हिमालय टूटे या समुदंर सूखे या अब कबहुं न बरसे मेघा,हमारा क्या?
ख्वाहिशों और ख्वाबों की तितलियों के पीछे भागते भागते न जाने कहां कहां भटकता रहा जिंदगीभऱ और रुसवाइयों की गिरफ्त में छटफटाता रहा जिंदगीभर कि अपने लोगों का काम तमाम हैं और हम इस बियांबां में तन्हा तन्हा कबंध हैं।
पलाश विश्वास
व्यक्ति पुजेविरुध् बाबासाहेब
इस गुस्से का हम क्या करें कि पानी अब सर ऊपर है?
गुस्सा फिर भी आता है।
गुलामों के इस गुस्से का क्या कीजिये,वे जी भरकर गरिया कर फिर मौके बेमौके वोट वही हत्यारों की सत्ता के हक में ही डालेंगे और हमेशा अपने हक हकूक से बेदखल होते रहेंगे और उनकी औरतों का आखेट वैसे ही होता रहेगा जैसा हाल में ओड़ीशा के बोलांगीर में हुआ,जैसे हरियाणा में हुआ,जैसे खैरांजलि में हुआ,जैसे नागौर में हुआ,और हम समरसता का वंदेमातरम गाते रहेंगे ।
अभी कुछ दिन और ज़िंदा रहूँगा
अधूरे लेखों को पूरा नहीं कर पाया तो
घर में जमा कागजों को छांटना है
और बहुत से काम के बर्तन हटाने हैं
जो कभी सहसा किसी की मेजबानी के वास्ते रखे थे
Amalendu Upadhyaya and hastakshep.com shared a link.
खबरों के इलाके में कविता : रघुवीर सहाय
रघुवीर सहाय- कवि मृत्यु से नहीं घबराता, न ही हारता है, न ही उससे जीवन की भीख माँगता है, न गिड़गिड़ाता है, न ही मृत्यु को अन्तिम सत्य कहकर जीवन का...
भारतमाता अब भी लालगोला के काली मंदिर में वैसे ही कैद है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी के राज में थी।
फर्क इतना है कि वंदे मातरम गाने वाले ही अब ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक हैं।
पानी सर के ऊपर है।
अब इस गुस्से का भी कुछ करो दोस्तों।
बाबासाहेब फिर पैदा नहीं होंगे।
देवमंडल के देवता फिर फिर अवतार हैं।
लेकिन गौतम बुद्ध फिर पैदा न होंगे।
बूतपरस्ती छोड़ो और इस गुलामी से आजादी के लिए जो बी संभव है ,करो।
हमारा क्या
हिमालय टूटे या समुदंर सूखे या अब कबहुं न बरसे मेघा,हमारा क्या?
हमारा क्या
Bhanwar Meghwanshi
48 mins ·
" डांगावास दलित संहार : राष्ट्र के नाम एक रिपोर्ट " शीघ्र जारी हो रही है.इसका हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशन होगा,ताकि देश और दुनिया के समक्ष डांगावास नरसंहार की हकीकत पहुंच सके.इस हेतु आपका सहयोग अपेक्षित है,आप डांगावास से सम्बंधित खबरें,तथ्य और फोटोग्राफ्स मुझे bhanwarmeghwanshi@gmail.com पर मेल अथवा 09571047777 पर व्हाट्सएप कर सकते है.आप इसके प्रकाशन तथा आम जन ,मीडिया ,प्रशासन तथा जाँच एजेन्सीजऔर सामुदायिक संगठनों व अंतर्राष्ट्रीय ह्यूमन राईट्स ऑरगेनाईजेशंस तक इसे पहुंचाने में मदद कर सकते है.हमारी कोशिस है कि डांगावास के पीड़ितों की आवाज देश के हर कोने तक पहुंचे और न्याय की उनकी लड़ाई हर भारतीय का संघर्ष बने.आप लोगों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है.आप जिस भी तरह से योगदान दे सकते है जरूर दें-भँवर मेघवंशी ( स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता ,भीलवाड़ा ,राजस्थान )
बूतपरस्त नहीं हूं।
मेरे पिता को लोगों ने बूत बनाकर रखा है।
रोज रोज उनपर हमले हो रहे हैं।
हमलावर कभी उनके हाथ काटते हैं तो कभी उनका पांव।
फिर भी शहर के बीचोंबीच वे खड़े हैं जबकि कपडा़ लपेटकर रस्सियों से बांधकर लोग उनकी पुण्यतिथि मना रहे हैं।
आस्तिक और आस्था का करिश्मा है यह।
कुल मिलाकर यही मेरा देश है।
इस मृत्यु उपत्यका में वर्गीय वर्णीय शासन के खिलाफ जो रुहें हरकतें करती रही हैं,हमने अपनी बूतपरस्ती में उन्हें कैद कर लिया है।
बाकी उन रुहों का काम तमाम है।
पिंजड़े में कैद परिंदों के डैनों में होती नही कोई उड़ान। सारा महाभारत इसी मनुस्मृति राज को बनाये रखने के लिए भरतक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे धर्मक्षेत्रे रथी महारथी तमाम दलितों के तमामों हनुमान बन चुके राम हैं और पैदल सेनाएं बहुजन बजरंगी जाहिर है कि मुक्ति कामी जनता का मोक्ष हिंदुत्व के इस नर्क में नहीं है और न बदलाव के पक्ष के जनपक्षधर लोगों का कोई रिश्ता इन समान रुप में जनसंहारी वर्गीय वर्णवर्चस्वी नस्ली कारपोरेट राजकाज और राजकरण के रंग बिरंगे झंडेवरदारों में होना चाहिए।बल्कि मुक्ति का पथ तो अस्मिताओं के इस महातिलिस्म को तोड़कर ही बनाना होगा और इसके लिए राष्ट्रशक्ति से टकराने से पहले इस कारपोरेट मीडिया के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी गुरिल्ला युद्ध अनिवार्य है।
मानसून पर वायदा बाजार गर्म है और हर चीज मंहगी इतनी कि छुओं तो हाथ जल जाये।हर चीज जो लेवेल बंद है,ब्रांड हैं और चमचमाते सितारे जिन्हें बेचते हैं,इतनी जहरीली कि उस जहर का असर आहिस्ते आहिस्ते होता है और पीढ़ी दर पीढ़ी रीढ़ गायब है।इस मुक्त बाजार का करिश्मा यह है कि इंद्रियों का काम तमाम है।
अब समुदंर गरमाये तो क्या
अब एवरेस्ट खिसकता रहे तो क्या
अब महानगरों की नींव में हो परमाणु धमाका कोई स्थगित तो क्या
तमाम ग्लेशियर पिघल जायें तो क्या
हिमालय फटकर लावा बनकर बहने लगे तो क्या
महाभूकंप हो या महासुनामी ,जीनेवाले जियें,मरने वाले मरें,फिर राहत और बचाव का चाक चौबंद इंतजाम,आम लोगो का क्या
राजकाज हो अश्वमेध और धर्म हो अधर्म,विधर्मी विरुद्धे जिहाद तो क्या
भ्रष्टाचार में गढ़ी हो नैतिकता की सीढ़ियां और विशुद्धता के राज्यतंत्र में हो कत्लेआम एक के बाद एक तो हम कबंधों का क्या
हम आईपीएल कैसिनों और जुआघऱ की मनुस्मृति अर्थशास्त्र से लेकर बजट पोटाशियम सायोनाइड और अंडे सेंते लोगों पर दशकों से लिखते रहे हैं।
चियारियों और चियारिनों के हाई प्रोफाइल जलवे से आगाह करते रहे हैं,अब रंग बिरंगे न्यूज ब्रेक ग्लोबल से जिनके मुंह पर उंगलियां,उनका क्या कहें।
