अगर हम आम जनता के खिलाफ एकाधिकारवादी कारपोरेट राज के खिलाफ हैं तो रिलायंस के खिलाफ मुकदमे से हमें क्यों परेशान होना चाहिए?
Delhi govt orders FIR against Mukesh Ambani, Moily and Murli Deora over gas prices
पलाश विश्वास
Palash Biswas I support this unprecedented move and hope the Nation should stand with this historical decision,It is the first ever direct assault against corruption inflicted corporated monopolistic raj in India. I do not believe in election oriented politics.But the eye opening initiative justifies our stance that the oil and gas UID scam is the basic cause of economic crisis made by the ruling hegemony to victimise Indian people.Whatever may be the cost for it the AAP may have ytp pay,it is irrelevant.They dated to catch the bull with its horns.I welcome this.
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी की पार्टी की राजनीति और उनका भविष्य चाहे कुछ भी हो,भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के तहत उन्होंने पहलीबार कोई ठोस पहल की है।
इस पर आगे चर्चा से पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष बतौर माले नेता जिस अखिलेंद्र प्रताप सिंह को करीब तीन दशक से हम जानते रहे हैं,उनसे गुजारिश है कि हमारे अग्रज और वैकल्पिक मीडिया के पुरातन सूत्रधार आनंद स्वरुप वर्मा की अपील मानकर वे अपना अनशन तुरंत तोड़ दें। सारी मांगें जायज होने के बावजूद इस राज्यतंत्र से सुनवाई की उम्मीद नहीं है। चौदह साल से लगातार आमरण पर चल रही इरोम शर्मिला का मामला हमारे सामने हैं। आगे लोकसभा चुनाव के बाद इस देश में बदलने वाली आर्थिक नीतियों के तहत कम से कम तीस फीसद जनता के सफाये का जो खुला एजंडा है,उसके मुकाबले राष्ट्रव्यापी जनपक्षधर मोर्चा के निर्माण का कार्यभार हमारे सामने है।ऐसे में असंवेदनशील सत्ता से न्याय की उम्मीद रखकर अखिलेंद्र जैसे साथी के आमरण अनशन का हमें औचित्य समझ में नहीं आ रहा है।उनकी सेहत और वक्त का तकाजा है कि वे हम सबकी अपील पर ध्यान दें।
अब याद करें,दिवंगत लौहमहिला इंदिरा गांधी की कृपा से सारे नियम ताक पर रखकर रिलायंस समूह को देश की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी बनाने की कथा।
जिनकी याददाश्त कमजोर है या जो नई पीढ़ी के लोग हैं,उनके लिए मुंबइया फिल्म गुरु का दर्शन ही बताने को काफी है कि कैसे मुकेश अंबानी का साम्राज्य गढ़ा गया।
कृपया दिमाग पर जोर डालें और याद कर लें कि सत्तर और अस्सी के दशक में अंबानी समूह के अनियमित उत्थान के विरुद्ध राजनीति और मीडिया में क्या क्या भूचाल आया था।
जिस व्यक्ति ने तब तमाम घोटालों का राज खोलकर खोजी पत्रकारिता के कीर्तिमान और मानक स्थापित किये थे,याद करें कि भारतीय नवउदारवादी अश्वमेध के तहत वे देश के पहले विनिवेश मंत्री बने और देश बेचो अभियान की शुरुआत भी उन्होंने ही की।
तब जो लोग अंबानी और रिलायंस के खिलाफ सबसे मुखर थे, वे तमाम लोग और राजनीतिक दल केंद्र और राज्यों में सत्ता में आकर रिलायंस के खिलाफ खामोशी बनाये रखी और इंदिरा गांधी के खिलाफ रिलायंस के मुद्दे पर जमीन आसमान एक करने वाले वे तमाम लोग किस हद तक पालतू हो गये,इतिहास के पन्ने पर तमाम नोट दर्ज हैं। पुराने अखबारों की फाइले ंपलट कर देख लें।
मुख्यधारा की राजनीति को न अबाध पूंजी प्रवाह से कोई विरोध है और न जनसंहार की नीतियों की आलोचना करते रहने के बावजूद सर्वदलीय सहमति और समन्वय से उन्हें लागू करने के लिए कायदे कानून और संविधान तक बदल डालने में कभी कोई हिचक हुई हो तो बतायें।
नस्ली भेदभाव के तहत देश भर में टुकड़ा टुकड़ा विदेश बनाकर उनके खिलाफ खुली युद्धघोषणा के तहत मनुष्यता,प्रकृति और पर्यावरण के सर्वनाश के कारपोरेट उपक्रम में साझेदार सारे विशुद्ध रक्त के धर्मोन्मादी पवित्र लोग साझेदार हैं।
कालाधन के खिलाफ जिहाद करने वाले लोग सामाजिक, मीडिया, रक्षा, संचार से लेकर खुदरा कारोबार तक विदेशी प्रत्यक्ष विनिवेश के पैरोकार हैं।
कालाधन के खिलाफ जिहाद करने वालों की सारी राजनीति कालाधन और कारपोरेट पूंजी के दम पर ही चलती है।
जो समता और सामाजिक न्याय का अलाप करते रहते हैं वे भी अलग अलग दुकानें चलाकर अस्मिता और पहचान की राजनीति की तरह ही सत्ता में भागेदारी के गणित के तहत कारपोरेट सत्ता वर्ग में शामिल हैं।
केंद्र में काबिज राष्ट्रीय दलों के अलावा राज्यों में सत्तारुढ़ क्षत्रपों की सारी क्रांति सांप्रादायिक जातीय ध्रूवीकरण के तहत देश को तोड़ने और आम जनता को लहूलुहान करते रहने की मुहिम में तब्दील हैं और इनके तमाम राष्ट्रीय नेता बेहिसाब संपत्ति और कालेधन के अंबार पर बैठे हैं।
पहले यह साफ कर दें कि हम आम आदमी पार्टी या अरविंद केजरीवाल के समर्थक नहीं हैं और न उनके भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में हम कहीं हैं।
चुनाव में जो भी सरकार बनती है, वह खुल्ला बाजार की कारपोरेट सरकार ही होती है और जनादेश का कोई संवैधानिक आधार है ही नहीं क्योंकि जनता के बदले आदेश कारपोरेट सत्ता के होते हैं।
मौजूदा व्यवस्था में सरकार चाहे वामपंथियों की बनें या चाहे समाजवादी या अंबेडकरी नीले झंडे की,चाहे प्रकाश कारत या बहन मायावती या इकानामिक टाइम्स में पेश नया खिलाड़ी वामन मेश्राम या ममता बनर्जी या मुलायम सिंह यादव या फिर अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री बन जाये, कुछ भी फर्क नही पड़ने वाला।
1991 से लगातार अल्पमत सरकारें एक के बाद एक जनविरोधी राष्ट्रविरोधी नीतियां और कानून पास करके लोकतंत्र और कानून के राज को अप्रासंगिक बनाते हुए,संविधान की रोज हत्या करते हुए आर्थिक नीतियों की निरंतरता बनाये रखते हुए फर्जी आंकड़ों और फर्जी संकट तैयार करके कृषि,कृषि जीवी भारत के बहुसंख्य जनगण और जनपदों का कत्लेआम करती रही हैं।
आगे यह सिलसिला और खतरनाक होने वाला है।
नमोमय भारत के बिना भी देश की सत्ता अमेरिकी औपनिवेशक गुलामी है,नस्लभेदी है,जनसंहारक है,सांप्रदायिक और धर्मोन्मादी है।
इसीलिए हम नरेंद्र मोदी को रोककर किसी और लाने की बात भी नहीं कर रहे हैं।
लेकिन सच यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व को विदेशी पूंजी,विदेशी निवेशकों, बहुराष्ट्रीय निगमों,इंडिया इंकारपोरेशन और कारपोरेट मीडिया का पुरजोर समर्थन है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी नमोमय भारत के पक्षधर हैं और मोदी के भाषण के सीधे रप्रसारण से अपनी जायनवादी विश्वव्यवस्था को साध रहे हैं।
जो लोग मोदी को गुजरात नरसंहार मामले में कटघरे में खड़े कर रहे थे, वे तमाम लोग मोदी को क्लीन चिट देने से अघा नहीं रहे हैं।
सार्वजनिक तौर पर नमो का विरोध और गुपचुप नमों से चुनाव परवर्ती समझौते की रणनीति आज की राजनीति है।
राष्ट्रव्यापी जनांदोलन का ख्वाब दिखाकर जो बहुजन संगठन महापुरुषों और संतों का नाम जापते हुए बहुसंख्य जनता से माल पानी एकत्रित करते रहे हैं और मसीहाओं के लिए बेहिसाब अकूत संपत्ति एकत्रित करते रहे हैं,उनका समूचा राष्ट्रव्यापी नेटवर्क और उनके हजारों स्वयंसेवी नमोमय बन चुके हैं और खासकर उत्तर भारत में नमो सुनामी के आयोजन में जुट गये हैं।
गौर करने वाली है कि अब तक साफ हो चुका है कि अब नमोमय भारत निर्माण के रास्ते में एकमात्र बड़ी बाधा आम आदमी पार्टी है ,जिसके बारे में देशभर में आम जनता गोलबंद होने लगी हैं अस्मिताएं तोड़कर।
दिल्ली पुलिस के खिलाफ धरने और अपने मंत्रियों के बचाव के लिए जो मीडिया आम आदमी पार्टी को कांग्रेस को खारिज करते हुए दूसरा विकल्प बताने से अघा नहीं रही थी,रातोंरात वह उसके विरुद्ध हो गया और नये सिरे से नमो सुनामी की रंग बिरंगी तैयारियों में जुट गया।
जब आप का खेल खत्म ही समझा जा रहा था तभी आम आदमी पार्टी ने शहादत की मुद्रा अख्तियार करके भारतदेश के सबसे बड़ी शक्ति से टकराने की ऐतिहासिक युद्ध घोषणा कर दी है।
जो लोग अब तक कालाधन निकालने की बात कर रहे थे, जो लोग अर्थ संक्ट,मुद्रास्फीति और मंहगाई की दुहाई देकर कांग्रेस को खारिज करके खुद को विक्लप बता रहे थे, उन्हें तो अगर अपनी घोषित विचारधारा के प्रति तनिक ईमानदारी होती तो कांग्रेस और कारपोरेट भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस मुहिम का खुल्ला समर्थन कर देना था।
लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।
मुरली देवड़ा और मोइली कांग्रेस के पूर्व और वर्तमान तेलमंत्री हैं,जिनके खिलाफ संसद में सारे विपक्षी दल हंगामा करते रहे हैं। अब जब उन्हें अंततः कटघरे में खड़ा करने की पहल हो ही गयी है, तो भ्राष्टाचार और कालाधन के खिलाफ धर्मोन्मादी नैतिक मुहिम चवलाने वालों के पेट में मरोड़ क्यों उठ रहा है.इस पर विचार करने की बात है।
हम भी मानकर चल रहे थे कि आम आदमी पार्टी कारपोरेट राज और कारपोरेट भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ ही नहीं सकती। लेकिन उन्होंने ऐसा करके हमारे आकलन को गलत साबित कर दिया है और खास तौर पर इससे नमो सुनामी की हवा पंक्चर हो जाने की नौबत आ गयी है,तो ईमानदारी, नैतिकता, राजनीति और रणनीति हर दृष्टि से हमें इस पहल का स्वागत करना ही चाहिए।
मैं कोलकाता से बाहर था। टीवी देख नहीं रहा था। नेट पर नहीं था। कल रात हमारे डायवर्सिटी मित्र एचएल दुसाध ने देर रात फोन करके बताया कि दिलीप मंडल जी चिंतित हैं कि अब तो देश आरक्षणविरोधी एनजीओराज के हवाले हो जायेगा। दिलीप मंडल और चंद्रभान प्रसाद के लिए खुल्ला बाजार बहुजनों के लिए स्वर्ण युग है। कारपोरेट राज के खिलाफ उनका कोई मोर्चा नहीं हैं। उनकी चिंता जायज है।
लेकिन मुझे डायवर्सिटी मसीहा दुसाध जी की चिंता पर थोड़ी हैरत हुई और मैंने उनसे पूछ ही लिया कि जब कांग्रेस या भाजपा या स्वार्थी मौकापरस्त कारपोरेट गुलाम तमाम लोगों के सत्ता में आने से हमें कोई चिंता नहीं है,तो केजरीवाल के सत्ता में आने से क्या फर्क पड़ने वाला है।
देश की बहुसंख्य जनता तो देश की लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत पार्टीबद्ध होकर खंडित हैं ही और उनकी बुनियादी समस्याएं जस की तस हैं, तो हमारी प्राथमिकता अलग अलग दलों, संगठनों,पार्टियों में कैद तमाम लोगों को एकताबद्ध करने की होनी चाहिेए न कि खुद पार्टीबद्ध नजरिये सा देश काल परिस्थितियों का आकलन करना चाहिए।
अगर हम आम जनता के खिलाफ एकाधिकारवादी कारपोरेट राज के खिलाफ हैं तो रिलायंस के खिलाफ मुकदमें से हमें क्यों परेशान होना चाहिए?
