#मोदियापा #रामधुन मध्ये मोदियापा स्थाई भाव,बांग्ला विजय अश्वमेधे ममता संगे
हिंदुस्थान में मुकम्मल सैन्य शासन का हिंदुत्व एजंडा सलवा जुड़ुम
सामना लिहिलाःस्वातंत्र्योत्तर काळातील पूर्वीच्या राज्यकर्त्यांनी मणिपूर, नागालॅण्डसह ईशान्य हिंदुस्थानकडे, तेथील सांस्कृतिक वारशाकडे, जनतेच्या प्रश्नांकडे, तेथील फुटीरतावादी शक्ती आणि मिशनरी कारवाया यांच्याकडे दुर्लक्ष केले. लष्कराकडून केल्या जाणार्या कारवायांनाही स्थानिक राजकीय हस्तक्षेपांनी वारंवार अडथळे आणले. त्यामुळे ईशान्य हिंदुस्थान कायम अशांतच राहिला.
मानसून हो न हो,मेघ बनकर बरसेंगे जेटली।
पलाश विश्वास
रामधुन मध्ये मोदियापा स्थाई भाव,बांग्ला विजय अश्वमेधे ममता संगे
सामना लिहिलाःस्वातंत्र्योत्तर काळातील पूर्वीच्या राज्यकर्त्यांनी मणिपूर, नागालॅण्डसह ईशान्य हिंदुस्थानकडे, तेथील सांस्कृतिक वारशाकडे, जनतेच्या प्रश्नांकडे, तेथील फुटीरतावादी शक्ती आणि मिशनरी कारवाया यांच्याकडे दुर्लक्ष केले. लष्कराकडून केल्या जाणार्या कारवायांनाही स्थानिक राजकीय हस्तक्षेपांनी वारंवार अडथळे आणले. त्यामुळे ईशान्य हिंदुस्थान कायम अशांतच राहिला.
अब लीजिये, पीएम नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे के तहत शनिवार सुबह पौने दस बजे के करीब ढाका पहुंच गए। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना उन्हें रिसीव करने पहुंचीं। मोदी को अब कुछ ही देर में यहां गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।
इससे पहले, रवाना होने से पहले मोदी ने ट्वीट करके कहा कि इस दौरे से दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होंगे।
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10:00 मिनट: भारतीय और बांग्लादेशी धुनें बजाई गईं।
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9:55 मिनट: प्लेन से उतरे पीएम नरेंद्र मोदी, शेख हसीना ने किया रिसीव
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9:50 मिनट: बांग्लादेश की सेना मोदी को देगी गार्ड ऑफ ऑनर
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9:45 मिनट: ढाका में लैंड हुआ पीएम मोदी का प्लेन
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जानिए पीएम मोदी के मिशन बांग्लादेश की सबसे खास ...
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पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे के चलते टीम इंडिया ...
Oneindia Hindi-19 घंटे पहले
बेंगलुरू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के चलते भारतयी क्रिकेट टीम कीबांग्लादेश रवानगी को एक दिन के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री दो दिन की बांग्लादेश यात्रा पर जा रहे हैं जिसके चलते टीम इंडिया
मोदी से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुक्रवार रात बांग्लादेश पहुंच गईं।
बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री शहरयार आलम ने हजरत शाहजालाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ममता की अगवानी की। वह शनिवार दोपहर पीएम मोदी के साथ कोलकाता-ढाका-अगरतला के बीच बस सर्विस को हरी झंडी दिखाएंगी। साथ ही, लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करेंगी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता में जमीन संबंधी समझौते होंगे और जमीन की अदला-बदली की जाएगी। शनिवार सुबह ढाका पहुंचने के बाद मोदी का पहला कार्यक्रम शहीद स्मारक जाने का है। मोदी का यह दौरा भारत-बांग्लादेश के बीच बिगड़ते रिश्तों में फिर से गर्माहट ला सकता है।
राजधानी ढाका में सड़कों पर मोदी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के विशाल पोस्टर आज भारतीय मीडिया के अनंत चेहरे में तब्दील हैं और जारी है रामधुन मध्ये मोदियापा का स्थाई भाव।
1974 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्र रहमान के बीच हुए सीमा समझौते की तस्वीर से बने होर्डिंग भी कई जगह लगाए गए हैं। लेकिन बांग्लादेश दौरे से पहले मोदी की यात्रा का विरोध भी शुरू हो गया है। लेबर पार्टी एंड डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार शाम ढाका में मोदी के खिलाफ नारे लगाए।
हम बांग्लादेश से निरंतर अपडेट दे रहे हैं।देखते रहें हस्तक्षेप।
