वज्र गिरे उनपर जो छीने खेत हमारे!
Indian rupee dips to new low vs British pound, breaches 102-level
पलाश विश्वास
पूंजी प्रवाह बढ़ाने और रुपये के उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा उपाय किए जाने की घोषणा के बाद अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार (फारेक्स) में आज डॉलर की तुलना में रुपया 10 पैसे के सुधार के साथ 63.15 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया।
फारेक्स बाजार के विश्लेषकों ने बताया कि निर्यातकों द्वारा डॉलर बिकवाली के बाद मंगलवार को रिजर्व बैंक की घोषणा के बाद आज डॉलर की तुलना में रपया 10 पैसे के सुधार के साथ 63.15 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया।
फारेक्स बाजार में मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 64.13 रुपये प्रति डॉलर तक की गिरावट पर पहुंचने के बाद 63.25 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
बंबई शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक बीएससी-30 भी आज के शुरआती कारोबार में 321.66 अंक अथवा 1.76 फीसदी की तेजी के साथ 18,567.70 अंक पर पहुंच गया।
पैसठ का हो या सत्तर का डालर, उनको क्या फर्क पड़ेगा,जो खेत छीन हमारे हमारे ही सीने पर करें कारोबार और उनकी सेहत पर भी क्या असर होना है
अगर पौंड चले एक सौ दो के भाव?
सांसद मंत्री अफसरान और विशेषज्ञ तमाम
विदेश यात्राओं पर निकले तो कहां से आते हैं
डालर भी,पौंड भी और यूरो भी?
विदेशी कोषों द्वारा पूंजी निकासी के बीच बैंकों और आयातकों की डॉलर की लगातार मांग के मद्देनजर रुपया गुरुवार को पूर्वाह्न के कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 65.12 के नए न्यूनतम स्तर पर आ गया।
रुपया आज अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले 64.85 के स्तर पर खुला और बाद में यह 65.12 पर आ गया। घरेलू मुद्रा कल 64.11 के स्तर पर बंद हुई थी।
मुख्य तौर पर विदेशी कोषों द्वारा लगातार पूंजी निकासी से बाजार का रख प्रभावित हुआ। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने कल 792.11 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
ड्यूश बैंक ने एक अनुसंधान पत्र में कहा है कि भारतीय रुपया महीनेभर में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 70 के स्तर पर पहुंच सकता है।
रुपया बुधवार को अपराह्न अभूतपूर्व गिरावट के साथ 64.45 प्रति डॉलर के स्तर तक चला गया था।
जर्मनी के प्रमुख बैंक की इस रपट में कहा गया है, ''मूल रूप से रुपये का मूल्य कम है और इस समय यह संतुलन स्तर से बहुत दूर चला गया है।'' बैंक ने कहा ''गहरी निराशा के माहौल में मुद्राओं में भारी गिरावट हो सकती है और ऐसा लंबे समय तक हो सकता है। हमें आशंका है कि भारत ऐसे दायरे में प्रवेश कर रहा है।''
ड्यूश बैंक ने कहा 'हमारा मानना है कि रुपया महीनेभर में 70 के स्तर पर पहुंच सकता है, हालांकि हमें उम्मीद है कि साल के अंत तक इसमें कुछ सुधार होगा।'
PTI 22 Aug 2013, 20:52
We have enough reserves to deal with currency woes: RBI
"I believe our forex reserves are adequate to manage current situation," Guv Subbarao said in a response to whether it has enough firepower to defend rupee.
Rupee undervalued, but no need for excessive pessimism: Finance Minister P Chidambaram
PTI 22 Aug 2013, 20:00
"We are confident that stability will return to these markets and we can get on with the task of promoting investment and growth."
RBI surplus jumps 43.6 pc to Rs 61,804 cr in FY'13
PTI 22 Aug 2013, 19:57
The balance sheet saw a net addition of Rs 1,81,800 cr, which helped it more than double the surplus payout to the Government to Rs 33,010 crore.
