कोई लौटा दें अपह्रत फसलों की वह मधु सुगंध
पलाश विश्वास
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Himanshu Kumar
आज सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को न्यायालय की अवमानना का नोटिस दिया है। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को जुलाई २०११ में आदेश दिया था की वह सलवा जुडूम को भंग करे। एसपीओ से हथियार वापिस ले , सलवा जुडूम और सुरक्षा बलों से पीड़ित आदिवासियों की ऍफ़आईआर दर्ज करी जाय तथा पीड़ित आदिवासियों को मुआवज़ा दिया जाय। बच्चों के स्कूलों से सुरक्षा बलों को बाहर निकालने का भी आदेश भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार को दिया गया था।
लेकिन छत्तीसगढ़ की मगरूर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक भी आदेश को नहीं माना। सरकार ने एक भी आदिवासी की रिपोर्ट नहीं लिखी। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक भी आदिवासी को मुआवज़ा नहीं दिया। बच्चों के स्कूलों पर सुरक्षा बल कब्ज़ा जमाये बैठे रहे।
छत्तीसगढ़ सरकार से सर्वोच्च न्यायालय ने ३ अक्तूबर तक अवमानना नोटिस का जवाब देने के लिए कहा है
Show-cause to Chhattisgarh for flouting orders on Salwa Judum
Govt. never acknowledged civilian militia's illegal acts
अपना यह इंद्रधनुषी बहुमंजिला
बहुआयामी डिजिटल बायोमेट्रिक विकास
वापस ले लो और दे दो वापस
हमारी अपह्रत फसलों की मधु सुगंध
बसंतीपुर के बुजुर्गों से मालूम हुआ था बचपन में ही बंगाल के काशीपुर शरणार्थी शिविर में
कैसे अमेरिकी भोजन परोसकर
मौत की दावत हुई थी
और कैसे लावारिश लाशें
ट्रकों में उठाकर फेंक दी गयी थीं
फिर साठ के दशक में जब भोजन की मांग लेकर
कोलकाता के राजपथ पर सरकारी बूटों और बंदूकों का कहर बरपा था और मारे गये थे अनगिनत
तेभागा के अवसान पर
विभाजित अखंड भारत के हिस्से आया
बंगाल के चप्पे चप्पे में
चल रहा था खाद्य आंदोलन
और उसी के मध्य
किसी चारु मजुमदार ने भूमि सुधार के
सिलसिले में जारी कर दिये थे
एक के बाद एक दस्तावेज
और अनुत्तरित उन यक्षप्रश्नों की कोख से जनमा नक्सल जनविद्रोह
उसी के आसपास नैनीताल की तराई में हमने चखना सीखा अमेरिकी गेहूं का स्वाद
उस सरप्लस गेहूं का स्वाद
पीएल चार सौ अस्सी
अस्सी कोस परिक्रमा की
शुरुआत दरअसल वहीं
से हो गया था
और उसी के बाद से सारा पुनरूत्थान
जिस गेहूं को समुंदर में फेंकना भी
खतरे से खाली न था
वह परोस दिया गया हमारी थाली पर
तब हमारे बुजुर्ग बताते थे कि कैसे
एक भी बम गिराये बगैर
पश्चिमी साम्राज्यवाद ने
बंगाल में करोड़ों की जान लीं
जिसकी गवाही देतीं
माणिक की अनगिनत कहानियां
अमर्त्य जैसे विद्वतजन इसे बंगाल
की भुखमरी बताते हैं
जो पहला साम्राज्यवादी नरसंहार था भारत में
अर्थशास्त्री इसे वितरण का संकट बताते रहे हैं
जैसे कि औपनिवेशिक शोषण
और संसाधनों की लूटखसोट
कोई अर्थशास्त्र के दायरे से बाहर का मामला हो
और उनके थाने में हमारी कोई रपट
दर्ज नहीं करायी जा सकती है
क्योंकि भुखमरी की शिकार जनता भी तो आखिर कोई फूलन देवी हैं
और न मालूम कब गरज उठे उसकी बंदूकें।
अर्थशास्त्र के सिद्धांत पूंजी से शुरु होते हैं
और मुनाफे में खत्म होते हैं
उसके तामा पड़व पर होते रहते
राजसूययज्ञ और अश्वमेध अभियान
जनता का सर्वनाश
और सत्ता वर्चस्व के लिए ही
होते हैं तमाम आर्थिक तिलिस्म
जैसे वैश्वीकरण
जैसे उदारीकरण
जैसे निजीकरण
जैसे विनियंत्रण
जैसे सामाजिक योजनाएं
मनरेगा, जने शहरी रोजगार योजना
और गरीबी हटाओ का छलावा
जैसे योजना आयोग के आंकड़े तमाम
तमाम परिभाषाएं
ग्राफिक्स और रेटिंग
और धुआंधार विज्ञापन
रंग बिरंगे इकन तमाम
विश्वबैंक जैसे
वैसे ही अंतरराष्ट्रीयमुद्राकोष
एशिया विकास बैंक
युनेस्को
और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ
और उसकी सुरक्षा परिषद
जैसे की तेल युद्ध
जैसे माओवादी चुनौती
और आतंक के विरुद्ध अमेरिकी युद्ध
जैसे ऊर्जा प्रदेश का जलवा
और गुजरात माडल विकास का
जैसे भारत अमेरिकी परमाणु संधि
और लोक गणराज्य भारत
में तिलिस्मी कानून का राज
जिसमें न सामाजिक न्याय है
और न समता का नामोनिशान
जाहिर है, हम और हमारे लोग
शेयर बाजार से बाहर के लोग हैं
हम बाहर हाशिये पर हैं
अस्पृश्य हम, व्रात्य हम असुर हम और राक्षस,दैत्य दानव भी हम, क्रयशक्ति विहीन
अमृत के अपात्र
हलाहल के आधार
हम इस देश के कृषि जीवी तमाम
हजारों अस्मिताओं और पहचान में कैद
एक दूसरे के खिलाफ लामबंद हमेशा
तुम्हारी मलसंस्कृति के खुल्ले बाजार से
हम भारतीय किसानों की संतानें
हम तुम्हारे डालर,पौंड और यूरो की भाषा में
रची गयी विकास गाथा के बाहर के लोग हैं
फिरभी पीएल 480 की आहट में
हमने सुन ली थी डालर की दस्तक घनघोर
तुमने हरित क्रांति भर दी झोली में