इधर देश में नये तूफान का अंदेशा है कि संभल जाओ ,मेरे वतन के लोगों,भूलना नहीं खूनी अस्सी और नब्वे के दशक की हिंदुत्व के के सैलाब के बीच चिनगारियां भी सुलगने लगी हैं।अभी 1984 में सिख नरसंहार के हत्यारे छुट्टा घूम रहे हैं वैसे ही जैसे बाबरी विध्वंस और उसे आगे पीछे अब तक जारी दंगो के बेरहम दंगाई और भोपाल त्रासदी और गुजरात के नरसंहार के मनुष्यता विरोधी तमाम युद्धअपराधी।
हम बांग्लादेशी नहीं है कि युद्ध अपराधियों को फांसी के तख्त तक पहुंचाने की हिम्मत करें क्योंकि हमारी राष्ट्रीयता हमारा हिंदुत्व धर्मोन्मादी है और उनकी राष्ट्रीयता उनकी मातृभाषा है,जिसके लिए वे अनंत कर्बानियां अब भी दे रहे हैं।सिर्फ ब्लागरों की खबरें पढ़कर न समझें बांग्लादेश और न बांग्लादेश तसलिमा का रचनासंसार है।
इस सिलसिले पर नजर रखे कि जख्म अभी तक हरे हैं कि जख्म अभी तक गहरे हैंः
हिंसा की आग में झुलसा जम्मू, जगह-जगह प्रदर्शन
आज तक | - 47 मिनट पहले |
जम्मू में शुक्रवार को हालात तनावपूर्ण रहे और सिख युवकों ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए लगातार तीसरे दिन विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया. इस बीच, एक और पुलिसकर्मी को चाकू मारा गया तथा उसकी राइफल छीन ली गई. प्रदर्शन जारी प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को कश्मीर के अलावा पुंछ, राजौरी और जम्मू संभाग के अन्य इलाकों में जम्मू में गुरुवार को झड़पों में एक युवक की मौत को लेकर प्रदर्शन किया. सैकड़ों सिखों ने गुरुवार को खालिस्तानी उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टरों को हटाने को लेकर पुलिसकर्मियों पर पथराव किया था और सड़कें अवरूद्ध की थी.
जम्मू एवं कश्मीर में शुक्रवार रात राज्य प्रशासन और प्रदर्शनकारी सिख समुदाय के बीच समझौता हो गया। यह समझौता सिख समुदाय की मांग पर सहमत हो जाने के बाद हुआ।
इस समुदाय के लोग गुरुवार को सिख आतंकवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर को लेकर हुई हिंसा में एक युवक की मौत हो जाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रदर्शनकारी गुरुवार को गोली चलाने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी और उसे दंडित किए जाने की मांग कर रहे थे।
सिख समुदाय के वरिष्ठ नेताओं ने राज्य के गृह सचिव आरके गोयल, पुलिस महानिदेशक के.राजेंद्र कुमार, जम्मू मंडल के आयुक्त पवन कोटवाल और अन्य वरिष्ठ सिविल और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की।
सिख नेता तारलोचन सिंह वजीर ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि प्रशासन के साथ चार घंटे लंबी वार्ता सफल रही, क्योंकि समुदाय की सभी मांगें मान ली गई हैं।
वार्ता के तुरंत बाद सरकार ने जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उत्तम चंद के स्थानांतरण, सतवारी के एसएचओ कुलबीर सिंह के निलंबन की घोषणा की। इसके अतिरिक्त मृतक के परिजनों को पांच लाख रुपये सहायता राशि के साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई है।
सिख नेता ने कहा कि युवक का अंतिम संस्कार शनिवार को उसके पैतृक गांव चोहाला में किया जाएगा।
जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ जिले में शिक्षण संस्थान लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी बंद रहेंगे।
पुलिस ने सतवारी थाना में जम्मू के एसएसपी के सुरक्षा गार्ड के खिलाफ धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया है। यह मामला भीड़ पर गोली चलाने को लेकर दर्ज किया गया है, जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी।
पुलिस ने यह पुष्टि की कि सिख समुदाय के लोगों ने शुक्रवार को एके-47 राइफल वापस कर दी है, जो गुरुवार को प्रदर्शनकारियों ने दिगियाना इलाके में विशेष पुलिस अधिकारी से छीन लिया गया था।
इस बीच, जम्मू शहर में लैंडलाइन पर इंटरनेट सेवा शुरू कर दी गई है और फोन पर भी यह सेवा शनिवार को शुरू कर दी जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जम्मू शहर में लगाए गए प्रतिबंध को हटाने पर भी विचार किया जाएगा।
डीजीपी के.राजेंद्र कुमार ने आईएएनएस को बताया, "हम दोपहर में स्थिति का जायजा लेंगे।"
