जाए तो जाए कहाँ .....
इन दिनों उत्तर प्रदेश में जिस तरह पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं ऐसा शायद आपातकाल के समय में भी नहीं हुआ था . मैं सोच रहा हूँ देश और प्रदेश की अदालतें और मानवाधिकार संगठन भी इस मामले में कुछ कहेंगे या नहीं ?
वैसे भी यह समय बहुत खतरनाक हैं , सत्ता को वोट /और समर्थन देने वाले रामजादे कहलाते हैं और बाकी ....जादे . तो कोई मंत्री कहता है वोट नहीं देना तो जाओ पाकिस्तान ...ऐसे में हमारी ख़ामोशी और भी घातक सिद्ध होगा . बात किसी एक प्रदेश की पुलिस की नहीं है , यह नज़ारा मैंने अपने हाल ही के बंगाल प्रवास के दौरान भी देखा था जब प्रदेश में नगर पालिका के चुनाव हो रहे थे . और नाम भी देखिये इन प्रदेशों की मुखियाओं के एक ममता दुसरे मुलायम .....और काम एकदम नाम के विपरीत ....इसलिए सही कहा था शेक्सपियर ने नाम में क्या रखा है ? नाम का कोई अर्थ नहीं होता ...यह सिर्फ किसी को संबोधन के लिए एक शब्द मात्र है .
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