Wednesday, August 21, 2013

बोल जमूरे,कैसे बनाया? अब कोई नया खेल दिखा। पूरा देश खामोश तमाशबीन है।

बोल जमूरे,कैसे बनाया? अब कोई नया खेल दिखा। पूरा देश खामोश तमाशबीन है।

रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आने से सेंसेक्स 340 अंक टूटा। खाद्यसुरक्षा कानून रन आउट, थ्रो कोयला मंत्री!


पलाश विश्वास


रुपये की विनिमय दर में गिरावट जारी रहने का असर बुधवार को फिर बाजार पर पड़ा। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 340 अंक की गिरावट के साथ करीब एक साल के निम्न स्तर पर बंद हुआ।अब विशेषज्ञ कालाधन के लिए आम माफी की गुहार लगाने लगे हैं। वित्तमंत्री रहते प्रणवमुखर्जी तो वास्तव में यह प्रस्तावित कर ही चुके हैं। कालाधन के लिए आम माफी, सारे सब्सिडी खत्म, तेल, बिजली, चिकित्सा,ईंधन, शिक्षा, बैंकिंग ,बीमा,भविष्यनिधि ,पेंशन,ग्रेच्युटी, बैंक खाते,चीनी, परिवहन से लेकर हवा पानी भी अब विनियंत्रित होने को है। लाखों करोड़  की टैक्स छूट और मंदी राहत की तैयारी के साथ रुपये के थामने का वित्तीय प्रबंधन चाक चौबंद है। संकट का बोझ हमारे मत्थे। उनके लिए मुनाफा और मुनाफा। मारे जाने के लिए हम। छंटनी हमारी। उनकी बहुमंजिली पांच  सितारा रैम्प जीवन। जमूरे, लोक गणराज्य का तामाशा दिखा रे भाई।


खादय सुरक्षा टाय टाय फिस्स। सूचना के अधिकार के दायरे से कारपोरेट चंदा बाहर। कालाधन की अकूत संपत्ति को क्लीन चिट। कारपोरेट कंपनियों को भूमि उपहार के लिए जाति उन्मूलन की अनिवार्य शर्त भूमि सुधार लागू करने का छलावा।


जमूरे,असली लड़ाई जल जंगलजमीन की है। नागरिकता और आजीविका की है। पहचान अस्मिता और आरक्षण, सत्ता में भागेदारी की नहीं। शिक्षा और रोजगार से ज्यादा जरुरी है भूमि के स्वामित्व का समान अधिकार, जो सामाजिक न्याय, कानून के राज और समता आधारित शोषणविही न समाज के लिए सबसे जरुरी है।


जमूरे,देख कैसे बुरबक बनाकर अस्मिताओँ और पहचान की लड़ाई में, आरक्षण और सत्ता में भागेदारी के घनचक्कर में असल मुद्दा को ही खा गये। न भूमि पर बहुजनों का सवामित्व होग, न जाति का उन्मूलन होगा और न  कारपोरेट राज में तब्दील इस मनुस्मृति राज का खात्मा होगा।


आरक्षण बचाओ और आरक्षण हटाओं की लड़ाई में कैसे लड़ मर रहे हैं आस्थावान धर्मोन्मादी छह हजारे से ज्यादा जातियों , अलग अलग धर्मों, भाषाओं और अस्मिताओं में बंटा बहुजन बहुसंख्य कृषिजीवियों का भारत। खुले बाजार की चकाचौंध में उनसे खन वन जल जमीन नैसर्गिक आजीविका छीन ली।उनके बच्चो ं को शर्वशिक्षा की जहरीली खिचड़ी बांटी। शिक्षा के थोक दुकानों में फालतू डिग्रियां डिप्लोमा बांट दिये।शिक्षा के अधिकार का बंटाधार, जमूरे। अब ससुरे स्थाई नौकरियां सरकारें बी नहीं देतीं। नयी नौकरियां मिलती नहीं हैं। निजी संस्थानों में आरक्षण नही है। जबकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के शत प्रतिशत दौर में सबकुछ निजी और कारपोरेट है। सर्वशक्तिमान मीडिया कर्मी कैसे सड़क की धूल फांक रहे हैं लखटकिया पगार की गुबार छंटते न छंटते। लड़ते रहो। लगे रहो मुन्ना भाई। मनुस्मृति  व्यवस्था बनाये रखने के लिए यह आत्मघाती अराजक हिंसा और परस्परविरोधी घृमा अभियान सबसे जरुरी खेल है, जमूरे।


