Umrao Singh Jatav with गंगा सहाय मीणा and 26 others
वक़्त ने किया क्या खूंखार सितम-----------
.
दर्दमंदी का नकाब ओढ़े कातिल सरे राह खड़े हैं
किस राह चलें हम इख्तियारे हक कोई नहीं रहा
कत्लो गारत के फ़रिश्ते दवा बांटते हैं गली गली
राख हुए सपने ओ खुद्दारी, दहक कोई नहीं रहा
फैसला यह हुआ कि मुंह से कराह भी न निकले
अखबारों में निकलवा दो सुबक कोई नहीं रहा
मीडिया चारण बनी प्रशस्ति गान गाए रात दिन
झूठ सच कहके परोसा अब तो शक कोई नहीं रहा
जाटव तेरे रोने,चीखने,चिल्लाने की परवाह किसे
अच्छे दिनों के शोर् शराबे में सुन कोई नहीं रहा (जाटव)
.
दर्दमंदी का नकाब ओढ़े कातिल सरे राह खड़े हैं
किस राह चलें हम इख्तियारे हक कोई नहीं रहा
कत्लो गारत के फ़रिश्ते दवा बांटते हैं गली गली
राख हुए सपने ओ खुद्दारी, दहक कोई नहीं रहा
फैसला यह हुआ कि मुंह से कराह भी न निकले
अखबारों में निकलवा दो सुबक कोई नहीं रहा
मीडिया चारण बनी प्रशस्ति गान गाए रात दिन
झूठ सच कहके परोसा अब तो शक कोई नहीं रहा
जाटव तेरे रोने,चीखने,चिल्लाने की परवाह किसे
अच्छे दिनों के शोर् शराबे में सुन कोई नहीं रहा (जाटव)
![](https://fbcdn-sphotos-c-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xfp1/t1.0-9/10440286_768358663198504_2018407815921974096_n.jpg)
No comments:
Post a Comment