गैस की कीमतों को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से एफआईआर दर्ज करने के आदेश के बाद आज एंटी करप्शन ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज कर ली। मुख्यमंत्री केजरीवाल का दावा है कि एफआईआर में मुकेश अंबानी, पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली और मुरली देवड़ा, वीके सिब्बल सहित कुछ आरआईएल के अधिकारी और कर्मचारी भी आरोपी बनाए गए हैं।बताया जा रहा है कि एफआईआर आईपीसी की धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत की गई है।
दिल्ली में आम आदमी की सरकार की इस कार्रवाई से हम जो लोग देश के संसाधनों को रिलायंस के हवाले कर देने के खिलाफ लगातार लिखते रहे हैं,तेल और गैस की अर्थव्यवस्था पर उंगली उठाते रहे हैं,भारत के तेलमंत्रियों को रिलायंस का गुलाम बताते रहे हैं,उनके ही लिखे कहे की पुष्टि होती है।
अब इस कदम का हम विरोध करें तो कारपोरेट राज के खिलाफ, कालेधन के खिलाफ,कारपोरेट हित में प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट और जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिकता से बेदखली के खिलाफ हमारा सारा अभियान मिथ्या है।
विॆख्यात अर्थशास्त्री डा.अमर्त्य सेन ने भुखमरी के लिए कहीं भी साम्राज्यवाद या नस्लभेद को जिम्मेदरा नहीं माना है। वे मुक्त बाजार के नोबेलमंडित महाप्रवक्ता हैं लेकिन नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहते।
इसके बावजूद वे हिंदू राष्ट्र के एजंडा के मुताबिक ही हिंदुत्व के कर्मकांडी भाषा संस्कृत को ज्ञान विज्ञान के लिए अनिवार्य बता रहे हैं।
जिस जयपुर कारपोरट साहित्य उत्सव को लेकर इतना विवाद है,उसका उद्घाटन करते हुए मृत संस्कृत के पुनरात्थान का उनका वक्तव्य आया और बांग्ला अखबार आनंद बाजार में उसके पक्ष में संपादकीय भी छपा।
हमने इस पर सीधा सवाल उठाया कि तमिल और गोंड जैसी भाषाओं का देशभर में पठन पाठन क्यों नहीं होना चाहिए। लेकिन इस प्रश्न पर और अमर्त्य बाबू के संस्कृत प्रेम पर सन्नाटा नहीं टूटा है।
बंगाल में परिवर्तन और वाम शासन के पतन को बाकी देश सकारात्मक बताता रहा है। जबकि देश भर में मोदी के पीपीपी माडल को सैम पेत्रोदा के निर्देशन में ममता बनर्जी लागू कर रही हैं। उनके भूमि आंदोलन की वजह से टाटा समूह को गुजरात ले जाना पड़ा नैनो कारखाना। भूमि आंदोलन की वजह से ही ममता दीदी सत्ता में हैं और मुकेश अंबानी को भूमि देने में उन्हें कोई परहेज नहीं है। यही नहीं, कोलकाता को रिलायंस के थ्री जी स्पैक्ट्रम के हवाले भी कर दिया दीदी ने।
इस नजरिये से देखें तो केजरीवाल की पहल ऐतिहासिक है।
ममता दीदी की पहल पर असंवैधानिक आधार कार्ड को रसोई गैस के लिए नकद सब्सिडी से जोड़ने के खिलाफ बंगाल विधानसभा में सर्वदलीय प्रस्ताव पारित हुआ। लेकिन पेंटागन, नाटो और सीआईए की इनफोसिस और दूसरी कारपोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाली इस बायोमेट्रिकडिजिटल रोबोटिक निगरानी प्रणाली को रद्द करने की किसी राजनीतिक दल ने अभीतक मांग नहीं की है। इसके उलट फोन टैपिंग और साइबर निगरानी के लिए ममता दीदी कानून बदल रही हैं।
आप की जीत के साथ हमने आम आदमी पार्टी सरकार से गैरकानूनी आधार को खारिज करने की अपील की थी।
इनफोसिस को फायदा पहुंचाने की गरज से आधार परियोजना को तहत जो लाखों करोड़ का घोटाला हुआ और नागरिक संवाएं जो असंवैधानिकतरीके से निलंबि हुई तो रिलायंस विरोधी केजरीवाल की जंग के मद्देनजर हमारी तो आम आदमी पार्टी से अपेक्षा है कि वह आधार प्राधिकरण,नंदन निलेकणि और दूसरे निराधार आाधार कारपोरेट तत्वों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज करायें।
हम तो अपने वरिष्ठ पत्रकार साथी सुरेंद्र ग्रोवर से शत प्रतिशत सहमत हैं।
ग्रोवर जी ने एकदम सही सवाल दागा है,आप जवाब दें।
क्या कोई बता पायेगा कि अम्बानी ने देश को लूटने के अलावा किया क्या है..? कोई सार्वजनिक हित का काम किया है अम्बानियों ने..?
इस पर नीर गुलाटी ने लिखा है कि यह तो सब जानते है कि भारत में भ्रष्ट उद्योगपतियों, नेताओं और अफसरों का गठबंधन हो चुका है और भ्रष्टाचार संस्थगत रूप ले चुका है। अब प्रश्न यह है कि इसका मुकाबला केसा किया जाये। उनका मत है कि देश भर के ईमानदार समाजिक कार्यकर्ताओं और समाज वैज्ञानिकों को एक मंच पर आने से, और पेशेवर राजनितिक संस्कृति का विकास कर के ही इस समस्या का हल निकला जा सकता है।अब इस पर भी गौर करें।
फिर सुरंद्र जी का अगला सवाल भी मौजूं है।उन्होंने पूछा है
ये संगठित क्षेत्र इतना तिलमिलाया सा क्यों है..?
ग्रोवर जी का तीसरा सवाल भी बेहद प्रासंगिक है,गौर जरुर करें।
रिलायंस कोई विदेशी कम्पनी तो है नहीं फिर उसे डॉलर में भुगतान क्यों कर रही सरकार..?
मंगलवार को ही केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी, वर्तमान पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली और पूर्व मंत्री मुरली देवड़ा के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराने के आदेश दिए थे। एफआईआर में सेक्शन 120-बी यानी आपराधिक साजिश रचने और 420 यानी धोखाधड़ी की धाराएं लगाई गई हैं। केजरीवाल ने बताया था कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार-निरोधक शाखा (एसीबी) से पूर्व मंत्रिमंडल सचिव टीएसआर सुब्रमणियन, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल आरएच ताहिलयानी, जानी-मानी वकील कामिनी जायसवाल और पूर्व व्यय सचिव ई ए सरमा की शिकायत पर जांच करने के लिए कहा गया। शिकायत का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा कि रिलायंस ने देश के कुछ मंत्रियों के साथ मिलकर उत्पादन की लागत से ज्यादा गैस के दाम रखे हैं और जरूरत के अनुसार गैस का उत्पादन भी नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में गैस के दाम बढ़ाने की यह साजिश की जा रही है। उनका कहना है कि बिजली कंपनियां भी मजबूरन महंगी बिजली देंगी, खाद के दाम भी बढ़ेंगे। केजरीवाल ने कहा कि रिलायंस ने 1 अप्रैल से 8 डॉलर प्रति घन मीटर का दाम तय किया है, जो उत्पादन की लागत से काफी ज्यादा है। आरोप है कि रिलायंस को केंद्र सरकार ने कुछ कुएं दिए थे।
केजरीवाल का आरोप है कि वर्ष 2000 में जब कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ था, तब तय हुआ 17 साल के लिए ये एनटीपीसी को 2.3 डॉलर पर यूनिट की दर पर गैस देंगे, लेकिन रिलायंस ने ऐसा नहीं किया। केजरीवाल का कहना है कि फिर इनकी नीयत पलट गई और मंत्रियों से मिली भगत कर इस चार डॉलर प्रति यूनिट करवा लिया। इसके बाद लालच के चलते रिलायंस ने गैस उत्पादन कम किया और 18 प्रतिशत के करीब ही उत्पादन किया। उनका कहना है कि 1 अप्रैल से यह दाम 8 डॉलर हो जाएगा।
शिकायत का हवाला देते हुए केजरीवाल ने कहा कि गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से आरआईएल को 54,000 करोड़ रुपये सालाना का मुनाफा कमाने में मदद मिलेगी। उन्होंने आरोप लगाया 'कैग ने इन तेल-कुओं का लेखा परीक्षण किया था और अपनी रपट में कहा है कि रिलायंस को समय समय पर कुल 1.25 लाख करोड़ रुपये का अप्रत्याशित मुनाफा हुआ है।' केजरीवाल ने कहा कि आरआईएल ने केजी-डी6 क्षेत्र से 2.3 डॉलर प्रति इकाई की दर से गैस देने का 2000 में अनुबंध किया था।
याद करें कि हमने पिछले 30 अक्तूबर को ही लिखा थाः
What if India to ask Reliance to give up 80% of D6 gas block,Reliance got the meat!
Even after losing 80% of KG-D6 block, RIL going strong
सुधारों की वजह से ही यह आर्थिक संकट
लूट खसोट की वजह से ही आर्थिक संकट
पलाश विश्वास
सुधारों की वजह से ही यह आर्थिक संकट
लूट खसोट की वजह से ही आर्थिक संकट
आर्थिक संकट सिर्फ इसलिए है क्योंकि
अर्थव्यवस्था अब शेयर बाजार है और
कारपोरेट हितों के मुताबिक बाजार
साधने को होती मौद्रिक कवायदें
आर्थिक संकट सिर्फ इसलिए है क्योंकि
देश बेचने के सिवाय कुछ नहीं करती
भारत सरकार और उत्पादन प्रणाली
तहस नहस करके वाणिज्यिक सेवाएं
हैं तमाम बुनियादी सेवाएं विदेशी पूंजी
के बेहिसाब मुनाफे के लिए और इन्हीं
सेवाओं पर टिकी अर्थ व्यवस्था
रिजर्व बैंक प्रायोजित पेशेवर अनुमानकर्ताओं ने चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को मौजूदा 5.7 प्रतिशत से घटाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है। अपनी वृहत आर्थिक तथा मौद्रिक विकास दूसरी तिमाही समीक्षा 2013-14 में केंद्रीय बैंक ने कहा कि पेशेवरों के अनुमान से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में नरमी का संकेत मिलता है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2013-14 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर 4.8 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि इससे पहले इसके 5.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी। आर्थिक वृद्धि दर का ताजा अनुमान 2012-13 की 5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान से कम है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्वबैंक जैसी एजेंसियों ने भी भारत के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाया है। दोनों संस्थानों ने आर्थिक वृद्धि दर 4.3 से 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। हालांकि रिजर्व बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2013-14 की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि में कुछ सुधार संभव है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर 2013-14 की पहली तिमाही में 17 तिमाही के निम्न स्तर 4.4 प्रतिशत पर आ गई। इसके आधार पर 2013-14 में आर्थिक वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के स्तर के करीब हो सकती है।
शीर्ष बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही में धीमी वृद्धि के बाद दूसरी छमाही में कुछ सुधार की संभावना है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के बेहतर रहने से कृषि वृद्धि बेहतर रहने तथा निर्यात में वृद्धि को देखते हुए दूसरी छमाही में वृद्धि दर कुछ अच्छा रहने का अनुमान है।
केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि नरमी वैश्विक स्थिति का नतीजा है। हालांकि घरेलू कारकों से इसकी स्थिति और बिगड़ी है। इसे कुछ हद तक नीतिगत कदम से ठीक किया जा सकता है। रिजर्व बैंक ने कहा कि छोटी लेकिन सतत नीतिगत कदम से आर्थिक वृद्धि पटरी पर आ सकती है, देश की आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिये वृहत आर्थिक स्थिरता जरूरी है।
आर्थिक संकट सिर्फ इसलिए है क्योंकि
अस्पृश्य भूगोल के खिलाफ निरंतर जारी
युद्ध और बहिस्कृत समुदाय सारे बना दिये
असुर महिषासुर,जिनका वध निरंतर जारी
प्रकृति से हो रहा बलात्कार पल प्रतिपल
और प्राकृतिक सारे संसाधनों की खुली लूट
राष्ट्र के तत्वावधान में जनसंहारसंस्कृति
इसी को आर्थिक सुधार कहते हैं लोग
रुपये की गिरावट के पीछे वही सुधार
पुराना इतिहास देख लो भइया
कैसे लगातार मनमोहन अवतार के
बाद गिर रहा है रुपया और कैसे
मनमोहन से पहले बढ़ता रहा रुपया
कोयला का खेल जारी है और दागी सिर्फ
वही मारे जायेंगे जो असुर महिषासुर
पिंजड़े में बंद तोता सिर्फ लीपापोती
में माहिर और सुप्रीम कोर्ट का फैसला कभी
लागू ही नहीं होता और न अदालत की अवमानना
और संविधान की हत्या के विरुद्ध कहीं
दर्ज होती है कोई एफआईआर
महामहिम को रक्षाकवच है
सशस्त्र सैन्य बलों को भी रक्षाकवच
रक्षा कवच प्रधानमंत्री को भी
खुलेआम देश बेच रहे हैं तमाम
कारपोरेट चाकर,अब विनिवेश ही
राजकाज है,नीलामी राजकाज
जलजंगल जमीन से बेदखली राजकाज
नागरिकता डिजिटल बायोमेट्रीक
हर नागरिक की खुफिया निगरानी
सिर्फ दलाली और कमीशनखोरी
का पर्याय बन गयी राजनीति
कारपोरेट चंदे से चलनेवाली
हर तेल मंत्री सीधे तौर पर
रिलायंस का चाकर, हर तेलक्षेत्र
रिलायंस का और ओएनजीसी का
काम तमाम,विनियंत्रित तेल
विनियंत्रित हर जरुरी चीज
और बाजार निरंकुश
मुद्रास्फीति और मंहगाई बेलगाम
किसानों की सामूहिक आत्महत्या
का समय यह और कृषि मंत्री
आईपीएल खिलाड़ी धुरंधर
मजदूरों के कत्लेआम का समय यह
अथाह बेराजगारी का समय यह
हर सौदे में, हर समझौते में
कमीशनखोरी का समय यह
स्विसबैंक खातों का बेहिसाब समय यह
घोटाला दर घोटाला समय यह
और सारे युद्ध अपराधी राष्ट्रनेता
अब लीजिये, किरीट पारेख कमेटी ने
डीजल में एकमुश्त
5 रुपये प्रति लीटर की
एकमुश्त बढ़ोतरी की
सिफारिश की है
समझ लीजिये
दिवाली असली
किसकी है यारों
आप बेकार दांव लगाकर
मर खप रहे हैं यारों
आप बेमतलब
दिये जला रहे हैं
हत्यारों जला रहे
घी के दिये
दिवाली की अब
यही कथा है
सारी की सारी
रोशनी कालाधन में है
कालाधन ही लक्ष्मी है
अबाध विदेशी पूंजी
हर सेक्टर में
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
लक्ष्मी है
लक्ष्मी है
निवेशकों की आस्था
इसीलिए दोस्तों
आर्थिक संकट है
सारी रोशनी उनके हिस्से में
सारे के सारे घी के दिये
भी उनके हिस्से में
हमारे हिस्से में
बच गयी मां काली
मां काली ही
बचा सके तो