RBI sees FY14 gross NPAs at 4.4% but rules out systemic risk
PTI 22 Aug 2013, 19:52
"The system wide gross NPAs rose to 3.42 per cent in FY13 from 2.94 per cent in FY12. This is likely to touch 4.4 per cent in FY14 (March '14)," RBI said.
Offshore markets influencing Re movement: RBI study
PTI 22 Aug 2013, 18:27
The rupee has plunged nearly 21 per cent so far this fiscal and it touched a new low of 65.56 to the dollar in early trade today.
Current account deficit could be smaller than $70 bn: Finance Minister P Chidambaram
Reuters 22 Aug 2013, 18:08
Chidambaram also said he believed the rupee, which hit a historic low of 65.56 against the dollar on Thursday, was undervalued.
Foreign funds continue to sell Indian equities; turn buyers of debt on August 21
Reuters 22 Aug 2013, 18:03
Provisional NSE data showed, foreign funds sold a net $198 million in equities on Thursday, despite the main share index closing up 2.27%.
RBI to continue steps to curb foreign exchange volatility: Governor Duvvuri Subbarao
Reuters 22 Aug 2013, 17:57
The central bank does not target a specific level of the rupee, said the RBI governor, adding the current economic situation requires structural measures.
RBI warns pass-through of rupee fall on inflation incomplete, upward pressure seen in FY14
Reuters 22 Aug 2013, 17:45
The rupee touched record low of 65.52/dollar on Thursday and is down 16 per cent so far this year despite efforts by policymakers to prop it up.
Economic growth below target on domestic and global factors: Rajeev Shukla
PTI 22 Aug 2013, 17:43
India's growth rate during the 11th Five Year Plan (2007-12) remained below the target due to domestic factors as well as global factors.
कोई पूछे कि मंदी का क्या असर है हुक्मरान पर
उनके चिकने चेहरे की मलाई में फर्क क्या है
वित्तमंत्री ने फतवा किया है जारी कि स्ट्रकचरल उपाय हो रहे हैं। विदेशी निवेश बढ़ रहा है और
पूंजी पर नियंत्रण का सवाल ही नहीं उठता।
इफरात कोयला है ।इफरात है लौह अयस्क और इफरात सारे संसाधन। हालांकि माना उन्होंने कि
उत्पादन कम है और संकट है।चिंता की कोई बात नहीं। किसे संबोधित कर रहे हैं चिदंबरम?
वज्र गिरे उनपर जो खेत हमारे छीने हैं।
स्ट्रक्चरल उपाय का खुलासा नहीं किया वित्तमंत्री ने।
फर्क नहीं पड़ता। सुधारों के ईश्वर की आकाशवाणी हो
गयी है पहले ही कि ग्लोबीकरण की राह से न भटकेंगे। हमारे खेत पर,खनिज पर,प्राकृतिक तमाम
संसाधनों पर गगन घटा गहरानी। सिंहद्वार पर
दस्तक बहुत तेज है भइये, जाग सको तो जाग
जाओ भइये। गिलोटिन चालू हुआ ही है,सिर्फ कतार में आगे पीछे खड़े हैं हम इंतजार में बेसब्र सर कटाने के लिए हम गुलामों की फौज। सड़कों पर आ रहे हैं रोज, फाकाकशी की नौबत है। कुछ लोग विकल्प भी चुन रहे हैं आत्महत्या का। जिजीविषा में कुछ और हैं
जो हत्यारे बनने पर भी आमादा हैं। खून की नदियां
चारों तरफ। पर हम देख रहे हैं पानी ही पानी।
केन्द्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को कई अहम फैसलों को मंजूरी दी है। इसके तहत खाद्य सुरक्षा बिल में संशोधन को मंजूर किया गया है।
साथ ही जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन को कैबिनेट ने मान लिया है। संशोधन के तहत सजा पाने के बाद भी सांसद−विधायक पद पर बने रहेंगे, हालांकि सदन में वोट नहीं दे पाएंगे, सैलरी नहीं मिलेगी। जेल में बंद व्यक्ति को भी मतदान का अधिकार होगा, यानी चुनाव लड़ने का भी।
इसके अलावा एक और अहम फैसले के तहत जज नियुक्ति आयोग को हरी झंडी दी गई है। हालांकि डायरेक्ट टैक्स कोड बिल पर फैसला टाल दिया गया है।
जमीन जिसकी, खनिज उसीका है। नारा नहीं कोई अब। बाकायदा पुष्ट हो गये संवैधानिक प्रावधान, यह अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। फिर भी गृहयुद्ध और युद्ध जारी है आदिवासी अस्पृश्य भूगोल के विरुद्ध क्यों? और क्यों सन्नाटा पसरा है बाकी देश में?
