Thursday, September 19, 2013

समझो तो इशारा काफी है हाथ कंगन तो आरसी क्या पढेलिखे को फारसी क्या सेंसेक्स 763 अंक चढ़ा अमेरिकी केंद्रीय बैंक के फैसले से अब बेदखली का महा अश्वमेध है महा नरसंहार यज्ञ है राजसूय उपरांत कारपोरेट राज्याभिषेक है Amritsar-Delhi-Kolkata industrial corridor to benefit 20 cities: Panel Corridor would be built along the 1,839 km long Eastern Dedicated Freight corridor between Khurja and Mugalsarai

समझो तो इशारा काफी है

हाथ कंगन तो आरसी क्या

पढेलिखे को फारसी क्या

सेंसेक्स 763 अंक चढ़ा

अमेरिकी केंद्रीय बैंक के फैसले से

অমৃতসর-কলকাতা শিল্প করিডর

নিয়ে বিশেষ কমিটি মনমোহনের


अब बेदखली का

महा अश्वमेध है

महा नरसंहार यज्ञ है

राजसूय उपरांत

कारपोरेट राज्याभिषेक है

Amritsar-Delhi-Kolkata industrial corridor to benefit 20 cities: Panel

Corridor would be built along the 1,839 km long Eastern Dedicated Freight corridor between Khurja and Mugalsarai



पलाश विश्वास


फोटो सौजन्यः विश्वदीप


BAMCEF UNIFICATION SPL.G.B. AT NAGPUR 5(PALASH BISWAS)

http://youtu.be/MVfpaDZ8tcY


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समझो तो इशारा काफी है

हाथ कंगन तो आरसी क्या

पढेलिखे को फारसी क्या

सेंसेक्स 763 अंक चढ़ा

अमेरिकी केंद्रीय बैंक के फैसले से


अमेरिका में राहत पैकेज को जारी रहने के फैसले से बाजारों में जोरदार तेजी आई है। सेंसेक्स 4 जनवरी 2011 के बाद के ऊपरी स्तर पर पहुंचा है। निफ्टी भी 31 मई 2011 के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर है। रुपया भी 2.7 फीसद की मजबूती दिखा रहा है। वैश्विक बाजारों में भी हैरान कर दिया है। डीएएक्स अपने ऑल टाइम स्तर पर है। वहीं, सीएसी सितंबर 2008 के बाद के अपने ऊपरी स्तर पर कारोबार कर रहा है। निक्कई, हैंगसैंग, स्ट्रेट्स टाइम्स करीब 2 फीसद उछले हैं। मजबूत यूरोपीय संकेतों से घरेलू बाजारों में तेजी बढ़ी है।





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Sensex closes 684 points up, highest since Nov 2010

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MUMBAI: The sensex on Thursday rose 684.48 points to end at 20,647, led by gains in banking stocks after the US Fed stunned markets and decided not to taper its asset-buying programme.

In-depth:Sensex rallies over 600 points, Nifty ends above 6100Economic Times

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अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले के कारण देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को दोपहर के कारोबार में भारी तेजी रही। दोपहर करीब 2.49 बजे बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 763.14 अंकों की तेजी के साथ 20,725.30 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के संवेदी सूचकांक निफ्टी 241.40 अंकों की तेजी के साथ 6,140.85 पर कारोबार करते देखे गए।


सेज विरोधी सिंगुर आंदोलन

केमिकल हब के खिलाफ

नंदीग्राम जनविद्रोह और

उसका खूंखार दमन

बंगाल में वाम सत्ता अवसान

का संक्षिप्त इतिहास यह


Controversy over nuclear liability law ahead of PM's US visit

Govt pushes US agenda ahead of PM visit


NEW DELHI: Ahead of Prime Minister's visit to the US, a controversy has broken out over the nuclear liability law with reports suggesting that an agreement will be signed which may not be in tune with the law.


The Cabinet Committee on Security will consider a proposal to sign an agreement between Nuclear Power Corporation of India Ltd (NPCIL) and the US-based operator Westinghouse Electric Company.


The US sees the civil liability for Nuclear Disaster Act as hurdle in selling nuclear reactors to India.


The law allows NPCIL to seek partial compensation from suppliers if their reactors are involved in a nuclear accident.


But in an opinion to the department of atomic energy, attorney general G E Vahanvati is learnt to have stated that it is upto the nuclear plant operator to invoke Section 17 of the act regarding liability of suppliers in case of a mishap.


The opinion will help New Delhi sign the contract. But the government sought to downplay the controversy saying that there will be no dilution on the issue and the interest of India will be protected.


External affairs minister Salman Khurshid said while India needs energy, it will get it at its "own terms and conditions."


