Monday, November 18, 2013

माकपा के आखिरी गढ़ हावड़ा जीतने खातिर ममता का दांव राइटर्स হাওড়া এবার সত্যি রাজধানী


माकपा के आखिरी गढ़ हावड़ा जीतने खातिर ममता का दांव राइटर्स

হাওড়া এবার সত্যি রাজধানী

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


हावड़ा के मंदिरतला में नवान्न भवन नहीं, नया राइटर्स होगा डुमुरजला में पचास एकड़ जमीन पर प्रस्तावित 25 मंजिला भवन और डलहौसी में खड़ा जीर्णप्राय पुराना राइटर्स जीर्मोद्धार के बाद अजायबघर का हिस्सा होगा।


हावड़ा फतह करने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो का यह रहा मास्टरप्लान, मास्टर स्ट्रोक।


हावड़ा की माकपाई मेयर हावड़ा नगर निगम की बुनियादी नागरिक सेवाओं को बहाल करने में कामयाबी का दावा नहीं कर सकतीं।पेयजल,निकासी,सफाई और स्वास्थ्य चारों महकमे में माकपाई बोर्ड को नगर निगम चुनाव में जनता के सामने जवाब देने होंगे। लेकिन हावड़ा के मंदिरतला के नवान्न में राइटर्स स्थानातंरण के मौके पर पेयजल देने से जो इंकार मेयर ने किया है,माकपा के लिए वहीं सबसे बड़ा सिरदर्द न बन जाये कहीं।


क्योंकि अब साफ जाहिर है कि दीदी हर कीमत पर माकपा को उसके आखिरी किले से बेदखल करके तभी चैन से बैठेंगी।राज्यभर में अल्पसंख्यक वोट बैंक के साथ अनुसूचितों और पिछड़ों,आदजिवासियों के मध्य जनाधार खोने वाली माकपा के लिए हावड़ा का गढ़ बचाना वैसे भी असंभव है।


इस पर तुर्रा यह कि दीदी ने पांच सौ सालों से लगातार उपेक्षा के शिकार हुगलीपार के लोगों के लिए नवान्न के अस्थाई बंदोबस्त के साथ ही अब हावड़ा के डुमुरजला में नया राइटर्स बनाकर हावड़ा को अस्थाई नहीं, बाकायदा स्थाई राजधानी बनाने की पहल कर दी है।


राइटर्स अब हावड़ा नगर निगम चुनाव में सबसे बड़ा दांव है और माकपा के पास इसकी कोई काट नहीं है।


माकपाई तो हावड़ा के वाशिंदो की आकांक्षाओं को सिरे से नजरअंदाज करते हुए नवान्न का विरोध कर चुके हैं और गौतम देव ने तो नवान्न के घेराव तक की घोषणा कर डाली है,जिसका नेतृत्व बुद्धदेव भट्टाचार्य को करना है।अब देखना है कि हावड़ा नगर निगम चुनाव से पहले माकपाई नेतृत्व मेयरममता जायसवाल की तरह कोई दुस्साहसिक अभियान नवान्न के विरुद्ध चला पाता है या नहीं। वैसे नवान्न अब कोई मुद्दा है नहीं।


मुद्दा है डुमुरजला,जहां की पचास एकड़ जमीन पर नवान्न में शिफ्ट होने से पहले दीदी की नजर है।एकदम पास है अब भी निर्मामाधीन कोलकाता वेस्ट सिटी,डुमुरजला में राजधानी बनने पर इस प्रेतपुरी में भी प्राण प्रतिष्ठा होने की उम्मीद है।


बिना स्पेस के कोलकाता से राइटर्स के हावड़ा में राजधानी शिपफ्ट करने के बाबत हावड़ा वासियों के दिलोदिमाग में इफरात जगह है और हावड़ा नगरनिगम क्षेत्र में और आसपास जगह की कोई कमी भी नहीं है।


दीदी के इस दांव को तुगलकी सनक मानने की भारी राजनीतिक भूल माकपा ने कर दी है।माकपाई अगर शुरु से हावड़ा में राजधानी का स्थानांतरण मान लेते और इसका स्वागत करते हुए दीदी का राजनीतिक मुकाबला करते तो शायद नगर निगम चुनाव इतना एकतरफा नहीं हो जाता।