राष्ट्रीय संपत्ति है जमीन तो भूमि सुधार से अबतक
परहेज क्यों, पूछते नहीं क्यों उनसे जो सत्ता में हैं?
राष्ट्रीय संपत्ति है प्रकृतिक संसाधन तो परराष्ट्र को नीलाम क्यों हो रहा है राष्ट्रीय संसाधन,पूछे कोई।
वज्र गिरे उनपर जो खेत हमारे छिने हैं।
खनिज उसीका, जमीन है जिसकी भइये। साफ साफ
लिखा है पांचवीं छठीं अनुसूचियों में और नियमागिरि मामले मे ंआदिवासी पंचायतें साबित भी कर रही हैं जमीन के हक हकूक , खारिज है दावे खनन के। अब इस रोशनी में बूझें चिदंबरम के बयान। वनाधिकार हैं, लेकिन वनों से बेदखल होते लोग। बेतरतीब पटक दिये विस्थापन नगरों महानगरों के मत्थे और हड़प्पा मोहंजोदोड़ो की विरासत या धारावी या सोनागाछी में तब्दील
राजधानियां बना दी गांवों को उखाड़कर, श्मशान खेतों में होता शहरीकरण दिशा दिशा में, मृत्यु सेज सजाकर रख दिये किसानों के सीने में या फिर परमाणु संयत्र हैं।परमामु संयंत्र संकुल भी हैं।
वज्र गिरे उनपर जो खेत हमारे छीने हैं।
साठ के दशक से चालू है हरित क्रांति और ग्लोबीकरण में फिर चालू है हरित क्रांति भी
आंकड़ों में भी कृषि विकास क्यों थमा है
खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के दावे का हुआ क्या
जो खाद्य सुरक्षा की मच्छरदानी ताने हैं?
अनाज की उपज बंद कर दी नकदी ने और खेती
अब बंधुआ है। विपणन में विदेशी निवेश है।
विदेशी निवेश खुदरा में भी। विनियंत्रित बिजली पानी और विनियंत्रित उर्वरक ईंधन है। खेत चीरे स्वर्णिम राजपथ तमाम और उनसे होकर राजधानियों से
कूच करती बहुराष्ट्रीय कंपनियों की फौजें, सलवाजुड़ुम में मरणासन्न खेतों को दखल करने।
जनपद जनपद डूब है। बेदखल हैं घाटियां तमाम।
बेदखल हैं उत्तुंग शिखर और ग्लेशियर भी।
शेयरों ,डालरों और पोंड यूरो के खेल में कहीं नहीं है हम भइये। कभी कभार इन दिनों ठेके पर लाटरी लग जाती है और दूसरों को किनारे लगा लखटकिया नौकरी भी मिल जाती है झूठ का कारोबार चलाने को। फिर बेरहमी से काट लिये जाते हाथ और पांऴ भी। लूला लंगड़ा बना फेंक दिये जाते सड़कों पर
सफेदपोश मलाईदार जमात तमाम ,जो इन्ही खेतों की पैदावार और खेतों के जख्म को मुड़ मुड़कर देखा नहीं कभी और न अब देख रहे हैं लतियाये जने के बावजूद। भीख मांगने के काबिल भी नहीं रहे। पर क्या मजाल कि जल जंगल जमीन की आवाज बुलंद हो किसी गुलाम के मूक वधिर वजूद के किसी भी छिद्र से जिनकी देह बांशुरी समान हैं।मुजरे में जो शामिल बूढ़ी रंडी से भी दुर्गत हो रही हैं जिनकी,उनसे हम तुम क्या उम्मीद भी करें,भइये। फिरभी, जाग सको तोजाग जाओ भइये, सिंहद्वार पर दस्तक बहुत तेज हैं। खून के फव्वारे छूट है दिशा दिशा में। जो सूरज है आसमान में ,उसकी रोशनियों में भी खून।
खूनी है इंद्रधनुष भी खुले बाजार के वधस्थल में।
वज्र गिरे उनपर जो खेत हमारे छीने हैं!