कारपोरेट वकील फिर हरकत में हैं कि बचाव करें देश बेचो ब्रिंगेड का और हम भ्रष्टाचार के खिलाफे आग बबूला है,थोक में इस्तीफा मांग रहे हैं,जबकि यह सैन्यतंत्र की नींव मनुस्मृति का वर्गीयवर्णीय नस्ली रंगभेद का असमता अन्याय समरसता का सारा तंत्र मंत्र यंत्र भ्रष्ट है।विशुद्धता अशुद्ध है,रामायण और महाभारत हो,न हो।
बवाल कुछ भी कर लो ,न तख्त बदलेगा और न ताज उछलेगा और न हमारी औकात है कि हम दाने का दाने का हिसाब मांगें या फिर उस खेत को जलाकर खाक कर दें जिसकी फसल पर हमारा कोई हक नहीं।
हमें क्या कि सारे के सारे किसान खुदकशी कर लें एकमुश्त
हमें क्या सारे के सारे कलकारखाने प्रोमोटरों बिल्डरों के हवाले हो जाये
हमें क्या कि खुदरा बाजार से बेदखल हो जाये तमाम कारे लोग
हमें क्या कि मेहनतकशों के सर सारे कलम कर दिये जाये
हमें क्या कि जमीन के इंच दर इंच पर हो स्त्री से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार
हमें क्या कि हर बच्चा हो बंधुआ मजदूर
हमें क्या कि हर युवा रहे बेरोजगार
योगाभ्यास जारी है।
आंनद तेलतुंबड़े कहते हैं कि बार बार मुंबई दौड़कर जाते हो क्यों,मुंबई में पैसे बनते हैं और पैसा बनाने से किसी को फुरसत नहीं।
मैं कहता कि मराठी में भी लिखा कीजिये कि लोग अंग्रेजी जो समझते हैं ,उनके सरोकार नहीं है और जिनके सरोकार हैं,वे अंग्रेजी नहीं समझते।
आनंद कहते कि बाबासाहेब अंबेडकर के बाद हमारी क्या औकात कि हम मूक वधिरों और अंधों की पीढ़ियों का जगा दें।
आनंद कहते कि मराठी में लिखकर क्या होगा,सड़ गया है महाराष्ट्र।
हमने जोर शोर से बांग्ला में लिखना शुरु किया। हमने हस्तक्षेप पर पेज भी अलग बांग्ला का बनाया और बाकी भारतीय भाषाओं के पेज बनाने हैं।
कही कोई हलचल नहीं है।
हिंदी में साल दर साल हर मुद्दे पर जनजागरण में रात दिन लगा हूं और हमारे लोग न पढ़ते हैं,न लाइक मारते हैं और न शेयर करते हैं।
अंग्रेजी में लिखता हूं तो तमामो जनविरोधी तबकों को खबर हो जाती है और हमारे लोगों को कानोंकान खबर नहीं होती।
अब हम क्या कहें कि जिंदा हैं कि मर गये।अब हम क्या कहे कि महाराष्ट्र की तरह बंगाल भी सड़ेला है।
अब हम क्या कहें कि पिछले पच्चीस साल से हम बंद गली में कैद कुत्ता हैं जो भौक तो खूब रहा है,लेकिन चोर उचक्कों को काट नहीं सकता।
पंजाब पर खूब उछले हैं हम।एक से सवा लाख लड़ाने की विरासत आपरेशन ब्लू स्टार और सिख नरसंहार में दिवंगत है अब अकाली राजनीति के सिवाय वहां जो है वह दलितों के सारे राम के हनुमान बन जाने की हरिकथा अनंत है।
सुबह उठते ही इकोनामिक टाइम्स में मधुपर्णा दास का बाटम आलेख पर नजर चली गयी,जो उसने मिलन आसन पर लिखा है।मोदी दीदी के साझा योगाभ्यास बांग्ला राजनय की अगली कड़ी है।
मधुपर्णा कल तक हमारे साथ थी।जाते जाते हमने उससे कहा था कि मुझे बेहद खुशी है कि तुम हमें छोड़कर जा रही हो और उम्मीद है कि कुछ बेहतर होगा।
मैंने पेशेवर पत्रकार की हैसियत से न जाने कितनों की सिफारिशें की है,न जाने कितनों की कापियां जांची है और न जाने कितनों को घर से उठाकर कलमची बनाने का पापकर्म किया है।
भाषा की खुशबू और कलम की धार पहचानने में मुझसे आजतक गलती न हुई,हालांकि इस हिंदुस्तान में शायद सबसे नाकाम पत्रकार मैं खुद हूं।
मधुपर्णा देहात बंगाल और जंगल महल पर जब लिख रही थी एकदम शुरुआती दौर में,तभी मैंने दोस्तों से कहा था कि यह लड़की बहुत आगे जायेगी।मुझे खुशी है कि मैं गलत नहीं हूं।
बहरहाल बंगाल में रात दिन हिचकाक की फिल्म का प्रसारण हो रहा है और हुजूम के हुजूम एक हादसे के शिकंजे में फंसे आभिजात परिवार की वीरान हवेली में उमड़ घुमड़कर सेल्फी खेंचने में उसी तरह मशगुल है,जैसे आत्ममुग्ध महाजिन्न जो चुन चुन कर खवाहिशे पूरा करता है और अबाध रक्तनदियों की धार पर दोनों हाथ फैलाये जब तब टाइटैनिक हो जाता है।
मिलन योगाभ्यास जारी है।
देश जनता परिवार है।
समाजवाद भी तानाशाही में तब्दील।
हमारा क्या
Assam Bandh Today,demand citizenship for everyone and opposing Hindu citizenship.বাংলাদেশী ও অসমত নাগৰিকত্ব বিছাৰি অসম বন্ধ দিব পৰা হ'ল । হায় ৰে আমাৰ অসম !!!! লাজেই লাগিল, নাকটো বাৰু ক'ত থওঁ !!!!
हमारा क्या
কৃষক মুক্তি সংগ্ৰাম সমিতিৰ ধৰ্ণা,APSC ৰ দুৰ্নীতিৰ বিৰুদ্ধে,অখিল গগৈ আতক।খানাপাৰাৰ পি�ছত আকৌ সৰু হোজাইত বিশাল আন্দোলন
हमारा क्या
वैसे भी यह समय बहुत खतरनाक हैं , सत्ता को वोट /और समर्थन देने वाले रामजादे कहलाते हैं और बाकी ....जादे
हमारा क्या
राजस्थान सरकार ने बीड़ी-सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों से 20 फीसदी टैक्स कम कर दिया है। साथ ही दलील दी गई है कि जनहित में यह फैसला लिया गया है।
हमारा क्या
Minister,Dhaka University Vice Chancellor and 23 other get Death Threat in Bangladesh!
हमारा क्या
রোজার আগে বাজার গরম!
'প্রতিটি জিনিসেরই দাম বেড়েছে। রোজা এলেই একটা নিয়ম হয়ে গেছে জিনিসের দাম বাড়বে। আর এর ভোগান্তি পোহাতে...
हमारा क्या
सिर्फ परछार्इं पड़ने पर कर दी
आदिवासी लड़की की पिटाई
हमारा क्या
Jammat call strike on wednesday in Bangladesh!জনাব মুজাহিদকে হত্যার সরকারী ষড়ন্ত্রের প্রতিবাদে দেশব্যাপী ২৪ ঘন্টার হরতাল ঘোষণা
हमारा क्या
An Innocent poor SC girl (15 yrs matric passed girl) raped n murdered by bloddy bastards n also they brutally cut all d sensitive parts of Snehalata.
http://palashscape.blogspot.in/2015/06/an-innocent-poor-sc-girl-snehalata-15.html
हमारा क्या
Privitisation ruined British Rail one of the best in the world. Our government is going to destroy this great public asset we all have Indian Railways.