बच लेना यारों
बाकी दिवाला समझो
बीमा गयी,पेंशन गयी
गयी भविष्यनिधि
गयी ग्रेच्युटी
गयी नौकरी
आजीविका
और रोजगार भी लापता
हमारे हिस्से में
इस दिवाली में
भारी मंहगाई
सर पर मंडराता
अभूतपूर्व खाद्य संकट
हमारे हिस्से में
तबाह हुए सारे कल कारखाने
कब्रिस्तानबने चाय बागान
कपासऔर गन्ने के खेत
हमारे हिस्से में
देश के हर हिस्से में
रेडियोएक्टिन विकिरण
नगर महानगर
बेहिसाब प्रदूषम
सारा देश अब
ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंडी
कारपोरेट जो विकल्प है
जिसे सत्ता में लाने को
बेताब हैं हम सारे लोग
जनसंख्या संतुलन के
सिवाय कोई एजंडा नहीं
है उसके पास
भारत विभाजन में
भी हुआ जनसंख्या संतुलन
नये सिरे से फिर वही
जनसंख्या संतुलन
हर गाव अब सेज है
या फिर उपनगर है
या फिर परमाणु संयंत्र
या फिर अनंत डूब
अपना दिया
अंधेरी घुप्प रात में
कहां जलाओगे यारो
किस किसका हुआ
न्यारा वारा
आपको क्या मिला रिटर्न
बेटी की शादी कैसे करोगे
दिया जलाने से पहले
सोच लेना
क्रय शक्ति जिसकी
महाहुंकार है
कन्यादान उनके वहां
करने खातिर
अब क्या क्या बेचोगे यारो
खूब पढ़ाया बच्चों को
कोई धंधा बचा नहीं अब
कोई आजीविका बची नही
बचे नहीं खेत कोई
देहात हुआ श्मशान
बच्चों को कहां खपाओगे दोस्तों
दिवाली का दिया
जलाने से पहले
अच्छी तरह
सोच लेना दोस्तों
बाजार नई ऊंचाई के बेहद करीब हैं। क्या कहता है बाजार का अंकशास्त्र और कहां निवेश से होगा मुनाफा, इस पर जाने माने एस्ट्रो न्यूमेरोलॉजिस्ट संजय जुमानी की राय।
संजय जुमानी का कहना है कि 3,6,9 साल 2013 अंक हैं। साल 2014 के साथ 2, 7 अंक जुड़े हैं, जो स्वपिनल नंबर हैं। बाजार में तेजी जारी रहेगी, लेकिन उतार-चढ़ाव आ सकता है। इसलिए सावधान रहना जरूरी है। कर्क राशि, मीन राशि, सिंह राशि और साथ ही 1,2,4, 7 नंबर के लोगों के लिए साल 2014 बेहतर रहेगा।
संजय जुमानी के मुताबिक सर्विस देने वाले सेक्टर जैसे - कंसल्टंसी, टीवी इंडस्ट्री, बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस और इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, शिपिंग, आर्कीटेक्चर, डिजाइनिंग, बॉलीवुड, म्यूजिक, आर्ट इन सभी का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है। साथ ही, ग्रे मार्केट भी अच्छा रहेगा।
संजय जुमानी का मानना है कि सोने में और 2000-3000 रुपये की बढ़त आ सकती है। चांदी में भी तेजी आने की उम्मीद है। 2014 में चांदी में 15000 रुपये का उछाल मुमकिन है। लेकिन, इक्विटी के लिए और धैर्य रखना पड़ेगा।
संजय जुमानी का कहना है कि आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन का अंक 3 जो जुपिटर से जुड़ा है। जुपिटर संपत्ति से जुड़ा है। वहीं, नरेंद्र मोदी के सितारे प्रबल लग रहे हैं और उनके लिए अगले 3 साल अच्छे हैं। लेकिन, राहुल गांधी को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
ईपीएफओ ने अक्टूबर की शुरुआत में ऑनलाइन पीएफ ट्रांसफर की सुविधा लॉन्च तो कर दी। लेकिन, अब तक लोगों को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि पीएफ अकाउंट के ऑनलाइन ट्रांसफर में लोगों को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ईपीएफओ की वेबसाइट पर प्रॉविडेंट फंड अकाउंट का रियल टाइम बैलेंस भी नहीं पता चल रहा है।
ऑनलाइन सुविधा को पूरी तरह लागू करने में लंबा वक्त लग सकता है। ऑनलाइन पीएफ ट्रांसफर के पहले चरण में कई खामियां सामने आई हैं। ऑनलाइन ट्रांसफर को लेकर ईपीएफओ को रोजाना 70 से ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं। ऑनलाइन ट्रांसफर क्लेम पोर्टल सर्वर ज्यादातर समय डाउन रहता है। पोर्टल पर रियल टाइम बैलेंस का भी पता नहीं चल पा रहा है।
आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अब रेपो रेट बढ़कर 7.75 फीसदी हो गया है। रिवर्स रेपो रेट भी बढ़कर 6.75 फीसदी हो गया है। आरबीआई ने सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है और ये 4 फीसदी पर स्थिर है। एसएलआर 23 फीसदी है।
वहीं, मार्जिनल स्टैडिंग फैसलिटी (एमएसएफ) दर 0.25 फीसदी घटकर 8.75 फीसदी की गई है। साथ ही, 7 और 14 दिन के रेपो विंडो से मिल रही पूंजी को बढ़ाया गया है। एनडीटीएल के 0.25 फीसदी की जगह अब बैंक 0.5 फीसदी तक कर्ज उठा पाएंगे। आरबीआई ने म्यूचुअल फंड के लिए रेपो विंडो बंद किया है।
आरबीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2014 की दूसरी छमाही में ग्रोथ में सुधार आने की उम्मीद है। साल के अंत तक जीडीपी दर बढ़कर 5 फीसदी हो सकती है। वहीं, आरबीआई को महंगाई में उछाल आने की आशंका है। रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) 9 फीसदी के स्तर पर रहने की संभावना है।
आरबीआई के मुताबिक पॉलिसी के जरिए महंगाई पर काबू पाना होगा। आरबीआई का कहना है कि बैंकों को लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए डिपॉजिट पर जोर देना होगा। करंट अकाउंट घाटे पर दबाव घटा है।
क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने ग्राहकों को राहत दी है। आरबीआई ने कहा है कि सेविंग और टर्म डिपॉजिट पर हर हफ्ते या हर महीने ब्याज मिल सकता है। नवंबर-दिसंबर में महंगाई आधारित बॉन्ड आ सकते हैं। इंफ्लेशन इंडेक्स्ड बॉन्ड्स रिटेल महंगाई पर आधारित होंगे। एसएमएस अलर्ट के लिए बैंक इस्तेमाल के हिसाब से चार्ज कर सकते हैं।
साथ ही, 10 साल की अवधि वाले इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए नियम नवंबर में जारी किए जाएंगे और दिसंबर तक एक्सचेंज इन फ्यूचर्स को लॉन्च करेंगे। आरबीआई रीस्ट्रक्चरिंग और रिकवरी बेहतर बनाने के लिए कदम उठाएगा।
नए बैंक लाइसेंस के लिए बनाई गई कमेटी पर पहली बैठक 1 नवंबर को होगी। सब्सिडिरी बनाने के लिए विदेशी बैंकों के पास 500 करोड़ रुपये का कैपिटल होना जरूरी है। नवंबर में विदेशी बैंकों के सब्सिडराइजेशन स्कीम जारी की जाएगी।
क्रेडिट पॉलिसी की अगली मिड-क्वॉर्टर रिव्यू बैठक 18 दिसंबर को होगी। अगली क्रेडिट पॉलिसी 28 जनवरी 2014 को जारी की जाएगी। ग्राहक सेवाओं और ग्राहक सुरक्षा के नियम मार्च 2014 तक जारी किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन, सी रंगराजन का कहना है कि आरबीआई पॉलिसी उम्मीद के मुताबिक रही है। रेपो रेट में बढ़ोतरी का मतलब है कि आरबीआई को महंगाई में उछाल आने की आशंका है। आगे रेपो रेट को लेकर आरबीआई का फैसला महंगाई पर निर्भर करेगा। थोक महंगाई दर 5.5-6 फीसदी रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2014 में कृषि क्षेत्र की ग्रोथ 5 फीसदी से ज्यादा रह सकती है।
रेपो रेट में बढ़ोतरी को तो बाजार ने आज नजरअंदाज कर दिया लेकिन एचडीएफसी लाइफ के फंड मैनेजर बद्रीश कुल्हाली का मानना है कि अगर आगे भी रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की आशंका है। वहीं ब्लू ओशन कैपिटल के फाउंडर और सीईओ निपुण मेहता का कहना है कि आरबीआई का फैसला बाजार के लिए अच्छा है, अब बाजार की नजर फेड की बैठक पर है।
ब्लू फिन के देबोपम चौधरी का कहना है कि केवल कृषि के भरोसे ग्रोथ को बढ़ाया नहीं जा सकता। लिहाजा आरबीआई को महंगाई के अलावा ग्रोथ बढ़ाने पर भी जोर देना चाहिए। महंगे लोन से ऑटो सेक्टर को खासा नुकसान पहुंच रहा है। हीरो मोटो के सुनील कांत मुंजाल ने इस सेक्टर में जान फूंकने के लिए लोन सस्ता करने की मांग की है।
ओबीसी के ईडी भूपिंदर नायर का मानना है कि आरबीआई के फैसले से छोटी अवधि में जमा दरों में कमी आएगी, लेकिन लंबी अवधि में दरों में बढ़ोतरी की संभावना जताई है। केयर रेटिंग के मुताबिक महंगाई के कारण रेपो रेट में एक बार और बढ़त हो सकती है।
फिक्की का मानना है कि आरबीआई की पॉलिसी के बाद निवेश बढ़ने की उम्मीद है। एडेलवाइस के मुताबिक रेपो रेट में उम्मीद के मुताबिक बढ़त से राहत मिली है। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का मानना है कि हर हफ्ते या हर महीने ब्याज देने से बैंकों की लागत बढ़ेगी।
सिटी यूनियन बैंक के एन कामकोडि का कहना है कि आरबीआई की ओर से काफी संतुलित फैसले लिए गए हैं। बैंक की लिक्विडिटी अच्छी है जिसके बाद फिलहाल ब्याज दरों में बढ़ोतरी का कोई इरादा नहीं है। साथ ही आरबीआई के हर हफ्ते या हर महीने ब्याज देने के फैसले फंड की लागत पर तुरंत असर नहीं होगा।
बैंकों ने रघुराम राजन की पॉलिसी की जमकर तारीफ की है। एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य के मुताबिक रघुराम राजन ने बेहद संतुलित पॉलिसी पेश की है लेकिन कर्ज सस्ता होने की उम्मीद अभी कम ही है।
एचडीएफसी बैंक के एमडी आदित्य पुरी का कहना है कि तुरंत कर्ज सस्ता होने की उम्मीद कम है, लेकिन आगे महंगाई कम होने पर ही स्थिति सुधरेगी। पंजाब नेशनल बैंक के सीएमडी के आर कामत का कहना है कि एमएसएफ दरों में कटौती एक बेहतर कदम है और एमएसएफ दर घटने से बाजार में नकदी आएगी।
वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने मौजूदा आर्थिक संकट से निजात पाने तथा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सुधारों, कम से कम प्रतिबंधों तथा अधिक खुली अर्थव्यवस्था की वकालत करते हुए दस उपाय करने की घोषणा की है।नियम 193 के तहत 'देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति' पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्री चिदम्बरम ने आर्थिक विकास बढ़ाने के उद्देश्य से राजनीतिक दलों से आपसी मतभेद भुलाकर कुछ उपायों पर सहमत होने की अपील की। चिदम्बरम ने भूमि अधिग्रहण के रास्ते में स्थानीय विरोध एवं अदालती फैसलों के कारण आने वाली रुकावटों पर चिंता जताते हुए कहा कि इस संबंध में कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए क्योंकि जब भूमि का अधिग्रहण ही नहीं होगा तो उद्योग कैसे लगेंगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के विरोधों के कारण विद्युत परियोजनाओं को लगने में भी दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि वे मानते हैं कि देश की राजनीति विभाजित है लेकिन हम अपने मतभेदों को भुलाकर ऐसे कदम उठा सकते हैं ताकि देश के आर्थिक वृध्दि दर को पांच फीसदी से आगे बढ़ा सके। उन्होंने विश्वास जताया कि उनकी सरकार जो कदम उठा रही है उससे देश की अर्थव्यवस्था अधिक मजबूत होकर उभरेगी।
वित्तीय घाटे की चर्चा करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि हर हाल में इसे काबू में रखना है और चालू वित्त वर्ष में इसे 4.8 फीसदी पर नियंत्रित रखने के लिए हर संभव उपाय किए जाएंगे। इसके अलावा चालू खाता घाटे को 70 अरब डॉलर या उससे कम पर नियंत्रित किया जाएगा जो पिछले वर्ष 88 अरब डॉलर था। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार अभी पर्याप्त है और इसे बढ़ाने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाएगी। चिदम्बरम ने विभिन्न परियोजनओं में निवेश को बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि सरकार ने 173 परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें एक लाख 90 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश होगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल की निवेश संबंधी समिति की कल की बैठक में ही 18 और परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा कि रूकी हुई परियोजनाओं में भी काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में इस साल 14 हजार करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव था लेकिन हम चाहते हैं कि उनमें और अधिक पूंजी निवेश किया जाए ताकि दुनिया भर में बड़ा संदेश जाए। उन्होंने अच्छे मानसून की चर्चा करते हुये कहा कि सरकार इसका फायदा उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने टेलीविजन जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरणों एवं अन्य उपभोक्ता वस्तुओं को विदेशों से लाए जाने की प्रवृति को हतोत्साहित करने की जरूरत पर बल दिया जिनका देश में ही निर्माण हो रहा है। उन्होंने निर्यात बढ़ाने के उपायों पर जोर देते हुए कहा कि चालू घाटा को कम करने का यह स्थाई उपाय हो सकता है।
श्री चिदम्बरम् ने कहा कि हमें कोयला एवं लौह अयस्कों के खनन में बने गतिरोध को दूर करने के उपाय निकालने होंगे।
चिदम्बरम के सूत्र
वित्तीय घाटे को नियंत्रित करना
चालू खाता घाटे को कम करना
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाना
निवेश में वृध्दि
सार्वजनिक उपक्रमों के पूंजी निवेश कार्यक्रमों का कारगर क्रियान्वयन
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको में अधिक पूंजी निवेश करना
अच्छे मानसून का भरपूर लाभ उठाना
विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना
निर्यात को प्रोत्साहित करना
कोयला-लौह अयस्कों के खनन के मामले में गतिरोध दूर करना
What if India to ask Reliance to give up 80% of D6 gas block,Reliance got the meat!As per Forbes' annual list of India's 100 richest, their total wealth grew by a modest 3 per cent from a year ago to $ 259 billion.