सत्ता की भागेदारी में जाति पहचान ही पूंजी है। तो अंबेडकर के चेले खाक जाति उन्मूलन की परिकल्पना को असली जामा पहनायेंगे। कम्युनिस्ट क्रांति की तरह उनकी जादी की लड़ाई भी झूठ और प्रपंच है।


जमीन की लड़ाई, भूमि सुधार की लड़ाई में आदिवासी के अलावा कोई नहीं लड़ता। जिसकी जमीन,उसका खनिज, सुप्रीम कोर्ट ने राय दे दी। खबर नहीं किसी को। उलटे आदिवासियों का अनंत अलगाव। हम जनीन और भूमि सुधार की लड़ाई में ही नहीं।


जमूरे,धर्म का बोलबाला जितना रहेगा, जितनी होगी मूर्ति पूजा। असली लड़ाई कभी नहीं लड़ी जायेगी।फर्जी धर्मयुद्ध में लोग अपना हीगला काटते रहेंगे। खून बहायेगें स्वजनों का। हासिल सत्ता में भागेदारी के अलावा कुछ न होगा। जबकि असली सत्ता दरअसल संसद में नहीं है और न विधानसभाओं में हैं।असली सत्ता विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में है। वासिंगटन की निर्देशिकाओं में है। इंडिया इनकारपोरेशन में हैष बहुराष्ट्रीय कंपनियों में है। इस देश की कारपोरेट कृषि हत्यारी अर्थव्यवस्था में है, बहुसंख्य कृषिजीवी जनता जिसदिन खेल समझ गयी जमूरे, खेल खत्म समझो जमूरे।



प्याज से रो रहे हैं तो प्याज की परतों को उतारकर देखें कि तिलिस्म का कारोबार क्या है। हमारे किसानों को लागत का पैसा नहीं मिलता नकद फसल से। अनाज उगाया ही नहीं जाता अब। किसान दूसरों का पेट क्या भरे ,खुद दाने दाने को मोहताज है। खुले बाजार में खेती का घाटा लांघकर खाद्यान्न खरीदने में नाकाम किसान सामूहिक आत्महत्या करते रहे और आयात निर्यात का खेल भी जारी रहे। कोयला ब्रलाकों पर खूब हंगामा हो। कोल इंडिया को तोड़कर कारपोरेट कंपनियों को बेचने का सरकारी उपक्रम है और कोयला बाहर से मंगा रहे हैं। एकमुश्त बिजली और कोयला दोनों डिकंट्रोल। पेड़ कहीं गिरता है, गूंज कहीं होती है। जैसे प्याज का तमाशा देखें। क्रिकेट आईपीएल विशेषज्ञ कृषि मंत्री से कोई पूछे कि प्याज के निर्यात से किसानों का क्या भला हुआ और प्याज के आयात से वित्तीय घाटा कितना कम हुआ और कितनी बंध गयी मुद्रास्फीति और मंहगाई। उन्हें श्रीनिवासन को हटाकर बीसीसीआई की सोने की मुर्गी को कब्जाने के खेल से कोई फिरसत हो तभी न पूछेंगे!वे दुनिया के अनोखे एकमात्र कृषि मंत्री हैं जिनके राजकाज में कृषि विकास दर शून्य पर है।कृषि मंत्री के आसपास का भूगोल आत्महत्या करते किसानों की लाशों से पटा है। उनके अपने घर मराठवाड़ा में दुष्काल की निरंतरता है।


अब लीजिये, निश्चिंत हो जाइये। जमूरे दिखा दें कि शरद पवार की जेब में क्या है।


उस्ताद, हकारी संस्थान नाफेड ने घरेलू आपूर्ति बढ़ाने तथा कीमत पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान, ईरान, चीन तथा मिस्र से आयात के लिए वैश्विक निविदा जारी की। इस बीच, एक बार फिर प्याज का मूल्य देश के अधिकतर खुदरा बाजारों में 70 से 80 रुपये किलो पहुंच गया है।


कोयला घोटाले पर राजनीति तेज हो गई है। आज राज्यसभा में कोयला आवंटन से जुड़ी फाइलें गायब होने के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सफाई मांगी गई।



रुपये में आज लगातार पांचवें सत्र में गिरावट जारी रही और दोपहर के कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले यह गिर कर 64.52 प्रति डॉलर के स्तर पर चला गया था। रिजर्व बैंक द्वारा नकदी बढ़ाने के उपायों की कल घोषणा के बाद यह गिरावट हुई है।