गौरतलब है कि पुलिस द्वारा भिंडरावाले का पोस्टर हटाए जाने के बाद बुधवार को सतवारी इलाके में तनाव पैदा हो गया था। इसके बाद सहायक उप निरीक्षक पर एक युवक ने चाकू से हमला किया था।
बांग्लादेश में मोदी और ममता के क्टरपंथियों के साथ रिश्ते के खुलासे को लेकर जितना गुस्सा है,उतना गुस्सा शायद तीस्ता के पानी से वंचित कर दिये जाने पर भी नहीं है।
दीदी यथासंभव जिहादी तेवर बनाये रखकर नदी में उतरबो,नहाबो ,पण वैणी ना भिजाइबो के मिजाज में हैं और मोदी के होटल से दूर हैं।इस टच मी नाट आंखमिचौनी से भारतीय राजनय का मैगी मसाला तैयार है जो बांग्लादेश को कितना हजम होता है,हम आपको यह भी सिलसिलेवार बतायेंगे।
बांग्लादेश खे हिंदुत्वादियों ने बहरहाल भारत के हिंदू ह्रदयसम्राट को चेतावनी दे रखी है कि वे अपने साथ बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले करने वाली मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतों के साथ चोली दामन का रिश्ता रखने वाली ममता बनर्जी को न लें,वरना वे काले झंडे दिखायेंगे।
बांग्लादेश में तीस्ता विवाद से ज्यादा दिलचस्पी यह है कि मोदी और ममता की युगलबंदी में संगत कैसे करेंगी तख्ता पलट की अखंड तपस्या कर रही बेगम खालिदा जिया जो बांग्लादेश में युद्ध अपराधियों की हिमायत खुल्लमखुल्ला कर रही है और भारत में युद्ध अपराध के गुजरात नरसंहार मामले में अमेरिकी क्लीन चिट के वारिस हिंदुस्तान के चक्रवर्ती सम्राट से उनकी मुलकात में क्या क्या गुल खिलने वाले हैं।
वहां बांग्ला राष्ट्रीयता के विरोधी और इस्लामी राष्ट्र के हिमायती मध्यपूर्व के वसंत के इंतजार में बेसब्र हैं ,जाहिर हैं और पलक पांवड़े बिछाकर वे तमाम लोग मोदी ममता की अगवानी में हैं। मोदी ममता के गठजोड़ से अगर खालिदा जिया और उनकी जमायत ने तख्तापलट कर लिया तो इसका अंजाम हिंदुस्तान की सेहत के लिम मैगी मसाला के अलावा और कुछ होगा नहीं।
बहरहाल इतिहास बनाने के इस सफर से भारत बांग्लादेश रिश्ते की चीरफाड़ शुरु हो गयी है और मोदीयापा मध्ये अखंड रामधुन की संगत में है तीस्ता संगीत।बांग्लादेशी अखबारों में मोदी ममता की यात्रा के मौके पर तीस्ता वंचना पर जो लिखा जा रहा है,सो तो लिखा ही जा रहा है,नेहरु के विस्तारवाद की भी जमकर आलोचना के साथ भारत में बांग्लादेश के विलय के हिंदुत्व अशवमेध के खिलाफ बाकायदा जनजागरण शुरु हो चुका है।
सबसे खराब बात जो है,उसपर शायद भारतीय मीडिया के मोदियापे का ध्यान बंटे।और न अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान समारोह के आयोजन से फारिग होकर संघ परिवार को इसकी परवाह हो।
भारत से बांग्लादेश को लाख शिकायतें हों,अबतक हर बांग्लादेशी बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम में भारत की निर्णायक भूमिका को मानता है दल मत निर्विशष।इसीलिए भारत में संघी भी अगर अटल बिहारी वाजपेयी की उस युद्द में अटल की निर्णायक राजनयिक भूमिका को भूल जाने में कोई कसर नहीं छोड़ते,बांग्लादेश लेकिन भूला नहीं है हाशिये पर धकेले गये अटल को।
अब हालात बदलने लगे हैं और बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारतीय सेना की भूमिका का नये सिरे से मूल्यांकन होने लगा है।
इसी के मध्य सेनसेक्स की उछलकूद से परेशां ब्याजदरों में कटौती और पूंजी को हर संभव छूट और मुनाफावसूली के सात चैक्स होलीडे मुहैया कराने के आर्थिक प्रबंधक वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कमजोर मानसून को लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कहा कि ऐसे अनुमान के आधार पर मुद्रास्फीति या फिर दूसरे संकट के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अतिश्योक्ति होगी।
जाहिर है कि मानसून हो न हो,मेघ बनकर बरसेंगे जेटली।
जेटली ने कहा कि पिछले 48 घंटों और जब से भारतीय मौसम विभाग ने मानसून की कमी को लेकर पूर्वानुमान घोषित किया है, अतिश्योक्तिपूर्ण तरीके से निष्कर्ष लगाये जा रहे हैं, इसलिये इस विषय पर वित्त मंत्रालय के विचारों को व्यक्त करना जरूरी हो गया था।
शेयर बाजार में पिछले तीन दिन से जारी गिरावट को रक्षान मानने से इनकार करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि विशेषतौर पर अप्रत्यक्ष करों का राजस्व संग्रह-एक मुख्य संकेतक ने प्रभावी उछाल दिखाया है।
