जी-20 देशों की बैठक को संबोधित करने से पहले प्रधानमंत्री ब्रिक्स देशों के प्रमुखों की अलग हुई एक बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिंगफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिलमा रुसौफ मौजूद थी। गहरे आर्थिक संकट में फंसने के करीब पहुंच चुके ब्रिक्स देशों ने अमेरिका की संभावित मौद्रिक नीति के विपरीत असर से बचने के लिए सौ अरब डॉलर का एक फंड बनाया है। ब्रिक्स देशों ने जो फंड बनाया है उसमें सबसे बड़ा योगदान [31 अरब डॉलर] चीन का है। भारत, रूस और ब्राजील 18-18 अरब डॉलर देंगे। जबकि दक्षिण अफ्रीका पांच अरब डॉलर देगा।

फंड के गठन के साथ ही ब्रिक्स देशों ने अमेरिका व अन्य विकसित देशों से आग्रह किया है कि वे विकासशील देशों को भरोसे में लेकर ही अपनी मौद्रिक नीति बदलें। सनद रहे कि अमेरिका व कुछ अन्य विकसित देशों की तरफ से ये संकेत दिए गए हैं कि उनकी अर्थव्यवस्था सुधरने लगी है, इसलिए पिछले कुछ वर्षो से उन्होंने जो नरमी वाली आर्थिक नीति अपना रखी थी उसे बदल सकते हैं। हाल के हफ्तों में भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका सहित तमाम विकासशील देशों की मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले जो गिरावट आई है उसके लिए इस संभावित नीति को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।



भारतीय अर्थव्यस्था बुनियादी तौर पर मौजूद है। मौजूदा आर्थिक संकट से निराश होने की जरूरत नहीं है। निवेश बढ़ाने व राजकोषीय घाटा कम करने के लिए कारगर कदम उठाए गए हैं। इनका सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था में तेजी से उछाल के रूप में सामने आएगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपना यह भरोसा यहां बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की वार्षिक सभा को संबोधित करते हुए जाहिर किया। राष्ट्रपति शनिवार को तीन दिवसीय कोलकाता दौरे पर आएं हैं।


प्रणब ने कहा कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन निराशाजनक स्थिति नहीं है। पूरा विश्वास है कि भारतीय अर्थव्यस्था जल्द पटरी पर लौटेगी। आर्थिक सुधार जारी रहना चाहिए। विकास के लिए जिस क्षेत्र में जरूरत हो वहां बदलाव होना चाहिए। इस वर्ष बेहतर मानसून से कृषि उत्पादन अच्छा होगा। इससे खाद्य उत्पादों की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। ये सब वजहें ऐसी हैं, जो निवेश बढ़ाने और राजकोषीय घाटे में कमी के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देंगी।

देश विषम परिस्थितियों से बाहर निकलने का माद्दा रखता है, भले ही वह बाहर की हो या घरेलू कारणों से पैदा हुई हों। पहले भी अर्थव्यवस्था में ऐसे अवसर आए हैं, मगर यह इनसे बाहर निकलकर फिर से विकास पथ पर तेज रफ्तार से दौड़ी है।

उन्होंने मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर करने के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत बताई। मुखर्जी ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा 25 प्रतिशत पर लाने के लिए इस क्षेत्र का विकास आवश्यक है। जीडीपी में 1980 से ही इस क्षेत्र का हिस्सा 16 प्रतिशत पर ठहरा हुआ है।


पिछली तारीख से टैक्स वसूलने की सरकार की मंशा देश की कारोबारी इकाइयों में निराशा पैदा करने वाला कदम साबित हुई है। सरकार की ओर से नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति ने यह बात कही है। समिति ने भारत में कारोबार को आसान बनाने के लिए कई कानूनी, प्रशासकीय और नियामकीय सुधारों के सुझाव दिए हैं।

