Wednesday, September 11, 2013

चूंकि पूंजी वर्चस्व के लिए लोक की हत्या अनिवार्य है हिमालय की हत्या हो जाने दो Portals of Kedarnath shrine open after three months of devastation ধ্বংসের স্মৃতি ভুলে ৮৬ দিন পর সৃষ্টির প্রার্থনা শুরু কেদারনাথ মন্দিরে

चूंकि पूंजी वर्चस्व के लिए

लोक की हत्या अनिवार्य है

हिमालय की हत्या हो जाने दो


Portals of Kedarnath shrine open after three months of devastation


ধ্বংসের স্মৃতি ভুলে ৮৬ দিন পর সৃষ্টির প্রার্থনা শুরু কেদারনাথ মন্দিরে




पलाश विश्वास


केदारनाथ में 'सरकारी पूजा' पर सियासी उबाल


प्राकृतिक आपदा के कारण पिछले तीन महीने से केदारनाथ मंदिर में बंद पड़ी पूजा भले ही उत्तराखंड सरकार ने आज पुन: प्रारंभ करा दी, लेकिन इसे लेकर विरोध के स्वर फूट पड़े हैं।


केदारघाटी में अघोषित कर्फ्यू

जनादेश - ‎12 hours ago‎

देहरादून, सितम्बर। मंदाकिनी घाटी में गुप्तकाशी से लेकर केदारनाथ तक जिला प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। बुधवार कोकेदारनाथ में पूजा को लेकर ये कर्फ्यू लगाया गया है। गुप्तकाशी से आगे बिना पहचान पत्र के स्थानीय लोगों तक को भी आगे नहीं जाने दिया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। कुल मिलाकर गुप्तकाशी से लेकर केदारनाथ तक अघोषित कर्फ्यू की स्थिति बनी हुई है। उत्तराखण्ड के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब बाहरवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ की पूजा इतने कड़े पहरे के बीच और आम श्रद्धालुओं को भगवान शिव से दूर कर की जा रही है। जिला प्रशासन ने गुप्तकाशी ...