वित्त वर्ष 2014 की दूसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का मुनाफा 2.6 फीसदी बढ़कर 5490 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में कंपनी का मुनाफा 5352 करोड़ रुपये रहा था।
वित्त वर्ष 2014 की दूसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज की बिक्री 18.4 फीसदी बढ़कर 103758 लाख करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में कंपनी की बिक्री 87645 करोड़ रुपये रही थी।
वित्त वर्ष 2014 की दूसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का जीआरएम 7.7 डॉलर प्रति बैरल रहा। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का जीआरएम 8.4 डॉलर प्रति बैरल रहा था।
वित्त वर्ष 2014 की दूसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का एबिटडा 7849 करोड़ रुपये रहा, जबकि अनुमान 7400 करोड़ रुपये का था। तिमाही-दर-तिमाही आधार पर जुलाई-सितंबर में कंपनी का एबिटडा मार्जिन 8.1 फीसदी से घटकर 7.6 फीसदी रहा।
वित्त वर्ष 2014 की दूसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज की अन्य आय 18.7 फीसदी घटकर 2060 करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में कंपनी की अन्य आय 2535 करोड़ रुपये रही थी।
वित्त वर्ष 2014 की दूसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का एबिटडा 7849 करोड़ रुपये रहा, जबकि अनुमान 7400 करोड़ रुपये का था। तिमाही-दर-तिमाही आधार पर जुलाई-सितंबर में कंपनी का एबिटडा मार्जिन 8.1 फीसदी से घटकर 7.6 फीसदी रहा है।
तिमाही-दर-तिमाही आधार पर जुलाई-सितंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेटकेम कारोबार का एबिट 1888 करोड़ रुपये से बढ़कर 2504 करोड़ रुपये रहा है। पेटकेम कारोबार का एबिट मार्जिन 8.6 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी रहा है।
तिमाही-दर-तिमाही आधार पर जुलाई-सितंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिफाइनिंग कारोबार का एबिट 2951 करोड़ रुपये से बढ़कर 3174 करोड़ रुपये रहा है। रिफाइनिंग कारोबार का एबिट मार्जिन 3.6 फीसदी से घटकर 3 फीसदी रहा है।
तिमाही-दर-तिमाही आधार पर जुलाई-सितंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज के ऑयल एंड गैस कारोबार का एबिट 352 करोड़ रुपये से बढ़कर 356 करोड़ रुपये रहा है। ऑयल एंड गैस कारोबार का एबिट मार्जिन 24.2 फीसदी से घटकर 24 फीसदी रहा है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज का कहना है कि कंपनी के पास 90540 करोड़ रुपये की नकदी है। 30 सितंबर 2013 को कंपनी नेट बेसिस पर डेट फ्री है। रिलायंस जियो को टेलिकॉम विभाग से लेटर ऑफ इंटेंट मिला है। सिंगापुर में रिलायंस जियो को फैसलिटी बेस्ड ऑपरेटर लाइसेंस मिला है। क्वालालंपुर में रिलायंस जियो ने बे ऑफ बंगाल केबल सिस्टम के लिए करार किया है।
वित्त वर्ष 2014 की पहली छमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पॉलिमर उत्पादन 2.3 एमएमटी रहा है। क्रूड थ्रूपुट बढ़ने से कंपनी के रिफाइनरी कारोबार को फायदा हुआ है। दूसरी तिमाही में जामनगर रिफाइनरी में 17.7 एमएमटी क्रूड की प्रोसेसिंग हुई है। कंपनी ने ओएनजीसी के साथ पूर्वी तट पर इंफ्रा फैसलिटी के लिए करार किया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन, मुकेश अंबानी का कहना है कि पहली छमाही के प्रदर्शन से कंपनी के बिजनेस कारोबार की मजबूती नजर आती है। अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव के बावजूद कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। पेटकेम कारोबार के मार्जिन में भी सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2014 की पहली छमाही में रिटेल कारोबार की ग्रोथ 41 फीसदी रही है।
"The decision was taken because RIL did not adhere to the timelines for appraisal, commerciality and field development plan," Oil Secretary said.
Now that the Sensex has breached its all-time closing high of 21,004 by ending the day at 21,033.97; all eyes are now on the 22,000 mark, its next target.Meanwhile,consumer confidence level in India declined compared with the previous quarter but India remained third most bullish consumer market in the world, the Nielsen global survey said.
Raghuam Rajan today said the central bank may be done with interest rate increases as their impact on the economy is assessed.
Raghuram said India now is in a better position to face the US Federal Reserve's unwinding of its easy money policy whenever it takes place.
Most amusing news you should enjoy that the government will soon introduce inflation-based certificate to provide some cover to households from impact of inflation, a senior Finance Ministryofficial has said. On the other hand,the Cabinet approved some amendments that were made to the Food Security Bill including the extension of deadline for implementing the law to one year from six months.At the same time,Government reduced the minimum export price of wheat by $40 per tonne to $260 per tonne as it found no buyer at the higher floor price of $300.Retail prices of onions have quadrupled in some cities over the past 3 months and have helped push inflation to 6.46% in September.
"Government of India is very soon coming-up with inflation based certificate which is aimed at neutralise the impact of inflation," Joint Secretary (Budget) in the Ministry of Finance Rajat Bhargava said while inaugurating workshop on voluntary saving.
"Government of India is very soon coming-up with inflation based certificate which is aimed at neutralise the impact of inflation," Joint Secretary ( Budget) in the Ministry of Finance Rajat Bhargava said while inaugurating workshop on voluntary saving.
The workshop was organised to mark the World Thrift Day which is being celebrated all over the world.
Bhargava also requested participants to deliberate on how new technology like mobile banking can be used for delivery of banking services.
On the occasion, National Saving Institute (NSI) Director In-charge A K Chauhan emphasised need to evolve a strategy and mechanism of linking Self Help Groups (SHGs) and other collectives with National Saving Schemes.
The workshop was attended by various practioners working in the field, representatives from Macro Finance Institutions (MFIs) and officials of Department of Post among others.
Even after losing 80% of KG-D6 block, RIL going strong, economic time reports:
: It seemed a killer blow for Reliance IndustriesBSE 0.09 % — losing 80% of the prolific KG-D6 block along with several discoveries. So what does this really mean for the deep-sea block of Mukesh Ambani's company, which has generated more controversy than natural gas in recent years? The market verdict is clear.
RILBSE 0.09 % shares rose 0.7% on BSEaday after it was reported the oil ministry will take back 80% of KG-D6 block, including five discoveries, because the company did not abide by deadlines.
The market's seemingly counter-intuitive response is because the real meat of D6 block is in the 20% area that remains in RIL's control, industry sources say.''
The part of the block RIL will retain contains all the fields and discoveries that, it hopes, will ramp up output to 40-60 mmscmd in about four years from less than 10 mmscmd. As a result, Reliance's top brass is taking the ministry's decision in its stride despite the loss of some gas discoveries.
Sources familiar with the company's thinking say the feeling in Reliance is that the minister is taking decisions on the basis of merit perceived by him, not out of an agenda to help or hurt a company. While these fields have gas worth an estimated $6.8 billion, the number is an estimate of the Directorate General of Hydrocarbons (DGH), which also thinks the existing fields have much more gas than RIL andBP believe.
Sanjeev Prasad, senior executive director & co-head, Kotak Institutional Equities, said RIL's oil and gas business has very little weightage, so the loss of some discoveries won't have a significant impact on the share price in the near term. "But if going ahead approvals for new projects like the satellite fields get stuck, then the markets will react negatively."
Significantly, the loss of 80% of the block will not interfere with the development plans of the R-series and satellite fields. The fields in the area to be relinquished have so far not been declared commercially viable and would have taken many years as the government takes time to declare the fields viable, then the company submits a development plan, after which the field is developed and connected to the pipeline network, said the sources familiar with the company's thinking.
Further, the company may choose to bid again for these fields if there is a fresh auction. For a new company to bid, the costs would be much higher as RIL already has the infrastructure along with a deep understanding of the complex geology of the region.
Jal Irani, head of research at Macquarie Securities, said: "This news will not have a great impact on the company's share price as RIL's E&P business is no longer a driver for the stock; in fact, it only has a 10% weightage in the stock now and KG-D6 part is even less. As for BP, it's a strategic investment for them, they understand that the E&P business has a long gestation period and they understand the business better than RIL." BP remains upbeat about India. "With regards to our investments in India, we reiterate that this was and continues to be a great investment for BP," a spokeswoman for the company's Indian operations said.
"We see three very clear sources of value for BP. Firstly, from the substantial medium-term opportunities for developing already discovered gas; secondly from finding new oil and gas across different blocks; and thirdly from establishing our gas marketing joint venture. There are several economically recoverable resources in KG-D6 block that are in various phases of approval for development," the spokeswoman said.
Mind you,as money control.com report:
1. Reliance Industries results for the quarter ended 30th September 2013 have clearly surpassed the estimates. 2. The petchem margins at 10.05 percent is a clear positive surprise which had influential positive impact on the overall results. Even though GRMs (Gross Refining Margins) are subdued, the petchem margins have significantly outperformed. 3. Other key aspect of the results for this quarter is that the contribution of the core business to overall profitability is significantly higher. In the earlier quarters, the "Other Income" component has played significant role in the determination of the overall profitability. 4. For instance, in the quarter ended 30th June 2013, the contribution of "Other Income" to profit before tax is about 38 percent. However, in the current quarter ended 30th September 2013, the contribution of "Other Income" to profit before tax has reduced to 30 percent. 5. This is an encouraging sign as the core business has started to contribute more to profitability. 6. Overall, this has proved to be a very healthy quarter from Reliance. 7. The future quarters profitability will depend largely on the improvement of Gross Refining Margins, deployment of cash and KG-D6 basin gas production volumes revival.
Now India will ask Reliance Industries Ltd to relinquish 80 percent of its east coast deepwater D6 gas block, including five discoveries, as the energy major has not adhered to timelines for developing the area, the oil secretary said.
"We are waiting for the oil minister`s final order," Vivek Rae told Reuters on Tuesday, referring to the instruction telling Reliance to relinquish the discoveries in the 7,645 square kilometre D6 block.
The five discoveries within D6 are D4, D7, D8, D16 and D23. Rae said Reliance failed to submit reports on the commercial viability the five discoveries on time.
He said the relinquished area will be auctioned in subsequent licensing rounds. The relinquished area does not contain any producing fields.
Total reserves in these five discoveries in the Krishna Godavari basin are estimated to be 805 billion cubic feet, two sources with direct knowledge of the matter said. The sources declined to be named due to the sensitivity of the issue.
No decision has yet been taken on the fate of the remaining three fields in the D6 block -- D29, D30 and D31 -- which are estimated to hold about 350 billion cubic feet of gas reserves, Rae said.
He said Reliance had submitted commerciality declarations of the three discoveries on time but had not carried out the necessary tests.
A Reliance Industries spokesman declined to comment.
Natural gas output from the Krishna Godavari basin`s D6 block, in which BP has a 30 percent equity stake, has declined to 14 million cubic metres per day (mmscmd) from 60 mmscmd at the end of 2010.
The companies have cited geological complexities for the fall in output, which has been in steady decline since 2010, while the oil regulator believes they failed to drill enough wells.
Business standard reports:
No hit from order to give up KG-D6 discoveries, says RIL
Company says it hasn't made any investment in it
After the petroleum ministry's order to Mukesh Ambani-led Reliance Industries to relinquish five gas discoveries with immediate effect, both the company and industry sources have said the decision would hardly affect RIL's KG-D6 prospects, even as it worries the industry.
The entry of a new developer through competitive bidding would delay the development of discoveries by at least 10 years. These five discoveries — D4, D7, D8, D16 and D23 — with 805 billion cubic ft (bcf) of reserves and $10 billion of natural gas are to be relinquished immediately. They constitute 80 per cent of the KG-D6 block.
'Haven't made any investment'
Said a senior RIL executive: "Though area-wise, this is a larger part of KG-D6, the reserves are comparatively lower. Moreover, we haven't made any investment there." According to experts and the company, the move might affect the future of the five discoveries, because given the marginal nature of discoveries, standalone development would be unviable, even if government puts it up for competitive bidding on a priority basis. In a presentation to the petroleum ministry on September 18, RIL had argued that "if taken back, (these blocks) will not be considered in integrated development plan of existing facilities and would face integration issues, if at all developed later.