जेटली ने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में मानसून कमजोर रहने के पुर्वानुमान से खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सिंचाई सुविधाओं से युक्त है जबकि देश के दूसरे क्षेत्रों में मानसून सामान्य रहेगा। इसके अलावा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये देश में काफी खाद्यान्न भंडार है।
जाहिर सी बात है कि किसी भी दो पड़ोसी देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ जाए तो इतिहास बनता है। कुछ ऐसा ही इतिहास शनिवार को ढाका में तब बनेगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ भूमि सीमा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इस समझौते पर भारतीय संसद पहले ही मुहर लगा चुकी है। इसके साथ ही दोनों पड़ोसी देशों के बीच 41 वर्षों से चल रहा सीमा विवाद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। दोनों सामुद्रिक सीमा विवाद का पहले ही निपटारा कर चुके हैं।
हमारा बचपन बंगाली सिख पंजाबी बर्मी तिब्बती शरणार्थियों का साझा चूल्हा रहा है।वह साझा चूल्हे की विरासत तो अब खैर सिवाय मेरे गांव बसंतीपुर में इस जहां से हमेशा हमेशा के लिए खत्म है,लेकिन उसकी दहक महक मेरी बची खुची जिंदगी अब भी है।
शरणार्थी उपनिवेश तबके नैनीताल की तराई में जन्मे पले बढ़े होने की वजह से बंगीय जड़ों से जुड़े रहने की मरणपण कवायद में लगे हमारे बुजुर्गों की मेहरबानी से बंगाल और बांग्लादेश के बारे में हम लोग शायद मूल बंगीय भूगोल से कुछ ज्यादा ही सचेत रहे हैं।
सीमाक्षेत्रों में गलियारों में बेनागरिक नरकयंत्रणा तो देश भर में शरणार्थी उपनिवेशों की अनंत व्यथा कथा अब भी है,जिसे बंगाल और बांग्लादेश और असम की मुख्यधारा के जनगण शायद ही बूझ रहे होंगे।
तब हम चौथी कि पांचवीं के ही छात्र थे और हमने तब गलियारा समस्या को लेकर बेरुबाड़ी आंदोलन पर नारी चरित्र विहीन नाटक खेला था।स्मृतियां धूमिल हो रही हैं और अब बांग्लादेश के जनम से पहले के उस नाटक का नाम याद नहीं आ रहा है।
वह विशुद्ध शरणार्थी समय नेहरु गांधी के विरुद्ध था और इस गलियारे विवाद के लिए गलियारे के लोग ही नहीं,बल्कि बाकी शरणार्थी संसार आपाधापी में सत्ता हस्तांतरण के मध्य बंगाल, काश्मीर और पंजाब बजरिये सत्ता के दावेदारों को हाशिये पर धकेल कर हिंदुस्थान बना कर उस पर काबिज होने की वारदात से लहूलुहान रहा है।तब हम भारत विभाजन पर लिखे पंजाबी,बांग्ला,अंग्रेजी और हिंदी का तमामो साहित्य आर्यसमाजी संघी गुरुदत्त के लिखे उपन्यासों के साथ निगल रहे थे।
हम अचानक हिंदू साम्राज्यवाद की बात कर नहीं रहे हैं।
मीडिया में नौकरी करते हुए पूरे पैंतीस साल और लिखते हुए करीब बयालीस साल बिता देने के बाद भाषा कुछ तीखी हो गयी होगी वरना बचपन से हम अपने बंगाली सिख बुक्सा थारु स्वजनों के चेहरे पर हिंदू साम्राज्यवाद का बेपरदा चेहरा देख रहे थे।
गृहभूमि से उखाड़े गये लोगों के मध्य गृहभूमि से उजाड़े जा रहे आदिवासियों का आंखों देखा हाल है हमारा बचपन और इसलिए बचपन से ही आदिवासी भी हमारे अपने लोग हैं और उनके अंतहीन विस्थापन के साथ नत्थी हिंदू साम्राज्यवाद का नंगा चेहरा हमारे लिए कोई सोलह मई के बाद का अजनबी चेहरा नहीं है।
गलियारा विवाद सुलझाने से इतिहास जो बनेगा सो बनेगा,नेहरु के पाप का कलंक धोना भी संघ परिवार का एक बड़ा मकसद है,जो सिर्फ भारत ही नहीं,अफगानिस्तान,श्रीलंका,पाकिस्तान,नेपाल,भूटान और बांग्लादेश का अखंड हिंदू नक्शा बनाने का योगाभ्यास कर रहा है और इस तरह हिंदू साम्राज्यवाद की विरासत से गांधी नेहरु के वंशजों को सत्ता के हाशिये से हमेशा हमेशा बेदखल करना उसका मकसद है।
मोदियापा उत्सव का यह अंतर्महल है।
सामना के संपादकीय में हिंदुस्थानी लष्करी जवानांच्या रक्ताने पुन्हा एकदा माखले के बहाने हिदुत्व के झंडे बुलंद करने के लिए सैन्य राज्यतंत्र की जोरदार वकालत की है तो संगत में रामधुन शाश्वत है।
शिवसेना खुलकर कह रही है कि मोदी महाराज राममंदिर पर बी मन की बातें करें।
प्रसंग यहां मणिपुर में उग्रवादी हमले में मारे जाने वाले जवानों के संदर्भ में हिंदुत्व राजकाज की आलोचना है और विषय विस्तार में हिंदुत्व के अखंड नक्शे पर सैन्यतंत्र का नक्शा है।
शिवसेना जो कहने लगी है दो टुक शब्दों में वह दरअसल हिंदुस्थान में मुकम्मल सैन्य शासन का हिंदुत्व एजंडा सलवा जुड़ुम है।