भूमि सुधार लागू करें तो जाति उन्मूलन की राह भी खुलेगी। खत्म होगा मनुस्मृति बंदोबस्त। शिक्षा की दुकान में सर्वशिक्षा से अब कुछ हासिल नहीं होना है। भूस्वामित्व ही सत्ता की असली कुंजी है। इस सच को छुपाये भूमि सुधार नहीं, भूमि लूट ,बेदखली और विस्थापन की संस्कृति में यह हरित क्रांति है भइये।
दूसरी क्रांति के मध्य ही अब साबित है कि खनिज उसी का जमीन जिसकी है भइये। पर्यावरण का मसला नहीं यह, जैसा हल्ला कर रहे थे जयराम रमेश। पर्यावरण हरी झंडी की परवाह किसे हैं?
पर्यावरण की चिंता होती तो हिमालय को एटमी बनाकर जलप्रलय का सृजन क्यों होता?
क्यों सुनामी रचे जाते समुंदर किनारे और क्यों अरण्य हो जाते मस्ती भरे रिसार्ट तमाम?
पर्यावरण की परवाह होती तो क्यों लगता
यूनियन कारबाइड का कारखाना भोपाल में क्यों?
बसाये जाते हिरोशिमा नागासाकी हर कोने में?
क्यों अंधाधुंध निर्माण डंसता पलप्रतिपल
हिमालय को? क्यों होती जंगलों की कटान?
पर्यावरण को बाट लगाकर क्यों बदला जाता समुद्र तट का भूगोल? क्यों बंध जाती नदियां तमाम?
क्यों आपदाओं का मूसलाधार होता उत्सवसमान?
साफ तौर पर खामोश हैं सिविल सोसाइटी जो कहते नहीं शरमाती हरगिज कि सारी समस्या की जड़ में
आदिवासी भूगोल है। चिदंबरम ने जो कहा, उसका आशय भी यही है। लंबित हैं परियोजनाएं। खनिज इफरात हैं। लेकिन उत्पादन है नहीं। स्ट्रक्चरल उपाय उनके युद्ध और गृहयुद्ध के सिवाय क्या हैं, शाहरुख और दीपिका की लुंगी नाच में इशारा नहीं।
वज्र गिरे उनपर जो खेत हमारे छीने हैं।
खनिज उन्हींका है, जमीन जिसकी है भइये।
भूमि सुधार के बिना न संभाव है जाति उन्मूलन
की परिकल्पना कोई और न कोई राजनीति या अराजनीति या विचारधारा या आंदोलन की कोई
प्रासंगिकता है। देश बेचने वाले लोग संविधान के
खिलाफ लामबंद हैं।संविधान बचाओ आंदोलन सबसे जरुरी है। धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद के शिकंजे में जो राष्ट्र है डिजिटल बायोमेट्रिक,उसकी आजादी बहुत जरुरी है
हम जो पैदल सेनाएं मोर्चाबंद हैं एक दूसरे के विरुद्ध
उनका जागना भी बहुत जरुरी है। जाग सको तो जाग जाओ भइये। सिंहदार पर दस्तक बहुत तेज है।
बोल बम छोड़ो और खुलकर बोलो, हां बाई जोर से बोलो, वज्र गिरे उनपर जो हमारे खेत छिने हैं।
देश के हर खेत में अब जागे कोई तेलांगना
या फिर सिंगुर या नंदीग्राम कोई। नोयडा और नयी मुंबई और नये कोलकाता में दफन हुए जो खेत हमारे
जोर से पूछो हिसाब और दम साधकर बोलो लगातार
वज्र गिरे उनपर जो हमारे खेत छीने हैं!