He said the two sides have their own points of view, the discussions should result in a "win-win" situation for both the sides.

बुधवार को (भारतीय समयानुसार गुरुवार तड़के) फेडरल रिजर्व ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन को जारी रखने का फैसला किया। समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक फेड के अध्यक्ष बेन एस. बर्नाके ने बुधवार को फेड के दो दिवसीय सम्मेलन के समाप्त होने के बाद यह जानकारी दी।


उल्लेखनीय है कि फेड 2008 की मंदी के बाद से अमेरिका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने बाजार में तरलता का संचार करने के लिए हर माह 85 अरब डॉलर मूल्य के बांड की खरीदारी कर रहा था।


अर्थ संकट की संक्षिप्त इतिहास यह

आंकड़ों परिभाषाओं और रेटिंग

की रहस्य कथा का सार यह

अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलने के बाद पिछले कुछ महीने से फेड ने बांड की खरीदारी के स्तर को चरणबद्ध तरीके से कम करते हुए आखिर में बंद करने के मुद्दे पर विचार करना शुरू किया था। लेकिन बाजार के अनुमान के उलट फेड ने प्रोत्साहन को फिलहाल कम से कम अगले महीने तक या अगर जरूरी हो तो अगले साल तक जारी रखने का फैसला किया है।

फेड का यह फैसले से भारत तथा अन्य उभरते देशों की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। फेड के प्रोत्साहन वापसी के विचार से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने उभरते बाजारों से पूंजी निकालनी शुरू कर दी थी, जिससे इन देशों की मुद्रा का अवमूल्यन हुआ है और शेयर बाजारों में भी काफी अस्थिरता देखी जा रही है।


फेड के फैसले से उभरते देशों में पूंजी का प्रवाह कुछ समय तक ही सही फिर से बनने की उम्मीद है, जिससे इन देशों की मुद्रा और अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा।


दोपहर के कारोबार में सेंसेक्स के 30 में से 29 शेयरों में तेजी देखी जा रही है। तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे एसबीआई (8.20 फीसदी), टाटा स्टील (7.31 फीसदी), एलएंडटी (6.98 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (6.56 फीसदी), टाटा पावर (6.54 फीसदी)। सेंसेक्स के एक शेयर विप्रो (1.75 फीसदी) में गिरावट देखी जा रही है।


बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में तेजी देखी जा रही है। तेजी वाले सेक्टरों में बैंकिंग (7.35 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (5.66 फीसदी) और रियल्टी (5.50 फीसदी) में सर्वाधिक तजी जारी है। एक सेक्टर सूचना प्रौद्योगिकी (0.01 फीसदी) में गिरावट देखी जा रही है।


फटाफट दिल्ली मुंबई

औद्योगिक गलियारे

की तर्ज पर अमृतसर कोलकाता

औद्योगिक गलियारे को भी

दे दी गयी हरीझंडी

संस्थागत विदेशी निवेशकों को

खुला आमंत्रण है यह

डालर प्रजा के नरंसंहार निमित्त

इसी के साथ निजी बिजली कंपनियों के लिए

भी खोल दिये सारे द्वार

कोलगेट का नय़ा अध्याय

अब प्याज की परतों में शामिल


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में देश में एक लाख मेगावॉट से भी ज्यादा बिजली का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।


सिंह ने आज बिलासपुर जिले के सीपत में दो हजार 980 मेगावॉट क्षमता वाले सीपत सुपर थर्मल पावर स्टेशन को राष्ट्र को समर्पित किया तथा रिमोट के माध्यम से रायगढ़ जिले के लारा में सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट के पहले चरण की आधारशीला रखी।


इस दौरान उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने देश में बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की है।


11वीं योजना में देश में उत्पादन क्षमता में 55 हजार मेगावॉट की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। जो 10वीं योजना के दौरान हुई बढ़ोतरी क्षमता से दुगुनी है। उन्होंने कहा कि 12वीं योजना के दौरान हमारा लक्ष्य है कि हम देश में लगभग 118000 मेगावॉट बिजली उत्पादन की नई क्षमता पैदा करे।

सिंह ने कहा कि बिजली उत्पादन की लागत को कम रखने और उससे पर्यावरण पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार ने देश में सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट के साजो-सामान के उत्पादन को आसान बनाने का काम किया है।


इसकी वजह से दुनिया की सभी बड़ी बिजली कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में विश्वस्तरीय तकनीक वाले प्लांट लगाने की इच्छा जाहिर की है।


उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने शर्त रखी है कि सुपर क्रिटिकल इकाइयों को भारत में ही तैयार किया जाए और टेंडर में सफल होने वाली कंपनियां पूरे तौर पर तकनीक भारतीय कंपनियों को सौंपे।