तीन महीने बाद केदारनाथ में गूंजा हर-हर महादेव



हिमालय में कर्फ्यू आलम में

केदारनाथ में हो गयी शुरु पूजा फिर

जख्मों से रिस रहा है खून अब भी

तबाह हो रहा है हिमालय अब भी


अभी उस दिन केदारनाथ में ही

मिली लाशें चौसठ,बाकी कहां होंगी दबी

किसी को कोई परवाह नहीं


हो गया नरबलि उत्सव और अब

पूर्णाहुति बाकी है,फिर शुरु धर्म पर्यटन


धर्मोन्मादी भारत के लिए धर्म पर्यटन

चूंकि अनिवार्य है, पहाड़ों के अंतःस्थल में

बहने दो खून की लबालब नदियां


ग्लेशियरों को खून से लथपथ होने दो

नदियों के उद्गम को खून से लथपथ होने दो

लाशें कम पड़ी हों तो और लाशें दो


कारपोरेट राज के खुले बाजार में

अबाध पूंजी प्रवाह अनिवार्य है

अनिवार्य है धर्मोन्माद

खंडित जनादेश के लिए भी


चूंकि गंगा यमुना के मैदानों में

धर्मस्थल के लिए धर्मयुद्ध जारी है अबभी

गंगा के उत्समुख में भी धर्मयुद्ध  हो जाने दो


चूंकि पूंजी वर्चस्व के लिए

लोक की हत्या अनिवार्य है

हिमालय की हत्या हो जाने दो


मैदानों में खेत खलिहान अब

चूंकि बन गये हैं कुरुक्षेत्र

स्वजनों के वध का उत्सव है यह


हिमालय में भी स्वजनों का वध

अब हो ही जाने दो,इस वधस्थल में

बोलना मना है, मना है लिखना भी


हिमालय को अब बन जाने दो

मरीचझांपी की तरह बेखबर

हिमालय को यात्राओं में

निष्णात होजाने दो

सशरीर स्वर्ग अभियान

शाश्वत जारी रहने दो


पहाड़ों में जंगल उगते हैं

कटकर नदियों में बह जाने के लिए

लोग पहाड़ों में जनमते ही हैं

नदियों की तरह मैदानों में

बह जाने के लिए, कौन लड़ेगा

स्वजनों के लिए अब पहाड़ों में

वैसे भी देवभूमि होकर भी

अस्पृश्य है हिमालय


पूजा के फूल बहुत हैं

बहुत है अवैध निर्माण

उससे भी ज्यादा हैं धर्मस्थल

और उनसे भी जाया हैं धर्मप्राण

फिर भी हिंदुत्व की पैदलसेना में

हम सिर्फ कुमाऊं रेजीमेंट

या फिर गढ़वाल रेजीमेंट


किस किस के बिकने पर मातम

मनायेगा हिमालय,अब अनबिका

शायदकोई बचा हो कहीं

हर कोई हैं विकास पुरुष

और विकास देवियां भी

हर गांव में गोल्ल महाराज हैं

हम अपने ही पत्थरों से

लहूलुहान हो रहे हैं रोज

अपनी ही नदियों के डूब में

शामिल हो रहे हैं रोज

अपनी ही घाटियों में

दफन हो रहे हैं रोज


बादल फटता है हरसाल

हमें खत्म करने के लिए

भूकंप भी आता है बार बार

रोजर्रे की जिंदगी है

हर कहीं भूस्खलन


झीलें हैं सूख जाने के लिए

ग्लेशियर हैं पिघलने के लिए

नदियां हैं तबाही के लिए

और धर्म है कारोबार के लिए

जिसमें पहाड़ का कई हिस्सा नहीं


रोजगार के लिए बस पर्यटन है

लेकिन रोजगार कहीं नहीं है

इस देश की अर्थव्यवस्था में

हिमालय के लिए कोई योजना नहीं है

और न कोई गरीबी की परिभाषा

या फिर पैमाना है हमारे लिए


बस,एक अटूट वर्ण व्यवस्था है

जिसके तहत देवमंडल में शामिल हम

जिस आधार देवताओं का राज है

नमोमय है पवित्र हिमालय


कोई अर्थ व्यवस्था नहीं हैं हमारे लिए

कोई उत्पादन प्रणाली नहीं है हमारे लिए

हम अर्थ व्यवस्था से बाहर के लोग हैं

इस देश में हर पहाड़ी अब घुसपैठिया है

शरणार्थी है, जैसे कश्मीर, जैसे नगालैंड

जैसे गोरखालैंड,ठीक उसीतरह

हिमाचल और उत्तराखंड में भी


यह सच है लेकिन हम समझते ही नहीं कि

हम इस देश के नागरिक हैं ही नहीं

अपनी जमीन पर कोई हक नहीं हमारा

अपने जंगल से बेदखल हैं हम

अपनी नदियां सिर्फ तबाही का

मंजर पेश करती हमारे लिए

अपने पहाड़ मौत का सामन हैं


जैसे देश में कहीं नहीं कोई उत्पादन प्रणाली

उत्पादन संबंध ध्वस्त हैं

सिर्फ क्रयशक्ति का वर्चस्व है

सेवाएं हैं बिकाऊ तमाम और

जनप्रतिनिधि भी बिकाऊ तमाम


अपने ही संसाधनों का कोई

हिस्सा नहीं हमारे लिए

हम इस देश के आत्महत्या

करते किसानों में शामिल हैं


और यही सच है,पूजा आयोजन के

पवित्र मंत्रोच्चार, प्रायश्चित्त और शुद्धिकरण से

कब तक अपनी अपवित्रता को

सुगंधित पवित्र बनाने को

रहेंगे हम कतारबद्ध


चूंकि सत्ता वर्चस्व के लिए

चूंकि कारपोरेट राज के लिए

चूंकि प्रोमोटर राज के लिए

चूंकि भूमाफिया के हित साधने के लिए

चूंकि ऊर्जा प्रदेश के लिए

न अनिवार्य है हिमालय की सेहत

न  अनिवार्य है हिमालयी वजूद

न अनिवार्य है हिमालयी जनता


डूब में शामिल है पूरा हिमालय अब

ऊर्जा प्रदेश है पूरा हिमालय अब

उत्तुंग शिखर अब पवित्र वधस्थल


घाटियों में श्मशान हैं सारे के सारे

पगडंडियां भी रक्तनदियां हैं अब


भूस्खलन, बाढ़, भूकंप में ऐसे ही जीते

रहेंगे पर्वत जन जैसे जीते रहे हैं


भूस्खलन, बाढ़, भूकंप में ऐसे ही मरते

रहेंगे पर्वत जन जैसे मरते रहे हैं


अब कोई खबर नहीं होगी मृत घाटियों से कहीं

लापता गांवों का कहीं नहीं होगा पुनर्वास


सारे पर्वतजन अब हैं अश्वत्थामा

रिसते हरे घाव के साथ अमरत्व को अभिशप्त


देवभूमि को स्पर्श चूंकि नहीं करता मर्त्य कभी

सामाजिक यथार्थ है हाशिये पर


मनीआर्डर प्रदेश,रंगरूट प्रदेश अब

ऊर्जा प्रदेश भी हैं और पुनर्निर्मित होंगी

सारी की सारी ऊर्जा परियोजनाएं


बंध जायेंगी वे नदियां भी जो हैं अनबंधी

अपने इतिहास भूगोल से बेदखल

अपने प्राकृतिक ससाधनों से बेदखल

जल जंगल जमीन से बेदखल


भूस्खलन, बाढ़, भूकंप में ऐसे ही जीते

रहेंगे पर्वत जन जैसे जीते रहे हैं


भूस्खलन, बाढ़, भूकंप में ऐसे ही मरते

रहेंगे पर्वत जन जैसे मरते रहे हैं


বুধবার সকাল ৭টা। কেদারনাথ মন্দিরে বেজে উঠল ঘণ্টা, বাজল শাঁখ। শ্মশানের নীরবতা ভেঙে শুরু হল প্রার্থনা। খুলে গেলে উত্তরাখণ্ডের কেদারনাথ মন্দির। প্রকৃতির বিধ্বংসী তাণ্ডবের ৮৬ দিন পর ফের খুলল হাজার বছরের প্রাচীনএই মন্দির। আজ সকাল সাতটার কিছু পরে ষষ্ঠ শতাব্দীর এই মন্দিরের প্রধান পুরোহিত দরজা খুলে মন্দিরে প্রবেশ করেন। এরপর মন্দিরের গর্ভগৃহে পুজো হয়। আজ মন্দির খোলার সময় হাজির থাকার কথা ছিল উত্তরাখণ্ডের মুখ্যমন্ত্রীর।  

সমস্ত উপাচার মেনে চার ঘণ্টা ধরে পুজো চলল।


২৫-৩০ জন পুরোহিত এদিন সকালে কেদারনাথ মন্দিরে শুদ্ধিকরণ, প্রায়শ্চিত্তের পর শুরু করেন প্রার্থনা, উপাচার।


এদিনের প্রার্থনা যোগ দেওয়ার কথা ছিল রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী বিজয় বহুগুনার কিন্তু খারাপ আবহাওয়ার কারণে তিনি দেরাদুনেই আটকে যান। তবে উপস্থিত ছিলেন মন্ত্রী হরক সিং রাওয়োত।



