अपना घर
रूपकुंड यात्रा के सिलसिले में हम वांण में "अपने" घर में ही रहे. वांण में और अपना घर..? सवाल ही तो है...! अपना घर इस लिए की जहां हम रुके वहाँ अपने घर जैसा प्यार और केयर मिली. हम हीरा के घर रुके थे.
हीरा से मुलाक़ात नंदा देवी राज जात के अवसर पर हुई थी जब उसने रात रूकने में हमारी सहायता की थी. सहायता कैसे की..ये लम्बी कहानी है..फिर कभी सुनाऊंगा. हीरा वांण से दो किलोमीटर पहले कार्ज़ा.गाँव (अब लोग इसे कैलाश पुर कहने लगे है.) में दूकान चलाता है. multi telented युवक है . शादी में विडियो खींचता है..फोटो अल्बम बनाता है..कंप्यूटर से मोबाइल में गाने अपलोड करता है. दूकान में हर लिस्म का सामान है और रूप कुंड के लिए गाइड का काम करता है..
जब मैंने उसे अपने रूप कुंड आने के प्लान के बारे में फ़ोन किया तो बोला..भाईसाहब आप आ जाइए , मैं सब तैयारी करवा दूंगा...उस पर विश्वास करते हुए मैंने अपने साथियों से रूपकुंड चलने को कहा औए वे लोग राज़ी हो गए.
हमे पहली रात वांण में ही गुजारनी थी और ये टूरिस्ट सीजन था...वहा रहने के स्थान की परेशानी ही सकती थी अतः मैंने हीरा को फ़ोन किया की हमारे रहने के लिए इंतज़ाम किसी होटल या टूरिस्ट लाज में करे...
हीरा बहुत विश्वास से बोला..भाईसाहब...आप होटल में नहीं, मेरे घर में ही रुकेंगे. मैंने जवाब में कहा की हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते और मेरे साथ दो अपरिचित भी होंगे तो बोला..हम परेशान नहीं होंगे और आपके परिचित हमारे भी परिचित हैं..आपको मेरे घर ही रहना होगा.
मैंने अपने साथियों को बताया की हम वांण में किसी होटल में नहीं बल्कि स्थानीय घर में रहने वाले है,,तो उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की. बल्कि इसे एक और एडवेंचर के रूप में लिया.
कोटद्वार से घोलतीर अपने घर, मधु के पास रात बिताने के बाद हम कर्णप्रयाग होते हुए देवाल के लिए रवाना हुए , वही से हमको वांण के लिए स्थानीय सवारी मिलनी थी..
देवाल से मैंने हीरा को फ़ोन किया तो उसने बताया की वो घर पर नहीं है बल्कि बैदिनी में एक बंगाली पार्टी के साथ है.. मैं धक्.....क्योंकि हम तो हीरा के सहारे ही वांण जा रहे थे...मैं कुछ बोलता उससे पहले ही हीरा ने कहा की मैंने घर में आपके रहने का पूरा इंतज़ाम किया हुआ है. सबको बताया हुआ है.. आप निशंकोच वहाँ पहुँचिये...फिर उसने कहा की आप जिस सुमों से आप आ रहे है उसके ड्राईवर को फोन दो. मैंने सूमो के ड्राईवर के हाथ हैं फोन दे दिया..., उसने ड्राईवर को निर्देश दिए की हमें कहाँ उतारना है... ड्राईवर हमसे बोला आप लोग चिंता ना करें मैं आपको हीरा के घर पर छोड़ दूंगा. ड्राईवर की बातों से लगा की हीरा काफी लोकप्रिय युवक है...पर उसकी अनुपस्थिति में उसके घर जाने की झिझक मन में सवार थी..सोच रहा था की वांण पहुँच कर किसी होटल की व्यवस्था करेंगे.... बीच ड्राईवर कुछ सब्जी भी ले आया..m ड्राईवर ने अपना नाम यशपाल बताया और बहुत मिलनसार लग रहा था...
