मौसम विभाग के लोकल स्टेशनों को संभाल रही आदिवासी महिलाएं
कोल्लि हिल्स (तमिलनाडु) / मौसम विभाग का नाम सुनते ही दिमाग में बड़े-बड़े रेडार और सुपर कंप्यूटर्स और उनको चलाने वाले वैज्ञानिकों का ही खाका खिंचता है। लेकिन अगर हम कहें, कि इस कल्पना में से बस वैज्ञानिकों को हटाकर उनकी जगह आदिवासी महिलाओं को रख दीजिए, तो शायद आप इसकी कल्पना भी न कर पाएं। लेकिन ये सच है।
तमिलनाडु के कोल्लि हिल्स क्षेत्र में इन दिनों स्थानीय आदिवासी महिलाएं ही मौसम विभाग के लोकल स्टेशनों को संभाल रही हैं। इतना ही नहीं, इन ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन्स से जारी फसलों और मौसम से जुड़ी भविष्यवाणियां यहां के किसानों और रहवासियों के लिए वरदान भी साबित हो रही हैं।
यहां विभिन्न इलाकों में मौजूद कुल सात ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन्स में से चार का संचालन आदिवासी महिलाएं कर रही हैं, जबकि तीन का संचालन स्थानीय आदिवासी पुरुषों द्वारा किया जा रहा है। ये सभी स्टेशन स्थानीय फसलों की सुरक्षा और पैदावार में बढ़ोत्तरी के मकसद से ही काम कर रहे हैं। इनका संचालन सामुदायिक सहयोग के आधार पर किया जाता है।
एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा यूएन की मदद से कोल्लि हिल्स के अलग-अलग ऐग्रो-इकलॉजिकल जोन्स मूलाकदई, नवाकादु, थुवरापल्लम, अरिपलापट्टी, कीरईकादु, वेंदालप्पादि और पुलियमपट्टि इलाकों में ये सभी स्थापित किए गए हैं, जो आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं।
ऐसे ही एक स्टेशन का संचालन करने वाली विजयलक्ष्मी प्रदीप का कहना है ' यहां हम तापमान, वर्षा, आर्द्रता, हवा का दबाव, और उसकी गति जैसे आंकड़ों को इकट्ठा करते हैं। ताकि हमारी फसलों के लिहाज से उनका इस्तेमाल किया जा सके।'
विजयलक्ष्मी ने बारहवीं तक की पढ़ाई की है। और इन वेदर स्टेशन के संचालन का प्रशिक्षण भी हासिल किया है।
उल्लेखनीय है कि इन इलाकों में कुछ समय पहले तक मलयाली आदिवासी समाज की स्थिति बेहद ही खराब थी। लेकिन हाल के वर्षों में इस दिशा में अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। निश्चित रूप से इसका सबसे बड़ा कारण इन लोकल वेदर स्टेशन्स का संचालन स्थानीय आदिवासी लोगों के हाथों में देना है, जो यहां की स्थानीय समस्याओं और जरूरतों से ज्यादा वाकिफ हैं।
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