सेबी के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी 77 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। पिछली तारीख से टैक्स लगाने के मसले पर समिति ने कहा कि मौत और टैक्स एकसमान रूप से मानव जीवन के अनचाहे पहलू हैं। लेकिन मौत भी कभी पिछली तारीख से नहीं आती। पिछली तारीख से टैक्स लगाने के प्रस्ताव से कारोबारी माहौल में भारी अनिश्चितता की स्थिति बनी और भारत में निवेश करने की मंशा रखने वाले लोग निरुत्साहित हुए। हालांकि एक सरकार को पिछली तारीख से टैक्स लागू करने का कानूनी अधिकार होता है लेकिन यह स्थिरता और निरंतरता की परीक्षा में खरे नहीं उतरते।

कंपनी मामलों के मंत्रालय को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार का यह एक ऐसा अधिकार है जिसमें आज नहीं तो कल सुधार करना पड़ेगा। क्योंकि कोई कारोबार या कंपनी सुधार का काम पिछली तारीख से नहीं कर सकती। ब्रिटेन स्थित दूरसंचार कंपनी वोडाफोन पर पिछली तारीख से टैक्स लगाने के प्रस्ताव के बाद दुनियाभर के आर्थिक हल्कों में इस मामले की आलोचना हुई थी। हालांकि बाद में सरकार ने वोडाफोन के साथ इस मामले में समझौते का प्रस्ताव दिया है।

पिछले साल कारोबार के बेहतर माहौल वाले देशों की सूची में भारत का स्थान 132 से फिसलकर 182वां होने के बाद सरकार ने सुधार के उपाय सुझाने के लिए इस विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने कानूनी सुधार, नियामकीय संरचना, दक्षता में वृद्धि, एमएसएमई क्षेत्र को जोड़ने और राज्य स्तर के मसलों से संबंधित पांच श्रेणियों में सुधार के विभिन्न सुझाव दिए हैं।

समिति ने कहा कि यदि आप सबके पास हथौड़ा है तो आपको हर चीज कील नजर आएगी। देश में कानून और नियम समय के साथ चलने में असफल रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि नियामकीय एजेंसियों में नियुक्तियों की प्रक्रिया समस्याओं की सबसे बड़ी वजह है। समिति ने सुझाव दिया है कि सही चयन और क्षमता विकास के जरिये प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा सूचना प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल से सही सूचनाएं हासिल करने और सही प्रक्रियाओं को लागू करने की कई बाधाएं दूर की जा सकती हैं।



Ganpati now and Durga after some days................



Information by RTI – Maharastra:

Total registered Ganpati Mandal      : 67,400,

Unregistered Ganpati Mandal           : 40,000

Ganpati in the Houses                       : 9,00,000 (only Pune – 1,40,000 + Kokan – 4,50,000 + Mumbai -1,65,000, )

Total Ganpati Puja                              : 90,00,000

One Ganpati Puja   : Brahmin taken Rs. 500 to Rs.700 minimum (lower side)

Only in the ten days Ganpati Festival  3% brahmins earn Rs. 450 crores to Rs.600 crores (without Tax)

Which is equal to a yearly budget of a small state in India. Where are we heading to ?????? why are the OBC/SC/STs are arming these brahmins with hundreds cores of rupees which is being used by them to crush you forever, to make you mental and physical slaves. Is their any tribe in the world who can be so foolish as we are ???????????????

And Now ……………………….

Bengal's Durga Puja industry to touch Rs.40,000 crore in 2015IANS – Mon 9 Sep, 2013 10:46 PM IST

Kolkata, Sep 9 (IANS) West Bengal's Durga puja industry is growing at a compound annual growth rate (CAGR) of about 35 percent and is expected to touch Rs.40,000 crore by 2015 from its current size of Rs.25,000 crore, according to an industry lobby Monday.

"Despite falling rupee, rising inflation and slowdown in the economy, the large business industries are targeting high profits margins during Durga Puja in West Bengal which is growing at a compound annual growth rate (CAGR) of about 35 percent," revealed a latest survey by the Associated Chambers of Commerce and Industry of India (ASSOCHAM).

Special Bengal tour packages for Durga Puja

Making public its recent paper on "West Bengal cashing in on Durga Puja celebrations", the ASSOCHAM said the cost of organising the puja has increased as much as over 30 percent compared to last year due to hike in the materials used.