प्राकृतिक आपदा के कारण पिछले तीन महीने से केदारनाथ मंदिर में बंद पड़ी पूजा भले ही उत्तराखंड सरकार ने आज फिर शुरू करा दी, लेकिन तीर्थ पुरोहितों और विपक्षी बीजेपी के अलावा सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में भी इसे लेकर विरोध के स्वर फूट पड़े हैं। 'सरकारी पूजा' का विरोध करने वालों का कहना है कि चातुर्मास में दोबारा पूजा शुरू कराने का कोई औचित्य नहीं है।


वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पौड़ी गढ़वाल के सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि आज का मुहूर्त केदारनाथ मंदिर में दोबारा पूजा शुरू कराने के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र से ही केदारनाथ मंदिर में पूजा शुरू की जानी चाहिए थी और अपने इस विचार के बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को बता दिया था।


कांग्रेस सांसद ने कहा कि संत समाज के मुताबिक, रक्षाबंधन के बाद और नवरात्र शुरू होने से पहले कोई देवकार्य नहीं किया जाता। सतपाल महाराज ने कहा कि भले ही मंदिर समिति के पदाधिकारियों की राय से दोबारा पूजा शुरू करने का मुहूर्त निकाला गया हो, लेकिन इस बारे में ब्राह्मण और पुरोहित समाज से भी पूछा जाना चाहिए था, क्योंकि भगवान की असली सेवा तो वही लोग करते हैं।


पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी और रमेश पोखरियाल निशंक ने भी इस समय पूजा शुरू कराने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे कांग्रेस सरकार का राजनीतिक ड्रामा करार दिया। पूर्व गृहराज्य मंत्री चिन्मयानंद ने भी इसमें सुर मिलाए। उन्होंने कहा कि चातुर्मास में केदारनाथ धाम में पूजा शुरू करने का कोई औचित्य नहीं है। चिन्मयानंद ने राज्य सरकार को आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर पूरी तरह असफल बताया और कहा कि सरकार को केदारनाथ धाम में पूजा की तिथि निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है। तीर्थ की गरिमा साधू, संत और तीर्थ पुरोहित होते हैं, मगर सरकार ने बिना सलाह के जल्दबाजी में पूजा का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जो संत सरकार की इस पूजा में शामिल होगा उसका संत समाज बहिष्कार करेगा।


इधर, केदारनाथ जाने की अनुमति न दिए जाने से तीर्थ पुरोहितों का एक बड़ा तबका, व्यापारी और स्थानीय लोग सरकार से नाराज हैं। गौरतलब है कि पासधारकों के अलावा अन्य किसी को भी केदारनाथ न जाने देने के लिए फाटा, गुप्तकाशी और गौरीकुंड में पुलिस के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस प्रतिबंध के विरोध में स्थानीय लोगों का राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। स्थानीय लोगों और तीर्थ पुरोहितों के प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली बीजेपी की पूर्व विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि सरकार पूजा में स्थानीय लोगों को शामिल होने में अड़ंगा लगाकर उनके हक छीनने का प्रयास कर रही है।


रुद्रप्रयाग के डीएम दिलीप जावलकर ने कहा कि 13 सितंबर को तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों की एक बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें बारी-बारी से केदारनाथ जाने की इजाजत देने के बारे में फैसला किया जाएगा। दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि केदारनाथ में पूजा कार्यक्रम की तिथि और समय भीमाशंकर रावल, शंकराचार्य, तीर्थ पुरोहितों और मंदिर समिति के पदाधिकारियों द्वारा बैठक में तय किया गया। सरकार ने अपनी तरफ से कोई तिथि और समय घोषित नहीं किया। मंगलवार शाम नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में श्री बहुगुणा ने कहा कि केदारनाथ में पूजा को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।


पुरोहितों को केदारनाथ जाने से रोका

जागरण प्रतिनिधि, फाटा: केदारनाथ पूजा में शामिल होने के लिए जा रहे तीर्थ पुरोहित, मजदूर और व्यापारियों को पुलिस ने फाटा में ही रोक दिया। इसलिए वह आज केदारनाथ नहीं जा सके।

11 सिंतबर को पूजा में शामिल होने की अनुमति न मिलने पर पिछले कई दिनों से तीर्थ पुरोहित केदारनाथ कूच करने पर अड़े थे। मंगलवार को दो सौ से अधिक तीर्थ पुरोहित जैसे ही फाटा में पहुंचे तो पुलिस ने इन्हें आगे जाने से रोक दिया। इसके बाद उन्होंने यहीं पर ही सभा की। इस अवसर पर वक्ताओं ने केदारनाथ में पूजा शुरु होने का समर्थन करते हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थानीय जनता व प्रतिनिधिमंडल को केदारनाथ जाने से रोका गया। कुछ लोगों को ही वहां जाने की अनुमति दी गई, जबकि बड़ी संख्या में तीर्थ पुरोहित, मजदूर, व्यापारी वहां जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में प्राधिकरण का गठन एवं वैष्णों देवी एक्ट पर यात्रा शुरु करने का भी विरोध किया जाएगा। स्थानीय जनता को पूजा में सम्मिलित न होने पर यह जनभावनाओं का अपमान है। केदारनाथ की पूर्व विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि शासन-प्रशासन अपनी नाकामी को छिपाने के लिए यह कदम उठा रही है। जबकि केदारनाथ में 75 फीसद लॉज व होटल हैं। इनके मालिकों को जब केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं होगी, तो वह अपने मकानों की कैसे साफ-सफाई करेंगे। सदियों से यही लोग केदारनाथ में आने वाले तीर्थयात्रियों की व्यवस्था करते हैं। महाराष्ट्र निवासी ससंत माकडे भी केदारनाथ पूजा में सम्मिलित होने आए थे उन्हें भी प्रशासन ने रोक दिया।