हमारा क्या
'रघुवंशिन कर सहज सुभाऊ मन कुपंथ पग धरे न काहू।' तात्पर्य यह कि रघुवंशियों पर इस मामले में कोई 'क्लाॅज' लागू नहीं होगा।
ख्वाहिशों और ख्वाबों की तितलियों के पीछे भागते भागते न जाने कहां कहां भटकता रहा जिंदगीभऱ और रुसवाइयों की गिरफ्त में छटफटाता रहा जिंदगीभर कि अपने लोगों का काम तमाम हैं और हम इस बियांबां में तन्हा तन्हा कबंध हैं।
राजीव लोचन साह दाज्यू से जबभी मुलाकात होती है,वे हमेशा चेतावनी देते हैं कि जमीन कहीं पक नहीं रही है और न जमीन के नीचे कोई भूमिगत आग है।आग की ख्वाहिश में होश में आकर देखो भी अब भी पहाड़ उतना ही सर्द है,जहां किसी तपिश का अहसास दरअसल किसी को होता नहीं है।
आत्ममुग्धता से बाहर भी निकलो यारों कि भूकंप,भूस्खलन और डूब में कैद लोगों को जगाना भी मुश्किल है।
उसी हिमालय में हजारों सालों से कैद हमारी रुह समुंदर की गहराइयों में फना हैं और समुंदर गरमा रहा है,जंगल में फूल महके दहके या बहके या बारुद की तरह फटे या जमीन पर लावा बह निकले या सीमेंट के अभयारण्यों में इंसानियत कभी खिलखिलाये - या कुछ भी न हो इस कायनात में कहीं भी- अल निनो आखिरी कहर नहीं है।
मानसून फिर कभी हो या न हो,ग्लेशियर पिघले या न पिघले,सुनामियों और भूकंपों का सिलसिला बंद हो या न हो,कायनात बचे या बचे.इंसानियत मरे या जिये,मुक्त बाजार के महाजिन्न को बोतल से रिहा किया है हमने और वह जिन्न चुन चुनकर ख्वाहिशें पूरी करने में लगा हैं जिन्हें उसने आका माना हुआ है,ठीक उसी तरह ,जिसतरह कत्लेआम में वह माहिर है,अरब की रातों में दरअसल कत्लेआम की यह कथा दर्ज नहीं है जैसे इतिहास के पन्नों से मिटाये जा रहे हैं वे तमाम हरुफ,जो गवाह हैं तमाम अश्वमेधों,तमाम राजसूय,आयजनों और तमाम नरसंहारों के और अब इतिहास सिर्फ वैदिकी मंत्र है और भूगोल महज अंतहीन कोई कुरुक्षेत्र,जहां अकेला खड़ा होना मना है।
कबंधों का पक्ष नहीं होता कोई।उधार के चेहरों में जुबान नहीं होती।
कबंध की कोई रुह नहीं होती।
जो सिर धड़ पर प्रत्यारोपित है,बहरहाल वह डिजिटल है,बायोमैट्रिक है और रोबोटिक है जो कमान से काम करता है और जिसका अपना कोई मत नहीं,मतातंर भी नहीं।
न सहमति का विवेक है और न असहमति का साहस है।
श्रीमन सुदत्त वानखेड़े लिहिलाः
व्यक्ति पुजेविरुध् बाबासाहेब
(आपल्या 55 व्या जन्मदिनी चेन्नई च्या जय भीम ला पथवलेल्या संदेशात)
डॉ बाबासाहेब म्हणतात , माझ्या 55 व्या वाढदिवसी तुम्ही प्रकाशित करणार असलेल्या तुमच्या विशेषंकासाठी मी संदेस पाठवावा असे आपण म्हटले आहे.राजकीय नेत्याला प्रेषिताच्या पातळीवर नेऊन बसवले जाते, ही भारतातील एक दुर्दैवी वस्तुस्थिति आहे.भारताच्या बाहेर लोक आपापल्या प्रेषितांचे वाढदिवस साजरे करतात.येथे भारतातच फ़क्त प्रेषिता बरोबर राजकरण्याचेही जन्मदिवस साजरे केले जातात.ही परिस्थिति केविलवाणीच म्हणावि लागेल.व्यक्तिश: मला माझा वाढदिवस साजरा केलेला आवडत नाही.मी इतका लोकशाहीवादी आहे,की व्यक्तिपूजा मला रुचनेच शक्य नाही.व्यक्तिपूजेला मी लोकशाहीचे विडंबन समजतो.नेत्यांची तशी पात्रता असेल तर,त्याच्याबदल कौतुक,प्रेम,सदभावना, आणि आदर चालेल.नेता आणि अनुयायी दोहोंसाठी एवढे पर्याप्त ठरावे पण नेत्याची पूजा मुळीच क्षम्य नाही.
इस गुस्से का हम आखिर क्या करें,समझना पहेली है।
फिलहाल गुस्से का सबब दिनेशपुर से पिताजी की 14 वीं पुण्यतिथि मनाये जाने की तस्वीरें और खबरें है।मुझे उनकी पुण्यतिथि याद नहीं रहती और न उन्हें मैं श्रद्धांजलि की रस्म अदायगी से भूलना चाहता हूं।
वे हमारी गुलामी की वारिस हैं।विरासत हैं।हमारी तकलीफों की आत्मा हैं वे और हमारी अंतहीन लड़ाई में उनकी कोई पुण्यतिथि हो नहीं सकती जैसे कि उनकी कोई जन्मतिथि नहीं होती।
इन तस्वीरों में जो कथा है,वह मैं समझ रहा हूं और भीतर ही भीतर दहक रहा हूं।
पिता की मूर्ति तो बनाकर बैठा दी गयी है लेकिन जनम मरण दिन के अलावा कोई उन्हें याद नहीं करता।साल भर कभी उनके हाथ तोड़ दिये जाते हैं तो कभी उनके पांव तोड़ दिये जाते हैं।
मूर्ति को कपड़ा लपेटकर रस्सियों से बांधकर श्रद्धांजलि की यह कौन सी रस्म अदायगी है,इस सोच सोचकर मन लेकिन दुर्वासा है।तपबल नहीं है,गनीमत है वरना न जाने किस किसको भस्म कर देता।
दर्सल पिता की यह मूर्ति इस देश में मूर्ति पूजा की असलियत है।
दरअसल गांधी और अंबेडकर समेत तमाम जो मूर्तियां हमने गढ़ ली हैं,वे सारी की सारी इसी तरह रस्सियों से बंधी हैं।कपड़ा लिपटा हो या न हो।हम ये मूर्तियां बनाते हैं तोड़ने के लिए ही।जब तक तोड़ते नहीं हैं, बांधकर रखते हैं।ताकि वे हमारे काम आयें।
बसंतीपुर के चेहरे मेरे भाई पद्दोलोचन,पड़ोसी निताई दास और मेरे सबसे पुराने दोस्त टेक्का के अलावा इस तस्वीर में एको मेरी पहचान का नहीं है।
जब बसंतीपुर वालों को ही पुलिनबाबू याद नहीं हैं तो बाकी तराईवाले क्यों भला याद करें जबकि फनफनाता हुआ हिंदुत्व पल छिन पल छिन उस मूर्ति को खंडित कर रहा है क्योंकि हिंदू साम्राज्यवाद के लिए पुलिनबाबू काम की कोई चीज नहीं है और बाकी राजनीति ने उनका जितना इस्तेमाल करना था,उतना कर लिया है।
इसलिए हम बार बार अनुरोध करते हैं कि बहुत कर लिया याद,जब उनकी लड़ाई से किसी को कोई मतलब नहीं तो इस बूतपरस्ती का क्या मतलब।वैसे ही हर मूर्ति विसर्जित होने के लिए बनती है,इसे भी विसर्जित कर ही दें,तो बेहतर है।
मसला लेकिन पिता की यह खंडित विखंडित रस्सियों से बंधी मूर्ति नहीं है।वे हमारे लिए चाहे जितने खास हों,आखिरकार वे थे तो एक अदद आम आदमी।
यकीन मानिये कि जितनी दुर्गति मेरे पिता की मूर्ति की है,उससे कहीं ज्यादा दुर्गति गांधी और अंबेडकर की है।
भले ही उन्हें श्रद्दांजलि देने वालों का कुंभमेला लगता हो मौके बेमौके पर,मुक्तबाजार में उनका किसी भी तरह के इस्तेमाल की छूट है और उनके खरीददार खूब हैं।
गनीमत हैं कि पुलिनबाबू के खरीददार कोई नहीं है और आजीवन वंचित वर्ग के हक हकूक के लिए मरते खपते पुलिनबाबू का हिंदुत्व के एजंडे के लिए कोई इस्तेमाल हो नहीं रहा है।
जहां तक गुस्से की बात है,वह हमारे वजूद का हिस्सा है क्योंकि जैसे मेरे पिता पुलिनबाबू मरने के चौदह साल बाद भी गुलामी की जंजीरों में कैद हैं,वैसे ही महामना गौतम बुद्ध से लेकर बाबासाहेब तक हजारों हजार साल से समता और न्याय की लड़ाई,मनुष्य और प्रकृति के अधिकारों की लड़ाई,अश्वेत और अछूतों,बहुजनों और मूलनिवासियों की लड़ाई लड़ने वाले हमारे तमाम पुरखे गुलामी की जंजीरों में कैद हैं।
The inspiration of Bankimchandra's Anand Math by Dr. Pradip ...
www.boloji.com217 × 288Search by image
There is an image of Kali in the Lalgola palace temple that is unique. Its four hands are bereft of any weapon. The two lower hands are folded in front .