35 साल के वाम शासन में हावड़ा में उद्योग धंधे कारोबार जिस तेजी से चौपट हुए,दुनियाभर में उसकी कोई दूसरी नजीर नहीं है।


हावड़ा नगर निगम में कुंडली मारकर जैसे नागरिकों को लगातार बुनियादी नागरिक सेवाओं से वंचित करके नरकयंत्रणा का अहसास कराया जाता रहा है,उसकी भी दूसरी नजीर नहीं है।


माकपाई शासन में लाल ही लाल हावड़ा की जो दुर्गति होती रही है, राइटर्स स्थानातंरण के बहाने हो रही हरित क्रांति उसकी तार्किक परिणति है।माकपाइयों को जनता के दरबार में 35 साल का हिसाब देना सचमुच बारी पड़ जायेगा।


वैसे नगर निगम चुनाव में सभी पक्ष कोई कसर नहीं छोड़ रहा है मतदाताओं का मन जीतने के लिए।चुनाव प्रचार तेज है।लेकिन यह प्रचार अभियान सिरे से अप्रासंगिक हो गया है हावड़ावासियों के भोगे हुए यथार्थ के मद्देनजर।


जनादेश वोट पड़ने से पहले तैयार है हावड़ा में।वोट पड़ने की ही देरी है।


कोलकाता के बाद सबसे बड़े निकाय हावड़ा निकाय में सारे दलों ने पूरी राजनीति ताकत सिनेमाई ग्लेमर के साथ बाजार के व्याकरण के मुताबिक झोंक दी है।


पचास वार्ड के लिए हो रहे चुनाव लेकिन पचास कुरुक्षेत्र समान हैं हावड़ा में।सर्वत्र चक्रव्यूह है। रथी महारथी सबकी औकात बता देंगे हावड़ा के वोटर।


बंगाल सरकार डुमुरजला में नया राइटर्स के लिए 25 मंजिली इमारत का नक्शा तैयार करवा रही है।


डुमुरजला में प्रस्तावित राइटर्स के लिए चुनी हुई पचास एकड़ जमीन पर जलाशय भी है,जिसका इस नक्शे में खास ध्यान रखा जा रहा है।


कोलकाता, साल्टलेक और नवान्न में छितरा गये सारे मंत्रालयों और विभागों के कार्यालय अब एक ही छत के नीचे होंगे।


माकपाइयोंन ध्यान नहीं दिया है कि डुमुरजला को ध्यान में रखते हुए सांतरागाछी, कोना,सलप,डोमजुर, धूलागढ़ से लेकर मंदिरतला को पूरे राज्य से जोड़ने की कवायद बतौर कितनी नयी बस रुटें हाल में चालू कर दी गयी है।


दीदी की बिसात बिछ चुकी है।बस बाकी है,शह और मात।


आनंद बाजार में छपी रपट के मुताबिक


আগামী শুক্রবার হাওড়া পুরসভার ৫০টি ওয়ার্ডে নির্বাচন। কলকাতার পরেই রাজ্যের দ্বিতীয় বৃহত্তম এই পুরসভার নির্বাচন রাজনৈতিক ভাবে যথেষ্ট গুরুত্বপূর্ণ বলে মনে করা হচ্ছে। প্রায় তিরিশ বছর ধরে এই পুরবোর্ড বামফ্রন্ট দখলে রাখলেও, রাজ্যে তৃণমূল ক্ষমতায় আসার পর এ বার ভোটারদের মন কোন দিকে যাবেতা নিয়েই জল্পনা তুঙ্গে। এর মধ্যেই একে একে হাওড়ার সবক'টি বিধানসভা আসন, লোকসভা আসন এবং পঞ্চায়েত নির্বাচনে বামফ্রন্টকে হারানোর পরে তৃণমূল নেতারা পুরভোটেও জয়ের ব্যাপারে যথেষ্ট আত্মবিশ্বাসী। হাওড়া জেলার তৃণমূল সভাপতি (শহর) অরূপ রায় বলেন, "এ বার আমরা নিরঙ্কুশ সংখ্যাগরিষ্ঠতা নিয়ে পুরবোর্ড গঠন করতে চলেছি। আমরা নিশ্চিত, মানুষের রায় আমাদের পক্ষেই থাকবে।"