इस मौके पर वहां पहुंचे एसडीएम ऊखीमठ राकेश तिवारी ने कहा कि पैदल मार्ग सुरक्षित न होने के कारण तथा मौसम को देखते हुए आम नागरिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के दायित्व को देखते हुए ऐसा कदम उठाया गया है। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को 12 सितम्बर को डीएम से वार्ता के बाद अग्रिम कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया। इस अवसर पर ब्लाक प्रमुख फते सिंह रावत, दर्शनी पंवार, जिपंस केशव तिवारी, विपिन सेमवाल, किसन बगवाडी, माधव कर्नाटकी, जयंती प्रसाद कुर्माचली, गोविंद ंिसह रावत, एसपी बीजे सिंह मय फोर्स समेत उपस्थित थे।

केदारनाथ: भक्त के बिना ही भगवान की होगी पूजा

Sahara Samay - ‎Sep 10, 2013‎

केदारनाथ में बिना अनुमित कोई भी व्यक्ति न पहुंच सके, इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने विभिन्न यात्रा मार्गों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी है. घाटी में पहुंच रहे बाहरी लोगों के साथ स्थानीय लोगों का भी सत्यापन किया जा रहा है. यह बात अलग है कि चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिसकर्मियों को सिर्फ मौखिक रूप से किसी भी व्यक्ति को केदारघाटी में न घुसने देने के निर्देश दिए गए हैं. चौकियों में तैनात पुलिस के पास किसी को रोकने के लिए लिखित में कोई भी आदेश नहीं हैं. केदारनाथ में 11 सितम्बर से पूजा शुरू होने जा रही है. इसकी कवरेज के लिए मीडियाकर्मी पैदल केदारनाथ जाना चाहते हैं.



45 करोड़ खर्च कर हुई केदारनाथ में सबसे महंगी पूजा, केमिकल से नष्ट किए जा रहे शव


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गुप्तकाशी. केदारनाथ मंदिर में करीब 3 महीने बाद बुधवार को पूजा की गई। बुधवार सुबह केदारनाथ मंदिर में सांकेतिक तौर पर प्राण प्रतिष्ठा की गई। जैसे ही बुधवार को सुबह के सात बजे छठी सदी के इस मंदिर के प्रधान पुजारी रावल भीम शंकर लिंग शिवाचार्य ने मंदिर के पट खोले और पूजा करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश किया। पूजा और प्रार्थना आज 'सर्वार्थ सिद्धि योग' के अवसर पर शुरू की गई, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। आसपास मौजूद लोगों ने 'हर हर महादेव' के नारे लगाकर 86 दिनों से मंदिर में छाए सन्नाटे को तोड़ दिया।

लेकिन 100 साल में यह पहला मौका था जब पूजा में न तो भक्त शामिल हुए और न ही स्थानीय तीर्थ पुरोहित। सिर्फ उत्तराखंड सरकार के मंत्री और अधिकारी ही पूजा के साक्षी बनें। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि इस वीआईपी पूजा पर 45 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए।

16 जून को आई आपदा के बाद से उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकता में सिर्फ केदारनाथ मंदिर में पूजा शुरू करवाना ही था।  3 महीने से पूरा प्रशासनिक अमला पूजा की प्लानिंग और तैयारियों में जुटा हुआ था। हालत यह है कि रुद्रप्रयाग के डीएम डी. जावड़कर भी खुद को मंदिर तक ही सीमित किए हुए हैं। वहीं, चार जिलों की पुलिस की तैनाती गुप्तकाशी, सोनप्रयाग और फाटा में इसलिए की गई है ताकि कोई भी मंदिर तक न पहुंच सके। पूजा की जल्दी का नतीजा है कि सोनप्रयाग से गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ मंदिर तक जाने वाला पैदल मार्ग तीन महीने बाद भी बंद ही है।

केदारनाथ मंदिर में पूजा शुरू करवाने की उत्तराखंड सरकार की बेताबी गौरतलब थी। गुप्तकाशी, गोचर व देहरादून में तैनात 18 निजी हेलिकॉप्टर 2 माह से सिर्फ केदारनाथ मंदिर में अस्थायी निर्माण के लिए निर्माण सामग्री, मंत्री व अफसरों को लाने व ले जाने में जुटे रहे। केदारनाथ क्षेत्र की पूर्व विधायक आशा नौटियाल कहती हैं, राज्य सरकार के मंत्री व अफसर अपने-अपने इलाकों में जाने के बजाय केदारनाथ मंदिर तक ही सीमित हैं। केदारनाथ मंदिर में पूजा के बहाने उत्तराखंड सरकार मंदिर का नहीं अपना शुद्धीकरण कर रही है। इसीलिए 11 तारीख की पूजा में सिर्फ मंत्री और अफसर ही मौजूद होंगे।

(तस्वीर: जगह-जगह तैनात पुलिस लोगों को इलाके में प्रवेश करने से रोक रही है)

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अक्टूबर से हेलिकॉप्टर के जरिए श्रद्धालु जा सकेंगे केदारनाथ

नई दिल्ली : केदारनाथ में अगले महीने से तीर्थयात्रियों के लिये सीमित संख्या में हेलिकाप्टर के जरिये पहुंचने की व्यवस्था की जा रही है जबकि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि अक्तूबर में बद्रीनाथ यात्रा और इस महीने के आखिर में हेमकुंड साहिब की यात्रा बहाल हो जायेगी।


जून में प्राकृतिक आपदा झेलने वाले केदारनाथ में 11 सितंबर से पूजा बहाल होने वाली है । इसमें विशिष्ट आमंत्रित व्यक्ति ही मौजूद होंगे लेकिन राज्य सरकार अगले महीने से सीमित संख्या में आम जनता के लिये दर्शन की व्यवस्था कराने की कवायद में है जो पांच नवंबर को मंदिर के कपाट बंद होने तक जारी रहेंगे।


