Saturday, June 22, 2013

खामोश! भूमंडलीकरण जारी है!

खामोश! भूमंडलीकरण जारी है!


पलाश विश्वास


महाश्वेतादी कहती हैं,अपराधी महाशक्ति है वह

दुनिया की कोई ताकत उसके खिलाफ

खड़ी नहीं हो सकती


महाश्वेतादी कहती हैं ,वैश्वीकरण का विरोधी

यानी उसके हितों पर चोट

बहुत भारी हैं उसकी जेबें


आइये,हम सब जेबकतरा बन जायें

आहिस्ते आहिस्ते उसकी जेबें काली कर दें


क्या वह दुनियाभर के लोगों पर

करेगा मिसाइलों की वर्षा

या फिर हमबनेंगे वियतनाम

अफगानिस्तान

या

इराक

इतना डर!


परमाणु विध्वंस के बाद

आज भी जीवित हैं

हिरोशिमा और नागासाकी

और हम?


दो


खामोश! भूमंडलीकरण जारी है

खामोश! पतन हो गया बगदाद का

खामोश! अब कहीं नहीं है सद्दाम


वे हमें मुक्ति देने आयेंगे


अब उनकी स्वतंत्रता का मतलब

क्या नहीं जानते भाई?


खाड़ी मे तैनात हैं उनकी मिसाइलें

उनके युद्धक विमान

बाप रे बाप!


खामोश! दादा चले हैं वसूली के लिए


तीन


तो क्या अब कश्मीर की बारी है?


कौन मूर्ख कहता है

आतंकवाद खत्म न हुआ

तो बातचीत नहीं


देखो, हम शांति गीत गा रहे हैं


दादा आये हैं, देखो

उनके स्वागत में गार्ड आफ आनर


और देखो,बाघा पर पर कैसा मधुर मिलन

हम मोमबत्ती जला रहे हैं


वाशिंगटन से आया है फोन


नहीं, हम उन्हें आश्वस्त कर देंगे

सीमा पर कोई तनाव नहीं है


अब देखो,क्रिकेट मैच भी शुरु होने वाला है


अश्वमेद यज्ञ के घोड़े से

आखिर किसे नहीं है डर?


चार


बैबिलोनिया के पुरखे मृत्योपरांत

बसते थे पाताललोक में


अब समूचा इराक पातालघर


वहां भी बनेंगे भारत , पाक

और

बांग्लादेश


वे कह रहे हैं सबको अपना

अलग देश चाहिए

शियाओं को, सुन्नियों को

और कुर्दों को भी


मुक्त कर दिया है करबला

जमकर मुहर्रम मनाइये


अब कहां बसेंगे पुरखे?


प्रेतात्माएं बाज की शक्ल में थीं कभी

अब तो बमवर्षक हैं या फिर मिसाइलें

या रंग बिरंगे युद्धपोत


मेसापोटामिया विस्मृत हुआ

अजायब घर का क्या कीजिये


गली कूचे में वे ही तैनात

आजादी से तनिक सांस लीजिये


पांच


बाजार की दीक्षा अभी  हुई नहीं पूरी

कल कारखाने भी नहीं हुए बंद


तमाम लोग कहां हुए हैं बेरोजगार


शौचालय तक में पहुंच गया इंटरनेट

हर हाथ में मोबाइल फोन


रोटी कपड़ा मकान की

क्यों फिक्र कीजिये


तनिक विनिवेश तो होने दीजिये


अखबारों की सुर्खियों पर

तनिक गौर कीजिये


फोटू हैं तमाम बेहद नंगी

चौदह जुलाई से खुली

आकाशगंगा का भी मजा लीजिये


चौबीसों घंटे नीली फिल्में

- वाह और क्या चाहिए


अब जाकर मिली है सही आजादी

कहो जय उनकी,जो कर दें मालामाल

जो बोले सो निहाल


छह


अखबारों,चैनलों का क्या कहिये

विदेशी पूंजी आने दीजिये


फ्रैन्चाइज मिल जाये बढ़िया से

बड़बोलों की छुट्टी कर देंगे


ठेके पर बहुत हाथ मिल जायेंगे


कंप्यूटर पर भले दिमाग और

दिल का क्या काम


बाजार से दोनों हाथ बटोरने दीजि्ये


पढ़कर क्या करोगे दोस्तों,

आंखों के लिए सबकुछ रंगीन है


कल था युद्ध विश्व व्यापी

आज भी युद्ध गृहयुद्ध विश्वव्यापी

युद्दक विश्व व्यवस्था विश्वव्यापी

खुला बाजार विश्वव्यापी


आत्मसमर्पण के सिवाय क्या कीजिये

या फिर गठबंदन साध लीजिये

देहमुक्ति की धर्मध्वजा फहरा दीजिये


याद कीजिये, सुंदरी मोनिका को

पामेला बोर्डेस को भूल गये क्या?