संसद में गुरुवार को एक बार फिर सरकार खाद्य सुरक्षा संशोधन बिल को पास कराने के लिए पूरा जोर लगाएगी। इस बीच विपक्ष के दबाव में सरकार ने बिल में दस संशोधन किए हैं।
एनडीटीवी इंडिया को संशोधन से जुड़े दस्तावेज मिले हैं जिनके मुताबिक अब खाद्य सामग्री के बदले नकदी देने का प्रावधान बिल में नहीं रहेगा। सरकार ने ये भी साफ कर दिया है कि गरीबों के लिए फिलहाल राशन का तय कोटा और नहीं बढ़ने जा रहा है।
केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया कि अब खाद्य बिल में अनाज न पहुंचा पाने पर नगद पैसा देने की बात नहीं होगी। विपक्ष के दबाव में सरकार ने ये संशोधन किया है। इसके अलावा सरकार ने जो 10 संशोधन लाने का फ़ैसला किया है, उनमें राज्यों को छह महीने की जगह सालभर की मोहलत देना है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों का कोटा न काटना है और आंगनबाड़ी से ठेकेदारों को बाहर रखने की बात है।
लेकिन, सरकार गरीबों के लिए राशन का कोटा बढ़ाने पर सहमत नहीं है। थॉमस का कहना है कि बीजेपी-लेफ्ट की डिमांड मंजूर नहीं की जा सकती। जिन अहम संशोधनों की बात हो रही थी उनमें बेघरों के लिए सामुदायिक रसोई जैसी योजना को बिल में जगह नहीं मिल पाई है।
विपक्ष ने 250 ले ज़्यादा संशोधन सुझाए हैं, लेकिन सरकार का सिरदर्द संशोधन नहीं सदन में रोज़ हो रहा हंगामा है।
TOP STORIES |
PTI 22 Aug 2013, 20:44 'New companies bill likely to get Presidential assent in few days' The much-awaited Companies Bill was approved by the Rajya Sabha on August 8. The legislation had received the Lok Sabha nod in December last year. |
Corporate Affairs Ministry to take view on NSEL episode very soon: Sachin Pilot
PTI 22 Aug 2013, 19:38
Corporate Affairs Min today said it will take a view "very soon" on the NSEL episode to ascertain whether it has violated the Companies Act.
Government may mop up at least Rs 2,000 crore through proposed dividend tax
Ranjit Shinde 22 Aug 2013, 19:07
If the proposal to tax dividends above Rs 1 crore at 10% is accepted by the legislature, India's large promoter groups will contribute significant sums to the exchequer.
Crashing markets spell trouble for PSU privatisation plans
Reuters 22 Aug 2013, 19:01
A top official from divestment dept is on a tour to Singapore and Malaysia to drum up investor interest in the stake sales and in a proposed ETF of PSUs.
Govt says option of issuing sovereign, NRI bonds still on table
Reuters 22 Aug 2013, 18:24
The government has not ruled out issuing sovereign bonds or debt aimed at Indians living overseas, FM P Chidambaram said on Thursday.
India readies to trim iron ore export duty as rupee stings
Reuters 22 Aug 2013, 17:47
India is likely to cut the iron ore export duty to 20 percent from 30 percent to boost shipments and help narrow its current account deficit.
MNREGA has no adverse impact on agriculture sector: Jairam Ramesh
PTI 22 Aug 2013, 17:27
"MNREGA has enhanced the employment opportunities in agriculture and related activities and has not substituted them," Jairam Ramesh said.
13 central schemes under DBT for direct cash transfer: Rajeev Shukla
PTI 22 Aug 2013, 17:07
As many as 13 centrally sponsored schemes have been identified under DBT, subject to cash transfer directly into the account of beneficiaries.