बहुगुणा ने कहा कि गौरीकुंड के रास्ते फिलहाल पैदल यात्रा संभव नहीं है लेकिन हेलिकाप्टर से जाने के लिये हमने तीन अस्थायी हेलिपैड बनाये हैं । अभी उन्हें डीजीसीए से स्वीकृति नहीं मिली है । 30 सितंबर को होने वाली एक अहम बैठक में तय किया जायेगा कि वहां से केदारनाथ के लिये उड़ानें कब शुरू की जायें ।


उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि अक्तूबर से हेलिकाप्टर के जरिये लोग केदारनाथ के दर्शन कर सकेंगे । हेलिकाप्टर उतारने के लिये पुल बन गया है जहां से मंदिर के लिये 15 मिनट पैदल चलना होगा । हम 30 सितंबर की बैठक में इस बारे में फैसला लेंगे । पैदल यात्रा फिलहाल संभव नहीं है क्योंकि रास्ते सुरक्षित नहीं हैं और जगह जगह रूकने के लिये कोई बुनियादी ढांचा नहीं है । उन्होंने कहा कि हेलिकाप्टर से भी काफी सीमित संख्या में ही लोग जा सकेंगे । वैसे भी मौसम लगातार खराब चल रहा है और बारिश रूकी नहीं है । उधर बद्रीनाथ में अक्तूबर तक रास्ते बन जायेंगे और यात्रा बहाल हो जायेगी जबकि हेमकुंड साहिब में 22 या 23 सितंबर से यात्रा शुरू हो जायेगी ।


11 सितंबर को ही पूजा कराने की वजह पूछने पर बहुगुणा ने कहा, 'यह मुहूर्त मंदिर समिति और पुजारियों ने निकाला है । मुझ पर काफी दबाव था कि पूजा जल्दी आरंभ की जाये । इसके लिये राज्य सरकार ने बिजली, पानी, ठहरने की व्यवस्था कर दी है और पांच नवंबर को पट बंद होने तक पूजा चालू रहेगी।' उन्होंने बताया, 'मंदिर समिति के 32 लोग वहां पहुंच रहे हैं । इसके अलावा एनडीआरएफ, पुलिस के 100 लोग होंगे । मंत्रिमंडल के सदस्य, स्थानीय सांसद और मीडिया से भी लोग पहुंचेंगे । पूजा शुरू होने के बाद मंदिर समिति के सदस्य दस दस दिन के क्रम पर वहां रहेंगे ।'


मुख्यमंत्री ने इस बात से इनकार किया कि मंदिर के भीतर अभी भी मलबा दबा हुआ है । उन्होंने कहा, 'हमने दोहरी योजना पर काम किया । पहले घाटी से सारे शव निकाले और दूसरे जहां हेलिकाप्टर उतरता है, वहां पुल बनाया । पिछले कुछ दिन से राज्य पुलिस ने सघन खोज अभियान में 300 से ज्यादा शव निकाले हैं।' उन्होंने कहा, ''मंदिर के भीतर कोई मलबा नहीं है लेकिन परिसर में सफाई का काम बाकी है जो पूजा के बाद जारी रहेगा । मैने खुद मंदिर के भीतर जाकर निरीक्षण किया है और वहां पूजा आरंभ करने की राह में कोई बाधा नहीं है ।' (एजेंसी)



केदारनाथ में 86 दिन बाद हुई पूजा, अभी श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं

एनडीटीवी खबर - ‎8 hours ago‎

केदारनाथ में 86 दिन बाद हुई पूजा, अभी श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं. PLAY Click to Expand & Play. केदारनाथ में करीब तीन महीने बाद हुई पूजा. close. केदारनाथ में करीब तीन महीने बाद हुई पूजा. केदारनाथ: उत्तराखंड में जून में भीषण प्राकृतिक आपदा की वजह से मची तबाही के बाद केदारनाथ मंदिर में पसरा सन्नाटा आज सुबह मंत्रोच्चार के साथ ही खत्म हो गया, जब केदार घाटी में 400 से अधिक लोगों को मौत की नींद सुलाने वाली बाढ़ की विभीषिका के 86 दिन बाद इस हिमालयी तीर्थ में प्रार्थना और पूजा हुई। केदारनाथ मंदिर भले ही श्रद्धालुओं के लिए शुरू नहीं हुआ है पर एक अच्छी खबर यह है कि पांचवां ...

87 दिनों के बाद बाबा लौटे केदारनाथ, पूजा शुरू

दैनिक जागरण - ‎1 hour ago‎

तभी से बाबा केदारनाथ की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में हो रही थी। बुधवार को हवन के बाद आपदा के शिकार लोगों की आत्मा की शांति, देश-प्रदेश के कल्याण और समाज के उत्थान की कामना की गई। आपदा के दौरान मुख्य मंदिर के पिछले हिस्से में आकर रुकी विशाल शिला की भी विशेष पूजा की गई। माना गया कि इसी शिला की बदौलत केदार बाबा के मंदिर को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। पूजा-अनुष्ठान के दौरान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल प्रमुख रूप से मौजूद थे। यात्रा के लिए वक्त मुफीद न बताने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ...