जैसे साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र ने मुर्शिदाबाद के लालगोला(अब लालगोला मुक्त जेल) में सन्यासी विद्रोहियों की गुलाम देश के प्रतीक बतौर जिस भारी लोहे की जंजीरों में बंधी कालीमां के मंदिर में रहकर वंदे मातरम की रचना की थी या विवादों के मुताबिक विद्रोहियों के रचे श्लोक को आधार बनाकर आनंदमठ लिखा था और जो वंदेमातरम और भारतमाता दोनों की देह है,आजादी के सात दशक बाद भी वह जंजीरों में कैद हैं।
किसी ने मां काली की इस मूर्ति में कैद हजारों साल से गुलामी जीती भारतमाता की रिहाई के बारे में नहीं सोचा।
दो दो बार सत्ता में आकर वंदे मातरम को अनिवार्य करने वाले,रामंदिर बनाने की सौगंध खाने वाले,बच्चा बच्चा राम के नाम बलिप्रदत्त करने वाले,बाबरी विध्वंस से लेकर गुजरात नरसंहार तक कोहराम मचाते हुए विदेशी पूंजी के हवाले देश करनेवाले और हर कार्यक्रम वंदेमातरम से शुरु करने वाले विधर्मियों के खिलाफ इसी वंदेमातरम का इस्तेमाल करने वाले केसरिया किसी राम,लक्ष्मण या हनुमान ने इस बंदिनी भारतमाता को आजाद करने के बारे में सोचा तक नहीं।
राममंदिर आंदोलन के किसी महामहिम ने इस भारतमाता का कभी दर्शन किया है या नहीं,हम यह भी नहीं जानते।
बहरहाल गुस्से की विरासत हममें घनघोर है।
इस गुस्से से निजात पाने के उपाय भी स्वजनों के खिलाफ गालीगलौज और मारपीट का शार्टकट है।हमारे बहुजनसमाज इस मामले में हजारों साल से उस्ताद हैं।
बंगाल में कहावत है,राजदरबारे हेरे एसे घरे एसे बउ मारे।
इस मुहावरे के आशय है कि राजकाज के बारे में अनजान राजदरबार में पिटते लुटते घर की औरत पर कहर बरपाना ही पुरुषार्थ है।
सारे गुस्से का इजहार निहत्थे औरतों और बच्चों पर।
हालिया बलात्कार संस्कृति और स्त्री विरोधी वीभत्स वैदिकी हिंसा की जड़ में भी वहीं स्त्री योनि पर झंडे फहराने के करतब दोहराने की विरासत है।
कुल मिलाकर हिंदुत्व का सच यही है।
वर्ग वर्ण शासन के खिलाफ लाचार गुलाम बहुसंख्य बहुजन जनगण में गुस्सा भीतर ही भीतर ज्वालामुखी समान है और वे अपने इस गुस्से का इजहार परिवार समाज में सबसे कमजोर और निहत्थे तबके के खिलाफ करते हैं तो सत्ता वर्ग के दमन उत्पीड़न की भाषा फिर वहीं बालत्कार संस्कृत है(संस्कृति नहीं,संस्कृत),देवसंस्कृति की विरासत में मर्त्यलोक के अश्वेत अछूत विरादरी के हिंदुत्व का यही आचरण है।
हमारी लोक भाषा में बहुजन स्त्री पुरुष के नैसर्गिक संवाद को अश्लील माना नहीं जाता और भद्र संसार की अश्लील दुनिया में उत्पीड़ितों की भाषा हमेशा अश्लील लगती है जैसे उत्पीड़ितों की हर आवाज अश्लील देशद्रोह।
सारारा गालियों को लोक त्योहारों,रस्मोरिवाज में तब्दील करके गुलामों के गुस्से को विशुद्ध वैदिकी सब्यता में निष्णात कर दिया गया है।
गुलामों की भाषा अब सिरे से नपुंसक है।
गुलामी का गु्स्सा भी सिरे से नपुंसक है।
मसलन जब कोई मेरी हैसियत और पहचान,जात जनम को निशाना बांधकर ऊंची आवाज में वैदिकी भाषा में भी बोलता है, या बिना बोले अपने आचरण से वही भाषा संप्रेषित करता है तो मेरा मन यकायक नरसिंहावतार बन जाता है,लेकिन वैदिकी संस्कृति में शूद्र वध्य हैं और उन्हें किसी का वध करने का अधिकार नहीं है।
हम हजारों साल से यही मानते हैं कि हम वध्य हैं और हम अपना दुर्गोत्सव जैसा यह वध उत्सव मनाते रहते हैं और अपने इस हिंदुत्व की वजह से विरोध प्रतिरोध की भाषा ही भूल चुके हैं।
जाति की पहचान के साथ वंचना,अन्याय,असमता और उत्पीड़न,कत्लेआम का इतिहास झाढ़ू और गले में मटका गायब होने के बावजूद बंदिनी भारत मां कालीमां की तरह जस का तस है और हिंदुत्व के इस गोरा साम्राज्य मुक्तबाजारी रामराज्य में हम अपना काला रंग और इसके साथ अश्वेत सौंदर्यबोध भी भूल गये हैं।वजूद भूल गये हैं।
गदहा पढ़ लिखकर भी गदहा रहता है और घोडो़ं को पढ़ने लिखने की कोई जरुरत होताइच नहीं क्योंकि वे जनमजात मेधासमृद्ध हैं।
इसलिए तमाम हैसियतों,पदों पर उन्हींका वर्चस्व होना चाहिए क्योंकि घोढ़ों के लिए जनमजात संरक्षण का स्थाई बंदोबस्त है और गदहों को संरक्षण का मतलब है उनकी पीठ पर चीनी के बोरे डालो या नून के बस्ते,मालूम ही नहीं पड़ेगा।
ढोते रहेंगे,ढोते रहेंगे गुलामी का बोझ और कुछ मूर्तियां बाना दी जायेंगी जहां रो धोकर मनोवासना की आस्था में निष्णात हजारों साल से जो वे खपते रहे हैं ,खपते रहेंगे।
अब शिक्षा,चिकित्सा से लेकर बैंकिंग,बिजली और रेलवे के निजीकरण के खिलाफ सिर्फ गिने चुने लोग बोल रहे हैं बाकी अपना अपना गला बढ़ाये,चारा चबाते हुए बाजार का जिंगल गुनगुनाते हुए वध हने के लिए कतारबद्ध हैं इस अनंत वधस्थल पर।
कमफोर्ट जोन के तमाम लोग,क्रयक्षमता धारक तमाम लोग सत्ता जाति सत्ता वर्ग के तमाम लोग निजीकरण उदारीकरण ग्लोबीकरण के झंडेवरदार ही नहीं हैं,उनके मुखर आक्रामक प्रवक्ता हैं।मुक्तबाजार में उनकी चांदी,उनका सोना तो काहे को रोना धोना।
मगर जो मारे जा रहे हैं,जो मारे जाने वाले हैं,हजारो सालों से गुलाम हैं,मूक वधिर और अंधे,हिंदुत्व के नर्क में कीड़े मकोड़े या गंदी नालियों में बहने वाले जात कुजात बेजनमा बेनागरिक बहुजन जनता हैं,वे बाबासाहेब का नाम जापते हुए बाबासाहेब की मूर्ति गौतम बुद्ध की मूर्ति को जंजीरों से बांधते रहेंगे,क्योंकि गुलामी की इन्हीं जंजीरों ही उनकी जान है।गुलाम अगर आजाद होंगे तो गुलामी के हजारों सालों से अब्यस्त गुलाम जी नहीं सकेंगे।इसीलिए हम शामिल हो रहे हैं,होते रहेंगे अपने ही वध महोत्सव में।
गुस्सा फिर भी आता है।
गुलामों के इस गुस्से का क्या कीजिये,वे जीभरकर गरिया कर फिर मौके बमौके वोट वही हत्यारों की सत्ता के हक में ही डालेंगे और हमेशा अपने हक हकूक से बेदखल होते रहेंगे और उनकी औरतो का आखेट वैसे ही होता रहेगा जैसा हाल में ओड़ीशा बोलांगीर में हुआ,जैसे हरियाणा में हुआ,जैसे खैरंजलि में हुआ,जैसे नागौर में हुआ,और हम समरसता का वंदेमातरम गाते रहेंगे जबकि भारतमाता अब भी लालगोला के काली मंदिर में वैसे ही कैद है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी के राज में थी।
फर्क इतना है कि वंदे मातरम गाने वाले ही अब ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक हैं।
पानी सर के ऊपर है।अब इस गुस्से का भी कुछ करो दोस्तों।
बाबासाहेब फिर पैदा नहीं होंगे।
देवमंडल के देवता फिर फिर अवतार हैं।
लेकिन गौतम बुद्ध फिर पैदा न होंगे।
बूतपरस्ती छोड़ो और इस गुलामी से आजादी के लिए जो भी संभव है ,करो।
आज से मलमास शुरू हो गया है। फोटो पर क्लिक करके जानें कि इस दौरान मांगलिक कार्य क्यों वर्जित रहते हैं और कैसे काम किए जा सकते हैं...