Also carving out block, award and development by new company would defer any production by at least eight to 10 years".
A BP executive refused to comment on a petroleum ministry letter of October 23 that asked for immediate relinquishment of blocks.
A senior executive from Niko Resources said: "These are pure rumours. There is a proposal to relinquish 56 per cent only. We do not believe this and will follow, in letter and spirit, whatever is mentioned in the production sharing contract." With a 60 per cent stake, RIL is the operator for the KG-D6 block, while BP and Canada's Niko Resources own 30 per cent and 10 per cent, respectively.
"The issue is, the Indian government is happy buying gas at $15 a million British thermal unit. None is interested in developing the assets that is available already," the Niko executive added.
Dhaval Joshi, research analyst at Emkay Global Financial Services said: "RIL has not incurred any major capex on these 'to be relinquished' discoveries. However, it will be a step back in reviving the production from KG basin as these discoveries were part of the satellite field and were on track to increase the production from 2017. We don't see much of concern given the size of the reserves and its impact on E&P valuation."
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With the present order, RIL would be left with 1,446.12 sq km of KG-D6, including development & discovery areas. The shortfall in production against approved targets in the past four years has been 154 million standard cubic metres a day. On the other hand, the three discoveries — D29, D30 and D31 — that would go for clearance to the Cabinet Committee of Economic Affairs would have natural gas worth $4 billion.
However,Reliance Industries has said it will invest $3.2 billion in bringing to production the satellite D34 gas discovery to reverse the decline in output at the Bay of Bengal KG-D6 block.
RIL said the D34 discovery, which holds 1.2-1.4 trillion cubic feet of gas reserves, will start producing in four years with peak output of 12 million standard cubic meters per day.
The reserves in D34 discovery are one-third of the revised inplace volumes at the main Dhirubhai-1 and 3 (D1&D3) gas fields in KG-D6 block. The envisaged peak output is more than D1&D3's current production of 10 mmscmd.
In an investor presentation after declaring financial results for July-September quarter, RIL said the D34 find was made in 2007 and a field development plan was submitted to authorities in January this year.
The investment plan was "approved by Management Committee (MC) of KG-D6 block in August 2013," it said.
RIL and its partner BP plc of UK plan to quickly bring satellite fields in the KG-D6 block to production to help reverse the decline in output.
The duo are investing $1.529 billion in four other satellite fields that can produce 10 mmscmd.
D34 and the four satellite are expected to begin producing around the same time in 2017-18.
RIL said it will drill 8 development wells on D34 and lay a pipeline to take the gas to the existing facilities of D1-D3 fields from where it will be transported onshore.
"Estimated capex is USD 3.2 billion excl. taxes/duties," it said. "Gas production rate (envisaged is) up to 12 mmscmd, first gas expected in 4 years."
RIL, the operator of KG-D6 block with 60 per cent interest, had on January 30 submitted the Field Development Plan (FDP) for D-34 field to oil regulator DGH.
DGH after examination trimmed down the recoverable reserves to 1.191 Tcf from 1.413 Tcf estimated by RIL. Also, the peak output was lowered from 14.9 mmscmd estimated by RIL.
The Dhirubhai-34 or D-34 gas discovery in the southern part of KG-D6 block in Krishna Godavari basin was notified in May 2007. The find was declared commercially viable by MC in November 2011.
RIL has so far made 19 gas discoveries and 1 oil find in the KG-D6 block. Of these, D1&D3 gas fields were brought to production in April 2009 while MA oilfield began pumping oil in September 2008.
D-34 is part of what is known as R-Cluster of discoveries.
R-Cluster comprises of four discoveries — D-29, 30, 31 and 34. Of these, only D-34 has so far been declared commercially viable while the Declaration of Commerciality (DoC) of others has been refused in absence of DGH prescribed tests confirming the discoveries.
RIL estimates that output from KG-D6 can reach up to 60 mmscmd by 2019 when all of the satellite fields are put into production.
Meanwhile,Reliance Industries has trashed a report of DGH-appointed one-man expert on reasons for fall in output at its KG-D6 fields saying the study of such a complex reservoir was prepared and issued in just one week.
The 11-page report by reservoir expert P. Gopalkrishnan is being used by the Oil Ministry to imply that RIL suppressed gas output at KG-D6 and so should not be given higher gas prices till it makes up for the shortfall in production of last three years.
"The report on such a complex reservoir was prepared and issued in a week of study by single individual," RIL and its partner BP plc said in a presentation to Oil Minister M. Veerappa Moily and his ministry top brass.
"The report was based on field performance data of up to March 2011 only and was issued without conducting any field visit or any interaction with the contractor," RIL said in the presentation.
Mr. Gopalkrishnan — hired by director general of hydrocarbons (DGH) — in a 2011 report said the fall in production in KG-D6 basin was not due to geological difficulties as claimed by RIL.
He said the field started and produced as per the expectations for a year or so, but the operator did not drill the wells as per the field development plan by the end of the first year, thereby affecting a rate decline.
RIL said the chosen expert was the author of a 2008 report prior to beginning of production that put the potential of KG-D6 fields at 80 million standard cubic meters per day.
And so, "had a clear conflict to conduct any study."
In a point-by-point rebuttal the new report, RIL said the pressure decline at wells was nearly 4 times more than envisaged.
"Expert's views on which DGH has been so heavily reliant are not only outdated but is also far removed from field realities," it said.
RIL said was being punished twice over — first by levy of a USD 1.8 billion penalty and then by being denied a gas price revision, for a single crime of not producing in line with projections that were not even contractual commitments.
In the presentation, RIL-BP explained issues around its main D1&D3 fields in its eastern offshore KG-D6 block where output has fallen to less than a one-sixth to 10 mmscmd instead of rising to projected 80 mmscmd.
Mr. Moily's ministry sees production fall due to RIL not drilling committed number of wells and held it in breach of contract. It levied USD 1.8 billion in penalty by way of disallowing cost incurred in past three fiscal.
And now, it plans to deny RIL the benefit of new price after the current USD 4.2 expires in April next year until it makes up for the shortfall of 1.9 trillion cubic feet during last three years.
Earlier the Hindu reported:
Notwithstanding the fact that it has admitted that Reliance Industries Limited (RIL) had violated the production sharing contract (PSC), did not drill the required number of wells that it had committed under the Amended Initial Development Plan (AIDP) and was penalised for decline in gas production, the Petroleum Ministry is now going all out to give relief to RIL in total disregard of the opinion of independent experts.
In a note to the Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA), likely to come up before the Cabinet next week and accessed by The Hindu, the Ministry has proposed that new gas pricing guidelines will not come into effect for KG D6 gas fields from April 2014 till independent experts verify the reasons for the decline in production.
Interestingly, the note 'admits' that the reserves in respect of the D1 and D3 discoveries were evaluated by reputed international consultants engaged by the contractor and cross verified by the Director General of Hydrocarbons (DGH) through another expert.
The DGH appointed international reservoir expert P. Gopalakrishnan in 2011 to review the performance of KG D6 and in his report, he blamed RIL for the fall in production from the field owing to non-drilling of adequate number of wells as per the AIDP, the note has pointed out.
It has also stated that the DGH has so far not agreed to the rationale given by the contractor (RIL) on the decline in production and hence production targets and estimates of reserves agreed under the AIDP and field development plan (FDP) are still valid under the PSC. "Despite several reminders by the DGH, the contractor has not completed the commitments made under AIDP/FDP,'' states the note.
"There is disagreement between the contractor and the DGH on reasons for shortfall volumes. The reserves and the production profile on the basis of these reserves, as approved in the AIDP, were vetted by independent consultants on behalf of the contractor and the DGH and have not been revised by the management committee (MC). Revised field development plan (RFDP) submitted by RIL, proposing downgrade reserves from 10.03 TcF (trillion cubic feet) to 3.41 TcF has not been approved by the DGH so far. The DGH has called for additional evidence in support of contractor's contention about lower reserves,'' the note notes.
The DGH/Petroleum Ministry are yet to accept the contractor's contention that the fall in production is not due to default in the implementation of the AIDP.
However, ignoring the recommendations of Mr. Gopalakrishnan and also by international experts Mustang Engineering, the Ministry in the same vein, batting for RIL, states that RIL be denied gas prices under the new guidelines from April 2014 onwards till such time the government decides that shortfall quantity is due to geological reasons and not due to "default on RIL's'' part in failing to fulfil the works programme commitments made under "the AIDP, the note adds.
"The reports of two international independent experts in the past, appointed by the Petroleum Ministry, have blamed RIL for failure to carry out activity outlined in the AIDP/FDP. The DGH has recommended penalty to the tune of $1.5 billion and $781 million for 2010-11 and 2011-12 on RIL. Then what is the need to appoint new independent reservoir experts? It is a clear case of the Petroleum Minister trying to bail out RIL and ensure they are not penalised for committing a fraud on the nation and the national exchequer,'' CPI MP Gurudas Dasgupta said.
The tug-of-war between Reliance and DGH
al of hydrocarbons-DGH and the government nominee on the Reliance-operated east coast block, after the technical presentation felt that a quick decision can not be made in such a short space of time
The steep fall in gas production in KG-D6 has caused a lot of worry and heartburn to one and all when a technical presentation by the Reliance Industries Ltd (RIL) team suggestedthat the government could consider appointing athird party international consultant to review the matter.
The DGH (director general of hydrocarbons) and the government nominee on the Reliance-operated East coast block, after the technical presentation felt that a quick decision can not be made in such a short space of time.
It may be mentioned that the Reliance-BP-Niko group suggested names of four leading international Reservoir Consultants, such as: Ryder Scott (Houston/Calgary), DeGoyer & MacNaughton (Dallas), Gaffney, Cline & Associates (London/Calgary) and Netherland Sewell & Associates (Dallas).
The management committee that oversees the operation of the block has nominees of contractors, DGH as well as the ministry. After reviewing the presentation, they may take further action, such as appointing an international reservoir consultant to investigate the reason for the fall.
This will only prove whether the claims made by Reliance that the fall in output is due to a geographical surprise and not due to exaggerated estimates made earlier. This will take us back to March 2011, when DGH issued a report that Reliance gas production from KG would go upto 67 mmscmd by April 2011, ie a month later! According to the web site visited, "How can an autonomous and independent agency like DGH give such a misleading report?" In fact, as the records will show, production began to fall soon afterwards.
According to Reliance, because of the water ingress, there has been a pressure drop in wells leading to lower production. Consultants hired by DGH, names not known, it appears, had recommended that drilling more wells could increase the production. Such a move is easier said than done, because extensive studies and surveys have to be made before planning a drill at a new site. This would be a time consuming process. However, the fact remains, that there is no information available if Reliance, did in fact do anything if at all, to source new wells because of the falling production of gas.
It is interesting to note that DGH was established in 1993 under the administrative control of ministry of petroleum and natural gas, primarily responsible for implementation of New Exploration Licensing Policy (NELP); also to study new unexplored coal bed methane, gas hydrates, oil shale etc. Reservoir engineers from DGH are also involved in evaluation of initial testing; commerciality from reservoir point of view; mid-course correction of producing oil and gas fields; annual review of work progress of PSC's related to reservoir activities. Their responsibilities include appraisal and advice government on the adequacy of plans. It is simply a huge responsibility that DGH shoulders for development of hydrocarbons in the country.
As a matter of interest, it may be noted that in the KG basin itself, in 2002, Reliance discovered 14 tcf (trillion cubic feet) of gas; Gujarat State Petroleum found 20 tcf in 2005; in 2009 Reliance found 20 tcf of gas in D-3/09 and ONGC found 10 tcf in 2009. The work in these fields is reasonably satisfactory and one may expect some further discovery in the months ahead. The revision in gas price to $8.4 per mmbtu has been in debate as also the issue of non-supply of committed gas in the last couple of years, due to fall in production. All these have to be handled with care, just as the fixation of price in rupee terms and not in dollars, and even if this is done to draw a parallel to the international market situation, then the exchange rate needs to be fixed so as to avoid any dispute later.
In the event the government does not want to consider the recommended Reservoir consultants made by Reliance, for whatever reasons, there are so many others that are available. Web sites indicate names such as Belltree Group of UK, SiteLark of USA and Knowledge Reserve, Houston, Texas, USA. In fact, DGH may also have an approved list of Reservoir Consultants whose services could be utilized to resolve the Reliance issue.
But, as a matter of precaution, it may be wise to have the other reserves mentioned above, for the discoveries made by Reliance, Gujarat State Petroleum and ONGC, be also verified by seeking a second opinion.
Instead of dragging this issue further in appointing committees, a time frame needs to be set to complete the whole process. And, if the DGH do not have an in-house consultant of international reputation and track record, it is time they gone one in place, urgently.
(AK Ramdas has worked with the Engineering Export Promotion Council of the ministry of commerce. He was also associated with various committees of the Council. His international career took him to places like Beirut, Kuwait and Dubai at a time when these were small trading outposts; and later to the US.)
http://www.moneylife.in/article/the-tug-of-war-between-reliance-and-dgh/34764.html#postcomment
Aam Aadmi Party shared Aam Aadmi Party - Delhi's photo.
Delhi government on Tuesday (February 11, 2014) directed the Anti-Corruption Branch to register an FIR against the chairperson of Reliance Industries Limited Mukesh Ambani, union petroleum minister M Veerappa Moily, former petroleum minister Murli Deora and former director general of Hydrocarbons VK Sibal under various sections of the Prevention of Corruption Act (PCA).
Chief Minister Arvind Kejriwal described the details mentioned in the complaint received by the Delhi government as shocking, and which were an assault on India's economic sovereignty and amounted to an anti-national activity.
The CM has demanded that the central government should put its decision to hike the prices of gas in abeyance till the time the probe into the matter is completed.
COMPLAINT :
The decision to order a probe was taken by the Delhi government after the perusal of a common complaint filed by eminent citizens - former Cabinet Secretary TSR Subramaniam, former Navy chief Admiral RH Tahiliani, former secretary to government of India EAS Sarma and noted Supreme Court lawyer Kamini Jaiswal.