मैं इस कशमकश में गुजर ही रहा था की गाडी लोहाजंग पहुंची....मेरे हल्का सरदर्द हो रहा था....साथी कॉफ़ी पीने उतारे, मुझसे भी पूछा पर मैंने मना कर दिया और सुमों में ही बैठा रहा. थोड़ी देर में देखा सुमों का ड्राईवर यशपाल मेरे लिए काफी लेकर आ रहा है. बोला "सर जी कॉफ़ी पी लो , सरदर्द ठीक हो जाएगा". मेरे साथियों से उसने कहा था की वो ही मुझे गाडी में काफी दे आयेगा और साथियों ने उसे मुझे देने के लिए कॉफ़ी दी...मैंने यशपाल ड्राईवर से कहा की उसने कष्ट क्यों किया..तो बोला आप हीरा के घर में उसके मेहमान हो तो हमारे भी मेहमान हो.. उसका इतना सा अपनत्व भी भा गया...
वांण के करीब पहुंचे तो देखा यशवंत किसी को फ़ोन कर रहा है..फ़ोन में बोला..तुम्हारे मेहमान आ रहे हैं सड़क पर आ जाओ...
कुछ दूरी पर ही उसने गाडी रोकी और कहा 'साहब जी हीरा का घर आ गया " और उसने सड़क पर खड़े एक युवक से कहा की मेहमानों का सामान उतारो...!
हम भी उतरे और युवक के साथ अपना सामान उतारने लगे. यशवंत ने कहा अब आप आराम से रहो और सब्जी का थैला युवक सुरेन्द्र को दे दिया . पता चला की हीरा ने यशवंत को कहा था की घर में सब्जी नहीं है इसलिए घर सब्जी ले आना....ये हमारे लिए सब्जी थी. गाडी का किराया देकर यशवंत से विदा ली .. चलते वक्त यशवंत बोला साहब कोई परेशानी हो तो बताना..., मैं आ जाउंगा.. और वो मुस्कराते हुए चला गया.
वांण में टूरिस्ट या क्लाइंट की जगह मेहमान के रूप में पहुचना और केयर पाना अच्छा लग रहा था.
सुरेन्द्र चुप रहने वाला बन्दा था ! वो सड़क के ऊपर ही स्थित हीरा के घर में ले गया..मुझे थोड़ी झिझक थी की हीरा था नहीं.. हम उसकी अनुपस्थिति में अजनबी की तरह आ रहे थे.. भार ही तो थे घर वालों के लिए.
सुरेन्द्र ने हमारा सामान एक कमरे में रख दिया जिसमें पहले से ही तीन बिस्तर थे पर शायद वो घर वालों द्वारा इस्तेमाल होता था क्यों की उसमे उनके कपडे और घर का सामान बिखरा हुआ था. हम आ ही गए थे तो रहना ही था..हमने एक एक बिस्तर पर कब्ज़ा कर लिया..
तब ही हीरा की मां आ गयी पानी लेकर! उन्हें देखा कर मैं प्रसन्न हो गया..क्यों..?
उन्होंने स्थानीय पहनावा पान्खुली काम्बली पहनी हुई थी और एक फोटोग्राफर को इससे ज्यादा क्या चाहिए की उसे तस्वीर खींचने का ऑब्जेक्ट मिल जाए.
बाहर गया तो हीरा की पत्नी अपने बच्चे को गोद में लिए0 मिली उसने नमस्ते की और बोली अभी चाय ला रही हूँ..! परिवार ऐसे मिल रहा था की पुराना परिचित हो, अब सारी हिचक ख़तम हो गयी थी. पर मेरे साथ एक गड़बड़ हो गयी थी , मुझे सरदर्द ने घेर लिया था. दवाई वगैरह खाकर लेट गया. मेरे साथी पैदल चलने का अभ्यास व्कराने मुक्य गाँव वांण की और चले गए. थोड़ी देर में जब सरदर्द थोडा हल्का हुआ तो बाहर आ गया..हीरा की माँ अपने नाती को लेकर बाहर ही यही और साथ में हीरा की छोटी बहन भी. उनसे गपशप होने लगी..उन्होंने हमारे बारे में पूछा, घर बार के बारे में पूछा अपने बारे में बताया..लग ही नहीं रहा था की कहीं अपरिचित जगह पर है..लगा अपने ही परिवार में हैं....
तो ये था अपना घर वांण में.....घर से दूर घर...! ज्यादा बातें बाद में शेयर करूंगा....