आज से 'मलमास' शुरू, एक माह तक मांगलिक कार्यों पर रोक
An Innocent poor SC girl Snehalata (15 yrs matric passed girl) raped n murdered by bloddy bastards n also they brutally cut all d sensitive parts of Snehalata.
http://palashscape.blogspot.in/2015/06/an-innocent-poor-sc-girl-snehalata-15.html
Fatwa, Vande Mataram, Anandamath, Sanyasi Vidroh ...
o3.indiatimes.com/nandigram/archive/2009/11/09/4985544.aspx
Nov 9, 2009 - Vande Mataram Anand Math Lata Hemant Bankim Original ... Faces of Future Lost In Virtual Reality Palash Biswas ( You may publish the ...
Sickled BHARAT MATA, Vande Mataram, Bankim Chandra ...
o3.indiatimes.com/palashbiswas/archive/2008/11/21/4948888.aspx
Nov 21, 2008 - Was Vande Matram Written By. Bankim at All, Another. Controve
Sickled BHARAT MATA, Vande Mataram, Bankim Chandra ...
https://groups.yahoo.com/neo/groups/agtian_students/.../1375
Jan 15, 2009 - On Fri, 11/21/08, palash biswas <banga_sss2003@. .... We were stunned to see the SICKLE BHARAT MATA temple being so marginalised and …
हमारा क्या
Lalit Modi had some very high profile cheerleaders
Posted:Tue, 16 Jun 2015 17:32:10 +0000
Lalit Modi had some very high profile cheerleaders as well who entertain the Man in exile! Rajasthan link exposed? Did Vasundhara Raje endorse Lalit Modi's application for immigration? Remember...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के विरोध में प्रदर्शन
Posted:Tue, 16 Jun 2015 17:16:43 +0000
साॅफ्ट पॉर्न फिल्मस्टार और बलात्कारी आसाराम के भक्त गजेन्द्र चौहान की पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट #FTII के चेयरमैन के पद पर नियुक्ति के ख़िलाफ़ पुणे में शुरू हुए...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
समाजवादी पार्टी के फ़र्ज़ी समाजवाद में बुरी हालत मज़दूरों की
Posted:Tue, 16 Jun 2015 15:44:38 +0000
नाम समाजवादी पार्टी और काम शुद्ध पूंजीवादी। यही हाल है उत्तर प्रदेश की तथाकथित समाजवादी पार्टी सरकार का। साप्ताहिक समाचारपत्र मजदूर बिगुल ने इस संबंध में अपने मई 2015 के अंक में सत्येंद्र की रिपोर्ट...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
Sakshi Maharaj CLAIMS to be TRUE MUSLIM,
Posted:Tue, 16 Jun 2015 13:37:29 +0000
Sakshi Maharaj CLAIMS to be TRUE MUSLIM Sakshi Maharaj has stated that he is a TRUE MUSLIM, as he has IMAAN, and he can offer NAMAAZ to Allah in a MOSQUE. He also believes that Prophet Mohammed was a...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
Ultimate Genie`s days out! Ambani Adani Swaraj Jaman is the tip of the Iceberg Purity!
Posted:Tue, 16 Jun 2015 12:51:28 +0000
Ultimate Genie`s days out! Ambani Adani Swaraj Jaman is the tip of the Iceberg Purity! Never complain? Why do we complain? We opened the cock of the Bottle and the Ultimate Genie is out to fulfil the...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
HIRE AND FIRE POLICY FOR GOVT SERVANTS
Posted:Tue, 16 Jun 2015 12:28:27 +0000
HIRE AND FIRE POLICY FOR GOVT SERVANTS Huge, useless, mostly corrupt Bureaucracy is the Bane of India. Atleast corrupt politicians can be removed in elections every five year. But corrupt IAS/IPS...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
विभाजन की लकीरें
Posted:Tue, 16 Jun 2015 10:04:30 +0000
विभाजन की लकीरें सआदत हसन मंटो ने अपनी मशहूर रचना 'टोबा टेक सिंह' में एक मेंटल हॉस्पिटल का जिक्र करते हुए बताया था कि सन् 1947 में सिर्फ हिन्दुस्तान के लोग और ज़मीन नहीं बँटे थे, बल्कि...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मोदी का " मानवीय चेहरा "
Posted:Tue, 16 Jun 2015 09:22:07 +0000
कैंसर पीड़ित पत्नी के इलाज के लिये "मानवीय" आधार पर विदेशमंत्री (?) सुषमा स्वराज की अनुशंसा पर ललित मोदी को दो वर्ष के लिये ट्रैवल डाक्युमेंट मिले। उनके जो ताज़ा फोटो इन दिनों सोशल मीडिया...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
Mumbai Press Club condemns the brutal murder of Journalist Jagendra Singh
Posted:Tue, 16 Jun 2015 08:53:03 +0000
Mumbai Press Club condemns the brutal murder of Journalist Jagendra Singh The Mumbai Press Club views with concern and shock the brutal murder of freelance journalist Jagendra Singh by members of...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
NAPM denounces the Land Acquisition Bill 2015 as anti-farmer-labourer and anti – democratic
Posted:Tue, 16 Jun 2015 08:45:15 +0000
Joint Committee of Parliamentarians on Land Bill hears NAPM delegation Land Acquisition Bill 2015 New Delhi : On June 15, National Alliance of people's movements (NAPM) delegation led by Medha Patkar...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
खबरों के इलाके में कविता : रघुवीर सहाय
Posted:Tue, 16 Jun 2015 08:34:27 +0000
किसी रचनाकार के खाली पड़े सिरहाने और पैताने तक की अस्त-व्यस्त खाली पड़ी पसरी दुनिया से कुछ भी बटोरकर, सहेजकर, समेटकर, एकत्रित कर उसके जाने के बाद बचे हुए नगदी दिनों की तफ्तीश करना बिल्कुल वैसा ही है,...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
सिर्फ ग्रेकस बदला है नीति नहीं…
Posted:Tue, 16 Jun 2015 07:57:16 +0000
पहली बार मोदी की अगुवाई में किसी राजनीतिक दल ने उजागर और घोषित रूप से पूंजीपतियों के लिए, पूंजीपतियों की मदद से चुनाव लड़ा 2014 के 16वीं लोकसभा के गठन के लिए हुए आम चुनाव से इस मामले में भिन्न हैं कि...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
मंत्री की गिरफ्तारी की मांग को लेकर देशव्यापी हुआ आंदोलन तो हत्यारोपी मंत्री के समर्थन में निर्लज्जता के साथ उतरी सपा सरकार
Posted:Mon, 15 Jun 2015 23:32:54 +0000
दिल्ली पहुंची जगेंद्र को इंसाफ दिलाने की मांग जंतर-मंतर पर पत्रकारों का विशाल प्रदर्शन प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा, अभिव्यक्ति की आजादी को सुरक्षा देने की मांग नई दिल्ली।...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
झूठा है मोदी का विकास का नारा
Posted:Mon, 15 Jun 2015 23:12:22 +0000
समग्र भूमि उपयोग नीति के लिए 9-10 अगस्त को दिल्ली में होगा प्रदर्शन! शाहजहांपुर का दौरा करेगी आइपीएफ की टीम! प्रोफेसर कमर जहां आइपीएफ उ0 प्र0 इकाई की अध्यक्ष चुनी गयीं! आइपीएफ राज्य ईकाई की बैठक हुई...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
यूपी में जंगल राज के खिलाफ आपातकाल की बरसी पर लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करेगा रिहाई मंच
Posted:Mon, 15 Jun 2015 23:04:17 +0000
पीलीभीत, कानपुर में पत्रकारों पर हमले व बांदा में किसान को जिंदा जला देने की घटना सपा की अपराधियों के संरक्षण नीति का नतीजा लखनऊ 15 जून 2015। रिहाई मंच ने कहा है कि पत्रकार जगेन्द्र को राज्यमंत्री...
पूरा आलेख पढने के लिए देखें एवं अपनी प्रतिक्रिया भी दें http://hastakshep.com/
১৯৫৩ সালে মনকাডা দুর্গ অবরোধের ' অপরাধে ' গ্রেপ্তারের পর বিচারপতিদের সামনে সওয়াল করে ফিদেল কাস্ত্রো একটি বক্তৃতা করেন । শেষ অংশে বলছেনঃ - " আমি জানি আমার জন্য কারাবাসে অন্য যে কারোর চাইতে কঠোরতম কাপুরুষোচিত হুমকি আর বিদ্বেষ পূর্ণ নিঠুরতা অপেক্ষা করছে । কিন্তু আমি কারাবাসকে ভয় পাই না, যেমন Aaমি ভয় পাই না সেই হীন স্বৈরাচারীর ক্রোধকে, যে আমার সত্তরজন কমরেডের জীবন নিয়ে নিয়েছে । আমাকে আপনারা সাজা দিন , তাতে কিছু যায় আসে না । ইতিহাস আমাকে মুক্ত করবে ।"
हमारा क्या
जिहादियो की दास्तान खुद उनकी जुबान मे, सेक्स के भूखे जवानो का एक अनोखा तिलिस्म. . . .