তবে সিপিএম নেত্রী তথা হাওড়ার বর্তমান মেয়র মমতা জায়সবাল বলেন, "নির্বাচন যদি সুষ্ঠু ও নিরপেক্ষ ভাবে হয়, তা হলে বামফ্রন্টই আবার বোর্ড দখল করবে। কারণ গত দু'বছরে মানুষ দেখেছে, তৃণমূল কী করতে পারে।"

এ দিন সকাল থেকেই হাওড়ার বিভিন্ন অলিগলিতে প্রচারে নামেন বামফ্রন্ট ও তৃণমূল নেতা-সমর্থকেরা। পিছিয়ে থাকেনি বিজেপি এবং কংগ্রেসও। মাইক লাগানো ভ্যানে প্রচার থেকে পথসভা, চলে সবই। বেলা দশটা নাগাদ ৪৪ নম্বর ওয়ার্ডে তৃণমূলের হয়ে প্রচারে আসেন টলিউড নায়ক হিরণ। তাঁকে দেখতে ভিড় জমে যায়। নিজের ২৮ নম্বর ওয়ার্ডে মিছিল করেন তৃণমূলের মেয়র পদপ্রার্থী চিকিৎসক রথীন চক্রবর্তী। সন্ধ্যায় বিভিন্ন ওয়ার্ডে পথসভা করেন তৃণমূলের সর্বভারতীয় সম্পাদক মুকুল রায়, রাজ্যের পঞ্চায়েত মন্ত্রী সুব্রত মুখোপাধ্যায়, সেচমন্ত্রী রাজীব বন্দ্যোপাধ্যায়, পুরমন্ত্রী ফিরহাদ হাকিম এবং কৃষি বিপণন মন্ত্রী অরূপ রায়। দুপুরে উত্তর হাওড়ার ১ থেকে ১৬ নম্বর ওয়ার্ডে পদযাত্রা করে বামফ্রন্ট। হাজির ছিলেন জেলা নেতৃত্ব।


এই সময়: রাইটার্স বিল্ডিংস থেকে মহাকরণ নবান্নতে উঠে যাওয়ায় অনেকেই হাওড়াকে রাজ্যের রাজধানী বলে ভাবতে শুরু করেছেন৷ ব্রিটিশরা গোড়ায় হাওড়াকেই রাজধানী শহর হিসাবে বেছে নিয়েছিল, এমন তথ্যও তুলে ধরছেন তাঁরা৷ মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ভাবনা বাস্তবায়িত হলে হাওড়া রাজধানী শহর না হওয়ার আক্ষেপ দূর হতে পারে তাদের৷ রাজ্য সরকার নবান্নর অদূরেই ডুমুরজলায় একটি পূর্ণাঙ্গ সচিবালয় গড়ার সিদ্ধান্ত নিয়েছে৷ সেখানে একটি ২৫ তলা বাড়ির নকশা তৈরির কাজ হাতে নিয়েছে রাজ্যের নগরোন্নয়ন দপ্তর৷ সেই বাড়ি গড়ে উঠলে সেখানেই মুখ্যমন্ত্রী-সহ অধিকাংশ মন্ত্রী ও তাঁদের দপ্তরকে তুলে নিয়ে যাওয়া হবে৷ সব মিলিয়ে প্রস্তাবিত সেই বাড়িই হবে রাইটার্স বিল্ডিংসের বিকল্প৷ সেই সুবাদে হাওড়া রাজ্যের রাজধানী শহর হয়ে যাওয়া অসম্ভব নয়৷ নগরোন্নয়ন দপ্তরের কলকাতার থেকেও বয়সে প্রবীণ এই প্রাচীন শহরের রূপ বদলে এই সিদ্ধান্ত ঐতিহাসিক ভূমিকা পালন করতে পারে৷ কারণ, রাজধানী শহরগুলির জন্য নানা প্রকল্পে কেন্দ্র বাড়তি অর্থ দিয়ে থাকে৷