The complaint stated that gas prices in the country will be doubled from April 1 this year due to the alleged active collusion between the RIL and some ministers of the central government. In case this price hike is allowed to take place, it will make the life of common man miserable since it will have a cascading effect on transport, domestic gas and even electricity prices.
The impact of this hike in gas price would cost the country a minimum of Rs 54,500 crore every year, and in addition to this the central government allowed the RIL to make a future windfall profit of Rs 1.2 lakh crore.
This will have an adverse effect on the household of a common man who uses piped and compressed natural gas (CNG). Farmers will suffer since prices of fertilisers will go up and so would the prices of electricity being generated from gas-based power plants.
Since the decision to double the prices of gas will become effective from April 1 this year, when the term of the UPA government would almost be over, it should have left the decision on gas prices to the next government and this hurry shows a malafide intention of helping this particular corporate house, the RIL.
The government decision to hike the gas price from existing $4.2 (Rs 262.25) per mmbtu (One million British Thermal Unit) to $ 8.4 (Rs 524.20) per mmbtu will make the gas prices in India one of the highest in the world.
The gas prices have been hiked with the sole intention of benefitting the RIL and no attempt was made to determine the cost of production independently and accurately.
To add to this fraud, there is no explanation as to why when the entire domestic production is consumed internally, then why are the prices fixed in US dollars ?
The government took no action against the RIL for its deliberate drop in production and ignored the CAG report and the then Solicitor General's opinion (in May 2012) and on the contrary accepted the RIL demand for doubling the gas prices from April 1 this year. This is a clear case of causing unimaginable loss to the government exchequer and selling gas at exorbitant price to the common man.
The fluctuation in dollar rate will only lead to a further increase in the gas prices.
Documents also reveal that the central government ignored letters by several MPs, including CPI(M) Rajya Sabha MP Tapan Sen, who had highlighted that the RIL demand for $ 8.8 billion to be spent on infrastructure at KG-D6 should be rejected was ignored and the RIL was allowed a future windfall revenue of Rs 1.2 lakh crore ($ 20 billion).
Even if the central government's argument that new prices would bring in more investment in exploration, what is the justification of raising gas prices from existing fields ?
The central government (particularly petroleum ministry) has connived with the RIL to help it in making a windfall profit at the cost of common man and taxpayers by having allowed it to charge a new price for gas that it had already undertaken to produce.
The cost of production of gas is much less than $ 2.34 per mmbtu. The fact that this company (RIL) had signed long term agreements with NTPC and RNRL for supplying gas at that rate for 17 years clearly shows it was making profits at that price also. RIL's partner NIKO has a 25 year contract with the Bangladesh government to supply gas at the rate of $ 2.34/mmbtu.
A letter by the RIL to Director General Hydrocarbons (DGH) giving its cost calculations shows the cost of production is less than $ 1 per mmbtu. Then why did it seek a hike in gas prices and why did the central government agree to it ?
JURISDICTION :
Existing laws and rules empower the ACB to take up the probe into complaints of corruption about alleged offences which take place within its territorial jurisdiction. The ACB enjoys concurrent powers like the CBI to investigate corruption cases.
It has been pointed out in the complaint that since most of the alleged offences, including the most important decision to finalise the exorbitant hike in prices of gas, have been committed in Delhi, therefore the investigation be referred to the ACB. This decision will increase the hardships of people of Delhi and could also lead to non-availability of natural gas in the capital, therefore a thorough and impartial probe by the ACB is important.
BACKGROUND OF THE CASE :
2000 : KG-D6 (Krishna Godavari basin off Andhra coast) block with a contract area of 7645 sq kms awarded to a consortium of RIL and Niko Resources Limited. Central government and this consortium entered into a Production Sharing Contract (PSC) for exploration of natural gas.
2004 : RIL signed a contract with NTPC to supply gas for its power plants at $ 2.34 (Rs 146.90) mmbtu (One million British Thermal Unit) for 17 years. It also signed a similar contract with a company of the Anil Dhirubhai Ambani Group called the Reliance Natural Resources Limited (RNRL)
2007 : Under the RIL pressure, the then petroleum minister Murli Deora revised the gas price to $ 4.2 mmbtu (Rs 262.25), since the company refused to supply gas to the NTPC and RNRL on the agreed price.
2010 : Supreme Court ruled that gas belongs to the people of the country and the government should act as a trustee of the people's resources.
UNDUE FAVOURS BY PETROLEUM MINISTRY :
The report on production for the week 10-16 June 2013 states that only 9 out of 18 wells are in production in the KG-D6 basin and remaining are closed. Gas sales are at a mere 18% and the ministry, instead of taking action and cancelling this block allotted to the RIL, colluded with it and has now given into its unconscionable demand of doubling the gas price to put an unbearable burden on the people.
CAG REPORT HAD POINTED OUT THE IRREGULARITIES :
The CAG in its detailed report tabled in parliament remarked that there is strong evidence that the RIL gold plated (inflated) its capital expenditure and made unjust enrichment twice – by over invoicing the capital costs and by ensuring that the capital costs take a longer time to recover.
The RIL was required to place orders for its plant, machinery and other requirements through international competitive bids. The CAG found that bids were arbitrarily rejected to favour some parties. Just one company named Aker Group got many contracts. CAG has specifically mentioned serious deficiencies in the award of $ 1.1 billion order for a floating production, storage and offloading (FPSO) vessel to the Aker Group, despite it not having any experience in this business. Several such single bid contracts were handed over to the Aker Group and the amount totals upto $ two billion, according to CAG estimates.
This is a clear example of RIL having siphoned off money to make huge profits.
DIRECTOR GENERAL HYRDOCARBONS FACILITATED THE FRAUD :
Not only did the DGH accept the increase in RIL capital costs, which under the contract it need not have accepted, it did so in unseemly haste. It took the DGH only 53 days to approve the cost increase of nearly $ 6.3 billion.
RIL sold off 30% of its stake in 21 of the 29 blocks to a foreign company – British Petroleum in July 2011 at $ 7.2 billion. By allowing this, the government enabled the RIL to obtain double recovery of its investment – once by stake sale and also from cost and profit petroleum.
The government allowed the RIL a deliberate drop in its production and the company started demanding huge revision of rates from the government even before the expiry of the period ending March 31, 2014.
MINISTERS WHO DID NOT SUPPORT RIL WERE SHOWN THE DOOR :
Two petroleum ministers during the last 10 years, Mani Shankar Aiyar and S Jaipal Reddy, who did not work according to the wishes of the RIL, were shifted out of the ministry.
Mr Aiyar did not agree to the RIL argument that in order to double the production the investment will have to be increased four times and was shifted out.
Similarly, Mr Reddy, who in May 2012 issued a show cause notice to the RIL on the legal opinion given by the then Solicitor General Rohinton Nariman that the company had failed to fulfil its obligations and had indulged in wilful breach of the Production Sharing Agreement, therefore why should its contract not be cancelled – he had to lose the ministry.
Aam Aadmi Party
Here is today's video of the Press Conference, where Arvind Kejriwal explains the full extent of the misdoings by Reliance Industries Limited.
Why are Modi and BJP silent on their policies for India?
Why are Modi and BJP silent on their policies for India?
Despite having been declared as the BJP's PM candidate, no one knows what are Modi's views on defense, gas pricing, foreign relations, etc.
When will they clear their stand on all this?
Opening a whole new front, Delhi chief minister Arvind Kejriwal on Tuesday ordered filing of an FIR against petroleum minister M Veerappa Moily, former minister Murli Deora and RIL chief Mukesh Ambani for alleged collusion in the hike in prices of natural gas from KG basin.
Asking the Centre to put on hold the decision to hike price of gas, to be implemented from April 1, he told a press conference that the Anti Corruption Branch (ACB) of his government has been asked to file a criminal case under provisions of the Prevention of Corruption Act.
Kejriwal, whose government survives on Congress support, has been needling the party by launching probes into alleged corruption in Commonwealth Games projects and other issues. But this is the first decision in which he has sought to target ministers at the Centre and a high-profile corporate.
Former DG, Hydrocarbons, V K Sibal and RIL will also be arraigned in the case which will be based on a "common complaint" filed by former cabinet secretary TSR Subrmanian, former Navy chief Admiral R H Tahiliani, eminent lawyer Kamini Jaiswal and former Union secretary EAS Sarma.
Alleging collusion between ministers, officials and RIL, Kejriwal said the details in the complaint were "shocking" and were an assault on the country's economic sovereignty amounting to anti-national activity.
Quoting from the complaint, the chief minister said the impact of the hike in gas price would cost the country a minimum of Rs 54,500 crore every year and allow RIL to make a future windfall profit of Rs 1.2 lakh crore.
Attacking Kejriwal as "ignorant", Moily said he did not know how government functions. He said fixing of price of petroleum products is done as per expert advice.
"I think I should sympathise with his ignorance. He should know how the government functions, how these things are done...I took special interest to ensure that the CNG and PNG prices are reduced. You should know that," he said.
However, CPI leader Gurudas Dasgupta, who has challenged the price hike decision in the Supreme Court, welcomed Kejriwal's decision. Reliance Industries Ltd declined to comment.
The chief minister said hiking the price of natural gas will have a "cascading effect" on the economy as rates of transportation, power production, fertilisers and food items will go up significantly.
"I am writing to Prime Minister and the oil minister to kept the decision in abeyance pending the probe. I will also request PM to direct all ministries to cooperate with the probe," Kejriwal said without explaining whether ACB has the jurisdiction to probe the case.
On ordering an ACB probe, a government press release later said since since most of the alleged offences, including the most important decision to finalise the exorbitant hike in prices of gas, have been committed in Delhi, the investigation has been referred to the ACB.
Kejriwal alleged that Reliance Industries Ltd was benefited as oil ministry decided to hike the natural gas price to USD 8 per million British thermal unit as against current USD 4.2 from April 1.
The government has already approved a proposal to price domestic gas at an average of international gas hub prices and actual cost of importing gas in its liquid form into India.
Quoting the complaint, Kejriwal said gas prices have been hiked with the sole intention of benefitting the RIL and no attempt was made to determine the cost of production independently and accurately.
"The government took no action against the RIL for its deliberate drop in production and ignored the CAG report and the then Solicitor General's opinion (in May 2012) and on the contrary accepted the RIL demand for doubling the gas prices from April 1 this year. This is a clear case of causing unimaginable loss to the government exchequer," said the complaint.
Kejriwal said since the decision to double the prices of gas will become effective from April 1 this year, when the term of the UPA government would almost be over, it should have left the decision on gas prices to the next government.
Kejriwal said the decision to hike the gas price from existing USD 4.2 (Rs 262.25) per mmbtu (One million British Thermal Unit) to USD 8.4 (Rs 524.20) per mmbtu will make the gas prices in India one of the highest in the world.
"In case this price hike is allowed to take place, it will make the life of common man miserable since it will have a cascading effect on transport, domestic gas and even electricity prices," he said alleging that RIL did not produce adequate gas from eastern offshore KG basin block so as to put pressure on the government to hike the price.
"We believe that inflation is going up due to corruption. We will have to take strict actions to weed out corruption. It is a decisive battle for us," Kejriwal said.
Kejriwal said the government's argument to hike the gas price based on international rates and not on the basis of cost of production, was not acceptable.
"Basically they were looking for some ways to inflate the price. In the complaint it is also alleged that Reliance partner NICO still today is providing gas to Bangladesh at USD 2.34 dollar per unit," he said.
AAP's promises to Delhi
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Arvind Kejriwal took oath as Delhi's CM at the Ramlila Maidan on 28th of December. Let's have a look at the major promises which AAP made before the elections to the public.(TOI Photo)
Ending VIP culture, no MLA, minister or Delhi official will use a red beacon on their cars, no special security, special funds, and Lutyens' bungalows for ministers. (TOI Photo)
Passage of Jan Lokpal bill in Delhi assembly, implying consent for probing scams under Cong and BJP watch. (TOI Photo)
Swaraj: People to decide on issues related to their mohallas, colonies and bylanes, will take decision directly in 'mohalla sabhas', which will be held in every locality and colony. (TOI Photo)
Full statehood for Delhi, with control over DDA and Delhi Police. (TOI Photo)
Opening a whole new front, Delhi chief minister Arvind Kejriwal on Tuesday ordered filing of an FIR against petroleum minister M Veerappa Moily, former minister Murli Deora and RIL chief Mukesh Ambani for alleged collusion in the hike in prices of natural gas from KG basin.
Asking the Centre to put on hold the decision to hike price of gas, to be implemented from April 1, he told a press conference that the Anti Corruption Branch (ACB) of his government has been asked to file a criminal case under provisions of the Prevention of Corruption Act.
Kejriwal, whose government survives on Congress support, has been needling the party by launching probes into alleged corruption in Commonwealth Games projects and other issues. But this is the first decision in which he has sought to target ministers at the Centre and a high-profile corporate.
Former DG, Hydrocarbons, V K Sibal and RIL will also be arraigned in the case which will be based on a "common complaint" filed by former cabinet secretary TSR Subrmanian, former Navy chief Admiral R H Tahiliani, eminent lawyer Kamini Jaiswal and former Union secretary EAS Sarma.
Alleging collusion between ministers, officials and RIL, Kejriwal said the details in the complaint were "shocking" and were an assault on the country's economic sovereignty amounting to anti-national activity.
Quoting from the complaint, the chief minister said the impact of the hike in gas price would cost the country a minimum of Rs 54,500 crore every year and allow RIL to make a future windfall profit of Rs 1.2 lakh crore.
Attacking Kejriwal as "ignorant", Moily said he did not know how government functions. He said fixing of price of petroleum products is done as per expert advice.
"I think I should sympathise with his ignorance. He should know how the government functions, how these things are done...I took special interest to ensure that the CNG and PNG prices are reduced. You should know that," he said.
However, CPI leader Gurudas Dasgupta, who has challenged the price hike decision in the Supreme Court, welcomed Kejriwal's decision. Reliance Industries Ltd declined to comment.