और छीन ली हमारी तमाम फसलें
देसी बीज से हुए हम बेदखल हमेशा के लिए
थोड़ी सी बरसात हुई नहीं कि
खेतों में जाकर जो बीज छिड़क देते थे हम
और उससे जो लहलहाती थी फसल
उसपर तुमने छिड़क दिये तमाम मंहगे रसायन
और बसा लिया युनियन कार्बाइड का कारखाना
भोपाल के सीने में
निर्गंध कार्बन मोनो आक्साइड ने छीन ली हमारी फसलों से आती सुगंध की नदियां तमाम
बासमती हंसराज तिलकराज से हो गये हम बेदखल
तभी से हम सुन रहे हैं डालरों की दस्तक
तेज बहुत तेज
जो अब पारमाणविक विकिरण बनकर
हमारे मानसून पर भारी है
आईआरएइट और टाइचुन की जोर पैदाइश
तो फिरभी गनीमत थी
अब तुमने नकदी का अंबार लगा दिये
खेतों में खड़े कर दिये युकिलिप्ट्स
और पपलर के जंगल
और असली जंगल उजाड़ दिये
अनाज तो अनाज
तिलहन दलहन से भी बेदखल हुए हम
साग सब्जियां उगाना भूल गये हम
अब गांवों में गोशाला नहीं हैं
गोबर खरीदना होता है ौर मिट्टीभ
भी खरीदने की नौबत आ गयी है
दूध दही मक्खन से बेदखल हो गये हम
तमाम बागहो गये बेदखल
तालाब पोखर छीले नदियां
सब कुछ छन लिए तुमने डालर के खेल में
डालर अर्थव्यवस्था में फिर तुम
दे रहे हो सौगात हमें
पीएल 480 की एक बार फिर
आधार पहचान देकर
अनंत निगरानी में कैद करके हमें
हमारी थाली में परोस रहे हो नकद सब्सिडी
विस्तापन और बेदखली की गंदी बस्तियों में
अपनी हरियाली, अपनी फसल से जुदा हम
तुम्हारी खैरात के लिए कतारबद्ध
हमें हर्गिज नहीं चाहिए
कारपोरेट सामाजिक सरोकार
न हमें चाहिए कारपोरेट कोई कृत्तिम हरियाली
हमें नहीं चाहिए
स्वर्मिम राजपथ तमाम
और एक्सप्रेसवे पर दौड़तीं
गाड़ियों में हम कहीं नहीं हैं
हम कहीं नहीं हैं हवाई यात्राओं में
अब भी पगडंडी पर बहती है जिंदगी हमारी
हमें नहीं चाहिए तुम्हारे
तिलिस्मी भूलभूलैय्या महानगर बेतरतीब
नगर उपनगर और रंगबिरंगे सेज तमाम
हमें कीचड़ से लथपथ
हमारे खेतों की बेदखल मेढ़ें लौटा दो
लौटा दो खोया हुआ अनाज
खोयी हुई तिलहन दलहन
और उनसे बहती सुगंध की नदियां तमाम
हमें तुम्हारी रक्तनदियां
डुबो रही हैं न जाने कब से
डालर नाव से कैसे हों पार
हमें नहीं चाहिए तुम्हारी विश्वबैंकीय
मुद्राकोषीय सामजिक योजनाएं तमाम
हमारी दहलीज तक फैलते तुम्हारे बाजार के लिए
हम भिखारी बना दिये गये हैं
वरना हम भिखारी कभी न थे
धरती के अन्नदाता हम
अब अनाज खरीदने को मजबूर
अनाज से बेदखल कर दिये गये हम
हाट हमारा समाज था
तुमने हमें बाजार दिये और छीन ली
हमारी अनंत आत्मनिर्भरता
हमें वह आत्मनिर्भर देहात लौटा दो भाई
लौटा दो हमें हमारे जंगल
तुम्हें तुम्हारी डालर सभ्यता मुबारक
हमें लौटा दो हमारे खेत
खनिज के भी मालिक हैं हम
नियमागिरि में बसते हैं हमारे देवता
मंडपों और पंडालों में आलोकसज्जा मंडित
बाजार के उत्सव में हम बेदखल विस्थापित शरणार्थी
का कोई काम नहीं है भइया
हमें लौटा दो हमारा महाअरण्य
हमें लौटा दो नगालैंड मणिपुर सीमा पर बसे
मरम उपत्यका की वस्तु वुनुमय प्रणाली
जहां रुपये का कोई काम नहीं
हम ही उत्पादक हैं तो
अपनी जरुरत के मुताबिक
अदला बदली कर जी लेंगे
रुपये की उछल कूद तुम्हीं को मुबारक भइया
सच तो यह सांघातिक है कि
इस कंक्रीट के जंगल में
हम कोई नागरिक ही नहीं हैं
हमारे बेदखल खेतों पर
संगीनों का छाया है
तरह तरहे के आपरेशन हैं
है सलवाजुडुम देशव्यापी
रंग बिरंगे नाम उनके तमाम
जैसे उनमें सबसे भारी
सशस्त्र सैन्य विशेषाधिकार अधिनियम
मतलब बलात्कार और नरसंहार का रक्षाकवच
विकास दर,गरीबी की परिभाषाएं
शेयरों के भाव और विदेशी रेटिंग
अपने खींसे में रक्खो भइये
हमें लौटा दो हमारी अपह्रत फसलों की सुगंध
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Saradindu Uddipan
চিটফান্ড আসলে বহুজনের বিরুদ্ধে ডিভাইন প্রভুদের যুদ্ধের শঙ্খনাদ।
সারদার জালিয়াতি কান্ড সামনে আসার পরে বেশ কয়েকটি আশঙ্কার কথা আলতো করে বাতাসে ভাসিয়ে দেবার চেষ্টা হচ্ছে। ক্রমশঃ জোরালো করে তোলা হচ্ছে এই আশঙ্কার পরিবেশ। পালা বন্দনার মতো গাওনা শুরু হয়েছে যে চিটফান্ড বন্ধ হলেঃ ১) বাংলার ফুটবলের উপর বিরাট প্রভাব পড়বে। ২) বাংলার সুমহান ঐতিহ্য দুর্গা পূজার জৌলুস কমে যাবে। ৩) টিভি সিরিয়ালগুলির উপর প্রভাব পড়বে। ৪) সিনেমা শিল্পের অনেক তাবড় প্রযোজক পালিয়ে যাবেন। ৫) যাত্রা শিল্প পাততাড়ি গুটাতে বসবে। বড় চিত্র তারকাদের পাওয়া যাবে না। ৬) অনেক খবরের কাগজ কোম্পানি পথে বসবে। ৭) অনেক টিভি চ্যানেল বন্ধ হয়ে যাবে। ৮) বড় বড় আবাসন প্রকল্প মুখ থুবড়ে পড়বে। ৯) সান সিটি,ফান সিটি,গ্রীন সিটি বা হাইল্যান্ড,স্কাইল্যান্ড আগাছায় ভরে যাবে। ১০) সাংবাদিকরা বেকার হয়ে রাস্তায় রাস্তায় কেঁদে বেড়াবে। ইত্যাদি...ইত্যাদি। অর্থাৎ চিটফান্ড যদি বন্ধ হয়ে যায় বাবুবিবিদের ও তাদের ছানাপুনাদের সব ফুটানি বন্ধ হয়ে যাবে। তাদের ঝাঁচকচকে গাড়িগুলির তেল ফুরিয়ে যাবে। কেতাদুরস্ত ব্...Continue Reading![](https://lh6.googleusercontent.com/KZ59XnrN-tAsyZjciLaEn0Jvjr4uUcwEts8ZLvKEqUzFl994xlXBsNB8Bynsssz6RhDnGWH2Rr42gO-c9dSxkDAcWFEsPaGq3phTqyEUBkZGfFb3MTEp_gNL)