शिवसेना जो कहने लगी है दो टुक शब्दों में वह दरअसल भारत में पूंजी के हितों के मद्देनजर सलवा जुड़ुम और सशस्त्र सैन्यविशेषाधिकार का अखंड रामायण पाठ है।
प्रसंगःमणिपुर के चंदेल जिले में गुरुवार को विद्रोहियों ने सेना के एक काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में सेना के 20 जवान शहीद हो गए, जबकि 11 अन्य घायल हुए हैं।
इस हमले की जिम्मेदारी उल्फा समेत चार आतंकी संगठनों ने ली है। हमले के बाद मणिपुर से सटे अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर को सील करने का आदेश दे दिया गया है। इस हमले की जांच एनआईए करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सेना पर हुए इस हमले की निंदा की है। पिछले एक दशक के दौरान देश में भारतीय सेना पर हुए हमलों में इसे सबसे भीषण हमला माना जा रहा है।
सेना की 6-डोगरा रेजीमेंट का एक दल सुबह के समय सड़क की नियमित गश्त पर था। सेना का काफिला जब पारालांग और चारोंग गांव के बीच एक स्थान पर पहुंचा, तभी विद्रोहियों ने घात लगाकर हमला कर दिया।
सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि आतंकवादियों ने सबसे पहले काफिले के चार वाहनों पर रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी) से हमला किया, जिसमें काफिले के पहले वाहन में आग लग गई। सेना का यह काफिला चंदेल से इंफाल की ओर जा रहा था।
हमलावरों ने इसके बाद अचानक ही स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस हमले में शहीद हुए ज्यादातर जवानों के शव जले हुए हैं और उनकी पहचान की जा रही है।
वहीं घायलों को इंफाल स्थित सेना के शिविर के एक अस्पताल ले जाया गया।
रक्षा मंत्री के अधिकारी ने कहा, "एक वाहन, संभवत: काफिले के पहले वाहन में आरपीजी से हमले के कारण आग लग गई।"
सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई भी की लेकिन आतंकवादी भागने में कामयाब रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मणिपुर में आज हुआ हमला बहुत ही दुखद है। देश के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले हर एक सैनिक के आगे मैं सिर झुकाता हूं।"
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने विद्रोहियों द्वारा घात लगाकर किए गए इस हमले की निंदा की और कायरतापूर्ण हरकर को अंजाम देने वाले हत्यारों को सजा दिलाने की प्रतिज्ञा ली।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना मणिपुर में शांति बहाली के लिए काम करती रहेगी। इस घटना में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों के प्रति उन्होंने अपनी गहरी संवेदनाएं जताई।
सेना ने इस हमले के पीछे मणिपुर स्थित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का हाथ होने की आशंका जताई है। हालांकि सेना का कहना है कि इस हमले में नएससीएन-के का भी हाथ हो सकता है। एनएससीएन-के की जिले में मजबूत पकड़ है और हाल ही में इसने सरकार के साथ संघर्षविराम के समझौते को वापस ले लिया था।
यद्यपि मणिपुर में कई विद्रोही संगठन है लेकिन इनमें से ज्यादातर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) के नेतृत्व में काम करते हैं।
एनएससीएन का नेतृत्व ए.एस. कपलांग करता है। यह संगठन दंचेल जैसे नगा बहुल इलाकों में मौजूद है।
जाहिर है कि सुरक्षा बलों ने हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है।इसका आशय पूर्वोत्तर भारत,देश के बाकी आदिवासी भूगोल और काश्मीर के लोगों के अलावा बाकी देश समझ ही नहीं सकता।
समझता तो इरोम शर्मिला को चौदह साल तक आमरण अनशन करते रहने की जरुरत नहीं होती है।मिथकीय सीता के वनवास पर तो महाकाव्यीय आख्यान का पाठ हमारा धरम कर्म है लेकिन अपने भारत के अभिन्न मणिपुर की एक जीती जागती नारी की संघर्षगाथा से बाकी भारत की कोई सहानुभूति नहीं है,इसके बावजूद खुद को लोकतांत्रिक कहने में हमें शर्म लेकिन आती नहीं है।
इसी बीच पड़ोस को जीतने के मोदियापा के मध्यतेज से तेज होती जा रही है रामधुन।
मसलनः
'चंद्रशेखर पीएम रहते तो राममंदिर बन जाता'
बीबीसी हिन्दी-03/06/2015
बीबीसी से ख़ास बातचीत में कटियार ने कहा कि भाजपा सरकार ने एक साल के दौरान राममंदिर निर्माण के लिए कोई कोशिश नहीं की. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक वह जीवित रहेंगे राम मंदिर मुद्दे को दफ़नाया नहीं जा सकता.