ডুমুরজলায় প্রায় ৫০ একর জমি রয়েছে হাওড়া ইমপ্রুভমেন্ট ট্রাস্টের৷ এর মধ্যে কিছুটা অংশে জলাশয় রয়েছে৷ জলাভূমি বাঁচিয়েই নতুন ভবন তৈরির পরিকল্পনা নিয়ে এগোচ্ছে সরকার৷ এই পরিকল্পনা বাস্তবায়িত হলে রাইটার্স বিল্ডিংস আর রাজ্যের সচিবালয় থাকবে না৷ পাকাপাকি ভাবেই সেটিকে বেঙ্গল মিউজিয়াম গড়ে তোলা হবে৷ এমনকি, ভারতীয় জাদুঘরের একাংশকেও সেখানে তুলে নিয়ে যাওয়ার ভাবনা আছে৷ কারণ, জাদুঘরেও এখন স্থান সংকট দেখা দিয়েছে৷


বর্তমান পরিকল্পনা অনুযায়ী, আগামী বছর ১ জানুয়ারি রাইটার্স বিল্ডিংস সংস্কারের কাজ শুরু হবে৷ তা শেষ হলে নবান্ন থেকে কয়েকটি দপ্তর রাইটার্সে ফিরবে৷ কিন্ত্ত ইতিমধ্যেই প্রশাসনিক মহলে আলোচনা হয়েছে, দপ্তরগুলি ছড়িয়ে-ছিটিয়ে থাকায় সাধারণ মানুষের পাশাপাশি প্রশাসনিক কাজেও সমস্যা হচ্ছে৷ মুখ্যমন্ত্রী, মুখ্যসচিব এবং সচিবরা বৈঠকে ডাকলে সেখানে যাতায়াত করতেই দিন কাবার হয়ে যাচ্ছে বাকিদের৷ সাধারণ মানুষকেও ছুটতে হচ্ছে একাধিক অফিসবাড়িতে৷ এই অবস্থায় রাইটার্স বিল্ডিংসের বিকল্প তৈরির ভাবনা থেকেই ডুমুরজলায় রাজ্যের প্রধান সচিবালয় গড়ার সিদ্ধান্ত হয়েছে৷


এ জন্য প্রাথমিক ভাবে দু'হাজার কোটি টাকা খরচ ধরা হয়েছে৷ ওই অর্থ চাওয়া হয়েছে চতুর্দশ অর্থ কমিশনের কাছে৷ রাজ্যের তরফে বলা হয়েছে, ব্রিটিশ ভারতের প্রথম রাজধানী কলকাতায় রাইটার্স বিল্ডিংস-সহ পুরোনো ঘরবাড়িগুলি রক্ষা করা দরকার৷ তাই সরকার পাকাপাকি ভাবেই রাইটার্স থেকে সরকারি অফিস সরিয়ে নিতে চায়৷ দেশের একদা রাজধানীর প্রতি কেন্দ্র এই ব্যাপারে তাদের দায় অস্বীকার করতে পারে না৷

হাওড়া ভোটের তৃণমূল প্রার্থী অরুণ রায়চৌধুরীর বিরুদ্ধে তথ্য গোপনের অভিযোগ, সম্পত্তির তালিকা লুকিয়েছেন নির্বাচন কমিশনের কাছেJUST IN:

আবারও বিতর্কে অরুণ রায়চৌধুরী। সদ্য কংগ্রেস ছেড়েছেন তিনি। হাওড়া পুরভোটে এবার অরুণ বাবু তৃণমূলের টিকিটে লড়ছেন। নির্বাচন কমিশনে অরুণ রায়চৌধুরীর দেওয়া সম্পত্তির তালিকা নিয়েই তৈরি হয়েছে বিতর্ক। অভিযোগ, সম্পত্তি নিয়ে নির্বাচন কমিশনে তথ্য গোপন করেছেন অরুণ রায়চৌধুরী। এর আগেও ঘুষ কাণ্ডে নাম জড়িয়েছিল তাঁর। সেবার প্রমোটারের কাছ থেকে ঘুষ নিতে গিয়ে ধরা পড়েছিলেন অরুণ রায়চৌধুরী।

