Thursday, November 7, 2013

बाकी मंत्रिमंडल की फिर क्या जरुरत है?आलू संकट की बलि चढ़ गये अरुप विश्वास! কৃষি বিপণনের দায়িত্ব নিলেন মমতা, হানা আলুর বাজারে Potato crisis: CM takes charge of agricultural marketing dept., asks police to escort trucks

बाकी मंत्रिमंडल की फिर क्या जरुरत है?आलू संकट की बलि चढ़ गये अरुप विश्वास!

কৃষি বিপণনের দায়িত্ব নিলেন মমতা, হানা আলুর বাজারে

Potato crisis: CM takes charge of agricultural marketing dept., asks police to escort trucks

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


কলকাতা: আলুর দাম নিয়ন্ত্রণে এবার আসরে নামলেন খোদ মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ কয়েকদিনের জন্য কৃষি বিপণন দফতরের দায়িত্ব সামলাবেন তিনি নিজেই৷ এরইসঙ্গে অসাধু আলু ব্যবসায়ীদের বিরুদ্ধে কড়া ব্যবস্থা নেওয়ার এবং ৩০ নভেম্বরের মধ্যে হিমঘর থেকে সব আলু বাজারে বিক্রিরও নির্দেশ দিয়েছেন তিনি৷

রাজ্যজুড়ে আলুর হাহাকার চলছে কয়েকদিন ধরে৷ রাজ্য সরকার ১৩ টাকা কেজি দরে আলু বিক্রির নির্দেশ দিলেও বাজারগুলির পরিস্থিতি এতটুকুও বদলায়নি৷ বরং বিভিন্ন বাজার থেকে উধাও আলু৷ এই পরিস্থিতিতে অবস্থা সামাল দিতে মন্ত্রী বদল না হলেও কৃষি বিপণন দফতরের দায়িত্ব কয়েকদিনের জন্য নিজের হাতে তুলে নিলেন খোদ মুখ্যমন্ত্রী৷ বুধবার নবান্নে এই ঘোষণা করে মমতা বলেন, রাজ্যের আলু রাজ্যেই রাখতে হবে৷ বাইরের রাজ্যে আলু বিক্রি করা যাবে না৷ অরূপ রায় যেমন মন্ত্রী আছে, তেমন থাকবে৷ আমি কয়েকদিন কৃষি বিপণন দফতরের দায়িত্ব সামলাব৷ বাইরে কোথাও আলু রফতানি করা হবে না৷ এজন্য আমি নিজে অসম ও ওড়িশার মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে কথা বলেছি৷ আমার রাজ্যে পরিস্থিতি ঠিক না হলে আলু রফতানি করা সম্ভব নয়, সেটা তাঁদের জানিয়ে দিয়েছি৷

এর আগে এদিন সকালে বাজারের পরিস্থিতি দেখতে ঝটিকা সফরে কোলে মার্কেট ও শিয়ালদা মার্কেটে যান মুখ্যমন্ত্রী৷ সেখানে বিভিন্ন ব্যবসায়ীর সঙ্গে কথা বলেন তিনি৷ আলুর পাইকারি দর সম্পর্কে খোঁজখবর নেন৷ যদিও কোলে মার্কেটে কোনও আলু ব্যবসায়ীর দেখাই পাননি তিনি৷ তিনি চলে যাওয়ার পর বাজার থেকে ৩১ বস্তা আলু উদ্ধার করে পুলিশ৷ এই প্রসঙ্গে মুখ্যমন্ত্রীর হুঁশিয়ারি, কয়েকজন অসাধু ব্যবসায়ী কৃত্রিম সঙ্কট তৈরি করছেন৷ অভিযুক্তদের চিহ্নিত করে তাঁদের বিরুদ্ধে কড়া ব্যবস্থা নেওয়া হবে৷

আলুর ফলন যাতে আরও ভালো হয়, সেজন্য আগামী বছর থেকে সরকার ন্যায্য মূল্যে আলুবীজ বিক্রি করবে বলেও জানান মুখ্যমন্ত্রী৷ এছাড়া আলুর দর নিয়ন্ত্রণে ২৪ ঘণ্টা কন্ট্রোল রুম খোলা হয়েছে বলেও জানান তিনি৷ মুখ্যমন্ত্রী সাফ জানিয়ে দেন, ৩০ নভেম্বরের মধ্যে সব হিমঘর মালিককেই পুরনো আলু বাজারে বিক্রি করতে হবে৷ অন্যথায় তাঁদের বিরুদ্ধে কড়া ব্যবস্থা নেওয়া হবে৷ যদিও মুখ্যমন্ত্রীর কড়া অবস্থান সত্ত্বেও শহরের বাজারগুলিতে ছবি এতটুকুও বদলায়নি৷ বাজারে আলুর হাহাকার৷ যদিও পাইকারি ব্যবসায়ীদের দাবি, তাদের হাতে এক সপ্তাহ ধরে আলু নেই, হিমঘর থেকেও আলু পাওয়া যাচ্ছে না৷

এদিকে এদিন বেলা বাড়তেই বিভিন্ন বাজারে সরকারি গাড়ি গেলে ১৩ টাকা দরে আলু কিনতে বাজারগুলিতে দীর্ঘ লাইন পড়ে ক্রেতাদের৷  

http://www.abpananda.newsbullet.in/kolkata/59-more/43279-2013-11-06-11-53-20


आलू उत्पादक बंगाल में अभूतपूर्व आलू संकट है।इस संकट की वजह से कोलकाता से आलू गायब है। आलू जबतक समोचे में रहेगा,तब तक रहेगा लालू।लालू अब जेल में है और जाहिर है समोसे में आलू कम से कम बंगाल से गायब होने जा रहा है। बंगाल की मशहूर भुखमरी और साछ के दशक में खाद्य संकट से बड़ा हो गया है आलू संकट। इसकी वजह से आधार संकट की चर्चा बंद हो गयी है।राजकाज ठप है और सरकार की सारी निष्ठा आलू में समाहित हो गया है। जाहिर है कि पूरा बंगाल मधुमेह का शिकार है नहीं। बिरयानी सबसे लोकप्रिय रेसिपि है। इसलिए सब्जी चाहे अस्सी पार हो,अनाज,दाल तेल, पेयजल, बिजली,ईंधन,शिक्षा,चिकित्सा,यातायात चाहे कुछ बी महंगा हो ,या मिले ही नहीं,कोई परवाह नहीं ।सबसे पहले थाली में आलू हाजिर करो।नवान्न से छापे मारने बाजार बाजार दौड़ रही हैं दीदी।


इस संकट की बलि चढ़ गये मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नजदीकी समझे जाने वाले महान पूजा आयोजक अरुप विश्वास,जिनसे कृषि विपणन विबाग की जिम्मेदारी छीनकर दीदी ने अपने हाथों में ले ली।इससे पहले उद्योग और कारोबार का माहौल न सुधरने के कारण उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी के पर छांट दिये गये। बंगाल में राजकोष विभिन्न रंग बिरंगे सरकारी खर्च की वजह से जिस तेजी से खाली होता जा रहा है,जिसतरह केंद्र को मदद को तैयार नहीं है और आर्थिक बदहाली का जो आलम है,मसलन मंहगाई भत्ता भी बकाया है,बहुत ताज्जुब होना नहीं चाहिए कि किसी दिन ब्रेकिंग न्यूज से पता चलेगा कि वित्त मंत्रालय भी दीदी ने अपने हाथों में ले लिया है।


पहले से दीदी के पास गृह मंत्रालय से लेकर चिकित्सा मंत्रालयतक तमाम बेहद खास मंत्रालय हैं। जिस तेजी से वे बाकी मंत्रियों से उनका कामकाज अपने हाथ में ले रही हैं,किसी दिन सारे मंत्रालयउनके ही हाथों में होंगे।


अगर सारा राजकाज दीदी को करना है,तो जनता के खर्च पर इतना भारी भरकम मंत्रालय क्या घुइय़ा छीलने के लिए रखा गया है,यह सवाल उठाने का वक्त आ गया है।