फिर थे सलमान रुश्दी


घोटाले और पर्दाफाश अनंत

रोज रोज के छापे और

नरसंहार

रंग बिरंगी हिंसा

व्याभिचार


मसाले क्या कम हैं?


सोचने का मौका कहां है, दोस्तों

जिनका भोंपू वहीं बजाये

साड्ढे नाल ऐश करोगे ,दोस्तों


सात


पातालघर के किस कोने में हैं सद्दाम हुसैन

कोई नहीं जानता

कोई नहीं जानता

किस घोड़े पर,किस तरफ चल दिये लादेन

कोई नहीं जानता


फिर भी जारी होते  वीडियो टेप रोज

और अखबारी बयान तमाम

जिहाद जारी है अनंतकाल से


न जाने किस यकृत प्राख्यापन से

भविष्यकथन से निर्धेशित होगा

अनंत गृहयुद्ध भी


हां, हमारे यहां भी


भविष्यवाणियां तमाम बेस्टसेलर

आइये, हम डरना सीखें

आइये, हम थरथराना सीखें


विरोध की बात भूल जाइये

प्रतिरोध की बात हरगिज मत कीजिये


बहरहाल, सामंतवाद फासीवाद को निशाना बनाइये

यात्राएं,रैलियां कीजिये


वे घरेलू हैं और पालतू भी


भूलकर भी साम्राज्यवाद का

नाम न लीजिये


उसे अब कौन रोकेगा

है कोई माई का लाल


तमाम कवि,साहित्यकार,संस्कृतिकर्मी

खामोश,सिर्फ बोलते हैं मीडियावाले


इस देश में अब सिर्फ मीडियावाले बोलते हैं

बोलते हैं उन्हीं की जुबान

उनके हाथ बहुत लंबे हैं


आठ


ठंडा का मतलब कोला

जेल हैं जहां, वहीं हल्ला बोला

कोला में है इराकी बच्चों का खून


तो कंप्यूटर और तकनीक में है

कामगारों के जिगर के टुकड़े


किस किस को रोइये, साहब


देखिये, मौसम कितना खराब है

सूखे की मार है

नदियां भी बिक गयीं

अनबंधी किसी नदी का नाम बताइये


प्राकृतिक आपदा की पड़ी है आपको

जो आया है, जायेगा

जिंदा है, तो मरेगा भी

उसका क्या मातम मनाइये


विकास दर कितनी तेज है

उसको भी देख लीजिये

शेयरों  की उछाल से

तबीयत हरी कर लीजिये


भूखों के देश में भुखमरी का

क्या कीजिये,प्रकृति को

जनसंख्या नियंत्रण करने दीजिये



तालाब,झीलों और नदियों पर भी

सीमेंट का जंगल नहीं देखते

फिर अरण्य का क्या कीजिये

अरण्य से बेदखली पर

सब्र से काम लीजिये


बड़ी बड़ी इमारतें,फ्लाई ओवर,

स्वर्णिम राजमार्ग, सेज, परमामु संयंत्र

देखकर उदित भारत मनाइये

भारत निर्माण की राह में बाधा

मत बन जाइये


नहीं देखते मेट्रो रेल

साइबार कैफे, आउटसोर्सिंग

सर्वव्यापी जींस प्रोमोटर राज

भूमि अधिग्रहण का विरोध क्यों कीजिये

पर्यावरण पर चीखकर क्या कीजिये


भूमंडलीकरण है और बारुदी सुरंगें बिछा दी है

उन्होंने हिमालय से लेकर समुंदर तलक में

सार संसाधन लूटकर ले जायेगें


आस्था से क्या होता है

आस्था चाहिए निवेशकों की

पूंजी का अबाध प्रवाह देखते जाइये


फिर यह अनंत फैशन परेड

दिक्दिगंतव्यापी बाजार में खपे हुए

खेत, खलिहान ,घाटी और झीलों को क्या रोइये


बंद बूंद को तरस रही जनता तो

मिनरल वाटर पीजिये


सैकड़ों करोड़ के मालिक बने जो

उनकी कमाई का राज कभी खुला है?


तो फिर किसका बायकाट!


सुपरलोटो और फारच्यून किसलिए

किसलिए यह पोंजी अर्थ व्यवस्था


किसलिए बंटते हैं मुफ्त कूपन, उपहार और

विदेश यात्राओं के टिकट,भाई?