http://zeenews.india.com/bengali/zila/hoh-contro_17900.html


হাওড়া পুরভোটের আগে দারুন ব্যস্ততা ছাপাখানায়পুরভোটকে ঘিরে হাওড়ার ছাপাখানাগুলিতে  দারুন ব্যস্ততা। অর্ডার সময় মতো পৌঁছে দিতে নাওয়াখাওয়া ভুলে কাজ করছেন ছাপাখানার কর্মীরা। হরেকরকমের ফ্লেক্সের অর্ডার দিচ্ছে রাজনৈতিক দলগুলি। রয়েছে ব্যানারের অর্ডারও।  একসময় ভোটপ্রচারের অন্যতম উপায় ছিল দেওয়াল লিখন, পোস্টার। কিন্তু সেদিন এখন অতীত। ফলে চাহিদা অনুযায়ী ফ্লেক্স, ব্যানারের যোগান দিতে দম ফেলার ফুরসত্ নেই ছাপাখানার কর্মীদের।


ছাপাখানায় জোর ব্যস্ততা। দিনরাত এককরে কাজ চলছে হাওড়ার একাধিক ছাপাখানায়। উপলক্ষ্য ভোট। ভোটের বাজারে প্রচারকে ঝা চকচকে করতে ফ্লেক্সের চাহিদা এখন বেশ বেশি। প্রায় সব রাজনৈতিক দলই চাইছে ফ্লেক্স। ফ্লেক্সের সঙ্গে চলছে ভালমানের ব্যানার তৈরির কাজ। ফলে ডবল ডিউটি করে বাড়ি ফিরছেন ছাপাখানার কর্মীরা।


২২ নভেম্বর হাওড়া পুরসভার ভোট। তর আগে প্রচারে শান দিতে চাইছে ডান, বাম সব দল। ভোটের প্রচার আর শুধু দেওয়াল লিখন, পোস্টার সীমাবদ্ধ নেই। ফলে বাজারে ফ্লেক্সের চাহিদা বেশি। ভোটকে কাজে লাগিয়ে বাড়তি আয় করে নিচ্ছে ছাপাখানাগুলি।

http://zeenews.india.com/bengali/zila/howrah-puro-vote_17899.html


সন্ত্রাসের বিরুদ্ধে রাজনৈতিক প্রতিরোধ গড়ার ডাক সিপিআইএমেররাজ্যে বেড়ে চলা সন্ত্রাস, দ্রব্যমূল্য বৃদ্ধি সহ নানা ইস্যুতে এবার ঐক্যবদ্ধ আন্দোলন গড়ে তোলার ডাক দিল সিপিআইএম। ধীরে ধীরে রাজনৈতিক প্রতিরোধ গড়ে তোলাই  হবে এই আন্দোলনের লক্ষ্য। শনিবার উত্তর ২৪ পরগনার একাধিক জনসভায় কর্মী সমর্থকদের উদ্দেশ্যে এই বার্তাই দিলেন সিপিআইএম নেতা গৌতম দেব। পাশাপাশি সারদাকাণ্ড সহ কয়েকটি ইস্যুতে তৃণমূলকে কটাক্ষ করেন।


তৃণমূল ক্ষমতায় এসে প্রতিহিংসামূলক রাজনীতি করছে। মিথ্যা মামলায় সিপিআইএম নেতা নেত্রীদের জড়িয়ে দেওয়া হচ্ছে। শনিবার উত্তর চব্বিশ পরগনার ভাটপাড়ায় এক জনসভায় এই অভিযোগ করেন সিপিআইএম নেতা গৌতম দেব।  


সারদা কাণ্ড নিয়েও তৃণমূলের ভূমিকার কড়া সমালোচনা করেন গৌতম দেব। সারদা কাণ্ডে তৃণমূলের নেতা মন্ত্রীদের জিজ্ঞাসাবাদেরও দাবি তুলেছেন তিনি।

শনিবার উত্তর ২৪ পরগনার ভাটপাড়া ও খড়দহে সভা করেন গৌতম দেব।ভাটপাড়ার সভায় ছিলেন মহম্মদ সেলিম, খড়দহে ছিলেন অসীম দাশগুপ্ত।  শাসকদলের বিরুদ্ধে আন্দোলন জোরদার করতে একমাস ধরে উত্তরচব্বিশ পরগনায় চল্লিশটি জনসভা করার সিদ্ধান্ত নিয়েছে সিপিআইএম।


No comments:

Post a Comment