दीदी ने संभाली आलू युद्ध की कमान


दीदी ने संभाली आलू युद्ध की कमान। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता,हावड़ा के नहीं,कृपया इसे नोट किया जाये, के खुदरा बाजारों में आलू की कमी से निबटने के तौर तरीके को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की तेज हो रही आलोचना के मद्देनजर अस्थायी रुप से राज्य कृषि विपणन विभाग प्रभार खुद संभाल लिया है।


फिर भी मंत्री बने रहेंगे अरुप

मजा तो यह है कि अस्थाई निसलंबन की हालत में फिर भी मंत्री बने रहेंगे अरुप। उनके लिए बड़ी राहत की बात है कि आलू संकट खत्म होते ही फिर उनका लोटा कंबल उन्हींको लौटा देंगी दीदी।राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र, मुख्य सचिव संजय मित्र तथा वरिष्ठ सरकारी एवं पुलिस अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक के बाद ममता ने संवाददाताओं से कहा, ''मैंने (कृषि विपणन मंत्री) अरुप राय से कहा है कि अब से कुछ दिन तक मैं विभाग का कामकाज देखूंगी, लेकिन वह ही इसके मंत्री बने रहेंगे। ''

आलू की धरपकड़

बाजार पर अंकुश लगाने के लिए आलू की धरपकड़ भारी साबित होने लगी है।राज्य सरकार ने खुदरा बाजार में आलू की कीमत 13 रुपए प्रतिकिलोग्राम कर दिया और इसके बाद बाजार की बाजीगरी शुरु।यक ब यक  आलू की कृत्रिम कमी पैदा हो गयी और सरकार बहादूर  के माथे पर बल।


वायदे से मुकर गये व्यापारी

हालांकि मुख्यमंत्री ने जमाखोरों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी जिसमें बेईमान व्यापारियों का लाइसेंस रद्द किया जाना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और व्यापारियों के बीच बैठक के दौरान खुदरा बाजारों में 13 रुपए प्रतिकिलोग्राम तथा थोक बाजार में 11 रुपए प्रतिकिलोग्राम की दर से आलू बेचने का फैसला हुआ, लेकिन व्यापारी अपने वादे से मुकर गए और वे कृत्रिम कमी पैदा कर रहे हैं। किसी को नहीं सोचना चाहिए कि हमारी सरकार कमजोर है। जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


आलू आलू हाहाकार

वित्तमंत्री चंदंबरम को वित्तीय घाटे और विकास दर की चिंता है जबकि असल बात है कि न वित्तीयघाटा, न भुगतान संतुलन, न मंहगाई,न मुद्रास्फीति और न कोई दूसरा संकट देश में है।चारों तरफ आलू के लिए त्राहि त्राहि मची हुई है।लोग प्याज के लिए भी इतना नहीं रोये,जितना कि आलू के लिए हाहाकार है।मजा तो यह है कि  आलू के लिए सिर्फ पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूर्वी भारत के विभिन्न राज्यों में इसे लेकर हाहाकार मचा हुआ है, क्योंकि पूर्वी भारत के प्राय: सभी राज्यों में आलू की आपूर्ति पश्चिम बंगाल से ही होती है। अपने किस्म का एक अनोखा फैसला करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के बाहर सब्जियों और आलू के निर्यात पर रोक लगा दी है। कीमतों में हो रही तेज वृद्धि के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक के बाद उन्होंने कहा, 'जब तक कि कीमतें एक सही स्तर पर नहीं आ जाती हैं तब तक पश्चिम बंगाल से बाहर सब्जियों के आवागमन की अनुमति नहीं दी जाएगी।' उन्होंने कहा कि कुछ व्यापार बारिश और बाढ़ का बहाना बनाकर कीमतें ऊंची कर रहे हैं। इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


दिल्ली में सारे लोग शूगरिये

बंगाली आलूबाजी का करिश्मा अब राजधानी दिल्ली में भी दिख रहा है,जहां आलू बेहद मंहगा हो रहा है।बंगाल में जहां दो रुपये भाव घटाने के लिए सरकार सब्सिडी तक दे रही है,मंत्री खुद आलू बेचने के बाद भी नौकरी से खारिज हैं और मुख्यमंत्री सरेबाजार मारे मारे घूम रही हैं,वही दिल्ली और भोपाल में हफ्ते भर पहले ही आलू चालीस पार है।शायद वहां सारे लोग शुगरिये हैं या फिर म्लेच्छ,जिनका आलू संकट से सरोकार नहीं है। प्याज वगैरह दूसरी चीजों का रोना रो रहे हैं।


देशभर में आलू की किल्लत

मौसम की बेरुखी के कारण बाजार में प्याज के बाद अब आलू भी महंगाई के रंग में पूरी तरह से रंग गया है। रिटेल बाजार में आलू की कीमत तीस से चालीस रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।  पिछले साल नए आलू की कीमत एक हजार रुपये प्रति बोरी (करीब पचास किलो) थी, जबकि इस बार भाव 1400 रुपये प्रति बोरी पर शुरुआत हुई थी। मंडी में ज्यों ज्यों नए आलू की आमद बढ़ रही है, कीमतों में नर्मी का रुख आएगा। फिलहाल आमद काफी कम हो रही है। फसल में देरी के कारण दस से पंद्रह दिन का गैप बन गया और पुराने आलू की मांग बनी रही। पुराने माल का स्टॉक कम होने के कारण कीमतें लगातार बढ़ती चली गईं और रिटेल में आलू चालीस रुपये पर पहुंच गया।पंजाब में नए आलू की आपूर्ति होशियारपुर और ऊना क्षेत्रों से शुरू हो गई है, जबकि स्टोर का माल उत्तर प्रदेश से आ रहा है। सूबे के अधिकतर कोल्ड स्टोरों में आलू का स्टॉक खत्म हो गया है। मंडी में पुराने आलू का होलसेल दाम 13 से 18 रुपये प्रति किलो और नए का दाम 22 से 24 रुपये प्रति किलो के बीच है। सब्जी कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दस दिन पर नई फसल की आमद तेज होते ही कीमतों में गिरावट का रुख बन सकता है।


बिना आलू रसोई नहीं

बंगाल में जाहिर है कि आलू के बिना रसोई असंभव है।सब्जियां अस्सी पार हो तो क्या,बंगाली माछ बात के अलावा खाते क्या हैं,कोई चर्चा कहीं नहीं होती।गुजरातियों और राजस्थानियों की तरह हजारों शाकाहारी व्यंजन बंगाल में होते नही हैं।दाल रोटी खाओप्रभु के गुण गायओ,बुरबक गायपट्टी का नारा है।बंगाल में माछ भात या फिर मांस भात। जो बिना आलू हो तो हाहाकार।बाकी पूर्वी राज्यों और पूर्वोत्तर में भी लोग इसीतरह आलूबाज हैं।


जैसे गधे के सिर से सींग

बहरहाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आलू युद्ध की घोषणा कर दी है और स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी कीमत पर  बंगाल से उत्पादित आलू को बाहर राज्यों में भेजने की इजाजत नहीं है। राज्य के आलू को यराज्यवासियों को ही बेचना होग।पहले राज्य,फिर बाकी देश। सबसे पहले राज्य की मांग पूरी करनी होगी, उसके बाद बाहर के राज्यों के बारे में सोचा जायेगा।मुस्किल यह है कि आलू राज्य में है,बाहर भी नहीं जा रहा है,जनपदों से हाहाकार की कहीं कोई गूंज अभी सुनायी नहीं पड़ रहा है।लेकिन दो महानगरों कोलकाता और हावड़ा सेआलू रातोंरात ऐसे गायब हुआ जैसे गधे के सिर से सींग।


पड़ोसी मुख्यमंत्रियों से दीदी का ना ना

लेकिन बंगाल के आलू संकट और बंगालियों के वजूद के लिए उत्पन्न अभूतपूर्व संकट की शायद पड़ोसियों को कोई कबर है ही नहीं और आल की मांग करते हुए असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई व ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फोन कर दिया, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनकी मांगों को भी ठुकरा दिया।राज्यवासियों का बड़ा उपकार हो गया। गौरतलब है कि बंगाल में प्रत्येक वर्ष 110-120 लाख टन आलू का उत्पादन होता है, जबकि यहां की खपत मात्र 60 लाख टन आलू है. इसलिए बाकी आलू को राज्य के बाहर भी भेजा जाता है। आलू के लिए पूर्वी भारत के कई राज्य बंगाली आलू पर ही निर्भर हैं, लेकिन बंगाल से वहां आलू नहीं भेजने पर वहां भी आलू के लिए हाहाकार मच गया है।


फैसले से व्यवसायी नाखुश

बंगाल के कारोबारी पहले तो उद्योग और कारोबार की बदहाली का रोना रो रहे थे। मापिया शिकंजे में फंसे व्यवसायी अब भी त्राहि त्राहि कर रहे हैं। दीदी के परिवर्तन राज में अभी आस्था उनकी हालांकि अटूट है। लेकिन आलूबाज राज्य सरकार के फैसले व्यवसायी काफी नाखुश बताये जाते हैं। उनका कहना है कि राज्य के सभी कोल्ड स्टोरेज को मिलाकर यहां अभी भी करीब 16 लाख टन आलू है और राज्य में प्रत्येक महीने पांच लाख मेट्रिक टन आलू की खपत होती है।यानी व्यवसायियों की मान लें तो आलू संकट है ही नहीं।


तो क्या नष्ट होगा 10 टन आलू?

