Wednesday, June 10, 2015

मौत और दंगों का , धर्म और दबंगो का, मंडल का कमंडल भूमण्डल को निगलने खातिर खुला खेल खेलने आये हो !

   
देवेन्द्र कुमार
June 10 at 2:51am
 
तुम नंगे थे 
बस धूर्तता के लबादे में 
सजे धजे थे , 
तुम हत्यारे थे 
बस गीता से गंगा तक 
किये उपायों से बचे रहे, 
तुम अब लुटेरे हो 
इसलिए अब तुम खुलकर 
मौत और दंगों का , 
धर्म और दबंगो का, 
मंडल का कमंडल 
भूमण्डल को निगलने खातिर 
खुला खेल खेलने आये हो ! 
तुम्हारी हरकतें 
और नंगी, भूखी, लालची हवस ने 
उस कुर्सी को भी नंगा कर दिया है , 
जो आज तक लोकतंत्र का 
नुमाइंदा होने का 
नाटक भद्दे बेहूदे ढंग से ही सही 
पर सन सैंतालिस के बाद से 
लगातार करती आ रही थी .............................!

No comments:

Post a Comment