परिवर्तन पंथी दीदीराज

बंगाल का वर्तमान

लेकिन भूमि आंदोलन

सिर्फ जमीन अधिग्रहण के

विरुद्ध है,याद रखें


भट्टा परसौल हो या कलिंगनगर

या फिर नियमागिरि

या नई मुंबई

कहीं भी नहीं

भूमि सुधार आंदोलन


कहीं भी नहीं है

पांचवी और छठीं

अनुसूचियों को लागू

करने की कोई मुहिम


संवैधानिक रक्षाकवच

छिन्न भिन्न है


शहरों में बाजार का भविष्य नहीं

तो सारे गांव अब होंगे शहर


सेज नहीं,कोमिकल हब भी नहीं

इंडस्ट्रीयल एरिया भी नहीं


भूमि अधिग्रहण कानून

पास हो गया विरोध के नाटक के बीच


पहले ही पास हो चुका वनाधिकार कानून

खनन अधिनयम भी पास


थाली में अमीरी की तर्ज पर

परोस दी गयी है खाद्य सुरक्षा


गरीबी की परिभाषा भी

तय कर दी गयी है


अब बेदखली का

महा अश्वमेध है


महा नरसंहार यज्ञ है


राजसूय उपरांत

कारपोरेट राज्याभिषेक है


जनादेश समायोजन

होना है बस


सेज केमिकल हब परमाणु संयंत्र

और एफडीआई का समावेश है

शैतानी औद्योगिक गलियारे में


डीएमआईसी यानी दिल्ली मुंबई

इंडस्ट्रीयल कारीडर में


राज्यों के सारे सूबेदार

भूदान यज्ञ करा रहे हैं

कारपोरेट हित में


अब अमृतसर कोलकाता

औद्योगिक गलियारे को भी हरी झंडी


दीदी के भूमि आंदोलन का हश्र यही

नीतीश की धर्मनिरपेक्षता का हश्र यही


यह कोरिडोर अमृतसर से शुरू होकर जालंधर, लुधियाना, अंबाला, सहारनपुर, दिल्ली, रुड़की, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, हजारीबाग, धनबाद, आसनसोल, दुर्गापुर से होते हुए कोलकाता पहुंचेगा।


इस कॉरिडोर से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में औद्योगिक विकास को मिलेगी नई गति


जब औद्योगिक गलियारा तैयार हो जाएगा तो कुछ नए औद्योगिक शहर के बसने का भी खुलेगा रास्ता


डीएमआईसी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा इस कॉरिडोर को


वैसे तो अभी तक दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर तैयार नहीं हुआ है, पर इससे होने वाले जबरदस्त लाभ को देखते हुए सरकार ने अमृतसर से दिल्ली होते हुए कोलकाता तक एक और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है।


इस बारे में प्रारंभिक कार्य करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने डीआईपीपी सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालय समूह (आईएमजी) का गठन किया है जो एक महीने के अंदर रिपोर्ट पेश करेगा। माना जा रहा है इससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी।


प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर एवं पूर्वी भारत के कुछ राज्यों में औद्योगिक विकास की गति तेज करने के लिए अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे (एडीकेआईसी) को विकसित करने की योजना है।


इसके लिए एक आईएमजी का गठन किया गया है जिसके अध्यक्ष डीआईपीपी सचिव होंगे। इसके सदस्यों में डीईए सचिव, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, शहरी विकास सचिव, भूतल परिवहन एवं राजमार्ग सचिव और नौवहन सचिव/अध्यक्ष, अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को शामिल किया गया है। यह समूह देखेगा कि एडीकेआईसी को विकसित किया जाना वित्तीय दृष्टि से लाभप्रद है या नहीं।


यदि लाभप्रद है तो इसका स्वरूप क्या होगा, इसका वित्तीय प्रबंधन किस तरीके से होगा और इस पर किस तरीके से काम किया जाए कि यह जितनी जल्द हो सके, चालू हो जाए।


गौरतलब है कि रेल मंत्रालय अमृतसर से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र होते हुए कोलकाता के निकट डानकुनी तक पूर्वी मालवाही गलियारा विकसित कर रहा है जिसके वर्ष 2016 तक बन जाने की संभावना है।


इसी गलियारे के साथ-साथ शेरशाह सूरी मार्ग (जीटी रोड) भी गुजरता है जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना के तहत चार लेन में विकसित कर लिया गया है। इस गलियारे को एक और फायदा जलमार्ग से भी मिलेगा क्योंकि उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 विद्यमान है।