किस्मत पर भरोसा कीजिये

फेंगशुई मुताबिक घर सजाइये

गुडलाक साड़ी पहन लीजिये


पर खुदा का वास्ता, मंदिर वहां बनायेंगे

सिर्फ बाजार के खिलाफ कुछ न कहो

कुछ भी मत कहिये


नौ


अब इन्हें देख लीजिये,खेल खत्म हुआ तो

राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दीजिये

राष्ट्रीय शोक भी मना लीजिये


तमाशबीन लौट चले घर के लिए

लूटखसोटकर घर जिन्हें भरना था,भर लिया

अकूत संपत्ति है उनके पास

सीबीआई जांचकरा लीजिये


स्टिंग भी हो जाने दीजिये

और चाहे तो कैग रपट भी

मामला कुछ ज्यादा फंसा हो

बलि का बकरा खोज लीजिये

निंदा प्रस्ताव पास करा दीजिये

थोड़ा हंगामा,थोड़ा वाक आउट

थोड़ी सिविल सोसाइटी हो जाने दीजिये

फिर सबकुछ रफा दफा समझ लीजिये


सबकुछ सीधा प्रसारण है

सबकुछ लाइव है

और विपक्ष का दबाव है

गठबंधन की मजबूरी है

सरकार अल्पमत में है

आपरेशन सहमति से कर लीजिये


राजनयिक कहां कहां नहीं दौड़े

कहां कहां नहीं बेच दिया देश

कितनी फिक्सिंग, कितनी मिक्सिंग

और कितनी सेक्सिंग

कितनी योजनाएं और कितनी घोषणाएं


कहां कहां नहीं किये फोन

अहाऍ पूंजी निवेश रुक जाता तो


जो जहां सत्ता में हैं, अपनी अपनी सत्ता बचाइये

जो जोर से बोलें, सवाल करें, काबू में न आये

उन सबको माओवादी बना दीजिये

जो बेदखली के खिलाफ करें प्रतिवाद

वे भी घोषित उग्रवादी

अल्पसंख्यक और आसान है

आतंक के खिलाफ युद्ध जोरों पर है

थोड़ा मुठभेड़ कर लीजिये

सरकार गिर रही है, तो मंडी खुली है

घोड़े खरीद लीजिये


मोटे मोटे अखबारों को जारी

कीजिये बयान ,विज्ञापन दीजिये

विज्ञापनों को समाचार बना लीजिये


दावतें दीजिये, पर्दाफाश कीजिये

हमारा लोकतंत्र अमर है

त्रिशुल औरर लाठी का खेल है

जन्मभूमि है या फिर स्वाभिमान

आरक्षण है या आरक्षण विरोध


विचारधारा थी ही कहां

जो सीढ़ी ती,उस पर चढ़ गये सभी

जो पिछड़ गये गधेराम वे ही तो

तालिंयां बजाने को बच गये.


अब मौसम बेहद सांस्कृतिक है

बहुराष्ट्रीय कंपनियां अनेक हैं

जो बिके नहीं हैं अभीतक

उन्हें भी लखटकिया पुरस्कार

बांट दीजिये


दस


किन पुरोहितों ने बतायी है उनकी वंशावली

किनने खोला डीएनए भेद,मूर्ख हैं वे

जो पढ़ते नहीं अकादमिक विरुदावली

किस देवगण में कौन देवता, कौन है देवी

तनिक इसकी तमिज भी साध लीजिये


सुंदरियों की नंगी टांगों पर पढ़ लें इबारत

किसको कैसे ठंडा करना है,भाई से पूछ लीजिये


सुमरियाव्यापी देवमंडल में बसे हैं तमाम जनरल


उन्हें नोबेल पुरस्कार जरुर मिलना चाहिए

लगे हाथ, अपनों के भी नाम सुझाइये


उनके इराक और अफगानिस्तान हैं तो क्या

हमारे भी है गुजरात, पूर्वोत्तर, दंडकारण्य,

कश्मीर और पूरा का पूरा हिमालय

कश्मीर पर तो उनकी लार टपकनी ही है


ठंडा का मतलब कोला मनुष्य का भाग्य गोला

उसमें अब वियाग्रा, जापानी तेल भी घोला


रोजगार नहीं तो एड्स और

एनजीओ का दफ्तर खोला


उनके हितों की रक्षा कीजिये

और पर्यावरण की दुहाई दीजिये


पहले बम बरसाइये

फिर राहत बांट लीजिये


क्या रक्का है इस जालिम दुनिया में

दुनियावाले प्यार के दुश्मन ते

अब खुल्लम खुल्ला प्यार नहीं, सेक्स करेंगे

दुनियावालों को तबाह कर देंगे


सर चुपाने को जगह नहीं

फिक्र क्यों कीजिये

चंद्र और मंगल अभियान हैं तो

चांद और मंगल पर घर बसायेंगे


खुला खुला बाजार है तो खुला खुला देश है

और खुली खुली है आकाशगंगा भी


( मूल कविता अक्षर पर्व के मई,2003 में प्रकाशित। मामूली तौर पर संशोधित।)







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