दरअसल, कोयला खदान एलॉटमेंट के लिए साल 1993 से 2004 के बीच कई कंपनियों ने आवेदन किया था और उनके दस्तावेज गायब हैं। इनमें कांग्रेस सांसद विजय दर्डा की कंपनी की फाइल भी शामिल है। बीजेपी ने इस पर कहा है कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


तीस प्रमुख शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 340.13 अंक या 1.86 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,905.91 अंक पर बंद हुआ। पिछले करीब एक साल में यह पहला मौका है जब सेंसेक्स 18,000 से नीचे आया है।


कोयला घोटाले की बात क्या निराली है,कितने रक्षा घोटाले चट कर गये। कोलगेट जारी है कि कोयला आयात भी चालू। आयात पर बंदिश ऐसे लगा रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेल और आईपीएल तो लोग भूल ही गये। स्पेक्ट्रम का रफा दफा।तिहाड़ में आराम करके लौटभी आये लोग। चारा हजम करते देर नहीं लगती। तेल घोटाले की निरंतरता के बारे में किसी को नहीं मालूम। परिभाषाओं और सिद्धांतों,सूचनाओं और घोषणाओं, परियोजनाओं,परिकल्पनाओं और रेंटिंग के घोटाले को समझना इस देश के लोगों के बस में नहीं है। शेयर घोटाला और बैंकों के कालाधान बनाने के घोटाले, गार घोटाले , स्विस बैंक घोटाले,आधार कार्ड घोटाले, अंतरिक्ष घोटाले,परमाणु ऊर्जा घोटाले, बिजली घोटाले न जाने  कितने घोटाले हैं जिनकी कानोंकान खबर नहीं होती। प्रिज्म घोटाला निरंतर है।रेलगेट आया गया।


अब कोयला मंत्री को कोयला घोटाले की खबर करने का कोई और मौका नहीं मिला।कोयला मंत्री न बताते तो स्टिंग आपरेशन से खबर होते होते संसद का सत्र बीत जाता और खाद्य सुरक्षा बिल भी पास हो जाता।


कंपनी बिल पास होने में क्या देर लगी, कोई बताये।


कितने तो कानून पास हो जाते हैं तुरत फुरत।सांसदों मंत्रियों का वेतन भत्ता बढ़ना हो तो पांच मिनट भी नहीं लगते।


आरक्षितों के लिए पदोन्नति संबंधी संविधान संशोधन बिल दिल्ली बलात्कार कांड की वजह से ऐसा लटका कि अब किसी को याद तक नहीं और आरक्षाण विरोध का नया आंदोलन शुरु हो गया।


जिन बिलों को पास कराना होता है, सर्वदलीय सहमति भी बन जाती है।


हंगामा वाकआउट स्थगन के बीच गिलोटिन मार्फत पास नये कानून के बारे में जनता को खबर भी नहीं होती।


पर गेमचेंजर खाद्य सुरक्षा कानून को ऐसे लटकाया कि किसी भी भनक भी नहीं हुई।


अमेरिका में भारत के वित्तीय घाटा का शोर सबसे ज्यादा होता है। आखिरकार यह अर्थव्यवस्था हमारी नहीं,उनकी है।


कृषि संकट को आर्थिक संकट बानाने वालोंका तिलिस्मी कारोबार भी दिखा दें, जमूरे।


84 कोसी परिक्रमा पर विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के रवैये को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या और उसके आसपास के जिलों में सुरक्षाबलों की तैनाती शुरू कर दी है।प्रशासन जहां यह दावा कर रहा है कि अयोध्या और आसपास के इलाकों में संतों का जमावाड़ा किसी भी हाल में नहीं होने दिया जाएगा, वहीं विहिप ने ऐलान किया है कि 84 कोसी परिक्रमा अपने निर्धारित तिथि पर ही शुरू होगी।


विहिप की ओर से 25 अगस्त से 13 सितम्बर तक चौरासी कोसी परिक्रमा यात्रा निकालने की घोषणा पहले से ही की गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस धार्मिक यात्रा को निकालने पर पाबंदी लगा दी है। सरकार ने कहा कि 84 कोसी परिक्रमा के बहाने विहिप नई परंपरा की शुरुआत करना चाहती है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।