फोटो खींचू -- कमल कर्नाटक
अपना घर
रूपकुंड यात्रा के सिलसिले में हम वांण में "अपने" घर में ही रहे. वांण में और अपना घर..? सवाल ही तो है...! अपना घर इस लिए की जहां हम रुके वहाँ अपने घर जैसा प्यार और केयर मिली. हम हीरा के घर रुके थे.
हीरा से मुलाक़ात नंदा देवी राज जात के अवसर पर हुई थी जब उसने रात रूकने में हमारी सहायता की थी. सहायता कैसे की..ये लम्बी कहानी है..फिर कभी सुनाऊंगा. हीरा वांण से दो किलोमीटर पहले कार्ज़ा.गाँव (अब लोग इसे कैलाश पुर कहने लगे है.) में दूकान चलाता है. multi telented युवक है . शादी में विडियो खींचता है..फोटो अल्बम बनाता है..कंप्यूटर से मोबाइल में गाने अपलोड करता है. दूकान में हर लिस्म का सामान है और रूप कुंड के लिए गाइड का काम करता है..
जब मैंने उसे अपने रूप कुंड आने के प्लान के बारे में फ़ोन किया तो बोला..भाईसाहब आप आ जाइए , मैं सब तैयारी करवा दूंगा...उस पर विश्वास करते हुए मैंने अपने साथियों से रूपकुंड चलने को कहा औए वे लोग राज़ी हो गए.
हमे पहली रात वांण में ही गुजारनी थी और ये टूरिस्ट सीजन था...वहा रहने के स्थान की परेशानी ही सकती थी अतः मैंने हीरा को फ़ोन किया की हमारे रहने के लिए इंतज़ाम किसी होटल या टूरिस्ट लाज में करे...
हीरा बहुत विश्वास से बोला..भाईसाहब...आप होटल में नहीं, मेरे घर में ही रुकेंगे. मैंने जवाब में कहा की हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते और मेरे साथ दो अपरिचित भी होंगे तो बोला..हम परेशान नहीं होंगे और आपके परिचित हमारे भी परिचित हैं..आपको मेरे घर ही रहना होगा.
मैंने अपने साथियों को बताया की हम वांण में किसी होटल में नहीं बल्कि स्थानीय घर में रहने वाले है,,तो उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की. बल्कि इसे एक और एडवेंचर के रूप में लिया.
कोटद्वार से घोलतीर अपने घर, मधु के पास रात बिताने के बाद हम कर्णप्रयाग होते हुए देवाल के लिए रवाना हुए , वही से हमको वांण के लिए स्थानीय सवारी मिलनी थी..
देवाल से मैंने हीरा को फ़ोन किया तो उसने बताया की वो घर पर नहीं है बल्कि बैदिनी में एक बंगाली पार्टी के साथ है.. मैं धक्.....क्योंकि हम तो हीरा के सहारे ही वांण जा रहे थे...मैं कुछ बोलता उससे पहले ही हीरा ने कहा की मैंने घर में आपके रहने का पूरा इंतज़ाम किया हुआ है. सबको बताया हुआ है.. आप निशंकोच वहाँ पहुँचिये...फिर उसने कहा की आप जिस सुमों से आप आ रहे है उसके ड्राईवर को फोन दो. मैंने सूमो के ड्राईवर के हाथ हैं फोन दे दिया..., उसने ड्राईवर को निर्देश दिए की हमें कहाँ उतारना है... ड्राईवर हमसे बोला आप लोग चिंता ना करें मैं आपको हीरा के घर पर छोड़ दूंगा. ड्राईवर की बातों से लगा की हीरा काफी लोकप्रिय युवक है...पर उसकी अनुपस्थिति में उसके घर जाने की झिझक मन में सवार थी..सोच रहा था की वांण पहुँच कर किसी होटल की व्यवस्था करेंगे.... बीच ड्राईवर कुछ सब्जी भी ले आया..m ड्राईवर ने अपना नाम यशपाल बताया और बहुत मिलनसार लग रहा था...