केदारनाथ में फिर गूंजा हर हर महादेव

आज तक - ‎4 hours ago‎

जिस दिन का इंतजार था आखिर वो घड़ी आ गई. बाबा केदारनाथ की शुद्धिकरण पूजा शुरू हो गई है. जैसाकि पहले से तय था बाबाकेदारनाथ की शुद्धिकरण पूजा ठीक 7 बजे शुरू हो गई. शुद्धिकरण पूजा के बाद बाबा केदारनाथ का पूरे विधि-विधान से जलाभिषेक किया जाएगा. शुद्धिकरण पूजा के बाद 8 बजे बाबा केदारनाथ के कपाट खोल दिए गए. केदारनाथ जाने का रास्ता अब भी ठीक नहीं हो पाया है इसलिए बाबा केदारनाथ की आज की पूजा में वही लोग शरीक हो रहे हैं, जो विशेष तौर पर वहां पूजा के लिए पहुंचाए गए हैं. हिमालयी तीर्थस्थल के गर्भ गृह को केदरनाथ-बद्रीनाथ समिति और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम के निरीक्षण ...

केदारनाथ मंदिर के कपाट खुले

नवभारत टाइम्स - ‎3 hours ago‎

उत्तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ की त्रासदी के मद्देनजर तीन महीने से केदारनाथ मंदिर बंद पड़ा था। क्षेत्रीय विधायक शैला रानी रावत, शंकराचार्य के प्रतिनिधियों और मंदिर प्रशासन समिति के अधिकारियों की मौजूदगी में 30 पुरोहितों ने यज्ञ अनुष्ठान किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा खराब मौसम के कारण यज्ञ में शामिल होने केदारनाथ नहीं आ पाए। बुधवार सुबह गुप्तकाशी और केदारनाथ में बारिश का सिलसिला जारी रहा। इस अवसर पर मंदिर और आसपास के इलाकों को फूलों से सजाया गया था। मालूम हो कि जून महीने में भारी बारिश और बाढ़ के कारण केदारनाथ, गुप्तकाशी और आसपास के ...


86 दिनों बाद केदारनाथ में बम-बम भोले की गूंज

Oneindia Hindi - ‎8 hours ago‎

देहरादून। उत्तराखंड में मची तबाही के बाद 86 दिनों बाद आज केदारनाथ में दुबारा से पूजा शुरु की गई। सुबह 7 बजे केदारनाथ मंदिर की गर्भगृह का शुद्धिकरण किया गया। लंबे इतंजार के बाद बाबा केदारनाथ की पूजा शुरु की गई। कपाट खुलने के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया। पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ भगवान का श्रृंगार किया गया। केदारनाथ मंदिर की शुद्धिकरण पूजा के बादकेदारनाथ का पूरे विधि-विधान से जलाभिषेक किया गया। शुद्धिकरण पूजा के बाद तकीब सुबह 8 बजे बाबा केदारनाथ के कपाट खोल दिए गए। हलांकि केदारनाथ जाने का रास्ता अब तक ठीक नहीं हो पाया। रास्ता ठीक नहीं होने के कारण ...

बाबा केदारनाथ के खुले कपाट,गूंजा हर हर महादेव

khaskhabar.com हिन्दी - ‎2 hours ago‎

केदारनाथ। उत्तराखंड में जून में आई भीषण प्राकृतिक आपदा से मची तबाही के बाद प्रमुख तीर्थ स्थान केदारनाथ मंदिर में बुधवार से फिर पूजा शुरू हो गई है। आज सुबह 7:45 बजे से 8 बजे तक शुदि्धकरण हुआ, फिर परंपरा अनुसार मंदिर के कपाट खोले गए। इसी के साथ केदारनाथ घाटी में 86 दिनों से पसरा सन्नाटा खत्म हो गया। इस हिमालयी तीर्थ केदार घाटी में जून में आई बाढ की विभीषिका ने 400 से अधिक लोगों को मौत की नींद सुला दिया था और करीब पांच हजार लोग लापता हो गए थे। इसी के साथ मंदिर को छोड कर वहां सब कुछ विनाश लीला में विलीन हो गया था। पूजा को देखते हुए केदारनाथ में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल ...

केदारनाथ पूजा पर सियासत गरमाई

लोकतेज - ‎5 hours ago‎

देहरादून। केदारनाथ में पूजा राजनैतिक मुद्वा बन गई है।यह हर कोई इसे लेकर सियासत कर रहा है।बुधवार को केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए उत्ताराखंड के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने फाटा में बैरिकेट तोड़ दिया।और अपने समर्थकों के साथ पैदल मंदिर की ओर चल पढ़े।जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के साथ २५ अन्य लोगों ने केदारनाथ धाम को कूच किया है। प्रशासन ने सुरक्षा के लिए इनके साथ पांच पर्वतारोही भेजे हैं। केदारनाथ मंदिर में बुधवार को प्रस्तावित पूजा पर सियासत गरमा गई है।भाजपा ने इसे सरकारी पूजा घोषित कर दिया है।आगामी लोकसभा चुनाव को देखते ...


केदारनाथ में फिर पूजा शुरु

लोकतेज - ‎8 hours ago‎

रुद्रप्रयाग । केदारनाथ मंदिर में ८६ दिन बाद पूजा शुरू हो ही गई।जानकारी के अनुसार सुबह सात बजे मंदिर का शुद्धीकरण किया गया। इसके बाद मंदिर में बाबा केदार नाथ की प्राण प्रतिष्ठा की गई।पूजा और प्रार्थना सर्वार्थ सिद्धि योग के अवसर पर शुरू की गई जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। उत्ताराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अपने कुछ मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ पूजा में शामिल होने वाले थे लेकिन खराब मौसम की वजह से वह नहीं आ सके।इससे पहले केदारनाथ जाने की अनुमति न दिए जाने से तीर्थ पुरोहितों का एक ब़डा तबका, व्यापारी और स्थानीय लोग सरकार से नाराज हैं। रुद्रप्रयाग के डीएम ...