फिरभी मुख्यमंत्री ने 30 नवंबर तक सभी कोल्ड स्टोरेज खाली करने का भी निर्देश दिया है। अब अगर यहां से महीने भर आलू निकाला भी गया, तो अधिकतम पांच से छह लाख टन आलू की खपत यहां हो पायेगी और बाकी 10 लाख टन आलू का क्या होगा, यह व्यवसायी समझ नहीं पा रहे  हैं। राज्य सरकार ने आलू दूसरे राज्यों में भेजने  पर रोक लगा दी है, तो ऐसी हालत में आलू को नष्ट करने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा, इसलिए उन्होंने राज्य सरकार से अपने पहले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

কৃষি দফতরের দায়িত্ব মুখ্যমন্ত্রী নিলেও বাজার থেকে নিখোঁজ আলুমুখ্যমন্ত্রীর ঘোষণা, এনফোর্সমেন্ট ব্রাঞ্চের টহলদারি। নিটফল, বাজার থেকে কার্যত উধাও আলু। সরকারের বেঁধে দেওয়া দাম ১৩ টাকায় আলু বিক্রি করতে গিয়ে লোকসানের মুখে খুচরো ব্যবসায়ীরা। পাইকারি বাজার থেকে বেশি দামে আলু কিনে বিক্রি করতে হচ্ছে কম টাকায়। ফলে ক্রমশ দুস্প্রাপ্য হচ্ছে আলু। বাজারে হন্যে হয়ে ঘুরছেন গৃহস্থ।


আপাতত অরূপ রায়ের হাতে থাকা কৃষি-বিপণন দফতরের ভার নিজের হাতেই তুলে নিলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বুঝিয়ে দিলেন, আলু সঙ্কট সামলাতে তাঁর সরকার সত্যিই ব্যর্থ হয়েছে। ১৩ টাকা কেজি দরে আলু বিক্রির সরকারি ফরমানই রাজ্যে আলু সঙ্কট তৈরি করেছে। আলু সঙ্কট ঠেকাতেও সরকার তেমন তত্পর নয়। একের পর এক অভিযোগ উঠছিল। পাড়ার বাজারে দেড় টন আলু বেচে মন্ত্রী দায় ঠেলেছিলেন বিরোধীদের ঘাড়ে।


বাজারে থেকে আলু উধাও হয়ে যাওয়ার জন্য রাজ্য সরকারের অদক্ষতাকেই দায়ী করেছেন বামফ্রন্ট চেয়রম্যান বিমান বসু। এ দিন তিনি অভিযোগ করেন, "সরকার অদক্ষতার সঙ্গে কাজ করছে।"  

http://zeenews.india.com/bengali/kolkata/poteto-crisis-in-kolkata-market_17670.html



কৃষি বিপণনের দায়িত্ব নিলেন মমতা, হানা আলুর বাজারে

এই সময়: প্রথমে ১৩ টাকা, তার পর ১৪ টাকা কেজি দর বেঁধে দিয়েছিল সরকার৷ তাতেও পরিস্থিতির পরিবর্তন না-হওয়ায় ভিন্ রাজ্যে আলু যাওয়া বন্ধ করে দেওয়া হয়েছে৷ প্রশাসনের এই সাঁড়াশি আক্রমণের মুখে বুধবার মহানগরী কলকাতা এবং আশপাশের এলাকাকে কার্যত আলু-শূন্য করে দেন ব্যবসায়ীরা৷

নজিরবিহীন এই পরিস্থিতির মোকাবিলায় এ দিন স্বয়ং মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় মাঠে নামেন৷ দুপুরে আচমকাই তিনি হানা দেন শিয়ালদহের কোলে মার্কেটে৷ সেখান থেকে নবান্নে ফিরে কৃষি বিপণন দফতরের কাজকর্ম নিজের হাতে তুলে নেন মুখ্যমন্ত্রী৷ সাংবাদিক বৈঠক ডেকে ঘোষণা করেন, 'রাজ্যের প্রয়োজনের অতিরিক্ত আলু আছে৷ তা হলে মানুষ বাজারে গিয়ে আলু পাবে না কেন? সরকার কঠোর ব্যবস্থা নেবে৷ যারা বেশি দাম নিচ্ছে, সরকার তাদের কাছ থেকে বাড়তি টাকা আদায় করবে৷ অসাধু আলু ব্যবসায়ীরা ঘাটশিলা ও হরিয়ানায় পালিয়েছে৷' বুধবার রাতেই হুগলির বিভিন্ন হিমঘর থেকে ৩০০ ট্রাক আলু শহরের দিকে রওনা দেয়৷ হানা দেওয়া হয় বেশ কিছু হিমঘরেও৷


মুখ্যমন্ত্রী যাই বলুন না কেন, এ দিন শহর ও শহরতলিতে আলু নিয়ে যে পরিস্থিতি তৈরি হয় তাতে স্পষ্ট, আলু ব্যবসায়ীরাও সরকারকে বেগ দিতে যথেষ্ঠ সক্রিয়৷ মুখ্যমন্ত্রী সংঘাতের বার্তা দেওয়ায় পরিস্থিতি কোন দিকে গড়ায় সেটাই এখন দেখার৷ তবে শহরের বাজারগুলিতে আলু নিয়ে হাহাকারের যে ছবি দেখা গিয়েছে, বহু দিন তা দেখা যায়নি৷ একসময় কেরোসিনের ডিপো, রেশন দোকান কিংরা পুরসভার জলের কলের সামনে যেমন লম্বা লাইন দেখা যেত, দিন তিনেক ধরে সেই ছবিটাই ফিরে এসেছে শহরের বাজারগুলিতে৷

মুখ্যমন্ত্রী যখন কোলে মার্কেটে হানা দেন, তখন অদূরে এন্টালি মার্কেটের সামনে দীর্ঘ লাইন পড়ে যায় সরকারি আলু পাওয়ার আশায়৷ সকাল ৭টা থেকে লাইনে দাঁড়িয়ে বিকেল তিনটেতে আলু মেলে৷ একই ছবি ছিল শহরের অন্য বাজারগুলিতেও৷ এমনকী লেক মার্কেটের মতো অভিজাত বাজারেও আলুর দেখা মেলেনি৷ এন্টালি মার্কেটের সামনে দীর্ঘক্ষণ লাইনে দাঁড়িয়ে থাকা মহম্মদ ফিরোজ, মোক্তার আলিরা বলেন, 'অন্য সব্জির যা দাম, তাতে আলু ছাড়া আর কিছু খাওয়ার ক্ষমতা গরিব মানুষের নেই৷ সেই আলুও মিলছে না৷ সেই সুযোগে যে যার মতো দাম হাঁকছে৷ এর পর লুঠপাট ছাড়া আর কীই বা করার থাকে আমাদের?'