SFIO asked to probe 125 companies for defrauding investors in 4 years
PTI 22 Aug 2013, 16:29
Corporate Affairs Minister Sachin Pilot said that his Ministry has received complaints that some companies are allegedly defrauding investors by offering high returns.
Customs duty decision may hit flat TV sales in the UAE
PTI 22 Aug 2013, 12:14
The total market size of TV sets in the UAE is around 85,000 per month and TV sets being carried to India are around 20,000 monthly.
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रुपए की विनिमय दर में तेज गिरावट के बीच वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने कहा कि भारतीय मुद्रा को बाजार में कम आंका जा रहा है और यह अपने उचित स्तर से इस समय ज्यादा ही नीचे चली गयी है। उन्होंने निवेशकों को आश्वासन देते हुए कहा कि मौजूदा हालात से ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है और रुपया अपना स्तर पुन: हासिल कर लेगा।
रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले पांच दिन में 5.5 प्रतिशत टूट चुका है। पूरे सप्ताह रपये में लगातार गिरावट पर चुप्पी साधे रहने के बाद चिदंबरम ने आज ऐसे समय एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया, जबकि ऱपए की विनिमय दर प्रति डॉलर 65 से भी नीचे चली गयी थी।
उन्होंने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मुद्रा बाजार में जल्द ही स्थिरता आयेगी, क्योंकि सरकार निवेश को प्रोत्साहित करने और आर्थिक वृद्धि को बढावा देने के लिये लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा हमारा मानना है कि रुपये का मूल्य कम आंका जा रहा है और इसमें गिरावट उचित माने जाने वाले इसके स्तर से ज्यादा हो गयी है।
चिदंबरम ने आज दिन में रिजर्व बैंक गवर्नर डी़ सुब्बाराव और रिजर्व बैंक गवर्नर मनोनीत रघुराम राजन के साथ यहां तीन घंटे लंबी बैठक की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, लगता है विदेशी विनिमय बाजार घबराहट में है और इसका असर दूसरे बाजारों पर भी पड़ रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा हमें पूरा भरोसा है कि इन बाजारों में स्थिरता जल्द लौटेगी और हम निवेश तथा आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के काम को आगे बढ़ा सकेंगे। चिदंबरम ने कहा कि बाजार में अत्यधिक निराशा का कोई कारण नहीं है।
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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत पेट्रोलियम नियोजन और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) द्वारा गुरुवार को जारी दरों के अनुसार भारत के लिए कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 21 अगस्त को मामूली रूप से बढ़कर 107.97 डॉलर प्रति बैरल हो गई। यह कीमत पिछले कारोबारी दिवस 20 अगस्त को 107.87 डॉलर थी।
रुपये के संदर्भ में कच्चे तेल की कीमत में 21 अगस्त को हालांकि गिरावट देखी गई और यह 6,851.78 रुपये प्रति बैरल के स्तर पर आ गई, जो 20 अगस्त 2013 को 6,874.56 रुपये प्रति बैरल थी। ऐसा डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में मजबूती के कारण हुई। 21 अगस्त को रुपया/डॉलर विनिमय दर 63.46 रुपये/डॉलर रही, जबकि 20 अगस्त को यह दर 63.73 रुपये/डॉलर थी।
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रुपए में गिरावट के बावजूद शेयर बाजार में पिछले चार दिनों से जारी तेज गिरावट का दौर गुरुवार को खत्म हुआ और बाजार में जोरदार उछाल दर्ज किया गया। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 407 अंक उछलकर पुन: 18,000 के उपर बंद हुआ।
चीन में विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन तथा यूरोपीय बाजारों के बेहतर समाचारों से निवेशकों में नया भरोसा जगा प्रमुख कपंनियों के शेयरों में लिवाली का रुख सकारात्मक हो उठा। करीब दो महीने में किसी एक दिन में शेयरों यह सबसे बड़ी तेजी है।
तीस प्रमुख शेयरों पर आधारित सेंसेक्स एक समय गिरकर 17,759.59 अंक तक चला गया था लेकिन बाद में इसमें तेजी आयी तथा कल के बंद के मुकाबले 407.03 अंक या 2.27 प्रतिशत की मजबूत बढ़त के साथ यह 18,312.94 अंक पर बंद हुआ। आज की बढ़त से निवेशक की संपपित्त 1.17 लाख करोड़ रुपये बढ़ी।
इससे पहले, पिछले चार दिनों में सेंसेक्स 1,400 अंक से अधिक की गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि रुपये में गिरावट का दौर जारी रहा और डालर के मुकाबले यह 65.5 के स्तर पर चला गया। इसके बावजूद बाजार में तेजी आई।
इसी प्रकार, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 105.90 अंक या 2 प्रतिशत बढ़कर 5,408.45 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह भी गिरकर 5,300 अंक तक चला गया था। एमसीएक्स-एसएक्स का प्रमुख सूचकांक एस एक्स 40 सूचकांक 199.44 अंक बढ़कर 10,817.88 अंक पर बंद हुआ।