केदारनाथ मंदिर में 86 दिन के बाद आज हुई पूजा

Bhasha-PTI - ‎11 hours ago‎

आलोक मिश्रा : केदारनाथ, 11 सितंबर :भाषा: उत्तराखंड में जून में भीषण प्राकृतिक आपदा की वजह से मची तबाही के बाद केदारनाथ मंदिर में पसरा सन्नाटा आज सुबह मंत्रोच्चार के साथ ही खत्म हो गया जब केदार घाटी में 400 से अधिक लोगों को मौत की नींद सुलाने वाली बाढ़ की विभीषिका के 86 दिन बाद इस हिमालयी तीर्थ में प्रार्थना और पूजा हुई। अपनी टिप्पणी पोस्ट करे । नाम. ईमेल आईडी. विषय. चेक, अगर आप इस साइट पर अपना नाम प्रदर्शित नहीं करना चाहते। चेक, अगर आप इस तरह की और खबरे देखना चाहते हैं। पीटीआई-भाषा किसी भी तरह की अमर्यादित टिप्पणी बर्दाश्त नहीं करती। इस फोरम की गरिमा और मर्यादा ...

पूजा के मुहूर्त पर सतपाल को आपत्ति

दैनिक जागरण - ‎19 hours ago‎

केदारनाथ धाम में 11 सितंबर को पूजा को लेकर स्थानीय लोगों का रोष झेल रही प्रदेश सरकार को अब अपनों की नाराजगी से भी जूझना पड़ रहा है। गढ़वाल सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि केदारनाथ में पूजा के लिए वर्तमान मुहूर्त ठीक नहीं है। पूजा नवरात्रों के शुभ मुहूर्त में कराई जानी चाहिए। उन्होंने अपने मत से मुख्यमंत्री को भी अवगत करा दिया है। अपने आवास पर पत्रकारों से मुखातिब सांसद महाराज ने कहा कि रक्षाबंधन के बाद और नवरात्र से पहले तक मुहूर्त उपयुक्त नहीं है। लिहाजा केदारनाथ धाम में अभी पूजा नहीं कराई जानी चाहिए। इस संबंध में उनकी संतों और पंडितों से भी वार्ता हुई है और उनका ...



केदारनाथ में राहत नहीं लेकिन आज से पूजा

शालिनी जोशी

बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के लिए, देहरादून से

बुधवार, 11 सितंबर, 2013 को 10:09 IST तक के समाचार

केदारनाथ मंदिर में बुधवार से फिर पूजा शुरू हो रही है.

16-17 जून को बाढ़ और बारिश की वजह से केदारनाथ में अब भी हालात मुश्किल बने हुए हैं और जीवन पटरी पर नहीं लौटा है.

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बड़ी कठिनाई से बिजली पानी की बुनियादी सेवाएं अंतरिम तौर पर बहाल हो पाई हैं और अस्थायी तौर पर शिविर बनाकर एक तरह से पूजा आरंभ करने की औपचारिकता की जा रही है.

हालांकि उत्तराखंड सरकार अब भी ये फ़ैसला नहीं कर पाई है कि आम श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ की यात्रा फिर से कब शुरू होगी.

'पूजा पर सवाल'

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा, "सीमित संख्या में लोग वहां रहेंगे. रावल, शंकराचार्य और मंदिर समिति के लोग और मंत्रिमंडल के कुछ साथी वहां रहेंगे. श्रद्धालुओं के लिए मंदिर कब खुलेगा, ये निर्णय 30 तारीख को होगा व्यवस्था और मौसम देखकर. पूजा दीवाली तक चलेगी और धीरे-धीरे श्रद्धालु भी पहुंचेंगे वहां."

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि केदारनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुलने पर फ़ैसला 30 सितंबर को होगा

केदारनाथ में आई आपदा ने जहां हज़ारों लोगों की जान ले ली थी वहीं मंदिर परिसर भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था.

हालांकि मुख्य मंदिर और गर्भगृह लगभग सलामत रहे. ये पहला अवसर था जब असाधारण तबाही की वजह से चार धाम यात्रा के बीच ही केदारनाथ में पूजा बंद हुई.

केदारनाथ का सड़क संपर्क अब भी कटा हुआ है और पूजा के लिए सभी लोग और सामग्री वहां हेलीकॉप्टर से ही भेजे गए हैं क्योंकि पैदल मार्ग अब भी नहीं बन पाया है.

दूसरी ओर केदारनाथ में पूजा की हड़बड़ी को लेकर सरकार की मंशा पर उंगलियां भी उठाई जा रही हैं. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि सरकार को पूजा की जल्दी क्यों है.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूड़ी ने कहा, "पूजा की बजाय सरकार को पुनर्वास की चिंता करनी चाहिए."

टूट रहा है सन्नाटा

"तीर्थ पुरोहितों को आप नहीं बुला रहे हैं. बिना पुरोहित के तीर्थ नहीं. बिना तीर्थ के पुरोहित नहीं. अब आप उनको आने नहीं दे रहे हैं फिर किसके लिये पूजा हो रही है."

अजय भट्ट, उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता

पूजा शुरू कराने के लिए चुने गए पुरोहितों और उसके तरीके को लेकर भी विरोध हो रहा है.

विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय भट्ट ने कहा, "तीर्थ पुरोहितों को आप नहीं बुला रहे हैं. बिना पुरोहित के तीर्थ नहीं. बिना तीर्थ के पुरोहित नहीं. अब आप उनको आने नहीं दे रहे हैं फिर किसके लिए पूजा हो रही है."

बहरहाल आपदा की वजह से केदारनाथ का मरघट सा सन्नाटा टूट रहा है लेकिन केदारघाटी में आपदा में मारे गए लोगों के शवों के मिलने का सिलसिला अब भी खत्म नहीं हुआ है.

2 सितंबर को केदारघाटी के दुर्गम पर्वतीय इलाकों में शुरू किए गए खोजी अभियान के दौरान अब तक 185 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है.