মুখ্যমন্ত্রী আগেও বাজারে হানা দিয়েছেন৷ কিন্ত্ত এ দিন তাঁর বাজার সফর ছিল অত্যন্ত নাটকীয়৷ তিনি মিনিট সাতেক সেখানে থেকেই বুঝে যান আলু উধাও হওয়ার পিছনে রহস্যটা কী৷ অন্যদিনের মতোই বুধবার বাড়ি থেকে নবান্নর উদ্দেশে রওনা হয়েছিলেন৷ দ্বিতীয় হুগলি সেতুতে তাঁর কনভয় পৌঁছতেই হঠাত্‍ সিদ্ধান্ত নেন কোলে মার্কেটে যাবেন৷ কনভয়ের মুখ ঘুরে যায় শিয়ালদার দিকে৷ লালবাজার কন্ট্রোলে সে খবর পৌঁছতে ব্যস্ত হয়ে পড়েন পদস্থ পুলিশ কর্তারা৷ শিয়ালদার উদ্দেশে ছোটেন পুলিশ কমিশনার সুরজিত্‍ করপুরকায়স্থ, অতিরিক্ত কমিশনার প্রদীপ চট্টোপাধ্যায় এবং ডিসি সেন্ট্রাল দেবেন্দ্রপ্রতাপ সিংহরা৷ মুখ্যমন্ত্রী প্রথমে হানা দেন শিয়ালদহের পাইকারি বাজারে৷ সেখানে বিক্ষিপ্ত ভাবে বহু আলু ও পেঁয়াজের বস্তা পড়েছিল৷ বাজারের লোকজনের কাছে জানতে চান, মঙ্গলবার হিমঘর থেকে যে আলু বোঝাই ট্রাক এসেছে তা কোথায় গেল? ওই বস্তাগুলি কার তা বারবার জানতে চান মুখ্যমন্ত্রী৷ কিন্ত্ত উপস্থিত কেউ রা কাড়েননি৷ তাঁর নিরাপত্তারক্ষীরাও জনে জনে জিজ্ঞেস করেন 'আলু কার? আলু কার?' কেউ বলেন, আমি লঙ্কা বিক্রি করি, কেউ বলেন আমি পেয়ারা বিক্রি করি৷ ক্ষিপ্ত মুখ্যমন্ত্রী এর পর পুলিশকে আলুর বস্তা আটক করার নির্দেশ দেন৷ ততক্ষণে সেখানে পৌঁছে গিয়েছেন পুলিশ কমিশনার৷ মুখ্যমন্ত্রী তাঁকে দেখে মৃদু অনুযোগের সুরে বলেন, আলু কোথায় গেল? পুলিশ জানে না? মুখ্যমন্ত্রীর নিদেরে্‌শ ততক্ষণে পুলিশ রাস্তায় দাঁড়িয়ে থাকা তিন চাকার ভ্যানে আলু উঠিয়ে মুচিপাড়া থানায় চালান করে দেন৷ মুখ্যমন্ত্রী বাজারে হানা দিয়েছেন, টিভি-র ব্রেকিং নিউজে এই খবর ভেসে উঠতে শহরের বাকি বাজারগুলিতে ব্যবসায়ীরা সতর্ক হয়ে যান৷ যার সংগ্রহে যতটুকু আলু ছিল দোকানে সাজিয়ে বসেন৷ মুখ্যমন্ত্রী সেখান থেকে চলে যান নবান্নে৷ তার আগেই পুলিশ মারফত নবান্নে তলব করা হয় কোলে মার্কেটের কর্তা কমল দে-কে৷ সেখানে তলব করা হয় কৃষি বিপণন দপ্তরের অফিসারদেরও৷ আলুর দাম চড়তে থাকায় বিভাগীয়মন্ত্রী অরূপ রায়ই যাবতীয় ব্যবস্থা নিচ্ছিলেন৷ অবশ্য মুখ্যমন্ত্রীও মাঝেমধ্যে প্রয়োজনীয় পদক্ষেপ নিয়েছেন৷ কিন্ত্ত অরূপবাবুর উপর আজকের মতো আস্থা হারাননি৷ মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'মন্ত্রী অরূপই থাকবে, আমি আপাতত কাজকর্ম দেখব৷' শুধু কৃষি বিপণন দপ্তরই নয়, তাঁর তৈরি টাস্ক ফোর্সের উপরও মুখ্যমন্ত্রী আস্থা রাখতে পারছেন না৷ টাস্ক ফোর্সের পরবর্তী বৈঠকও তিনি বাতিল করে দিয়েছেন৷ রাজ্যে কড়াকড়ির পাশাপাশি আলু পাঠানো নিয়ে ওড়িশা ও অসমের মুখ্যমন্ত্রীর অনুরোধ তিনি মানতে পারছেন না বলেও জানিয়ে দিয়েছেন মমতা৷

মুখ্যমন্ত্রী মমতার ফিরে যাওয়ার পরই সম্বিত ফিরে পায় বাজার৷ ছুটে আসেন আলু ব্যবসায়ীরা৷ আলু ব্যবসায়ী শিবু সাঁতরার কথায়, '৫২ বছর ব্যবসা করছি৷ এ দৃশ্য কখনও দেখিনি৷' মুখ্যমন্ত্রী যখন আলুর বস্তা মালিককে খুঁজেছিলেন তখন কোথায় ছিলেন? এই প্রশ্ন শুনেই উপস্থিত ব্যবসায়ীরা বলেন, টানা দু'দিন পর এ দিনই রাত তিনটের সময় তিনটে লরি বাজারে ঢুকেছে৷ তাতে ৪৫০ বস্তা আলু ছিল৷ নিয়ম মতো সকাল সাড়ে সাতটার মধ্যে পাইকারি দরে তা বিক্রি হয়ে যায়৷ সাধারণত ব্যবসায়ীরা বিক্রি শেষ করে বাজারে থাকেন না৷ ব্যবসার কাজে বেরিয়ে যায়৷ এ দিনও তাই হয়েছে৷

নবান্নে মুখ্যমন্ত্রী সাংবাদিকদের বলেন, 'কালীপুজোর আগের দিন আলুর বাজারদর স্থির রাখতে আলু ব্যবসায়ীরা সরকারের কাছে যৌথ ভাবে স্বাক্ষর করে প্রতিশ্রুতি দিয়ে গিয়েছেন৷ সেই স্বাক্ষরিত আবেদন সমিতিরই বাজারগুলিতে পেঁৗছে দেওয়ার কথা৷ প্রগতিশীল আলু ব্যবসায়ী সমিতি এই স্বাক্ষর করেছিল৷ তারাই বেশি দামে আলু বিক্রি করেছে৷ এখন সব ঘাটশিলা ও হরিয়ানায় পালিয়েছে৷ কেউ ছাড় পাবে না৷' মুখ্যমন্ত্রী জানান, যারা বেশি দামে আলু বিক্রি করছে তাদের কাছ থেকেও বাড়তি টাকা আদায় করবে সরকার৷ মঙ্গলবারই হিমঘর থেকে ৬৯ লরি আলু বেরিয়েছে৷ বাজারে তা পৌঁছয়নি৷ মাঝপথে লুকিয়ে রাখা হয়েছে৷ এ বার থেকে পুলিশ স্কোয়াড দিয়ে হিমঘর থেকে আলুর লরি বাজারে পাঠানো হবে৷

মুখ্যমন্ত্রী কোলে মার্কেটে হানা দিয়েছেন শুনে এন্টালি মার্কেটে সকাল থেকে সরকারি আলুর অপেক্ষায় থাকা আসগরি খাতুনের মন্তব্য, 'এটা কোনো কথা হল? আধবেলা আলু কেনার জন্যই কেটে গেলে, বাড়ির কাজ করব কখন? তা-ও মাত্র মিলল ৩ কেজি৷' হাওড়া, হুগলি, উত্তর ২৪ পরগনা, দক্ষিণ ২৪ পরগনার মতো জেলাগুলিতেও বাজারে আলু না-মেলায় চরম সমস্যায় পড়েন সাধারণ ক্রেতারা৷


অতঃপর আনন্দবাজারে নজর রাখুন


উদ্বেলিত। সবিস্তার...