Huge numbers of Muslims are turning to ISIS because they want SEX
Bradford Imam Alyas Karmani said young Muslim men are at risk of being radicalised by terrorist groups because they feel isolated in a 'sexualised' British...
हमारा क्या
Kanchan Joshi
4 hrs ·
केदारनाथ आपदा की दूसरी बरसी पर केंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड की छाती पर फिर बड़े बांधों का टाइमबम बाँधने की तैयारी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से आपदा में बड़े बांधों की खतरनाक भूमिका पर जवाब माँगा था। केंद्र द्वारा गठित पूर्व दो समितियों ने बड़े बांधों के खिलाफ सिफारिश की थी। परन्तु सरकार की मंशा उत्तराखण्ड के आम नागरिक के जान माल की कीमत पर बड़े बांधों के निर्माण की है। इसीलिए उसने पूर्व समितियों की सिफारिश को दरकिनार करते हुए 12 सदस्यीय एक नई समिति बनाई है,जिसमे मात्र 4 स्वतंत्र पर्यावरण विशेषज्ञ हैं,बाकी 8 सरकार के कर्मचारी। इस तरह की समिति निश्चित ही सरकार की मंशा को ही अपनी राय के रूप में प्रस्तुत करेगी। तो मित्रो संवेदनशीं भूकम्प जोन 5 में नेपाल से सटे पंचेश्वर बाँध के लिए तैयार हो जाइये, क्योंकि ठेकों का खेल बड़ा होता है,इंसानी जान माल से
हमारा क्या
हमारा क्या
'Please help me get my passport back too,' anti-nuclear protestor pleads with Sushma Swaraj
SP Udayakumar says he needs to travel abroad to fulfill academic obligations and earn a living.
SCROLL.IN|BY R RAMASUBRAMANIAN
हमारा क्या
নারী নির্যাতন রোধে আইনশৃঙ্খলা রক্ষাকারী বাহিনী 'একরকম ব্যর্থ': আনিসুজ্জামান
www.prothom-alo.com/bangladesh/article/555019
নারী নির্যাতন রোধে আইনশৃঙ্খলা রক্ষাকারী বাহিনী 'একরকম ব্যর্থ': আনিসুজ্জামান
ঢাকা বিশ্ববিদ্যালয়ের ইমেরিটাস অধ্যাপক আনিসুজ্জামান বলেছেন, পয়লা বৈশাখে যৌন হয়রানির ঘটনার বিচারে আইনশৃঙ্খলা রক্ষাকারী বাহিনী 'একরকম ব্যর্থ' হয়েছে। নারী নির্যাতন প্রতিরোধে সম্মিলিত...
हमारा क्या
The UK Home Department claimed that travel documents issued to former IPL boss Lalit Modi to travel to Portugal to assist his ailing wife "was determined in accordance with the appropriate rules".
Documents issued to Lalit Modi in accordance with rules, won't probe complaint against Keith...
The UK Home Department on Monday claimed travel documents issued to Modi "was determined in accordance with the appropriate rules".
हमारा क्या
डॉ योगेन्द्र
ललित मोदी एक सर्वोत्तम उदाहरण हैं जिससे पता चलता है कि संसदीय राजनीति कैसे चल रही है।अगर आपको याद हो तो राधा टिंबलो का नाम काले धन के संबंध में उछला था जिसने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को क्रमश ६० लाख और १ करोड़ १० लाख लोकसभा चुनाव में चंदा दिया था।हम लोग उसे भूल गए।आज ललित मोदी सीना तान कर खड़े हैं और चुनौती दे रहे हैं।वजह है कि दोनों पार्टी की उन्होंने ख़ूब आर्थिक सेवा की है।बेशर्मी के साथ वित्त मंत्री अरूण जेटली सुषमा स्वराज की रक्षा में बयान दे रहे हैं और कह रहे हैं कि यह सामूहिक ज़िम्मेदारी है, किसी एक व्यक्ति की नहीं।फिर राजस्थान की मुख्यमंत्री बसुंधरा राजे सिंधिया का नाम भी उछल गया।कल के दिन किसी कॉंग्रेसी के नाम भी उछल सकते हैं,फिर देश चुप हो जायेगा।सवाल यह है कि दोनों पार्टियों के ख़ज़ाने में अरबों रूपये आते कहॉं से हैं?जब तक इसका ख़ुलासा नहीं होगा,यह क्रम रुकनेवाला नहीं है।अरविद केजरीवाल ने यह सवाल उठाया था।उसे देश का समर्थन भी मिल रहा था,लेकिन फिर वे उसी चक्कर में फँस गये।आरटीआई के दायरे में राजनैतिक दल को लाने की मॉंग से वे खुद कन्नी काटने लगे।आज वे एक अदना राजनेता नज़र आते हैं।घूम फिर कर सवाल यही है कि काले धन पर की जाने वाली राजनीति सफ़ेद कैसे होगी?इस हमाम में सारी पार्टियॉं नंगी हैं।आखिर रास्ता क्या हो?
हमारा क्या
Sagarika Chowdhary with Ishwar Chand Kushwaha and 4 others
5 hrs ·
जंगलराज और महिलायें:
जदयू के महादलित प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष सह पटना जिला प्रवक्ता सागरिका चौधरी ने आज बड़ा सवाल किया: भाजपाई दिन रात जंगलराज जंगलराज चिल्लाते रहते हैं, क्या है उनकी जंगलराज की परिभाषा? दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार के मामले राजस्थान में दर्ज होते हैं. आज भी हरियाणा में अगर कोई दलित दूल्हा घोड़े पे सवार होकर किसी उच्च जाति के व्यक्ति के घर के सामने से गुजर जाता है, तो उसकी पिटाई हो जाती है. आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार के मामले मध्यप्रदेश और राजस्थान में दर्ज किये जाते हैं.
जंगलराज मेरी समझ में तो वो है जहाँ "जिसकी लाठी, उसकी भैस" वाली कहावत चरितार्थ होती है. और जिन राज्यों में कमजोरो, पिछड़ों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं, वे राज्य भाजपा शासन के अंतर्गत आते हैं.
भाजपा और उसके सहयोगी दल महिलाओं के नज़रिए की बात नहीं करते, क्योंकि वे दोषारोपण में इतने व्यस्त रहते हैं, कि हकीक़त से वे आँखें चुरा रहे हैं. आज अगर महिलाओं से पूछा जाए, हम देखते हैं कि भाजपा से अलग होने के बाद भी महिलाओं का घर से बाहर निकलना बंद नहीं हुआ, बल्कि अधिक से अधिक संख्या में लड़कियां स्कूल और कॉलेज जा रही हैं. वे लड़कों को शिक्षा में मात दे रही हैं. क्या ये जंगलराज की निशानी है?
जंगलराज तो लड़कियों को घर की चहारदीवारी के अन्दर कैद कर देता है. पर बिहार की तस्वीर विकास की चाह रखने वाले राज्य के रूप में उभरी है. बिहार में पिछले १० वर्षों में महिला साक्षरता दर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. महिलायें इसे कानून राज के रूप में जानती हैं. वे इसकी सबसे बड़ी लाभुकों में से रही हैं.
बिहार की सिर्फ एक आवाज़: २०१५ विधान सभा चुनाव में फिर नीतीश कुमार !!!
हमारा क्या
Why we need to go beyond blaming only the Modi government for protecting Ishrat Jahan's killers
When agents of the state indulge in serious crimes and violation of the right to life no less, the judiciary cannot abdicate its duty.
SCROLL.IN|BY SAURAV DATTA
हमारा क्या
Jayantibhai Manani shared Subhash Chandra Netaji's photo.
"देश के संविधान में सभी भारतीयों को सामाजिक समानता का अधिकार दिया गया है. 2 हजार सालो से हमारे आत्मा को ऐसे कुचला गया है कि अब इस अन्याय को हम बर्दास्त नहीं कर सकते. देश में दलितों-एससी-एसटी और पिछडो(ओबीसी), शोषितों और शुद्रो की संख्या 90% है. देश के शासन की सता अब हम अपने हाथ में लेंगे.
सभी राजनैतिक पक्षों पूंजीपति और बनियों के धन से चलते है. वे आपको धन क्यों देंगे? आप अगर उठना चाहते है तो अपनी शक्ति से उठना पड़ेगा. आज मेरी बात हमारे लोग नहीं समज पा रहे है, लेकिन इस सदी के अंत में समज जायेंगे और वे उठ जायेंगे."