The chief minister said hiking the price of natural gas will have a "cascading effect" on the economy as rates of transportation, power production, fertilisers and food items will go up significantly.
"I am writing to Prime Minister and the oil minister to kept the decision in abeyance pending the probe. I will also request PM to direct all ministries to cooperate with the probe," Kejriwal said without explaining whether ACB has the jurisdiction to probe the case.
On ordering an ACB probe, a government press release later said since since most of the alleged offences, including the most important decision to finalise the exorbitant hike in prices of gas, have been committed in Delhi, the investigation has been referred to the ACB.
Kejriwal alleged that Reliance Industries Ltd was benefited as oil ministry decided to hike the natural gas price to USD 8 per million British thermal unit as against current USD 4.2 from April 1.
The government has already approved a proposal to price domestic gas at an average of international gas hub prices and actual cost of importing gas in its liquid form into India.
Quoting the complaint, Kejriwal said gas prices have been hiked with the sole intention of benefitting the RIL and no attempt was made to determine the cost of production independently and accurately.
"The government took no action against the RIL for its deliberate drop in production and ignored the CAG report and the then Solicitor General's opinion (in May 2012) and on the contrary accepted the RIL demand for doubling the gas prices from April 1 this year. This is a clear case of causing unimaginable loss to the government exchequer," said the complaint.
Kejriwal said since the decision to double the prices of gas will become effective from April 1 this year, when the term of the UPA government would almost be over, it should have left the decision on gas prices to the next government.
Kejriwal said the decision to hike the gas price from existing USD 4.2 (Rs 262.25) per mmbtu (One million British Thermal Unit) to USD 8.4 (Rs 524.20) per mmbtu will make the gas prices in India one of the highest in the world.
"In case this price hike is allowed to take place, it will make the life of common man miserable since it will have a cascading effect on transport, domestic gas and even electricity prices," he said alleging that RIL did not produce adequate gas from eastern offshore KG basin block so as to put pressure on the government to hike the price.
"We believe that inflation is going up due to corruption. We will have to take strict actions to weed out corruption. It is a decisive battle for us," Kejriwal said.
Kejriwal said the government's argument to hike the gas price based on international rates and not on the basis of cost of production, was not acceptable.
"Basically they were looking for some ways to inflate the price. In the complaint it is also alleged that Reliance partner NICO still today is providing gas to Bangladesh at USD 2.34 dollar per unit," he said.
Aam Aadmi Party Lucknow
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने दिए मोइली, देवड़ा और मुकेश अंबानी पर केस दर्ज करने के आदेश
देश में गैस की हो रही किल्लत और दिन ब दिन बढ़ती कीमतों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली, मुरली देवड़ा, मुकेश अंबानी और वीके सिब्बल के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश एंटी करप्शन ब्रांच को दिए. रिलायंस के खिलाफ चार लोगों ने ब्रांच में शिकायत सौंपी है.
एंटी करप्शन ब्रांच को शिकायत मिलने के बाद केजरीवाल जी ने कहा कि मंत्री ही गैस की कमी और इसकी बढ़ती कीमतों के लिए जिम्मेदार हैं. रिलायंस ने जानबूझकर कम गैस निकाली है. उन्होंने कहा कि को रिलांयस के खिलाफ शिकायतें मिली हैं, जिस पर क्रिमनल केस दर्ज करने के आदेश दे दिए गए हैं. केजरीवाल जी ने कहा कि यदि एक अप्रैल से गैस के दाम बढ़ते हैं तो महंगाई बढ़ेगी. रिलायंस को 54 हजार करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. केजरीवाल जी ने कहा कि गैस के इस गड़बड़झाले को लेकर मैं प्रधानमंत्री को लेटर लिखूंगा.
उन्होंने बताया कि कुछ टीवी चैनलों पर भी मुकेश का पैसा लगा हुआ है. यह महंगाई बढ़ाने की साजिश है. इस मसले पर कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां चुप्पी साधे हुए हैं. केजरीवाल जी ने कहा कि जो ईमानदार अफसर हमारे साथ दिल्ली में काम करना चाहते हैं, वो हमें बताएं हम उनको अपनी टीम में शामिल करेंगे. चाहे वो किसी भी प्रदेश के क्यों न हो.
इन्होंने दी है शिकायत
एंटी करप्शन ब्रांच में टीएसआर सुब्रमणियम, ईएस शर्मा, पूर्व नैवी चीफ एडमिरल तहिलयानी और कामिनी जायसवाल ने शिकायत दी है कि रिलांयस की वजह से गैस के दामों में जबरन इजाफा हो रहा है. रिलायंस को 17 साल तक 2.3 डॉलर प्रति यूनिट गैस देने को कहा गया था. कुछ समय बाद रिलायंस ने इसे 4 डॉलर करवा दिया और फिर कम गैस बनाई. और अब इसे 8 डॉलर प्रति यूनिट करने का दबाव वह बना रही है.
AAP's promises to Delhi
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*Aam Aadmi PartyDelhi government announces 10 crore to promote emerging and existing talent in sports sector. Sports are as important for development of a country as studies are. || दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने खेल-कूद को बढ़ावा देने के लिए 10 करोड़ रुपये की धनराशी देने की घोषणा की है. एक देश के विकास के लिए खेल कूद पे ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है जितना पढ़ाई और बाकि चीज़ों पर. Palash Biswas y Very welcome! Aam Aadmi Party shared Aam Aadmi Party Odisha's photo.#AAPOdisha PLEASE JOIN THE " JHAADU CHALAO BEIMAAN BHAGAO AVIJAAN " by "AAM AADMIS" of "AAM AADMI PARTY " on 12th February 2014 (WEDNESDAY) from " KHANDAGIRI SQUARE " to " INSTITUTE of TECHNICAL EDUCATION & REASEARCH " ( ITER ) COLLEGE at 4:00 PM. #AAPOdisha Welcome! |
Arvind Kejriwal took oath as Delhi's CM at the Ramlila Maidan on 28th of December. Let's have a look at the major promises which AAP made before the elections to the public.(TOI Photo)
Ending VIP culture, no MLA, minister or Delhi official will use a red beacon on their cars, no special security, special funds, and Lutyens' bungalows for ministers. (TOI Photo)
Passage of Jan Lokpal bill in Delhi assembly, implying consent for probing scams under Cong and BJP watch. (TOI Photo)
Swaraj: People to decide on issues related to their mohallas, colonies and bylanes, will take decision directly in 'mohalla sabhas', which will be held in every locality and colony. (TOI Photo)
Full statehood for Delhi, with control over DDA and Delhi Police. (TOI Photo)
Aam Aadmi Party
The AAP Government in Delhi has finalized the draft of Swaraj Bill, a legislation aimed at the decentralization of power which was promised by the Aam Aadmi Party in its election manifesto. Aam Aadmi Party is committed to empower women and believes in giving equal opportunities to them in every field.
Henceforth, it has been decided that Mohalla Sabhas would elect one man and one woman to represent the Mohalla. This would empower women and give them an opportunity to voice their concerns and become a stakeholder in the decision making process.
Anand Swaroop Verma
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के संयोजक
अखिलेन्द्र प्रताप सिंह से उपवास तोड़ने की अपील
11 फरवरी 2014
प्रिय साथी,
आप पिछले पांच दिनों से सामाजिक न्याय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर नयी दिल्ली के जंतर-मंतर में अनशन पर बैठे हैं। आपने जिन तमाम मांगों को लेकर सामाजिक न्याय की यह यात्रा शुरू की है उसमें कॉरपोरेट घरानों व एनजीओ को लोकपाल कानून के दायरे में लाने की मांग भी शामिल है। यद्यपि आपकी इन मांगों के समर्थन में सीपीआई (एम) के महासचिव कामरेड प्रकाश करात, वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता और सीपीआई के पूर्व महासचिव कामरेड ए.बी. बर्द्धन, सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर, पूर्व वित्त सचिव एस.पी.शुक्ला अर्थशास्त्री सुलभा ब्रह्मे तथा प्रो. दीपक मलिक, सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव डा. प्रेम सिंह, किसान नेता डा. सुनीलम, पीयूसीएल के नेता चितरंजन सिेह के अलावा विभिन्न जनसंगठनों से जुड़े लोगों और लेखकों-पत्रकारों ने अपना समर्थन आपको दिया है लेकिन सत्ता के शिखर पर जो लोग बैठे हैं उन पर कोई असर नहीं दिखायी दे रहा है। आपको याद होगा कि पिछले 12 वर्षों से मणिपुर की जनता की मांगों को लेकर ईरोम शर्मिला भूख हड़ताल पर बैठी हैं और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसी जंतर-मंतर पर 2006 में जब ईरोम शर्मिला भूख हड़ताल पर बैठीं तो उन्हें अगले ही दिन पुलिस ने जबरन उठाकर अस्पताल पहुंचा दिया। आपकी जानकारी में वह घटना भी होगी जब 2011 में हरिद्वार में युवा स्वामी निगमानंद ने स्टोन क्रेशर माफिया के खिलाफ अनशन करते हुए दम तोड़ दिया। उस समय मीडिया के दिग्गजों को ये घटनाएं कोई खबर ही नहीं लगी थीं।
उपरोक्त दो उल्लेखनीय घटनाओं के विपरीत अप्रैल 2011 में जब अन्ना हजारे ने अनशन की शुरुआत की तो वह पूरी तरह मीडिया में छा गए और सरकारी तबकों में भी चहल-पहल शुरू हो गयी। उन्होंने मुख्य रूप से भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था और इस मुद्दे के प्रति व्यापक जनता आकर्षित हुई थी। सत्ता की तरफ से अन्ना हजारे को हर तरह की सुविधा मुहैया करायी गयी थी। इसकी सीधी वजह यह थी कि वह जिस लोकपाल कानून की बात कर रहे थे उसके दायरे से उन्होंने कॉरपोरेट घरानों को अलग रखा था जिनके खिलाफ आप आज जेहाद बोल रहे हैं। क्या यह याद दिलाने की जरूरत है कि अप्रैल 2011 में अन्ना हजारे को जिन लोगों ने खुलकर समर्थन दिया था उनमें बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज, गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदि गोदरेज, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के पवन गोयनका, हीरो कॉरपोरेट के चेयरमैन सुनील मुंजाल, फिक्की के डायरेक्टर जनरल राजीव कुमार, एसोचम के अध्यक्ष दिलीप मोदी सहित ढेर सारे व्यापारिक घराने शामिल थे। इन्हीं व्यापारिक घरानों का पूरी तरह आज मीडिया पर नियंत्रण स्थापित हो गया है और जाहिर है कि अन्ना हजारे के आंदोलन को मीडिया का समर्थन मिलना ही था। अगस्त 2011 में अन्ना ने जब रामलीला मैदान में अपना अनशन शुरू किया उस समय तक सत्ता के गलियारों में उनकी आवाज गूंजने लगी थी और आपको याद होगा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने संसद के एक असाधारण अधिवेशन के जरिए अन्ना हजारे को आंदोलन वापस लेने की अपील की थी। यह कॉरपोरेट घरानों का ही कमाल था जिसने अन्ना हजारे को, और आगे चलकर अरविंद केजरीवाल को 'जननायक' के रूप में स्थापित किया।
मैं इन बातों को यहां इसलिए दोहरा रहा हूं ताकि यह स्पष्ट कर सकूं कि जिन आंदोलनों से कॉरपोरेट हितों को खतरा नहीं दिखायी देता उनके प्रति सत्ता एक सकारात्मक रुख दिखाती रही है। जिन आंदोलनों से कॉरपोरेट हितों को खतरा होता है उनके दमन की तैयारी शुरू हो जाती है। मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर आपका यह आंदोलन व्यापक रूप लेते ही सत्ता के दमन का शिकार न बन जाए।
यहां मैं यह भी रेखांकित करना चाहूंगा कि आज कितनी तेजी से कॉपोरेट घराने न केवल राजनीति को बल्कि भारत के सुरक्षा तंत्र को भी निर्देशित करने लगे हैं। कम ही लोगों को पता होगा कि देश के बड़े उद्योगपतियों की संस्था फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐण्ड इंडस्ट्रीज (फिक्की) ने 2009 में 'टॉस्क फोर्स रिपोर्ट ऑन नेशनल सिक्योरिटी ऐंड टेररिज्म' प्रस्तुत किया था। उसको ही आधार बनाकर पूर्व गृहमंत्री पी.चिदंबरम ने राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संस्था बनाने का सुझाव दिया और 121 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में दी गयी सिफारिशों को पूरी तरह अपनाने की कोशिश की। उन्होंने इसी को आधार बनाकर अमेरिका की तर्ज पर एनसीटीसी (नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर) बनाने की पेशकश की। इस रिपोर्ट के पृष्ठ 70 पर कहा गया था कि सभी जिला मुख्यालयों और पुलिस स्टेशनों को ई-नेटवर्क के माध्यम से नैट ग्रिड सेें जोड़ा जाए और यही बात चिदंबरम ने भी कही थी। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के अंतर्गत सुरक्षा शिक्षण के काम को अंजाम देने के लिए गैर सरकारी संगठनों यानी एनजीओज की भागीदारी होनी चाहिए। इसके साथ ही इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के निजीकरण की मांग की गयी थी। कांग्रेस और भाजपा सहित ज्यादातर पार्टियां इन मांगों के समर्थन में खड़ी दिखायी देती हैं। इसके बाद 2010 में एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचेम) ने एक स्विस कंसलटेंसी फर्म के साथ मिलकर 'होमलैंड सिक्योरिटी इन इंडिया 2010' शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और इसमें भी राष्ट्रीय सुरक्षा के निजीकरण पर ही जोर दिया गया था।
