सुंदरवन में अब बाघ नहीं आदमी रहते हैं ये बाघ को आदमखोर कहते हैं और मैं इन्हें। मैनग्रोव के बचे अंश गवाह है विनाश का कुछ कंकाल और हड्डियां जो अब बोल नहीं पाते दर्द के बारे में खो गयी है नदी की भाषा अब सिर्फ आदमी बोलता है। -नित्यानंद गायेन Nityanand Gayen's photo.
सुंदरवन में अब बाघ नहीं आदमी रहते हैं ये बाघ को आदमखोर कहते हैं और मैं इन्हें।
मैनग्रोव के बचे अंश गवाह है विनाश का कुछ कंकाल और हड्डियां जो अब बोल नहीं पाते दर्द के बारे में खो गयी है नदी की भाषा अब सिर्फ आदमी बोलता है।
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