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বন্ধ গেম শো-র অডিশন,

শুনেই দিদিরা মারমুখী

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

*একে ছোট পর্দায় মুখ দেখানোর সুযোগ, সঙ্গে আবার হরেক দামি উপহারের প্রতিশ্রুতি! মাইক্রোওভেন থেকে সোনার গয়না, কী নেই! মঙ্গলবার ভোররাত থেকেই লাইন পড়তে শুরু করেছিল। শহর ছাড়িয়ে সুদূর গ্রাম-মফস্বল থেকে উপচে পড়েছিল দিদি-বৌদিদের ভিড়! মায়েরাও পিছিয়ে ছিলেন না, বাচ্চাদের নিয়েই দাঁড়িয়ে পড়েছিলেন লাইনে! দিনভর ঠায় দাঁড়ানোর পরে বিকেল গড়াতে কানে এল, অডিশন বন্ধ করে দেওয়া হচ্ছে! রটে গেল, টাকা দিয়ে বেআইনি ভাবে আগেভাগে লোক ঢোকানো হয়েছে! সারা দিনের উত্তেজনা-ক্লান্তিতে ধৈর্যের বাঁধটা ভেঙে গেল নিমেষে। রে রে করে ঝাঁপিয়ে পড়লেন মহিলারা। স্টুডিওর গেট ঝাঁকিয়ে ভাঙলেন। অডিশন রুম ভেঙে তছনছ করলেন। লাঠি দিয়ে দমাদ্দম ভাঙলেন একাধিক গাড়ি। বুধবার বিকেলের দমদম কার্যত রণক্ষেত্রের চেহারা নিল একটি টিভি চ্যানেলের জনপ্রিয় গেম শো-এর অডিশনকে ঘিরে। নামাতে হল র্যাফ। গণ্ডগোলের জেরে পদপিষ্ট হয়ে গুরুতর জখম হয়েছে দু'টি শিশু। আহত আরও চার জন। সবিস্তার...
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মমতা নিজেই আসরে, আলু তবু ডুমুরের ফুল

নিজস্ব প্রতিবেদন

*হিমঘর উপচে পড়ছে। বাজার খাঁ খাঁ! আলুর দাম নিয়ন্ত্রণে রাজ্য সরকার কোমর বেঁধে নামার চার দিন পরে ছবি এমনটাই। যে বাজারে যৎসামান্য আলু রয়েছে, সরকারি নির্দেশকে বুড়ো আঙুল দেখিয়ে তার দাম আকাশছোঁয়া। কোথাও ২০ টাকা কেজি তো কোথাও ৩৫ টাকা। ক্রেতা ও বিক্রেতা উভয় পক্ষেরই অভিযোগ, সরকার আলুর দাম বেঁধে দেওয়ার পর থেকেই পরিস্থিতি জটিল থেকে জটিলতর হয়ে উঠছে। সরকার অবশ্য এখনও নিজের অবস্থানে অনড়। শাসক দলের নেতাদেরও অনেকের বক্তব্য, এক শ্রেণির ব্যবসায়ীর অন্যায় লোভের কারণেই সমস্যা তৈরি হয়েছে। অতএব তা কড়া হাতে মোকাবিলা করাই দরকার। আলু-পরিস্থিতি খতিয়ে দেখতে বুধবার পথে নেমেছিলেন খোদ মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বস্তুত, দাম নিয়ন্ত্রণের দায়িত্ব যাদের, সেই কৃষি বিপণন দফতরের ভার আপাতত নিজের হাতে নিয়ে নিয়েছেন তিনি। মমতা বলেন, "আমি অরূপকে (কৃষি বিপণনমন্ত্রী অরূপ রায়) বলেছি, তোমার হাতেই দফতর থাকছে। কিন্তু আগামী কিছু দিনের জন্য আমি কাজ দেখভাল করব।" সবিস্তার...

এই সংক্রান্ত খবর...

• এত আলুর বস্তা কার, উত্তর পেলেন না মমতা

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*পুজোর মরসুম প্রায় শেষের পথে। জগদ্ধাত্রী-সহ আর কয়েক জন দেবদেবীর আগমন মাত্র বাকি। তবে বাঙালির মূল উন্মাদনা যাঁর পুজোকে ঘিরে, সেই দুর্গা এক বছরের জন্য পতিগৃহে ফিরে গিয়েছেন। যে চার দিন তিনি বাপেরবাড়ি ছিলেন সেই আনন্দময় দিনগুলির কিছু অনুভূতি নিয়ে আনন্দবাজার পত্রিকার ইন্টারনেটসংস্করণের বিশেষ নিবেদন।

মাতৃভূমি কি একটাই!

ইন্দ্রাণী ভট্টাচার্য

বৃষ্টিভেজা দুগ্গাপুজো আবহমান

মধুমিতা দে

...আসবে কত ক্ষণ

রূপা মণ্ডল


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সরকারি বিজ্ঞাপনে মুখ কি কানুর, জোর বিতর্ক

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা ও শিলিগুড়ি

*সরকারি বিজ্ঞাপনে প্রয়াত নকশাল নেতা কানু সান্যালের ছবি প্রকাশের অভিযোগকে কেন্দ্র করে বিতর্ক তৈরি হয়েছে। কেন এই ছবি প্রকাশিত হল, তাই নিয়ে ক্ষোভ প্রকাশ করেছেন কানুবাবুর পরিবারের লোকেরা। এই ঘটনার নিন্দা করেছে বিভিন্ন নকশালপন্থী রাজনৈতিক দলও। তবে সরকারের দাবি, মুখের মিল থাকলেও ওটা কানু সান্যালের ছবি নয়। প্রশাসনের একটি সূত্রের বক্তব্য, বিজ্ঞাপনটি তৈরির দায়িত্ব দেওয়া হয়েছিল একটি বেসরকারি সংস্থাকে। তারা ইন্টারনেটে খেটে খাওয়া মানুষের ছবির সন্ধান করতে গিয়ে ওই মুখটি দেখে তা বিজ্ঞাপনের কাজে ব্যবহার করেছে। এটা ভুলবশত হয়েছে। এর পিছনে অন্য কোনও অভিপ্রায় নেই। সরকারি সূত্রের খবর, বিজ্ঞাপনটি ছিল অর্থ দফতরের। বিজ্ঞাপনের 'আর্ট ওয়ার্কটি' অর্থ দফতরই অনুমোদন করেছিল। পরে তা প্রকাশ করে তথ্য ও সংস্কৃতি দফতর। আনুষ্ঠানিক ভাবে রাজ্য সরকার অবশ্য বিজ্ঞাপনের ওই মুখ আদৌ কানুবাবুর নয় বলে দাবি করেছে। সবিস্তার...
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লম্বা লাফের আগে ছ'পাকের কঠিন পরীক্ষা

কুন্তক চট্টোপাধ্যায় • চেন্নাই

*এই সে পেরিয়ে গেল নাইজেরিয়া। ওদের সঙ্গে কী যেন অশান্তি শুরু হয়েছে। ভাবার সময় নেই, তত ক্ষণে সে চাদের উপর দিয়ে চলেছে। এর পর ভারত মহাসাগরের উপরে। না, নিজের দেশের উপর দিয়ে যাওয়ার সুযোগ নেই। সে ভাবেই ছকা আছে তার যাত্রাপথ। লং জাম্প দিতে এখনও বাকি ২৪ দিন। তার আগে শক্তি বাড়িয়ে নিয়ে 'দাদা-দিদি'দের মতো পাক খেয়ে চলেছে 'মম্'। দাদা-দিদি বলতে ইসরোর পাঠানো কৃত্রিম উপগ্রহ ইনস্যাট, কল্পনা আগে থেকেই যারা পাক খেয়ে চলেছে পৃথিবীকে। আর মম্ মঙ্গলবার শ্রীহরিকোটার সতীশ ধবন মহাকাশ গবেষণা কেন্দ্র থেকে রওনা দেওয়া মঙ্গলযান। মার্স অরবিটার মিশন (এমওএম) বা সংক্ষেপে মম্। ইসরোর মুখপাত্র বি আর গুরুপ্রসাদ আজ বলেন, "উৎক্ষেপণ ঠিকঠাক হওয়ায় মঙ্গলযানকে পৃথিবীর কক্ষপথে স্থাপন করতে কোনও সমস্যাই হয়নি। উৎক্ষেপণের পর থেকেই পৃথিবীর কক্ষপথে পাক খাচ্ছে মম্। ইতিমধ্যেই এক বার 'লিকুউড অ্যাপোজি মোটর ইঞ্জিন' চালু করে তার শক্তি বাড়ানো হয়েছে। সবিস্তার...
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প্রধানমন্ত্রীর সমান নিরাপত্তার