कारोबारियों के अनुसार चीन के विनिर्माण क्षेत्र में तेजी के आंकड़ों से धातु शेयरों की अगुवाई में मौजूदा तेजी दर्ज की गई। चीन में विनिर्माण सूचकांक में अगस्त के दौरान वृद्धि की गई। इससे पहले, यह 11 माह के निम्न स्तर पर चला गया था। इसके अलावा यूरोपीय बाजारों में अच्छी शुरुआत का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 28 लाभ में जबकि एडीएफसी बैंक तथा एचडीएफसी लि नुकसान में रहे।
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Indian rupee's free fall: A consequence of serious slowdown in economy
New Delhi: India has come a long way from that day in 1947 when it gained independence and the rupee was a currency at par with the US dollar.
The current free fall of the rupee is the end result of an economy gone into serious slow down, and now heading for a full stop.
Any amount of public speeches, any amount of copy book interventions by the Reserve Bank of India have failed to stall this free fall. The basic cause is India's ailing economy.
When the UPA first came to power, the country's economy was looking up. The world took note of an emerging India. There was optimism around about India and her place in the world.
In its endeavour towards a fair distribution of the wealth then being generated by a resurgent economy, the government launched schemes like MNREGA that gives doles to the poor. With hardly any surplus funds, how do you finance such massive rupee guzzling schemes? Simple, by printing currency notes even if it is bad economics and bad for the economy.
As though printing of currency notes to meet the budget deficits was not enough to play havoc with the economy, the UPA's failure to rein in the demon of corruption has not only blocked foreign investors out of India, but has also now broken the back of Indian industry as well.
India's labour force may be less productive and more expensive than China's, but that alone is NOT the reason for the high cost of Indian products.
India's businessmen have to build in a cost factor for corruption, and, that has crossed an acceptable level long back, thus making it impossible for India to compete in a globalised economy.
Uncalled for bribes amounting to regular monthly payments to excise, labor and other sundry inspectors; payments to income tax officers; payments to service tax auditors; payments to politicians, and last but not the least, payments to bureaucrats, collectively make up something like a staggering 20 percent of the cost of any Indian product.
In the midst of all this, the government has decided to shut its eyes, calling corruption a coalition dharma!
Why is it that India's infrastructure projects are stalled? Indecision by the government is said to be the main cause. Is that true? May be it is one factor. The real issue is the problem that a contractor faces in meeting the demand for bribes that pushes up the project cost by 50 percent, something that is difficult to absorb in the given profit margin.
The net result is indecision to give out the job, for there is no guarantee for payback to the corrupt. It matters little that non-implementation of huge infrastructure projects leads to unemployment.
All this corruption has come as a rude shock to many a foreign investor, but, it was perhaps too late to do anything about it. Many of them having come into the country with their funds, left it to their partners to handle the demon of corruption and demands of the corrupt at all levels. However, that has played havoc with the confidence of foreign investors to do business in India or, to bring in any further investment.
This climate of rampant corruption has made life hard even for Indian business, even though they are used to it, to survive in? Let no one forget that there are other nations around the world also competing to attract the same dollar. India has already been virtually edged out from the global market of low cost textiles. The world at large is fast catching up with areas of India's strength in the IT industry as well.