जिन दिनों अन्ना हजारे का आंदोलन अपने शिखर पर था हमने पश्चिम के एक विद्वान मिशेल चोसुदोवस्की के हवाले से कहा था कि 'कॉरपोरेट घरानों के एलिट वर्ग के हित में है कि वे विरोध और असहमति के स्वर को उस हद तक अपनी व्यवस्था का अंग बनाए रखें जब तक वे बनी बनायी सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा न पैदा करें। इसका मकसद विद्रोह का दमन करना नहीं बल्कि प्रतिरोध आंदोलनों को अपने सांचे में ढालना होता है। अपनी वैधता बनाए रखने के लिए कॉरपोेरेट जगत विरोध के सीमित और नियंत्रित स्वरों को तैयार करता है ताकि कोई उग्र विरोध न पैदा हो सके जो उनकी बुनियाद और पूंजीवाद की संस्थाओं को हिला दे।' काफी पहले अमेरिकी विद्वान नोम चोम्स्की ने अपने मशहूर लेख 'मैन्यूफैक्चरिंग कानसेंट' में मीडिया के बारे में लिखा था कि मीडिया सहमति का निर्माण करता है। अभी हम देख रहे हैं कि व्यवस्था किस तरह असहमति का भी निर्माण करती है ताकि वह खुद को बचाए रखने के लिए सेफ्टी वॉल्व तैयार कर सके।
देश में पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जो असंतोष इकट्ठा होता जा रहा था उसके लिए आज फिर हम एक सेफ्टी वॉल्व को आकार लेते देख रहे हैं। अन्ना हजारे के आंदोलन की कोख से पैदा केजरीवाल का आंदोलन एक बार फिर सभी वास्तविक आंदोलनों को पीछे ठेल देने की साजिश में लगा हुआ है और इस बार यह पूरी तैयारी अमेरिका तथा अमेरिका समर्थित कॉपोरेट घरानों और फोर्ड फाउंडेशन तथा रॉकफेलर एसोसिएशन जैसी फंडिंग एजेंसियों की मदद से चल रही है। यह बात आज किसी से छुपी नहीं है कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरण बेदी और इन लोगों की टीम को 2005 से 2011 के बीच फोर्ड फाउंडेशन के जरिए विकास कार्यों के नाम पर करोड़ांे रुपए मिले। 'बियांड हेडलाइंस' नामक एक वेबसाइट ने सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी चाही कि मनीष सिसोदिया के संगठन 'कबीर' को विदेशी अनुदान के रूप में कितनी राशि मिली है। इसके जवाब में सरकार की ओर से जो जानकारी दी गयी वह इस प्रकार हैः फोर्ड फाउंडेशन-86,61,742 रुपया, प्रिया (पार्टिसिपेटरी रिसर्च इन इंडिया) 2,37,035, डच दूतावास-19,61,968, यूएनडीपी-12,52,742, मंजूनाथ संमुगम ट्रस्ट-3,70,000, एसोसिएशन फॉर इंडियाज डेवलपमेंट-15 लाख, यूएनडीपी-12,52,742 रुपए। इसके अलावा व्यक्तिगत अनुदान के रूप में विदेशों से 11,35,857 रुपए प्राप्त हुए। वैसे एफसीआरए के अंतर्गत सरकार के पास 'कबीर' की ओर से जो विवरण भेजा गया उसमें बताया गया है कि 2010-11 के लिए फोर्ड फाउंडेशन ने उसे 1,97,000 डॉलर का अनुदान दिया जिसे कबीर ने यह कहकर लेने से मना कर दिया कि वे अब राजनीतिक आंदोलन में लग गए हैं। बेशक, इससे पहले के वर्षों में तकरीबन 1 करोड़ से ज्यादा की राशि फोर्ड फाउंडेशन से ली थी। अरविंद केजरीवाल की संस्था 'परिवर्तन' और नया नाम 'संपूर्ण परिवर्तन' को फोर्ड फाउंडेशन ने कितने पैसे दिए इसके बारे में केवल अनुमान लगाया जा सकता है।
यह अकारण नहीं है कि पूर्व एडमिरल एल. रामदास जो अब 'आम आदमी पार्टी' में शामिल हैं, उनकी पुत्री कविता रामदास इस समय फोर्ड फाउंडेशन के दिल्ली कार्यालय की प्रमुख हैं। आखिर कोई वजह तो होगी कि कॉरपोरेट घराने बुरी तरह केजरीवाल की पार्टी की ओर आकर्षित हैं। अभी हाल के दिनों में जो लोग केजरीवाल की पार्टी में शामिल हुए हैं उनमें इंफोसिस के एक बड़े अधिकारी वी.बालाकृष्णन भी हैं। यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि टाटा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के अनुसार इंफोसिस के सह संस्थापक एन.आर.नारायण मूर्ति ने अक्टूबर 2008 में इस बात की सिफारिश की थी कि सूचना के अधिकार कानून के तहत जागरूकता पैदा करने के लिए केजरीवाल की मदद की जाए और इसने इस बात पर अपनी सहमति दे दी कि 2009 से अगले पांच वर्षों तक वह प्रतिवर्ष 25 लाख रुपए देगा। खुद एन.आर.नारायण मूर्ति फोर्ड फाउंडेशन बोर्ड के एक ट्रस्टी हैं और उनका मानना है कि 'आप' के अंदर वह क्षमता है कि वह शहरी मध्य वर्ग को आकर्षित करे। भारत की सबसे बड़ी बायो टेक्नालॉजी कंपनी 'बायोकॉन के चेयरमैन किरण मजुमदार शाह का कहना है कि 'आप' पेशेवर लोगों द्वारा स्थापित पार्टी है और यही वजह है कि इसकी ओर बिजनेस एग्जीक्यूटिव तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। इस आकर्षण का आलम यह है कि मीरा सान्याल ने रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड का अध्यक्ष पद छोड़ कर पांच जनवरी को आम आदमी पार्टी में शामिल हो गयीं। 'एप्पल' नामक विशाल कंपनी को छोड़कर आदर्श शास्त्री (स्व. लाल बहादुर शास्त्री के पौत्र) आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। स्टार इंटरटेंनमेंट के सीईओ समीर नायर भी आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। डक्कन एयरवेज के संस्थापक कैप्टन गोपीनाथ भी अब 'आप' के सदस्य हैं और 4 जनवरी 2014 को एनबीसी टीवी-18 को एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि 'हमें प्राइवेटाइजेशन की जरूरत है लेकिन क्रोनी केपिटलिज्म नहीं चाहिए'। अभी कुछ ही दिन पूर्व हीरो मोटर्स के सीईओ पवन मंुजाल भी इस पार्टी में शामिल हो गए हैं। पीटीआई की एक खबर के अनुसार 14 जनवरी 2013 को पवन मंुजाल पर धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज किया था। लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है।
अखिलेन्द्र जी, इन सारी बातों का उल्लेख करने का मकसद यह है कि आप जिस सत्ता से लोकपाल कानून के अंतर्गत कॉरपोरेट घरानों और एनजीओ को लाने की बात कर रहे हैं वह कॉरपोरेट के हाथों बहुत पहले बिक चुकी है। मैं सत्ता की बात कर रहा हूं सरकार की नहीं। सरकार चाहे मोदी की हो, राहुल की हो या केजरीवाल की इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। आम जनता को भी इस बात के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता कि वह केजरीवाल की तरफ क्यों आकर्षित है जबकि पूंजीवाद की दलाली करने वालों में वह किसी से कम नहीं हैं बल्कि दस कदम आगे ही हैं। जाहिर है कि ऐसे समय लोगों को जागरूक करने और जनआंदोलनों को तेज करने की जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए मैं एक बार फिर आपसे अपील करता हूं कि अपना अनशन समाप्त करें और आंदोलन को व्यापक बनाने में लग जाएं।
आपका
आनंद स्वरूप वर्मा
संपादक-'समकालीन तीसरी दुनिया'
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Palash Biswas I also appeal our old friend Akhilendra to consider Anandji`s appeal as we all friends stand with you.
Surendra Grover
क्या कोई बता पायेगा कि अम्बानी ने देश को लूटने के अलावा किया क्या है..? कोई सार्वजनिक हित का काम किया है अम्बानियों ने..?
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Neer Gulati यह तो सब जानते है कि भारत में भ्रष्ट उद्योगपतियों, नेताओं और अफसरों का गठबंधन हो चुका है और भ्रष्टाचार संस्थगत रूप ले चुका है. अब प्रश्न यह है कि इसका मुकाबला केसा किया जाये. मेरा मत है कि देश भर के ईमानदार समाजिक कार्यकर्ताओं और समाज वैज्ञानिकों को एक मंच पर आने से, और पेशवर राजनितिक संस्कृति का विकास कर के ही इस समस्या का हल निकला जा सकता है.
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Hasan Zyaul GUJRATI BANAI IS VERY DANGEROUS-----
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Pk Shrivastava सब पढ़े लिखे एक मंच पर कभी नहीं आ सकते ! ये काम केवल बे अकल ही कर सकते है !!
Surendra Grover
रिलायंस कोई विदेशी कम्पनी तो है नहीं फिर उसे डॉलर में भुगतान क्यों कर रही सरकार..?
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Neer Gulati Sorry Hasan Bhai I dont belive in god
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Ashish Sagar Dixit सरकार अम्बानी की जेब में है
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नूतन यादव मैंने भी कल यही बात सोची थी
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Comrade Aman Mishra Dyfi पता है डॉलर तो कभी निचे नहीं आयेगा ,
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Surendra Grover
ये संगठित क्षेत्र इतना तिलमिलाया सा क्यों है..?
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Kiran S. Patnaik लुटेरों का संगठित क्षेत्र बौखलाया हुआ!
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Ansarul Haque Aam Admi k dil me jagah banane k liye 56 inch ka sina chahiye... Sirf fekne se n hoga Baba..
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Ak Pankaj shared Artist Against All Odd (AAAO)'s photo.
अगर किसी पुरुष और सिपाही को
हमारे महबूब किसानों के मरने पर
जरा भी अफसोस नहीं है
और वे शामिल हैं
उनकी हत्याओं आत्महत्याओं में
तो उन्हें निकल ही आना चाहिए
लैला मजनूं और शीरी फरहाद के
किस्सों से बाहर
और अपनी सिक्युरिटी
तुरंत बढ़ा लेनी चाहिए
नफरत नहीं है
किसी पुरुष से
किसी भाड़े के सैनिक से
घृणा भी नहीं है...See More
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Economic and Political Weekly
"The manner in which the army can reject civilian political demands on AFSPA, the manner in which the Assam Rifles can be absolved of the killing of Thangjam Manorama, the manner in which the Intelligence Bureau can protect its officers shown to have been complicit in the Ishrat Jahan killing...all these omissions and commissions show the insolence of these men with guns towards Indian democracy."
An Economic and Political Weekly editorial:http://www.epw.in/editorials/armys-subversion-justice.html
Like · · Share · 37618 · about an hour ago ·
Birendra Kumar Mahto
शहीद का शव देख रोया धुर्वा
रांची। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा… तिरंगे में लिपटा वीर कांता मेहता का शव राजधानीवासियों के लिए कुछ यही संदेश दे रहा था। असम राइफल्स की 44वीं बटालियन महार रेजिमेंट के कांता आठ फरवरी को मणिपुर में हमलावरों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये थे। मंगलवार को जवान कांता का पार्थिव शरीर जैसे ही धुर्वा के आम बगान स्थित उसके घर पहुंचा, मानो पूरा धुर्वा इस वीर सपूत को नम आंखों से सलामी दे रहा था। सभी अपने घरों से निकल इस वीर सपूत की एक झलक पाने को आतुर थे। पड़ोसी उनके बचपन के दिनों से लेकर अब तक की कहानियों को याद कर रहे थे। वहीं उनके माता पिता, पत्नी समेत पूरा परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। पूरा धुर्वा इलाका गमगीन था।
मणिपुर में हुए थे शहीद
आठ फरवरी को मणिपुर में हमलावरों के हमले में कांता शहीद हो गये थे। बटालियन नरेंद्र मोदी की रैली के पूर्व सर्च अभियान में निकला था। ऑपरेशन के दौरान ही हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। कांता के सिर और छाती में गोली लगी। इलाज के लिए उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गयी।
दो बजे पहुंचा पार्थिव शरीर
शहीद कांता का पार्थिव शरीर लेकर असम राइफल्स के दो अधिकारी विमान से रांची पहुंचे। इससे पूर्व ही राइफल्स के महार रेजिमेंट के जवान अपने झंडे तले श्रद्धांजली देने को तैयार थे। शहीद का पार्थिव शरीर एयरपोर्ट पर पहुंचते ही रेजिमेंट का प्रतीक चिह्न लगा कर सलामी दी। फिर पार्थिव शरीर को सेना की गाड़ी में रख कर धुर्वा स्थित आम बगान आवास पर ले जाया गया।
नहीं पहुंचा जिला प्रशासन
शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही क्षेत्र गमगीन हो गया। लोग घरों से बाहर आ गये, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से किसी अधिकारी ने पहुंचने की जहमत नहीं उठायी। नाराज लोगों पिता रघुवंश महतो ने राइफल्स के अधिकारियों के समझ विरोध किया। अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया। बाद में पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने उन्हें समझाया, तो वे शांत हुए।
पत्नी पूनम का रो-रोकर था बुरा हाल
पत्नी पूनम का रो-रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार कह रही थी। मैं जानती, तो 12 जनवरी को आपको वापस जाने नहीं देती। अर्पित और आदित्य को कौन देखेगा। कह कह कर रोते-रोते बेहोश हो जाती। मां सरस्वती देवी का भी कुछ यही हाल था। पास पड़ोस के लोग सांत्वना दे रहे थे, लेकिन कई बार वे भी टूट जाते थे।
सीठियो श्मशान घाट में अंतिम संस्कार
शहीद के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार सीठियो स्थित श्मशान घाट पर हुआ। जहां महार रेजिमेंट के जवानों ने मातमी धुन बजा कर और शस्त्र उलटा कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। शहीद कांता के दोनों बेटों को अंतिम बार पिता के दर्शन कराये गये। दोनों बेटों के हाथों से गंगाजल का तर्पन कराया गया, फिर उनका अंतिम संस्कार विधि-विधान से किया गया।
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