দাবি মোদীর, খারিজ করল কেন্দ্র

নিজস্ব সংবাদদাতা • নয়াদিল্লি

*রাজনৈতিক নেতাদের কতখানি নিরাপত্তা থাকা উচিত, তা নিয়ে বিতর্ক নতুন নয়। লোকসভা নির্বাচনের আগে নরেন্দ্র মোদীর নিরাপত্তা নিয়ে ফের সেই বিতর্ক হাজির। পটনায় মোদীর সভায় বিস্ফোরণকে সামনে রেখে বিজেপি-র দাবি, তাদের প্রধানমন্ত্রীর পদপ্রার্থীর নিরাপত্তা বাড়ানো হোক। প্রধানমন্ত্রীর মতোই এসপিজি নিরাপত্তা দেওয়া হোক মোদীকে। মোদীর উপস্থিতিতেই বিজেপির সংসদীয় বোর্ড প্রস্তাবও পাশ করেছে। পত্রপাঠ প্রস্তাবটি খারিজ করেছেন কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী। রেওয়াজ বলছে, বেশির ভাগ নেতাই বাড়তি নিরাপত্তা চান জঙ্গি হানার আশঙ্কার কথা বলে। ব্যতিক্রম প্রাক্তন প্রধানমন্ত্রী এইচ ডি দেবগৌড়া। এনডিএ জমানায় তৎকালীন স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী লালকৃষ্ণ আডবাণীর কাছে তিনি এসপিজি-র নিরাপত্তা তুলে দেওয়ার অনুরোধ করেন। আডবাণী মেনে নেন। পরে দেবগৌড়া ফের জানান, তাঁর দল বলছে নিরাপত্তা থাকা দরকার। সবিস্তার...
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পর্যটক টানতে আচরণের সহজ পাঠ কর্মীদের

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

*পর্যটক আবাসে পর্যটকদের সঙ্গে ভাল ব্যবহার করুন। পর্যটকদের 'স্যার' বা 'ম্যাডাম' বলে সম্বোধন করুন। রাজ্যের পর্যটন দফতরের কর্মীদের একাংশের কর্মসংস্কৃতি এমন জায়গায় পৌঁছেছে যে, সরকারকে এখন রীতিমতো নির্দেশ পাঠিয়ে আচরণের এই অ-আ-ক-খ শেখাতে হচ্ছে! শুধু আচার-আচরণের প্রথম ভাগ নয়, পর্যটক আবাসের ঘরগুলি পরিষ্কার-পরিচ্ছন্ন রাখার জন্যও কর্মীদের নির্দেশ দিতে হচ্ছে পর্যটন দফতরকে। বুধবার মহাকরণে এই নির্দেশ জারির কথা জানান পর্যটনমন্ত্রী কৃষ্ণেন্দুনারায়ণ চৌধুরী নিজেই। তিনি বলেন, "আসন্ন শীতের পর্যটন মরসুম থেকেই এই নির্দেশ কার্যকর হবে।" ভারতীয় সমাজদর্শন অতিথিকে দেবতার আসনে বসাতে শিখিয়েছে। ভারতের দর্শনীয় স্থানে দেশি-বিদেশি ভ্রমণপিপাসুদের টানতে কেন্দ্রীয় সরকারের পর্যটন বিভাগের হয়ে অভিনেতা আমির খানের 'অতিথি দেবো ভব' অনুষ্ঠান সমাদৃত হয়েছে। সবিস্তার...
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স্ট্রোক থেকে অবসাদ বাড়ছে, বলছে সমীক্ষা

সোমা মুখোপাধ্যায় • কলকাতা

*স্ট্রোকের কারণে মৃত্যু বা স্মৃতিশক্তি লোপ বা পক্ষাঘাতের কথা বেশির ভাগ মানুষই জানেন। কিন্তু স্ট্রোক থেকে যে মারাত্মক অবসাদের জন্ম হতে পারে, সে ব্যাপারে সাধারণ মানুষ থেকে শুরু করে চিকিৎসকদের একটা বড় অংশও এখনও পর্যন্ত তেমন সচেতন নন। অথচ ইন্ডিয়ান কাউন্সিল অব মেডিক্যাল রিসার্চ (আইসিএমআর)-এর সমীক্ষায় ধরা পড়েছে, যত মানুষ স্ট্রোকে আক্রান্ত হন, তাঁদের এক তৃতীয়াংশই অল্প কিছু দিনের মধ্যে অবসাদে ভুগতে শুরু করেন। চিকিৎসা না হলে এই অবসাদের জেরে মৃত্যুও ঘটতে পারে। বিশেষজ্ঞরা জানাচ্ছেন, অবসাদ নানা কারণে হয়। জিনঘটিত কারণে অবসাদ হয়, আবার কোনও ঘটনার জেরে তার অব্যবহিত পরে অবসাদ আসতে পারে। স্ট্রোকের রোগীদের ক্ষেত্রে অবসাদ আসে মস্তিষ্ক ক্ষতিগ্রস্ত হওয়ার কারণে। মস্তিষ্কে রক্ত চলাচলে বিঘ্ন ঘটার নামই স্ট্রোক। চিকিৎসকদের মতে, এর ফলে মস্তিষ্কের টেম্পোরাল লোব এবং ফ্রন্টাল লোব ক্ষতিগ্রস্ত হয়ে অবসাদের জন্ম দেয়। সবিস্তার...
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হাসিনা যেন এ বাংলারই মেয়ে, বললেন শিন্দে

জগন্নাথ চট্টোপাধ্যায় • বেনাপোল

*উপলক্ষ ছিল পঞ্জাবের আট্টারি-ওয়াঘা সীমান্তের ধাঁচে বেনাপোল-পেট্রাপোল সীমান্তে জয়েন্ট রিট্রিট সেরিমনির সূচনা। সেখানেই প্রকাশ্য সমাবেশে বাংলাদেশের প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনাকে 'ভারতের আপনজন' বলে উল্লেখ করলেন স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী সুশীলকুমার শিন্দে। পাঁচ বছরে হাসিনার আমলে ঢাকা ভারতকে যে ভাবে সহযোগিতা করেছে, তার প্রতিদান দিতে নয়াদিল্লিও বদ্ধপরিকর বলে ঘোষণা করেন তিনি। বুধবার শিন্দে যখন এ কথা বলেন, করতালি দিয়ে স্বাগত জানিয়েছেন উপস্থিত বাংলাদেশের স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী মহিউদ্দিন খান আলমগির। নিজের বক্তৃতায় ভারতের প্রধানমন্ত্রী মনমোহন সিংহের ভূয়সী প্রশংসা করেন বাংলাদেশের স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী। ভারত-বাংলাদেশের বন্ধুত্বকে 'চিরায়ত' আখ্যা দিয়ে তিনি বলেন, এ জন্য আমরা গর্বিত। এর পরে সুশীলকুমার শিন্দে বলেন,"দু'দেশের বন্ধুত্বের কথা বলতে গেলে শেখ হাসিনাজির কথা বলতেই হয়। আমার তো মনে হয়, উনি যেন এই বাংলারই মেয়ে। আমাদের অত্যন্ত আপনজন।" সবিস্তার...

http://www.anandabazar.com/

Potato crisis: CM takes charge of agricultural marketing dept., asks police to escort trucks

Amid the potato crisis prevailing in West Bengal, Chief Minister Mamata Banerjee on Wednesday took over temporary charge of the agricultural marketing department.

She said that police personnel would henceforth escort potato-laden trucks from cold storage to the various markets and censured those indulging in speculative practices over the vegetable and creating an artificial shortage.

Ms. Banerjee addressed a press meet after conducting a surprise tour of a few major city wholesale and retail markets, followed by a round of meetings with her officers.

Cautioning the State's potato traders, Ms. Banerjee said: "You have played havoc with an item of daily consumption of the poor man, you have betrayed the government. You will have to recompense for your deed... and we will find out a mechanism for this," she said, speaking at Nabanna, her new Secretariat.