यदि अमृतसर से कोलकाता तक औद्योगिक गलियारा बनता है तो दुनिया के कुछ घनी आबादी वाले क्षेत्रों में शामिल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास को एक नई दिशा और गति मिलेगी। गौरतलब है कि इन छह राज्यों में देश की 40 फीसदी आबादी रहती है।


इस गलियारे में अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, अंबाला, सहारनपुर, दिल्ली, रुड़की, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, हजारीबाग, धनबाद, आसनसोल, दुर्गापुर और कोलकाता जैसे शहर पड़ते हैं जो इस समय भी औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात हैं।


जब औद्योगिक गलियारा तैयार हो जाएगा तो इसके किनारे कुछ नए औद्योगिक शहर के बसने का भी रास्ता खुलेगा।




समझो तो इशारा काफी है

हाथ कंगन तो आरसी क्या

पढेलिखे को फारसी क्या


अमेरिका में वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ऋण प्रोत्साहन कार्यक्रम जारी रखने के फैसले के एक दिन बाद वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता और कहा कि सरकार अपने आर्थिक सुधार कार्यक्रम जारी रखेगी।

आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'हमें इस बात पर जरूरत से ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए कि फेडरल रिजर्व के फैसला का हमारी अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा। जहां तक हमारा सवाल है यह हमारे लिए सामान्य बात है।'


अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने कल बाजारों को यह कह कर चांैका दिया कि वह अपना 85 अरब डॉलर मासिक बॉन्ड खरीद कार्यक्रम जारी रखेगा और वृद्धि में सुधार के और साक्ष्यों का इंतजार करेगा।


प्रोत्साहन कार्यक्रम को धीरे-धीरे खत्म करने की आशंका के कारण पिछले दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था, खास कर बॉन्ड बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों का पूंजी प्रवाह कम हो गया था जिससे रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बहुत अधिक गिर गया था।


मायाराम ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें अपनी आर्थिक सुधार प्रक्रिया और मजबूत करने की जरूरत होगी ताकि हम अर्थव्यवस्था की मजबूती जारी रख सकें। हमारा मानना है कि सरकार ने जो कदम उठाए हैं उससे अर्थव्यवस्था में वृद्धि के संकेत दिखने लगेंगे और इससे रुपये और बाजार में मजबूत आने लगेगी।'


सरकार ने निवेश बढ़ाने और निर्यात और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं क्योंकि वह आर्थिक नरमी से जूझ रही है और राजकोषीय व चालू खाते के घाटे को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है।


डॉलर आकर्षित करने और रुपये में नरमी रोकने के लिए आरबीआई ने पेट्रोलियम रिफाइनिंग कंपनियों के लिए विदेशी मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था और अन्य सुविधाएं शुरू की हैं।



The inter ministerial group (IMG) set up by the Prime Minister Manmohan Singh to examine the feasibility of setting up Amritsar-Delhi-Kolkata industrial corridor has submitted its report stating that the Amritsar-Delhi-Kolkata corridor is expected to benefit 20 cities across seven states.


The corridor would be built along the 1,839 km long Eastern Dedicated Freight corridor between Khurja and Mugalsarai. The IMG has also proposed to integrate the existing highway network.


The group has suggested that the industrial corridor be set up in a band of 150-200 km on either side of Eastern Dedicated Freight Corridor.


The principal secretary is expected to hold a meeting with the ministers' panel to discuss the next steps on Friday, a release issued by the PMO stated.


The IMG recommends that in the first phase every state could promote at least one cluster of 10 square kilometer which could be called 'Integrated Manufacturing Cluster'. In this cluster about 40% of the area would be marked for manufacturing and processing activities.


The recommendations propose that the industrial corridor should use both Public Private Partnership (PPP) and non PPP approach. The first phase Central Government is expected to provide maximum financial commitment of Rs 5749 crore, phased over 15 years.


The group also proposed to set up an Apex Monitoring Authority, under the chairmanship of commerce and industry minister Anand Sharma for planning, approvals, setting up of timelines for implementation and monitoring.


Further it was suggested that a corporate entity under the name of Amritsar-Delhi-Kolkata Industrial Corridor Development be set up along the line of Delhi Mumbai Industrial Corridor Development Corporation.


nter Ministerial Group presents report on Amritsar-Delhi-Kolkata Industrial Corridor (ADKIC)

Prime Minister had approved the setting up of an Inter Ministerial Group to do preparatory work for setting up a Amritsar-Delhi-Kolkata Corridor (ADKIC). The IMG was to examine the feasibility of setting up the Corridor using the Eastern Dedicated Freight Corridor as a backbone and the structural and financing arrangements that would be required to operationalise it.