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हमें नहीं चाहिए तुम्हारी पोंजी यह
अर्थव्यवस्था चूंती हुई
हमें लूटकर नख से शिख तक
अकूत कालाधन के विदेशी निवेश
की आस्था भी तुम्हें ही मुबारक
हमारे हिससे में हत्या,आत्महत्या और नरसंहार सिर्फ, सिर्फ घृणा अभियान
हमारे हिस्से में युद्ध और गृहयुद्ध सिर्फ
हमारे हिस्से में तमाम तरह के टैक्स,नियम उपनियम और कानून
और तुम्हारे लिए
खुले बाजार की सारी सुविधाएं सारी छूट
तुम्हारे लिए कानून का राज
हमारे हिस्से में जेलें, पुलिस हिरासत और फर्जी मुठभेड़,प्रायोजित दंगे ,राजनीतिक हिंसा
और फर्जी जनप्रतिनिधित्व
जिन्हें हम चुनते हैं
कारपोरेट बाजार के मार्केटिंग एजेंट में तब्दील
वह हमारे आाखेट में होता सबसे आगे
सबसे पहसे हाथ उठाकर
कारपोरेट दखल का चाकचौबंद
इंतजाम में लगा ससुरा
इससे भला हाल क्या होगा बुरा
हमें नहीं चाहिए तुम्हारी चियरिनें तमाम
नहीं चाहिए गोरा बनने के लिए
सौंदर्य प्रसाधन तमाम
सांवली सूरत के लोक में हमें रहने दो
तुम्हें तुम्हारा ग्लोबल रंगभेदी
यह सौंदर्यबोध मुबारक
हम इस देश की माटी से उपजे लोग हैं
हम नहीं कोई आक्रमणकारी हैं
इस देश को जुआघर में बदला तुमने
हमें लूटने का कारोबार है यह
शंखनाद है तुम्हारा
हमारे वध के लिए यह
शारदा फर्जीवाड़ा का विस्तार है
वित्तीय प्रबंधन तुम्हारा
हमारी जमा पूंजी लूटने की चूंती हुई
अर्थव्यवस्ता है यह तुम्हारी
संसाधन हमारे सारे
तमाम बेसिन में तेल हमारे
समुंदर हमारा
सारे के सारे अरण्य हमारे
हिमालय हमारा
तुम सिर्फ ठप्पा मारकर
ब्रांडिग में लगे हो
नीलामी में लगे हो
बेशर्म तुम देश बेच रहे हो
वैश्विक परिस्थितियां किसने बनायी
कौन देगा कैफियत इसकी
डालर किसके काम आते हैं भइया
इसकी देगा कैफियत कौन भइया
साल दर साल रुपया ही
क्यों गिरता जाता
कौन देगा कैफियत इसकी भइया
मुद्रास्फीति और महंगाई पर लगाम
की आड़ में मौद्रिक कवायद किसके लिए भइया
क्या लुंगी मैजिक है भइया
प्रेस कांप्रेस करते न करते
भालू हटने लगे तमाम
पिर कारोबार सांड़ों के हवाले तमाम
निवेशक बने जो लोग हमारे
सरेबाजार लुटे गये रातोंरात
फिर भी रुपया बेलगाम गिरता ही जाता है
आईपीएल की स्पाट फिक्सिंग की
तरह गेंदबाजी है
औरब बीसीआई की तरह
एकदम निरंकुश हैं कारपोरेट सरकार
हमारे हर काम में दस्तावेज जरुरी हैं
वोटर कार्ड चाहिे कहीं बी जाओ
राशन मिलता नहीं राशनकार्ड भी चाहिए
मोबाइल हर हाथ में हैं
पर आवास के सबूत बतौर चाहिए
लैंड फोन नंबर
पैन कार्ड चाहिए जब तब
लाइसेंस और परमिट भी चाहिए कारोबार के लिए
आयकर रिटर्न दाखिल करते जाओ हर साल
अब आधार कार्ड के लिए
उंगलियों की छाप
और पुतलियों की तस्वीर देने के लिए
प्रिज्म कैमरे के मुखातिब होने को कतारबद्ध हैं हम
लेकिन उनके दस्तावेज होते ही नहीं
बिना निविदा नीलाम करदिये जाते सारे संसाधन
उनके अस्पतालों में चलता मौत का कारोबार
कहीं शिकायत की तो धर लिये जाओगे
उनकी शिक्षा दुकानों में न शिक्षा है
और न होते हैं शिक्षक
कोई निगरानी नहीं है
कोई नियंत्रण नहीं है
कहां से आया रुपया
कहां से गया रुपया
कोई हिसाब नहीं है
कैग रपट सिर्फ रस्म अदायगी है
समितियां रफा दफा
बहसें, स्थगन, हंगाम और बहिर्गमन
ठंडे बस्ते में डालने का खेल
सैकड़ों हजार का कर्ज न चुका सकें
तो हमारे घर खेत नीलाम तय हैं
अरबों का कर्ज लेकर भी
उनका धंधा चलता बेरोकटोक
बैंक उनके बचाव में लामबंद
लाखों करोड़ की टैक्स छूट
उनके लिए हर साल साल दर साल
मत्रालयों से फाइलें गायब हो जातीं
उनसे कोई नहीं पूछता
रक्षा सौदों का ब्यौरा कभी नहीं मिलता
तेल, बिजली कंपनियों से सैदे नामालूम
वोडाफोन पर टैक्स क्या लगाया कि
निवेशकों क अनास्था से
अर्थव्यवस्था ढेर
गार के दांत दिखते न दिखते अबाध
पूंजी प्रवाह सूखा ही सूखा
अमेरिका में हालात सुधरे तो पस्त हुआ भारत
कोई तो पूछे सवाल कि हमारी खेती की हत्या
करके ऐसी क्या चूंती हुई अर्थ व्यवस्था बनायी
कि सारे संवैधानिक रक्षा कवच खत्म
खत्म नागरिकता,खत्म नागरिक अधिकार
खत्म लोकतंत्र,खत्म मानवाधिकार
प्रयावरण की ऐसी की तैसी हो गयी
लहूलुहान हुआ हिमालय
और ग्लेशियर भी पिघलने लगे
इस अर्थव्यवस्था से कुछ भी नहीं चूंता
हमारी तबाही के सिवाय
और जारी रहता उनका शंखनाद
जारी रहता हमारे वध हेतु
इस वधस्थल पर अनंत मृत्यु उत्सव
3
The strength of a society depends upon the presence of points of contacts, possibilities of interaction between different groups that exist in it. These are wha...See More
संवाद कहां है कोई हमें बता दें!
