Tuesday, June 16, 2015

सभी फासिस्‍ट जितनी बर्बरता से धार्मि‍क-नस्‍ली अल्‍पसंख्‍यकों, मज़दूरों और स्त्रियों को अपना निशाना बनाते हैं, उतनी ही सक्रिय घृणा के साथ वे विज्ञान, इतिहास-बोध, कला और संस्‍कृति की दुनिया पर भी हमला बोलते हैं।


हिन्‍दुत्‍ववादी फासिस्‍टों की इस कार्रवाई को अप्रत्‍याशित कत्‍तई नहीं माना जा सकता। सभी फासिस्‍ट जितनी बर्बरता से धार्मि‍क-नस्‍ली अल्‍पसंख्‍यकों, मज़दूरों और स्त्रियों को अपना निशाना बनाते हैं, उतनी ही सक्रिय घृणा के साथ वे विज्ञान, इतिहास-बोध, कला और संस्‍कृति की दुनिया पर भी हमला बोलते हैं। सामाजिक ताने-बाने में और जनमानस में जनवाद और तर्कणा की ज़मीन को नष्‍ट करने के लिए हर तरह के फासिस्‍ट ऐसा करते हैं। इतिहास के उदाहरण और सबक हमारे सामने हैं। यदि संस्‍कृति, कला-साहित्‍य और अकादमि‍क क्षेत्र के सभी प्रबुद्ध, सेक्‍युलर, जनवादी, प्रगतिशील लोग अभी से एकजुट होकर विचार और संस्‍कृति की दुनिया पर फासिस्‍ट बर्बरों के इन हमलों को पुरज़ोर प्रतिरोध नहीं शुरू करेंगे, तो कल बहुत देर हो चुकी रहेगी। हमारी गै़रज़ि‍म्‍मेदारी, कायरता और लापरवाही के लिए इतिहास हमें कभी माफ़ नहीं करेगा। आने वाली पीढ़ि‍याँ हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी।

कला-संस्‍कृति और विचार की दुनिया पर बर्बरों का हमला...हिन्‍दुत्‍ववादी फासिस्‍टों की इस कार्रवाई को अप्रत्‍याशित कत्‍तई नहीं माना जा सकता। सभी फासिस्‍ट जितनी बर्बरता से धार्मि‍क-नस्‍ली अल्‍पसंख्‍यकों, मज़दूरों और स्त्रियों को अपना निशाना बनाते हैं, उतनी ही सक्रिय घृणा के साथ वे...

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