अंतःस्थल - कविताभूमि
Wednesday, July 29, 2015
कहते हैं कि बहरा हो गया है हाकिम/ तभी तो सबकी फ़रियाद नहीं सुनता
कहते हैं कि बहरा हो गया है हाकिम/ तभी तो सबकी फ़रियाद नहीं सुनता
ये रास्ते हैं इंसाफ़ के जंहागीर के दरबार का भारी है घंटा हर एक के हिलानें से नहीं बजता कहते हैं कि बहरा हो गया है हाकिम तभी तो सबकी फ़रियाद नहीं...
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AMALENDU UPADHYAYA
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