डूब में शामिल करने से पहले
हमारे गांवों की जनसुनवाई कहां कहां हुई?
कोई हमें बता दें
खेतों के अधिग्रहण से पहले
कब पूछा किसी ने हमसे?
सीधे टिहरी और पोलावरम में तब्दील हो गये हम
मुआवजा के नाम पर खरीद लिया हमें
अनिच्छुक हो गये तो
हमें बना दिया सिंगुर
प्रतिरोध किया तो
हम हो गये नंदीग्राम
जल सत्याग्रह के बावजूद
हमारे सीने पर कुड़नकुलम
परमाणु बिजली घर
जरा जोर से बोले तो
कलंगनगर में बन गया
हमारा शहीद स्मृति स्थल
नगड़ा में सौ साल से भी ज्यादा
समय से लड़ रहे हैं हम
हुई कहीं सुनवाई?
नवी मुंबई में पहले
किया विरोध
फिर समझाने से मान गये
अब भी नहीं मिला मुआवजा
हमारे गांवों को
बरनाला में हम यूं ही निपटा दिय गये
जैसे हम निपटाये जा रहे हैं
जैतापुर में इन दिनों
पूरे उत्तराखंड के रग रग में
बो दिये बिजलीघर
खेती तबाह कर दी हर घाटी में
कहां हुआ कोई संवाद बतायें?
गुजरात का विकास का माडल भी अजब है
अनसूचित इलाके भंग कर दिये गये
कांधला महासेज में
और कच्छ का रण भी कारपोरेट है
भूमि अधिग्रहण के खिलाफ
जनविद्रोह के कारण
वाम शसन के शिकंजे से मुक्त हुआ बंगाल
पूंजी के खिलाफ थी जो लड़ाई
पूंजी के हक में बदल गया परिवर्तन
खुदरा बाजार में विदेशी पूंजी का खूब हुआ विरोध
अब खेत बंधुआ होने लगे
कारपोरेट कंपनियों से किसान करेंगे करार
कानून यह भी बन रहा है
विपणन का कारोबार कारपोरेट
और कृषि उपज से बेदखल किसान
क्या बोयेंगे, क्या काटेंगे
तय करेगा कारपोरेट
हर राज्य में सहकारिता खेत
के बहाने हो रही है हरित क्रांति
पहली हरित क्रांति से हमने फसलें खोयी
दूसरी हरित क्रांति से पेटेंट को रहे हैं
खो रहे हैं बासमती,हल्दी और नीम
पहले हमपर मशीनें और उर्वरक थोंपे
अब थोंप रहे हैं जैविकी बीज तमाम
तमाम कीटानाशक
तमाम रसायन
बचे खुचे खेतों के
इस कत्लेआम की कहां हो रही सुनवाई?
दामोदर घाटी के विस्थापित
ईंट भट्टों में बिखर गये तमाम
कोई मुआवजा नहीं
नये भारत के मंदिर बने जितने
इस्पात कारखाने
बोकारो,दुर्गापुर, राउरकेला और भिलाई
उनकी नींव में हमारे ही खेत
बिजलीघरों की नीव में हमीं तो
कहीं न मिला पुनर्वास
और न ही मिला मुआवजा
हुई कोई सुनवाई?
और तो और टाटा के इस्पात कारखाने में
सबसे पहले जो हुई बेदखली
उनके वंशज भी भटक गये हैं
जितने बने सैनिक अड्डे
एअर बेस, उनके नीचे भी खेत हमारे
बिरसा मुंडा ने बगावत की थी
मारे गये तात्या भील
फांसी हुई सिधो कान्हो को भी
बाबासाहेब ने संविधान में रच दी
पांचवीं छठी ंअनुसूचियां
फिर भी कहां बचा सके हम
जल जंगल जमीन?
खान परियोजनाओं में
बेदखल हुए हम
बेदखल हुए टिहरी में
नानकसागर में
हरिपुरा जलाशय में
सरदार सरोवर में
पोलावरम में
कहां नहीं बेदखल हुए हम
कहीं हुई सुनवाई?
बना दिया कानून वनाधिकार का
वह भी हमें उजाड़ने के काम आया
हुई कोई सुनवाई?
पंचायती राज का इतना ढिंढोरा
उसपर कब्जे के लिए हर राज्य में
घर घर कुरुक्षेत्र
पंचायतों की हुई सिनवाई कहीं?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से
नियमागिरि में
हो रही सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा
जमीन जिसकी खनिज उसीकी
हम नहीं देते खनिज
तो चारों तरफ हाहाकार
सूचक गिरने लगे तमाम
रेटिंग में घटने लगी विकास दर
रुपया गिरने लगा बेतहाशा
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कोयला उत्पादन थम गया है
इस्पात उत्पादन थम गया है
तमाम अखबारों में संपादकीय तमाम
विकास का रथ थमने लगा है
कोई उसके पहिये को तुरंत निकालो
कारपोरेट आस्था डिगने लगी है
स्पेक्ट्रम गोटाले से डिगती नहीं
कारपोरेट आस्था
तमाम घोटाले मजबूत करते हैं
कारपोरेट आस्था!
