आखिरकार दार्जिलिंग को कश्मीर बनाने पर तुले क्यों है देश चलाने वाले लोग?
पलाश विश्वास
दार्जिंलिंग में हिंसा दावानल की तरह भड़क उठी है।
कल चार लोग इस हिंसा के शिकार हो गये।लाशें लेकर दार्जिलिंग के चौक बाजार में फिर जुलूस निकला है।
बहुत देरी से ममता बनर्जी ने इस मसले को सुलझाने के लिए पहाड़ के राजनीतिक दलों से बातचीत करने की पेशकश की है। लेकिन गोरखा आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार से कोई बातचीत करने से मना कर दिया है।
कल और आज दार्जिलंग पहाड़ का चप्पा चप्पा सुलग रहा है।दार्जिलिंग में फिर सेना लगा दी गयी है।लेकिन कार्शियांग से लेकर कलिंगपोंग तक जैसे हर कहीं हिंसा भड़क रही है,जैसे उग्र आंदोलनकारी और उनके समर्थक मरने मारने की शहादत मुद्रा में आ गये हैंं और रेलवे स्टेशन,पंचायत भवन,पुस्तकालय,सरकारी दफ्तर,पुलिस चौकी और वन दफ्तर थोक भाव से फूंके जा रहे हैं।उससे सेना शायद दार्जिलिंग जिले में सर्वत्र लगानी पड़ जाये।केंद्र की ओर से अभीतक बातचीत की पहल शुरु ही नहीं हुई है।
आखिरकार दार्जिलिंग को कश्मीर बनाने पर तुले क्यों है देश चलाने वाले लोग?
चीन से निबटने के लिए सेना और सरकार दोनों तैयार हैं।यह कैसी तैयारी है कि सिक्किम का मुख्यमंत्री पूछने लगे हैं कि क्या भारत में सिक्किम का विलय चीन और बंगाल के बीच सैंडविच बनने के लिए हुआ है?पवन चामलिंग के इस बयान का मौजूदा हालात के मुताबिक बहुत खतरनाक मतलब है क्योंकि चान ने सिक्किम को भी कश्मीर बना देने की धमकी दी है।
भारत चीन सीमा विवाद से गहराते युद्ध के बादल के मद्देनजर हालात का खुलासा हमने हस्तक्षेप पर किया तो लोगों ने हम पर राष्ट्रद्रोह का आरोप भी लगा दिया।अब देखिये,राष्ट्रभक्तों का राजकाज क्या है और राजनय क्या है।
हमने पहले ही लिखा है कि बंगाल के बेकाबू हालात राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और अखडंता के लिए बेहद खतरनाक, चीनी हस्तक्षेप से बिगड़ सकते हैं हालात।
हम पहले ही चेता चुके हैं कि बंगाल में जो बेलगाम हिंसा भड़क गयी है,राजनीतिक दलों की सत्ता की लड़ाई में उसके खतरे पक्ष विपक्ष में राजनीतिक तौर पर बंट जाने से बाकी देश को शायद नजर नहीं आ रहे हैं।
जिस दिन ममता बनर्जी अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ दार्जिलिंग में घिर गयी थी,उसीदिन हमने खासकर बंगालियों को वीडियो मार्फत बता दिया था कि सत्ता की राजनीति के आक्रामक रवैये और नस्ली अल्पसंख्यकों के दमन के उग्र बंगाली राष्ट्रवाद के नतीजतन बंगाल का फिर एक विभाजन होने वाला है और यही संघपरिवार का गेमप्लान है।बंगाल, पंजाब,बिहार,यूपी,महाराष्ट्र और उन सभी राज्यों से जहां से भी केंद्र की सत्ता को चुनौती मिलती है,उन्हें तोड़कर सत्ता के नस्ली वर्चस्व को निरंकुस बनाने के संस्थागत फासिज्म से देश का संघीय ढांचा चरमरा गया है।आधार से जहां नागरिकों की निजता,गोपनीयता और स्वतंत्रता का हनन हो रहा है,वहीं डिजिटल इंडिया में खेती और कारोबार में नरसंहार संस्कृति है।तो जीएसटी और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था कारपोरेट पूंजी के हवाले हैं।
हम रोजाना दार्जिलिंग के अपडेट सोशल मीडिया में लगातार डाल रहे हैं और बार बार चेता रहे हैं कि हिंदुत्व के कारपोरेट एजंडा से धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतें सचेत रहें।
बशीरहाट में दंगा भड़काने के लिए ममता बनर्जी के मुताबिक भारत बांग्लादेश सीमा खोल दी गयी हैं,जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र की है।
बशीरहाट में बाहरी और विदेशियों के व्यापक दंगा भड़काने की सािश अब बेनकाब हो गयी है।भोजपुरी फिल्म ही नहीं,बजरंगी सेना बांग्लादेश और गुजरात की हिंसा के दृस्य पोस्ट करके बंगाल में धार्मिक ध्रूवीकरण की कोशिश करते रहे हैं।