विहिप ने हालांकि यूपी सरकार पर यह आरोप लगाया है कि सरकार गलत तथ्यों का सहारा ले रही है। परिक्रमा के लिए कोई समयसीमा नहीं होती है, यह कभी भी आयोजित की जा सकती है। बहराल 84 कोसी परिक्रमा को लेकर उप्र में सियासी पारा गरम है। उप्र के पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा ने साफ तौर पर कहा है कि अयोध्या में संतों का जमावाड़ा रोकने की पूरी तैयारी कर ली गई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में फिलहाल पीएसी की 12 कंपनियां तैनात हैं और जरूरत पड़ी तो अतिरिक्त सुरक्षाबलों के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा।उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो अन्य राज्यों से लगी सीमाओं को भी सील किया जाएगा। अयोध्या, गोंडा, बहराइच, अम्बेडकर नगर, फैजाबाद और बाराबंकी में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे स्टेशनों, बस अडडों और हवाई अड्डों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई है। साधु-संत जहां भी मिलेंगे, उन्हें वहीं से वापस लौटा दिया जाएगा।


विहिप ने भी सरकार से दो-दो हाथ करने का मन बना लिया है। पूर्व गृह राज्य मंत्री और रामजन्मभूमि न्यास समिति से जुड़े स्वामी चिन्मयानंद ने भी साफ कर दिया है कि सरकार चाहे अयोध्या और फैजाबाद की सीमा सील करे या फिर पूरे यूपी की, संत अपनी परिक्रमा जरूर करेंगे।


अनुत्पादक देश की डालरसंबद्ध अर्थव्यवस्था विदेशी पूंजी की आस्था,हथियारों के सौदों, घोटालों ,कालाधन और रेटिंग निर्भर है।


अमेरिका में हंगामा हुआ कि खाद्य सुरक्षा पर खर्च बढ़ा तो भारत परमाणु संधि के बाद तय रक्षा सौदों के लिए पैसे कहां से लायेगा।


उन्हें खूब चिंता हुई कि भारत के सरकारी खर्च बेलगाम होने से बकाया भुगतान का क्या होगा।


रक्षा सौदों के भविष्य को लेकर चिंतित अमेरिकी उपराष्ट्रपति नई दिल्ली पधारे और मोंटेक सिह आहलूवालिया ने कमाल दिखा दिया ।


परिभाषा बदल कर एक  झटके से 21 करोड़ गरीबों का सफाया कर दिया।


इस दर्म्यान अमेरिकी आकाओं को सफाई देने भारतीय विदेश मंत्री की बजाय भारत के वित्तमंत्री वाशंगिटन में राजनय साधते रहे। घर बैठे विदेशमंत्री चुनावी जनादेश समीकरण बनाते रहे।


लेकिन ताश के किले ऐसे भरभराकर ऐन गेमचेंजर मुहूर्त का सत्यानाश कर देंगे, अर्थव्यवस्था की बुनियाद पर कारपोरेटी बारुदी सुरंगें लगाने वाले वित्त प्रबंधकों को इसका ख्याल न आया।


मुद्रास्फीति और महंगाई बेलगाम हैं।

कृषि उत्पादन शून्य।


औद्योगिक उत्पादन शून्य।


उपभोक्ता बाजार ठंडा।


सेवाएं पटरी से बाहर।


मौद्रिक नीतियों में रिजर्व बैंक ने थोड़ी जोर आजमाइश की और पूंजी पर नियंत्रण की घोषणा हो गयी तो धड़ाम।


इस पर तुर्रा यह कि िविश्वयुद्ध युगीन महामंदी में जैसा हुआ , हूबहू वैसा ही होने लगा।


अमेरिका और यूरोप में मंदी के दौर में निवेश की जोखिम उठाने के बजाय ग्लोबल बाजार से मुनाफा कमाने लगे जो सर्वशक्तिमान विदेशी निवेशक, वे स्वदेश में आर्थिक परिदृश्य में फिर वसंत बहार को आबोहवा देखते ही पलट गये।


अब हमारे वित्तीय प्रबंधक हाकर की तरह ग्लोब कोने कोने में देश बेचने के लिए हांक लगा रहे हैं, लेकिन इस अनुत्पादक रीढ़हीन देश को खरीदने वाला नहीं मिल रहा।


विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा बढ़ाते  बढ़ाते सौ फीसद की हद पार करने लगा। खुदरा बाजार, बीमा, विमानन, बैंकिंग, भविष्यनिधि ,पेंशन से लेकर रक्षा और मीडिया तक में हम अब शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए तैयार और वित्त प्रबंधक  विदेशी संस्थागत निवेशकों के द्वार द्वार घूमने लगे हैं।