चिदंबरम को अब पूर्ववर्ती से भी शिकायत है भइये
कि कारपोरेट आस्था बनाये रखने के लिए
कसर रह गयी बहुत बाकी
घरेलू बात होगी वोडाफोन से
स्पेक्ट्रम के भाव होंगे नये
कोयला ब्लाक भी नीलाम होंगे नये सिरे से
यानी मियां की जूती मियां के सर
कहां हो रही है सुनवाई
पाठ्य पुस्तकों में अब भी वही राग
सारे संसाधन, सारे खनिज राष्ट्र के हैं!
और किसान हो गये नक्सली माओवादी !
भूमि सुधार के लिए अबतक हुई कोई कवायद?
हुई कही सुनवाई?
सेंसेक्स
रुपये की हालत में शुक्रवार को मामूली सुधार हुआ, इसके बीच शेयर मार्केट में लगातार दूसरे दिन भी तेजी जारी रही और बंबई शेयर मार्केट का सेंसेक्स 206 अंक चढ़कर एक सप्ताह के टॉप स्तर पर बंद हुआ. सरकार और रिजर्व बैंक के गुरुवार के के आश्वासनों के बाद रुपये में सुधार हुआ.
30 प्रमुख शेयरों पर आधारित सेंसेक्स शुरू में एशियाई बाजारों के रुख को देखते हुए थोड़ा गिरकर 18,210.75 तक चला गया था, लेकिन बाद में इसमें सुधार हुआ. सेंसेक्स गुरुवार की तुलना में 206.50 अंक या 1.13 प्रतिशत बढ़कर 18,519.44 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स में गुरुवार को 407.03 अंक की तेजी आई थी.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 63.30 अंक या 1.17 प्रतिशत बढ़कर 5,471.75 अंक पर बंद हुआ. एमसीएक्स-एसएक्स का एसएक्स 40 सूचकांक 142.85 अंक या 1.32 प्रतिशत चढ़कर 10,960.73 अंक पर बंद हुआ.
वॉल स्ट्रीट में गुरुवार रात गिरावट का असर शुरू में एशियाई बाजारों पर पड़ा था. वित्त मंत्री पी चिदंबरम के गुरुवार के बयान के बाद शेयर और मुद्रा बाजार में तेजी आई. उन्होंने गुरुवार को कहा था कि घबराने की जरूरत नहीं है. आर्थिक वृद्धि में सुधार और प्रोत्साहन सरकार के एजेंडे में ऊपर हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने भी कहा था कि उनके पास मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है.
स्थानीय बाजारों में पूंजीगत वस्तुओं और बैंक शेयरों की अगुवाई में 13 क्षेत्रवार सूचकांकों में से 12 में तेजी रही. रीयल्टी सूचकांक कमजोर रहा. बाजार पर रुपये में गुरुवार की तेजी का प्रभाव पड़ा. छह की गिरावट के बाद घरेलू मुद्रा 135 पैसे मजबूत होकर 63.20 पर बंद हुआ. रुपया गुरुवार कारोबार के दौरान रिकॉर्ड 65.56 तक चला गया था, लेकिन बाद में कुछ सुधरकर 64.55 पर बंद हुआ था.
कोटक सिक्योरिटीज में प्राइवेट क्लाइंट ग्रुप के शोध प्रमुख दिपेन शाह ने कहा, 'बाजार में यह धारणा बनी कि रुपया निचले स्तर तक चला गया है और अब इसमें गिरावट नहीं आनी चाहिए. इससे बाजार में तेजी आई.'
उन्होंने कहा, 'हमारा विश्वास है कि अगर सरकार या रिजर्व बैंक रुपये को स्थिर और मजबूत बनाने के लिए और कदम उठाते हैं तो इससे धारणा को और अधिक बल मिलेगा.' सेंसेक्स में भेल का शेयर सर्वाधिक 8.1 प्रतिशत मजबूत हुआ. उसके बाद क्रम से टाटा पावर, जिंदल स्टील और टाटा स्टील का स्थान रहा.
यूरोप में वैश्विक आर्थिक सुधार की खबर से एशियाई शेयर बाजारों में मिला-जुला रुख रहा. जापान, दक्षिण कोरिया तथा ताइवान के बाजार जहां मजबूत हुए वहीं चीन, हांगकांग तथा सिंगापुर में गिरावट दर्ज की गई.
घरेलू शेयर मार्केट में सेंसेक्स में शामिल 23 शेयर लाभ में रहे. इसमें भेल, टाटा पावर (4.14 प्रतिशत), जिंदल स्टील (3.89 प्रतिशत), टाटा स्टील (3.27 प्रतिशत), टाटा मोटर्स (2.85 प्रतिशत), ओएनजीसी (2.83 प्रतिशत), टीसीएस (2.74 प्रतिशत), एचडीएफसी बैंक (2.61 प्रतिशत), आईसीआईसीआई बैंक (2.6 प्रतिशत) और महिंद्रा एंड महिंद्रा (2.41 प्रतिशत) शामिल हैं.
और भी... http://aajtak.intoday.in/story/sensex-up-over-200-points-as-rupee-recovers-1-739905.html
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Reyazul Haque shared Banojyotsna Lahiri's event.
अरुंधति रॉय, पी.के. विजयन और जी.एन. साइबाबा ऑपरेशन ग्रीन हंट के शहरी चेहरे के बारे में बात करेंगे. जेएनयू के शिप्रा मेस में. रात के 9.30 बजे से. अगर आप सब नजदीक हों और उतनी रात को आ सकते हों तो जरूर आइए.