ये शव करीब 11 हज़ार फीट से 15 हज़ार फीट की ऊंचाई पर गुंज्यालगिरी, गरूड़चट्टी, देवविष्णु और गोमकारा के बुग्यालों और पहाड़ियों से बरामद हुए.

अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि सुरक्षित ठिकानों की तलाश में लोग पहाड़ियों की तरफ भागे होंगे और शायद वहीं राहत के अभाव में भूख-प्यास से इनकी मौत हो गई होगी.

इस बीच केदारनाथ में मौसम अब भी साथ नहीं दे रहा है.

मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिनों में केदारनाथ में बादल छाए रहेंगे और अच्छी-खासी बारिश हो सकती है.

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http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/09/130910_kedarnath_pooja_after_calamity_an.shtml




Prayers resumed at Kedarnath shrine 86 days after devastation. (PTI)

The tolling of bells may have brought alive the Himalayan shrine of Kedarnath on Wednesday but heaps of broken doors and razed walls just a few meters away are a tell-tale sign of the massive devastation suffered in the June calamity.

Kedarnath Temple reopens, prayers resume 86 days after Uttarakhand floods

Several structures close to the shrine are lying in the shambles, with heaps of wooden planks, broken doors and razed walls lying just a few meters away from the temple.

Structures lying close to the temple are still cluttered with tons of debris under which a large number of bodies might be lying, officials here said.

PHOTOS: Devastated Kedarnath shrine

The huge rock that saved the shrine was also worshipped today by a team of priests as pujas resumed at the shrine after a gap of 86 days.

"The road route to the shrine has also been opened for a limited number of pilgrims from the nearby areas at their own risk," Rudraprayag DM Dilip Javalkar said.

Prayers resume at Kedarnath shrine

Full-fledged yatra has not yet resumed. A review meeting will be held on 30 September to take stock of the situation and decide on the possibility of resuming the full-fledged yatra.

Meanwhile,Uttarakhand Chief Minister Vijay Bahuguna scheduled to visit the shrine on Wednesday has not been able to visit due to bad weather.

Many areas in the hilly regions of the state received light to moderate rain, official sources said.

Even in state's capital Dehradun, rain started midnight and continued till this afternoon, they added.


केदारनाथ : 'शुद्धिकरण'और 'प्रायश्चितकरण'के बाद शुरू हुई पूजा



उत्तराखंड में जून में भीषण प्राकृतिक आपदा की वजह से मची तबाही के बाद केदारनाथ मंदिर में पसरा सन्नाटा आज सुबह मंत्रोच्चार के साथ ही खत्म हो गया जब केदार घाटी में 400 से अधिक लोगों को मौत की नींद सुलाने वाली बाढ़ की विभीषिका के 86 दिन बाद इस हिमालयी तीर्थ में प्रार्थना और पूजा हुई।

बेघरों को 30 अक्तूबर तक मिल जायेगी छत, वैज्ञानिक तरीके से बसेगा केदारनाथ : विजय बहुगुणा


पौ फटने के कुछ देर बाद घड़ी की सुइयों ने जैसे ही सात बजने का संकेत दिया, छठीं सदी के इस मंदिर के प्रधान पुजारी रावल भीम शंकर लिंग शिवाचार्य ने मंदिर के पट खोले और पूजा करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश किया।

पूजा और प्रार्थना आज ''सर्वार्थ सिद्धि योग'' के अवसर पर शुरू की गई जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अपने कुछ मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ आज की पूजा में शामिल होने वाले थे लेकिन खराब मौसम की वजह से वह देहरादून से नहीं आ सके।

केदार घाटी घने कोहरे की चादर से ढकी है। आज सुबह सवेरे हुई पूजा को कवर करने के लिए आने वाले मीडिया के विभिन्न दलों को यहां से करीब 22 किमी दूर गुप्तकाशी में रूकना पड़ा क्योंकि वह खराब मौसम की वजह से आगे नहीं बढ़ पाए।

पूजा से पहले मंदिर का 'शुद्धिकरण' और फिर 'प्रायश्चितकरण' (मंदिर में लंबे समय तक पूजा न करने के लिए प्रायश्चित) किया गया।

प्रधान पुजारी के साथ बड़ी संख्या में पुरोहित और बद्रीनाथ केदारनाथ समिति के अधिकारी मौजूद थे।

सामूहिक मंत्रोच्चार और पवित्र शंख की ध्वनि से पूरा मंदिर गूंज उठा।

बहरहाल, 13,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में फिलहाल किसी भी श्रद्धालु को जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

इस प्रख्यात हिमालयी मंदिर की यात्रा बहाल करने की तारीख तय करने के लिए 30 सितंबर को एक बैठक बुलाई गई है।

पूजा के लिए मंदिर की सफाई करने के बाद उसे बहुत ही अच्छी तरह सजाया गया। इससे पहले राज्य में आई भीषण बाढ़ का असर मंदिर पर भी पड़ा था और वहां 86 दिन तक खामोशी छाई रही थी।

बाढ़ के कारण पहाड़ी जिले रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ बुरी तरह प्रभावित हुए तथा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 600 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस आपदा में 4,000 से ज्यादा लोग लापता भी हो गए।


केदारनाथ मन्दिर

http://hi.wikipedia.org/s/1fw

मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से

केदारनाथ मन्दिर


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{{{वर्णन}}}



नाम:

श्री केदारनाथ मन्दिर

निर्माता:

पाण्डव वंश के जनमेजय

जीर्णोद्धारक:

आदि शंकराचार्य

निर्माण काल :


देवता:

भगवान शिव

वास्तुकला:

कत्यूरी शैली

स्थान:

केदारनाथ, उत्तराखण्ड

















केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम

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