2. After a series of meetings, the IMG has completed its work and has submitted its report. The key recommendations of the IMG are:

(i) The ADKIC will be aligned to the EDFC and will span 20 cities in the seven Statesof Punjab, Haryana, Uttar Pradesh, Uttarakhand, Bihar, Jharkhand and West Bengal. The ADKIC also proposes to leverage the existing Highway system on this route andthe Inland Water System being developed along National Waterway-1.

(ii) The development of ADKIC be taken up in a band of 150-200 kms on either side of EDFC, in a phased manner. In the first Phase, every State could promote at least one cluster of about 10 sq. km. area to be called Integrated Manufacturing Cluster(IMC), in which 40 per cent area would be earmarked permanently for manufacturing and processing activities.

(iii) ADKIC will use both the Public Private Partnership (PPP) approach and non-PPP approach. The non-PPPable trunk infrastructure will be developed by the Special Purpose Vehicle (SPV) or Implementation Agency vested with the task of setting up the IMCs, through grant-in-aid.

(iv) Constitution of – (a) an Apex Monitoring Authority, under the Chairmanship of the Union Minister for Commerce and Industry, for overall guidance, planning and approvals, setting up of timelines for implementation and monitoring thereof; (b) anInter-Ministerial Group(IMG) chaired by Secretary, Department of Industrial  Policy and Promotion (SIPP) to appraise proposals both for grant of in-principle approval and final approval for Clusters and NIMZs (in second phase); and (c) a Dedicated Agency(DA) – Amritsar Delhi Kolkata Industrial Corridor Development Corporation, to be set up as a corporate entity, on the lines of Delhi Mumbai Industrial Corridor Development Corporation (DMICDC).

(v) A dedicated cell under the Chairmanship of Chief Secretary/Industrial Development Commissioner is recommended at state level.

(vi) At the cluster level, a Special Purpose Vehicle (SPV) may be set up by the State Governments for administration of clusters.

(vii) In the first phase, an estimated maximum financial commitment of about Rs. 5749 crore, (for seven IMCs each of 1000 hectare) phased over 15 years, by way ofbudgetary support by the Central Government, is proposed. This would include support for (i) interest subvention (ii) development of trunk infrastructure (iii) share in equity and (iv) initial grant to ADKICDC for Project Development.

(viii) IMG has recommended a two stage approval mechanism, an "in-principle" and final approval.

3. In order to finalise the next steps, Principal Secretary will hold a meeting with the members of the IMG and other relevant ministries on Friday, 20.9.2013.  



अमृतसर से दिल्ली होते हुए कोलकाता तक प्रस्तावित औद्योगिक कॉरिडोर में सात राज्यों के 20 शहर शामिल होंगे। यह कॉरिडोर ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के साथ-साथ 150 से 200 किमी के दायरे में बसाया जाएगा। अंतर मंत्रालयी ग्रुप (आईएमजी) ने पीएमओ को सौंपी रिपोर्ट में कॉरिडोर की स्थापना के प्रथम चरण के लिए 5749 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान का भी सुझाव दिया है। अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरीडोर की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री ने आईएमजी का गठन किया था।

आईएमजी ने अपनी रिपोर्ट में कॉरिडोर के तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीस शहरों को शामिल किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में दोनों तरफ 150-250 किमी तक का दायरा इसमें शामिल किया जा सकता है। पहले चरण में संबंधित राज्य दस वर्ग किमी क्षेत्र में इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग कलस्टरों की स्थापना कर सकते हैं। इन कलस्टरों में चालीस फीसदी स्थान मैन्युफैक्चरिंग और प्रोसेसिंग के लिए आरक्षित किये जाने का भी सुझाव दिया गया है।

रिपोर्ट में परियोजना को प्रभावी ढंग से लागू करने तथा निगरानी के लिए वाणिज्य मंत्री की अध्यक्षता में एक प्राधिकरण के गठन का भी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है। इसके अलावा मुंबई-दिल्ली कॉरिडोर की तर्ज पर एक कारपोरेशन के भी गठन का प्रस्ताव किया गया है। राज्यों के स्तर पर मुख्य सचिव या औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक अलग सेल की स्थापना का भी सुझाव दिया गया है। योजना पर अगले कदम को अंतिम रूप देने के लिए 20 सितंबर को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी आईएमजी के सदस्यों तथा संबंधित मंत्रालयों के अन्य अफसरों के साथ फिर बैठक करेंगे।

•अंतर मंत्रालयी समूह ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी रिपोर्ट

करोड़ रुपये निवेश को मिली हरी झंडी

जालंधर, लुधियाना, अंबाला से होकर गुजरेगा

देश की 40 फीसदी आबादी वाले इलाके से होकर गुजरेगा। यह दुनिया की सबसे सघन आबादी वाला इलाका है