इस पूरे परिदृश्य में बंगाल में मीडिया ने बेहद सकारात्मक रवैया अपनाया है और रोजाना पेज के पेज साझा चूल्हे की विरासत के मुताबिक दोनों समुदायों के आपसी और निजी रिश्तों को लेकर लिखा गया है,टीवी पर दिखाया गया है।
अब यह संजोग ही कहा जायेगा कि दंगाई सियासत बेपर्दा होने के साथ उत्तर 24 परगना में जब अमन चैन का माहोल फिर बनने लगा है,तभी पहाडो़ं में नये सिरे से आग भड़क उठी है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने सिक्किम के मुख्यमंत्री को आज फोन पर कहा है कि दार्जिंलिंग के हालात का सिक्किम पर कोई असर नहीं होगा।सिलिगुड़ी से दार्जिलंग जिला पार करके ही सिक्किम जाना है और पहाड़ों में हिसा के साथ प्रतिक्रिया में मैदानों में भी हिंसा भड़कने लगी है और जब दार्जिंलिंग में चायबागानों में मृत्यु जुलूस का अनंत सिलसिला है,पर्यटन खत्म है और राशन पानी खत्म है,तो शुरु के दिन से ही सिक्किम की अघोषित आर्थिक नाकेबंदी चल रही है।
गोरखा आंदोलनकारियों का कहना है कि वे अलग राज्य मांग रहे हैं और उनकी मांग राज्य सरकार पूरी नहीं कर सकती।केंद्र सरकार ही यह समस्या सुलझायें तो ऐसे हालात में सभी पक्षों को बातचीत के लिए तैयार करने की कोई पहल केंद्र सरकार क्यों नहीं कर रही है?
दार्जिलिंग से भाजपा सांसद और बंगाल प्रदेश बाभाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष बार बार कहते रहे हैं कि वे छोटे राज्य का समर्थन करते हैं लेकिन भाजपा यह नहीं मानती कि वह गोरखालैंड का समर्थन करती है और वह यह दावा भी नहीं करती कि भाजपा गोरखालैंड का विरोध करती है।इसका मतलब क्या है।
कोलकाता से लगे समूचे उत्तर 24 परगना जिला हिंसा की चपेट में है और पहाड़ में दार्जिंलिग में बंद और हिंसा का सिलसिला खत्म ही नहीं हो रहा है।गोरखा जन मुक्ति मोर्चा ने अंतिम लड़ाई का ऐलान कर दिया है और पहाड़ों में बरसात और भूस्खलन के मौसम में जनजीवन अस्तव्यस्त है।
इस बीच खबरों के मुताबिक गोरखालैंड समर्थक आंदोलन के 25वें दिन रविवार को दार्जिलिंग में फिर से हिंसा भड़क गई। आंदोलनकारियों ने एक पुलिस शिविर को आग के हवाले कर दिया, जिसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। वहीं पोकरीबोंग में एक बीडीओ कार्यालय पर भी हमला किया गया।
जीजेएम कार्यकर्ताओं ने सूरज सुंदास और समीर सुब्बा के शवों के साथ चौकबाज़ार में एक रैली भी निकाली. ये लोग पुलिस गोलीबारी में मारे गए थे।
जीएनएलएफ ने ताशी भूटिया के शव के साथ सोनादा में एक जुलूस भी निकाला. वह भ। पुलिस गोलीबारी में मारा गया था।
प्रदर्शनकारियों ने सोनादा पुलिस थाना पर भी हमला किया और इसका एक हिस्सा फूंक दिया. पिछले दो दिनों में इस तरह का यह दूसरा हमला था।
सोनादा पुलिस थाना पर शनिवार को भी प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था। प्रदर्शनकारियों ने दार्जिलिंग में एक पुलिस बूथ को आग के हवाले कर दिया।
पोकरीबोंग में रविवार दोपहर एक बड़ी भीड़ ने एक बीडीओ कार्यालय और एक पुलिस शिविर पर हमला किया। कई पुलिसकर्मियों की पिटाई भी की गई।
इस बीच 18 जुलाई को होने वाली पर्वतीय पार्टियों की एक सर्वदलीय बैठक की तारीख 11 जुलाई कर दी गई है।
जीजेएम ने दावा किया है कि गोरखालैंड समर्थकों और पुलिस के बीच शनिवार को पर्वतीय क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में हुई झड़पों के बाद पुलिस गोलीबारी में चार लोग मारे गए हैं। उधर पुलिस ने गोलीबारी की खबरों से इनकार किया है और कहा कि इसने कोई गोली नहीं चलाई।
विकास बोर्ड के अध्यक्ष एमएस राय ने कथित हत्याओं के खिलाफ विरोध दर्ज़ कराते हुए बीती रात इस्तीफा दे दिया। जीजेएम ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वार्ता की पेशकश खारिज़ कर दी।
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