- - - डॉ बाबा साहेब आम्बेडकर 6.नवेम्बर 1952 में गाँधी मैदान पटना..
ये फोटो 6.11.1952 का है जब पटना के गाँधी मैदान में "शोषित जनसंघ पिछड़ावर्ग संघ" का सम्मेलन हुवा था और डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर उपस्थित रहे थे. सम्मेलन में ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय के लोग उपस्थित रहे थे.
तस्वीर में डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर के पास त्यागमूर्ति आर.एल. चन्द्रपुरी खड़े है.. 26 जनवरी 1950 को संविधान के अमल के बाद 1951 डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर ने केन्द्रीय मंत्री मंडल से इस्तीफा दे दिया था जिसकी एक वजह ओबीसी-पिछड़े वर्ग के लिए बेकवर्ड कमीशन की नियुक्ति नहीं करना भी था और बिहार में संवैधानिक अधिकारों के लिए जन आन्दोलन के प्रारंभ का ये प्रथम चरण था.
फर्क सिर्फ ये है कि तब कोंग्रेस के पंडितो से लोहा लेना था और आज 2015 में भाजपा के पंडितो से लोहा लेना है. क्योकि 54% ओबीसी समुदाय के संवैधानिक मंडल कमीशन की सभी संवैधानिक सिफारिसो का अमल बाकि है. देश में दलित उत्पीडन थमा नहीं है और एसटी समुदाय का अस्तित्व संकट में है.
हमारा क्या
Kavita Krishnapallavi
2 hrs ·
आज की दुनिया में समूची संस्कृति और समस्त कला-साहित्य निश्चित वर्गों के ही होते हैं, तथा उन्हें निश्चित राजनीतिक कार्यदिशाओं के अनुरूप ढाला जाता है। वास्तव में 'कला कला के लिए' के सिद्धान्त को मानने वाली कला, वर्गों से परे रहने वाली कला, तथा राजनीति से अलग रहने अथवा स्वतंत्र रहने वाली कला नाम की कोई चीज नहीं होती। सर्वहारा वर्ग का कला-साहित्य समूचे सर्वहारा क्रांतिकारी कार्य का एक अंग है; लेनिन के शब्दों में, यह समूची क्रांतिकारी मशीन के दांतें और पेंच के समान है।
-- माओ त्से-तुंग
Why FTII should be rechristened Film & Sangh Institute of India
'FTII students did not protest when Vinod Khanna, a BJP MP, was chairperson' - The Times of India
What's rankling the protesting students of the Film and Television Institute of India (FTII) most about the appointment of Gajendra Chauhan as chairperson of the...
TIMESOFINDIA.INDIATIMES.COM
Kishalaya Mukhopadhyay
14 hrs ·
Ok, what is the #FTII protest EXACTLY about?
1. Is it that Mr. Chouhan's appointment is a political one? According to this news item though, it seems that Vinod Khanna, who was a BJP MP when appointed as a chairperson of the governing council, was considered competent enough for the post.
2. Is it that there is an attempt to saffronize education? - According to this news item, "The students are firm that they are not opposed to the political affiliations of any individual but to the absence of credentials." Also, they don't seem (?) to have a problem with a BJP MP like Vinod Khanna holding the post.
3. Is it that the person in question is not qualified enough? - Member of FTII students' association says "he is an eminent actor and knows the art" about Vinod Khanna, which is why he is qualified.
Also,
"We would be happy to have Shatrughan Sinha as chairperson over Gajendra Chauhan," said Harishankar Nachimuthu, president of the FTII students' association"
What is the yardstick for measuring qualification? I found Shatrughan Sinha a terrible actor often. I am sure others did. Who decides? And how?
अवश्य पढ़ें शेयर करे रघुवंशिन कर सहज सुभाऊ मन कुपंथ पग धरे न काहू
रघुवंशिन कर सहज सुभाऊ मन कुपंथ पग धरे न काहू
आज के संवैधानिकों और नियामकों की तरह हमारे पूर्वज भी समर्थों के लिए छेद छोड़ना नहीं भूले हैं। केवल आपात्कालीन धर्म का अनुच्छेद रख देने में तो उनका...
HASTAKSHEP.COM
TaraChandra Tripathi
2 hrs ·
यदि आप किसी गोरख धंधे से जुड़े हीं हैं और भविष्य के बारे में चिन्ता करते हैं तो प्रात: उठ कर १०८ बार नि्म्नलिखित मंत्र का जप करें और फिर सो जायँ
जीना यहाँ मरना यहाँ, इसके सिवा जायें कहाँ
Why FTII should be rechristened Film & Sangh Institute of India
Everyone only speaks of the Yudhishthira he played, but has anyone researched Gajendra Chauhan's full range of roles? RAKESH SHARMA Let's get a perspective first. FTII has long been a den of...
Gopal Rathi
सटोरियों और भगोड़ों को मार्ग दिखाने के बाद अब नई भूमिका में ...स्वागत नहीं करोगे भगतो
हमारा क्या
One of the best historic decisions post-independence .......... One of the major reasons that India was able to survive the global recession, relatively unharmed ............!!!
One of the best historic decisions post-independence .......... One of the major reasons that India was able to survive the global recession, relatively unharmed ............!!!
हमारा क्या
Jagadishwar Chaturvedi
3 hrs ·
लालकृष्ण आडवाणी का ललितमोदी - सुषमा स्वराज- नरेन्द्र मोदी कांड पर चुप रहना सही नहीं है, आडवाणीजी को बोलना चाहिए और सुषमा स्वराज को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर करना चाहिए। साथ ही ललित मोदी -नरेन्द्र मोदी की साँठगाँठ पर अपने विचार रखने चाहिए । यह सही समय है नरेन्द्र मोदी के करप्ट लोगों के साथ संबंधों को उजागर करने का।
हमारा क्या
हमारा क्या
Ms Shushma Swaraj will be sooner out of ministry as her Gita is out of the modern context !
सुषमा स्वराज ने की थी इस्तीफ़े की पेशकश-संघ के दख़ल के बाद बीजेपी ने किया बचाओ
नई दिल्ली।आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी से जुड़ा विवाद उछलने से पहले ही कथित तौर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पीएम के सामने पिछले शुक्रवार को ही इस्तीफे की पेशकश की...
hastakshep.com and 2 others shared a link.
HIRE AND FIRE POLICY FOR GOVT SERVANTS | hastakshep | हस्तक्षेप
HIRE AND FIRE POLICY FOR GOVT SERVANTS Huge, useless, mostly corrupt Bureaucracy is the Bane of India. Atleast corrupt politicians can be removed...
सुषमा स्वराज के बाद अब 'वसुंधरा राजे' सवालों के घेरे में
ललित मोदी विवाद में 'वसुंधरा' पर भी सवाल
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किसी दस्तावेज़ की जानकारी से इनकार किया.
Meri Maggi से जुड़े विवाद के बीच Nestlé इंडिया एक दूसरी मुसीबत में फंसता नजर आ रहा है। इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए फोटो पर क्लिक करें...
इस तरह की काम की खबरों के लिए Economic Times Hindi फेसबुक पेज लाइक करें।
अब सेरेलैक में मिला 'जिंदा कीड़ा'
Smriti Zubin Irani ने क्लर्क के लिए डायरेक्टर को क्यों हटाया, फोटो पर क्लिक करके जानें...
क्लर्क के लिए स्मृति ईरानी ने CIT डायरेक्टर का ट्रांसफर कराया!
हमारा क्या
UPA के किन 3 मंत्रियों की बात कर रहे हैं ललित मोदी और इस पर उन मंत्रियों की क्या सफाई है, फोटो पर क्लिक करके जानें...
यूपीए के तीन मंत्रियों ने भी की थी मेरी मदद: ललित मोदी
Harbans Singh
9 hrs ·
नई दिल्ली।आईपीएल में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपी ललित मोदी को ट्रैवेल डॉक्युमेंट मुहैया कराने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम सामने आ रहा है।एक टीवी चैनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वसुंधरा ने अगस्त, 2011 में ललित मोदी को ब्रिटेन में रहने के लिए इजाजत दिलाने में मदद की थी।बताया जा रहा है कि वसुंधरा ने तब शर्त रखी थी कि वे तभी मदद करेंगी जब इस बारे में भारतीय एजेंसियों को न बताया जाए।उस समय वसुंधरा राजस्थान विधानसभा में नेता विपक्ष थीं।
वसुंधरा ने क्या कहा-मैं ललित मोदी के परिवार को लंबे समय से जानती हूं।मैंने कभी यह बात नहीं छुपाई है।मैं नहीं जानता हूं कि आप किन कागजों की बात कर रहे हैं।खास बात यह है कि ललित मोदी के वकील महमूद आबदी ने सोमवार शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मीडिया को कुछ कागजात जारी किए थे।इन्हीं कागजातों में से वह पेपर भी शामिल है जिसमें वसुंधरा की ओर से ललित मोदी के समर्थन में बयान दर्ज है।ललित मोदी की मदद करने के आरोप का सामना कर रहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बचाव में मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली सामने आए। इस विवाद पर पहली बार बयान देते हुए जेटली ने कहा, 'सुषमा पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं और पार्टी व सरकार विदेश मंत्री के साथ खड़ी है। उन्होंने जो किया सही किया।' जेटली ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बातें कहीं।
Kanchan Joshi shared a link.