राम मंदिर नहीं बना तो फूटेगा गुस्सा: विनय कटियार
दैनिक जागरण-03/06/2015
राम मंदिर बनने से कोई नहीं रोक सकता: बीजेपी सांसद ...
Zee News हिन्दी-04/06/2015
नवभारत टाइम्स-03/06/2015
अयोध्या मुद्दे पर बोले हाशिम, 'मस्जिद हमारी थी ...
Amar Ujala Lucknow-03/06/2015
साक्षी महाराज के बेतुके बोल, कहा- पगला गए हैं …
बिना राजनीतिक मदद के ही अयोध्या में बनाएंगे ...
एनडीटीवी खबर-12/05/2015
नई दिल्ली: केंद्र की बीजेपी सरकार पर कटाक्ष करते हुए हिंदू धार्मिक नेताओं ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में निर्णय देता है तो वे किसी राजनीतिक मदद के बिना अयोध्या में 'भगवान के जन्मस्थान' पर राम मंदिर का निर्माण ...
अयोध्या में राममंदिर के लिए पटेल जैसा मनोबल ...
Nai Dunia-13/05/2015
चुनाव में हिंदुत्व का नाम न ले भाजपा : निश्चलानंद
गहरा-दैनिक जागरण-13/05/2015
कारसेवकों का ढांचा गिराना बड़ी गलती
दैनिक जागरण-04/06/2015
केंद्र सरकार ने 1990 में ही राममंदिर समेत आसपास की 65 बीघा जमीन का अधिग्रहण कर चुकी है। कोर्ट में सरकार के इस फैसले को न तो किसी ने अब तक कोई चुनौती दी है और न ही कोर्ट ने ही इस पर कोई सवाल उठाया है। ऐसे में सरकार को अपनी जमीन पर ...
बाबरी गिराना कारसेवकों की सबसे बड़ी गलती ...
नवभारत टाइम्स-04/06/2015
अयोध्येत राममंदिर होणारच!
maharashtra times-31/05/2015
'देशात भव्य राममंदिराची उभारणी हा हिंदू समाजाचा गौरव ठरणार आहे. मात्र, त्याची उभारणी सरकारच्या तंत्राने व्हायला नको. खरे तर देशातील हिंदू समाज जागृत झाला, तर एका दिवसात राममंदिर उभे राहील व तशी वेळ हळूहळू येत असल्याने ...
राममंदिर को भूल गई सरकार : देवा ठाकुर
दैनिक जागरण-21/05/2015
भिवानी, जागरण संवाददाता। अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष साध्वी देवा ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने चुनाव से पूर्व अयोध्या में राममंदिर बनाने का वायदा किया था, लेकिन अब सत्तारूढ़ होते ही राममंदिर के मुद्दे को ...
राममंदिर महत्त्वाचे; मात्र विकासावर लक्ष
Lokmat-30/05/2015
नवी दिल्ली : अयोध्येत राममंदिर उभारणे हा महत्त्वाचा मुद्दा आहे. न्यायालयाच्या तोडग्याचे सरकार स्वागतच करेल, तथापि सरकारने विकासाच्या मुद्यावर लक्ष केंद्रित केले असल्याचे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंग यांनी येथे ...