"I have told [Agriculture Minister Arup Roy]… you stay as the minister... but for the time being, I will assume the department's responsibilities."

Ms. Banerjee exhorted people to shun those who charged exorbitant prices for the vegetable: "I seek your cooperation… Don't buy from such traders… They will automatically fall in line."

Prices of the commonly used Jyoti potatoes were ruling at Rs. 16-18 a kg against the normal price-band of Rs. 12-13. The premium variety, Chandramukhi, was selling at Rs. 20 a kg. The government intervened last week, setting a price-band of Rs. 13 for the ordinary variety.

The premium variety is being sold for Rs. 25 a kg.Ms. Banerjee said a control room had been set up to check malpractices after it emerged that trucks carrying potatoes were being diverted to neighbouring States and traders were fleeing the State.

"The government will not allow any hoarding and, if necessary, will clear out cold storages. If traders are found guilty of hoarding, their licences will be cancelled," Ms. Banerjee said.

She said although the Chief Ministers of Orissa and Assam had asked the State to supply supplies of the tuber, her priority was to "feed her people first."

http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/potato-crisis-cm-takes-charge-of-agricultural-marketing-dept-asks-police-to-escort-trucks/article5324458.ece


আলু অমিল, মিড ডে মিল সংকটে

স্নেহাশিস নিয়োগী



আলুসহ সব্জির দাম বৃদ্ধির আঁচ লাগল এবার মিড মিলেও৷ এমনিতে মিড ডে মিলের জন্য প্রাথমিক স্তরে মাথাপিছু দৈনিক বরাদ্দ মাত্র সাড়ে তিন টাকা৷ আর উচ্চ প্রাথমিকের পড়ুয়াদের জন্য পাঁচ টাকা করে৷ এই টাকাতেই সপ্তাহে একদিন ডিম দেওয়া বাধ্যতামূলক৷ তারমধ্যেই আলুর দাম অস্বাভাবিক বেড়ে যাওয়ার পাশাপাশি অধিকাংশ জেলায় বাজারে আলু বাড়ন্ত হওয়ায় মাথায় হাত পড়েছে বিভিন্ন স্কুল কর্তৃপক্ষের৷ এতদিন পর্যন্ত মিড ডে মিলে প্রায় রোজই আলুর কোনও না কোনও পদ থাকতই৷ কিন্ত্ত বাজার গত কয়েকদিন ধরে কার্যত আলু শূন্য হয়ে পড়ায় মিড ডে মিল চালু রাখাটাই অনিশ্চিত হয়ে পড়েছে৷ দাম বেড়েছে অন্যান্য সব্জিরও৷ এই উদ্বেগের কথা স্বীকার করে নিয়েছেন প্রকল্পের রাজ্য অধিকর্তা নরেন্দ্রনাথ বর্মণ৷ তিনি বলেন, মাতৃবিয়োগের কারণে আমি ছুটিতে৷ তবে জিনিসপত্রের বাজারদর যা তাতে নিয়মিত সুষ্ঠুভাবে এই প্রকল্প চালানো বেশ কষ্টকর৷


রাজ্যে ৭৭ হাজার প্রাথমিক ও উচ্চ প্রাথমিক স্কুল, মাদ্রাসা, শিশু এবং মাধ্যমিক শিক্ষা কেন্দ্রের সোয়া এক কোটি ছাত্রছাত্রী আপাতত মিড ডে মিলের আওতাধীন৷ মহানগর থেকে শুরু করে গোটা রাজ্যেই দুপুরের খাবার নিয়ে অচলাবস্থা তৈরি হয়েছে৷ প্রাথমিক ও উচ্চ প্রাথমিক স্তরের একাধিক প্রধান শিক্ষকের কথায়, আপাতত পড়ুয়াপিছু খাবারের বরাদ্দ কিছুটা কমিয়ে পরিস্থিতি সামাল দেওয়ার চেষ্টা চলছে৷ এছাড়া যেখানে আলু একদমই অমিল সেখানে কুমড়ো, খেড়ো এবং সোয়াবিন দিয়ে ঘ্যাঁট বানানো হচ্ছে৷ কিন্ত্ত এভাবে কতদিন?


জেলা প্রাথমিক বিদ্যালয় সংসদের (ডিপিএসসি) চেয়ারম্যানরা অবিলম্বে দুটি স্তরেই পড়ুয়াপিছু বরাদ্দ বাড়ানোর দাবি তুলেছেন৷ স্কুলশিক্ষা দপ্তরের এক কর্তার কথায়, ওই খাতে ছাত্রছাত্রীদের জন্য বরাদ্দের ৭৫ শতাংশ খরচই বহন করে কেন্দ্র৷ রাজ্যের ঘাড়ে মাত্র ২৫ শতাংশ৷ বাম আমল থেকেই বারবার মিড ডে মিলে রাজ্য সরকারের বরাদ্দ বৃদ্ধির প্রস্তাব দেওয়া হয়েছে৷ ওই পর্যন্তই৷ তত্‍কালীন স্কুল শিক্ষামন্ত্রী পার্থ দে এ ব্যাপারে মুখ্যমন্ত্রী বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য ও পার্টির কাছে আর্জি জানিয়েছেন৷ কিন্ত্ত কাজের কাজ কিছুই হয়নি৷


হাওড়া ডিপিএসসি'র চেয়ারম্যান পুলক দেব বলেন, 'বুধবারই নানা বিষয়ে শিক্ষামন্ত্রী ব্রাত্য বসুর সঙ্গে পাঁচটি জেলার ডিপিএসসি কর্তাদের বৈঠক ছিল৷ সেখানে মাথাপিছু আমরা বরাদ্দ বাড়ানোর দাবি তুলেছি৷ উনি বিষয়টি নিয়ে রাজ্যের অর্থমন্ত্রী অমিত মিত্রর সঙ্গে কথা বলার আশ্বাস দিয়েছেন৷' পূর্ব মেদিনীপুর ডিপিএসসি'র চেয়ারম্যান গোপাল সাহু বলেন, 'শুক্রবার শিক্ষামন্ত্রীর সঙ্গে আমাদের চার জেলার বৈঠক আছে৷ সেখানে দুটি স্তরেই পড়ুয়াপিছু বরাদ্দ বৃদ্ধির দাবি করা হবে৷ বাজারের অগ্নিমূল্যে আমাদের জেলার বেশকিছু স্কুলে মিড ডে মিল বন্ধ হয়ে গিয়েছে৷' তাঁর মতে, প্রাথমিক ও উচ্চ প্রাথমিকে মিড ডে মিল খাতে মাথাপিছু ন্যূনতম পাঁচ ও সাত টাকা করে বরাদ্দ করা উচিত৷ তা না হলে নিয়মিত এই প্রকল্প চালানো সত্যই কষ্টকর৷


মিড ডে মিলের এক আধিকারিক জানান, আমরা রাজ্য ও কেন্দ্রের কাছে মিড ডে মিলে বরাদ্দ বাড়ানোর দাবি জানিয়ে একাধিক চিঠি লেখেছি৷ কিন্ত্ত আর্থিক সংকটে জেরবার রাজ্য৷ পালাবদলের পর মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় মহাকরণে একাধিক বৈঠকে মিড ডে মিলে বরাদ্দ বৃদ্ধিতে আগ্রহ প্রকাশ করলেও প্রয়োজনীয় অর্থের অভাবে তা আর সম্ভব হয়ে ওঠেনি৷

http://eisamay.indiatimes.com/city/kolkata/potatoes-crisis-in-midday-meal/articleshow/25361448.cms?

Search Results

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  1. After onions, now potatoes in short supply

  2. Economic Times-05-Nov-2013

  3. By ET Bureau | 6 Nov, 2013, 05.10AM IST ... Clearly, the fiery CM feels that her potato-deprived West Bengal voters will stoically cook their jhols and torkaris ...

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  • IBNLive

  • Aasu stir against price rise

  • Times of India-01-Nov-2013

  • ... increase in prices of potatoes is seen as a fall-out of a crisis after West Bengal stopped export of potatoes to the state a couple of weeks ago.

