Friday, December 16, 2016

आम आदमी को राहत नहीं और सारा कालाधन राजीनित दलों के खाते में खपाने का इंतजाम दौलताबाद से दिल्ली है राजनीतिक दलों के लिए एक हजार और पांच सौ के नोट अब वैध है ,नोटबंदी सिर्फ आम जनता के खिलाफ।कालाधन के नाम पर आम लोगों के लिए मौत का परवाना यह आम जनता के साथ संसदीयविश्वास घात है।सबने अपना अपना हिस्सा समझ लिया और आम जनता को लाटरी खुलने का इंतजार करना है। पलाश विश्वास

आम आदमी को राहत नहीं और सारा कालाधन राजीनित दलों के खाते में खपाने का इंतजाम दौलताबाद से दिल्ली है
राजनीतिक दलों के लिए एक हजार और पांच सौ के नोट अब वैध है ,नोटबंदी सिर्फ आम जनता के खिलाफ।कालाधन के नाम पर आम लोगों के लिए मौत का परवाना
यह आम जनता के साथ संसदीय विश्वास घात है।सबने अपना अपना हिस्सा समझ लिया और आम जनता को लाटरी खुलने का इंतजार करना है।
पलाश विश्वास
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कालाधन निकालने की कवायद अब राजनीतिक दलों के लिए कालाधन अपने खाते में जमा कराने का मौका है।दस्तावेज देने नहीं होंगे,तो सौकड़ों लोगों के नाम बेनामी कालाधन सफेद कराने का चाकचौबंद इंतजाम हो गया है।

गौरतलब है कि आयकर कानून की धारा 13ए 1961 के अनुसार राजनीतिक दलों की उनकी आय को लेकर टैक्‍स से छूट है। किसानों के लिए पैन कार्ड अनिवार्य होने के सवाल पर अधिया ने कहा कि किसान को फॉर्म 60 के जरिए घोषणा करनी होगी कि उसकी कमाई ढाई लाख रुपये से कम है। यदि वह फॉर्म 60 फाइल करता है तो पैन कार्ड नहीं देना होगा। ऐसा नहीं करने पर पैन कार्ड देना होगा।

ताजा खबरों के मुताबिक दौलताबाद से दिल्ली वापसी का रास्ता तय गया है और लोगों को बिना किसी दस्तावेज के अपना कालाधन राजनीतिक दलों की फंडिंग में खपाने की आजादी मिल गयी है।
मजे की बात है कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बैंक में जमा कराने पर राजनीतिक दलों पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा। राजनीतिक पार्टियों को आयकर कानून से अलग रखा गया है। जबकि पहले एक हजार और पांच सौ के नोट प्रचलन से बाहर कर दिये गये हैं।
हम पहले ही कह रहे थे कि मुक्तबाजार को लोकतंत्र दरअसल करोड़पतिअरबपति खरबपति तंत्र है।संसद में नोटबंदी पर कोई बहस नहीं हुई।आरोप प्रत्यारोप ही हुए।आम जनता को न संसद और न सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिली।
आम आदमी को अपनी नकदी सफेद करने के लिए तमाम दस्तावेजी सबूत देने पड़े रहे हैं।रद्द नोट कहीं प्रचलन में नही है लेकिन वे राजनीतिक चंदे के लिए वैध है।
यह आम जनता के साथ संसदीय विश्वास घात है।सबने अपना अपना हिस्सा समझ लिया और आम जनता को लाटरी खुलने का इंतजार करना है।
कालाधन जो अभी निकला ही नहीं है ,वह राजनीतिक दलों के खाते में सफेद कर देने का इंतजाम है।जाहिर है कि कालाधन निकालने के लिए यह नोटबंदी नहीं है,जैसा हम बार बार लिक रहे हैं।डिजिटल इडिया कैशलैस इंडिया बनाने के लिए यह सर्वदलीय ससदीय कारपोरेट कवायद है जिसके तहत मुक्तबाजार में जीवन के हर क्षेत्र में कारपोरेट नस्ली एकाधिकार कायम हो जाये।
वित्त सचिव अशोक लवासा ने शुक्रवार (16 दिसंबर) को यह जानकारी दी। राजस्‍व सचिव हसमुख अधिया के अनुसार राजनीतिक दलों के बैंक खातों में जमा रकम पर टैक्‍स नहीं लगेगा। उन्‍होंने पत्रकारों से कहा, ”यदि किसी राजनीतिक दल के खाते में पैसे हैं तो उन्‍हें छूट है। लेकिन यदि किसी निजी व्‍यक्ति के खाते में पैसा है तो फिर उस पर कार्रवाई होगी। यदि कोई निजी व्‍यक्ति अपने खाते में पैसा डालता है तो हमें जानकारी मिल जाएगी।”
डिजिटलंडियाकैशलैसंडियापैटीएमिंडियाजिओंडिया।ओयहोय।होयहोय।
बूझो बुड़बक जनगण।बूझसको तो बूझ लो।भोर भयो अंधियारा दसों ओर।
बाकी ससुरा भाग्यविधाता जो है सो है,अधिनायक नरसिस महानो ह।
भारतीय जनता का कोई माई बाप नहीं।


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