गहरा-प्रभात खबर-04/06/2015
अशांत ईशान्यःसामना संपादकीय
मणिपूरमध्ये गुरुवारी झालेल्या दहशतवादी हल्ल्याने संपूर्ण देशच हादरला. हल्ला मणिपूरमधील चांदेल जिल्ह्यात झाला, पण त्याचे धक्के देशाच्या कानाकोपर्यात बसले. मणिपूरमधील जंगल हिंदुस्थानी लष्करी जवानांच्या रक्ताने पुन्हा एकदा माखले. दहशतवाद्यांनी अत्यंत पूर्वनियोजित पद्धतीने हा हल्ला घडवून आणला आणि त्यात हिंदुस्थानी लष्कराच्या सहा डोग्रा रेजिमेंटच्या २० जवानांना हौतात्म्य प्राप्त झाले. जवानांच्या प्रत्त्युत्तरात एक दहशतवादीही ठार झाला. मात्र इतर दहशतवादी जंगलात फरारी होण्यात यशस्वी झाले. पीपल्स लिबरेशन आर्मी आणि एनएससीएन (के) या दहशतवादी गटांनी या हल्ल्याची जबाबदारी स्वीकारली आहे. इतर राज्यांत नक्षलवादी-माओवादी यांचे पोलीस अथवा इतर सुरक्षा दलांवर ज्याप्रमाणे भीषण हल्ले होतात त्याच पठडीतील मणिपूरमधील हल्ला म्हणावा लागेल. गेल्या काही दिवसांत त्या भागात हिंदुस्थानी लष्करावर झालेला हा तिसरा हल्ला आहे.
२ एप्रिल रोजी राजपूत बटालियनच्या पथकावर एनएससीएन (के) याच दहशतवादी संघटनेने अरुणाचल प्रदेशमध्ये हल्ला केला होता. त्यात चार जवान शहीद झाले होते. मे महिन्यात याच संघटनेने नागालॅण्डमध्ये केलेल्या हल्ल्यात आसाम रायफल्सच्या आठ जवानांना हौतात्म्य प्राप्त झाले होते आणि आता मणिपूरमध्ये या संघटनेने मागील
२० वर्षांतील सर्वात मोठा हल्ला
घडवून आमच्या २० बहाद्दर जवानांचा बळी घेतला. या भीषण हल्ल्याने मणिपूरच नव्हे तर संपूर्ण ईशान्य हिंदुस्थानातील दहशतवादी आणि फुटीरतावादी कारवायांचा प्रश्न पुन्हा एकदा चव्हाट्यावर आला आहे. केंद्र सरकारने आता या सर्वच दहशतवादी गटांचा संपूर्ण बीमोड करण्याचे आदेश दिले आहेत. शिवाय इतरही कठोर उपाय योजण्यात येणार आहेत. त्यात म्यानमारच्या संयुक्त सहकार्याने मणिपूरच्या जंगलातील आणि म्यानमारच्या हद्दीतील दहशतवादी अड्डे उद्ध्वस्त करण्याच्या मोहिमेचा समावेश आहे. केंद्र सरकारने हिंदुस्थानी लष्कराला दिलेले थेट कारवाईचे आदेश आणि अन्य उपाययोजना स्वागतार्ह आहेत, पण त्रिपुरासारख्या राज्यातील 'अफ्स्पा' म्हणजे लष्करी विशेषाधिकार कायदा काढून घेण्याचा निर्णय ताजा असताना मणिपूरमध्ये दहशतवाद्यांनी भयंकर रक्तपात घडवून आणावा याचा अर्थ काय घ्यायचा? स्वातंत्र्योत्तर काळातील ६० वर्षांत दिल्लीच्या पूर्वीच्या राज्यकर्त्यांनी मणिपूर, नागालॅण्डसह ईशान्य हिंदुस्थानकडे, तेथील सांस्कृतिक वारशाकडे, जनतेच्या प्रश्नांकडे, तेथील फुटीरतावादी शक्ती आणि मिशनरी कारवाया यांच्याकडे दुर्लक्ष केले. त्यासंदर्भात अक्षम्य बेपर्वाई दाखवली. लष्कराकडून केल्या जाणार्या कारवायांनाही स्थानिक
राजकीय हस्तक्षेपांनी अडथळे
आणले. त्यामुळे ईशान्य हिंदुस्थान कायम अशांतच राहिला. मणिपुरात उल्फा अतिरेक्यांनी २० जवानांचा केलेला नृशंस संहार म्हणजे देशाच्या हृदयावर झालेला घावच आहे. आपल्या जवानांचे रक्त सांडण्याची ईशान्येकडील राज्यातील ही काही पहिलीच वेळ नाही. २००५ पासून २०१५ पर्यंतच्या दहा वर्षांत थोडेथोडके नव्हे तर ४५० जवानांची हत्या अतिरेक्यांनी केली आहे. याशिवाय याच कालावधीत दोन हजारांवर निरपराध नागरिक दहशतवाद्यांच्या हल्ल्यात मरण पावले, तर तीन हजारांहून अधिक अतिरेक्यांना जवानांनी कंठस्नान घातले. 'सेव्हन सिस्टर्स' म्हणून ओळखल्या जाणार्या ईशान्येकडील सात राज्यांतील रक्तपाताची दशकभरातील ही आकडेवारी धक्कादायक म्हणावी अशीच आहे. किंबहुना, जम्मू-कश्मीरपेक्षाही अधिक नरसंहार ईशान्येतील दहशतवादी हल्ल्यांत झाला आहे. हा रक्तपात थांबणार तरी कधी? या सातही राज्यांत नंगानाच घालणार्या स्थानिक अतिरेकी संघटनांकडे स्वयंचलित बंदुका, दारूगोळा, स्फोटके येतात तरी कुठून, त्यांना आर्थिक रसद कुठून मिळते, या सार्या गोष्टींचा छडा लावून त्यांची चहूबाजूने नाकेबंदी केल्याशिवाय ईशान्येतील हिंसाचार थांबणार नाही. चीन, बांगलादेशच्या सीमेवरील या राज्यात दशकानुदशके जी अशांतता आणि अस्थिरता आहे ती उद्या देशाच्या मुळावर येऊ शकते. आधीच खूप उशीर झाला आहे. आता तरी या राज्यांतील फुटीरवादी आणि देशद्रोही संघटनांच्या कारवाया ठेचून काढण्यासाठी सत्वर पावले उचलायला हवीत. त्याशिवाय अस्थिर आणि अशांत ईशान्य हिंदुस्थानची घडी बसणार नाही.