"The current size of the Durga Puja industry is about Rs.25,000 crore, and is likely to touch Rs.40,000 crore by 2015 with its annual growth rate of 35 percent," it said.

As per the estimates, the pandal (marquee) industry is expected to touch Rs.500 crore in 2013 from Rs.350 crore in 2012, by growing at the same rate of 35 percent this year.

"About 10,000 Durgapuja marquees come up every year. The average expenditure of organisers is expected to go up by 20 percent this year owing to the surging inflation," says the paper.

"The total expenses have increased by 20 percent due to appreciation in all expenses from artists conceptualizing the theme to labour constructing the pandals to cost of idols, transportation, price of puja offerings and charge of dhakis (drummers)."

The entertainment companies as well as organisations in the lighting and decoration business seize the opportunity and often also see more than 35 percent growth in total turnover compared to other times, says ASSOCHAM.

Every year, over 20,000-30,000 idols are prepared across Kolkata. As per the estimates, the cost of raw materials for making the idols have also gone up by almost 15-20 percent this year.


"Due to the rising inflation, the prices of raw materials like clay, paint, clothes, ornaments etc are on the rise which has raised the total cost. It is being found that the cost of preparing idol has also increased between Rs.60,000 and Rs.5 lakh.

The food and beverage industry is anticipated to do an additional business of Rs.50-60 crores during the festive season.

"The demand for items for the puja such as lightings, flowers, flooring etc has already started increasing and is expected to increase this year by 20 percent compared to last year."

As per the ASSOCHAM findings, Durga Puja will also increase the profit margins of micro, small and medium enterprises.

http://in.finance.yahoo.com/news/bengals-durga-puja-industry-touch-171608347.html


अगस्त में थोक महंगाई दर बढ़कर 6.1 फीसदी रही है, जो 6 महीनों में सबसे ज्यादा है। जुलाई में महंगाई दर 5.79 फीसदी रही थी। वहीं, जून के 4.86 फीसदी के महंगाई आंकड़े को संशोधित करके 5.16 फीसदी किया गया है।

जुलाई के मुकाबले अगस्त में खाद्य महंगाई दर 11.91 फीसदी से बढ़कर 18.18 फीसदी रही है। प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर 8.99 फीसदी से बढ़कर 11.72 फीसदी रही है। फ्यूल एंड पावर ग्रुप की महंगाई दर 11.31 फीसदी से बढ़कर 11.34 फीसदी रही है। मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर 2.81 फीसदी से घटकर 1.9 फीसदी रही है। हालांकि, कोर इंफ्लेशन के मोर्चे पर राहत की खबर है। जुलाई के मुकाबले अगस्त में कोर इंफ्लेशन 2.4 फीसदी से घटकर 1.9 फीसदी रही है।

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन, सी रंगराजन का कहना है कि खाद्य महंगाई दर में उछाल आने से महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है। मॉनसून बेहतर रहने की वजह से आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई कम होने की उम्मीद है। सी रंगराजन के मुताबिक वित्त वर्ष 2014 के अंत तक महंगाई दर 5.5 फीसदी के स्तर पर रह सकती है। आगे मैन्यूफैक्चरिंग महंगाई में बढ़त दिख सकती है। केयर रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक महंगाई दर में फिर बढ़ोतरी दिख रही है। आगे भी महंगाई दर 6 फीसदी के ऊपर रहेगी।


कॉरपोरेट इंडिया की सेहत में सुधार के संकेत

वित्त वर्ष 2014 की दूसरी तिमाही में कॉरपोरेट इंडिया की सेहत में कुछ सुधार देखने को मिल रहा है। कम से कम एडवांस टैक्स के आंकड़े तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। दूसरी तिमाही में सिर्फ मुंबई से एडवांस टैक्स में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।


देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दूसरी तिमाही में 1534 करोड़ रुपये के मुकाबले 1670 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। एचडीएफसी बैंक ने भी 25 फीसदी ज्यादा एडवांस टैक्स जमा किया है। आईटी दिग्गज टीसीएस ने पिछले साल के 812 करोड़ रुपये के मुकाबले 1030 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स दिया है।