Virendra Yadav, Ranendra Kumar, Mangalesh Dabral, Vaibhav Singh,Anil Kumar Yadav, Noor Zaheer, Sudhir Suman, Sudhir Ambedkar,Ankita Anand, Satyanand Nirupam![](https://lh3.googleusercontent.com/5BB6SAFuRxEeXsG6i5bOzL8ul8SvSKvV-lKSxmE6IKdE1kB1w5anUCeb3Sck7wpmB4b5SdSWSolykO2J9_0esCySPMK45EEo8rJYow2rBOuq168QnughBEsz)
Today at 9:15pm
JNU, Shipra Mess
Join · You were invited by Reyazul Haque
राजधानियों के लिए, लगरों उपनगरों के लिए
जो तुमने हजारों हजार गांव उजाड़े
उसका हिसाब कहां है भाई
द्वारिका से लेकर मेट्रो तक जो दौड़ती तेज गति
मेट्रो की ट्रेनें, उनकी पटरियों के नीचे दफन हैं
लेकिन गांव हमारे और खेत भी हमारे
हमारी पुरखौती से हमें उजाड़कर
तुम बसा रहे हो नई राजधानियां
तुम्हारी बंदूकों और तमाम हथियारों की
चांदमारी के निशाने में हैं हम
तुम्हारे लिए सारा इतजाम वातानुकूलित
हमारे लिए पांव रखने की जगह नहीं कहीं
हमने अपने बचपन में
मिट्टी तेल और कपड़ों के सिवाय
कुछ भी नहीं खरीदा
और हमें मिनरल वाटर बेच रहे हो तुम
हमारे खेत से हमें बेदखल करके
कोला पिला रहे हो तुम
सोनिया के द्वारे मानसून की दस्तक
राष्ट्रीय समस्या है इनदिनों
जल जगल जमीन
नागरिकता
नागरिक अधिकार और मानवाधिकार
देश की संप्रभुता पर
कोई बहस नहीं हैसर्वत्र विधाओं के नाम पर
बिंब संयोजन है
तकनीकी दक्षता है
जाति वर्चस्व है
और अकाट्य मनुस्मृति वयवस्था है
मुद्दे सिरे से गायब है
हंगामा खूब है बरपा लेकिन
सड़क से संसद तक
चारों तरफ कारपोरेट
मोमबत्ती जुलूस है
चकाचौंध ग्लोबल रोशनी में भी
इंद्रधनुषी बयान है
अनंत अवसरवाद हैट
सत्ता में भागेदारी है
सोशल इंजीनियरिंग है
उत्तरआधुनिक विमर्श है
विचारधाराओं और सिद्धांतों पर
परिकल्पनाओं पर
सामाजिक योजनाओं पर
सूचनाओं का घटाटोप है
गर्मागर्म बहस है
खारिज है
स्थापनाएं हैं
अभियान हैं
पर कहीं नहीं हैं हम
कावेरी बेसिन में रिलायंस को मिला बड़ा गैस भंडार
नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी साझेदार ब्रिटिश पेट्रोलियम [बीपी] ने पूर्वी तट पर स्थित कावेरी बेसिन में एक और बड़े गैस क्षेत्र की खोज की है। गहरे पानी में यह क्षेत्र सीवाई-डीडब्ल्यूएन-2001/2 ब्लॉक में खोजा गया है। इस ब्लॉक से रोजाना 3.52 करोड़ घन फुट गैस और 413 बैरल कच्चे तेल का उत्पादन होने का अनुमान है।
तट से करीब 62 किलोमीटर दूर समुद्र में खोजा गया नया गैस क्षेत्र इस ब्लॉक में कंपनी की दूसरी बड़ी गैस खोज है। इस ब्लॉक में रिलायंस इंडस्ट्रीज [आरआइएल] की 70 फीसद और बीपी की 30 फीसद हिस्सेदारी है। दोनों कंपनियों ने अपने बयान में कहा कि 1,743 मीटर गहरे पानी में कुल 5,731 मीटर गहरा कुआं सीवाई3-डी5-एस1 खोदा गया था। कुंए में मिले तरल पदार्थो के अध्ययन से संकेत मिले हैं कि यहां करीब 143 मीटर के दायरे में गैस भंडार मौजूद हैं।
इस कुंए की खुदाई अगस्त में ही पूरी हुई है। आरआइएल ने यहां मौजूद गैस भंडार के आकलन के लिए ड्रिल स्टेम टेस्ट [डीएसटी] किया है। कुंए में गैस भंडार का शुरुआती दबाव 8,000 पीएसआइ है, जिससे रोजाना 3.52 करोड़ घन फुट गैस का उत्पादन हो सकता है। सरकार और हाइड्रोकार्बन्स महानिदेशालय इस खोज को अधिसूचित कर रहे हैं। इसे डी-56 नाम दिया गया है।
आरआइएल ने इस ब्लॉक में जुलाई 2007 में डी-35 कुंए में भी गैस की खोज की थी। सितंबर 2009 में भी एक अन्य कुंए में गैस खोजी गई थी। हालांकि ब्लॉक के तीन अन्य कुओं में कंपनी को गैस हासिल नहीं हुई। डीजीएच ने डी-35 की अध्ययन रिपोर्ट में कहा था कि छह डॉलर प्रति एमबीटीयू से कम कीमत पर इस क्षेत्र से गैस उत्पादन व्यवहार्य नहीं होगा। सूत्रों के मुताबिक आरआइएल ने इस खोज की विकास योजना पर 1.45 अरब डॉलर और उत्खनन कार्यो पर 26.7 करोड़ डॉलर के पूंजीगत खर्च की योजना तैयार की है।
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Rajiv Nayan Bahuguna shared Govind Rawat's video.