इसके तहत 10 वर्ग किमी इलाके तक में इंटीग्रेटेड मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना का प्रस्ताव है। हर राज्य को कम से कम एक ऐसा क्ल्स्टर अवश्य मिलेगा

यह कोरिडोर अमृतसर से शुरू होकर जालंधर, लुधियाना, अंबाला, सहारनपुर, दिल्ली, रुड़की, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, हजारीबाग, धनबाद, आसनसोल, दुर्गापुर से होते हुए कोलकाता पहुंचेगा।

लंबाई ः

1830

किमी

लागत ः करीब

5700

करोड़

समय ः 15 साल का समय लगेगा

10 तक औद्योगिक क्लस्टर बना

30

लाख से ज्यादा को रोजगार

•खुर्जा-मुगलसराय ईस्टर्न औद्योगिक कोरिडोर से 200 किमी की दूरी में चलेगा

•दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कोरिडोर की तर्ज पर निर्माण किया जाएगा

•लुधियाना-दानकुनी (कोलकाता) डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर का बुनियादी ढांचा इसकी रीढ़ की तरह काम करेगा

•साथ ही मौजूदा राजमार्ग प्रणाली और राष्ट्रीय जलमार्ग-1 को भी इस कोरिडोर में मददगार होगा

Characteristics of Industrial Corridor

Industrial Corridors recognize the inter-dependence of various sectors of the economy and offer effective integration between industry and infrastructure leading to overall economic and social development. Industrial corridors constitute world class infrastructure such as high-speed transportation (rail, road) network, ports with state-of- the-art cargo handling equipment, modern airports, special economic regions/ industrial areas, logistic parks/transshipment hubs, knowledge parks focused on feeding industrial needs, complementary infrastructure such as townships/ real estate, and other urban infrastructure along with enabling policy framework. Industrial corridor provides opportunities for private sector investment in the provision of various infrastructure projects associated with the exploitation industrial opportunity. However, the successful utilization of opportunities that arises from industrial corridors depends on availability of efficient transport and other infrastructure support systems. Corridor approach for industrial development primarily takes advantage of the existence of proven, inherent and underutilized economic development potential within the influence region. Apart from the development of infrastructure, long-term advantages to business and industry along the corridor include benefits arising from smooth access to the industrial production units, decreased transportation and communications costs, improved delivery time and reduction in inventory cost. The strategy of an industrial corridor is thus intended to develop a sound industrial base, served by world-class competitive infrastructure as a prerequisite for attracting investments into export oriented industries and manufacturing.

धानमंत्री कार्यालय07-जून, 2013 19:17 IST


अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारा पर तैयारी के लिए अंतर-मंत्रालयीय समूह गठित


1. उत्‍तर भारत के सघन जनसंख्‍या वाले राज्‍यों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के निर्माण के लिए तैयारी कार्यक्रम शुरू करने को मंजूरी दे दी है।


2. अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे का निर्माण दिल्‍ली-मुम्‍बई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) की तर्ज पर किया जा रहा है। डीएमआईसी पश्चिमी समर्पित माल गलियारे को मुख्‍य सहारे के रूप में इस्‍तेमाल करती है और इसका निर्माण औद्योगिक क्षेत्र में एक महत्‍वपूर्ण घटना है। इस गलियारे को वित्‍तीय मदद जापान की सरकार से मिली है और राजस्‍थान, गुजरात, हरियाणा एवं महराष्‍ट्र में तीव्र औद्योगिक विकास के लिए नए शहरों, औद्योगिक क्षेत्रों एवं विश्‍व स्‍तरीय इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के जरिए भावी निवेश आने की उम्‍मीद की जा रही है।


3. इसी तरह अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारा पूर्वी समर्पित माल गलियारे को प्रधान सहारे के रूप में इस्‍तेमाल करेगा। पूर्वी समर्पित माल गलियारा पंजाब में लुधियाना से लेकर पश्चिम बंगाल में कोलकाता के पास दानकुनी तक फैला हुआ है। इसलिए अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे का निर्माण पूर्वी समर्पित माल गलियारे के चारों तरफ होगा। यह गलियारा राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1 के तहत बन रहे अंतरभूमि जलमार्ग से भी फायदा उठायेगा जिसका विस्‍तार इलाहाबाद से हल्दिया तक है।


4. अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारा पंजाब, हरियाणा, उत्‍तरी प्रदेश, उततराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगा। यह इलाका दुनिया में सबसे सघन आबादी वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में औद्योगिकीकरण और रोजगार सृजन की काफी जरूरत है। इलाके में विकास के लिए यह गलियारा उत्‍प्रेरक का काम करेगा। इस गलियारे के अंतर्गत अमृतसर, जालंधर, अम्‍बाला, सहारनपुर, दिल्‍ली, रूड़की, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, हजारीबाग, धनबाग, आसमसोल, दुर्गापुर और कालेकाता आयेंगे।


5. अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के निर्माण के लिए तैयारी कार्यक्रम शुरू के उददेश्‍य से प्रधानमंत्री ने एक अंतर-मंत्रालयीय समूह गठित किया है जिसके सदस्‍य निम्‍नलिखित हैं:


(i) सचिव, टीआईपीपी अध्‍यक्ष


(ii) सचिव, डीइए सदस्‍य


(iii) अध्‍यक्ष, रेलवे बोर्ड सदस्‍य


(iv) सचिव, शहरी विकास सदस्‍य


(v) सचिव, आरटीएच सदस्‍य


(vi) सचिव, जहाजरानी/ अध्‍यक्ष, आईडब्‍ल्‍यूएआई सदस्‍य


6. यह अंतरमंत्रालयीय समूह अमृतसर-दिल्‍ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के निर्माण की व्‍यवहार्यता के साथ ही इसके लिए आवश्‍यक ढांचागत और वित्‍तीय जरूरतों की भी जांच करेगा। यह समूह एक महीने के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्‍तुत करेगा।


वि.कासोटिया/अनिल/निर्मल-2675

(Release ID 22587)



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মহাখনি থেকে কয়লা তুলতে সবুজ সঙ্কেত

পিনাকী বন্দ্যোপাধ্যায় ও জগন্নাথ চট্টোপাধ্যায় • কলকাতা


*

রাজ্যে লগ্নির আশা জাগিয়ে

নয়া করিডর কেন্দ্রের

নিজস্ব সংবাদদাতা • নয়াদিল্লি


বার্তা মমতা-নীতীশকে

অমৃতসর-কলকাতা শিল্প করিডর নিয়ে বিশেষ কমিটি মনমোহনের

নিজস্ব সংবাদদাতা • নয়াদিল্লি

শিল্প ও পরিকাঠামো ক্ষেত্রে বিনিয়োগ টানতে পশ্চিমের পর এ বার পূর্বে তাকালেন প্রধানমন্ত্রী মনমোহন সিংহ। দিল্লি-মুম্বই নির্মীয়মাণ শিল্প করিডরের ধাঁচে অমৃতসর-কলকাতা শিল্প করিডর গড়ে তোলার প্রাথমিক কাজ শুরু করতে আজ আন্তঃমন্ত্রক কমিটি গড়ে দিলেন তিনি।

প্রধানমন্ত্রীর সচিবালয় সূত্রে খবর, পঞ্জাব থেকে শুরু করে হরিয়ানা, উত্তরপ্রদেশ, বিহার, ঝাড়খণ্ড হয়ে পশ্চিমবঙ্গ পর্যন্ত বিস্তৃত প্রস্তাবিত ওই শিল্প করিডরে অন্তত ১০টি নতুন শিল্পনগরী গড়ে তুলবে সরকার।

তাতে ন্যূনতম তিরিশ লক্ষ মানুষের কর্মসংস্থানের সুযোগ সৃষ্টি হতে পারে।

মন্দার গ্রাস কাটিয়ে আর্থিক বৃদ্ধির হার বাড়ানোর লক্ষ্যে সরকারের এই পদক্ষেপ ইতিবাচক বলেই মনে করছেশিল্পমহল। তবে লোকসভা ভোটের আগে মনমোহন সিংহ সরকারের এই ঘোষণার মধ্যে একটি রাজনৈতিক বার্তা রয়েছে বলেও মনে করছেন অনেকেই। তাঁদের মতে, এক দিকে বিপুল বিনিয়োগ ও কর্মসংস্থানের সুযোগ সৃষ্টির বার্তা দিচ্ছেন প্রধানমন্ত্রী। আবার নীতীশ কুমার, মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের মতো আঞ্চলিক দলগুলির নেতা-নেত্রীকে বোঝাতে চাইছেন, উন্নয়নের প্রশ্নে রাজনীতি করছে না কংগ্রেস। বরং রাজ্যের উন্নয়নের প্রশ্নে সহযোগিতার মনোভাব নিয়েই চলছে।

জাপানের আর্থিক সহযোগিতায় দিল্লি-মুম্বই শিল্প করিডর নির্মাণের কাজ ইতিমধ্যে অনেকটাই এগিয়ে গিয়েছে। পশ্চিমের ওই শিল্প করিডরে ১ হাজার কোটি ডলার বিনিয়োগের সম্ভাবনা রয়েছে। প্রধানমন্ত্রীর সচিবালয় সূত্রে বলা হচ্ছে, অমৃতসর-কলকাতা শিল্প করিডরে বিনিয়োগের সম্ভাবনা কমপক্ষে তার আড়াই গুণ বেশি।