हालांकि टाटा मोटर्स ने इस बार भी पिछली बार की तरह कोई एडवांस टैक्स नहीं भरा। पेट्रो उत्पादों पर भारी घाटे के बावजूद ऑयल मार्केटिंग कंपनियों इंडियन ऑयल और बीपीसीएल ने 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का एडवांस टैक्स भरा है। पिछले साल दोनों कंपनियों ने एडवांस टैक्स नहीं भरा था। इसके अलावा एलआईसी ने भी दूसरी तिमाही में 1624 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स दिया है।


आरबीआई को तय करनी होगी प्राथमिकता

SBI

बीएसई | एनएसई 16/09/13

एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी का कहना है कि आरबीआई ने 15 जुलाई को जो लिक्विडिटी कड़ी करने के फैसले लिए थे अब उन्हें वापस लेना चाहिए। 20 सितंबर को आने वाली क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई को फैसला करना होगा कि वो सबसे ज्यादा प्राथमिकता किसको देगा। करेंसी, ग्रोथ या महंगाई इन तीनों में से किस पर ध्यान देना है ये आरबीआई को तय करना होगा।


कमजोर रुपये से शॉर्ट टर्म डेट मार्केट पर बुरा असर पड़ा है जिससे शॉर्ट टर्म डेट मार्केट की ग्रोथ बिल्कुल रुक गई है। इस समय शॉर्ट टर्म रेट महंगे हैं और लॉन्ग टर्म रेट कम हैं जिनका अर्थव्यवस्था पर खराब असर पड़ेगा।


करेंट अकाउंट घाटा कम करने के लिए सरकार को एक्सपोर्ट बढ़ाने पर जोर देना होगा। इसके लिए डेट का सहारा लेना ठीक नहीं होगा। कमजोर रुपये से एक्सपोर्ट को फायदा मिल रहा है जिसका सरकार को फायदा उठाना चाहिए।


एसबीआई ने 1 करोड़ रुपये से ऊपर के डिपॉजिट पर रेट बढ़ाकर 9 फीसदी कर दिए हैं और फिलहाल कर्ज की दरें बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। हालांकि जो बैंक सीडी और होलसेल फंडिंग पर निर्भर करते हैं उनके लिए चुनौतीपूर्ण माहौल बना हुआ है।


अर्थव्यवस्था में आएगा सुधारः बिमल जालान

आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान का कहना है कि देश की आर्थिक स्थिति अभी भी चिंताजनक है। हालांकि रुपये में सुधार हो रहा है और अन्य आर्थिक आंकड़ों में 2-3 महीनों में सुधार आने की उम्मीद है। इस समय देश के फंडामेंटल अच्छे हैं और अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार आने की उम्मीद है। रुपये में भी धीरे-धीरे सुधार होने की उम्मीद है।


आरबीआई के नए गवर्नर रघुराम राजन ने आते ही बाजार में भरोसा जगाया है और वो आगे भी अच्छा काम करते रहेंगे इसकी पूरी उम्मीद है। आरबीआई की प्राथमिकता ग्रोथ को बढ़ाना होगा जिससे बाजार को भरोसा मिलेगा। क्रेडिट पॉलिसी में रघुराम राजन ऐसी पॉलिसी की घोषणा करेंगे जिससे बाजार का सेंटीमेंट सुधरेगा। लंबी अवधि के नजरिए से पॉलिसी की घोषणा होगी।


वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी देश के वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। आरबीआई और सरकार के मिलेजुले प्रयासों से आर्थिक स्थिति के सुधरने का भरोसा है।


बिमल जालान के मुताबिक पहले के मुकाबले देश के फंडामेंटल अच्छे हैं जैसे देश का विदेशी भंडार काफी ज्यादा है, आईटी सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, देश का सेविंग और इंवेस्टमेंट रेट ज्यादा है और एक्सपोर्ट भी बढ़ रहा है।


वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में ग्रोथ धीमी रही है और इस साल आगे भी चुनौतियां बनी रहेंगी लेकिन अगर 2-3 साल का वक्त दिया जाए तो ग्रोथ में काफी तेजी आने की उम्मीद है। इस साल मॉनसून अच्छा रहा है और महंगाई नियंत्रण में रह सकती है। सरकार को ग्रोथ में रिवाइवल आने का भरोसा है।


बिमल जालान के मुताबिक इस समय भारत अन्य देशों के मुकाबले अमेरिका पर कम निर्भर है और वहां क्यूई3 के घटने से देश पर असर तो होगा लेकिन अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत कम प्रभावित होगा। अगर देश की ग्रोथ स्थिर रहती है और करेंट अकाउंट घाटा कम होता है तो क्यूई3 घटने का असर ज्यादा नहीं होगा।


करेंट अकाउंट घाटा कम करने के लिए सरकार को एक्सपोर्ट बढ़ाने होंगे और इंपोर्ट होने वाले उत्पाद कम करने की जरूरत है। इसके अलावा सरकार को ईंधन पर सब्सिडी कम करने की कोशिश करनी चाहिए।


बिमल जालान के मुताबिक देश की कॉरपोरेट स्थिति को सुधारने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है और बैंकों के एनपीए कम करने की जरूरत है। आरबीआई ने इस दिशा में कदम भी उठाए हैं और 2 नई कमेटी का गठन किया है।


आरबीआई ने जनवरी 2014 तक नए बैंक लाइसेंस देने की घोषणा की है जिसे पूरा कर लिया जाने की उम्मीद है। जो भी नए बैंक बने उन बैंकों को डिपॉजिटर के पैसे का पूरी तरह सही इस्तेमाल करना चाहिए।


पिटते-पिटते अब डॉलर को पीटने लगा है रुपया!

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले लगातार पीट रहा रुपया अब लगातार मजबूत होता जा रहा है। जो रुपया हर रोज पिट रहा था, अब डॉलर को पीटने लगा है। आज कारोबार की शुरुआत ही मजबूत रुपये से हुई। डॉलर के मुकाबले रुपया 90 पैसे की मजबूती के साथ खुला। आलम ये रहा कि रुपया चार सप्ताह के उच्चतम स्तर 62.58 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

निर्यातकों की ओर से डॉलर बिकवाली और पूंजी प्रवाह बढ़ने से फोरेक्स मार्केट में आज डॉलर की तुलना में रुपया 90 पैसे की मजबूती के साथ चार सप्ताह के उच्चतम स्तर 62.58 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। पिछले कारोबारी सत्र के दौरान रुपया दो पैसे के मामूली सुधार के साथ 63.48 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

बाजार विश्लेषकों ने बताया कि फोरेक्स बाजार में शुरुआती कारोबार के दौरान डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर 90 पैसे के सुधार के साथ 62.58 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गई। रुपये में सुधार के साथ ही निर्यात के मोर्चे पर हालत में सुधार की उम्मीद है।

रुपये में मजबूती के साथ ही आज शेयर बाजार ने भी मजबूती दिखाई। सुबह 11:20 बजे, सेंसेक्स 196 अंक चढ़कर 19929 और निफ्टी 51 अंक चढ़कर 5901 के स्तर पर रहे। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर 0.25-0.5 फीसदी मजबूत हैं।

बैंक निफ्टी 3 फीसदी उछला है। ऑटो, एफएमसीजी, कैपिटल गुड्स, पीएसयू, पावर, ऑयल एंड गैस शेयर 2-1 फीसदी चढ़े हैं। रियल्टी, मेटल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयर 0.6-0.4 फीसदी मजबूत हैं। आईटी, हेल्थकेयर, तकनीकी शेयर 1.75-1 फीसदी गिरे हैं। बैंक शेयरों में यस बैंक, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, एसबीआई, केनरा बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, पीएनबी, बैंक ऑफ इंडिया 6-1.25 फीसदी चढ़े हैं।


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Sahara Samay

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