निवेशक अब  और सुधार,और नरसंहार के लिए जोर लगा रहे हैं।


पहले भी गार के दांत दिखते ही अबाध पूंजी बाधित हो गयी थी। वित्तीय परबंधकों की टीम बदल दी गयी।


अब फिर पूंजी पर नियंत्रण की सूचना मिलते न मिलते सांड़ों ने शेयर बाजार को भालुओं के हवाले कर दिया। कारपोरेट लाबिंइंग का अद्भुत खेल है, भाई जमूरे।


दर्डा ने बांदेर कोल ब्लॉक के लिए सिफारिश की थी, जिसे पीएमओ ने आगे बढ़ाया था। खास बात यह है कि कोयला घोटाले की जांच कर रही सीबीआई भी कह चुकी है कि उसे कुछ दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जांच में सहयोग के लिए कहा था।


कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने भी यह बात कही है कि कोयला आवंटन से जुड़ी कुछ फाइलें गायब हुई हैं और उनका पता लगाने के लिए एडिशनल सेक्रेटरी की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है।


जासवाल ने कहा, कुछ फाइलें गायब हैं, लेकिन मुझे यह नहीं पता कितनी फाइलें गायब हैं। मुझे यह बताया जा रहा है कि 1993−04 के बीच की फाइलें गायब हैं। इनका पता लगाने के लिए सभी विभागों को आदेश दिए गए हैं। एक कमेटी बनाई गई है कि कैसे उन फाइलों को दोबारा हासिल किया जाए।


गेम चेंजर का गेम ही बदल गया। अबख खाद्य सुरक्षा कानून पास करेंगे तो विदेशी संस्थागत निवेशकों की आस्था तो खोयेंगे ही भुगतान संतुलन समस्या और विदेशी कर्ज के निरंतर बढ़ते बोझ , बकाया ब्याज के दबाव से वित्तीय घाटा का ग्राफ लगातार नीचे गया तो अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष गच्छामि समय के जनादेश काल में कौन बचायेगा, जाहिर है डीआरएस पद्धति से खाद्य सुरक्षा कानून रन आउट। इसलिए कोयला मंत्री को फील्डिंग में लगा दिया। क्या थ्रो किया, 1996 से 200 4 तक की फाइलें  पिच पर फेंक दी।पूरा संसदीय सत्र कोलगेट में रमा रहेगा। बाकी मुद्दे सारे के सारे रनआउट।


उस्ताद, आपने जो अर्थव्यवस्था की दुर्गत कर दी और वैश्विक परिवेश, ग्लोबवल वार्मिंग का जो असर है, उसमें रुपये की गिरावट थम ही नहीं रही,क्या करें?


जमूरे, शाहरुख बादशाह और सुंदरी दीपिका का लुंगी नाच लगाकर ताल ठोंक। मजमा बहक जायेगा। लुंगी के ताल पर नाचेगा देश। रिजर्व बैंक से सुब्बाराव को बदल दिया है। कान उमेठ देंगे,तो सबकुछ फिर ठीकठाक  हो जायेगा। सिर्फ जमूरे, तमाशा को राज रहने देना। वरना सुब्बाराव बना देंगे।


अब यह तमाशा भी देख लो भइये।


जमूरे,शुरु हो जा।


राजधानी दिल्ली में आज से खाद्य सुरक्षा योजना लागू हो गई है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज तालकटोरा स्टेडियम में इस स्कीम को लॉन्च किया। दिल्ली इस महत्वकांक्षी परियोजना को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।


इस मौके पर केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने खाद्य सुरक्षा बिल के पास होने में देरी का कारण नरेंद्र मोदी को बताया। उन्होंने कहा, 'पिछले हफ्ते नरेंद्र मोदी का खत मिला, आखिर उसका मकसद क्या था। मकसद था देरी करवाना। मोदी जो अपने को देश का अगला प्रधानमंत्री बता रहे हैं, देश की जनता को उनके अधिकारों से वंचित कर रहे हैं।'


उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी ने केंद्र को एक चिट्ठी लिखकर पांच बिंदुओं पर अपना विरोध दर्ज कराया है। बीजेपी का कहना है कि वह बिल के विरोध में नहीं है, लेकिन कुछ बदलावों के साथ वह बिल का समर्थन करती है। बीजेपी ने आज सरकार पर देश की अर्थव्यवस्था पर सब्सिडी का बोझ बढ़ाने का भी आरोप लगाया।


दिल्ली में आरंभ की गई इस योजना के तहत एक रुपये किलो मोटा आनाज, दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल दिया जाएगा। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के मुताबिक, राजधानी के करीब साढ़े 73 लाख लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा।