কারণ, দিল্লি-মুম্বই করিডর এমনিতেই পরিকাঠামোর দিক থেকে উন্নত। তুলনায় অনুন্নত দেশের বিস্তৃত পূর্বাঞ্চল। তাই পরিকাঠামো বাড়ানোর প্রয়োজনীয়তা এবং বিনিয়োগের সম্ভাবনা পূর্বে অনেক বেশি।

মনমোহনের সচিবালয় সূত্রে আরও বলা হচ্ছে, প্রস্তাবিত এই নতুন শিল্প করিডর যে শহরগুলিকে কেন্দ্র করে গড়ে উঠবে সেগুলি হল, অমৃতসর, জালন্ধর, লুধিয়ানা, অম্বালা, সাহারানপুর, দিল্লি, রুরকি, মোরাদাবাদ, বরেলী, আলিগড়, কানপুর, লখনউ, ইলাহাবাদ, বারাণসী, পটনা, হাজারিবাগ, ধানবাদ, আসানসোল, দুর্গাপুর ও কলকাতা। শিল্প করিডরের আওতায় এই শহরগুলিকে কেন্দ্র করে নতুন শিল্পনগরী গড়ে উঠবে। সেখানে মেট্রো রেল করিডর, দুই শহরের মাঝে বুলেট ট্রেন, দিল্লি-আগরার মতো অন্তত ১০টি আন্তঃশহর এক্সপ্রেসওয়ে গড়ে তোলারও প্রস্তাব রয়েছে।

প্রকল্পটির জন্য গঠিত কমিটিতে রয়েছেন বাণিজ্য, অর্থ, নগরোন্নয়ন, জাহাজ ও রেল মন্ত্রকের প্রতিনিধিরা। কেন্দ্রের তরফে বলা হচ্ছে, লুধিয়ানা থেকে কলকাতার ডানকুনি পর্যন্ত যে পণ্যবাহী করিডর গড়ে তুলছে রেল সেটাই প্রস্তাবিত শিল্প করিডরের মেরুদণ্ডের মতো কাজ করবে। অর্থাৎ ওই পণ্যবাহী করিডরের দু'পাশে শিল্পতালুকগুলি গড়ে তোলা হবে। শিল্প করিডরের কথা মাথায় রেখে জলপথ পরিবহণে পরিকাঠামো বাড়ানোর পরিকল্পনাও করছে সরকার। ইলাহাবাদ থেকে হলদিয়া পর্যন্ত জলপথে পরিবহণের সুযোগ বাড়ানোর জন্য একটি বিস্তারিত প্রকল্প তৈরি করা হচ্ছে।

তবে শিল্পমহলের একাংশের মতে, সরকারের তরফে এই ঘোষণা করা হলেও কিন্তু তার বাস্তবায়ন কত দিনে হবে তা নিয়ে বড় প্রশ্ন রয়ে যাচ্ছে। কেননা পূর্বাঞ্চলে শিল্প করিডর গড়ে তোলার পথে বড় বাধা হল জমি অধিগ্রহণ সংক্রান্ত সমস্যা। লুধিয়ানা থেকে ডানকুনি পর্যন্ত পণ্যবাহী রেল করিডরের জন্য জমি অধিগ্রহণ করতেই পাঁচ বছরের বেশি সময় লেগে গিয়েছে। তাও প্রকল্পের জন্য পুরো জমি অধিগ্রহণ করা যায়নি। বিহারের শোননগর পর্যন্ত জমি অধিগ্রহণ করা হয়েছে। কিন্তু পশ্চিমবঙ্গে জমি অধিগ্রহণের কাজ রাজনৈতিক বাধায় এখনও শুরু করা যায়নি।

তবে প্রধানমন্ত্রীর সচিবালয়ের তরফে বলা হচ্ছে, জমি অধিগ্রহণ সংক্রান্ত সমস্যা যে রয়েছে তা প্রধানমন্ত্রীও জানেন। তাই নতুন জমি বিল সংসদে পাশ করানোর ব্যাপারে প্রধানমন্ত্রী ব্যক্তিগত ভাবে আন্তরিক। পূর্বের করিডরে বিনিয়োগে আগ্রহী জাপান। তবে আর্থিক সহায়তার জন্য বিশ্বব্যাঙ্ক-সহ অন্যান্য আন্তর্জাতিক সংস্থার সঙ্গেও কথা বলবে কেন্দ্র।


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