सलाम गिर्दा
Rajiv Nayan Bahuguna
गिरदा भी खूब गये
उनेक हुड़के से आती थी जो
सिंहदावार पर दस्तक की गूंज
वह सिरे से गायब है
लापता गावों से खोज में
अबकौन पगला रचेगा कोई गीत
पहाड़ों से लेकर राजधानियों से
हुड़के की आवाज
खामोस है इन दिनों
जल प्रलय से लापता हुए है
जो लापता हैं अब भी
पहाड़ हो या मैदान
अस्पृश्य भूगोल के लोग भी अस्पृश्य हैं
मनुस्मृति के तमाम कायदे
औरर राष्ट्र के तमाम कानून
लागू हैं बिना भेदभाव
हिमालय, पूर्वोत्तर,कश्मीर
और दंडकारण्य के विरुद्ध
दक्षिमात्य अब भी
आर्यावर्त का विजित प्रदेश
पहाड़ और जंगलों में बसे लोग
आसानी से मारे जाते हैं
कहीं कोई प्रतिरोध होता ही नहीं
पूजा अर्चना और कर्मकांड में भूल जाते हैं
हमारे लोग अपनी कथा व्यथा
खुद पर पत्थर बरसात रहे
होते रहे लहूलुहान
परंपरा में जीते लोगों को
सामाजिक यथार्थ का पाठ
पढ़ाने वाले गिरदा
अब सिर्फ यादों में सताते हैं
अशोक जलपान गृह में
बंद मक्खने के साथ उनकी बैठकी
या फिर अपने दड़बे में
उबले अंडे के साथ महालिहाफ में
कड़कती सर्दी और हिमपात के दौरान
प्रिम को साथ लेकर
गुड़ की डली के साथ उनका प्रलाप
और नैनीताल समाचार में
उनकी कभी खत्म न होने वाली बहसें
जो शेखर के घर तक जारी रहती थी
राकेश की दुकान और डाट के पड़ावों के
साथ सिर्फ यादों में है
शरदोत्सव में फ्लैट्स पर किसी कार्यक्रम में
हो या फिर मालरोड पर
होली के
हुड़दंग के बीच
हिमरपात के मध्य
चहलदमी में बी गूंजती थी एक ही आवाज
हम सारे लोग अभिव्यक्त होते रहे
उसी आवाज के मध्य
जिसमें कभी शामिल होते थे
शेरदा अनपढ़,गोर्दा के बोल
या कुमायूं गढ़वाल के ठेठ बोल
नुक्कड़ गिरदा से ही सिखा हमने
नाटकों के पाठ
मचन में बदले देखा कितनी बार हमने
कितनी बार सीआरसीटी में
युगमंच के रिहर्सल में
सोच मे डूबे गिरदा को देखा
तराई में मारखाते
लहूलुहान गिरदा को देखा हमने
नरभक्षियों का पीछा करते
उनका कालर पकड़कर कुर्सी में चिपकाते
या उनके मुंह पर थूकते हुए
उन दिनों हम लोग
सारे के सारे गिरदा बननेके जुनून में थे
उन्ही की तरह झोला उठाये
कहीं भी दौड़ पड़ने को तैयार थे
पर अफसोस कि हममें से कोई
दूसरा गिरदा बन नही पाया
गिरदा अक्सर पढ़ते थे
बूढ़ी रंडी
हम सचमुच बूढ़ी रंडी में तब्दील हैं
बाजार में खोटे सिक्के बनकर भी
बाजार की चाल चल रहे हैं हम लोग
विकास का माडल इनदिनों पीपी है
पीपी कर गरियाते थे गिरदा
नशाबंदी के दोरान
सुरा से काम चलाते थे गिरदा
प्याली भर सुरा में पूरी टीम
का नशा भी अजब होता था उनदिनों
गिरदा नहीं, तो पीने का क्या खाक मजा है इनदिनों
बाकी बचा जो वह पीपी माडल है विकास का
यानी पब्लिक प्राइवेट उपक्रम
यानी बंगाल में अस्पताल सरकारी है
और मेडिकल कालेज निजी
पहाड़ और तराई में क्या क्या हो रहा है इनदिनों
क्या मालूम,सिर्फ ऊर्जा प्रदेश का शोर है
जमीन हड़पो अभियान के खिलाफ जो
अलख जगाया था कभी हमने
उसका हाल भी नहीं जानते हम इन दिनों
सिडकुल जो बने हैं हमारे खेतों पर
सुनते हैं उनमें अबाध पूंजी प्रवेश है
रोजगार कितना कुछ मिला है
हमें कोई खबर नहीं है न दिनों
जंगल की कटाई के खिलाफ जो थी लड़ाई
उसके सारे सिपाहसालार एक एक करके विदा हुए
अस्वस्थ बूढ़े हैं सुंदरलाल बहुगुणा
पर चिपको का हल तो जान गया पूरा विश्व
हिमालय बन गया है एटम बम
एटम बम की दस्तक है
घाटियों से लेकर शिखरों तक
पहाड़ों के घाव थे जो हरे
वे भरे नही अभीतक
रंगरूट प्रदेश और मानीआर्जर देश
की अर्थव्यवस्था का विकल्प है
अब अपना ऊर्जा प्रदेश
टिहरी की डूब में शामिल गांवों की खबर
लेने कोई हुड़का अब नही भटकेगा पहाड़
न धारचूला के सीमांत इलाकों की कोई खबर होगी
दरमा और व्यास घाटियों
टौंस और भागीरथी घाटियों की कोई
खबर नहीं हैं हमारे पास
केदार में पूजा अर्चना की धूम है
और चारों ओर हैं देवभूमि के विज्ञापन
न हिमालयी लोग हैं,
न ढिमरी ब्लाक के किसान हैं
न सिडकुल के मजूर हैं
हम सभी एक अनंत डूब में शामिल हैं
और गिरदा कही नहीं है ,कही नहीं है
जैसे गिरदा कहते थे खून है
लेकिन खून का नामोनिशान कहीं नहीं है
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किसके इशारे पर बंद हुआ जमीन घोटालों पर CAG का ऑडिट?
IAS अशोक खेमका
हरियाणा में जमीनों के लाइसेंस और उनकी बंदरबाट किसी से छिपी नहीं है, खासकर आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ की मिलीभगत को उजागर करने के बाद कई बड़ी कंपनियां भी सवालों के घेरे में आ गई थीं. लेकिन अब एक और गंभीर मामला सामने आया है.
हरियाणा में सीएजी ने भूमि से जुड़े मामलों का ऑडिट शुरू कर दिया था, यहां तक भी कहा गया था की कंट्री और टाउन प्लानिंग विभाग सहयोग नहीं कर रहा है, लेकिन अचानक सीएजी ने अपना ऑडिट बंद कर दिया है. दस्तावेज कह रहे हैं की ये ऑडिट दिल्ली के सीएजी ऑफिस से आए आदेशों पर बंद किया गया है. साथ ही बंद करने की वजह न बताए जाने से कई सवाल भी अपने आप खड़े हो रहे हैं.
आईएएस अधिकारी और उस समय के चकबंदी निदेशक अशोक खेमका ने रॉबर्ट वाड्रा जमीन केस के बाद कई ऐसे केसों का हवाला दिया था जिनमें काफी अनियमितताएं पाई गई थीं और जिनमें घोटालों का शक जाहिर किया गया था. खुद खेमका ने मांग की थी की इन सारे मामलों का ऑडिट सीएजी से कराया जाए और इस मांग को उस समय के सीएजी ने न सिर्फ स्वीकार किया था बल्कि इस पर काम भी शुरू कर दिया था.
लेकिन इसी साल जून में दिल्ली सीएजी ने चंडीगढ़ स्थित प्रिंसिपल ऑडिटर जनरल को ये ऑडिट रोकने के लिए कहा है. आप इसे खुद पढ़ भी सकते हैं, फिलहाल खेमका के वकील और कानून के जानकार इस ममाले पर हैरानी जाता रहे हैं.
