जिस भाजपा ने देश भर में आंबेडकर को पूजा और अनुष्ठान की उपभोग वस्तु में तब्दील करने के हौसले बुलंद किये हैं , उसी भाजपा की महाराष्ट्र सरकार के शासन में दलित अपने गाँव में सिर्फ इसलिए असुरक्षित हैं क्योंकि उन्होंने बाबा साहब आंबेडकर के जन्मदिन समरोह के सिलसिले में सांस्कृतिक जुलूस निकाले थे . गाँव में उच्च जाति के लोगों ने इसका विरोध किया और उन्हें सार्वजानिक नल से पानी पीने से रोका और दुकानदारों से दलितों को जरूरत का सामान न बेचने का हुक्मनामा भी जारी किया . दलितों के जानवरों को भी गाँव में चरने नहीं दिया जा रहा है. इस सामाजिक बहिष्कार और हिंसा की आशंका के चलते दलितों ने प्रशासन से उन्हें शहर के नजदीक बसाने की गुहार की है. गाँव में दलितों के विरुद्ध यह भगवा आतंक डॉ.आम्बेद्कर के सम्मान की नयी शैली है. पहले घर से खदेड़ो फिर 'घर वापसी' करो. कहाँ है दलितों के भगवा सूरमाँ उदित राज ,रामविलास पासवान और रामदास अठावले ?
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