The country's foreign exchange reserves have hardly seen any growth in the last five years. Compared to China which has over three trillion dollars as reserves, India just has around 280 billion dollars, and that too, when her external debt is a staggering 390 billion dollars.
This is not acceptable for any growing economy. The country's current account deficit grows by the year for Indian industry cannot compete in the export markets. This pulls the rupee further down.
As the economy falters, coupled with huge social welfare schemes, the country is headed for serious unemployment and could be in a situation similar to what a country like Greece finds itself in. Is there any sign of corrective measures by New Delhi? An emphatic reply to this question is 'No', because all one hears from the government are appeals for foreign direct investment as though that can take care of India's economic crisis.
No one is going to send their dollars into India till the exchange rate stabilizes; there is assurance for respect of law, dealing with the demon of corruption and for law and order.
If the government is honest, and has a will to deal with this crisis, then it must drastically cut down its size, starting perhaps with reducing the number of cabinet ministers.
One country that is going ahead ruthlessly to achieve this is Great Britain, for, that country's economy too was doomed with the years of reckless spending on welfare schemes by the Labour Government.
Unfortunately, the government in New Delhi is perhaps more concerned with the 2014 elections than with the health of the country's economy.
There is an urgent need to crack down on corruption in all revenue departments of the government, starting with Income Tax, Excise, Service Tax, Customs and Sales Tax et all.
The money that is siphoned off by the corrupt seriously hurts government revenues. The Vodafone income tax case amply shows how foreign investors are being alerted to be wary of India's taxation system.
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Thus appeals for foreign direct investment are falling on deaf ears. Any amount of fine tuning or increasing the levels of foreign investment in different sectors is failing to attract any investment.
The Vodafone case has also put in doubt India's adherence to the rule of law for the way it refused to accept the Supreme Court's judgment. The government and the country need to tell the world that they respect the law and will honour the highest court of the land.
The discretionary powers that are enjoyed by ministers and other senior government functionariesin fact encourages corruption. Decision-making needs to be transparent and open in the public domain, barring areas of national security.
All government projects, be they roads, power and or natural resources, ought to be open to public tendering, ensuring that there is no scope for any discretionary intervention. In short, root out political and bureaucratic corruption in all forms.
It may be good politics in the short run to offer social welfare schemes based on dole. But, in the long run, such schemes fail to generate any asset or empower the poor. They need education and skills to be able to work and seek jobs with pride. If elections to the Uttar Pradesh State Assembly were any indication, then it is clear that dole schemes fail to deliver.
The investors from abroad that India seeks to attract desperately at the moment came here earlier in the nineties because India was not perceived as corrupt as it is today. There was belief that rule of law exists here. That belief has been shattered.
Added to that is the harassment faced by those who came here from what has come to known as the 'Income Extortion Department' in as much as is suffered by Indian business houses. This needs to be ruthlessly dealt with.
If a firm submits duly audited accounts with tax audit authenticated by the auditors, let those be accepted. The onus for any misdeed is then on the auditor if there is collusion between him and a corrupt firm.
In a recent opinion poll, India's youth made two startling choices to see the country grow. Some 52.5 percent of those polled were prepared to accept dictatorship in the country as opposed to parliamentary democracy. A staggering 65 percent were prepared to let India's secularism go for the sake of good governance.
The young want jobs and a corruption free India. With this startling find, all those with the good of the country at heart must sit up and ponder whether the country's economy and her rupee can be allowed to collapse the way it is going?
The rupee has to be saved, because the consequences otherwise are just too hard to imagine. The fall of rupee is already raising the prices of commodities at all levels.
It could bring in uncontrollable inflation and that would end India's dream of catching up with the developed world.
Law and order too will become a huge problem if the economy continues to fail and unemployment grows. The rupee can be saved, the economy can be regenerated, the country's good name can be resurrected and credibility restored if there is sincerity to deal with the issues involved. Is it there?
IANS
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