खेमका के वकील अनुपम गुप्ता ने कहा, 'एक जांच को शुरू करना और फिर बंद कर देना काफी आश्चर्यजनक है, लेकिन सीएजी भी जवाबदेह है. संविधान की जानकारी के हिसाब से मुझे लगता है की सीएजी को इस पर जवाब देना चाहिए की ऐसा क्यों किया गया है.'
ऐसी भी जानकारी है कि सीएजी ने इस सारे मामले की जांच के समय ये भी कहा था कि हरियाणा के कंट्री और टाउन प्लानिंग विभाग की तरफ से पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है और ऑडिट में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि पूरे मामले की जांच को रोक ही दिया गया. फिलहाल इस मामले पर न तो हरियाणा सरकार और न ही सीएजी कुछ भी कह रही है.
और भी... http://aajtak.intoday.in/story/who-stopped-cag-audit-in-haryana-1-739913.html
वित्तीय सेवा देने वाली वैश्विक कंपनी एचएसबीसी ने मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय शेयरों की साख घटा दी है। कंपनी ने इसका कारण बताते हुए कहा है कि देश को रुपये की विनिमय दर में गिरावट और आर्थिक वृद्धि दर में नरमी से जूझना पड़ेगा।
एचएसबीसी ने शोध रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा, 'हमने भारतीय शेयरों की साख आकर्षक (ओवरवेट) से कम कर (न्यूट्रल)तटस्थ कैटिगरी में डाल दी है। हमारे विचार से भारत को अपनी करंसी को गिरने से बचाने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के बीच संघर्ष करना पड़ेगा।'
एचएसबीसी के अनुसार मई से भारतीय बाजारों में उतार-चढ़ाव का कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा डॉलर की उपलब्धता बढ़ाने के लिए जारी बॉन्ड खरीद कार्यक्रम में कमी लाने को लेकर जारी चर्चा है। लेकिन भारतीय शेयर बाजारों में हाल में आए उतार-चढ़ाव का कारण पूंजी निकासी पर कुछ अंकुश लगाने के लिए नकदी की स्थिति तंग करने का निर्णय है।
चालू वित्त की शुरुआत से अबतक भारतीय शेयर बाजार का रुपये में मूल्यांकन 6.55 प्रतिशत घटा, वहीं डॉलर के मामले में यह 22 प्रतिशत नीचे आ चुका है। इस अवधि में रुपया डॉलर के मुकाबले 16 प्रतिशत से अधिक नीचे आ चुका है।
रिपोर्ट के अनुसार कई मामलों में अधिकारियों ने चालू खाते के घाटे के वित्त पोषण में सुधार के लिए कदम उठाए। भारत में ढांचागत सुधार का मुद्दा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत इस समय कठिन हालात का सामना कर रहा है। जहां एक तरफ आर्थिक वृद्धि दर धीमी हुई है वहीं मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई, साथ ही चालू खाते का घाटा भी ऊंचा बना हुआ है। एचएसबीसी के मुताबिक आयातित मुद्रास्फीति से निकट भविष्य में नरम मौद्रिक स्थिति की संभावना कम होगी।
विदेशी निवेशक फिर आएंगे
सेंसेक्स में एक ही दिन 700 अंकों से ज्यादा की गिरावट 2007 से 2009 के बीच घोर मंदी के दौर में ही देखी जाती थी। लेकिन अभी, जब अमेरिका और कुछेक यूरोपीय देशों में हालात सुधरने के चिह्न दिखाई पड़ रहे हैं, तब अपने यहां शुक्रवार को यह 769.41 अंक दर्ज की गई।
इतनी बड़ी गिरावट के लिए बाजारों में रक्तपात (ब्लडबाथ) जैसे भयानक शब्द चलते हैं, लेकिन मंदड़ियों के लिए यह समय मंगल गाने का होता है। जहां तक सवाल भारतीय अर्थव्यवस्था का है तो अभी इसके लिए परेशानी की कुछ वजहें जरूर हैं, पैनिक की एक भी नहीं।
परेशानी भी ज्यादातर बाहरी है। अमेरिका में बेरोजगारी के आंकड़ों में उम्मीद से ज्यादा सुधार देखे जाने से यह चर्चा चल पड़ी है कि वहां का केंद्रीय बैंक फेड जल्द ही बाजार से डॉलर खींचना शुरू करेगा (जैसा आरबीआई अभी भारत में कर रहा है)।
विश्व बाजार में डॉलरों की तादाद घटेगी तो मांग-आपूर्ति के नियम के मुताबिक उनकी कीमत चढ़ेगी। न सिर्फ भारत बल्कि ब्राजील, इंडोनेशिया, मलयेशिया आदि सभी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह चर्चा काफी बुरी साबित हो रही है और इन सभी के सिक्के डॉलर के मुकाबले सस्ते होते जा रहे हैं। इसमें भारत का मामला और भी बुरा है, क्योंकि पिछले दो सालों से हमारा एक भी आर्थिक आंकड़ा (मुद्रास्फीति, वित्त घाटा, चालू खाता घाटा वगैरह) अच्छा संकेत नहीं दे रहा है। बीते बुधवार को रिजर्व बैंक ने रुपये की गिरावट रोकने के लिए कई उपाय घोषित किए। सोने के आयात पर टैक्स बढ़ाकर 10 पर्सेंट कर दिया। कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा किसी भी तरह की विदेशी खरीद की सीमा सीधे एक चौथाई पर ला दी। विलासिता की श्रेणी में आ सकने वाले सभी सामान एक झटके में महंगे कर दिए।
लेकिन इतने सब के बावजूद 15 अगस्त की छुट्टी के बाद बाजार खुला तो डॉलर के मुकाबले रुपया इतनी बुरी तरह गिरा कि सबकी सांस अटक गई। समय आ गया है कि भारत का शेयर और मुद्रा बाजार अपनी अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भरोसा करना सीखे। इसके बुनियादी कील-कांटे दुरुस्त हैं, अनिर्णय का दौर बीत चुका है, और बारिश अच्छी हो रही है। इन बातों का असर देर-सबेर भारतीय कंपनियों की बैलेंस शीट पर दिखाई पड़ेगा, और भाग रहे विदेशी निवेशक एक-दो महीनों में मौका ताड़कर फिर वापस आ जाएंगे।
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