शीला दीक्षित ने कहा कि इस स्कीम को लागू करने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार से मंजूरी ले ली है और जब तक संसद में फूड सिक्योरिटी बिल पास नहीं हो जाता, तब तक अध्यादेश के जरिये इस योजना को लागू किया जा रहा है।


वैसे, इस मौके पर बीजेपी के नेता प्याज की बढ़ी कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन करते दिखे। तालकटोरा स्टेडियम में पुलिस ने उन्हें रोका। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पानी की बौछारें भी डाली गईं।


इसके साथ ही हरियाणा सरकार की ओर से भी आज राज्य के गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा स्कीम की शुरुआत हुई। इस स्कीम की शुरुआत राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पानीपत में एक रैली के दौरान की।


हरियाणा सरकार इस योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश में है। हुड्डा की पानीपत में होने वाली रैली को बीरेंद्र सिंह की आज जींद में हो रही रैली के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।


बीरेंद्र सिंह ने हुड्डा से इस योजना की घोषणा जींद रैली में करने की सिफारिश की थी और इस रैली में सोनिया गांधी के आने की भी संभावना थी, लेकिन हुड्डा ने स्कीम की घोषणा के लिए अलग मंच को चुना ऐसे में इसे बीरेंद्र की रैली के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।


सेंसेक्स में आज शुरुआती कारोबार के दौरान अच्छी शुरुआत हुई और यह 321 अंक चढ़कर 18,567.70 अंक पर पहुंच गया। लेकिन, बाद में यह स्तर बरकरार नहीं रह पाया। एक समय यह लुढ़ककर 17,807.19 अंक तक चला गया था।


पिछले चार दिनों में सेंसेक्स 1461.13 अंक नीचे आ चुका है। इसी प्रकार, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 98.90 अंक या 1.83 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,302.55 अंक पर बंद हुआ।


एमसीएक्स-एसएक्स का प्रमुख सूचकांक एस एक्स 40 सूचकांक 211.32 अंक या 1.95 प्रतिशत की गिरावट के साथ 10,618.44 अंक पर बंद हुआ। कारोबारियों के अनुसार अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नकदी प्रवाह बढ़ाने का कार्यक्रम शीघ्र वापस लिए जाने की आशंका के बीच रुपये में फिर गिरावट हुई जिसका असर शेयर बाजार पर पड़ा।


कोटक सिक्योरिटीज में प्राइवेट क्लाइंट ग्रुप रिसर्च के उपाध्यक्ष संजीव जारबाडे ने कहा, 'सूचकांक में शामिल प्रमुख शेयरों की बिकवाली से यह गिरावट हुई है। रुपये की विनिमय दर में कमी के साथ यह गिरावट हुई है।'


भारती एयरटेल, सन फार्मा, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, आईटीसी तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। वहीं भेल, एचडीएफसी तथा एचडीएफसी बैंक लाभ में रहे। सूचकांक में गिरावट में आईटीसी तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज का संयुक्त रूप से योगदान 176 अंक का रहा। धातु, तेल एवं गैस, रीयल्टी तथा एफएमसीजी क्षेत्र के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।

केवल बैंक तथा उपभोक्ता टिकऊउ क्षेत्र ऐसे हैं जहां लाभ दर्ज किया गया। रिजर्व बैंक के कल के कदम से बैंक शेयरों को फायदा हुआ।


एशियाई बाजारों में मिला-जुला रुख रहा। हांगकांग, सिंगापुर तथा दक्षिण कोरियाई बाजारों में जहां गिरावट का रुख रहा, वहीं चीन तथा जापान में तेजी दर्ज की गई।


यूरोप में फ्रांस, जर्मनी तथा ब्रिटेन के शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहा। घरेलू बाजार में सेंसेक्स के 30 शेयरों में 25 शेयर नुकसान में रहे। इसमें भारती एयरटेल (6.31 प्रतिशत), सन फार्मा (4.92 प्रतिशत), स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (4.81 प्रतिशत), आईटीसी (4.8 प्रतिशत), रिलायंस इंडस्ट्रीज (4.72 प्रतिशत), एनटीपीसी (4.26 प्रतिशत), तथा हिंडाल्को (4.21 प्रतिशत) शामिल हैं।


लाभ में रहने वाले शेयरों में भेल (3.15 प्रतिशत), एचडीएफसी (2.83 प्रतिशत) तथा एचडीएफसी बैंक (1.61 प्रतिशत) शामिल हैं।



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