मैं इस कशमकश में गुजर ही रहा था की गाडी लोहाजंग पहुंची....मेरे हल्का सरदर्द हो रहा था....साथी कॉफ़ी पीने उतारे, मुझसे भी पूछा पर मैंने मना कर दिया और सुमों में ही बैठा रहा. थोड़ी देर में देखा सुमों का ड्राईवर यशपाल मेरे लिए काफी लेकर आ रहा है. बोला "सर जी कॉफ़ी पी लो , सरदर्द ठीक हो जाएगा". मेरे साथियों से उसने कहा था की वो ही मुझे गाडी में काफी दे आयेगा और साथियों ने उसे मुझे देने के लिए कॉफ़ी दी...मैंने यशपाल ड्राईवर से कहा की उसने कष्ट क्यों किया..तो बोला आप हीरा के घर में उसके मेहमान हो तो हमारे भी मेहमान हो.. उसका इतना सा अपनत्व भी भा गया...
वांण के करीब पहुंचे तो देखा यशवंत किसी को फ़ोन कर रहा है..फ़ोन में बोला..तुम्हारे मेहमान आ रहे हैं सड़क पर आ जाओ...
कुछ दूरी पर ही उसने गाडी रोकी और कहा 'साहब जी हीरा का घर आ गया " और उसने सड़क पर खड़े एक युवक से कहा की मेहमानों का सामान उतारो...!
हम भी उतरे और युवक के साथ अपना सामान उतारने लगे. यशवंत ने कहा अब आप आराम से रहो और सब्जी का थैला युवक सुरेन्द्र को दे दिया . पता चला की हीरा ने यशवंत को कहा था की घर में सब्जी नहीं है इसलिए घर सब्जी ले आना....ये हमारे लिए सब्जी थी. गाडी का किराया देकर यशवंत से विदा ली .. चलते वक्त यशवंत बोला साहब कोई परेशानी हो तो बताना..., मैं आ जाउंगा.. और वो मुस्कराते हुए चला गया.
वांण में टूरिस्ट या क्लाइंट की जगह मेहमान के रूप में पहुचना और केयर पाना अच्छा लग रहा था.
सुरेन्द्र चुप रहने वाला बन्दा था ! वो सड़क के ऊपर ही स्थित हीरा के घर में ले गया..मुझे थोड़ी झिझक थी की हीरा था नहीं.. हम उसकी अनुपस्थिति में अजनबी की तरह आ रहे थे.. भार ही तो थे घर वालों के लिए.
सुरेन्द्र ने हमारा सामान एक कमरे में रख दिया जिसमें पहले से ही तीन बिस्तर थे पर शायद वो घर वालों द्वारा इस्तेमाल होता था क्यों की उसमे उनके कपडे और घर का सामान बिखरा हुआ था. हम आ ही गए थे तो रहना ही था..हमने एक एक बिस्तर पर कब्ज़ा कर लिया..
तब ही हीरा की मां आ गयी पानी लेकर! उन्हें देखा कर मैं प्रसन्न हो गया..क्यों..?
उन्होंने स्थानीय पहनावा पान्खुली काम्बली पहनी हुई थी और एक फोटोग्राफर को इससे ज्यादा क्या चाहिए की उसे तस्वीर खींचने का ऑब्जेक्ट मिल जाए.
बाहर गया तो हीरा की पत्नी अपने बच्चे को गोद में लिए0 मिली उसने नमस्ते की और बोली अभी चाय ला रही हूँ..! परिवार ऐसे मिल रहा था की पुराना परिचित हो, अब सारी हिचक ख़तम हो गयी थी. पर मेरे साथ एक गड़बड़ हो गयी थी , मुझे सरदर्द ने घेर लिया था. दवाई वगैरह खाकर लेट गया. मेरे साथी पैदल चलने का अभ्यास व्कराने मुक्य गाँव वांण की और चले गए. थोड़ी देर में जब सरदर्द थोडा हल्का हुआ तो बाहर आ गया..हीरा की माँ अपने नाती को लेकर बाहर ही यही और साथ में हीरा की छोटी बहन भी. उनसे गपशप होने लगी..उन्होंने हमारे बारे में पूछा, घर बार के बारे में पूछा अपने बारे में बताया..लग ही नहीं रहा था की कहीं अपरिचित जगह पर है..लगा अपने ही परिवार में हैं....
तो ये था अपना घर वांण में.....घर से दूर घर...! ज्यादा बातें बाद में शेयर करूंगा....
फोटो खींचू -- कमल कर्नाटक
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