  • Mamata Banerjee imposes ban on export of vegetables to other states

  • Economic Times-31-Oct-2013

  • By PTI | 31 Oct, 2013, 08.36PM IST ... "Transportation of vegetables from West Bengalto other states will not be allowed until prices return to a ... vegetables and against their transportation to other states and on hoarding to create artificial crisis. "Stop hoarding of vegetables, potato and onion at any cost and take stern action ...

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  • Firstpost

  • Skyrocketing onion prices may ease after Deepavali: Government

  • Deccan Chronicle-25-Oct-2013

  • PTI | 25th Oct 2013 ... He also said there was no need to be "alarmed" about the crisis as prices ... while the West Bengal government has made arrangements to sell onions at ... "In vegetables like onion, tomato and potato, there is period of ...

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  • Heavy rains lash Odisha; Cyclone Phailin to make landfall at 210kmph

  • Hindustan Times-11-Oct-2013

  • First Published: 09:41 IST(11/10/2013) | Last Updated: 10:52 IST(12/10/2013) ... large it filled nearly the entire Bay of Bengal - gathered strength and headed ... to people to stay calm and assist local administration in handling the crisis. ... while potatoes and other vegetables disappeared from the markets.

  • Pricey Diwali on cards as onion prices skyrocket to Rs 100 per kg

  • NitiCentral-25-Oct-2013

  • Niticentral Staff26 Oct 2013 ... He also said there was no need to be "alarmed" about thecrisis as prices would cool ... onions, while the West Bengal Government has made arrangements to sell onions at lower rates. ... "In vegetables like onion, tomato andpotato, there is period of plenty and there is situation of scarcity.


  • The mashed potato mart

    - Slow on the draw, quick-fix hunt

    DEVADEEP PUROHIT

    http://www.telegraphindia.com/1131107/jsp/frontpage/story_17539531.jsp#.UntVfnBHLIc

    Calcutta, Nov. 6: Chief minister Mamata Banerjee today took charge of the agricultural marketing department to tackle the potato crisis and declared: "Hoy espar, noy ospar(we will resolve this any which way).

    Market operators said that the thrust was expected to unlock stocks — which might ensure better availability of the scarce tuber and pull down prices that now rule between Rs 22 and Rs 25 a kilo. The chief minister has pegged the ideal price at Rs 13 a kilo.

    But questions arose on whether the government's strong-arm tactics could throw up a long-term solution to structural deficiencies exposed by the potato crisis.

    "No one wants to antagonise the government…. Prices are bound to crash to Rs 13 a kg," said a veteran in the trade. "But there are a few questions…. Did the government do the right thing by intervening in the market? Can they employ the same strategy every time there is a price rise?" he asked, adding that the prices would soar again.

    The price of the Jyoti variety of potato was hovering around Rs 10 before the Pujas. It crossed Rs 15 during the festive season and steadily climbed up.

    The government then intervened. Arup Roy, the minister who was handling the agricultural marketing department till this afternoon, imposed a ceiling of Rs 14 a kg on October 24. The artificial ceiling caved in soon and Mamata stepped in with the Rs 13 limit and a ban on moving the produce to other states.

    The intervention appeared to have backfired in the immediate aftermath. "Rattled by the price control, traders pushed up the volume of exports to neighbouring states where the wholesale prices had soared by over 100 per cent and touched Rs 22 to Rs 25 a kg," said another potato trader.

    Supplies from Bengal, Punjab and western Uttar Pradesh have been meeting the potato diet in Bihar, Odisha, Assam, Jharkhand and Andhra Pradesh for decades.

    But the demand for potato from Bengal was higher this year because of shortages in Punjab and western Uttar Pradesh and high demand from Odisha and Andhra Pradesh because of natural calamities.

    "The high export demand and the non-arrival of new crop from Punjab created supply bottlenecks and the prices moved up in line with the demand-supply principle," said a trader.

    If at all the government should have intervened, it should have done so much earlier — and not on the price front.

    Careful monitoring and analysis of data would have given the government an inkling of the upcoming shortage. Steps then could have been taken to release old stock from the cold storage units — something Mamata is hoping to achieve now through the threat of coercion, trade insiders said.

    "Had they tracked the weather situation in the country and its impact on potato demand and supply, they could have taken precautionary measures, either by co-ordinating with the Uttar Pradesh government or by buying stocks from the cold storage system in Bengal in advance," said an analyst.

    Mamata today hinted that the government might buy potato from cold storage units — a practice former finance minister Asim Dasgupta had started.

    But meeting the target may be easier said than done. An agricultural marketing department officer said that as a considerable part of the stored crop is owned by middlemen who buy the receipts (bonds) of farmers after they deposit the potato, tracing the bond holder could be difficult.

    Allowing the market forces to operate — higher price would have lured more potato supplies to the markets — could have helped pull down the prices, said the officer.

    "But they went about trying to regulate the market by pegging prices…. Whenever the government tries to tamper with the market, it adds fuel to the fire and that's exactly what happened in Bengal and the crop vanished from the market," he said.

    Coercion is also hard to enforce. The government has said the borders have been sealed to stop exports but such curbs usually throw open a window of corruption through which materials flow. There have been reports that truckloads of potato from Bengal have been reaching neighbouring states.

    There was no attempt to address the deficiencies plaguing the sector, said a retired government official.

    "The new government's priority should have been to frame an agricultural policy, which the Left neglected for 34 years as the agriculture department was always with minor partners like Forward Bloc. Neighbouring states like Bihar have a detailed policy and a roadmap on how to achieve higher growth," said the officer.

    Mamata today tried to address one of the problems in the potato trade — the need to import seeds from Punjab — by promising to develop seeds in the state and distribute imported potato seeds through fair-price outlets.

    "Developing potato seeds is a good idea, which the Left government should have tried long ago…. But as the government doesn't have the mechanism to handle and maintain potato seeds, I am not sure how they can distribute seeds through fair-price outlets," said an analyst.

    According to him, the other deficiency in potato trade is lack of proper cold storage facilities because of the Left policy the Trinamul government is also following.

    Out of the over 600 cold storage units in the state, only 410-odd are operational at present. Almost all run on old technology that pushes up storage cost.

    "The Centre doesn't release funds for cold storage modernisation as long as the state government determines the cold storage rent. Ours is the only state which has such a rent policy," said a cold storage owner.

    He added that the wastage of the crop, ranging between 5 and 10 lakh tonnes a year, could be reduced if the storage units were modernised.

    WHAT'S FRYING THE PAN?

    *

    Is Bengal a potato-deficit state?

    No. Bengal is usually a potato-surplus state, unless natural calamities hit the output. Bankura, West Midnapore, Burdwan, Hooghly, Jalpaiguri and Cooch Behar account for most of the potatoes

    *

    How does the potato reach you?

    Farmers keep the produce in cold storage and get receipts (known as bonds). As the farmers cannot wait till wholesalers pick up the stocks, middlemen buy the bonds from the farmers. Depending on the demand within and outside the state, the middlemen get the potato from the cold storage and sell them to wholesalers who supply the retailers

    *

    What is special about this time of the year?

    The planting season starts in November, a part of the produce cold storage units till November 30, by when the old stocks have to be cleared to make room for the fresh lot. Consumers who prefer the new crop or notun aloo have a choice this time of the year. The new crop from Punjab and western UP flows to Bengal between October first week and end-December or early January till the local new variety hit the market. Bengal also depends on these two states for potato seeds

    *

    So, what's the problem?

    Unseasonal rain. The supplies from Punjab, which also feed Bihar, Assam, Odisha and Andhra Pradesh, did not reach Bengal this year because of rain-induced crop failure. Before Bengal could tap the other source, western UP, Delhi, which traditionally meets its potato requirement from Punjab, carted away the stocks. At the same time, Bengal's old stocks found renewed demand as other states that used to depend on Punjab and western UP tapped the eastern state. Export from Bengal to other states resulted in a dip in supply in local markets and prices went up

    *

    And then?

    The Bengal government hammered in the last nail. The government pegged retail prices at Rs14 and then at Rs13 a kg. This created a fear psychosis among traders who diverted higher volumes to other states where a kilo was fetching as much as Rs 24 in the wholesale market



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