भव्य राममंदिर बनाने के सौगंध मध्ये अब महाराष्ट्र टाइम्स में संघ परिवार के अश्वमेध अभियान का जायजा भी लेंः
'देशात भव्य राममंदिराची उभारणी हा हिंदू समाजाचा गौरव ठरणार आहे. मात्र, त्याची उभारणी सरकारच्या तंत्राने व्हायला नको. खरे तर देशातील हिंदू समाज जागृत झाला, तर एका दिवसात राममंदिर उभे राहील व तशी वेळ हळूहळू येत असल्याने हिंदू समाजाच्या ताकदीवर राममंदिर होणारच,' असा दावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघाचे पश्चिम क्षेत्र संपर्क प्रमुख सुरेश जैन यांनी येथे केला.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघाच्या पश्चिम प्रांताच्या प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्गाचा समारोप येथील पेमराज सारडा महाविद्यालयात झाला. या वेळी बोलताना जैन यांनी संघाने भूतकाळात केलेल्या विविध सामाजिक कामाची सविस्तर माहिती देऊन भविष्यातील संघ वाटचालीच्या नियोजनावर भाष्य केले. सराला बेटाचे मठाधिपती रामगिरी महाराज, तसेच पश्चिम महाराष्ट्र प्रांताचे प्रांत संघचालक नानासाहेब जाधव, प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्गाचे वर्गाधिकारी अरविंद साठे, वर्ग कार्यवाह रवीकांत कळंबकर, नगर शहर संघचालक शांतीभाई चंदे आदी उपस्थित होते.
रामसेतू तोडण्याचे, तसेच अमरनाथ यात्रा बंद पाडण्याचे प्रयत्न संघाने आंदोलन व जनजागृतीद्वारे हाणून पाडले तसेच गो ग्राम यात्रेद्वारे गोवंश रक्षणाचे कार्य केल्याचे सांगून जैन म्हणाले, 'संघाने विविध समविचारी संघटनांच्या सहाय्याने उत्तुंग सामाजिक काम उभे केले असून, या सर्व कामाचा मुख्य हेतू हिंदू समाज संघटन व देशभक्त श्रेष्ठ कार्यकर्ता निर्मितीचाच आहे.'
दहशतवाद व नक्षलवादावर जैन यांनी जोरदार टीका केली. अमेरिका व अन्य देशांना दहशतवादाचे परिणाम लक्षात आल्यानंतरच भारत हजारो वर्षांपासून सहन करीत असलेल्या विविध आक्रमणांचे व दहशतवादाचे गांभीर्य त्यांना समजल्याचे जैन म्हणाले. 'देशातील राजनैतिक परिवर्तनातून देशाची एकजूट दिसली आहे. त्यामुळे देशाचा जगात सन्मान वाढला आहे. तो टिकण्यासाठी हिंदू समाज संघटन आवश्यक असून, त्यातूनच शोषणमुक्त, भ्रष्टाचारमुक्त व शिस्तप्रिय भारत निर्माण होईल,' असा विश्वासही त्यांनी व्यक्त केला.
प्रात्यक्षिके रंगली!
संघाच्या नगर येथे झालेल्या प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्गात पश्चिम महाराष्ट्रातील २५४ विद्यार्थी सहभागी झाले होते. २१ दिवसांच्या या वर्गात घेतलेल्या शिक्षणाची प्रात्यक्षिके त्यांनी सादर केली. लाठीकाठी, चक्रव्युह, द्वंद्व, प्रतिकार, संरक्षण, दंडयुद्ध तसेच दिंडी रिंगण, सघोष संचलन अशी प्रात्यक्षिके झाली.
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