5 hrs ·
रेप के लिए महिलाएं जिम्मेदार, बनना चाहिए पुरुष आयोग: हिंदू महासभा
Source: आज तक- - (11 Jun) हिंदू महासभा की ओर से एक बार फिर शर्मनाक बयान आया है. हिंदू महासभा के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष ने गुरुवार को कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं रेप की घटनाओं के लिए खुद जिम्मेदार
हमारा क्या
S.r. Darapuri shared AWAAZ INDIA TV's photo.
3 hrs ·
Dalits & Ambedkarite demonstrate in America
हमारा क्या
Gopal Rathi with Shri Gopal Ganguda
18 hrs ·
योग के नाम पर टोटके का सरकारी स्टंट
-----------------------------------------------------
वातानुकूलित कमरे और डिजाइनर गद्दों पर एक टांग से खड़ी सरकार को देख कर कोई भी हँसे बिना नहीं रह सकता.कम से कम मै तो नहीं,क्योंकि मुझे पता है कि योग प्रकृति से सीधे रिश्ते को मानता है .योग के नाम पर टोटके का कोई मतलब नहीं,योग एक जीवनशैली है ,इसे सरकारी स्टंट नहीं बनाया जाना चाहिए. योग के नाम पर सरकारी खजाने से पैसा पानी की तरह बहाना योग का भी अपमान है और उन योगियों का भी जिन्होंने इसे सदा राजनीति से दूर रखा .l by Rakesh Achal
योगियों के चरणों मे बिसलरी की पानी बोतल देख कर आप अंदाज़ा लगा सकते है कि साधारण पानी इन योगियों को सूट नहीं करता l
हमारा क्या
Virendra Yadav
पुर्तगाल के जिस अस्पताल में भगोड़े आरोपी ललित मोदी की पत्नी का इलाज़ हुआ ,बसुन्धरा राजे की राजस्थान सरकार ने उससे एमओयू साइन करके पैंतीस हज़ार वर्ग मीटर भूमि आबंटित की है . ललित मोदी पहले ही बता चुके हैं कि अस्पताल में इलाज़ के लिए उनकी पत्नी को वसुंधरा राजे खुद लेकर गयीं थी ,अब मानवीय धरातल पर इतना तो फ़र्ज़ बनता ही है. एक भारतीय द्वारा भारतीय को मानवीय आधार पर मदद पहुँचाने के क्रम में यदि एक विदेशी को फायदा हो जाय तो वह तो कोलेटरल बेनिफिट है. सचमुच सूट-बूट की सरकार सूट-बूट के अपराधियों की बगलगीर होकर देश को विदेशियों के हाथ नीलाम कर रही है .
Rajasthan government signed MoU with Portugal hospital in 2014, months after it treated Lalit...
The Rajasthan government has allotted 35,000 square feet of land to the Portugal hospital.
हमारा क्या
जब विश्वविद्यालय के एक दलित शिक्षक के साथ यह होता है तो दलित वियार्थियों के साथ क्या होता होगा. सचमुच कितने समतावादी हैं हमारे शिक्षा केंद्र!
चमार जाति का होने की वजह से मुझे स्टाफ़ रूम में कुर्सी और टेबल नहीं दी गई है:प्रोफ़ेसर अरुण कुम�
चंडीगढ़।पंजाबी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरुण कुमार चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट करके अपने बैठने के लिए कुर्सी की मांग की है।उन्होंने ट्विटर पर लिखा 'चमार जाति का होने की वजह...
हमारा क्या
आजादी की लडाई के दौरान हिन्दू-मुस्लिम कट्टरवादियों ने यह कहकर विरोध किया था कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग राष्ट्र हैं
हमारा क्या
हमारा क्या
as the Law Minister and the Chairman of the Constitution Drafting Committee ! He became a pet watchdog of the Indo-Aryans since 24th September , 1932 to work against the Adi-Dharam , Communal Award as well against those people and organisations who were against the Indo-Aryans ! Finally , he fell in the gutter of the Indo-Aryans ' Buddhism which is against the Women and Ex-untouchables as per his own book the Buddha and his Dhamma 's chapter the Conversion of Women . He as an advocate was a dull headed who did not know that he was going to be reconfirmed Hindu by converting to the Buddhism as per the Article 25 of his own drafted constitution ! The Article 25 clubbed the Buddhism , Sikhism and Jainism as the Hinduism against which the Buddhists never resented publically while the Sikhs under the leadership of Mr. Parkash Singh Badal ( now C.M. , Punjab ) burnt the Article 25 to claim to be a separate religion than the Hinduism ! His 22 commandments have no feminist , intercaste marriages and annihilation of caste which itself confirm that he was playing to continue his friendly match within the Indo-Aryan circle !
He was a new Vishvamittar who fought with the Brahmins to be a Brahm Rishi of the manuwadi world but the Brahman class allured him with Menaka prostitute and he was also allured and exploited by the Brahman class by a Pandtani Savita Kabir of Pune who became his legal wife to kill him . His a Bharat Rattan Marathi writer friend wrote him to caution him that he should marry with a prostitute than marrying Pandtani Savita Kabir ! Dr. Ambedkar 's PA Late Mr. Nanak Chand Rattu published this letter in his autobiography published by the Samyak Parkashan , New Delhi !
हमारा क्या
In kesaria corporate rajkaaj of fascism might be branded as #corruptionas the #RaajDharama is all about purity.
Ultimate Genie`s days out! Ambani Adani Swaraj Jaman is the tip of the...
हमारा क्या
TaraChandra Tripathi
इस देश में जनतंत्र केवल नाम का है. वास्तविकता यह है कि हम फिर से उत्पीड़्क और स्वेच्छाचारी सामन्तवाद की ओर बढ़ रहे हैं. वह चाहे शाहजहाँपुर के एक पत्रकार को मंत्री के निर्देश पर पुलिस द्वारा जिन्दा जला दिये जाने और राज्य सरकार द्वारा अपराधी मंत्री को संरक्षण दिये जाने का हो या केन्द्र की भा.ज.पा सरकार द्वारा ७ अरब से भी अधिक कालेधन को विदेश भेजने के अपराधी ललित मोदी को पारपत्र निर्गमित करवाने का या दिल्ली की सरकार के हर काम में अड़ंगा डालने का. या संदिग्ध शैक्षिक योग्यता वाली और चुनाव में पराजित टी.वी. सीरियल की नायिका को शिक्षा मंत्री बनाने का. क्या आपको नहीं लगता है कि इस देश में सत्ता पर बैठते ही हर श्री राम में रावण का आवेश हो जाता है. और वह रामचरि्तमानस के रावण की तरह ' हम काहू ते मरहिं न मारे. नर कपि भालु अहार हमारे. के मूड में आ जाता है.
परिणामत: हर बार 'अच्छे दिन आने वाले है" की आशा अच्छे दीन (चुपचाप उत्पीड़न सहने को विवश गरीबी के दिन)आने वाले हैं में रूपान्तरित होते रहे हैं.
हमारा क्या
মুজাহিদের বিরুদ্ধে সাতটি অভিযোগ আনে রাষ্ট্রপক্ষ। এর মধ্যে পাঁচটি অভিযোগ প্রমাণিত হয়। প্রথম অভিযোগ শহীদ সাংবাদিক...
মুক্তিযুদ্ধে বিজয়ের আগমুহূর্তে বাঙালি জাতিকে মেধাশূন্য করার নীলনকশা হাতে নিয়ে বুদ্ধিজীবী নিধনযজ্ঞ চালিয়েছিল পাকিস্তানি সেনা ও গুপ্তঘাতক আলবদর বাহিনী। স্বাধীনতার ৪৪ বছর পর বুদ্ধিজীবী হত্যার দায়ে সেই আলবদর বাহিনীর অন্যতম নেতা আলী আহসান মোহাম্মাদ মুজাহিদের...
No comments:
Post a Comment